06/07/2025
"घाव छोटा हो या बड़ा, टिटेनस का टीका जरूर लगवाएं,क्योंकि सावधानी ही सुरक्षा है
टिटेनस (Tetanus), जिसे हिंदी में धनु रोग भी कहा जाता है, एक घातक और जानलेवा संक्रमण है, जो Clostridium tetani नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। यह बैक्टीरिया मिट्टी, धूल और जानवरों के मल में पाया जाता है और जब यह खुले घाव या कट के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है, तो यह एक शक्तिशाली ज़हर (toxin) उत्पन्न करता है – tetanospasmin, जो मांसपेशियों को जकड़ देता है और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है।
टिटेनस के लक्षण
1. जबड़े की जकड़न (Lockjaw) – यह सबसे आम लक्षण है, जिसमें मरीज़ मुंह नहीं खोल पाता।
2. मांसपेशियों में ऐंठन – विशेषकर पीठ, गर्दन और पेट की मांसपेशियों में।
3. गंभीर दर्द और जकड़न – थोड़ी सी आवाज़, रोशनी या स्पर्श से भी ऐंठन बढ़ सकती है।
4. तेज बुखार, पसीना, और बेचैनी
5. सांस लेने में कठिनाई – मांसपेशियों की कठोरता के कारण।
टिटेनस कैसे फैलता है?
जंग लगे लोहे की कील या तार से चोट लगना
खुले घाव या कट का ठीक से इलाज न करना
गंदे वातावरण में बिना सुरक्षा के काम करना
गांवों में अस्वच्छ डिलीवरी या पारंपरिक छुरा-कटाई जैसी प्रक्रियाएं
बिना टीकाकरण के नवजात शिशु या प्रसूता मां
टिटेनस क्यों है जानलेवा?
टिटेनस का ज़हर सीधे मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की नसों को प्रभावित करता है।
यदि इलाज में देरी हो जाए तो मरीज़ को सांस रुकने, मांसपेशियों की टूट-फूट और हार्ट अटैक तक हो सकता है।
एक बार संक्रमण होने के बाद मृत्यु दर बहुत अधिक होती है, विशेषकर उन लोगों में जिन्हें समय पर इलाज या वेंटिलेटर सहायता नहीं मिलती।
बचाव ही सबसे बड़ा इलाज है
1. टीकाकरण जरूरी है
बचपन में DPT (Diphtheria, Pertussis, Tetanus) टीका
बड़ों को हर 10 साल में टिटेनस की बूस्टर डोज़
गर्भवती महिलाओं को TT इंजेक्शन देना अनिवार्य है
2. चोट लगने पर सावधानी बरतें
घाव को तुरन्त साफ करें
नजदीकी अस्पताल जाकर टिटेनस इंजेक्शन लगवाएं
3. साफ-सफाई और स्वच्छता अपनाएं
खासकर खेतों, फैक्ट्रियों, या निर्माण स्थलों पर काम करते समय।
टिटेनस का इलाज
एक बार टिटेनस हो जाने पर मरीज को ICU में भर्ती करना पड़ता है।
इलाज में एंटीबायोटिक, टिटेनस इम्यून ग्लोब्युलिन (TIG), दर्द निवारक और सांस सहायता उपकरणों की ज़रूरत पड़ती है।
इलाज लम्बा, कठिन और महंगा होता हैं
निष्कर्ष
टिटेनस एक ऐसी बीमारी है जिसे आसानी से रोका जा सकता है लेकिन अगर इसे नज़रअंदाज़ किया गया, तो यह जानलेवा सिद्ध हो सकती है।