Mandeep Kaur Ayurvedic Aushadhaalay

Mandeep Kaur Ayurvedic Aushadhaalay आयुर्वेद अपनाए निरोगी काया पायें

06/09/2025

🌿 *दाद (फंगल इंफेक्शन) का आयुर्वेदिक समाधान* 🌿

🌿 दाद क्या है?
दाद एक प्रकार का त्वचा रोग है, जिसे आयुर्वेद में कुष्ठ रोग की श्रेणी में माना गया है। यह त्वचा पर लाल, गोलाकार चकत्तों के रूप में फैलता है जिनमें खुजली, जलन और कभी-कभी पपड़ी भी बनती है। कारण – अस्वच्छता, पसीना आना और गंदगी, दूषित आहार, अत्यधिक खट्टा, मीठा व तैलीय भोजन,
धूल-मिट्टी, संक्रमण, कमजोर प्रतिरोधक क्षमता, अधिक तनाव और असंयमित दिनचर्या।

🌿औषधि योग (दाद नाशक चूर्ण)
नीम पत्तों का चूर्ण
25ग्राम
हरिद्रा चूर्ण 25ग्राम
त्रिफला चूर्ण 25ग्राम
खदिर चूर्ण 25 ग्राम
मंजीष्ठा चूर्ण 25 ग्राम

सभी को मिलाकर बारीक चूर्ण बना लें।

2–3 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम गुनगुने जल के साथ लें।

✅ यह चूर्ण रक्त को शुद्ध करता है, त्वचा रोगों को दूर करता है और दाद-खुजली को जड़ से मिटाता है।

🌿 सहायक औषधि
☘️ *पंचतिक्त घृत गुग्गुलु* 2–2 गोली दिन में दो बार
☘️ *खदिरारिष्ट* 15–20मल बराबर जल के साथ, दिन में 2 बार
☘️ *नीम घन वटी* 1–1 गोली दिन में दो बार
☘️ *मंजीष्ठा चूर्ण* 2 ग्राम शहद के साथ, दिन में 2 बार

🌿बाहरी उपाय
☘️ नीम के पत्तों को उबालकर उस पानी से स्नान करें
☘️हल्दी और सरसों के तेल का लेप दाद वाली जगह पर लगाएँ
☘️ नारियल तेल में कपूर मिलाकर प्रभावित स्थान पर दिन में 2–3 बार लगाएँ

🚫 परहेज
❌ तैलीय, मसालेदार और फास्ट फूड
❌ बहुत अधिक खट्टा, दही व अचार
❌ गंदगी और पसीने से भरे कपड़े पहनना
❌ खुजली वाली जगह पर नाखून न चलाएँ

✅ जीवनशैली सुझाव
✔ प्रतिदिन स्नान करें और शरीर को स्वच्छ रखें
✔ ढीले व सूती कपड़े पहनें
✔ अधिक पानी पिएँ और रक्त शुद्ध करने वाले फल-सब्ज़ियाँ खाएँ (जैसे – गाजर, खीरा, नींबू)
✔ प्राणायाम और ध्यान से मानसिक तनाव कम करें

🌿 नियमित 2–3 माह तक आयुर्वेदिक औषधि और उचित आहार-विहार से दाद की समस्या जड़ से समाप्त हो जाती है और त्वचा स्वस्थ व साफ बनी रहती है।

31/07/2025

*हर माँ अपने व अपने बहन बेटियों को जीवन मे ये कुछ आदत डालवा दें जीवन मे कभी भी गर्भाशय व मासिकधर्म का रोग नहीं होगा*

*मासिकधर्म के दिनों मे भी व अभी भी जब तक मासिक धर्म न आये तब तक एक कप पानी मे आधा चम्मच घी मिलाकर जरूर पियें*

*प्रतिदिन सुबह एक लीटर पानी मे एक चम्मच अजवायन 10 लौंग कुटकर खूब उबालकर इस पतीले को बाल्टी मे रख उस बाल्टी के किनारे तौलिया लपेटकर उसपर 10 मिनट बैठ कर गुप्तानगो को भाप दें*

*बाजारू प्लास्टिक युक्त पैड का प्रयोग न कर नारी सुरक्षा सैनेट्री नैपकिन का उपयोग करें, जब तक मासिकधर्म नहीं आता तब तक भी प्रतिदिन सुबह से रात तक ,रात से सुबह तक इस पैड के नीले हरे रंग के हिस्से पर 2 3 चम्मच पानी डालकर गिलाकर कर पहनें*

*कभी भी मासिकधर्म को आगे पीछे करने वाले अप्रकृतिक औषधियों का सेव न करें*

*शाम को पेडू (राइट ओवेरी गर्भाशय लेफ्ट ओवेरी ) की 3 मिनट मे अरंड तेल से मसाज करें (राइट ओवेरी गर्भाशय लेफ्ट ओवेरी ) को 3 3 मिनट गरम पानी की बोतल से सिकाई करें*

*आज से 15 दिन सुबह अलसी के बीज का आधा चम्मच पानी से , शाम को कद्दू के बीज , 16 वें दिन से सुबह तिल व शाम को सूरजमुखी के बीज का सेवन करें*

👌👌 *हजारों बहनो द्वारा आजमाया हुया कारगर उपाय मेथी अजवायन किलौंजी कालातिल सौंठ मूली के बीज गाजर के बीज बथुआ के बीज जो जो उपलब्ध हो जाये आसानी से उन सभी को लेकर बराबर मात्रा में लेकर पाउडर बना ले व इस पाउडर का एक से दो चम्मच एक गिलास पानी में इतना उबाले की पानी चौथाई रहे व गुड़ मिलाकर सुबह शाम पिये इसे तब तक अपनाना है जब तक मासिकधर्म आ न जाए व मासिक धर्म आने के बाद एक दो दिन तक सेवन करना है इस उपाय से वर्षो से रुका मासिकधर्म भी नियमित हो जाता है व मासिकधर्म के समय गर्म पानी मे घी मिलाकर जरूर पीये मासिकधर्म के समय शारीरिक सभी प्रकार के दर्द से मुक्ति हेतु* *इस उपाय को अपनाकर अनेकों बहनों ने अपने मोटापे व कब्ज गैस शारीरिक दर्द जैसी समस्यायों से भी मुक्त हुई है*👌👌

या

*आधा आधा चम्मच सौफ हाउबेर को एक गिलास पानी मे चौथाई रहने तक उबालकर छानकर 2 चम्मच वजूरी शर्बत मिलाकर पिलाएं सुबह व शाम*

या

*आधा आधा चम्मच मुरमुकी (बीजाबोल) व हाउबेर को एक गिलास पानी मे चौथाई रहने तक उबालकर छानकर 4 चम्मच वजूरी शर्बत मिलाकर पिलाएं सुबह व शाम पीने से वो रुका मसिकधर्म खुलकर आ जाता है जो किसी दवा औषधि से नहीं आ रहा हो*

वैद्य मनदीप कौर
नामधारी देसी दवाखाना एंड योग सेंटर
रतिया
6283021266

27/07/2025

*अमृतधारा - एक दिव्य औषधि*

अमृतधारा को घर में बनाने का पूरा फार्मूला अमृतधारा घर का वैद्य यह एक ऐसी दिव्य औषधि है जो हर घर मे अवश्य होनी चाहिये। जो बच्चे से लेकर बूढ़े तक काम आती है।

आयुर्वेदिक घरेलू औषधियों में अमृतधारा का अपना विशेष स्थान हैं। साधारण सी दिखने वाली औषधि रोगग्रस्तों के लिए वरदान है।

अमृतधारा ऐसी हर्बल आयुर्वेदिक दवा है जो जीवन रक्षक है. हालांकि ये बाजार में भी मौजूद है लेकिन इसे आसानी से घर पर बनाया जा सकता है.

अमृतधारा अमृत के समान है। यह अनेक बीमारियों की अनुभूत घरेलू दवा है। इसे आयुर्वेदिक घरेलू औषधियों में अपना विशेष स्थान प्राप्त हैं। साधारण सी दिखने वाली यह औषधि रोगियों के लिए वरदान है। यह औषधि शरीर में पहुंचते ही इतनी जल्दी असर दिखाती है कि रोगी का रोग दूर होकर राहत मिलती है। यह अनेकों बीमारियों की अनुभूत घरेलू दवा है। इसकी मुख्य विशेषता यही है कि इसका शरीर पर कोई विषाक्त प्रभाव नहीं पड़ता।

#अमृतधारा_क्या_है ?

*अमृत धारा आयुर्वेद की एक बहुत ही जानी - मानी औषधि है जो कई बीमारियों को आसानी से उपचार कर देती है । बदलते मौसम , गर्मी की तपन , लु , धूल भरी हवाओं , खान - पान में गड़बड़ी के कारण सिरदर्द , उल्टी , अपच , हैजा , दस्त , बुखार , शरीर में दर्द , अजीर्ण जैसे रोग घेर लेते हैं । ऐसे में आयुर्वेदिक औषधि अमृतधारा इन रोगों में रामबाण की तरह सहायक हो सकती है । इस दवा की दो - चार बूढे एक कप सादे पानी में डालकर पीने मात्र से ही तुरन्त लाभ मिलता है । सिरदर्द हो , जहरीला ततैया काट ले तो इसे लगाते मात्र से ठीक हो जाता है । गले के दर्द व सूजन में गरारे करने पर तुरंत लाभ मिलता है । यह दवा पूरे परिवार के लिए लाभदायक है क्योंकि यह पूर्ण प्राकृतिक हैं ।*

#अमृतधारा_कैसे_बनती_है ?
1) पुदिना सत्व 500 ग्राम
2) अजवायन सत्व 500 ग्राम
3) भीमसेनी कापुर। 500 ग्राम

यह तीन चीजे आप पंसारी (जड़ी बूटी वाला दुकानदार ) से अलग अलग लाये
किसी कांच की बड़े मुंह वाली लेकर उसमे ये तीनो एकत्र डाल दीजिये।
कुछ देर में ही उसका पानी जैसा बन जायेगा और यही है अमृतधारा इसे 1 ग्लास पानी मे सिर्फ 4 बूंद डालना है।

#अमृतधारा_के_फायदे :-

*1 - अमृतधारा कई बीमारियों में दी जाती हैं , जैसे बदहजमी , हैजा और सिर - दर्द ।

*2 - #बदहजमी - थोड़े से पानीमें तीन - चार बूंद अमृतधारा की डालकर पिलाने से बदहजमी , पेटदर्द , दस्त , उलटी ठीक हो जाती है । चक्कर आने भी ठीक हो जाते हैं ।

*3 - #हैजा - एक चम्मच प्याजके रसमें दो बूंद अमृतधारा डालकर पीने से हैजा में फायदा होता है।

*4 . #सिरदर्द - अमृतधाराकी दो बूंद ललाट और कान के आस - पास मसलने से सिरदर्द को फायदा होता है।

*5 - #छाती_का_दर्द - मीठे तेल में अमृतधारा मिलाकर छाती पर मालिश करने से छातीका दर्द ठीक हो जाता है।

*6 - #जुकाम - इसे सूंघने से सांस खुलकर आता है तथा जुकाम ठीक हो जाता है।

*7 - #मुह_के_छाले - थोडे से पानीमें एक - दो बूद अमृतधारा डालकर छालों पर लगानेसे फायदा होता है।

*8- #दांत_दर्द - अमृतधारा की 2 बून्द रुई के सहारे रखने से दन्त शूल नस्ट होता है।

*9- #खाँसी_दमा_क्षयरोग :- 4 5 बून्द गुनगुने पानी में सुबह शाम पीने से नस्ट होता है*

*10- #हृदय_रोग- आंवले के मुरब्बे पर 2 3 बून्द डालकर खाने से*

*11- #पेट_दर्द- बताशे पर 2 बून्द अमृतधारा डालकर खाने से उदर शूल नस्ट होता है*

*12- #मन्दाग्नि-भोजन के बाद 2 3 बून्द सादे पानी में मिलाकर पीने से मन्दाग्नि दूर होती है*

*13- #कमजोरी- 10 ग्राम देशी गाय के मख्खन 5 ग्राम शहद व 2 3 बून्द अमृतधारा सुबह शाम सेवन से कमजोरी दूर होती है*

*14- #हिचकी- 2 3 बून्द सीधे जीभ पर लेने के बाद आधे घण्टे तक कुछ भी सेवन न करने से हिचकी नस्ट हो जाती है*

*15- #खुजली-10 ग्राम निम तेल में 5 बून्द अमृतधारा मिलाकर लगाने से खुजली नस्ट हो जाती है*

*16 - #मधुमक्खी_के_काटने_पर - ततैया , बिच्छू, भंवरा या मधुमक्खी के काटने की जगहपर अमृतधारा मसलने से दर्द में राहत मिलती हैं ।*

*17 - #बिवाई - दस ग्राम वैसलीनमें चार बूंद अमृतधार मिलाकर , शरीर के हर तरह दर्दपर मालिश करने दर्द में फायदा होता है । फटी बिवाई और फटे होंठों पर लगानेसे दर्द ठीक हो जाता है तथा फटी चमडी जुड़ जाती है ।*

*18 - #यकृत_की_वृद्धि - अमृतधारा को सरसों के चौगुने तेल में मिलाकर जिगर - तिल्ली पर मालिश करने से यकृत की वृद्धि दूर होती है ।*

* #अमृतधारा_के_नुकसान ( दुष्प्रभाव ) : अधिक मात्रा में लेने पर दस्त का कारण बन सकता है । -कुछ लोगों को इसके उपयोग के कारण चक्कर आ सकते है । सावधानियां पयोग करने से पहले चिकित्सक की सलाह आवश्यक है

अपने शरीर को किसी भी प्रकार की बीमारी से मुक्त करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार अपनाएं।

#स्वस्थ रहना है तो भारतीय चिकित्सा पद्धति को अपनाना ही होगा अन्यथा एक बार एलोपैथी चिकित्सा के चक्कर में फंसे तो बिमारियों के जाल से निकलना मुश्किल होगा
अमृतधारा आप हमारे केंद्र से भी मंगवा सकते हैं।

नामधारी देसी दवाखाना
रतिया
6283021266

अगर आपके बच्चे की हाइट कम रह गई है तो आप भी जरूर इस्तेमाल करे बौना नाशक पाउडर
12/07/2025

अगर आपके बच्चे की हाइट कम रह गई है तो आप भी जरूर इस्तेमाल करे बौना नाशक पाउडर

07/07/2025

कमरदर्द, जोड़ो का दर्द, खून की कमी, शारिरिक कमजोरी का घरेलू उपाय!
!
सुबह खाली पेट नीचे बताये गए मिश्रण में से चार दाने किशमिश खाना स्वास्थ के लिए बहुत फायदेमंद होता है क्योंकि किशमिश में बहुत ऐसे तत्व होते है जो हमारे शरीर के लिए बहुत गुणकारी होते हैं शायद आप जानते होंगे की किशमिश के सेवन से रक्त, कमज़ोरी आदि तथा ओज की मात्रा बढ़ती है जो कि आपकी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है।

किशमिश में भरपूर मात्रा में आयरन, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम और फाइबर पाया जाता है। साथ ही इसमें दूध में मौजूद हर तत्व पाया जाता है। आज हम आपको एक ऐसा नुस्खा बताने जा रहे है जिसका सेवन करने से शारीरिक शक्ति के साथ कमर दर्द, जोड़ों के दर्द, खून की कमी को दूर करने में भरपूर मददगार है।

आवश्यक सामग्री

किशमिश 100 ग्राम,
शहद 100 ग्राम और
मिश्रण बनाने की विधि

किसी बर्तन में शहद और किशमिश को डालकर इस तरह हिलाएं की मधु (शहद) और किशमिश में अच्छी तरह भीग जाय और फिर इस मिश्रण को एक काँच के जार में कार्क या ढ़क्कन लगाकर दो दिन के लिए छोड़ दे। दो दिन बाद आपकी चमत्कारी औषधि तैयार है।

सेवन का तरीका और इस मिश्रण के फायदे

अब आप इसमें से जब भी किशमिश को निकाले थोडा हिला ले ताकि आपस में सभी मिल जाय और चार दाने किशमिश निकालकर सुबह खाली पेट रोजाना सेवन करें इसके लगातार सेवन करने से शारीरिक शक्ति बढती है, अगर कमर दर्द की शिकायत हो तो ठीक हो जाता है खून की कमी और जोड़ों के दर्द आदि दूर कर शारीरिक एनर्जी मिलती है।

शरीर को शक्तिशाली बनाना :

सुबह के समय लगभग 25 से 30 दाने किशमिश को गर्म पानी से धोकर साफ कर लें और फिर इसे कच्चे दूध में डाल दें। आधे या एक घंटे बाद किशमिशों को दूध के साथ गर्म करके खाएं और ऊपर से दूध पी लें। इससे शरीर में खून बढ़ता है, ठंडक दूर होती है, पुरानी बीमारी, अधिक कमजोरी और बदहजमी दूर होती है।

किशमिश के 7 अन्य फायदे :

इम्यूनिटी : किशमिश में वे सभी पोषक तत्व पाए जाते हैं जो इम्यूनिटी बढ़ाने में सहायक होते हैं। ठण्ड में प्रतिदिन इसका सेवन करने से बैक्टीरिया और इंफेक्शन (संक्रमण) से लड़ने में सहायता मिलती है।

एनीमिया : किशमिश में आयरन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। प्रतिदिन पानी में भीगे हुए किशमिश खाने से शरीर में खून बढ़ता है और इस प्रकार एनीमिया से बचाव होता है।

उर्जा : किशमिश में उपस्थित फ्रक्टोस और ग्लूकोज़ बहुत अधिक मात्रा में उर्जा प्रदान करते हैं। अत: सीमित मात्रा में इसका सेवन करने से कमजोरी नहीं आती और वज़न भी बढ़ता है।

पोषक तत्व : किशमिश खाने से ब्लड बनता है, वायु, पित्त और कफ दोष दूर होता है और यह हृदय के लिये बहुत लाभकारी होती है। किशमिश ऊर्जा और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों का एक समृद्ध स्रोत हैं।

कब्ज : किशमिश खाने से कब्ज के मरीजों को आराम मिलता है। अगर आपके घर में किसी को कब्ज है तो उसे किशमिश जरूर खिलाये।

वजन बढ़ाए : वजन बढ़ाने के लिए भी किशमिश का सेवन किया जाता है. उम्र के हिसाब से अगर आपका वजन कम है तो किशमिश खाये जल्दी ही आपका वजन बढ़ने लगेगा।

खून की कमी : शरीर में खून की कमी को दूर करने के लिए भी किशमिश खायी जाती है. किशमिश में विटामिन बी काम्प्लेक्स पाया जाता है तो शरीर में खून की मात्रा को बढ़ाता है।

18/06/2025

*हाथ से कूट कर तैयार किया गया त्रिफला के लाभ एवं प्रयोग*

त्रिफला अर्थात हरड़,बहेड़ा एवं आंवला का विशेष मिश्रण।
समस्त आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार जो-जो लाभ माता के स्तनपान से हमे बचपन में मिलता है वही लाभ हमे हरड़ के सेवन से मिलता है।
बहेड़ा भी गुणों का भंडार है।
हमारे चिकित्सक वैज्ञानिकों ने एवं ग्रंथों ने आंवला को फलो का राजा बताया है। आंवला की व्याख्या सूरज को दीपक दिखना जैसा है।

त्रिफला दीपन पाचन में सुधार, कब्ज से राहत दिलाता है। वजन घटाने, और आंखों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।
यह शरीर से अतिरिक्त वसा और विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है, जिससे वजन कम करने में सहायता मिलती है।
त्रिफला आंखों की रोशनी में सुधार करने और विभिन्न नेत्र रोगों से बचाता है।
त्रिफला में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं।
त्रिफला मधुमेह, मूत्र संबंधी समस्याओं, और त्वचा रोगों में भी लाभकारी है।

त्रिफला का उपयोग:
त्रिफला का उपयोग विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है, जैसे:
त्रिफला चूर्ण को गुण गुना पानी, शहद, सेंधा या काला नमक एवं घी के साथ मिलाकर लिया जा सकता है।
त्रिफला को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर भी पिया जा सकता है।
त्रिफला का रस:
त्रिफला का रस निकालकर भी पिया जा सकता है।
प्रयोग:-
गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को त्रिफला का सेवन वैद्य के निगरानी में करना चाहिए ।
जिन लोगों को दस्त या पेट खराब है, उन्हें त्रिफला का सेवन नहीं करना चाहिए। त्रिफला रेचक एवं पोषक प्रदान करता है।

निष्कर्ष:
त्रिफला एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक मिश्रण है जो कई स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है। इसका नियमित सेवन पाचन में सुधार, वजन घटाने, और आंखों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है।

आपकी बहन बेटी मनदीप कौर
नामधारी देसी दवाखाना
टोहाना रोड रतिया
6283021266

05/01/2025

आँखों की रौशनी बढाने के लिए

1- बादाम गिरी
2- सौंफ (मोटी)साफ़ की हुई
3- कूजा मिश्री
4- सौंफ
5- भुने हुए चने
6- हरी इलायची
7- चारों मगज
8- पिस्ता
9- भूरी मिर्च
10- खसखस

इन तीनो को बराबर मात्रा में ले कर बारीक चूर्ण बना ले और कांच के बर्तन में रख ले।
हर रोज रात में सोते समय 10 ग्राम चूर्ण गरम दूध के साथ लें। बच्चों को आधी मात्रा में दे।
इससे आँखों की रौशनी के साथ साथ दिमाग भी तेज होगा।।

और साथ ही रात को 5 ग्राम त्रिफला चूर्ण एक कांच के गिलास में भिगो दे। सुबह इस पानी को कपडे से छान ले और इस पानी से आँखें धोये। इससे आँखों की अनेक बीमारियाँ ठीक होती है।

गाजर का जूस और हरी सब्जियों का सेवन करें। हरी सब्जियों का सूप पिए।
आँख की रौशनी अवश्य बड़ेगी।

दृष्टि कमजोर है?
ऐनक चढ़ी हुई हैं ?

तो...सब बाद में लेकिन सबसे पहले कुछ आदतें स्वयं में विकसित करो

पहली...

मुंह में पानी भरकर शीतल जल से आंखों को धोना शुरू करो , खूब छप्पे मारते हुए

दिन में कम से कम 5 बार ऐसा करो

दूसरा...

हथेलियों को आपस में रगड़कर गर्म करो और फिर आंखों को बंदकर करके इन गर्म हथेलियों से सिकाई करो ! दिन में 10 बार ऐसा करो

तीसरा

किसी भी रूप में खाओ लेकिन प्रतिदिन 5 से 10 ग्राम आंवला अवश्य लो.अचार , मुरब्बा , पाउडर , फलरूप में जैसे भी मिले , सेवन करो.

चौथा...

प्रतिदिन शीर्षासन करो..

अगर आपको किसी बीमारी का इलाज करवाना हो तो आप बीमारी के बारे में बताकर या परेशानी के बारे मे बता कर आयुर्वेदिक औषधियां मंगवा सकते हैं।..

हमारे द्वारा बनाई गई EYES किट जिसमें

♦️ज्योतिवर्धक ड्रॉप

♦️ज्योतिवर्धक पाउडर

ये दो आयुर्वेदिक मेडिसिन दी जाती है जिसके कांटीन्यू उपयोग से

आंखों से पानी आना
कम दिखाई देना
आंखों में खुजली आना
आंखे लाल रहना
दूर या पास की नजर कमजोर होना
पलके बार बार झपकना

अक्षर सही से नहीं पढ़े जाना
पढ़ते समय आंखों पर ज्यादा जोर पड़ना

आदि सभी समस्या ठीक हो जाती है
इस आइस किट को बच्चों से लेकर बड़ों तक कोई भी इस्तेमाल कर सकता है।।

किसी भी जानकारी के लिए या ट्रीटमेंट के लिए आप पहले हमें अपनी प्रॉब्लम व्हाट्सप्प कर दीजिये समय मिलते ही आपको जवाब दिया जायेगा...

सभी सुखी और निरोगी रहे

नामधारी देसी दवाखाना
वैद्य मनदीप कौर
6283021266
टोहाना रोड रतिया

स्तन की गांठ के लिए ओर बच्चे के लिए स्तन से दूध नही उतरता हो व दूध स्तन में ही जमा होने से सूजन व दर्द हो इन सभी के लिए ...
25/10/2024

स्तन की गांठ के लिए ओर बच्चे के लिए स्तन से दूध नही उतरता हो व दूध स्तन में ही जमा होने से सूजन व दर्द हो इन सभी के लिए घरेलू उपाय ही करे

नीम के पत्ते लेकर पानी मे उबाल कर उससे स्तन की 15 मिन्ट सिकाई करे कोई सूती मोटा कपड़ा डबो डबो कर सुहाता सुहाता गर्म सेक करे उसके बाद नीम के पत्तो का पेस्ट इतना बनाये की स्तन पर मोटा मिटा लेप लग जाये उसमें 10 12 किसमिश साथ मे पीस कर मिला लेनी है और 5 या 7 बादाम की गिरी भीगी हुवी पीसकर खूब घुटाई कर मिलाऐ इस पेस्ट को निम के पत्तो के गर्म पानी की सिकाई के बाद स्तन पर मोटा मोटा लेप करे ओर कम से कम 3 घन्टे लगाए रखो या दिन भर लगा रहने दो ज़्यादा तकलीफ हो दिन भर में दो बार करो या कम तकलीफ हो एक बार करलो कम तकलीफ वाले एक से 3 तीन बार मे ही आराम हो जाता है.

और पुरानी तकलीफ में जब तक आराम नही हो 10 से 15 दिन तक करो या यूं समझिऐ की आराम मिलने तक करो अगर मवाद की गांठ हो तो सिकाई के पानी मे 10 ग्राम नीला थोथा पीसकर मिला लिया जाए तो अंदर की गांठ में कोई पस मवाद हो वह भी ठीक हो जाएगी ओर गांठ नरम पड़कर स्तन सही हालत में होगा सस्ता ओर घरेलू प्रयोग है

स्तन में गाँठ...

स्तन में गाँठ होना बहुत आम समस्या होती जा रही है । यह चिंता का विषय भी है । अगर 1-2 ग्राम हल्दी के पावडर को सवेरे खाली पेट प्रतिदिन ले लिया जाए तो हर प्रकार की गांठें घुलनी प्रारम्भ हो जाती हैं । काचनार गुग्गल का प्रयोग भी गांठों को खत्म करने में सहायक है । कुछ पौधों का प्रयोग गाँठ पर लगाने के लिए किया जा सकता है । इससे गाँठ घुलनी शुरू हो जाती हैं...

अरंड अरंड के पत्ते पर थोडा सा सरसों का तेल लगाकर , हल्का सा गर्म करके स्तन पर नियमित रूप से बांधें । अरंड के तेल की मालिश करने से स्तन की गांठ भी घुलती हैं और स्तन में मुलायमी भी आती है जिससे गाँठ होने की सम्भावना कम हो जाती है । अरंड के पत्तों को उबालकर भी बाँध सकते हैं । अरंड के बीजों की गिरी को पीसकर उसका पेस्ट भी लगाया जा सकता है । अरंड के एक बड़े पत्ते को 200 ग्राम पानी में उबालकर, काढ़ा बनाकर, पीने से हार्मोन्स की गडबडी ठीक होती है, periods ठीक आते हैं..

इससे स्तन में गाँठ होने की सम्भावना भी कम हो जाती है । स्तन के ni**le में crack हो या त्वचा फट जाए तो अरंड का तेल लगाना चाहिए ।

गेंदा गेंदे के पौधे की पत्तियों को पीसकर , लुगदी बनाकर गाँठ पर नियमित रूप से बांधें ।

पुनर्नवा पुनर्नवा (साठी ) की जड़ को घिसकर गाँठ पर लगाते रहें..

सेमल सेमल की जड़ की छाल को को पीसकर लगाएँ या सेमल के तने पर उभरे मोटे कांटो को घिसकर लगाएँ..

भुई आंवला इसके पत्ते पीसकर, लुगदी बनाकर लगाएँ..

धतूरा पत्ते को हल्का गर्म करके बांधें..

छुईमुई केवल जड़ घिसकर लगाएँ या फिर

अश्वगंधा की जड़ +छुईमुई की जड़ + छुईमुई की पत्तियां , इन सबको पीसकर स्तन की गाँठ पर लगाएँ। इससे स्तन का ढीलापन भी ठीक हो जाता है और दर्द और सूजन में भी आराम आता है ।

शीशम शीशम के पत्तों की लुगदी गाँठ पर लगाने से गाँठ घुलती है
इसके पत्तों को गर्म करके थोडा तेल मलकर बाँधने से गाँठ तो घुलती ही है साथ ही दर्द और सूजन हो तो उसमें भी आराम आता है ।..

पत्थरचटा इसके पत्ते पर सरसों का तेल मलकर, पत्ते को हल्का गर्म करके गाँठ पर बांधते रहें ।

स्तन में दूध कम आता हो तो
1-1 चम्मच शतावर पाउडर दूध के साथ सुबह शाम दे

इसके साथ ही प्राणायाम तो अवश्य ही करते रहें.

विशेषकर कपालभाति प्राणायाम
भ्रसितका प्राणायाम

ये घर के उपाय है.. आप समय पर चेकअप और अपने वैध डॉ से परामर्श भी लेते रहे..


अगर आपको किसी बीमारी का इलाज करवाना हो तो आप बीमारी के बारे में बताकर या परेशानी के बारे मे बता कर आयुर्वेदिक औषधियां मंगवा सकते हैं।..

सभी सुखी और निरोगी रहे

मनदीप कौर
6283021266

--------: योनि संकोचन योग :-------      योनि संकोचन (vaginal tightening) के लिए,  आयुर्वेद और योग में विभिन्न उपाय सुझाए...
15/10/2024

--------: योनि संकोचन योग :-------
योनि संकोचन (vaginal tightening) के लिए, आयुर्वेद और योग में विभिन्न उपाय सुझाए जाते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख उपाय दिए जा रहे हैं -------
आयुर्वेदिक उपचार --------
(1) त्रिफला --------
त्रिफला पाउडर का उपयोग, योनि की स्वच्छता और संकोचन के लिए किया जाता है। इसे पानी में मिलाकर, धोने से योनि में कसाव आ सकता है।
(2) अशोका की छाल -------
अशोका की छाल का उपयोग, महिलाओं के जननांग स्वास्थ्य में सुधार के लिए किया जाता है। इसका नियमित सेवन, योनि के ऊतकों को शक्तिशाली बनाने में सहायक हो सकता है।
(3) अलूम (फिटकरी) -------
फिटकरी का पानी में घोल बनाकर योनि की स्वच्छता के लिए उपयोग किया जाता है। यह योनि के ऊतकों में कसाव लाने में सहायता करता है।
(4) शतावरी -------
शतावरी , एक महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जो योनि की मांसपेशियों को शक्तिशाली बनाने में सहायक हो सकती है। इसे दूध के साथ लेना , अधिक लाभकारी होता है।
2- योगासन ------
(1) मूलबंध (Mula Bandha) -------
मूलबंध, एक योगिक तकनीक है। जिसमें पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को, संकुचित किया जाता है। यह योनि की मांसपेशियों को कसने में सहायक होता है।
(2) अश्विनी मुद्रा -------
इसमें गुदा और योनि के आसपास की मांसपेशियों को , बार-बार संकुचित और शिथिल किया जाता है। जिससे योनि के संकोचन में सहायता मिलती है।
(3) सेतुबंधासन (Bridge Pose) -----
यह आसन पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को , शक्तिशाली बनाता है और योनि में कसाव लाने में सहायता करता है।
(4) मलासन (Garland Pose) -----
मलासन भी पेल्विक फ्लोर को शक्तिशाली बनाता है और योनि के संकोचन में सहायक होता है।
इन आयुर्वेदिक और योगिक उपायों को नियमित रूप से करने से , योनि की मांसपेशियों में मजबूती और कसाव आ सकता है। हालांकि, किसी भी उपचार को अपनाने से पहले, एक चिकित्सक या विशेषज्ञ की परामर्श लेना उचित है।

विशेष ------
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11/09/2024

असमय बाल सफेद होना

भाँगर का खूब कूट पीसकर बारीक बनाया हुआ चूर्ण और काले तिल नित्य सूर्योदय के समय मुँह शुद्धि के पश्चात् इस मिश्रण को एक चम्मच की मात्रा से खूब चबाकर खाए और ऊपर से ताजा पानी पी लें। लगातार छः मास के प्रयोग से समय से पहले बालों का पकना और झड़ने की शिकायतों से छुटकारा मिल जाता है। साथ ही केश काले, घने, लम्बे, मजबूत और चमकदार बने रहते हैं। यह परम्परागत अनुभूत प्रयोग चालीस साल तक की आयु वाले व्यक्तियों के लिए अत्यन्त सफल रहा है।

विशेष (१) भृंगराज सूखा, काले तिल, सूखा आँवला, मिश्री
चूर्ण को नित्य प्रातः छः ग्राम की मात्रा से खाकर ऊपर से २५० ग्राम दूध पीएँ। ब्रह्मचर्य पालन के साथ एक वर्ष तक निरन्तर सेवन करने से कायाकल्प होता है।
(२) आँवला जल से बाल धोना-
(३) दही का शैम्पू साबुन के स्थान पर १०० ग्राम दही में एक ग्राम काली मिर्च बारीक पिसी हुई मिलाकर सप्ताह में एक बार सिर धोएँ और फिर गुनगुने पानी से अच्छी तरह बाल धो डालें। इससे बाल काले होते है, झड़ने बन्द होते हैं और बालों का सौन्दर्य खिल उठता है।
*Mandeep kaur*
*6283021266*

बहुमूल्य उपयोगी जानकारी ईश्वर की बनायी गयी इस दुनिया को दखने का माध्यम केवल हमारी ऑंखें ही है और इनको उम्र के पड़ाव के सा...
25/01/2024

बहुमूल्य उपयोगी जानकारी

ईश्वर की बनायी गयी इस दुनिया को दखने का माध्यम केवल हमारी ऑंखें ही है और इनको उम्र के पड़ाव के साथ देखभाल की भी नितांत आवयकता होती है क्योंकि बढ़ती उम्र के साथ हमारी आँखों के चारो तरफ क मांसपेशियां ढीली पड़ने लगती है और हमारी आँखें कमजोर हो जाती है। आंखों की रौशनी हमारे आहार और जीवनशैली पर भी निर्भर करती है।

हम यहाँ पर आपको आँखों की देखभाल और उसकी रौशनी बढ़ाने के कुछ आसान से उपाय बता रहे है ।

* सुबह उठकर मुहँ में पानी भरकर आँखें खोलकर साफ पानी के छीटें आँखों में मारने चाहिए इससे आँखों की रौशनी बढ़ती है ।

* प्रातः खाली पेट आधा चम्मच ताजा मक्खन, आधा चम्मच पसी हुई मिश्री और 5 पिसी काली मिर्च मलाकर चाट लें, इसके बाद कच्चे नारीयल की गिरी के 2-3 टुकड़े खूब चबा-चबाकर खाये और ऊपर से थोड़ी सौंफ चबाकर खा लें फिर दो घंटे तक कुछ भी न खाये। यह क्रिया 2-3 माह तक जरूर करिये ।

* बालों पर रंग, हेयर डाई और केमीकल शैम्पू लगाने से परहेज करें ।

* रात को 1 चम्मच त्रिफला मिट्टी के बर्तन में भिगाकर सुबह छाने हुए पानी से आँखें धोयें। इससे आँखों की रोशनी बढ़ती है और कोई बीमारी भी नहीं होती है।

* प्रातःकाल सूर्योदय से पहले नियमित रूप से हरी घास पर 15-20 मिनट तक नंगे पैर टहलना चाहए। घास पर ओस की नमी रहती है नंगे पैर इस पर टहलने से आँख को तनाव से राहत मिलती है।और रौशनी भी बढ़ती है ।

* पैरों के तलवे की सरसों के तेल से नियमित मालिश करनी चाहिए । नहाने से 10 मिनट पूर्व पैरों के अंगूठों को सरसों के तेल से तर करने से आँखों की रौशनी लम्बे समय तक कायम रहती है ।

* पालक, पत्ता गोभी, हरी सब्जियाँ और पीले फल खाएं। विटामिन ए, सी और ई से भरपूर कई पीले फल हमारी आंखों के लिए फायदेमंद हैं। इसके अतिरिक्त पपीता, संतरा, नींबू आदि के सेवन से दिन की रोशनी में हमारे देखने की क्षमता बढ़ती हैं।

* आँखों की रौशनी बढ़ाने के लिए प्रतिदिन 1-2 गाजर खूब चबा-खाए

शरीर पर मस्से बहुत अजीब लगते है मस्से वैसे तो कोई तकलीफ़ नहीं देते लेकिन ये शरीर खासकर चेहरे की सुंदरता को भी बिगाड़ देते हैं। मस्से काले और भूरे रंग के होते हैं। अक्सर मस्से अपने-आप समाप्त हो जाते हैं, लेकिन कुछ मस्से इलाज के बाद ही जाते हैं। मस्से को काटने और फोड़ने के कारण मस्से का वायरस शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल जाते है जिसके कारण और ज्यादा मस्से हो जाते हैं। मस्से गर्दन,हाथ,पीठ ,चिन,पैर आदि शरीर के किसी भी जगह हो सकते हैं।

यहाँ पर हम आपको मस्सों से बचने के लिए कुछ आसान घरेलू उपचार के बारे में बताते हैं।

* मस्से को समाप्त करने के लिए एक अगरबत्ती जला लें और उसके जले हुए हिस्से को मस्से का स्पर्श कर तुरन्त हटा लें। ऐसा 8-10 बार करें, इससे मस्सा सूखकर झड़ जाएगा। ध्यान रहे, अगरबत्ती का स्पर्श सिर्फ मस्से पर ही होना चाहिए।

* मस्से पर आलू काटकर तुरंत उसकी फ़ांक को रगडनी चाहिये। ऐसा दिन में 3 से 4 बार करें । कुछ ही रोज में मस्से झडने लगेगे।

* केले के छिलके का भीतरी हिस्सा मस्से पर रगडें। इससे बहुत ही लाभ मिलता है।

* अलसी के बीजों को पीस कर इसमें अलसी का तेल और शहद मिलाएं और फिर इसे मस्से पर लगा लें ऐसा 4 - 5 दिन नियम से करें।

* खट्टे सेब लेकर उनका जूस निकाल के उसे दिन में कम से कम तीन बार मस्से पर लगाइए। मस्से धीरे-धीरे झड़ जाएंगे।

* एक प्याज को लेकर उसके रस को सुबह शाम नियमित रूप से लगाने से मस्से समाप्त होते हैं।

* बेकिंग सोडा और अरंडी के तेल को रात में मस्सों पर लगाकर सो जाइए, धीरे-धीरे मस्से समाप्त हो जाएंगे।

* रात को सोने से पहले और सुबह उठने के बाद मस्सों पर शहद लगाइए, इससे मस्से शीघ्र खत्म होते है ।

* लहसुन की कली को छील कर उसे काटकर मस्सों पर रगडि़ए, मस्से जल्दी ही सूखकर झड़ जाएंगे।

* ताजा कटा हुआ अनानास लें कर उसे मस्से पर लगाएं इससे जल्द ही राहत मिलती है।

घर के किसी भी छोटे बड़े सदस्य को उल्टी एवँ दस्त किसी भी वजह से हो सकते हैं जिनमें से बदहजमी सबसे मुख्य है। कभी-कभी सर्दी या गर्मी लगने, दूषित खानपान से भी उल्टी और दस्त की समस्या हो जाती है ।

* उल्टी होने पर नीँबू का रस पानी में घोल कर लेने से शीघ्र ही फायदा होता है ।

* आप एक दो लौंग, दालचीनी या इलायची मुहँ में रखकर चूसिये यह मसाले उल्टियाँ विरोधक औषधियों होने के कारण उल्टियाँ रोकने में बहुत ही मददगार साबित होते है।

* तुलसी के पत्तों का एक चम्मच रस शहद के साथ लेने से उल्टी में लाभ मिलता है ।

* एक चम्मच प्याज का रस पीने से भी उल्टी में लाभ मिलता है ।

* गर्मियों में यदि बार बार उल्टियाँ आती है तो बर्फ चूसनी चाहिए ।

* पुदीने के रस को लेने से भी उल्टी में लाभ मिलता है ।

* धनिये के पत्तों और अनार के रस को थोड़ी थोड़ी देर के बाद बारी-बारी से पीने से भी उल्टी रुक जाती है ।

* 1/4 चम्मच सोंठ एक चम्मच शहद के साथ लेने से उल्टी में शीघ्र आराम मिलता है ।

* नींबू का टुकड़ा काले नमक के साथ अपने मुंह में रखने से आपको उल्टी महसूस नहीं होती है, रुक जाती है ।

* आधा चम्मच पिसे हुए जीरे का पानी के साथ सेवन करने से उल्टियों से शीघ्र छुटकारा मिलता है ।

* एक गिलास पानी में एक चम्मच एप्पल का सिरका डालकर पियें उल्टी में तुरंत आराम मिलेगा ।

* उल्टियाँ होने से 12 घंटो बाद तक ठोस आहार का सेवन न करें, लेकिन भरपूर मात्रा में पानी और फलों के रस का सेवन करते रहें।

* तैलीय, मसालेदार, भारी और मुश्किल से पचनेवाले खाद्द्य पदार्थों का सेवन न करें इससे भी उल्टियाँ आती है ।

* पित्त की उल्टी होने पर शहद और दालचीनी मिलाकर चाटें ।

* हरर को पीसकर शहद के साथ मिलाकर चाटने से उल्टी बंद होती है|

* खाना खाने के तुरंत बाद न सोयें। खाने के बाद टहलने की आदत डालें । जब भी सोयें तो अपनी दाहिनी बाज़ू पर सोयें। इससे आपके पेट के पदार्थ मुंह तक नहीं आये

वास्तव में गुस्सा एक भयानक तूफ़ान जैसा है, जो जाने के बाद पीछे अपनी बर्बादी का निशान छो़ड जाता हैं। गुस्से में सबसे पहले दिमाग फिर जबान अपना आपा खोती है, वह वो सब कहती है, जो नहीं बिलकुल भी कहना चाहिए और रिश्तों में जबरदस्त क़डवाहट आ जाती है। और तब तो और भी मुश्किल होती है जब गुस्सा हमारे दिमाग में घर कर जाता है और हमारे अन्दर बदला लेने की सामने वाले को नुकसान पहुँचाने की भावना प्रबल हो जाती है ।

हम यहाँ पर आपको कुछ ऐसे उपाय बता रहे है जिससे हम यथासंभव अपने गुस्से पर काबू कर सकते है ।

* दो पके मीठे सेब बिना छीले प्रातः खाली पेट चबा-चबाकर पन्द्रह दिन लगातार खाने से गुस्सा शान्त होता है। बर्तन फैंकने वाला, तोड़ फोड़ करने वाला और पत्नि और बच्चों पर हाथ उठाने वाला व्यक्ति भी अपने क्रोध से मुक्ति पा सकेगा। इसके सेवन से दिमाग की कमजोरी दूर होती है और स्मरण शक्ति भी बढ़ जाती है।

* प्रतिदिन प्रातः काल आंवले का एक पीस मुरब्बा खायें और शाम को एक चम्मच गुलकंद खाकर ऊपर से दुध पी लें। बहुत क्रोध आना शीघ्र ही बन्द होगा।

* गुस्सा आने पर दो तीन गिलास खूब ठंडा पानी धीरे धीरे घूँट घूँट लेकर पिएं । पानी हमारेशारीरिक तनाव को कम करके क्रोध शांत करने में मददगार होता है।

* गुस्सा बहुत आता हो तो धरती माता को रोज सुबह उठकर हाथ से पाँच बार छूकर प्रणाम करें और सबसे विशाल ह्रदय धरती माँ से अपने गुस्से पर काबू करने और सहनशील होने का वरदान मागें।

* पलाश के छोटे छोटे पत्तों की सब्जी खाने से गुस्सा, और पित्त जल्दी ही शांत होता है ।

* रविवार को अदरक, टमाटर और लाल रंग के कपड़े गुस्सा अधिक बढ़ाते हैं अत: इनका कम से कम प्रयोग करें ।

* जिनको गुस्सा बहुत आता हो, बात- बात में चिड जाते हो वे सोमवार का उपवास करें, या एक समय भोजन करें। रात कों चन्द्रमा कों अर्घ दें तथा अपने गुस्से पर विजय प्राप्त करने के लिए प्रार्थना कीजिए

उदर-वायु एक आम तथा कभी न कभी हर किसी को होने वाली समस्या है। पेट गैस को अधोवायु भी कहते हैं। यह तब होती है, जब शरीर में भारी मात्रा में गैस भर जाती है। इस पेट में रोकने से कई बीमारियां हो सकती हैं, जैसे एसिडिटी, कब्ज, पेटदर्द, सिरदर्द, जी मिचलाना, बेचैनी आदि। पेट में गैस बनने के कई कारण हो सकते हैं, जिसके बारे में हम यहां चर्चा कर रहे हैं।
कारण
* पेट में बैक्टीरिया की "ओवरप्रोड्क्शन" होना।
* जिस आहार में बहुत ज्यादा फाइबर होता है।
* मिर्च-मसाला, तली-भुनी चीजें ज्यादा खाने से।
* पाचन संबंधी विकार।
* बींस, राजमा, छोल, लोबिया, मोठ, उड़द की दाल, फास्ट फूड, ब्रेड और किसी-किसी को दूध या भूख से ज्यादा खाने से।*
*खाने के बाद कोल्ड ड्रिंक लेने से, क्योंकि इसमें गैसीय तत्व होते हैं।*
*बासी खाना खाने से और खराब पानी पीने से भी गैस हो जाती है।*
*घरेलू उपचार*
*भोजन के साथ सलाद के रूप में टमाटर का प्रतिदिन सेवन करना लाभप्रद होता है। यदि उस पर काला नमक डालकर खाया जाये तो लाभ अधिक मिलता है। पथरी के रोगी को कच्चे टमाटर का सेवन नहीं करना चाहिए।*
*आधा चम्मच सूखा अदरक पाउडर लें और उसमें एक चुटकी हींग और सेंधा नमक मिलाकर एक कप गर्म पानी में डालकर पीएं।*
*गैस के कारण सिरदर्द होने पर चाय में काली मिर्च पाउडर डालें। वही चाय पीने से लाभ मिलता है।*
*2 चम्मच ब्रैंडी को गर्म पानी में कप में डालकर रात को सोने से पहले पिएं।*
*स्लाइस की हुई कुछ ताजा अदरक नींबू के रस में भिगोकर भोजन के बाद चूमने से राहत मिलेगी।*
*पेट में या आंतों में एेंठन होने पर एक छोटा चम्मच अजवाइन में थोड़ा नमक मिलाकर गर्म पानी में लेने पर लाभ मिलता है। बच्चों को अजवाइन थोड़ी दें।*
*भोजन के एक घंटे बाद 1 चम्मच काली मिर्च, 1 चम्मच सूखी अदरक और 1 चम्मच इलायची के दानों को आधा चम्मच पानी के साथ मिलाकर पिएं।*
*वायु समस्या होने पर हरड़ के चूर्ण को शहद के साथ मिक्स कर खा लीजिए*

*दमा बहुत कष्ट देने वाली बीमारी है। यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। दमा में सांस लेने वा निकालने में परेशानी होती है। खांसी की त्रीवता और साँस की नली में कफ़ जमा हो जाने से तकलीफ़ और भी ज्यादा बढ जाती है। दमा का अटैक पड़ने पर रोगी बुरी तरह हांफ़ने लगता है। दमा होने पर खांसी, नाक का बजना, छाती का कड़ा हो जाना, सुबह और रात में सांस लेने में तकलीफ होने जैसे लक्षण होते हैं।समान्यता दमा, एलर्जी पैदा करने वाले पदार्थों ,धूम्रपान करने से, ज्यादा सर्द गर्म मौसम, सुगन्धित पदार्थों, ज्यादा कसरत करने और मानसिक तनाव की वजह से काफी तकलीफ देता है।दमा को पूरी तरह से ठीक करना मुश्किल है, लेकिन इस पर नियंत्रण हो सकता है, ताकि व्यक्ति सामान्य जीवन जी सके।*

*हम यहाँ पर आपको दमा से बचाव और उसके घरेलु उपचार बता रहे है।*

*100 ग्राम दूध में लहसुन की पांच कलियां धीमी आँच पर उबाकर इस का हर रोज दिन में दो बार सेवन करने से दमे में काफी फायदा मिलता है।*

*तुलसी के 10-15 पत्ते पानी से साफ़ कर लें फ़िर उन पर काली मिर्च का पावडर बुरककर खाने से दमा मे आराम मिलता है।*

*एक पके केले में चाकू से लम्बाई में चीरा लगाकर उसमें एक चौथाई छोटा चम्मच महीन पीसी काली मिर्च भर दें। फिर उसे 2-3 घंटे बाद हल्की आँच में छिलके सहित भून लें। ठंडा होने पर केले का छिलका निकालकर केला खा लें। एक माह में ही दमें में खूब लाभ होगा।*

*लहसुन की दो पिसी कलियां और अदरक की गरम चाय पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है। इस चाय का सेवन सबेरे और शाम करना चाहिए।*

*4-5 लौंग को 150 पानी में 5 मिनट तक उबालें। इस मिश्रण को छानकर इसमें एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाकर गरम-गरम पी लें। रोज दो से तीन बार यह काढ़ा पीने से निश्चित रूप से लाभ मिलता है।*

*250 ग्राम पानी में मुट्ठीभर सहजन की पत्तियां मिलाकर उसे 5 मिनट तक उबालें। फिर ठंडा होने पर उसमें चुटकी भर नमक, काली मिर्च मिलाकर गुनगुना पिए*

*आज कल की अति व्यस्त भाग दौड़ भरी जिंदगी में लगातार काम करते रहने, समय पर खान पान ना करने, अत्यधिक शारीरिक श्रम करने, पर्याप्त नींद ना लेने वा तनाव की वजह से शरीर पर जल्दी ही थकावट हावी हो जाती है, बदन दर्द करने लगता है जिससे किसी भी कार्य में मन नहीं लगता है ।*

*हम यहाँ पर कुछ आसान से उपाय बता रहे है जिनकी सहायता से आप अपने बदन दर्द से निजात पा सकते है ।*

*लहसुन की चार पाँच कुलियाँ छीलकर और आधा चम्मच अजवायन के दाने तीस ग्राम सरसों के तेल में डालकर धीमी-धीमी आँच पर पकायें। लहसुन और अजवायन काली पडने पर तेल उतारकर उसे छान लें। इस हल्के गर्म तेल की मालिश करने से हर प्रकार के बदन दर्द में आराम मिलता है।*

*अखरोट के तेल की मालिश करने से हाथ पैरों की ऐंठन दर्द जल्दी ही दूर हो जाता है।*

*10 ग्राम कपूर और 200 ग्राम सरसों का तेल शीशी में भरकर उसे बंद करके धूप में रख दें। जब दोनों वस्तुएँ मिलकर एक हो जाए तब इस तेल की मालिश से हर तरह का बदन दर्द, माँसपेशियों का दर्द शीघ्र ही ठीक हो जाता हैं।*

*हल्दी में दर्द निवारक मानी गयी है। बदन दर्द में हल्दी चूर्ण को दूध के साथ लेने पर शीघ्र ही राहत मिलती है।*

* बदन दर्द से बचने के लिए फल और सब्जियों का सेवन अधिक से अधिक करें। ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर भोजन करें ।* *सरसों के तेल में नमक मिलाकर गुनगुना करके पूरे बदन पर मालिश करके गर्म पानी में नहा लें। इससे तुरंत राहत मिलती है।*

*नहाने से पहले शरीर पर बेसन और दही का पेस्ट लगाएं। इससे त्वचा साफ हो जाती है और बंद रोम छिद्र भी खुल जाते हैं।*
*गाजर का जूस रोज पिएं। तन की दुर्गध दूर भगाने में यह कारगर है।*
*पान के पत्ते और आंवला को बराबर मात्रा में पीसे। नहाने के पहले इसका पेस्ट लगाएं। फायदा होगा।*
*सांस की बदबू दूर करने के लिए रोज तुलसी के पत्ते चबाएं।*
*इलाइची और लौंग चूसने से भी सांस की बदबू से निजात मिलता है।*
*आपकी बहन बेटी मनदीप कौर 6283021266*

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