Mandeep Kaur Ayurvedic Aushadhaalay

Mandeep Kaur Ayurvedic Aushadhaalay आयुर्वेद अपनाए निरोगी काया पायें

अगर आपके बच्चे की हाइट कम रह गई है तो आप भी जरूर इस्तेमाल करे बौना नाशक पाउडर
12/07/2025

अगर आपके बच्चे की हाइट कम रह गई है तो आप भी जरूर इस्तेमाल करे बौना नाशक पाउडर

07/07/2025

कमरदर्द, जोड़ो का दर्द, खून की कमी, शारिरिक कमजोरी का घरेलू उपाय!
!
सुबह खाली पेट नीचे बताये गए मिश्रण में से चार दाने किशमिश खाना स्वास्थ के लिए बहुत फायदेमंद होता है क्योंकि किशमिश में बहुत ऐसे तत्व होते है जो हमारे शरीर के लिए बहुत गुणकारी होते हैं शायद आप जानते होंगे की किशमिश के सेवन से रक्त, कमज़ोरी आदि तथा ओज की मात्रा बढ़ती है जो कि आपकी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है।

किशमिश में भरपूर मात्रा में आयरन, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम और फाइबर पाया जाता है। साथ ही इसमें दूध में मौजूद हर तत्व पाया जाता है। आज हम आपको एक ऐसा नुस्खा बताने जा रहे है जिसका सेवन करने से शारीरिक शक्ति के साथ कमर दर्द, जोड़ों के दर्द, खून की कमी को दूर करने में भरपूर मददगार है।

आवश्यक सामग्री

किशमिश 100 ग्राम,
शहद 100 ग्राम और
मिश्रण बनाने की विधि

किसी बर्तन में शहद और किशमिश को डालकर इस तरह हिलाएं की मधु (शहद) और किशमिश में अच्छी तरह भीग जाय और फिर इस मिश्रण को एक काँच के जार में कार्क या ढ़क्कन लगाकर दो दिन के लिए छोड़ दे। दो दिन बाद आपकी चमत्कारी औषधि तैयार है।

सेवन का तरीका और इस मिश्रण के फायदे

अब आप इसमें से जब भी किशमिश को निकाले थोडा हिला ले ताकि आपस में सभी मिल जाय और चार दाने किशमिश निकालकर सुबह खाली पेट रोजाना सेवन करें इसके लगातार सेवन करने से शारीरिक शक्ति बढती है, अगर कमर दर्द की शिकायत हो तो ठीक हो जाता है खून की कमी और जोड़ों के दर्द आदि दूर कर शारीरिक एनर्जी मिलती है।

शरीर को शक्तिशाली बनाना :

सुबह के समय लगभग 25 से 30 दाने किशमिश को गर्म पानी से धोकर साफ कर लें और फिर इसे कच्चे दूध में डाल दें। आधे या एक घंटे बाद किशमिशों को दूध के साथ गर्म करके खाएं और ऊपर से दूध पी लें। इससे शरीर में खून बढ़ता है, ठंडक दूर होती है, पुरानी बीमारी, अधिक कमजोरी और बदहजमी दूर होती है।

किशमिश के 7 अन्य फायदे :

इम्यूनिटी : किशमिश में वे सभी पोषक तत्व पाए जाते हैं जो इम्यूनिटी बढ़ाने में सहायक होते हैं। ठण्ड में प्रतिदिन इसका सेवन करने से बैक्टीरिया और इंफेक्शन (संक्रमण) से लड़ने में सहायता मिलती है।

एनीमिया : किशमिश में आयरन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। प्रतिदिन पानी में भीगे हुए किशमिश खाने से शरीर में खून बढ़ता है और इस प्रकार एनीमिया से बचाव होता है।

उर्जा : किशमिश में उपस्थित फ्रक्टोस और ग्लूकोज़ बहुत अधिक मात्रा में उर्जा प्रदान करते हैं। अत: सीमित मात्रा में इसका सेवन करने से कमजोरी नहीं आती और वज़न भी बढ़ता है।

पोषक तत्व : किशमिश खाने से ब्लड बनता है, वायु, पित्त और कफ दोष दूर होता है और यह हृदय के लिये बहुत लाभकारी होती है। किशमिश ऊर्जा और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों का एक समृद्ध स्रोत हैं।

कब्ज : किशमिश खाने से कब्ज के मरीजों को आराम मिलता है। अगर आपके घर में किसी को कब्ज है तो उसे किशमिश जरूर खिलाये।

वजन बढ़ाए : वजन बढ़ाने के लिए भी किशमिश का सेवन किया जाता है. उम्र के हिसाब से अगर आपका वजन कम है तो किशमिश खाये जल्दी ही आपका वजन बढ़ने लगेगा।

खून की कमी : शरीर में खून की कमी को दूर करने के लिए भी किशमिश खायी जाती है. किशमिश में विटामिन बी काम्प्लेक्स पाया जाता है तो शरीर में खून की मात्रा को बढ़ाता है।

18/06/2025

*हाथ से कूट कर तैयार किया गया त्रिफला के लाभ एवं प्रयोग*

त्रिफला अर्थात हरड़,बहेड़ा एवं आंवला का विशेष मिश्रण।
समस्त आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार जो-जो लाभ माता के स्तनपान से हमे बचपन में मिलता है वही लाभ हमे हरड़ के सेवन से मिलता है।
बहेड़ा भी गुणों का भंडार है।
हमारे चिकित्सक वैज्ञानिकों ने एवं ग्रंथों ने आंवला को फलो का राजा बताया है। आंवला की व्याख्या सूरज को दीपक दिखना जैसा है।

त्रिफला दीपन पाचन में सुधार, कब्ज से राहत दिलाता है। वजन घटाने, और आंखों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।
यह शरीर से अतिरिक्त वसा और विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है, जिससे वजन कम करने में सहायता मिलती है।
त्रिफला आंखों की रोशनी में सुधार करने और विभिन्न नेत्र रोगों से बचाता है।
त्रिफला में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं।
त्रिफला मधुमेह, मूत्र संबंधी समस्याओं, और त्वचा रोगों में भी लाभकारी है।

त्रिफला का उपयोग:
त्रिफला का उपयोग विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है, जैसे:
त्रिफला चूर्ण को गुण गुना पानी, शहद, सेंधा या काला नमक एवं घी के साथ मिलाकर लिया जा सकता है।
त्रिफला को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर भी पिया जा सकता है।
त्रिफला का रस:
त्रिफला का रस निकालकर भी पिया जा सकता है।
प्रयोग:-
गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को त्रिफला का सेवन वैद्य के निगरानी में करना चाहिए ।
जिन लोगों को दस्त या पेट खराब है, उन्हें त्रिफला का सेवन नहीं करना चाहिए। त्रिफला रेचक एवं पोषक प्रदान करता है।

निष्कर्ष:
त्रिफला एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक मिश्रण है जो कई स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है। इसका नियमित सेवन पाचन में सुधार, वजन घटाने, और आंखों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है।

आपकी बहन बेटी मनदीप कौर
नामधारी देसी दवाखाना
टोहाना रोड रतिया
6283021266

05/01/2025

आँखों की रौशनी बढाने के लिए

1- बादाम गिरी
2- सौंफ (मोटी)साफ़ की हुई
3- कूजा मिश्री
4- सौंफ
5- भुने हुए चने
6- हरी इलायची
7- चारों मगज
8- पिस्ता
9- भूरी मिर्च
10- खसखस

इन तीनो को बराबर मात्रा में ले कर बारीक चूर्ण बना ले और कांच के बर्तन में रख ले।
हर रोज रात में सोते समय 10 ग्राम चूर्ण गरम दूध के साथ लें। बच्चों को आधी मात्रा में दे।
इससे आँखों की रौशनी के साथ साथ दिमाग भी तेज होगा।।

और साथ ही रात को 5 ग्राम त्रिफला चूर्ण एक कांच के गिलास में भिगो दे। सुबह इस पानी को कपडे से छान ले और इस पानी से आँखें धोये। इससे आँखों की अनेक बीमारियाँ ठीक होती है।

गाजर का जूस और हरी सब्जियों का सेवन करें। हरी सब्जियों का सूप पिए।
आँख की रौशनी अवश्य बड़ेगी।

दृष्टि कमजोर है?
ऐनक चढ़ी हुई हैं ?

तो...सब बाद में लेकिन सबसे पहले कुछ आदतें स्वयं में विकसित करो

पहली...

मुंह में पानी भरकर शीतल जल से आंखों को धोना शुरू करो , खूब छप्पे मारते हुए

दिन में कम से कम 5 बार ऐसा करो

दूसरा...

हथेलियों को आपस में रगड़कर गर्म करो और फिर आंखों को बंदकर करके इन गर्म हथेलियों से सिकाई करो ! दिन में 10 बार ऐसा करो

तीसरा

किसी भी रूप में खाओ लेकिन प्रतिदिन 5 से 10 ग्राम आंवला अवश्य लो.अचार , मुरब्बा , पाउडर , फलरूप में जैसे भी मिले , सेवन करो.

चौथा...

प्रतिदिन शीर्षासन करो..

अगर आपको किसी बीमारी का इलाज करवाना हो तो आप बीमारी के बारे में बताकर या परेशानी के बारे मे बता कर आयुर्वेदिक औषधियां मंगवा सकते हैं।..

हमारे द्वारा बनाई गई EYES किट जिसमें

♦️ज्योतिवर्धक ड्रॉप

♦️ज्योतिवर्धक पाउडर

ये दो आयुर्वेदिक मेडिसिन दी जाती है जिसके कांटीन्यू उपयोग से

आंखों से पानी आना
कम दिखाई देना
आंखों में खुजली आना
आंखे लाल रहना
दूर या पास की नजर कमजोर होना
पलके बार बार झपकना

अक्षर सही से नहीं पढ़े जाना
पढ़ते समय आंखों पर ज्यादा जोर पड़ना

आदि सभी समस्या ठीक हो जाती है
इस आइस किट को बच्चों से लेकर बड़ों तक कोई भी इस्तेमाल कर सकता है।।

किसी भी जानकारी के लिए या ट्रीटमेंट के लिए आप पहले हमें अपनी प्रॉब्लम व्हाट्सप्प कर दीजिये समय मिलते ही आपको जवाब दिया जायेगा...

सभी सुखी और निरोगी रहे

नामधारी देसी दवाखाना
वैद्य मनदीप कौर
6283021266
टोहाना रोड रतिया

स्तन की गांठ के लिए ओर बच्चे के लिए स्तन से दूध नही उतरता हो व दूध स्तन में ही जमा होने से सूजन व दर्द हो इन सभी के लिए ...
25/10/2024

स्तन की गांठ के लिए ओर बच्चे के लिए स्तन से दूध नही उतरता हो व दूध स्तन में ही जमा होने से सूजन व दर्द हो इन सभी के लिए घरेलू उपाय ही करे

नीम के पत्ते लेकर पानी मे उबाल कर उससे स्तन की 15 मिन्ट सिकाई करे कोई सूती मोटा कपड़ा डबो डबो कर सुहाता सुहाता गर्म सेक करे उसके बाद नीम के पत्तो का पेस्ट इतना बनाये की स्तन पर मोटा मिटा लेप लग जाये उसमें 10 12 किसमिश साथ मे पीस कर मिला लेनी है और 5 या 7 बादाम की गिरी भीगी हुवी पीसकर खूब घुटाई कर मिलाऐ इस पेस्ट को निम के पत्तो के गर्म पानी की सिकाई के बाद स्तन पर मोटा मोटा लेप करे ओर कम से कम 3 घन्टे लगाए रखो या दिन भर लगा रहने दो ज़्यादा तकलीफ हो दिन भर में दो बार करो या कम तकलीफ हो एक बार करलो कम तकलीफ वाले एक से 3 तीन बार मे ही आराम हो जाता है.

और पुरानी तकलीफ में जब तक आराम नही हो 10 से 15 दिन तक करो या यूं समझिऐ की आराम मिलने तक करो अगर मवाद की गांठ हो तो सिकाई के पानी मे 10 ग्राम नीला थोथा पीसकर मिला लिया जाए तो अंदर की गांठ में कोई पस मवाद हो वह भी ठीक हो जाएगी ओर गांठ नरम पड़कर स्तन सही हालत में होगा सस्ता ओर घरेलू प्रयोग है

स्तन में गाँठ...

स्तन में गाँठ होना बहुत आम समस्या होती जा रही है । यह चिंता का विषय भी है । अगर 1-2 ग्राम हल्दी के पावडर को सवेरे खाली पेट प्रतिदिन ले लिया जाए तो हर प्रकार की गांठें घुलनी प्रारम्भ हो जाती हैं । काचनार गुग्गल का प्रयोग भी गांठों को खत्म करने में सहायक है । कुछ पौधों का प्रयोग गाँठ पर लगाने के लिए किया जा सकता है । इससे गाँठ घुलनी शुरू हो जाती हैं...

अरंड अरंड के पत्ते पर थोडा सा सरसों का तेल लगाकर , हल्का सा गर्म करके स्तन पर नियमित रूप से बांधें । अरंड के तेल की मालिश करने से स्तन की गांठ भी घुलती हैं और स्तन में मुलायमी भी आती है जिससे गाँठ होने की सम्भावना कम हो जाती है । अरंड के पत्तों को उबालकर भी बाँध सकते हैं । अरंड के बीजों की गिरी को पीसकर उसका पेस्ट भी लगाया जा सकता है । अरंड के एक बड़े पत्ते को 200 ग्राम पानी में उबालकर, काढ़ा बनाकर, पीने से हार्मोन्स की गडबडी ठीक होती है, periods ठीक आते हैं..

इससे स्तन में गाँठ होने की सम्भावना भी कम हो जाती है । स्तन के ni**le में crack हो या त्वचा फट जाए तो अरंड का तेल लगाना चाहिए ।

गेंदा गेंदे के पौधे की पत्तियों को पीसकर , लुगदी बनाकर गाँठ पर नियमित रूप से बांधें ।

पुनर्नवा पुनर्नवा (साठी ) की जड़ को घिसकर गाँठ पर लगाते रहें..

सेमल सेमल की जड़ की छाल को को पीसकर लगाएँ या सेमल के तने पर उभरे मोटे कांटो को घिसकर लगाएँ..

भुई आंवला इसके पत्ते पीसकर, लुगदी बनाकर लगाएँ..

धतूरा पत्ते को हल्का गर्म करके बांधें..

छुईमुई केवल जड़ घिसकर लगाएँ या फिर

अश्वगंधा की जड़ +छुईमुई की जड़ + छुईमुई की पत्तियां , इन सबको पीसकर स्तन की गाँठ पर लगाएँ। इससे स्तन का ढीलापन भी ठीक हो जाता है और दर्द और सूजन में भी आराम आता है ।

शीशम शीशम के पत्तों की लुगदी गाँठ पर लगाने से गाँठ घुलती है
इसके पत्तों को गर्म करके थोडा तेल मलकर बाँधने से गाँठ तो घुलती ही है साथ ही दर्द और सूजन हो तो उसमें भी आराम आता है ।..

पत्थरचटा इसके पत्ते पर सरसों का तेल मलकर, पत्ते को हल्का गर्म करके गाँठ पर बांधते रहें ।

स्तन में दूध कम आता हो तो
1-1 चम्मच शतावर पाउडर दूध के साथ सुबह शाम दे

इसके साथ ही प्राणायाम तो अवश्य ही करते रहें.

विशेषकर कपालभाति प्राणायाम
भ्रसितका प्राणायाम

ये घर के उपाय है.. आप समय पर चेकअप और अपने वैध डॉ से परामर्श भी लेते रहे..


अगर आपको किसी बीमारी का इलाज करवाना हो तो आप बीमारी के बारे में बताकर या परेशानी के बारे मे बता कर आयुर्वेदिक औषधियां मंगवा सकते हैं।..

सभी सुखी और निरोगी रहे

मनदीप कौर
6283021266

--------: योनि संकोचन योग :-------      योनि संकोचन (vaginal tightening) के लिए,  आयुर्वेद और योग में विभिन्न उपाय सुझाए...
15/10/2024

--------: योनि संकोचन योग :-------
योनि संकोचन (vaginal tightening) के लिए, आयुर्वेद और योग में विभिन्न उपाय सुझाए जाते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख उपाय दिए जा रहे हैं -------
आयुर्वेदिक उपचार --------
(1) त्रिफला --------
त्रिफला पाउडर का उपयोग, योनि की स्वच्छता और संकोचन के लिए किया जाता है। इसे पानी में मिलाकर, धोने से योनि में कसाव आ सकता है।
(2) अशोका की छाल -------
अशोका की छाल का उपयोग, महिलाओं के जननांग स्वास्थ्य में सुधार के लिए किया जाता है। इसका नियमित सेवन, योनि के ऊतकों को शक्तिशाली बनाने में सहायक हो सकता है।
(3) अलूम (फिटकरी) -------
फिटकरी का पानी में घोल बनाकर योनि की स्वच्छता के लिए उपयोग किया जाता है। यह योनि के ऊतकों में कसाव लाने में सहायता करता है।
(4) शतावरी -------
शतावरी , एक महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जो योनि की मांसपेशियों को शक्तिशाली बनाने में सहायक हो सकती है। इसे दूध के साथ लेना , अधिक लाभकारी होता है।
2- योगासन ------
(1) मूलबंध (Mula Bandha) -------
मूलबंध, एक योगिक तकनीक है। जिसमें पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को, संकुचित किया जाता है। यह योनि की मांसपेशियों को कसने में सहायक होता है।
(2) अश्विनी मुद्रा -------
इसमें गुदा और योनि के आसपास की मांसपेशियों को , बार-बार संकुचित और शिथिल किया जाता है। जिससे योनि के संकोचन में सहायता मिलती है।
(3) सेतुबंधासन (Bridge Pose) -----
यह आसन पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को , शक्तिशाली बनाता है और योनि में कसाव लाने में सहायता करता है।
(4) मलासन (Garland Pose) -----
मलासन भी पेल्विक फ्लोर को शक्तिशाली बनाता है और योनि के संकोचन में सहायक होता है।
इन आयुर्वेदिक और योगिक उपायों को नियमित रूप से करने से , योनि की मांसपेशियों में मजबूती और कसाव आ सकता है। हालांकि, किसी भी उपचार को अपनाने से पहले, एक चिकित्सक या विशेषज्ञ की परामर्श लेना उचित है।

विशेष ------
' स्वस्थ सम्रद्धि परिवार ' से संबंधित जानकारी एवं सहयोग हेतु , संदेश के लिए, watsapp no. 6283021266 का उपयोग करें

11/09/2024

असमय बाल सफेद होना

भाँगर का खूब कूट पीसकर बारीक बनाया हुआ चूर्ण और काले तिल नित्य सूर्योदय के समय मुँह शुद्धि के पश्चात् इस मिश्रण को एक चम्मच की मात्रा से खूब चबाकर खाए और ऊपर से ताजा पानी पी लें। लगातार छः मास के प्रयोग से समय से पहले बालों का पकना और झड़ने की शिकायतों से छुटकारा मिल जाता है। साथ ही केश काले, घने, लम्बे, मजबूत और चमकदार बने रहते हैं। यह परम्परागत अनुभूत प्रयोग चालीस साल तक की आयु वाले व्यक्तियों के लिए अत्यन्त सफल रहा है।

विशेष (१) भृंगराज सूखा, काले तिल, सूखा आँवला, मिश्री
चूर्ण को नित्य प्रातः छः ग्राम की मात्रा से खाकर ऊपर से २५० ग्राम दूध पीएँ। ब्रह्मचर्य पालन के साथ एक वर्ष तक निरन्तर सेवन करने से कायाकल्प होता है।
(२) आँवला जल से बाल धोना-
(३) दही का शैम्पू साबुन के स्थान पर १०० ग्राम दही में एक ग्राम काली मिर्च बारीक पिसी हुई मिलाकर सप्ताह में एक बार सिर धोएँ और फिर गुनगुने पानी से अच्छी तरह बाल धो डालें। इससे बाल काले होते है, झड़ने बन्द होते हैं और बालों का सौन्दर्य खिल उठता है।
*Mandeep kaur*
*6283021266*

बहुमूल्य उपयोगी जानकारी ईश्वर की बनायी गयी इस दुनिया को दखने का माध्यम केवल हमारी ऑंखें ही है और इनको उम्र के पड़ाव के सा...
25/01/2024

बहुमूल्य उपयोगी जानकारी

ईश्वर की बनायी गयी इस दुनिया को दखने का माध्यम केवल हमारी ऑंखें ही है और इनको उम्र के पड़ाव के साथ देखभाल की भी नितांत आवयकता होती है क्योंकि बढ़ती उम्र के साथ हमारी आँखों के चारो तरफ क मांसपेशियां ढीली पड़ने लगती है और हमारी आँखें कमजोर हो जाती है। आंखों की रौशनी हमारे आहार और जीवनशैली पर भी निर्भर करती है।

हम यहाँ पर आपको आँखों की देखभाल और उसकी रौशनी बढ़ाने के कुछ आसान से उपाय बता रहे है ।

* सुबह उठकर मुहँ में पानी भरकर आँखें खोलकर साफ पानी के छीटें आँखों में मारने चाहिए इससे आँखों की रौशनी बढ़ती है ।

* प्रातः खाली पेट आधा चम्मच ताजा मक्खन, आधा चम्मच पसी हुई मिश्री और 5 पिसी काली मिर्च मलाकर चाट लें, इसके बाद कच्चे नारीयल की गिरी के 2-3 टुकड़े खूब चबा-चबाकर खाये और ऊपर से थोड़ी सौंफ चबाकर खा लें फिर दो घंटे तक कुछ भी न खाये। यह क्रिया 2-3 माह तक जरूर करिये ।

* बालों पर रंग, हेयर डाई और केमीकल शैम्पू लगाने से परहेज करें ।

* रात को 1 चम्मच त्रिफला मिट्टी के बर्तन में भिगाकर सुबह छाने हुए पानी से आँखें धोयें। इससे आँखों की रोशनी बढ़ती है और कोई बीमारी भी नहीं होती है।

* प्रातःकाल सूर्योदय से पहले नियमित रूप से हरी घास पर 15-20 मिनट तक नंगे पैर टहलना चाहए। घास पर ओस की नमी रहती है नंगे पैर इस पर टहलने से आँख को तनाव से राहत मिलती है।और रौशनी भी बढ़ती है ।

* पैरों के तलवे की सरसों के तेल से नियमित मालिश करनी चाहिए । नहाने से 10 मिनट पूर्व पैरों के अंगूठों को सरसों के तेल से तर करने से आँखों की रौशनी लम्बे समय तक कायम रहती है ।

* पालक, पत्ता गोभी, हरी सब्जियाँ और पीले फल खाएं। विटामिन ए, सी और ई से भरपूर कई पीले फल हमारी आंखों के लिए फायदेमंद हैं। इसके अतिरिक्त पपीता, संतरा, नींबू आदि के सेवन से दिन की रोशनी में हमारे देखने की क्षमता बढ़ती हैं।

* आँखों की रौशनी बढ़ाने के लिए प्रतिदिन 1-2 गाजर खूब चबा-खाए

शरीर पर मस्से बहुत अजीब लगते है मस्से वैसे तो कोई तकलीफ़ नहीं देते लेकिन ये शरीर खासकर चेहरे की सुंदरता को भी बिगाड़ देते हैं। मस्से काले और भूरे रंग के होते हैं। अक्सर मस्से अपने-आप समाप्त हो जाते हैं, लेकिन कुछ मस्से इलाज के बाद ही जाते हैं। मस्से को काटने और फोड़ने के कारण मस्से का वायरस शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल जाते है जिसके कारण और ज्यादा मस्से हो जाते हैं। मस्से गर्दन,हाथ,पीठ ,चिन,पैर आदि शरीर के किसी भी जगह हो सकते हैं।

यहाँ पर हम आपको मस्सों से बचने के लिए कुछ आसान घरेलू उपचार के बारे में बताते हैं।

* मस्से को समाप्त करने के लिए एक अगरबत्ती जला लें और उसके जले हुए हिस्से को मस्से का स्पर्श कर तुरन्त हटा लें। ऐसा 8-10 बार करें, इससे मस्सा सूखकर झड़ जाएगा। ध्यान रहे, अगरबत्ती का स्पर्श सिर्फ मस्से पर ही होना चाहिए।

* मस्से पर आलू काटकर तुरंत उसकी फ़ांक को रगडनी चाहिये। ऐसा दिन में 3 से 4 बार करें । कुछ ही रोज में मस्से झडने लगेगे।

* केले के छिलके का भीतरी हिस्सा मस्से पर रगडें। इससे बहुत ही लाभ मिलता है।

* अलसी के बीजों को पीस कर इसमें अलसी का तेल और शहद मिलाएं और फिर इसे मस्से पर लगा लें ऐसा 4 - 5 दिन नियम से करें।

* खट्टे सेब लेकर उनका जूस निकाल के उसे दिन में कम से कम तीन बार मस्से पर लगाइए। मस्से धीरे-धीरे झड़ जाएंगे।

* एक प्याज को लेकर उसके रस को सुबह शाम नियमित रूप से लगाने से मस्से समाप्त होते हैं।

* बेकिंग सोडा और अरंडी के तेल को रात में मस्सों पर लगाकर सो जाइए, धीरे-धीरे मस्से समाप्त हो जाएंगे।

* रात को सोने से पहले और सुबह उठने के बाद मस्सों पर शहद लगाइए, इससे मस्से शीघ्र खत्म होते है ।

* लहसुन की कली को छील कर उसे काटकर मस्सों पर रगडि़ए, मस्से जल्दी ही सूखकर झड़ जाएंगे।

* ताजा कटा हुआ अनानास लें कर उसे मस्से पर लगाएं इससे जल्द ही राहत मिलती है।

घर के किसी भी छोटे बड़े सदस्य को उल्टी एवँ दस्त किसी भी वजह से हो सकते हैं जिनमें से बदहजमी सबसे मुख्य है। कभी-कभी सर्दी या गर्मी लगने, दूषित खानपान से भी उल्टी और दस्त की समस्या हो जाती है ।

* उल्टी होने पर नीँबू का रस पानी में घोल कर लेने से शीघ्र ही फायदा होता है ।

* आप एक दो लौंग, दालचीनी या इलायची मुहँ में रखकर चूसिये यह मसाले उल्टियाँ विरोधक औषधियों होने के कारण उल्टियाँ रोकने में बहुत ही मददगार साबित होते है।

* तुलसी के पत्तों का एक चम्मच रस शहद के साथ लेने से उल्टी में लाभ मिलता है ।

* एक चम्मच प्याज का रस पीने से भी उल्टी में लाभ मिलता है ।

* गर्मियों में यदि बार बार उल्टियाँ आती है तो बर्फ चूसनी चाहिए ।

* पुदीने के रस को लेने से भी उल्टी में लाभ मिलता है ।

* धनिये के पत्तों और अनार के रस को थोड़ी थोड़ी देर के बाद बारी-बारी से पीने से भी उल्टी रुक जाती है ।

* 1/4 चम्मच सोंठ एक चम्मच शहद के साथ लेने से उल्टी में शीघ्र आराम मिलता है ।

* नींबू का टुकड़ा काले नमक के साथ अपने मुंह में रखने से आपको उल्टी महसूस नहीं होती है, रुक जाती है ।

* आधा चम्मच पिसे हुए जीरे का पानी के साथ सेवन करने से उल्टियों से शीघ्र छुटकारा मिलता है ।

* एक गिलास पानी में एक चम्मच एप्पल का सिरका डालकर पियें उल्टी में तुरंत आराम मिलेगा ।

* उल्टियाँ होने से 12 घंटो बाद तक ठोस आहार का सेवन न करें, लेकिन भरपूर मात्रा में पानी और फलों के रस का सेवन करते रहें।

* तैलीय, मसालेदार, भारी और मुश्किल से पचनेवाले खाद्द्य पदार्थों का सेवन न करें इससे भी उल्टियाँ आती है ।

* पित्त की उल्टी होने पर शहद और दालचीनी मिलाकर चाटें ।

* हरर को पीसकर शहद के साथ मिलाकर चाटने से उल्टी बंद होती है|

* खाना खाने के तुरंत बाद न सोयें। खाने के बाद टहलने की आदत डालें । जब भी सोयें तो अपनी दाहिनी बाज़ू पर सोयें। इससे आपके पेट के पदार्थ मुंह तक नहीं आये

वास्तव में गुस्सा एक भयानक तूफ़ान जैसा है, जो जाने के बाद पीछे अपनी बर्बादी का निशान छो़ड जाता हैं। गुस्से में सबसे पहले दिमाग फिर जबान अपना आपा खोती है, वह वो सब कहती है, जो नहीं बिलकुल भी कहना चाहिए और रिश्तों में जबरदस्त क़डवाहट आ जाती है। और तब तो और भी मुश्किल होती है जब गुस्सा हमारे दिमाग में घर कर जाता है और हमारे अन्दर बदला लेने की सामने वाले को नुकसान पहुँचाने की भावना प्रबल हो जाती है ।

हम यहाँ पर आपको कुछ ऐसे उपाय बता रहे है जिससे हम यथासंभव अपने गुस्से पर काबू कर सकते है ।

* दो पके मीठे सेब बिना छीले प्रातः खाली पेट चबा-चबाकर पन्द्रह दिन लगातार खाने से गुस्सा शान्त होता है। बर्तन फैंकने वाला, तोड़ फोड़ करने वाला और पत्नि और बच्चों पर हाथ उठाने वाला व्यक्ति भी अपने क्रोध से मुक्ति पा सकेगा। इसके सेवन से दिमाग की कमजोरी दूर होती है और स्मरण शक्ति भी बढ़ जाती है।

* प्रतिदिन प्रातः काल आंवले का एक पीस मुरब्बा खायें और शाम को एक चम्मच गुलकंद खाकर ऊपर से दुध पी लें। बहुत क्रोध आना शीघ्र ही बन्द होगा।

* गुस्सा आने पर दो तीन गिलास खूब ठंडा पानी धीरे धीरे घूँट घूँट लेकर पिएं । पानी हमारेशारीरिक तनाव को कम करके क्रोध शांत करने में मददगार होता है।

* गुस्सा बहुत आता हो तो धरती माता को रोज सुबह उठकर हाथ से पाँच बार छूकर प्रणाम करें और सबसे विशाल ह्रदय धरती माँ से अपने गुस्से पर काबू करने और सहनशील होने का वरदान मागें।

* पलाश के छोटे छोटे पत्तों की सब्जी खाने से गुस्सा, और पित्त जल्दी ही शांत होता है ।

* रविवार को अदरक, टमाटर और लाल रंग के कपड़े गुस्सा अधिक बढ़ाते हैं अत: इनका कम से कम प्रयोग करें ।

* जिनको गुस्सा बहुत आता हो, बात- बात में चिड जाते हो वे सोमवार का उपवास करें, या एक समय भोजन करें। रात कों चन्द्रमा कों अर्घ दें तथा अपने गुस्से पर विजय प्राप्त करने के लिए प्रार्थना कीजिए

उदर-वायु एक आम तथा कभी न कभी हर किसी को होने वाली समस्या है। पेट गैस को अधोवायु भी कहते हैं। यह तब होती है, जब शरीर में भारी मात्रा में गैस भर जाती है। इस पेट में रोकने से कई बीमारियां हो सकती हैं, जैसे एसिडिटी, कब्ज, पेटदर्द, सिरदर्द, जी मिचलाना, बेचैनी आदि। पेट में गैस बनने के कई कारण हो सकते हैं, जिसके बारे में हम यहां चर्चा कर रहे हैं।
कारण
* पेट में बैक्टीरिया की "ओवरप्रोड्क्शन" होना।
* जिस आहार में बहुत ज्यादा फाइबर होता है।
* मिर्च-मसाला, तली-भुनी चीजें ज्यादा खाने से।
* पाचन संबंधी विकार।
* बींस, राजमा, छोल, लोबिया, मोठ, उड़द की दाल, फास्ट फूड, ब्रेड और किसी-किसी को दूध या भूख से ज्यादा खाने से।*
*खाने के बाद कोल्ड ड्रिंक लेने से, क्योंकि इसमें गैसीय तत्व होते हैं।*
*बासी खाना खाने से और खराब पानी पीने से भी गैस हो जाती है।*
*घरेलू उपचार*
*भोजन के साथ सलाद के रूप में टमाटर का प्रतिदिन सेवन करना लाभप्रद होता है। यदि उस पर काला नमक डालकर खाया जाये तो लाभ अधिक मिलता है। पथरी के रोगी को कच्चे टमाटर का सेवन नहीं करना चाहिए।*
*आधा चम्मच सूखा अदरक पाउडर लें और उसमें एक चुटकी हींग और सेंधा नमक मिलाकर एक कप गर्म पानी में डालकर पीएं।*
*गैस के कारण सिरदर्द होने पर चाय में काली मिर्च पाउडर डालें। वही चाय पीने से लाभ मिलता है।*
*2 चम्मच ब्रैंडी को गर्म पानी में कप में डालकर रात को सोने से पहले पिएं।*
*स्लाइस की हुई कुछ ताजा अदरक नींबू के रस में भिगोकर भोजन के बाद चूमने से राहत मिलेगी।*
*पेट में या आंतों में एेंठन होने पर एक छोटा चम्मच अजवाइन में थोड़ा नमक मिलाकर गर्म पानी में लेने पर लाभ मिलता है। बच्चों को अजवाइन थोड़ी दें।*
*भोजन के एक घंटे बाद 1 चम्मच काली मिर्च, 1 चम्मच सूखी अदरक और 1 चम्मच इलायची के दानों को आधा चम्मच पानी के साथ मिलाकर पिएं।*
*वायु समस्या होने पर हरड़ के चूर्ण को शहद के साथ मिक्स कर खा लीजिए*

*दमा बहुत कष्ट देने वाली बीमारी है। यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। दमा में सांस लेने वा निकालने में परेशानी होती है। खांसी की त्रीवता और साँस की नली में कफ़ जमा हो जाने से तकलीफ़ और भी ज्यादा बढ जाती है। दमा का अटैक पड़ने पर रोगी बुरी तरह हांफ़ने लगता है। दमा होने पर खांसी, नाक का बजना, छाती का कड़ा हो जाना, सुबह और रात में सांस लेने में तकलीफ होने जैसे लक्षण होते हैं।समान्यता दमा, एलर्जी पैदा करने वाले पदार्थों ,धूम्रपान करने से, ज्यादा सर्द गर्म मौसम, सुगन्धित पदार्थों, ज्यादा कसरत करने और मानसिक तनाव की वजह से काफी तकलीफ देता है।दमा को पूरी तरह से ठीक करना मुश्किल है, लेकिन इस पर नियंत्रण हो सकता है, ताकि व्यक्ति सामान्य जीवन जी सके।*

*हम यहाँ पर आपको दमा से बचाव और उसके घरेलु उपचार बता रहे है।*

*100 ग्राम दूध में लहसुन की पांच कलियां धीमी आँच पर उबाकर इस का हर रोज दिन में दो बार सेवन करने से दमे में काफी फायदा मिलता है।*

*तुलसी के 10-15 पत्ते पानी से साफ़ कर लें फ़िर उन पर काली मिर्च का पावडर बुरककर खाने से दमा मे आराम मिलता है।*

*एक पके केले में चाकू से लम्बाई में चीरा लगाकर उसमें एक चौथाई छोटा चम्मच महीन पीसी काली मिर्च भर दें। फिर उसे 2-3 घंटे बाद हल्की आँच में छिलके सहित भून लें। ठंडा होने पर केले का छिलका निकालकर केला खा लें। एक माह में ही दमें में खूब लाभ होगा।*

*लहसुन की दो पिसी कलियां और अदरक की गरम चाय पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है। इस चाय का सेवन सबेरे और शाम करना चाहिए।*

*4-5 लौंग को 150 पानी में 5 मिनट तक उबालें। इस मिश्रण को छानकर इसमें एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाकर गरम-गरम पी लें। रोज दो से तीन बार यह काढ़ा पीने से निश्चित रूप से लाभ मिलता है।*

*250 ग्राम पानी में मुट्ठीभर सहजन की पत्तियां मिलाकर उसे 5 मिनट तक उबालें। फिर ठंडा होने पर उसमें चुटकी भर नमक, काली मिर्च मिलाकर गुनगुना पिए*

*आज कल की अति व्यस्त भाग दौड़ भरी जिंदगी में लगातार काम करते रहने, समय पर खान पान ना करने, अत्यधिक शारीरिक श्रम करने, पर्याप्त नींद ना लेने वा तनाव की वजह से शरीर पर जल्दी ही थकावट हावी हो जाती है, बदन दर्द करने लगता है जिससे किसी भी कार्य में मन नहीं लगता है ।*

*हम यहाँ पर कुछ आसान से उपाय बता रहे है जिनकी सहायता से आप अपने बदन दर्द से निजात पा सकते है ।*

*लहसुन की चार पाँच कुलियाँ छीलकर और आधा चम्मच अजवायन के दाने तीस ग्राम सरसों के तेल में डालकर धीमी-धीमी आँच पर पकायें। लहसुन और अजवायन काली पडने पर तेल उतारकर उसे छान लें। इस हल्के गर्म तेल की मालिश करने से हर प्रकार के बदन दर्द में आराम मिलता है।*

*अखरोट के तेल की मालिश करने से हाथ पैरों की ऐंठन दर्द जल्दी ही दूर हो जाता है।*

*10 ग्राम कपूर और 200 ग्राम सरसों का तेल शीशी में भरकर उसे बंद करके धूप में रख दें। जब दोनों वस्तुएँ मिलकर एक हो जाए तब इस तेल की मालिश से हर तरह का बदन दर्द, माँसपेशियों का दर्द शीघ्र ही ठीक हो जाता हैं।*

*हल्दी में दर्द निवारक मानी गयी है। बदन दर्द में हल्दी चूर्ण को दूध के साथ लेने पर शीघ्र ही राहत मिलती है।*

* बदन दर्द से बचने के लिए फल और सब्जियों का सेवन अधिक से अधिक करें। ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर भोजन करें ।* *सरसों के तेल में नमक मिलाकर गुनगुना करके पूरे बदन पर मालिश करके गर्म पानी में नहा लें। इससे तुरंत राहत मिलती है।*

*नहाने से पहले शरीर पर बेसन और दही का पेस्ट लगाएं। इससे त्वचा साफ हो जाती है और बंद रोम छिद्र भी खुल जाते हैं।*
*गाजर का जूस रोज पिएं। तन की दुर्गध दूर भगाने में यह कारगर है।*
*पान के पत्ते और आंवला को बराबर मात्रा में पीसे। नहाने के पहले इसका पेस्ट लगाएं। फायदा होगा।*
*सांस की बदबू दूर करने के लिए रोज तुलसी के पत्ते चबाएं।*
*इलाइची और लौंग चूसने से भी सांस की बदबू से निजात मिलता है।*
*आपकी बहन बेटी मनदीप कौर 6283021266*

भारतीय आयुर्वेद में प्रसूति के बाद महिलाओं की सही देखभाल......✅डिलीवरी जापा प्रसव प्रसूति के बाद महिलाएं अपनी सही देखरेख...
03/01/2024

भारतीय आयुर्वेद में प्रसूति के बाद महिलाओं की सही देखभाल......

✅डिलीवरी जापा प्रसव प्रसूति के बाद महिलाएं अपनी सही देखरेख न करें तो उन्‍हें ताउम्र कमर दर्द, कमजोरी जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. यहां तक कि उनका शरीर भी बेडौल हो सकता है. बड़े बुजुर्गों की और अनुभवी विशेषज्ञों की मानें तो डिलीवरी के बाद आठवें दिन से ही महिला को सुपारी, जायफल और लोध्र से बने लड्डू का सेवन शुरू कर देना चाहिए.

✅आज इन पौष्टिक लड्डुओं को बनाने की विधि...

🛑सामग्री..

1️⃣125 ग्राम सुपारी पिसी हुई

2️⃣50-50 ग्राम जायफल और लोध्र पिसी हुई

3️⃣125 ग्राम गोंद दरदरा कूटा हुआ

4️⃣1/2 किलोग्राम गेहूं का आटा

5️⃣50-75 ग्राम बादाम

6️⃣1 सूखा नारियल कसा हुआ

7️⃣देसी घी आवश्यकतानुसार

8️⃣स्वादअनुसार एक छोटी कटोरी चीनी या बूरा

🛑विधि

✅प्रसव के बाद स्त्री के शरीर को ताकत देने वाले इन लड्डुओं को बनाने का तरीका है.

✅गर्म कढ़ाई में थोड़ा सा घी डालें. गर्म घी में गोंद को भून लें. भुने गोंद को अलग बर्तन में निकालें और उसे भुरभुरा पीस लें.
इसी घी में बादाम को भी भूनकर निकाल लें और उसे दरदरा पीस लें.

✅एक बार फिर कढ़ाई में थोड़ा सा घी डालें. गर्म घी में आटा डालें और 15 से 20 मिनट तक कम आंच में आटा को सुनहरा होने तक अच्छी तरह सेकें. आंच को तेज न करें. आटे को अच्छी तरह सेकें.

✅आटा के सेंकने के बाद उसे एक परात में निकालें और
गर्म आटे में पिसा हुआ जायफल, पिसी हुई सुपारी और लोध्र डालें. मिश्रण को अच्छी तरह मिला लें. अब नारियल, बादाम और गोंद डालकर एक बार अच्छी तरह मिश्रण को चलाएं. मिश्रण को दो हिस्से में अलग अलग कर लें. ठंडा होने पर इसमें चीनी या बूरा मिलाएं. फिर हाथ से अच्छी तरह मिश्रण को मिला लें. इस दौरान आवश्यकता हो तो थोड़ा-थोड़ा पिघला घी डालें. छोटे-छोटे गोल-गोल आकार में लड्डू बनाएं.

✅सुपारी, जायफल और लोध्र के लड्डू की शुरुआत डिलीवरी के आठवें दिन से करनी चाहिए. इससे पहले महिलाओं को सोंठ के लड्डू खाने चाहिए. 4 से 5 दिन सोंठ के लड्डू खाने के बाद इस लड्डू की शुरुआत करनी चाहिए.

✅वैसे इन दिनों महिलाओं को बहुत हल्की डाइट लेनी चाहिए ताकि वो जो भी खाएं, आसानी से पच जाए. यदि महिला सख्त या मसालेदार खाना खाएगी तो इससे उन्हें अपच, गैस और कब्ज की शिकायत हो सकती है. इनसे बचने के लिए हल्की चीजें ही खाएं.

✅सुपारी, जायफल और लोध्र महिलाओं के शरीर को बेहतर बनाने के लिए काफी उपयोगी है. जैसा कि आप जानती हैं कि डिलीवरी के बाद शरीर ढीला और बेडौल हो जाता है.

✅इसके साथ साथ इन दिनों महिला को कायफल को देशी घी में घिसकर अपने शरीर की अच्छी तरह मालिश करवानी चाहिए. इसके साथ सुपारी के इस लड्डू को खाना चाहिए. सुपारी से शरीर में कसाव आती है, जिससे महिला अपनी पुरानी फिगर में फिर से लौट सकती है.
डिलीवरी के बाद यदि महिला पर्याप्त नींद न ले और आराम न करे, तो उसे सिरदर्द, सिर में भारीपन की शिकायत हो सकती है. ऐसे में सुपारी के लड्डू में मिली जायफल आपके काफी काम आ सकती है. जायफल सिरदर्द का रामबाण इलाज है.
डिलीवरी के बाद अगर सही देखरेख न हो तो कमर दर्द एक स्थाई बीमारी बन सकती है. ऐसे में यदि डिलीवरी के कुछ दिनों बाद से ही सुपारी के लड्डू में लोध्र मिलाकर खाया जाए, तो कमर दर्द छूमंतर हो जाएगा. डिलीवरी की वजह से कमर दर्द की शिकायत कभी नहीं होगी.

🛑नोट..

✅सभी ऊपर लिखी सामग्री पंसारी की दुकान पर मिल जाएगी..

✅देशी घी ओरिजिनल यूज़ कीजिये....

अगर आपको किसी बीमारी का इलाज करवाना हो तो आप बीमारी के बारे में बताकर या परेशानी के बारे मे बता कर आयुर्वेदिक औषधियां मंगवा सकते हैं।..

किसी भी जानकारी के लिए या ट्रीटमेंट के लिए आप पहले हमें अपनी प्रॉब्लम व्हाट्सप्प कर दीजिये समय मिलते ही आपको जवाब दिया जायेगा...

सभी सुखी और निरोगी रहे

नामधारी वैलनेस सेंटर
आयुर्वेदिक डॉ मनदीप कौर
नैचुरलपैथ एवं योग एक्सपर्ट
6283021266

पेट खुश तो आप भी खुश ( कैसे रुके कब्ज का कब्जा )सुबह सवेरे अच्छे से पेट साफ होना, हेल्थी होने की सबसे बड़ी निशानी है। मग...
01/12/2023

पेट खुश तो आप भी खुश ( कैसे रुके कब्ज का कब्जा )

सुबह सवेरे अच्छे से पेट साफ होना, हेल्थी होने की सबसे बड़ी निशानी है। मगर खान-पान में अनियमितता, भागदौड़ भरा जीवन और इसके चलते पैदा हुआ तनाव, हर सुबह मोशन की जंग लड़वाता है। कब्ज से सिर्फ बूढ़े ही नहीं जवान भी परेशान रहते हैं।

मगर थोड़ी सी सावधानी से इस पर काबू पाया जा सकता है। विशेषज्ञों से बात कर नरेश तनेजा बता रहे हैं कब्ज दूर करने के उपाय.....

आंतों की गतिशीलता कम होना या पाचन शक्ति कम होने से खाना सही ढंग से हजम नहीं होता और पचकर बचा हुआ अंश बड़ी आंत में समय पर नहीं पहुंच पाता। खाया गया भोजन सबसे पहले आमाशय या पेट में जाता है। वहां से पाचक रसों के साथ मिलकर छोटी आंत में चला जाता है, जहां उसका अन्य तत्वों के साथ पूर्ण पाचन होता है। पाचन के पूरा हो जाने के बाद यहां से आवश्यक रस या तत्व लीवर से होते हुए शरीर के अन्य अंगों की ओर चले जाते हैं, जबकि बचा हुआ बेकार पदार्थ बड़ी आंत की ओर खिसक जाता है।

यह बचा हुआ पदार्थ बड़ी आंत के रास्ते मलमूत्र के रूप में शरीर से बाहर निकलता है। लेकिन अगर पाचन कमजोर है तो बचा हुआ पदार्थ सही समय पर बड़ी आंत में नहीं पहुंच पाता। नतीजतन जब सुबह मलत्याग की कोशिश होती है, तो पेट ठीक से साफ नहीं होता। इसी को कब्ज कहते हैं।

आयुर्वेद

आयुर्वेद के अनुसार शरीर में वात के बढ़ने से कब्ज होती है। खान-पान की गलत आदतें, जितनी भूख लगी है, उससे ज्यादा खाना, मीट और ऐसे ही मुश्किल से पचने वाली भारी अन्न पदार्थों को खाना और फल-सब्जियां-सलाद कम खाने से कब्ज होती है। नींद पूरी न होना, तनाव-भय-चिंता या शोक आदि से भावनात्मक दबाव पैदा होता है, जिससे मल त्याग के रास्ते में रुकावट पैदा होने और आंतों में विषाक्त तत्व जमा होने के अलावा नर्वस सिस्टम ज्यादा उत्तेजित रहने के कारण भी कब्ज बन जाती है। नशीली दवाएं व स्मोकिंग भी कब्ज का कारण है।

कैसे पहचानें कब्ज.....

अगर रोजाना ढंग से पेट साफ नहीं होता।

हमेशा ऐसा लगता रहे कि पेट से मल पूरी तरह से बाहर नहीं निकला है।

बार-बार टॉइलेट जाएं, मगर फिर भी मोशन आने का अंदेशा बना रहे। इसे सीधे तौर पर कब्ज नहीं कहा जाता, मगर यह कब्ज का ही एक रूप यानी उदर विकार ( पेट साफ न होने की बीमार) है।

कब्ज के लक्षण...

गैस बनना, पेट में हवा भरना, पेट में दर्द या भारीपन, सिरदर्द, भूख में कमी, जीभ पर अन्न कणों का जमा होना या मुंह का स्वाद बिगड़ना। चक्कर आना, टांगों में दर्द होना, बुखार, नींद-सी छाई रहना और धड़कन का बढ़ जाना।

कब्ज के कारण.....

नाभि का ऊपर की तरफ खिसक जाना।

बहुत ज्यादा मानसिक तनाव में रहना।

तला-भुना, मसालेदार गरिष्ठ भोजन करना।

एलोपैथिक दवाओं का ज्यादा सेवन करना।

खाने का समय नियमित न होना।

टॉइलेट जाने की जरूरत महसूस होने पर भी तमाम वजहों से उसे टालते रहना।

अधिक सेक्स करने की वजह से नाभि अपनी जगह से खिसक जाती है, इसकी वजह से शरीर कमजोर होने से तमाम विकार उत्पन्न हो जाते हैं। इस वजह से कब्ज भी हो जाता है।

स्मोकिंग या तंबाकू के दूसरे तरीकों से सेवन के कारण। नशीली दवाओं के सेवन से।
कोल्ड ड्रिंक या शराब जरूरत से ज्यादा पीने की वजह से।

जितनी भूख लगी है, उससे कम खाना खाना।

आयुर्वेद में कब्ज का इलाज......

त्रिफला एक चम्मच पाउडर, रात को पानी से।

केस्टॅर ऑयल (अरंड का तेल) दो छोटे चम्मच। इसमें थोड़ा सा गुनगुना पानी या दूध मिला लें।

आरोग्यवधिर्नी वटी दो-दो गोली सुबह-शाम पानी से।

गुलकंद एक-एक चम्मच सुबह-शाम दूध से।

पंचसकार चूर्ण एक चम्मच रात के समय।

नोट - इनमें से कोई एक उपाय करें।

ऐलोपैथी....

क्या है कब्ज

अगर शौच जाने पर निकलने वाला मल सख्त हो या उसके निकलने में बहुत जोर लगाना पड़े या मल की प्रकृति सामान्य न हो, तो उसे कब्ज कहते हैं।

कब्ज के कारण

कई ऐसी बमारियां हैं, जिनकी वजह से कब्ज की बीमारी हो जाती है। मसलन रसौली ( आंत में गांठ) की बीमारी की वजह से कब्ज हो जाता है। इसी तरह किसी वजह से आंत में रुकावट आने की वजह से भी कब्ज हो जाता है। ऐसे मामलों में डॉक्टर से सलाह करें। ज्यादातर मामलों में ऑपरेशन किया जाता है।

अगर किसी को हाल ही में कब्ज शुरू हुआ है, पेट में तेज दर्द होता हैया पेट बुरी तरह फूल जाता है। उल्टियां आ रही हैं या फिर मोशन के दौरान ब्लड आ रहा है, तो फौरन डॉक्टर से सलाह लें।

लगातार पेनकिलर्स या नॉरकोटिस, एनलजेसिक या दर्द निवारक दवाएं खाने वाले भी कब्ज का शिकार हो जाते हैं। यदि ऐसी दवाओं को रोक दिया जाए तो कब्ज ठीक हो जाएगी।

हॉरमोंस की प्रॉब्लम, थाइरॉयड या शुगर से भी कब्ज हो जाती है।

पारकिन्सन्स, पैरालिसिस से ग्रस्त या बिस्तर पर लेटे रोगियों को भी कब्ज हो जाती है।

क्या है इलाज

अगर कब्ज से दूर रहना है, तो छोटी मोटी शारीरिक परेशानियों में फौरन दवा खाने की आदत से बचें। मतलब यह है कि कम से दवाइयां खाएं।

खानपान का ध्यान रखें। हरी और रेशेदार सब्जियां और लिक्विड मसलन, दूध, फलों का रस, शिकंजी आदि का सेवन करें।

रेग्युलर एक्सर्साइज करें। अगर वजन सही अनुपात में है और बॉडी फिट है, तो कब्ज की आशंका कम ही रहती है।

कब्ज की दवाओं के सहारे पेट साफ करने की आदत सही नहीं है। लंबे समय तक इन दवाओं को खाने से अंतडि़यों में सूजन आ जाती है। इन दवाओं की आदत भी पड़ जाती है।

दूध-दही या पानी के साथ रात के समय ईसबगोल की भूसी दो चम्मच लें।

डॉक्टर मनोवैज्ञानिक सलाह और ट्रेनिंग के जरिए भी कब्ज के रोगियों का इलाज करते हैं।

योग के जरिए कब्ज का इलाज

कपालभाति प्राणायाम धीरे-धीरे एक बार में जितना कर सकें। ऐसे तीन से चार राउंड करने की सलाह दी जाती है। इसे करते समय आंखें बंद रखें और ध्यान पेट पर लगाएं। मन में यह भाव लाएं कि आंतों की क्रियाशीलता बढ़ रही है और कब्ज दूर हो रहा है।

अग्निसार क्रिया, उर्ध्व हस्तोत्तानासन, पवनमुक्तासन, भुजंगासन, मंडूकासन और भस्त्रिका प्राणायाम।

धनुरासन, उत्तानपाद, पश्चिमोत्तानासन, मत्स्यासन भी कब्ज दूर करने में सहायक होते हैं।

कोई भी आसन तीन से चार बार कर सकते हैं। मगर गोल्डन रूल यही है कि योग अपनी शक्ति और सार्मथ्य के हिसाब से ही करें, जबरन नहीं।

दो-तीन दिन में एक बार गुनगुने पानी की एनीमा लें।

कुछ दिनों के अंतराल पर लघु शंखप्रक्षालन करते रहें।

क्या होता है लघु शंखप्रक्षालन-
सुबह खाली पेट नमक मिला गुनगुना पानी पीकर कुछ विशेष आसन करने होते हैं। उसके बाद मोशन के जरिए पेट की सफाई होने लगती है।

मुद्रा विज्ञान के जरिए इलाज

अपान मुद्रा को एक से पचीस मिनट तक रोजाना करें।
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डाइट चार्ट

कब्ज की सबसे बड़ी वजह होती है खान-पान की अनियमितता। अगर हमें पता हो कि कौन सी चीजें खाने से पेट अच्छे ढंग से साफ होता है और कौन सी चीजों से कब्ज होता है, तो खानपान के सहारे ही इस बीमारी से दूर रहा जा सकता है।

खाएं

फल - मौसमी, संतरा, नाशपाती, तरबूज, खरबूजा, आड़ू, अन्ननास, कीनू, सरदा, आम, शरीफा, अमरूद, पपीता व रसभरी, थोड़ा-बहुत अनार। यानी मुख्य रूप से रेशेदार फल ही लें।

सब्जियां - रसे वाले या दूसरी सब्जियों में मिलाकर बनाए गए आलू, बंदगोभी, फूलगोभी, मटर, सभी प्रकार की फलियां, शिमला मिर्च, तोरी, टिंडा, लौकी, परमल, गाजर, थोड़ी बहुत मेथी, मूली, खीरा , ककड़ी, कद्दू- पेठा, पालक, नींबू व सरसों। कब्ज के लिए बथुआ खास तौर पर अच्छा होता है।

दालें - उड़द की छोड़कर सभी साबुत यानी छिलके वाली दालें।

अनाज- रोटी बनाने के लिए गेंहूं के आटे में काले चने का आटा या चोकर मिलाकर आटा गूंदें। पांच किलोग्राम आटे में में ढाई सौ ग्राम चोकर मिला लें।

चावल कम खाएं।

क्रीम निकला हुआ यानी टोंड दूध ही पीएं।

कोल्ड ड्रिंक के रूप में शर्बत, शिकंजी, नींबू पानी या लस्सी को प्राथमिकता दें।

जमकर पानी पिएं।

परहेज करें

फल- चीकू, केला, सेब, अंगूर, शरीफा, लीची।

सब्जियां -अरबी, भिंडी, कचालू, रतालू, बैंगन, जिमीकंद, चुकंदर।

दालें -राजमा, सफेद छोले, साबुत उड़द, चने, सोयाबीन, लोबिया (खास तौर पर रात के वक्त इन्हें खाने से परहेज करें)

मीट, अंडा व मछली कब्ज करती हैं। इन्हें दूसरी सब्जियों के साथ मिलाकर खाएं।

जूस के बजाय साबुत फल खाएं।

पनीर, मक्खन व घी से बचें। पनीर को पालक के साथ खा सकते हैं।

मलाई वाला दूध।

ध्यान दें

फास्ट फूड, जंक फूड यानी मैदे आदि से बनी चीजों से परहेज करें।

सॉफ्ट ड्रिंक, शराब और सिगरेट-तंबाकू से दूर रहें।
लाइफ स्टाइल में सुधार लाएं। दवाओं पर निर्भर न रहें।
पपीता खाएं। कब्ज के रोगियों को इस गूदेदार फल से बहुत लाभ मिलता है।
किशमिश या मुनक्के के बीज निकालकर 5 से 10 दाने रोजाना भिगोकर खायें। अगर भिगोकर खाने में सहूलियत नहीं, तो ऐसे ही खा लें। मुनक्का दूध के साथ भी ले सकते हैं।
जिन्हें कब्ज की शिकायत है, वे सेब और अनार न खाएं। इन फलों से कब्ज बढ़ता है। गैस बनने की वजह से भी कब्ज की शिकायत होती है। इसलिए ऐसी चीजों से परहेज करें, जिनसे गैस बनती है।

स्मोकिंग से मोशन बनने का मिथ

कुछ लोग मोशन के वक्त बीड़ी-सिगरेट या गुटखे आदि की तलब की बात करते हैं। उनका कहना होता है कि इसके बिना पेट साफ ही नहीं होता। कुछ लोग टॉइलेट जाते समय अखबार साथ लेकर जाते हैं। ऐक्सपर्ट्स का कहना है कि निकोटीन को किसी भी फॉर्म में लेने का पेट साफ करने से कोई संबंध नहीं है। सिर्फ यह दिमाग का भ्रम है। जरूरत अपनी विल पॉवर को मजबूत करने की है। शुरुआत में कुछ दिक्कत लग सकती है। ऐसे में गर्म पानी पिएं। धीमे-धीमे आदत छूट जाएगी।

अखबार की आदत भी ठीक नहीं है। इससे टॉइलेट में ध्यान बंटा रहता है, जिससे पेट साफ नहीं हो पाता। शौच के समय ध्यान को पेट पर रखें और भाव रखें कि अंदर रुका हुआ मल बाहर आ रहा है। जोर न लगाएं, इससे बवासीर हो सकती है। टॉइलेट में ज्यादा वक्त तक बैठे रहने से भी पेट साफ होने का कोई संबंध नहीं है।

शुगर पेशंट को अकसर हाजमा खराब रहने और कब्ज की शिकायत होती है। शुगर पेशंट्स की आंत पर शुगर की वजह से असर पड़ता है। आंतों में मल का मूवमेंट स्लो हो जाता है। इसी वजह से कब्ज हो जाता है। शुगर के रोग निम्न तरीके अपना सकते हैं...

सबसे पहले शुगर को कंट्रोल में करें।

खाने में फाइबर यानी रेशेदार चीजों की मात्रा बढ़ाएं।

आटे में चोकर मिलाकर रोटियां बनवाएं।

ईसबगोल की भूसी शाम को छह बजे के आसपास पानी से लें लें।

ईसबगोल का असर होने में 10-12 घंटे लग जाते हैं, इसलिए शाम को छह बजे के करीब लेंगे तो सुबह समय से मोशन हो सकेगा। जब कब्ज ठीक हो जाए, तो यह प्रयोग बंद कर दें। ईसबगोली की भूसी का दूध के साथ सेवन न करें।

सुबह उठकर गुनगुना पानी पिएं।

रोजाना टहलने जरूर जाएं।

खास तौर पर सुबह के समय।

रोजाना दो सौ ग्राम कोई भी रेशेदार फल मसलन, पपीता जरूर खाएं।

शुगर के रोगी चीकू, केले, नारियल, आम व भुट्टा न खाएं।
सब्जियों में पत्ते वाली सब्जियां, फलियां व सलाद लें। हरी सब्जियां ज्यादा खाएं।

दलिया खाएं।

दूध में ओटमील या जई का आटा मिलाकर खाएं।

त्रिफला व ईसबगोल की भूसी दो चम्मच मिलाकर शाम को लें।

कब्ज का घरेलू इलाज

बच्चों में कब्ज के लिए बड़ी हरड़ को पानी में घिसकर दो चम्मच पिलाएं। इसमें चीनी भी मिला सकते हैं।

बच्चों की गुदा में थोड़ा सा सरसों या नारियल का तेल लगाने से उनकी कब्ज खुल जाती है।

बड़ों को सनाय के पत्ते, सौंफ, छोटी हरड़, काला नमक व पिपली बराबर मात्रा में मिलाकर एक चम्मच के बराबर फंकी रात में गुनगुने पानी से लें।

छोटी हरड़ का चूर्ण तीन से पांच ग्राम तक रात को पानी से लें।

बहुत ज्यादा कब्ज हो तो एक बार दिन में भी ले सकते हैं।

रात को सोते वक्त एक चम्मच आंवला चूर्ण गुनगुने पानी से लें।

रात को सोते वक्त एक चम्मच त्रिफला (हरड़, बहेड़ा व आंवला का मिक्स)चूर्ण गुनगुने पानी से लें।

सुबह उठकर खाली पेट गुनगुना पानी पीएं।

खाना खाने के बाद एक कप गरम पानी पीएं।

रात को सोते समय गरम दूध लें। सदिर्यों में इसमें बादाम रोग डाल लें।

दूध में दो-चार मुनक्के के दाने उबालकर रात को लें।

ईसबगोल की भूसी दूध के साथ फंकी लें।

पूरी नींद लें।

किसी भी जानकारी के लिए या ट्रीटमेंट के लिए आप पहले हमें अपनी प्रॉब्लम व्हाट्सप्प कर दीजिये समय मिलते ही आपको जवाब दिया जायेगा...

सभी सुखी और निरोगी रहे

डॉ मनदीप कौर प्राकृतिक & योग चिकित्सक
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