Ayurvedic treatment and panchkarma therapy

Ayurvedic treatment and panchkarma therapy Ayurveda "life of science"

07/08/2022
स्वर्ण प्राशन संस्कार शिविर
24/03/2021

स्वर्ण प्राशन संस्कार शिविर

सुवर्णप्राशन संस्कार शिविर
24/03/2021

सुवर्णप्राशन संस्कार शिविर

नेत्र तर्पण-           नेत्र यानि आँखें हमारी सुंदरता के साथ प्रकृति प्रदत्त ज्ञानेंद्रिय भी है जिसका स्वस्थ रहना नितांत...
24/01/2021

नेत्र तर्पण-
नेत्र यानि आँखें हमारी सुंदरता के साथ प्रकृति प्रदत्त ज्ञानेंद्रिय भी है जिसका स्वस्थ रहना नितांत आवश्यक है। आयुर्वेद में शरीर के सभी अंगों की व्याधियों के उपचार एवं उन्हें स्वस्थ रखने के लिए प्रक्रियाएं है अतः नेत्र स्वास्थय के लिए की जाने वाली क्रियाओं में से एक नेत्र तर्पण है । इसमें नेत्र के चारों तरफ घेरा बनाकर औषध सिद्ध घृत डाला जाता है।

लाभ-
इसके उपयोग दूर दृष्टि दोष ,निकट दृष्टि दोष दोनों कम होते है चश्मे का नंबर कम होता है

लगातार कंप्यूटर या लिखने पढ़ने या टी.वी. देखने से आँखों में सुखापन आ जाता उस सूखेपन को ये ठीक करता है।

आँखों के सामान्य स्वास्थ्य को बनाये रखता है साथ ही नेत्र ज्योति भी बढ़ाता है
मैं आपको नेत्र के स्वास्थ्य सहित रोगों से रक्षण करने वाली विधि जिसे अक्षितर्पण के नाम से जाना जाता है कि जानकारी देने जा रहा हूँ।

यदि आप निम्न नेत्र की परेशानियों से जूझ रहे हों जैसे:-
‪आँखों‬‬ के सामने अँधेरा छाना (Blurring of vision)
टेढ़ी‬ आँख (Obliquation)
‪अभिष्यंद‬‬ (Conjunctivitis)
‪पलकें‬‬ ठीक से न खुलना (Ptosis)
‪वात‬‬ पर्याय (Inflammation of the eyes)
‪‎दृष्टि‬‬ दोष(Myopia or Hypermetropia)
‪अर्जुन‬‬ (Subconjuctival hemorrhage/Mole/Melanoma)
‪कृच्छउन्मीलन‬‬(Belepherospasm)
‪अधिमंथ‬‬ (Glaucoma) आदि
तो इन सभी स्थितियों में अक्षितर्पण आपके लिये श्रेष्ठतम विकल्प है
# डॉ सुनील बडोनी

03/01/2021

स्वेदन कर्म / Sudation Therapy

आयुर्वेद की पंचकर्म चिकित्सा पद्धति में स्वेदन कर्म का विशिष्ट स्थान है। स्वेदन कर्म पंचकर्म का एक पूर्व कर्म है अर्थात रोगी व्यक्ति का पंचकर्म चिकित्सा पद्धति से इलाज करने से पूर्व कुछ विशिष्ट कर्म किये जाते हैं जैसे – अभ्यंग करना , स्वेदन करना । ये ही पंचकर्म पद्धति में पूर्व कर्म कहलाते हैं।

स्वेदन कर्म

परिभाषाः- वह क्रिया जिसके अन्तर्गत शरीर का स्वेद या पसीना निकाला जाता है तथा जो शरीर की जकड़ाहट, भारीपन, ठण्डापन आदि को दूर करता है। उसे स्वेद या स्वेदन कर्म कहते हैं।

नाड़ी स्वेद

नाड़ी स्वेद में एक यंत्र होता है जो औषधियों के क्वाथ निर्माण और भाप निर्माण में सहायक होता है। इस यंत्र के एक सीरे पर नलिका लगी होती है जिसके माध्यम से भाप बाहर निकलती है। दरःशल यह एक घड़ेनुमा यंत्र होता है जिसके एक मुहाने पर नलिका लगी होती है। इसमें औषध द्रव्यों एवं पानी को डालकर गर्म किया जाता है जब पानी की भाप बनने लगती है तो नलिका के माध्यम से प्रभावित अंग का सेक किया जाता है।

स्वेदन के महत्व / Benefits of Sudation Therapy

1.स्वेदन कर्म करने से शरीर से बहुत से टाॅक्सिन शरीर से बाहर निकल जातें हैं।
2.स्वेदन कर्म करने से शरीर से पसीना निकल जाता है।
3.शरीर की जकड़न दूर होती है और शरीर में लचीलापन बढता है।
4.स्वेदन करने से शरीर का भारीपन भी खत्म होता है।
5.शरीर के अंगो में लचीलापन बढता है।
6.स्वेदन कर्म से त्वचा के सभी विकारों का नाश होता है और त्वचा में निखार आता है।
7.भोजन के प्रति रूची पैदा होती है। जिसके कारण व्यक्ति की भूख बढती है।
8.‘शरीर में शीतलता का नाश होता है।
9.शरीर में व्यापत सभी प्रकार के दोषों का नाश होता है।
10.शरीर में व्यापत वात का संतुलन होता है।
11.शरीर के सभी स्रोतों का शोधन होता है।
12.शरीर’ के सभी जोइंट्स में सक्रियता बढ़ती है।
13.आलस खत्म होता है। #डॉ सुनील बड़ोनी

02/01/2021
Swarnprashan - The Ayurvedic Immunizationसुवर्णप्राशन हि एतत मेधाग्निबलवर्धनम् ।आयुष्यं मंगलमं पुण्यं वृष्यं ग्रहापहम् ॥...
24/12/2020

Swarnprashan - The Ayurvedic Immunization
सुवर्णप्राशन हि एतत मेधाग्निबलवर्धनम् ।
आयुष्यं मंगलमं पुण्यं वृष्यं ग्रहापहम् ॥
मासात् परममेधावी क्याधिभिर्न च धृष्यते ।
षडभिर्मासै: श्रुतधर: सुवर्णप्राशनाद् भवेत् ॥
-Kashyap Samhita
Acharya Kashyapa coined the term Swarnaprashana for administration of gold for immunomodulation as well as Physical, Mental & Intellectual Growth.
👶Medha Agni Bala Vardhanam (improvement of intellect, digestion, metabolism, immunity, and physical strength)
👶Ayushyam (promoting lifespan)
👶Mangalam (auspicious)
👶Punyam (righteous)
👶Vrushyam (aphrodisiac)
👶Varnyam (enhancement of color and complexion)
👶Grahapaham (protection from evil spirits and microorganisms).
👶If administered for 1 month, the baby will become Parama Medhavi (highly intelligent) and Vyadhibhir Na Cha Drusyate (will not be affected by any disease)
👶If administered for 6 months -the baby will become Srutadhara (will be able to remember the things, which are just heard) as mentioned in classics.
Swarprashan creates a competent & healthy children.
Swarn Prashan is generally recommended for children under 16 yrs.
Do not have food 30 minutes before & after Swarnprashan
# dr sunil badoni

23/12/2020

स्वेदन कर्म / Sudation Therapy

आयुर्वेद की पंचकर्म चिकित्सा पद्धति में स्वेदन कर्म का विशिष्ट स्थान है। स्वेदन कर्म पंचकर्म का एक पूर्व कर्म है अर्थात रोगी व्यक्ति का पंचकर्म चिकित्सा पद्धति से इलाज करने से पूर्व कुछ विशिष्ट कर्म किये जाते हैं जैसे – अभ्यंग करना , स्वेदन करना । ये ही पंचकर्म पद्धति में पूर्व कर्म कहलाते हैं।

स्वेदन कर्म

परिभाषाः- वह क्रिया जिसके अन्तर्गत शरीर का स्वेद या पसीना निकाला जाता है तथा जो शरीर की जकड़ाहट, भारीपन, ठण्डापन आदि को दूर करता है। उसे स्वेद या स्वेदन कर्म कहते हैं।

नाड़ी स्वेद

नाड़ी स्वेद में एक यंत्र होता है जो औषधियों के क्वाथ निर्माण और भाप निर्माण में सहायक होता है। इस यंत्र के एक सीरे पर नलिका लगी होती है जिसके माध्यम से भाप बाहर निकलती है। दरःशल यह एक घड़ेनुमा यंत्र होता है जिसके एक मुहाने पर नलिका लगी होती है। इसमें औषध द्रव्यों एवं पानी को डालकर गर्म किया जाता है जब पानी की भाप बनने लगती है तो नलिका के माध्यम से प्रभावित अंग का सेक किया जाता है।

स्वेदन के महत्व / Benefits of Sudation Therapy

1.स्वेदनकर्म करने से शरीर से बहुत से टाॅक्सिन शरीर से बाहर निकल जातें हैं।
2.स्वेदनकर्म करने से शरीर से पसीना निकल जाता है।
3.शरीर की जकड़न दूर होती है और शरीर में लचीलापन बढता है।
4.स्वेदन करने से शरीर का भारीपन भी खत्म होता है।
5.शरीर के अंगो में लचीलापन बढता है।
6.स्वेदन कर्म से त्वचा के सभी विकारों का नाश होता है और त्वचा में निखार आता है।
7.भोजन के प्रति रूची पैदा होती है। जिसके कारण व्यक्ति की भूख बढती है।
8.‘शरीर में शीतलता का नाश होता है।
9.शरीर में व्यापत सभी प्रकार के दोषों का नाश होता है।
10.शरीर में व्यापत वात का संतुलन होता है।
11.शरीर के सभी स्रोतों का शोधन होता है।
12.शरीर’ के सभी जोइंट्स में सक्रियता बढ़ती है।
13.आलस खत्म होता है। #डॉ सुनील बड़ोनी

23/12/2020

स्वेदन कर्म / Sudation Therapy

आयुर्वेद की पंचकर्म चिकित्सा पद्धति में स्वेदन कर्म का विशिष्ट स्थान है। स्वेदन कर्म पंचकर्म का एक पूर्व कर्म है अर्थात रोगी व्यक्ति का पंचकर्म चिकित्सा पद्धति से इलाज करने से पूर्व कुछ विशिष्ट कर्म किये जाते हैं जैसे – अभ्यंग करना , स्वेदन करना । ये ही पंचकर्म पद्धति में पूर्व कर्म कहलाते हैं।

स्वेदन कर्म

परिभाषाः- वह क्रिया जिसके अन्तर्गत शरीर का स्वेद या पसीना निकाला जाता है तथा जो शरीर की जकड़ाहट, भारीपन, ठण्डापन आदि को दूर करता है। उसे स्वेद या स्वेदन कर्म कहते हैं।

नाड़ी स्वेद

नाड़ी स्वेद में एक यंत्र होता है जो औषधियों के क्वाथ निर्माण और भाप निर्माण में सहायक होता है। इस यंत्र के एक सीरे पर नलिका लगी होती है जिसके माध्यम से भाप बाहर निकलती है। दरःशल यह एक घड़ेनुमा यंत्र होता है जिसके एक मुहाने पर नलिका लगी होती है। इसमें औषध द्रव्यों एवं पानी को डालकर गर्म किया जाता है जब पानी की भाप बनने लगती है तो नलिका के माध्यम से प्रभावित अंग का सेक किया जाता है।

स्वेदन के महत्व / Benefits of Sudation Therapy

1.स्वेदनकर्म करने से शरीर से बहुत से टाॅक्सिन शरीर से बाहर निकल जातें हैं।
2.स्वेदनकर्म करने से शरीर से पसीना निकल जाता है।
3.शरीर की जकड़न दूर होती है और शरीर में लचीलापन बढता है।
4.स्वेदन करने से शरीर का भारीपन भी खत्म होता है।
5.शरीर के अंगो में लचीलापन बढता है।
6.स्वेदन कर्म से त्वचा के सभी विकारों का नाश होता है और त्वचा में निखार आता है।
7.भोजन के प्रति रूची पैदा होती है। जिसके कारण व्यक्ति की भूख बढती है।
8.‘शरीर में शीतलता का नाश होता है।
9.शरीर में व्यापत सभी प्रकार के दोषों का नाश होता है।
10.शरीर में व्यापत वात का संतुलन होता है।
11.शरीर के सभी स्रोतों का शोधन होता है।
12.शरीर’ के सभी जोइंट्स में सक्रियता बढ़ती है।
13.आलस खत्म होता है। #डॉ सुनील बड़ोनी

पंचकर्म (कटि वस्ति)-प्रमुख कारण-गलत आदतें कमरदर्द का प्रमुख कारण हैं जैसे - कम्प्यूटर के आगे या ऑफिस में लगातार बैठकर का...
22/12/2020

पंचकर्म (कटि वस्ति)-

प्रमुख कारण-

गलत आदतें कमरदर्द का प्रमुख कारण हैं जैसे - कम्प्यूटर के आगे या ऑफिस में लगातार बैठकर काम करना, उठने-बैठने व चलने का गलत तरीका, हड्डियां कमजोर होना, शारीरिक श्रम न करना या ज्यादा करना और अत्यधिक तनाव जैसे कारणों से मांसपेशियों में खिंचाव आ जाता है व नसों की ताकत कम हो जाती है। जब यह प्रक्रिया लगातार चलती है तो कमर के निचले हिस्से में दर्द व पैर सुन्न हो जाते हैं। कई बार दर्द एड़ी तक चला जाता है और स्थिति बिगड़ जाती है। दवाओं से जब आराम नहीं मिलता तो डॉक्टर ऑपरेशन की सलाह देते हैं। कमरदर्द के अधिकतर मामलों में स्लिप डिसक इसकी वजह बन जाता है। ऐसे में कटि बस्ति थैरेपी फायदेमंद होती है। साथ ही आयुर्वेदिक औषधियों, योग और नियमित व्यायाम के अभ्यास से रोगी को आराम मिलता है।

कटि बस्ति के लाभ-

जड़ी-बूटियों से बने हुए गर्म तेल एवं औषधियों के गुण कमर की मांसपेशियों के सूक्ष्म ऊत्तकों में समा जाते हैं, जिससे कमर की मांसपेशियों की जकडऩ व सूजन दूर होती है। खून का दौरा बढ़ता है, मांसपेशियों, हड्डियों एवं नसों को पोषण मिलने से इनमें मजबूती आती है और तनाव दूर होकर दर्द में राहत मिलती है।

पंचकर्म(कटि वस्ति)-प्रमुख कारण-गलत आदतें कमरदर्द का प्रमुख कारण हैं जैसे - कम्प्यूटर के आगे या ऑफिस में लगातार बैठकर काम...
22/12/2020

पंचकर्म(कटि वस्ति)-

प्रमुख कारण-

गलत आदतें कमरदर्द का प्रमुख कारण हैं जैसे - कम्प्यूटर के आगे या ऑफिस में लगातार बैठकर काम करना, उठने-बैठने व चलने का गलत तरीका, हड्डियां कमजोर होना, शारीरिक श्रम न करना या ज्यादा करना और अत्यधिक तनाव जैसे कारणों से मांसपेशियों में खिंचाव आ जाता है व नसों की ताकत कम हो जाती है। जब यह प्रक्रिया लगातार चलती है तो कमर के निचले हिस्से में दर्द व पैर सुन्न हो जाते हैं। कई बार दर्द एड़ी तक चला जाता है और स्थिति बिगड़ जाती है। दवाओं से जब आराम नहीं मिलता तो डॉक्टर ऑपरेशन की सलाह देते हैं। कमरदर्द के अधिकतर मामलों में स्लिप डिसक इसकी वजह बन जाता है। ऐसे में कटि बस्ति थैरेपी फायदेमंद होती है। साथ ही आयुर्वेदिक औषधियों, योग और नियमित व्यायाम के अभ्यास से रोगी को आराम मिलता है।

कटि बस्ति के लाभ-

जड़ी-बूटियों से बने हुए गर्म तेल एवं औषधियों के गुण कमर की मांसपेशियों के सूक्ष्म ऊत्तकों में समा जाते हैं, जिससे कमर की मांसपेशियों की जकडऩ व सूजन दूर होती है। खून का दौरा बढ़ता है, मांसपेशियों, हड्डियों एवं नसों को पोषण मिलने से इनमें मजबूती आती है और तनाव दूर होकर दर्द में राहत मिलती है।

स्वर्ण प्राशन संस्कार
21/12/2020

स्वर्ण प्राशन संस्कार

Address

Shyampur
Rishikesh
249204

Opening Hours

Monday 9am - 8pm
Tuesday 9am - 8pm
Wednesday 9am - 8pm
Thursday 9am - 8pm
Friday 9am - 8pm
Saturday 9am - 8pm
Sunday 5am - 9pm

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