Ved ganga & astrology

Ved ganga & astrology I self kanta Prasad Gaur. I am from yoga city at rishikesh. I have good experience in yoga therapy massage therapist. & astrology 10 year.

कुंडली मे कारक अकारक ग्रह जो कुंडली  आंकलन करने में सहायता प्राप्त करते है.:-कुण्डली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम और दशम भाव...
13/09/2024

कुंडली मे कारक अकारक ग्रह जो कुंडली आंकलन करने में सहायता प्राप्त करते है.:-
कुण्डली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम और दशम भावों के अतिरिक्त कहीं भी उच्च राशि, स्वराशि, मूलत्रिकोण राशि, मित्रक्षेत्री राशि ग्रह हों या इन्हीं नवांशों में स्थित हों तो वह कारक माने जाते हैं.
जन्म कुण्डली में प्रथम,चतुर्थ, सप्तम और दसम भावों में ग्रह स्वराशि, मूलत्रिकोण या उच्चस्थ हो तो उन्हें परस्पर कारक ग्रह माना जाता है
इन परस्पर कारक ग्रहों से तात्पर्य होता है कि एक दूसरे के लिए यह अनुकूल होकर ग्रहों के फलों में शुभता देने वाले बनते हैं., तथा जातक को शुभता एवं जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा भी प्राप्त होती है.
कारक ग्रहों के मजबूत व बली होने पर जातक को हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है. कारक ग्रहों के उच्चता पूर्ण होने से व्यक्ति अग्रीण स्थिति को पाता है. यदि जातक साधारण घर में भी जन्मा हो परंतु उसके ग्रहों में बलता है तो वह उच्च स्थिति को अवश्य पा लेगा.
योगकारक: प्रत्येक ग्रह केंद्र (1, 4, 7, 10 भाव) का स्वामी होकर निष्फल होता है, परंतु त्रिकोण (1,5,9 भाव) का स्वामी सदैव शुभ फल देता है।
एक ही ग्रह केंद्र और त्रिकोण का एक साथ स्वामी होने पर ‘योगकारक’ (अति शुभ फलदायी) बन जाता है। जैसे सिंह राशि के लिए मंगल, और तुला लग्न के लिए शनि ग्रह।
प्रथम भाव- सूर्य, द्वितीय भाव-बृहस्पति, तृतीय भाव- मंगल, चतुर्थ भाव - चंद्रमा व बुध, पंचम भाव- बृहस्पति, षष्ठ भाव- मंगल व शनि, सप्तम भाव - शुक्र, अष्टम भाव- शनि, नवम भाव - बृहस्पति व सूर्य, दशम भाव- सूर्य, बुध, बृहस्पति व शनि, एकादश भाव- बृहस्पति और द्वादश भाव- शनि।
कुंडली मे अकारक ग्रहः- दशा में जीवन में अनेक उतार-चढाव उत्पन्न होते हैं.
चिंता बढ़ाते हैं, पीड़ा पहुंचते हैं, कष्टों में वृद्धिकारक होते हैं ।
घर में कलह रहता है ।
राज्य, प्रशासन से भय बना रहता है ।
मानसिक परेशानी बढ़ती है
ऋण के कारण परेशानी होती है ।
स्थान परिवर्तन होता है ।
पत्नी को कष्ट होता है ।
मान हानि होती है, प्रतिष्ठा में कमी आती है ।
कुंडली विश्लेषण के लिए अवश्य सम्पर्क करे।
सम्पर्क सूत्र :- +918534850610

पुखराज रत्न किसे पहनना चाहिए - 1. हर एक रत्न एक गृह से जुड़ा हुआ होता है, पुखराज के ऊपर बृहस्पति गृह का राज है, इसलिए जिन...
13/02/2024

पुखराज रत्न किसे पहनना चाहिए -

1. हर एक रत्न एक गृह से जुड़ा हुआ होता है, पुखराज के ऊपर बृहस्पति गृह का राज है, इसलिए जिन लोगों की कुंडली में बृहस्पति कमजोर होता है वे इस रत्न को धारण करेंगे तो उनके जीवन में इस ग्रह से होने वाले दुषप्रभाव दूर हो जायेंगे।

2. धनु, वृश्चिक और मीन राशि वालों के लिए पुखराज रत्न को शुभ माना जाता है, उन्हें यह अवश्य पहनना चाहिए।

3. मेष राशि वालों के लिए यह रत्न 9 वे घर का सदसय है। इसे मूंगा के साथ पहनने से यह फायदा देता है।

4. वृषभ राशि वालो को यह रत्न तभी पहनना चाहिए जब बृहस्पति 1, 2, 4, 5, 9वें भाव में स्थित हो।

5. यदि आपकी राशि कर्क है तो बृहस्पति तभी पहने जब वह छठे और नौवें घर का स्वामी हो, मोती के साथ पहनने पर पुखराज का बेहतर परिणाम मिल सकता है ।

6. सिंह राशि वालों के लिए पुखराज योग कारक है, इसलिए आप विशेष रूप से बृहस्पति की महादशा में माणिक्य के संयोजन के साथ इस रत्न को धारण करे।

7. कन्या राशि वालो को इस रत्न के वजन को ध्यान में रखकर इसे पहनना चाहिए तभी इसका लाभ होगा।

पुखराज रत्न धारण करने की विधि -

1. पुखराज से लाभकारी प्रभाव प्राप्त करने हेतु आवश्यक है की इसे धारण करते समय आप कुछ नियमो का पालन करे।

2. इस रत्न के सकारात्मक प्रभाव प्राप्त करने हेतु पुखराज को सोने के धातु में अंकरित कराकर तर्जनी ऊँगली में पहने।

3. बृहस्पतिवार यानि गुरूवार का दिन पुखराज रत्न को धारण करने के लिए सबसे शुभ दिन है, इसलिए कोशिश करे की इसे इसी दिन सूर्योदय के बाद और सुबह 10 बजे से पहले नाह धो के पहने।

4. रत्न धारण करने से पहले इसकी पूजा जरूर करे। पूजा करने हेतु, अपने पुखराज रत्न को गंगाजल और दूध से धोकर पवित्र कर लें, फिर देव गुरु बृहस्पति की पूजा विधिपूर्वक करने हेतु “ॐ बृं बृहस्पतये नम:“ मंत्र का जाप 108 बार करें, आखिरी बार मंत्र का जाप करते वक़्त रत्न को धारण करले।

5. अपने रत्न को इस तरह धारण करे की इसका एक हिस्सा आपकी त्वचा से हमेसा अड़ा रहे।

6. एक बार पहनने के बाद पुखराज को दुबारा न उतारे, यदि आपको किसी कारण वस् इसे उतारना पड़ जाये तो इसे वापिस पहनने से पहले इसकी पूर्ण पूजा प्रठिस्ता दुबारा करे।

7. पुखराज एक अलौकिक रत्न है इसलिए इसकी नैतिकता बनाये रखने हेतु अपने कर्मो पर ध्यान दे, नशा और मांस आदि जैसी चीजों का सेवन भूलकर भी न करें, खासकर बुधवार और गुरुवार के दिन।
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वैदिक ज्योतिष के अनुसार जानिए कुंडली के कौन से योग बनाते हैं कर्जदार वर्तमान समय में मनुष्य अनेक परेशानियों से जूझ रहा ह...
12/01/2024

वैदिक ज्योतिष के अनुसार जानिए कुंडली के कौन से योग बनाते हैं कर्जदार
वर्तमान समय में मनुष्य अनेक परेशानियों से जूझ रहा है और उन्ही में से एक है कर्ज, आम बोलचाल की भाषा में कर्ज को मर्ज कहा जाता है। एक बार व्यक्ति कर्ज में डूबा तो वो फिर उसमें डूबता ही चला जाता है।ज्योतिष में ऐसे अनेक सूत्र हैं जिनके माध्यम से व्यक्ति की जन्मकुंडली में कर्ज का पता चलता है। इस लेख में हम उन्ही कुछ सूत्रों के बारे में चर्चा करेंगे। ज्योतिष में दूसरे भाव में धन का, ग्यारहवें भाव से लाभ का और छठे भाव से कर्ज का पता चलता है।
दूसरे भाव और लाभ भाव का अगर आपस में परिवर्तन हो यानी धन का स्वामी लाभ में और लाभ का स्वामी धन में बैठा हो तो ये लक्ष्मी योग बनता है। ऐसा व्यक्ति धनवान होता है लेकिन अगर छठे भाव की स्थिति कमजोर हुई तो उसे नौकरी, कर्ज संबंधी समस्या रहती है।
1 - अगर किसी कुंडली में नीच का पाप ग्रह छठे भाव में हो और लग्नेश दुर्बल हो तो ऐसा व्यक्ति कर्ज का शिकार होता है। अगर मारकेश छठे भाव में सम्बन्ध बना रहा तो तो मुमकिन है कि बीमारी के लिए जातक कर्ज ले। यहां यह समझना बेहद जरूरी है कि सूत्र में पाप ग्रह नीच राशि में ही होना चाहिए। छठे भाव में सूर्य, मंगल और राहु जैसे ग्रह शुभ फल कारक माने गए है। ये व्यक्ति के शत्रु का नाश करते है लेकिन अगर ग्रह नीच है और पीड़ित है तो वो व्यक्ति को शुभ फल नहीं देता है।
2 - छठे भाव में ग्रहण योग हो और धन, लाभ के स्वामी पीड़ित हो तो भी जातक कर्ज में जाता है। दरअसल राहु-सूर्य, सूर्य-मंगल, सूर्य-केतु जैसे पाप ग्रह अगर छठे भाव में युति करे तो वो उस भाव के शुभ फल में कमी करते है। उस स्थिति में ये आवश्यक हो जाता है कि धन और लाभ के स्वामी बलवान हो लेकिन अगर ऐसा नहीं है तो जातक उन ग्रहों की दशा में अवश्य ही कर्जदार होगा।
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3- छठे भाव का स्वामी खुद कमजोर हो और छठे भाव में शनि राहु, शनि मंगल या शनि केतु की युति हो तो भी यह योग बनता है। दरअसल छठे भाव को उपचय भाव यानी वृद्धि का भाव कहा गया है। अगर छठे भाव का स्वामी नीच होकर केंद्र में जाए तो भाव के शुभ फल में कमी हो। वहीं शनि मंगल या शनि राहु की युति इस भाव में मनुष्य के शत्रु द्वारा धन का नाश करवाती है। शनि मंगल की युति छठे भाव में कभी भी व्यक्ति को सफल नहीं होने देती।
4- गुरु अगर धन का स्वामी होकर राहु के साथ छठे भाव में हो और लग्नेश कमजोर हो तो भी व्यक्ति पीड़ित होता है। दरअसल गुरु जीव कारक ग्रह है और राहु के साथ युति होने पर वो गुरु चांडाल योग का निर्माण करता है। यह युति जिस भाव में होती है उसी भाव के शुभ फल में कमी आ जाती है। राहु छल का कारक है और छठा भाव शत्रु का, अगर गुरु धन का स्वामी होकर छठे में बैठे और राहु भी वही हो तो ऐसे व्यक्ति का धन छल कपट से लूट लिया जाता है और वो कर्ज में डूबता है।
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सम्पर्क - 85348 50610
परामर्श शुल्क- 501-/

गंगा, एक नदी ही नहीं, भारतीय संस्‍कृति की एक गौरवशाली सरिता है। जिसका जिक्र ऋग्‍वेद से  मिल जाता है। राजा भागीरथ के तप क...
01/12/2023

गंगा, एक नदी ही नहीं, भारतीय संस्‍कृति की एक गौरवशाली सरिता है। जिसका जिक्र ऋग्‍वेद से मिल जाता है। राजा भागीरथ के तप के प्रभाव यह अलकनंदा से भगीरथी होकर भारत के कलिकलुष को धोती हई समुद्रगामी हुई। गंगा दशहरा या गंगादशमी का पर्व 10वीं सदी पूर्व से ही मनाया जाता रहा है। भोजराज ने ‘राजमार्तण्‍ड’ में दशपापों के निवारण के पर्व के रूप में इस दिवस का स्‍मरण किया है। सर्वप्रथम मनु ने अपनी स्‍मृति में किया है, जिनको यथारूप ‘स्‍कंदपुराणकार’ सहित अन्‍य पुराण, उपपुराणकारों ने भी उद्धृत किया है। अनेक रूपों और अनेक भावों में यह नदी रूप देवालय के दर्शनार्थियों को अपनी उपस्थिति से पापमुक्ति, कलुषहारिणी का संकेत देती है। एक ओर यमुना, दूसरी ओर गंगा। इन का समन्‍वय पश्चिम और पूर्वी संस्‍कृतियों का संगम भी माना जाता है। इसलिए भारत की संस्‍कृति को गंगा-जमनी भी कहा जाता है।

30/11/2023
01/09/2023
06/04/2023

आप सभी मित्रो को श्री राम भक्त हनुमान जी की "जन्मोत्सव" की बहुत बहुत
शुभकामनाए ।🌺...........................
ज्योतिषीयों के सटीक गणना के अनुसार हनुमान जी का जन्म 58 हजार 112 वर्ष पहले तथा लोकमान्यता के अनुसार त्रेतायुग के अंतिम चरण में चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न के योग में सुबह 6.03 बजे भारत देश में आज के झारखंड राज्य के गुमला जिले के आंजन गाँव मे हुआ था।
🌺🌺🌺🌺🌺🙏🏻

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