Bhatt astro and pooja path

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आचार्य जयदीप जी
जय श्री रुद्रेश🙏 नमस्ते दोस्तो आज एक नई शुरूवात के साथ जो कई विगत ५ वर्ष पूर्व ऑफलाइन माध्यम से कर रहा था आप से जुडने के लिए आज इस पेज को बना रहा हू ताकी आप भी इस पेज के माध्यम से मुझ तक जुडे ओर अपनी जीवन की समस्या को दूर कर सकते है।

जैसे - विवाह की समस्याएं, संपत्ति, स्वास्थ्य के मुद्दे, कानूनी मामले, विदेश यात्रा, मंगनी, शिक्षा, करियर आदी।

आपको यदी कोई भी पूजा पाठ जैसे-सत्यानारायण कथा नवरात्री पाठ जाप हवन इत्यादी कोई भी धार्मिक कार्य हेतु आप संम्पर्क कर सकते है

अतः पूजा संम्बन्धित कोईं भी प्रश्न
जैसे- सूतक प्रारम्भ विचार गण मूल दोष इत्यादि ज्योतिष सम्बन्धित प्रश्न भी आप ग्रुप मे चर्चा कर सकते हे।
हर हर महादेव 🙏😊

⚜️ श्रीगरुड़ पुराण (सारोद्धार) ⚜️ अध्याय–04 ⚜️इस अध्याय में:- (नरक प्रदान कराने वाले पापकर्म)          गरुड़ जी ने कहा–‘ह...
13/09/2025

⚜️ श्रीगरुड़ पुराण (सारोद्धार) ⚜️ अध्याय–04 ⚜️
इस अध्याय में:- (नरक प्रदान कराने वाले पापकर्म)
गरुड़ जी ने कहा–‘हे केशव ! किन पापों के कारण पापी मनुष्य यमलोक के महामार्ग में जाते हैं और किन पापों से वैतरणी में गिरते हैं तथा किन पापों के कारण नरक में जाते हैं? वह मुझे बताइए।’
श्रीभगवान बोले–‘सदा पापकर्मों में लगे हुए, शुभ कर्म से विमुख प्राणी एक नरक से दूसरे नरक को, एक दु:ख के बाद दूसरे दु:ख को तथा एक भय के बाद दूसरे भय को प्राप्त होते हैं। धार्मिक जन धर्मराजपुर में तीन दिशाओं में स्थित द्वारों से जाते हैं और पापी पुरुष दक्षिण-द्वार के मार्ग से ही वहाँ जाते हैं।
इसी महादु:खदायी दक्षिण मार्ग में वैतरणी नदी है, उसमें जो पापी पुरुष जाते हैं, उन्हें मैं तुम्हें बताता हूँ, 'जो ब्राह्मणों की हत्या करने वाले, सुरापान करने वाले, गोघाती, बाल हत्यारे, स्त्री की हत्या करने वाले, गर्भपात करने वाले और गुप्तरूप से पाप करने वाले हैं, जो गुरु के धन को हरण करने वाले, देवता अथवा ब्राह्मण का धन हरण करने वाले, स्त्रीद्रव्यहारी, बालद्रव्यहारी हैं, जो ऋण लेकर उसे न लौटानेवाले, धरोहर का अपहरण करने वाले, विश्वासघात करने वाले, विषान्न देकर मार डालने वाले, दूसरे के दोष को ग्रहण करने वाले, गुणों की प्रशंसा ना करने वाले, गुणवानों के साथ डाह रखने वाले, नीचों के साथ अनुराग रखने वाले, मूढ़, सत्संगति से दूर रहने वाले हैं, जो तीर्थों, सज्जनों, सत्कर्मों, गुरुजनों और देवताओं की निन्दा करने वाले हैं, पुराण, वेद, मीमांसा, न्याय और वेदान्त को दूषित करने वाले हैं।
दु:खी व्यक्ति को देखकर प्रसन्न होने वाले, प्रसन्न को दु:ख देने वाले, दुर्वचन बोलने वाले तथा सदा दूषित चित्तवृत्ति वाले हैं। जो हितकर वाक्य और शास्त्रीय वचनों को कभी न सुनने वाले, अपने को सर्वश्रेष्ठ समझने वाले, घमण्डी, मूर्ख होते हुए अपने को विद्वान समझने वाले हैं, 'ये तथा अन्य बहुत पापों का अर्जन करने वाले अधर्मी जीव रात-दिन रोते हुए यममार्ग में जाते हैं। यमदूतों के द्वारा पीटे जाते हुए वे पापी वैतरणी की ओर जाते हैं और उसमें गिरते हैं, ऎसे उन पापियों के विषय में मैं तुम्हें बताता हूँ:-
जो माता, पिता, गुरु, आचार्य तथा पूज्यजनों को अपमानित करते हैं, वे मनुष्य वैतरणी में डूबते हैं। जो पुरुष पतिव्रता, सच्चरित्र, उत्तम कुल में उत्पन्न, विनय से युक्त स्त्री को द्वेष के कारण छोड़ देते हैं, वे वैतरणी में पड़ते हैं। जो हजारों गुणों के होने पर भी सत्पुरुषों में दोष का आरोपण करते हैं और उनकी अवहेलना करते हैं, वे वैतरणी में पड़ते हैं।
वचन दे करके जो ब्राह्मण को यथार्थ रूप में दान नहीं देता है और बुला करके जो व्यक्ति “नहीं है” ऎसा कहता है, वे दोनों सदा वैतरणी में निवास करते हैं। स्वयं दी हुई वस्तु का जो अपहरण कर लेता है, दान देकर पश्चात्ताप करता है, जो दूसरे की आजीविका का हरण कर लेता है, दान देने से रोकता है, यज्ञ का विध्वंस करता है, कथा-भंग करता है, क्षेत्र की सीमा का हरण कर लेता है और गोचर भूमि को जोतता है, वह वैतरणी में पड़ता है।
ब्राह्मण होकर रसविक्रय करने वाला, वृषली का पति (शूद्र स्त्री का ब्राह्मण पति), वेद प्रतिपादित यज्ञ के अतिरिक्त अपने लिए पशुओं की हत्या करने वाला, ब्रह्मकर्म से च्युत, मांसभोजी, मद्य पीने वाला, उच्छृंखल स्वभाव वाला, शास्त्र अध्ययन से रहित (ब्राह्मण), वेद पढ़ने वाला शूद्र, कपिला का दूध पीने वाला शूद्र, यज्ञोपवीत धारण करने वाला शूद्र, ब्राह्मणी का पति बनने वाला शूद्र, राजमहिषी के साथ व्यभिचार करने वाला, परायी स्त्री का अपहरण करने वाला, कन्या के साथ कामाचार की इच्छा रखने वाला तथा जो सतीत्व नष्ट करने वाला है।
ये सभी तथा इसी प्रकार और भी बहुत निषिद्धाचरण करने में उत्सुक तथा शास्त्रविहित कर्मों को त्याग वाले वे मूढ़जन वैतरणी में गिरते हैं। सभी मार्गों को पार करके पापी यम के भवन में पहुँचते हैं और पुन: यम की आज्ञा से आकर दूत लोग उन्हें वैतरणी में फेंक देते हैं। 'हे खगराज! यह वैतरणी नदी कष्ट प्रदान करने वाले सभी प्रमुख नरकों में सर्वाधिक कष्टप्रद है। इसलिए यमदूत पापियों को उस वैतरणी में फेंकते हैं।
जिसने अपने जीवनकाल में कृष्णा (काली) गाय का दान नहीं किया अथवा मृत्यु के पश्चात जिसके उद्देश्य से बान्धवों द्वारा कृष्णा गौ नहीं दी गई तथा जिसने अपनी और्ध्वदैहिक क्रिया नहीं कर ली या जिसके उद्देश्य से और्ध्वदैहिक क्रिया नहीं की गई हो, वे वैतरणी में महान दु:ख भोग करके वैतरणी तटस्थित शाल्मली-वृक्ष में जाते हैं। जो झूठी गवाही देने वाले, धर्म पालन का ढोंग करने वाले, छल से धन का अर्जन करने वाले, चोरी द्वारा आजीविका चलाने वाले, अत्यधिक वृक्षों को काटने वाले, वन और वाटिका को नष्ट करने वाले, व्रत तथा तीर्थ का परित्याग करने वाले, विधवा के शील को नष्ट करने वाले हैं।
जो स्त्री अपने पति को दोष लगाकर परपुरुष में आसक्त होने वाली है, 'ये सभी और इस प्रकार के अन्य पापी भी शाल्मली वृक्ष द्वारा बहुत ताड़ना प्राप्त करते हैं। पीटने से नीचे गिरे हुए उन पापियों को यमदूत नरकों में फेंकते हैं। उन नरकों में जो पापी गिरते हैं, उनके विषय में मैं तुम्हें बतलाता हूँ, 'वेद की निन्दा करने वाले नास्तिक, मर्यादा का उल्लंघन करने वाले, कंजूस, विषयों में डूबे रहने वाले, दम्भी तथा कृतघ्न मनुष्य निश्चय ही नरकों में गिरते हैं। जो कुंआ, तालाब, बावली, देवालय तथा सार्वजनिक स्थान, धर्मशाला आदि, 'को नष्ट करते हैं, वे निश्चय ही नरक में जाते हैं।
स्त्रियों, छोटे बच्चों, नौकरों तथा श्रेष्ठजनों को छोड़कर एवं पितरों और देवताओं की पूजा का परित्याग करके जो भोजन करते हैं, वे नरकगामी होते हैं। जो मार्ग को कीलों से, पुलों से, लकड़ियों से तथा पत्थरों एवं काँटों से रोकते हैं, निश्चय ही वे नरकगामी होते हैं।
जो मन्द पुरुष भगवान शिव, भगवती शक्ति, नारायण, सूर्य, गणेश, सद्गुरु और विद्वान, 'इनकी पूजा नहीं करते, वे नरक में जाते हैं। दासी को अपनी शय्या पर आरोपित करने से ब्राह्मण अधोगति को प्राप्त होता है और शूद्रा में संतान उत्पन्न करने से वह ब्राह्मणत्व से ही च्युत हो जाता है। वह ब्राह्मण कभी भी नमस्कार के योग्य नहीं होता। जो मूर्ख ऎसे ब्राह्मण की पूजा करते हैं, वे नरकगामी होते हैं। दूसरों के कलह से प्रसन्न होने वाले जो मनुष्य ब्राह्मणों के कलह तथा गौओं की लड़ाई को नहीं रुकवाते हैं (प्रत्युत ऎसा देखकर प्रसन्न होते हैं) अथवा उसका समर्थन करते हैं, बढ़ावा देते हैं, वे अवश्य ही नरक में जाते हैं।
जिसका कोई दूसरा शरण नहीं है, ऎसी पतिपरायणा स्त्री के ऋतुकाल की द्वेषवश उपेक्षा करने वाले निश्चित ही नरकगामी होते हैं। जो कामान्ध पुरुष रजस्वला स्त्री से गमन करते हैं अथवा पर्व के दिनों (अमावस्या, पूर्णिमा आदि) में, जल में, दिन में तथा श्राद्ध के दिन कामुक होकर स्त्रीसंग करते हैं, वे नरकगामी होते हैं।
जो अपने शरीर के मल को आग, जल, उपवन, मार्ग अथवा गोशाला में फेंकते हैं, वे निश्चित ही नरक में जाते हैं। जो हथियार बनाने वाले, बाण और धनुष का निर्माण करने वाले तथा इनका विक्रय करने वाले हैं, वे नरकगामी होते हैं। चमड़ा बेचने वाले वैश्य, केश (योनि) का विक्रय करने वाली स्त्रियाँ तथा विष का विक्रय करने वाले, 'ये सभी नरक में जाते हैं।
जो अनाथ के ऊपर कृपा नहीं करते हैं, सत्पुरुषों से द्वेष करते हैं और निरपराध को दण्ड देते हैं, वे नरकगामी होते हैं। आशा लगाकर घर पर आये हुए ब्राह्मणों और याचकों को पाकसम्पन्न रहने पर भी जो भोजन नहीं कराते, वे निश्चय ही नरक प्राप्त करने वाले होते हैं। जो सभी प्राणियों में विश्वास नहीं करते और उन पर दया नहीं करते तथा जो सभी प्राणियों के प्रति कुटिलता का व्यवहार करते हैं, वे निश्चय ही नरकगामी होते हैं। जो अजितेन्द्रिय पुरुष नियमों को स्वीकार कर के बाद में उन्हें त्याग देते हैं, वे नरकगामी होते हैं।
जो अध्यात्म विद्या प्रदान करने वाले गुरु को नहीं मानते और जो पुराणवक्ता को नहीं मानते, वे नरक में जाते हैं। विवाह को भंग करने वाला, देव यात्रा में विघ्न करने वाला तथा तीर्थयात्रियों को लूटने वाला घोर नरक में वास करता है और वहाँ से उसका पुनरावर्तन नहीं होता।
जो महापापी घर, गाँव तथा जंगल में आग लगाता है, यमदूत उसे ले जाकर अग्निकुण्डों में पकाते हैं। इस अग्नि में जले हुए अंगवाला वह पापी जब छाया की याचना करता है तो यमदूत उसे असिपत्र नामक वन में ले जाते हैं। जहाँ तलवार के समान तीक्ष्ण पत्तों से उसके अंग जब कट जाते हैं तब यमदूत उससे कहते हैं–‘रे पापी! शीतल छाया में सुख की नींद सो।’
जब वह प्यास से व्याकुल होकर जल पीने की इच्छा से पानी माँगता है तो दूतों के द्वारा उसे खौलता हुआ तेल पीने के लिये दिया जाता है। “पानी पीयो और अन्न खाओ”, 'ऐसा उस समय उनके द्वारा कहा जाता है। उस अति उष्ण तेल के पीते ही उनकी आँतें जल जाती हैं और वे गिर पड़ते हैं। किसी प्रकार पुन: उठकर अत्यन्त दीन की भाँति प्रलाप करते हैं। विवश होकर ऊर्ध्व श्वास लेते हुए वे कुछ कहने में भी समर्थ नहीं होते।
'हे तार्क्ष्य! इस प्रकार की पापियों की बहुत सी यातनाएँ बतायी गई हैं। विस्तारपूर्वक इन्हें कहने की क्या आवश्यकता? इनके संबंध में सभी शास्त्रों में कहा गया है। इस प्रकार हजारों नर-नारी नारकीय यातना को भोगते हुए प्रलयपर्यन्त घोर नरकों में पकते रहते हैं। उस पाप का अक्षय फल भोगकर पुन: वहीं पैदा होते हैं और यम की आज्ञा से पृथ्वी पर आकर स्थावर आदि योनियों को प्राप्त करते हैं।
वृक्ष, गुल्म, लता, वल्ली, गिरि (पर्वत) तथा तृण आदि ये स्थावर योनियाँ कही गई हैं, ये अत्यन्त मोह से आवृत हैं। कीट, पशु-पक्षी, जलचर तथा देव, 'इन योनियों को मिलाकर चौरासी लाख योनियाँ कही गई हैं।
इन सभी योनियों में घूमते हुए जब जीव मनुष्य योनि प्राप्त करते हैं और मनुष्य योनि में भी नरक से आये व्यक्ति चाण्डाल के घर जन्म लेते हैं तथा उसमें भी कुष्ठ आदि पाप चिह्नों से वे बहुत दु:खी रहते हैं। किसी को गलित कुष्ठ हो जाता है, कोई जन्म से अन्धे होते हैं और कोई महारोग से व्यथित होते हैं। इस प्रकार पुरुष और स्त्री में पाप के चिह्न दिखाई पड़ते हैं।
(इस प्रकार गरुड़पुराण के अन्तर्गत सारोद्धार में ‘नरक प्रदान करने वाले पाप कर्म' नामक चौथा अध्याय पूर्ण हुआ)
० ० ०

॥जय जय श्री हरिः॥
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ज्योतिष शास्त्र में देवताओं के गुरु बृहस्पति को महत्वपूर्ण ग्रहों में से एक माना जाता है। वह करीब एक साल में राशि परिवर्...
07/09/2025

ज्योतिष शास्त्र में देवताओं के गुरु बृहस्पति को महत्वपूर्ण ग्रहों में से एक माना जाता है। वह करीब एक साल में राशि परिवर्तन करते हैं। बता दें इस समय गुरु बृहस्पति मिथुन राशि में विराजमान है। ऐसे में किसी न किसी ग्रह के साथ संयोग करके शुभ-अशुभ राजयोगों का निर्माण करते रहते हैं। ऐसे ही गुरु जल्द ही मंगल के साथ संयोग करके नवपंचम राजयोग का निर्माण करने वाले हैं। गुरु-मंगल के नवपंचम राजयोग का निर्माण करने से इन तीन राशियों को विशेष लाभ मिल सकता है। आइए जानते हैं नवपंचम राजयोग बनने से किन राशियों को मिलेगा लाभ…
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहों के सेनापति मंगल 13 सितंबर को कन्या राशि से निकलकर शुक्र की राशि तुला राशि में प्रवेश करने वाले हैं। वहीं दूसरी ओर गुरु बृहस्पति मिथुन राशि में विराजमान है। मंगल मिथुन राशि में पांचवें और गुरु तुला राशि में नवम भाव में विराजमान होंगे, जिससे नवपंचम राजयोग का निर्माण हो रहा है।

सिंह राशि (Leo Zodiac)
इस राशि के जातकों के लिए गुरु-मंगल का नवपंचम राजयोग इस राशि के जातकों के लिए अनुकूल हो सकता है। इस राशि के जातकों को खूब लाभ मिल सकता है। लंबी यात्राएं कर रही हैं। इससे आपको अच्छा खासा लाभ मिल सकता है। करियर के क्षेत्र में काफी लाभ मिल सकता है। नौकरी बदलने के कई अवसर मिल सकते हैं। इसके साथ ही वेतन वृद्धि और तरक्की के भी योग बन रहे हैं। व्यापार के क्षेत्र में भी काफी मुनाफा मिल सकता है। आप अपने प्रतिस्पर्धियों को कड़ी टक्कर देते हुए नजर आ सकते हैं। आर्थिक स्थिति भी अच्छी रहने वाली है। धन कमाने के कई मौके मिल सकते हैं। इसके साथ ही भविष्य के लिए बचत कर पाने में सफल होंगे। लव लाइफ अच्छी जाने वाली है। इसके अलावा पार्टनर के साथ आपके रिश्ते बेहतर हो सकते हैं।
मीन राशि (Pisces Zodiac)
मीन राशि के जातकों के लिए नवपंचम योग अत्यंत लाभकारी साबित हो सकता है। इस दौरान सुख-सुविधाओं में तेजी से वृद्धि हो सकती है और घर-परिवार का पूरा सहयोग प्राप्त होगा। करियर के क्षेत्र की बाद करें, तो अगर आप किसी दबाव का सामना कर रहे हैं, तो उससे राहत मिल सकती है। व्यापार में अपने प्रतिस्पर्धियों को पीछे छोड़ते हुए शानदार प्रदर्शन करेंगे। जीवन में शांति और संतुलन का अनुभव होगा। साथ ही, पार्टनर के साथ चल रही परेशानियां अब समाप्त होकर रिश्तों में मधुरता बढ़ेगी।

Rudrabhishek poojan jay
03/09/2025

Rudrabhishek poojan jay

23/08/2025

गुरु नीचस्थ दोष क्या है?

ज्योतिष में गुरु (बृहस्पति) को ज्ञान, धर्म, संतान, पति-पत्नी में सामंजस्य, भाग्य और धन का कारक माना गया है।
लेकिन जब गुरु मकर राशि (Capricorn) में आता है, तो इसे नीचस्थ गुरु कहा जाता है। यह स्थिति जातक के जीवन में कई प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न करती है, जिन्हें गुरु नीचस्थ दोष कहा जाता है।
🚩 गुरु नीचस्थ दोष के प्रभाव

1. धन और भाग्य पर असर

जातक को जीवन में धन-संपत्ति स्थायी रूप से नहीं मिलती।

भाग्य साथ नहीं देता और मेहनत का पूरा फल नहीं मिलता।

2. शिक्षा और ज्ञान में कमी

पढ़ाई में बाधाएँ, एकाग्रता की कमी,

गलत मार्गदर्शन, बार-बार असफलता।

3. विवाह और दांपत्य जीवन

गुरु यदि नीचस्थ हो और साथ में सप्तम भाव या शुक्र भी प्रभावित हो,
तो विवाह में विलंब, दांपत्य कलह या असंतोष देता है।

4. संतान संबंधी कष्ट

संतान प्राप्ति में विलंब या चिंता।

कभी-कभी संतान के स्वास्थ्य और भविष्य को लेकर परेशानियाँ।

5. धार्मिक और सामाजिक जीवन

नीचस्थ गुरु के कारण व्यक्ति को गलत संगति मिल सकती है।

समाज में प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचता है।

🌟 नीचभंग राजयोग की संभावना

यदि नीचस्थ गुरु मकर राशि में होते हुए भी

चंद्रमा, मंगल या शनि की स्थिति से नीचभंग राजयोग बने,

या गुरु को शुभ दृष्टि मिले,
तो यह दोष नष्ट होकर जातक को शुभफल भी दे सकता है।

✅ उपाय (गुरु नीचस्थ दोष शांति के लिए)

1. गुरुवार का व्रत करें और पीली वस्तुएँ (चने की दाल, हल्दी, पीला वस्त्र) दान करें।

2. ॐ बृं बृहस्पतये नमः मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जप करें।

3. धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करें और सत्संग में जाएँ।

4. योग्य ज्योतिषी से परामर्श लेकर पुखराज (पीला पुखराज रत्न) धारण कर सकते हैं।

5. गुरु की कृपा हेतु गाय या ब्राह्मण को भोजन कराना अत्यंत शुभ है।





कोई भी सनसय जन्माष्टमी 15 को ही मनाई जाएगीराधे कृष्णा
13/08/2025

कोई भी सनसय जन्माष्टमी 15 को ही मनाई जाएगी
राधे कृष्णा

बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए और हरी वस्तुओं का दान करना शुभ माना जाता है। इसके अतिरिक्त, बुधवार को गणेश म...
13/08/2025

बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए और हरी वस्तुओं का दान करना शुभ माना जाता है। इसके अतिरिक्त, बुधवार को गणेश मंत्रों का जाप करना, हरी घास गाय को खिलाना और दुर्गा सप्तशती का पाठ करना भी लाभकारी होता है।
Acharya jaydeep

12/08/2025

Jay shri rudrnath

Dev guru ka rashi nakchatr parivartan ☀️☀️☀️
12/08/2025

Dev guru ka rashi nakchatr parivartan ☀️☀️☀️

10/08/2025

Surya pooja

10/08/2025

खडाष्टक दोष। वर्तमान समय में गोचर कुण्डली में शनि मंगल के बीच खडाष्टक योग बना हुआ है जो लगभग अक्टूबर तक रहेगा। जिसकी वजह से विश्व में अशांति युद्ध कोई बडी घटना किसी प्रतिष्ठित राजनीतिक व्यक्ति के लिए खतरा बना हुआ है। इससे पहले भी जब जब ये दोनो ग्रह खडाष्टक योग बनाते रहे है तो विश्व और देश मे अस्थिरता का माहोल बनता रहा है।।

Astro Jaydeep Bhatt

माता दुर्गा का आलौकिक श्रृंगार दर्शन  #नंदा  #दुर्गा
04/08/2025

माता दुर्गा का आलौकिक श्रृंगार दर्शन
#नंदा #दुर्गा

*नाग पंचमी पर्व पर भगवान श्री नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए मध्य रात्रि में पट खुले**महंत श्री विनितगिरी महाराज ने विधि ...
29/07/2025

*नाग पंचमी पर्व पर भगवान श्री नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए मध्य रात्रि में पट खुले*

*महंत श्री विनितगिरी महाराज ने विधि विधान से किया भगवान नागचंद्रेश्वर का पूजन*

उज्जैन 29 जुलाई 2025 । साल में एक बार नाग पंचमी के अवसर पर खुलने वाले भगवान श्री नागचंद्रेश्वर के पट रात्रि 12 बजे शुभ मुहूर्त में खोले गए ।

मंदिर के पट खुलने के बाद सर्वप्रथम श्री पंचायती महानिर्वाणीअखाडा श्री महाकालेश्वर मंदिर के महंत श्री विनीतगिरी महाराज जी ने विधि-विधान से श्री नागचंद्रेश्वर भगवान का पूजन अर्चन किया । इस अवसर पर प्रभारी मंत्री श्री गौतम टेटवाल , लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री श्रीमती सम्पतिया उइके एवं अन्य वरिष्ठ प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी मौजूद थे ।
श्री नाग चंद्रेश्वर की प्रतिमा के पूजन के पश्चात श्री नागचंद्रेश्वर के शिवलिंग का पूजन और अभिषेक किया गया ।

पूजन अर्चन के बाद भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन आम दर्शनार्थियों के लिए खोल दिए गए

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