19/10/2024
(Dhyan or Meditation):
आध्यात्म में रुचि होने के कारण मुझसे जुड़े कई आध्यात्मिक प्रेमियों द्वारा ध्यान के बारे में कई प्रश्न किये गए। आज संक्षेप में आपके सामने लिखने का प्रयास करता हूँ।
मेरे लिए ध्यान क्या है ?
ध्यान शून्यता है। ध्यान कोई विधि नहीं है।
ध्यान निर्देशों के द्वारा संभव नहीं, ध्यान कोई विचार अथवा कल्पना भी नहीं, ध्यान कोई क्रिया अथवा कोई कर्म भी नहीं।
जहाँ हम भूत, भविष्य एवं वर्तमान की सभी चिंताओं और विचारों से शून्य हो जाते है वहां से ध्यान प्रारम्भ होता है।
ध्यान प्रकाश का वह क्षण है जहाँ समय की गणना का अस्तित्व समाप्त हो जाय। ध्यान निर्विचार एवं निर्विकार है। ध्यान समय और स्थिति का समाप्त होना है।
ध्यान से कोई कार्य अथवा कर्म की परिकल्पना नहीं यह प्रेम का अंकुरण है जो आँखों में प्रदर्शित होकर पनपता है ।
यह आनंद की वह सीमा है जहाँ सब द्वेष, पीड़ा, अच्छा, बुरा सबका अस्त होना है। यह शून्यता का वह राग है जो कहीं पर भी व किसी भी कोने में बैठकर प्राप्त किया जा सकता है।
यह कोई प्रशिक्षण कार्य अथवा कार्यकर्म नहीं, यह स्वयं में उतरने की प्रक्रिया है । स्वयं को जानने की प्रक्रिया है।
अपने ह्रदय से अपने मन को देखकर डूबने की प्रक्रिया है । निश्चित रूप से यह सिर्फ सुन्दर, अलौकिक एवं विराट प्रेम है।
"रिश्तों के धागों में कई बार बंधकर सिर्फ ढोने के सिवा स्वतंत्र और मन के रिश्तों को बनाया जाय, कुछ दूर चला जाय।
क्या देना, क्या लेना की परख छोड़कर खुद को कितना दिया जाय, कुछ शून्यता में जिया जाय, कुछ दूर चला जाय।"
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इस प्रेम का, इस एकांकीपन का अनुभव करने के लिए इस क्रिसमस की छुट्टियों पर आपको २१ से २९ ( शनिवार - रविवार ) दिसंबर तक आमंत्रित करता हूँ।
कुछ क्षण मनन करने के बाद,
यदि आपके पास आने का समय है तो कृपया १० दिसंबर २०२४ तक सूचित करने की कृपा करें।
आपका दिन मंगलमय हो 🕉💐✨🙏।