24/07/2023
आयुष सिस्टम के डॉक्टर्स हैं तो PNDT act लागू है..!!
इसके कारण आप अल्ट्रासाउंड मशीन से संबंधित अधिकारों को लेकर कानूनी तौर पर बाध्य हैं, इसके लिए मेडिकल माफिया लॉबी ने बेहद शातिर तरीके से कानून बनवा दिया और टेक्नोलॉजी को अपनी बापौती घोषित करवा दिया...इतना ही नहीं आयुर्वेद के तथाकथित पुराधाओं, वक्ताओं, जय जय करने वालों और इनसे जुड़े स्व घोषित महान संगठनों ने ऐसे विषयों से ऐसे किनारा करके रखा जैसे इन सभी को सांप सूंघ गया हो...और हमेशा अपने द्वारा कोई कार्य न करना पड़े इसका ठीकरा या तो मेडिकल माफियाओं के ऊपर फोड़ दिया या लोगों को आयुर्वेद के नाम पर मंच, माला, भाषण, ताली में उलझाकर दिवा स्वप्न दिखाते रहते हैं....
यह विषय सिर्फ एक उदाहरण है, ऐसे सैकड़ों विषय हैं जो बहुत ही प्लान तरीके से आयुष से जुड़े डॉक्टर्स से छीना जाता रहा...
आप में से ज्यादातर को पता तक नहीं होगा कि सेंट्रल काउंसिल की ओर से शुरू किए गए इस कोर्स को अब वर्तमान में किसी भी कॉलेज में नहीं करवाया जा रहा, क्योंकि हमारे सिस्टम के लोग कानूनी पचड़े में नहीं पड़ना चाहते...और इतना ही नहीं इसी तरह से कुछ वर्षों पूर्व रोग निदान में की जाने वाली PG को बंद कर दिया गया क्योंकि रक्त परीक्षण से संबंधित एक केस को कोर्ट में हमारे सिस्टम को प्रतिबंधित कर दिया गया....इस केस में हमारे तथाकथित आयुर्वेद के चिंतक और विचारक मंच और मालाओं के बाहर ही नहीं निकल पा रहे थे!!
वर्तमान में पीएनडीटी से जुड़े इस विषय के ऊपर आयुर्वेद फेडरेशन ऑफ़ इण्डिया की लीगल टीम गंभीरता से कार्य कर रही है...इस विषय से जुड़े एक-एक प्वाइंट को पिछले कई महीनों से निकालकर कार्य करना आरंभ किया है... जिसकी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में है और इसी के साथ साथ इससे जुड़े एक डॉक्टर जो हरियाणा से उनके माध्यम से राज्य के हाईकोर्ट में भी लेकर के जा रहे हैं...
इस पोस्ट के माध्यम से किसी चिंतक, विचारक, महान आयुर्वेद के ज्ञाता, संगठन आदि का अपमान करने का ध्येय नहीं है, लेकिन एक प्रश्न है कि क्या आयुर्वेद का अर्थ सिर्फ प्राचीन किताबों में खोए रहना ही है...?? आयुर्वेद की सेंट्रल काउंसिल का एक्ट पढ़ेंगे तो इसकी सबसे पहली लाइन है इस सिस्टम में होने वाले मॉडर्न एडवांसेज...!!!
लेकिन न तो प्रशासनिक स्तर पर, न कॉलेज स्तर पर, न किसी मंच, माला भाषण वाले कार्यक्रम में और न ही संगठन के स्तर पर आयुर्वेद के वैद्यों के बीच में यह संवाद किया जाता है कि आयुर्वेद की हजारों वर्ष पहले भी जो कुछ लिखा या कहा गया वो उस दौर का मॉडर्न एडवांसमेंट था!!
दुर्भाग्य देखिए की वर्तमान समय में परंपराओं के नाम पर अपने अस्तित्व को आयुर्वेद के नाम पर प्राचीनता तक ही सीमित कर दिया गया!! अपने इतिहास पर गौरवान्वित होने के नाम पर कई लोग जय संहिता करना सिखाते है ...मान लिया कि यह कार्य इतना महान है कि इसे दिल्ली के लालकिले पर प्रधानमंत्री के हाथों मेडल दिलवा दिया जाना चाहिए......!!
लेकिन हेल्थकेयर के नाम पर आपके साथ कोई लगातार आपके सिस्टम का मजाक बनाता रहे, कानूनों के नाम पर मुंह पर बार-बार थप्पड़ सा मारता रहे, आपके लिए षड्यंत्र करके कानूनी गुंडागर्दी करता रहे, आपको अलग-अलग तरीकों से कभी कोर्ट में तो कभी अखबारों में लिखकर सीधे-सीधे जलील करता रहे और आपको आपके ही देश में हजारों वर्ष पूर्व आरंभ हुए सिस्टम में अधिकारों के नाम पर रीढ़विहीन कठपुतली जैसा बना के रख दिया जाए...तो क्या ऐसे षड्यंत्र करने वाले लोगों को उनकी ही भाषा में उत्तर न देने वालों और मौन धारण करके कछुए की तरह अपने खोल में घुस जाने वाले वे तमाम पुरोधा भी क्या उन मेडिकल माफियाओं के ही बराबर दोषी नहीं हैं...???
आयुर्वेद फेडरेशन ऑफ़ इंडिया की नीव रखने का ध्येय ही यह था की ऐसे विभिन्न मृत हो चुकी चेतनाओं को जागृत करके आयुर्वेद के ऐसे ही कई गंभीर विषयों पर गंभीरता से कार्य करके ...ईमानदार प्रयास करना है...हमें नहीं पता की ऐसे प्रयासों के अंतिम परिणाम किस स्तर तक पहुंचेंगे, लेकिन इतना पता है कि जब इस दुनिया से विदा होंगे तो इस संतुष्टि के साथ विदा होंगे कि अपने दौर में मौजूद समस्याओं के लिए ईमानदार प्रयास किए थे..और आने वाले समय में कभी इतिहास लिखा जाएगा या इस पर कभी किसी जगह ईमानदारी से चर्चा की जाएगी तो यह जरूर कहा जाएगा कि हां आयुर्वेद में कुछ ऐसे प्रयास आयुर्वेद फेडरेशन ऑफ़ इण्डिया की टीम की ओर से किए गए थे जो आंखों में आंखे डालकर निडरता के साथ, पूरी ईमानदारी से किए गए थे...!!
सिर्फ जय जय करने से विजय प्राप्त नहीं होगी, इसके लिए आगे आकर इसपर पूर्ण शक्ति और विवेक से प्रयास भी करना होगा...यह मंच आप सभी का है आप सभी भी इससे जुड़कर ऐसी तमाम मुहिम में शक्ति बनकर साथ आएं यह वादा है कि ऐसे तमाम महत्त्वपूर्ण विषयों से जुड़े प्रयासों को करने से किसी भी स्थिति में शून्य प्रतिशत भी पीछे नहीं हटेंगे!!
वर्तमान में क्योंकि कोर्ट में इस विषय से जुड़ा केस विचाराधीन है इसलिए अधिक नहीं लिखा जा सकता..बस एक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि हमारी आयुष मिनिस्ट्री की ओर से एक स्पष्ट स्टैंड लिया गया है कि वो इस विषय पर सकारात्मक हैं और इसके समर्थन में एक पत्र भी लिखे हैं..बाकी इस विषय से जुड़ी आगे की प्रक्रिया, स्थिति की जानकारी भी बहुत जल्द ही!!
Ministry of Ayush, Government of India