Dirghayu Nirogiye Ayurveda

Dirghayu Nirogiye Ayurveda DIRGHAYU NIROGIYA AYURVEDA is one of the best ayurvedic treatment centre in Rudrapur.

01/12/2025

फल और सब्जियां विटामिन ए, सी, के, और ई -कॉम्प्लेक्स प्रमुख विटामिन और उनके स्रोत

02/11/2025

त्रिफला के विषहरण प्रभाव पाचन तंत्र और यकृत के लिए विशेष रूप से लाभकारी होते हैं, ये दोनों अंग शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। त्रिफला में मौजूद तीन फलों में से एक, हरीतकी, बृहदान्त्र और यकृत को शुद्ध करने में मदद करता है , जिससे शरीर की प्राकृतिक विषहरण प्रक्रियाओं में सहायता मिलती है।

पेट की आंतों में जमा मल निकालने के लिए आप भरपूर पानी पिएं, रेशेदार फल और सब्जियां खाएं, दही और छाछ का सेवन करें। इसके अतिरिक्त, सुबह गुनगुने पानी में नींबू और शहद मिलाकर पीना, या अरंडी के तेल का उपयोग करना भी फायदेमंद हो सकता है। नियमित योग भी पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है।

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03/10/2025

आयुर्वेद के अनुसार,
बार-बार फटने वाली एड़ियों का संबंध शरीर में वात दोष के असंतुलन और रस धातु की कमी से है। रस धातु शरीर के सभी अंगों को पोषण देने वाला महत्वपूर्ण तरल है; जब शरीर में इसकी कमी होती है, तो त्वचा सूख जाती है और फटने लगती है। इसके अलावा, पोषक तत्वों की कमी, पानी की कमी और रूखापन भी इसके प्रमुख कारण हैं।

रस धातु की कमी के अन्य कारण:

पानी और तरल पदार्थों की कमी:पर्याप्त पानी न पीने से शरीर में पानी की कमी होती है, जिससे रस धातु का असंतुलन होता है।

पोषक तत्वों की कमी:विटामिन, खनिज और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों की कमी से त्वचा रूखी और बेजान हो सकती है।

रूखा आहार:
अत्यधिक रूक्ष या गरिष्ठ भोजन का सेवन करने से शरीर में रूखापन बढ़ सकता है, जो फटी एड़ियों का कारण बनता है।

वात का असंतुलन:
आयुर्वेद में रूखेपन का मुख्य कारण वात दोष को माना जाता है, जिसका संतुलन बिगड़ने पर त्वचा में रूखापन और एड़ियों में दरारें आ सकती हैं।

उपाय:
आहार और जीवनशैली में बदलाव:रस धातु को बढ़ाने और वात दोष को शांत करने के लिए रसीले फल, सब्जियाँ, और पर्याप्त तरल पदार्थ लें।

बाहरी उपचार:
घी, नारियल तेल या मधुमक्खी के शहद और नमक के पैक को एड़ियों पर लगाने से त्वचा को नमी मिलती है और फटन कम होती है।

एड़ी की देखभाल:
एड़ियों को गुनगुने पानी में भिगोएं, बाद में नारियल तेल या घी से मालिश करें और रात को सोने से पहले मोजे पहनें।
#आयुर्वेदसेउपचार

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23/09/2025

हरड़ एक आयुर्वेदिक औषधि है जो खांसी, फेफड़ों के रोग आदि जैसी कई स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज कर सकती है। इसके अलावा, इसके त्वचा और स्वास्थ्य संबंधी कई लाभ भी हैं। इसके औषधीय गुणों के कारण, इसका उपयोग विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों में एक महत्वपूर्ण तत्व के रूप में किया जाता रहा है।

हरड़ पेट की समस्याओं के लिए रामबाण है. अपच, कब्ज की समस्या, पेट दर्द जैसी विकारों को दूर करने में इसका इस्तेमाल कई सालों से किया जाता रहा है. हरड़ डायजेस्टिव एंजाइम्स को बढ़ाती है और इस तरह स्मॉल इंटेस्टाइन के माध्यम से जरूरी पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ाती है. हरड़ शरीर में वात संतुलन गुण को बैलेंस करता है

*एक दिन में हरड़ की कितनी मात्रा खानी चाहिए,

यह व्यक्ति की उम्र और सहनशीलता पर निर्भर करता है, लेकिन सामान्य तौर पर, बड़े दिन में 3-5 ग्राम या आधा से एक चम्मच हरड़ पाउडर ले सकते हैं, जबकि छोटे बच्चों को 1-2 ग्राम और बुजुर्गों को 2-2.5 ग्राम तक दिया जा सकता है। यह चूर्ण, कैप्सूल या गोली के रूप में दिन में एक या दो बार लिया जा सकता है, लेकिन किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए डॉक्टर या आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह लेना महत्वपूर्ण है।

मात्रा का निर्धारण:

बड़ों के लिए:
एक दिन में 3 से 5 ग्राम हरड़ पाउडर लिया जा सकता है। या फिर आधा से एक चम्मच हरड़ पाउडर या एक या दो गोली/कैप्सूल दिन में दो बार ले सकते हैं।

बच्चों के लिए:
5 साल से ऊपर के बच्चों को 1 से 2 ग्राम पाउडर और 10 साल से बड़े बच्चों को 2 से 3 ग्राम पाउडर दिया जा सकता है।

बुजुर्गों के लिए:
वृद्ध व्यक्ति भी 2 से 2.5 ग्राम हरड़ का सेवन कर सकते हैं।

सेवन का तरीका:

चूर्ण:
दिन में एक या दो बार आधा से एक चम्मच हरड़ चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लिया जा सकता है।

कैप्सूल/गोली:
लेबल पर दिए गए निर्देशों के अनुसार प्रति दिन 1-2 कैप्सूल या गोली ली जा सकती है।

महत्वपूर्ण बातें:

डॉक्टर की सलाह:
हरड़ का उपयोग औषधि के रूप में होता है, इसलिए किसी खास स्वास्थ्य समस्या या फायदे के लिए इसका सेवन करने से पहले आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की सलाह ज़रूर लें।

संवेदनशील लोग:
जिन लोगों की प्रकृति कोमल है या जिन्हें दस्त आसानी से लगते हैं, उन्हें बहुत कम मात्रा, जैसे आधा ग्राम भी पर्याप्त हो सकती है।

अधिक सेवन से बचें:

अधिक मात्रा में हरड़ का सेवन करने से कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं, इसलिए अनुशंसित खुराक का पालन करें।

20/09/2025

गिलोय प्रकृति का एक अमूल्य औषधीय उपहार हैं, इसे अमृता, गुडूची, मधुपर्णी आदि नामों से जानते हैं। आयुर्वेद के अनुसार गिलोय की बेल जिस पेड़ पर चढ़ती हैं, उसके गुणों को भी अपने अंदर सम्माहित कर लेती हैं, इसलिए नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय की बेल को औषधि के लिहाज से सर्वोत्तम माना जाता हैं। इसे नीम गिलोय के नाम से जाना जाता हैं।

■ गिलोय के औषधीय गुण:-
आयुर्वेद के अनुसार गिलोय की पत्तियां, जड़ें और तना तीनों ही भाग सेहत के लिए गुणकारी हैं लेकिन बीमारियों के इलाज में सबसे ज्यादा उपयोग गिलोय के डंठल का ही होता हैं। इसमे पाये जाने वाले एल्कलॉइड, ग्लाइकोसाइड, स्टेरॉयड और अन्य यौगिकों के कारण अत्यधिक प्रभावी माना जाता हैं। गिलोय में बहुत अधिक मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाये जाते हैं, साथ ही इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और कैंसर रोधी गुण होते हैं। इन्हीं गुणों की वजह से यह बुखार, पीलिया, गठिया, कब्ज, डायबिटीज, एसिडिटी, अपच, मूत्र संबंधी रोगों से आराम दिलाती हैं। बहुत कम औषधियाँ ऐसी होती हैं जो वात, पित्त और कफ तीनों को नियंत्रित करती हैं, गिलोय उनमें से एक हैं। गिलोय का मुख्य प्रभाव विषैले हानिकारक पदार्थ पर पड़ता हैं और यह हानिकारक टॉक्सिन से जुड़े रोगों को ठीक करने में असरदार भूमिका निभाती हैं।

■ गिलोय के औषधीय फायदे:-
गिलोय डायबिटीज, कब्ज और पीलिया समेत कई गंभीर बीमारियों के इलाज में उपयोगी हैं। गिलोय के इन्हीं गुणों के कारण ही आयुर्वेद में इसका नाम अमृता रखा गया हैं, जिसका मतलब हैं कि यह औषधि बिल्कुल अमृत समान हैं। आयुर्वेद के अनुसार पाचन संबंधी रोगों के अलावा गिलोय सांस संबंधी रोगों जैसे कि अस्थमा और खांसी से भी आराम दिलाने में काफी फायदेमंद है।

1) इम्युनिटी बढ़ाने में सहायक
गिलोय सत्व या गिलोय जूस का नियमित सेवन शरीर की इम्युनिटी पॉवर को बढ़ता हैं जिससे सर्दी-जुकाम समेत कई तरह की संक्रामक बीमारियों से बचाव होता हैं।

2) लीवर के लिए फायदेमंद
अधिक शराब का सेवन लीवर को कई तरीकों से नुकसान पहुंचाता हैं। ऐसे में गिलोय सत्व का सेवन लीवर के लिए टॉनिक की तरह काम करती हैं। यह खून को साफ करती हैं और एंटीऑक्सीडेंट एंजाइम का स्तर बढ़ाती हैं। इस तरह यह लीवर के कार्यभार को कम करती हैं और लीवर को स्वस्थ रखती हैं।
3) डायबिटीज
विशेषज्ञों के अनुसार गिलोय हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट की तरह काम करती हैं और टाइप-2 डायबिटीज को नियंत्रित रखने में असरदार भूमिका निभाती हैं। गिलोय जूस ब्लड शुगर के बढ़े स्तर को कम करती हैं, इन्सुलिन का स्राव बढ़ाती हैं और इन्सुलिन रेजिस्टेंस को कम करती हैं। इस तरह यह डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत उपयोगी औषधि हैं।

4) पीलिया
पीलिया के मरीजों को गिलोय के ताजे पत्तों का रस पिलाने से पीलिया जल्दी ठीक होता हैं। इसके अलावा गिलोय के सेवन से पीलिया में होने वाले बुखार और दर्द से भी आराम मिलता हैं।

5) एनीमिया
शरीर में खून की कमी होने से कई तरह के रोग होने लगते हैं, जिनमें एनीमिया सबसे प्रमुख हैं। आमतौर पर महिलायें एनीमिया से ज्यादा पीड़ित रहती हैं। एनीमिया से पीड़ित महिलाओं के लिए गिलोय का रस काफी फायदेमंद हैं।6) गठिया
गिलोय में एंटी-आर्थराइटिक गुण होते हैं। इन्हीं गुणों के कारण गिलोय गठिया से आराम दिलाने में कारगर होती हैं। खासतौर पर जो लोग जोड़ों के दर्द से परेशान रहते हैं, उनके लिए गिलोय का सेवन करना काफी फायदेमंद रहता हैं।

7) अस्थमा
गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होने के कारण यह सांसों से संबंधित रोगों से आराम दिलाने में प्रभावशाली हैं। गिलोय कफ को नियंत्रित करती हैं और साथ ही साथ इम्युनिटी पॉवर को बढ़ाती हैं, जिससे अस्थमा जैसे रोगों से बचाव होता हैं और फेफड़े स्वस्थ रहते हैं।

8) अपच
अगर आप पाचन संबंधी समस्याओं जैसे कि कब्ज, एसिडिटी या अपच से परेशान रहते हैं तो गिलोय आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकती हैं। गिलोय का काढ़ा, पेट की कई बीमारियों को दूर रखता हैं, इसलिए कब्ज़ और अपच से छुटकारा पाने के लिए गिलोय का रोजाना सेवन करें।

9) डेंगू
डेंगू से बचने के घरेलू उपाय के रुप में गिलोय का सेवन करना सबसे ज्यादा प्रचलित हैं। गिलोय में मौजूद एंटीपायरेटिक गुण बुखार को जल्दी ठीक करते हैं साथ ही यह इम्युनिटी बूस्टर की तरह काम करती हैं, जिससे डेंगू से जल्दी आराम मिलता हैं।

10) खांसी
अगर कई दिनों से आपकी खांसी ठीक नहीं हो रही हैं तो गिलोय का सेवन करना फायदेमंद हो सकता हैं। गिलोय में एंटीएलर्जिक गुण होने के कारण यह खांसी से जल्दी आराम दिलाती हैं। खांसी दूर करने के लिए गिलोय के काढ़े का सेवन करें।

■ गिलोय के नुकसान और सावधानियां:-
गिलोय के फायदे पढ़कर अगर आपको लगता होगा कि गिलोय से सिर्फ लाभ ही लाभ हैं, तो ऐसा नहीं है। अगर आप जरूरत से ज्यादा मात्रा में गिलोय का सेवन करते हैं तो आपको गिलोय के नुकसान भी झेलने पड़ सकते हैं। आइये जानते हैं कि गिलोय के नुकसान क्या हैं और किन-किन परिस्थितियों में गिलोय का सेवन नहीं करना चाहिए।

1) गिलोय के सेवन से शरीर की इम्युनिटी पॉवर मजबूत तो होती हैं लेकिन कई बार इम्युनिटी के अधिक सक्रिय होने की वजह से ऑटो इम्यून बीमारियों का खतरा बढ़ जाता हैं।

2) जो लोग पहले से ही निम्न रक्तचाप के मरीज हैं, उन्हें गिलोय के सेवन से परहेज करना चाहिए क्योंकि गिलोय भी ब्लड प्रेशर को कम करती हैं। इससे मरीज की स्थिति बिगड़ सकती हैं।
3) किसी सर्जरी से पहले भी गिलोय का सेवन किसी भी रूप में नहीं करना चाहिए क्योंकि यह ब्लड प्रेशर को कम करती हैं, जिससे सर्जरी के दौरान मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
4) गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी गिलोय से परहेज करने की सलाह दी जाती हैं।

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19/09/2025

त्रिफला से कायाकल्प और विभिन्न औषधीय गुण
जिनमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, जीवाणुरोधी, और रेचक प्रभाव शामिल हैं. यह पाचन और भूख में सुधार करने, शरीर को डिटॉक्स करने, त्वचा के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और आंखों की रोशनी को बनाए रखने में मदद करता है. त्रिफला का उपयोग कब्ज से राहत दिलाने, कोलेस्ट्रॉल को कम करने और रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए भी किया जाता है.

त्रिफला के मुख्य क्रियाकलाप:

पाचन में सुधार और कब्ज से राहत:त्रिफला आंतों की गति को उत्तेजित करता है, जिससे मल त्याग नियमित होता है और कब्ज दूर होती है.

एंटीऑक्सीडेंट गुण:यह विटामिन सी और अन्य फ्लेवोनोइड्स से भरपूर होता है, जो शरीर को मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाते हैं और विभिन्न बीमारियों से बचाव करते हैं.

एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव:यह शरीर में सूजन को कम करने में मदद करता है.

डिटॉक्सिफिकेशन:त्रिफला शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है.

आंखों के स्वास्थ्य में सुधार:यह आंखों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक होता है.

त्वचा का स्वास्थ्य:त्रिफला त्वचा में रंग और टोन में सुधार करता है, और इसे युवा बनाए रखने में मदद कर सकता है.

घाव भरने की प्रक्रिया में सहायता:यह घाव भरने की प्रक्रिया को तेज करता है और संक्रमण से लड़ता है.

कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप नियंत्रण:त्रिफला कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है.

इम्यूनोमॉड्यूलेटरी प्रभाव:यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करता है.
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Dirghayu Nirogiye Ayurveda

19/09/2025

हृदय स्वास्थ्य के लिए अर्जुन छाल: एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक टॉनिक

अर्जुन की छाल हृदय के स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है। यह दिल की मांसपेशियों को मजबूत करती है, रक्तचाप को नियंत्रित करती है, खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करती है और रक्त प्रवाह को बेहतर बनाती है, जिससे हार्ट अटैक व ब्लॉकेज का खतरा कम होता है। अर्जुन की छाल का काढ़ा या पाउडर के रूप में सेवन किया जा सकता है, लेकिन इसका उपयोग करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना महत्वपूर्ण है।

*हृदय के लिए अर्जुन की छाल के लाभ:

हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करे:अर्जुन की छाल हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करने और दिल को पोषण देने का काम करती है।

*रक्तचाप नियंत्रित करे:इसका सेवन रक्तचाप (BP) को नियंत्रित करने में सहायक होता है।

कोलेस्ट्रॉल कम करे:यह शरीर से खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करती है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) को बढ़ावा देती है, जिससे धमनियों में ब्लॉकेज बनने का खतरा कम होता है।

ब्लॉकेज रोके:अर्जुन की छाल धमनियों की अंदरूनी दीवारों पर चर्बी जमने से रोकती है, जिससे हृदय संबंधी ब्लॉकेज का जोखिम घटता है।

हृदय रोगों से बचाव:इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण दिल के रोगों से बचाव करते हैं और हृदय की कार्यक्षमता में सुधार लाते हैं।

उपयोग कैसे करें:

काढ़ा बनाकर:अर्जुन की छाल को रात में पानी में भिगोकर अगली सुबह उबालकर काढ़ा बनाया जा सकता है।

पाउडर के रूप में:अर्जुन की छाल के पाउडर ओर वटी को भी सेवन किया जा सकता है।

खाली पेट सेवन:सुबह खाली पेट इसका सेवन करना अधिक फायदेमंद माना जाता है।

सावधानी:
किसी भी आयुर्वेदिक औषधि का उपयोग करने से पहले डॉक्टर या विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

Instragram
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18/09/2025

महिलाओं के लिए वरदान से कम नहीं शतावरी, स्ट्रेस दूर करने से लेकर Hormonal Balance तक मिलते हैं कई फायदे
शतावरी एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी (Ayurvedic Medicine) है जो महिलाओं में हार्मोनल संतुलन को बनाए रखने प्रजनन क्षमता को बढ़ाने और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में सहायक है। इसमें फाइटोएस्ट्रोजेन और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो तनाव कम करते हैं और पीरियड्स साइकिल को नियमित रखते हैं। इसे पाउडर कैप्सूल अर्क या चाय के रूप में रोजाना लिया जा सकता है।

शतावरी एक आयुर्वेदिक औषधीय जड़ी-बूटी है, जिसका वैज्ञानिक नाम एस्पैरागस रेसमोसस है। इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार के लिए किया जाता है। शतावरी के पौधे के सभी हिस्से औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। जिनमें जड़, तना और पत्तियों का इस्तेमाल दवा के रूप में किया जाता है। इसमें फाइटोएस्ट्रोजेन और एंटीऑक्सीडेंट्स की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो शरीर को ऊर्जा देते हैं और मानसिक शांति प्रदान करते हैं। इसका कैप्सूल, चूर्ण या चाय के रूप में सेवन किया जा सकता है, जो शारीरिक संतुलन को बनाए रखने में सहायक होता है।

एस्ट्रोजन के स्तर को बढ़ाना
फाइटोएस्ट्रोजेन से भरपूर शतावरी शरीर में प्राकृतिक रूप से एस्ट्रोजन स्तर को संतुलित रखती हैं, जिससे हार्मोनल असंतुलन से उत्पन्न समस्याओं में राहत मिलती हैं।

मासिक धर्म लक्षणों में राहत
शतावरी मासिक धर्म के दौरान होने वाली ऐंठन, सूजन और मूड स्विंग जैसी समस्याओं को कम करने में सहायक होती है।

मेनोपॉज में सहायक
शतावरी का सेवन मेनोपॉज के दौरान हार्मोन में होने वाले परिवर्तनों को संतुलित रखता है, जिससे गर्मी का एहसास, मूड स्विंग और अन्य लक्षणों से राहत मिलती है।

प्रजनन स्वास्थ्य में सुधार
यह प्रजनन अंगों को पोषण देकर महिलाओं की प्रजनन क्षमता को बढ़ावा देती है। गर्भाशय को स्वस्थ रखती है, जो गर्भावस्था की तैयारी में सहायक है।

स्ट्रेस और एंजाइटी में कमी

एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर शतावरी में अवसाद रोधी गुण पाए जाते हैं। शतावरी को अश्वगंधा के साथ लेने पर ये तनाव हार्मोन कोर्टिसोल को कम करता है जो स्ट्रेस और एंजाइटी को बढ़ाते हैं।

* इम्यूनिटी में वृद्धि
शतावरी के एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं, जिससे हार्मोनल असंतुलन से लड़ने की क्षमता में वृद्धि होती है।

* पाचन स्वास्थ्य में सुधार
शतावरी का सेवन पाचन तंत्र को संतुलित रखता है, जिससे भोजन और पोषक तत्वों का अवशोषण बेहतर होता है।

* मासिक धर्म चक्र को नियमित करे
नियमित रूप से शतावरी का सेवन मासिक धर्म चक्र को नियमित बनाए रखता है, जिससे हार्मोनल संतुलन बेहतर होता है।

* शतावरी का इस्तेमाल
पाउडर- 1-2 चम्मच शतावरी पाउडर गर्म पानी या दूध के साथ लें।

कैप्सूल- रोजाना 1-2 कैप्सूल का सेवन कर सकते हैं। ये मार्केट में आसानी से मिल जाते हैं।

चाय- शतावरी की जड़ को गर्म पानी में उबालकर चाय की तरह सेवन करें। वैसे इसकी चाय मार्केट में उपलब्ध है।

अर्क- शतावरी अर्क का सेवन सबसे तेजी से असर दिखाता है।

Instragram - https://www.instagram.com/reel/DOuyS2PkvqP/?igsh=MTZpaWwwYWFwa2IwNQ

You tube
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15/09/2025

@आरोग्यवर्धिनी_वटी_के_उपयोग_और_फायदे
आरोग्यवर्धिनी वटी में ऐसा रसायन होता है, जो पाचनतंत्र संबंधी विकारों को ठीक करने में सहायता करता है। यह शरीर की कमजोरी, अपच की परेशानी, लिवर विकार में लाभदायक साबित होती है। यह पाचन शक्ति को ठीक कर शरीर को स्वस्थ बनाती है।

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13/09/2025

आयुर्वेदिक त्रिकोण "त्रिफला गिलोय और आंवला" के साथ
त्रिफला, आंवला और गिलोय के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, जिनमें बेहतर पाचन, मजबूत इम्यूनिटी, आंखों के स्वास्थ्य में सुधार और वजन घटाना शामिल है। त्रिफला एक रेचक के रूप में काम करता है और कब्ज से राहत दिलाता है। गिलोय एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुणों से भरपूर है जो संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। आंवला एक पावरफुल एंटीऑक्सीडेंट है जो शरीर को तनाव से निपटने में मदद करता है।

*इसे सेव कर सुरक्षित कर लें, ऐसी पोस्ट कम ही आती है*.वात पित्त कफ के दोष तीनों को संतुलित करे इस आयुर्वेदिक उपाय से...अं...
05/08/2025

*इसे सेव कर सुरक्षित कर लें, ऐसी पोस्ट कम ही आती है*.
वात पित्त कफ के दोष तीनों को संतुलित करे इस आयुर्वेदिक उपाय से...अंत तक जरुर पढ़ें।
❤❤❤वात पित्त और कफ के दोष:-
💜पोस्ट को धयान से 2 बार पढ़े
💚इस जानकारी से संबंधित यह तीसरा पोस्ट है
शरीर 3 दोषों से भरा है
वात(GAS) -लगभग 80 रोग
पित्त(ACIDITY)- लगभग 40 रोग
कफ(COUGH) -लगभग 28 रोग
💚यहां सिर्फ त्रिदोषो के मुख्य लक्षण बतये जायेगे और वह रोग घरेलू चिकित्सा से आसानी से ठीक होते है
💚सभी परहेज विधिवत रहेंगे जैसे बताता हूं
💙जिस इंसान की बड़ी आंत में कचड़ा होता है बीमार भी केवल वही होता है
💙एनीमा एक ऐसी पद्धति है जो बड़ी आंत को साफ करती है और किसी भी रोग को ठीक करती है
💚संसार के सभी रोगों का कारण इन तीन दोष के बिगड़ने से होता है
💛वात(GAS) अर्थात वायु:-💛
--शरीर मे वायु जहां भी रुककर टकराती है, दर्द पैदा करती है, दर्द हो तो समझ लो वायु रुकी है
--पेट दर्द, कमर दर्द, सिर दर्द, घुटनो का दर्द ,सीने का दर्द आदि
--डकार आना भी वायू दोष है
--चक्कर आना,घबराहट और हिचकी आना भी इसका लक्षण है
💙कारण:-
--गैस उत्तपन्न करने वाला भोजन जैसे कोई भी दाल आदि गैस और यूरिक एसिड बनाती ही है
--यूरिक एसिड जहां भी रुकता है उन हड्डियों का तरल कम होता जाता है हड्डियां घिसना शुरू हो जाती है ,उनमे आवाज आने लगती है, उसे डॉक्टर कहते है कि ग्रीस ख़त्म हो गई, या फिर स्लिप डिस्क या फिर स्पोंडलाइटिस, या फिर सर्वाइकल आदि
--प्रोटीन की आवश्यकता सिर्फ सेल्स की मरम्मत के लिए है जो अंकुरित अनाज और सूखे मेवे कर देते है
--मैदा औऱ बिना चोकर का आटा खांना
--बेसन की वस्तुओं का सेवन करना
--दूध और इससे बनी वस्तुओं का सेवन करना
-आंतो की कमजोरी इसका कारण व्यायाम न करना।
👉🏻 तन बिगड़ने वाला भोजन से
👉🏻 मन बिगड़ने वाले विचार से
👉🏻 मनोदीशा बिगड़ने वाले लोगों से कैसे दूर रहे।
💜निवारण:-
--अदरक का सेवन करें,यह वायु खत्म करता है, रक्त पतला करता है कफ भी बाहर निकालता है, सोंठ को लेकर रात में गुनगने पानी से आधा चम्मच खायेँ
--लहसुन किसी भी गैस को बाहर निकालता है,
यदि सीने में दर्द होने लगे तो तुरन्त 8-10 कली लहसुन खा ले, ब्लॉकेज में तुरंत आराम मिलता है
--लहसुन कफ के रोग और टीबी के रोग भी मारता है
--सर्दी में 2-2 कली सुबह शाम, और गर्मी में 1-1 कली सुबह शाम ले, और अकेला न खायेँ सब्जी या फिर जूस , चटनी आदि में कच्चा काटकर डालकर ही खायेँ
--मेथीदाना भी अदरक लहसुन की तरह ही कार्य करता है
💜प्राकृतिक उपचार:-
गर्म ठंडे कपड़े से सिकाई करे, अब उस अंग को पहले छुएं यदि वो गर्म है तो ठंडे सिकाई करे और वह अंग अगर ठंडा है तो गर्म सिकाई करे औऱ अगर न गर्म है और न ठंडा तो गर्म ठंडी सिकाई करे एक मिनट गर्म एक मिनट ठंडा ।
💛कफ(COUGH):-💛
--मुंह नाक से आने वाला बलगम इसका मुख्य लक्षण है
--सर्दी जुखाम खाँसी टीबी प्लूरिसी निमोनिया आदि इसके मुख्य लक्षण है
--सांस लेने में तकलीफ अस्थमा आदि या सीढी चढ़ने में हांफना
💙कारण:-
--तेल एव चिकनाई वाली वस्तुओं का अधिक सेवन
--दूध और इससे बना कोई भी पदार्थ
--ठंडा पानी औऱ फ्रिज की वस्तुये खांना
--धूल ,धुंए आदि में अधिक समय रहना
--धूप का सेवन न करना
💜निवारण:-
--विटामिन C का सेवन करे यह कफ का दुश्मन है यह संडास के रास्ते कफ निकालता है, जैसे आवंला
--लहसुन, यह पसीने के रूप में कफ को गलाकर निकालता है
--Bp सामान्य हॉगा
--ब्लड सर्कुलेशन ठीक हॉगा
--नींद अच्छी आएगी
--अदरक भी सर्वश्रेष्ठ कफ नाशक है
💜प्राकृतिक उपचार
--एक गिलास गुनगने पानी मे एक चम्मच नमक डालकर उससे गरारे करे
--गुनगने पानी मे पैर डालकर बैठे, 2 गिलास सादा।पानी पिये और सिरर पर ठंडा कपड़ा रखे, रोज 10 मिनट करे
--रोज 30-60 मिनट धूप ले ।
💛पित्त(ACIDITY):-पेट के रोग💛
--वात दोष और कफ दोष में जितने भी रोग है उनको हटाकर शेष सभी रोग पित्त के रोग है, BP, शुगर, मोटापा, अर्थराइटिस, आदि
--शरीर मे कही भी जलन हो जैसे पेट मे जलन, मूत्र त्याग करने के बाद जलन ,मल त्याग करने में जलन, शरीर की त्वचा में कही भी जलन,
--खट्टी डकारें आना
--शरीर मे भारीपन रहना
💜कारण:-
--गर्म मसाले, लाल मिर्च, नमक, चीनी, अचार
--चाय ,काफी,सिगरेट, तम्बाकू, शराब,
--मांस ,मछली ,अंडा
--दिनभर में सदैव पका भोजन करना
--क्रोध, चिंता, गुस्सा, तनाव
--दवाइयों का सेवन
--मल त्याग रोकना
--सभी 13 वेग को रोकना जैसे छींक, पाद, आदि
💜निवारण
--पुराने रोग और नए रोग का एक ही समाधान बता रहा हु
--फटे हुए दूध का पानी पिये, गर्म दूध में नीम्बू डालकर दूध को फाड़े, वह पानी छानकर पिए, पेट का सभी रोग में रामबाण है, सभी प्रकार का बुखार भी दूर करता है
--फलो व सब्जियों का रस, जैसे अनार का रस, लौकी का रस, पत्ता गोभी का रस आदि
--निम्बू पानी का सेवन
💜प्राकृतिक उपचार
--पेट को गीले कपड़े से ठंडक दे
--रीढ़ की हड्डी को ठंडक देना, लकवा इसी रीढ़ की हड्डी की गर्मी से होता है, गीले कपड़े से रीढ़ की हड्डी पर पट्टी रखें
--व्यायाम ,योग करे
--गहरी नींद ले
इलाज से बेहतर बचाव है
स्वदेशी बने प्रकृति से जुड़े
डॉ. पवन सिंह दिवाकर

Address

Ward No. 9 Ambedkar Park Khera Rudrapur
Rudrapur
263153

Opening Hours

Monday 9am - 6pm
Tuesday 9am - 6pm
Wednesday 9am - 6pm
Thursday 9am - 5pm
Friday 9am - 6pm
Saturday 9am - 6pm

Telephone

+918445428586

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Dr. Pawan Singh Diwakar is an Ayurvedic Doctor from Rudrapur. He has an experience of 1 Year

Dr. Pawan singh diwakar is an Ayurvedic doctor from Rudrapur. He has an experience of 1 years and within this short period, he has managed to make a reputation for himself as a caring and dependable Ayurvedic Practitioner. Despite being a young doctor, he has already gathered experience from renowned places like VRDIKA KERALA AYURVEDIC Hospital where he was a Senior Doctor.. His areas of specialities are Ayurveda, Oncology, Panchakarma, Rheumatology, Holistic Reading, Spinal Pain Management.The services he offers are: Asthma Management Program, Ayurvedic Massage Treatment, Hair Restoration Techniques, Head and Neck Pain Treatment, Lepanam Treatment, Treatment of Migraine, Treatment and Nasyam Treatment. Dr. Diwakar is currently working in DIRGHAYU NIROGIYA AYURVEDA Health Care located at Rudrapur (U.S.Nagar) Uttrakhand India.