18/09/2025
तिरंगे के साथ फहराया गया भरतपुर रियासत का ध्वज, AIR से की गई थी घोषणा -
Bharatpur lohagarh fort kishori mahal flag
आजादी के बाद भरतपुर के लोहागढ़ किले के किशोरी महल पर तिरंगा के साथ भरतपुर रियासत का पचरंगी ध्वज फहराया गया. तत्कालीन केंद्र सरकार को नागवार गुजरा और उन्होंने मत्स्य राज्य का भरतपुर में उद्घाटन करने के बहाने भरतपुर दुर्ग पर फहराए जाने वाले परंपरागत ध्वज को उतारने का निर्णय लिया. जिसके बाद विद्रोह भड़का और अंत में केंद्र सरकार को झुकना पड़ा
भरतपुर.देश के स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानी और लंबी लड़ाई के बाद देश को आजादी मिल गई. आजादी की लड़ाई में न केवल भरतपुर के सैकड़ों लोगों ने भाग लिया बल्कि यहां की महिला स्वतंत्रता सेनानियों ने भी भरपूर साथ दिया. आजादी के बाद भरतपुर के लोहागढ़ किले के किशोरी महल पर तिरंगा के साथ भरतपुर रियासत का पचरंगी ध्वज फहराया गया. लेकिन तत्कालीन केंद्र सरकार ने मत्स्य राज्य का भरतपुर में उद्घाटन करने के बहाने भरतपुर दुर्ग पर फहराने वाले परंपरागत ध्वज को उतारने का निर्णय लिया. जिसके चलते भरतपुर में विद्रोह भड़क गया. हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए. आखिर में जनता के विद्रोह और भावनाओं के सामने केंद्र सरकार को झुकना पड़ा. किशोरी महल पर फिर से तिरंगा के साथ भरतपुर राज्य का झंडा फहराया गया.
इतिहासकार बताते हैं कि देश को आजादी मिलने के बाद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर हत्या कर दी. उस समय अफवाह थी कि गांधी जी की हत्या के षड्यंत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और हिंदू महासभा का हाथ है. अलवर तथा भरतपुर महाराजाओं का इन दोनों संस्थाओं को संरक्षण प्राप्त है. महाराजा बृजेंद्र सिंह पर तमाम आरोप लगाते हुए उन्हें दिल्ली बुलाया गया. राजा बच्चू सिंह को विदेश भेज दिया गया और नए प्रशासक को कार्यभार सौंप दिया गया था.
स्वाभिमान के लिए संघर्ष :इतिहासकार बताते हैं कि राजा बच्चू सिंह के विदेश भेजने और नए प्रशासक के कार्यभार संभालते ही भरतपुर राज्य की ग्रामीण जनता में रोस व्याप्त हो गया. आजादी के आंदोलन में जान झोंकने वाली भरतपुर की जनता एक बार फिर आंदोलित हो उठी. 16 मार्च को भरतपुर, अलवर, धौलपुर और करौली को सम्मिलित कर मत्स्य राज्य का निर्माण कर दिया गया. वर्मा बताते हैं कि 18 मार्च 1948 के दिन भरतपुर शहर को घेरने वाले कच्चे डंडे को पुलिस और सैनिकों ने घेर रखा था. मत्स्य राज्य का भरतपुर में उद्घाटन करने के बहाने भरतपुर दुर्ग पर तिरंगा फहराने के लिए वहां हमेशा से फहराने वाले राज्य के परंपरागत पचरंगी ध्वज को उतारना था. इस अवसर पर सैन्य शक्ति के साथ केंद्रीय मंत्री नरहरि विष्णु गाड़गिल भी आए.
राजा मानसिंह ने भरतपुर राज्य के परंपरागत ध्वज को उतारने का प्रबल विरोध किया. हजारों की संख्या में लोग लोहागढ़ दुर्ग के पुल पर जमा हो गए. राजा मानसिंह ने केंद्रीय मंत्री गाडगिल से कहा कि मैं एक सिपाही हूं. एक सिपाही राष्ट्रीय ध्वज को अपने प्राणों से अधिक सम्मान देता है. उन्होंने कहा कि यदि भरतपुर को मत्स्य की राजधानी बनाया गया होता, तो मैं भरतपुर दुर्ग के महाराजा सूरजमल के काल के रात दिन फहराने वाले ध्वज को अपने हाथ से उतार कर उसके ध्वज स्तंभ पर राष्ट्रध्वज तिरंगा आरोपित करता. लेकिन अलवर को राजधानी बनाकर उद्घाटन के बहाने आप भरतपुरी ध्वज को उतार फेंकना चाहे, यह हरगिज होने नहीं दिया जाएगा.
इतिहासकारो ने बताया कि इसके बाद राजा मान सिंह को गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल भेज दिया गया. इसके बाद ही हजारों की संख्या में जनता लोहागढ़ दुर्ग पर एकत्रित रही. भरतपुर की स्थिति से दिल्ली को अवगत कराया गया. इसके बाद भारत सरकार के ऑल इंडिया रेडियो से प्रसारण हुआ कि भरतपुर दुर्ग का ध्वज पहले की भांति लहराता रहेगा. भरतपुर राज्य के राजस्व मंत्री ठाकुर देशराज को सेवर जेल से रिहा किया गया. ठाकुर देशराज के सहयोग से लोहागढ़ दुर्ग में स्थित किशोरी महल पर भरतपुर के परंपरागत झंडे के साथ तिरंगा झंडा फहराया गया.
Bhola Fauzdar