Harbal Annira House

Harbal Annira House A part of GurukulVANYA , Fully residential Boy's and girls School, Delhi Public School, khidarpura, Jafarpur Deoria Road, Muzaffarpur 843107

12/09/2025
रोज सुबह दिन की शुरुआत डिटॉक्स वॉटर से।सभी की रेसिपी साथ में पोस्ट हैंI🥃दानामेथी का पानी एक गिलास पानी में 1 चम्मच दानाम...
16/08/2025

रोज सुबह दिन की शुरुआत डिटॉक्स वॉटर से।
सभी की रेसिपी साथ में पोस्ट हैंI
🥃दानामेथी का पानी
एक गिलास पानी में 1 चम्मच दानामेथी मिला कर रात को भिगो के रख देI सुबह मैथी के साथ पानी को 2-3 मिनट उबालेI गैस बंद कर दे और कुछ देर बाद पानी छान लेI गुनगुना दानामेथी पानी पिएI स्वाद के लिए नींबू का रस मिला सकते हैI
नोट- दाना मेथी को सब्जी बनाने में इस्तेमाल कर सकते हैI sanaz_swad

🥃बेहद कारगर हल्दी, दालचीनी का काढ़ा
सामग्री -
1 चम्मच अजवायन
1 टुकड़ा अदरक
1 छोटा देसी हल्दी का टुकड़ा
1 छोटा टुकड़ा दालचीनी
1/2 चम्मच नींबू का रस
विधि - एक पैन में डेढ गिलास पानी गरम करे I उसमें हल्दी, अदरक, दालचीनी को कुट कर डाल दे। 5 मिनट तक पकने दे और गैस बंद कर देI 2 मिनट कवर कर के रख दे। कप में छान ले और नींबू का रस मिला देI बेहद फायदेमंद काढा तैयार हैI सुबह खाली पेट पीएI sanaz_swad

🥃सौंफ का पानी
एक गिलास पानी में 1 चम्मच सौंफ मिला कर रात को भिगो के रख देI सुबह सौंफ के साथ पानी को 2-3 मिनट उबालेI गैस बंद कर दे और कुछ देर बाद पानी छान लेI गुनगुना सौंफ पानी पिएI स्वाद के लिए नींबू का रस मिला लेI sanaz_swad

🥃अजवाइन पानी
विधि-
1 गिलास पानी में 1 चम्मच अजवाइन मिला कर रात को भिगो के रख देI सुबह अजवाइन के साथ पानी को 2-3 मिनट उबालेI गैस बंद कर दे और कुछ देर बाद पानी छान लेI गुनगुना अजवाइन पानी पिएI स्वाद के लिए नींबू का रस मिल सकते हैI ऐसे ही रोज अलग-अलग बदल- बदल कर डिटॉक्स वॉटर बनाए और सुबह खाली पेट पिएI कभी जीरा, धनिया, मेथीदाना, सौंफ , नीबू पानी, चिया बीज वगैरह I
सब के अपने अलग-अलग फायदे हैं...मेरे दिन की शुरुआत रोज डिटॉक्स वॉटर से ही होती हैI

15/08/2025

यह जो पत्थर के बने बर्तन आप देख रहे हैं यह पत्थर सिर्फ जैसलमेर के पास एक गांव में मिलते हैं और इस पत्थर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इन पत्थर के बर्तनों में आप दूध गर्म करके डालेंगे तो अपने आप इन में दही जम जाता है

असल में पहले के जैन लोग दूध में जामन डालकर दही नहीं बनाते थे क्योंकि उनका मानना था कि जामन में जीव होते हैं तो जैन लोग इन्हीं पत्थरों में दही बना कर खाते थे ...वैज्ञानिकों ने रिसर्च करके पाया कि यह एक फॉसिल पत्थर है और इन पत्थरों में लैक्टो बैक्टीरिया पाया जाता है

इन्हें हाबुर का पत्थर कहते है . हाबुर जैसलमेर के पास एक गांव का नाम है

भुंई आंवला (वानस्पतिक नाम: Phyllanthus niruri) अथवा भुंई आमला अथवा भूआमलकी एरन्ड कुल का लगभग 1.5 फीट से 2 फीट ऊंचा एक वर...
26/07/2025

भुंई आंवला (वानस्पतिक नाम: Phyllanthus niruri) अथवा भुंई आमला अथवा भूआमलकी एरन्ड कुल का लगभग 1.5 फीट से 2 फीट ऊंचा एक वर्षीय पौधा होता है जो बरसात के समय खेतों में खरपतवार के रूप में स्वयंमेव उगता दिखाई देता है। यद्यपि आंवला की तुलना में यह पौधा बहुत छोटा होता है परन्तु आवंला के पौधे जैसे पत्तों तथा पत्तों के पीछे छोटे-छोटे आंवला जैसे फल लगने के कारण संभवतया इसको जमीन का आंवला अथवा 'भुंई आमला' कहा जाता है। अधिकांशतः बंजर जमीनों के साथ-साथ खेतों में वर्षा ऋतु में खरपतवार के रूप में उगने वाले पौधे भुंई आमला। यह जड़ी-बूटी पाचन एंजाइमों को उत्तेजित करती है, एसिडिटी से राहत दिलाती है, और सूजन और कब्ज से राहत दिलाती है। इसमें हल्के रेचक गुण भी होते हैं।
उपयोग विधि: भोजन से पहले भुई आंवला के ताजे पत्ते चबाएं या इसका रस पिएं।

नारी डेस्क: कभी-कभी जब डॉक्टर दवाओं और इलाज से उम्मीद छोड़ देते हैं, तो कुछ लोग अपनी राह खुद चुनते हैं और चमत्कारी नतीजे...
19/05/2025

नारी डेस्क: कभी-कभी जब डॉक्टर दवाओं और इलाज से उम्मीद छोड़ देते हैं, तो कुछ लोग अपनी राह खुद चुनते हैं और चमत्कारी नतीजे पाते हैं। ऐसी ही एक अद्भुत कहानी सामने आई है, जहां एक व्यक्ति ने कैंसर को हराने के लिए न तो कीमोथेरेपी और न ही रेडिएशन लिया, बल्कि उन्होंने प्रकृति का सहारा लिया और चमत्कारिक तरीके से कैंसर को हराया।

कैंसर का पता चला, डॉक्टरों ने कीमो की सलाह दी
52 साल के इस व्यक्ति को ल्यूकेमिया (रक्त कैंसर) और लिंफोमा (लसीका ग्रंथि का कैंसर) का पता चला। डॉक्टरों ने तुरंत कीमोथेरेपी और रेडिएशन शुरू करने की सलाह दी, लेकिन उन्होंने कुछ अलग करने का फैसला किया।

प्राकृतिक उपचार की शुरुआत
इस व्यक्ति ने "प्राकृतिक उपचार" की शुरुआत की, जिसमें उन्होंने ठंडे पानी में तैराकी और जंगल में समय बिताने को शामिल किया। उन्होंने 4°C के बर्फीले पानी में 187 मील (लगभग 300 किलोमीटर) तैराकी की। इसके अलावा, हर हफ्ते एक रात जंगल में बिताने का फैसला किया। उनका मानना था कि शरीर में खुद ही रोग से लड़ने की क्षमता होती है, बस उसे सही वातावरण और मानसिकता की जरूरत होती है।

चमत्कारी नतीजे
पहली बार जब उन्होंने ठंडी नदी में तैराकी की, तो उनका ब्लड टेस्ट हुआ और ल्यूकेमिया गायब हो चुका था। 10 महीने तक जंगल में समय बिताने के बाद लिंफोमा भी पूरी तरह से ठीक हो गया। उनके कैंसर विशेषज्ञ डॉक्टर भी यह देखकर हैरान रह गए और उन्होंने कहा, "अगर मैंने खुद उनका टेस्ट नहीं किया होता, तो मुझे विश्वास नहीं होता कि उन्हें कभी कैंसर था!"

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Rupnarayanpur
843120

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