Dr.Amit Kumar Gautam

Dr.Amit Kumar Gautam ��� जयभीम नमो बुद्धाय ���
�� आपके अच्छे स्वास्थ्य समृद्धि और सुखी जीवन हेतु हार्दिक शुभकामनाएं।��
� Dr.A.k.Gautam�

_____ खुली चेतावनी ___"" तुम्हारा मर्डर भी होगा बलात्कार भी होगा, सरेआम पीटे भी जाओगे... कोई बचाने नहीं आयेगा! तुम लोग ट...
21/12/2024

_____ खुली चेतावनी ___

"" तुम्हारा मर्डर भी होगा बलात्कार भी होगा, सरेआम पीटे भी जाओगे... कोई बचाने नहीं आयेगा! तुम लोग टोली बनाकर जमा होंगे ! नारेबाजी करोगे , अपने संघटन के नाम पर ज्ञापन दोगे ! वही ज्ञापन पेपर मैं दोगे ! ज्यादा से ज्यादा रास्ते पर जाकर शहर या राज्य या देश बंद करोगे ! फिर प्रशासन तुम्हारी बात मान लेगा !

फिर गिरफ्तारी करेगा फिर क्या? न्याय मिलता हैं? सवाल यहां न्याय का नहीं है? सवाल यह है की तुम्हारे उपर अन्याय अत्याचार होता ही क्यों है?

वह इसलिये की तुम लोग शासक नहीं हो! चुनाव में यही तुम्हारे जाति वाले संघटन काँग्रेस भाजपा जैसे मनुवादी मानसिकता वाली पार्टीयों में बिक जाते हैं तुम्हारा वह समाज का सौदा करते हैं!

वह अपना करियर बना लेते है ! और तुम लोग उनको आपना नेता मान कर मार खाते रहते हो!"

सोचा तुम्हें है कि तुम सत्ता की चाबी अपने हाथ में कैसे लोगे और अपने घर परिवार समाज की सुरक्षा कैसे करोगे।

मान्यवर. साहब श्री कांशीराम जी।

18/12/2024

सिंचाई संघ जिंदाबाद कर्मचारी एकता जिंदाबाद🪴 जयभीम नमो बुद्धाय।🪴
🍁🍁आप सपरिवार सदा स्वस्थ एवं सुखी रहें।🍁🍁
🙏🙏🙏 🙏🙏🙏

*आज इंदौर शहर के जैन समुदाय ने पिछले रविवार को एक अच्छा निर्णय लिया कि यदि किसी भी जैन समुदाय की शादी में 6 से अधिक व्यं...
17/12/2024

*आज इंदौर शहर के जैन समुदाय ने पिछले रविवार को एक अच्छा निर्णय लिया कि यदि किसी भी जैन समुदाय की शादी में 6 से अधिक व्यंजन हैं, तो उस शादी में दूल्हा और दुल्हन को केवल आशीर्वाद दिया जाना चाहिए, लेकिन खाया नहीं जाएगा, और फिर कल इसका पालन किया जाएगा। अग्रवाल समाज ने भी उक्त निर्णय को लागू करने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही शादी के कार्ड न छपवाकर केवल व्हाट्सएप और फोन के जरिए ही निमंत्रण दें*
*विशेष निर्णय यह है कि विवाह पूर्व और संगीत कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है*
*उपरोक्त दोनों समाज (जैन और अग्रवाल) आर्थिक रूप से मजबूत हैं लेकिन उन्होंने उपरोक्त निर्णय लिया, दोनों समाजों को बधाई*

*कब बदलेंगे हम, शादी में गन्ने जितना खर्च करने लगे हैं हम, शादी की खुशियां मनाने के लिए कभी-कभी कर्ज भी लेते हैं, अब हमें जरूर बदलना होगा।*
*नोट:- अनुकरणीय एवं आदर्श निर्णय का हृदय से स्वागत है। और सभी जाति, धर्म और पंथ इस निर्णय का पालन करें*।

*समाज को विवाह संस्कार को विवाह संस्कार में बदलना चाहिए।*

*कुछ दिन पहले कोरोना वायरस के कारण सरकार ने शादियों और कार्यक्रमों में उपस्थिति सीमित कर दी थी, लेकिन लोग इसे भूल गए और लाखों रुपये खर्च करने लगे।*
*हम अनावश्यक रूप से लाखों रुपये बर्बाद कर रहे हैं और कर्ज में डूब रहे हैं। हमें अब बदलना होगा। वरना वक्त तुम्हें माफ नहीं करेगा.*

*1)कृषि आय दिन-ब-दिन घटती जा रही है।*
*2)कृषि उपज की कोई कीमत नहीं होती।*
*3) अब कोई सरकारी नौकरी नहीं।*
*4)निजी रोजगार में कोई गारंटी नहीं है।*
*5)लड़की की शादी में 100 रुपये का खर्च होता है, जबकि लड़के की शादी में भी 80 रुपये का खर्च होता है।*
*6) कर्ज में जन्मा, कर्ज में ही बड़ा हुआ और कर्ज में ही मर गया, कुछ पीढ़ियाँ बीत गईं।
*7) विवाह एक समारोह नहीं बल्कि एक 'संस्कार' है। 16 संस्कारों में से एक संस्कार समझना चाहिए।*
*8)चाहे कितनी भी बड़ी शादी क्यों न हो, लोग उसे भूल जाते हैं। इतनी बड़ी शादी करने पर आज तक किसी को पुरस्कार नहीं मिला।*
*9) हम खेत बेचकर गुंठा आ गए, जबकि व्यापारी एक दुकान से चार दुकानें चला रहा है। व्यापारी वर्ग का नाम लेने के बजाय उनके अर्थशास्त्र को समझना चाहिए।*
*10)ईर्ष्या नहीं बल्कि स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए।*
*11)भाईचारे में घातक प्रतिस्पर्धा की कोई आवश्यकता नहीं है। शादी के मौके पर ऐसा नहीं चाहिए.*
*12) दूल्हा-दुल्हन को हमेशा उपयोगी पोशाक पहननी चाहिए।*
*13) वर्मई को भी शोर नहीं करना चाहिए। हमारी एक बेटी भी है. बहू आपकी बेटी है जो कल आपका ख्याल रखेगी. यह भावना जड़ पकड़नी चाहिए।*
*14) खाने-पीने का तरीका बंद करें और खर्च कम करें और वर-वधू की भविष्य की प्रगति में योगदान दें।*
*15) ऐसे बर्तन/फर्नीचर नहीं चाहिए जो दुनिया में कभी काम न आएं।*
*16) हल्दी के कार्यक्रम में मेहंदी, वैदिक विधि, भीड़ से बचना चाहिए। स्वागत समारोह में सादगी लानी चाहिए।*
*17) क्रिकेट 5-दिवसीय, वनडे से 20-20 हो गया। तो हम शादी को छोटा/प्रबंधनीय क्यों बनाते हैं?*
*18) केवल कुछ लोग ही सभी मेहमानों के साथ आराम से बातचीत कर सकते हैं।*
*19) शादी के कार्ड की कीमत पढ़ें और शादी का कार्ड व्हाट्सएप के माध्यम से भेजें और कार्ड भेजने के बाद संबंधित व्यक्ति को फोन करके जिद करने के लिए आमंत्रित करें, शादी से दो दिन पहले दोबारा याद दिलाने के लिए फोन करें।
*20) किसी भी जाति और धर्म की अच्छी बातें स्वीकार करनी चाहिए।*

*21)समाज को बेहतर बनाने के लिए सभी को एक कदम आगे बढ़ाना चाहिए।*
*आइये सुधारों की शुरुआत स्वयं से करें! धीरे-धीरे पूरा समाज बदल जाएगा और एक दिन समाज 100% प्रगति करेगा!*

*सिर्फ पढ़ो मत...!*
*आप भी सोचिये...!*
*(यह सन्देश समाज के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचायें।)*
*🙏🏻यह विनम्र निवेदन है।*
*💯%यह समय की मांग है।*
धन्यवाद🙏🙏

🎄🎄🎄 जयभीम नमो बुद्धाय 🎄🎄🎄🌲🌲 आपके अच्छे स्वास्थ्य समृद्धि और सुखी जीवन हेतु हार्दिक शुभकामनाएं।🌲🌲🙏 Good evening ✨ 🙏
17/12/2024

🎄🎄🎄 जयभीम नमो बुद्धाय 🎄🎄🎄
🌲🌲 आपके अच्छे स्वास्थ्य समृद्धि और सुखी जीवन हेतु हार्दिक शुभकामनाएं।🌲🌲
🙏 Good evening ✨ 🙏

जय जय भीम जी। ✍️✍️Good morning friends. Nature makes  everything we see around us, the trees, flowers, plants, animals, ...
23/07/2024

जय जय भीम जी।
✍️✍️
Good morning friends. Nature makes everything we see around us, the trees, flowers, plants, animals, sky, mountains, forests and more.We find many colours in nature which make the Earth beautiful.The beauty of nature lies in its freshness, openness, slow breeze and the warm sun,relief for our brains. But remember it
is always dark just before the day dawns.
पाना है अगर जिंदगी का उद्देश्य, परायो में भी अपनों की तलाश कर तो सही है।

दुश्मनों की गलियो में,
दोस्तों की तलाश कर तो सही।

कोयले की खदानों में, हीरों की तलाश कर तो सही।

ढूंढना है अगर मोती,
गहरे समंदर में, गोता लगा तो सही।

घने अंधेरों में, उजालों की तलाश कर तो सही।

गहरी नफरत में भी,
प्यार की तलाश कर तो सही।

घनी पतझड़ में,
बहारों की तलाश कर तो सही।

ग़म की गलियों में, खुशियों की तलाश कर तो सही।

मुरझाए फूलों में, सुखी कलियों में, महक की,
खुशबू की तलाश कर तो सही।

खुल जाएंगे सभी रास्ते रुकावटों से लड़ तो सही,
सब होगा हासिल जिद्द पर अड़ तो सही।
*Over every mountain there is a path, although it may not be seen from the valley.*

21/07/2024
🌷*आषाढ़ी पूर्णिमा : गौतम बुद्ध का पहला धम्म उपदेश..यही गुरू पूर्णिमा है .*🌷भविष्य तर्क, विवेक,बुद्धि, विज्ञान, सुख शांति ...
21/07/2024

🌷*आषाढ़ी पूर्णिमा : गौतम बुद्ध का पहला धम्म उपदेश..यही गुरू पूर्णिमा है .*🌷
भविष्य तर्क, विवेक,बुद्धि, विज्ञान, सुख शांति का है. भविष्य बुद्ध का है.
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आषाढ़ी पूर्णिमा का मानव जगत के लिए ऐतिहासिक महत्व है. लगभग छब्बीस सौ साल पहले और 528 ईसा पूर्व 35 साल की उम्र में सिद्धार्थ गौतम को बोधगया में बुद्धत्व की प्राप्ति हुई और बुद्ध बने. दुख के कारण व निवारण के मार्ग की खोज की.
महाकारुणिक सम्यकसम्बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के दो महीने बाद आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन सारनाथ में पञ्चवर्गीय भिक्खुओं-कौण्डिन्य, वप्प,भद्दीय,अस्सजि और महानाम को अपना पहला ऐतिहासिक धम्म उपदेश दिया था. जिसमें कहा--
'भिक्षुओ ! बहुजन हिताय बहुजन सुखाय लोकानुकंपाय, अर्थात बहुजनों यानी बहुत जनों के हित के लिए, ज्यादा से ज्यादा लोगों के कल्याण के लिए, उन पर अनुकंपा करते हुए चारिका करो. एक जगह इकट्ठा होने की बजाय अलग अलग दिशाओं में विचरण कर धम्म की देशना दो. बहुजन यानी ज्यादा से ज्यादा लोगों को दुख दूर करने एवं सुखी जीवन का मार्ग बताओ .प्रेम, करुणा व मैत्री का प्रचार-प्रसार करो.
इस उपदेश के माध्यम से तथागत बुद्ध ने प्राणि मात्र के कल्याण के लिए 'धम्म का चक्का' घुमा कर भिक्खुसंघ की स्थापना की. इसलिए इसे संघ दिवस भी कहते है. इसी दिन से तीन रत्न- बुद्ध, धम्म और संघ का स्वरूप साकार हुआ था.
इसी दिन भगवान बुद्ध के देहांत के एक माह बाद पाच सौ अर्हत भिक्खुओं की पहली धम्म संगीति यानी कॉन्फ्रेंस राजगीर की सप्तपर्णी गुफाओं में हुई थी.
आषाढ़ी पूर्णिमा का दिन 'धम्मचक्क पवत्तन दिवस' के रूप में मनाया जाता है. इस मानवतावादी मध्यम मार्ग के उपदेश को पालि भाषा में “धम्मचक्कपवत्तन सुत्त” कहा जाता हैं.
इस दिन से भिक्खुओं का 'वर्षावास' शुरू होता है .वर्षाऋतु में आषाढ़ पूर्णिमा से आश्विन पूर्णिमा, तीन माह तक बौद्ध भिक्खुओं को एक विहार में वास करने व धम्म उपदेश देने को वर्षावास कहते हैं.
वर्षावास का समापन समारोह कार्तिक पूर्णिमा को होता है. वर्षावास शुरू से समापन तक चार माह होते हैं, इसलिए इसे चातुर्मास भी कहते है. वर्षावास रखना श्रमण संस्कृति का अभिन्न अंग है. बौद्ध संस्कृति में इसे वर्षावास और जैन संस्कृति इसे चातुर्मास कहते हैं.
वर्षावास की शुरुआत भगवान बुद्ध ने ही की थी क्योंकि उस समय आवागमन के ऐसे साधन नहीं थे, भिक्षुओं को पैदल ही यात्राएं करनी होती थी, बारिश मे जंगलों में जहरीले जीवों से बचाव व रास्तों में नन्हें जीवों व वनस्पति के बचाव के लिए यह व्यवस्था की थी.
•आज ही के दिन सिद्धार्थ गौतम ने माता महामाया की कोख में गर्भ धारण किया था
• आज ही राजकुमार सिद्धार्थ ने लोक कल्याण की भावना से गृहत्याग, महाभिनिष्क्रमण किया था |
•आज ही के दिन बुद्ध ने सारनाथ की पावन भूमि पर पंच्चवर्गीय भिक्खुओं को 'धम्मचक्कप्पवत्तन सुत्त' का उपदेश दिया .
•आज ही के दिन पंच्चवर्गीय भिक्खुओं ने तथागत बुद्ध को अपना शास्ता, मार्ग दिखाने वाला (गुरू)स्वीकार किया था. जिसके कारण इस पूर्णिमा को अन्य संप्रदाय में 'गुरू पूर्णिमा' भी कहते हैं. हालांकि तथागत बुद्ध खुद के लिए गुरु शब्द को अच्छा नहीं मानते थे. इसकी बजाय वे स्वय को 'कल्याण मित्र' यानी प्राणी मात्र को सही मार्ग बता कर कल्याण चाहने वाला कहते थे.
जब जम्बूद्वीप के इस भूभाग से बुद्ध के धम्म की गौरवशाली संस्कृति को नष्ट किया गया तो इसकी परम्पराएं भी दूसरों ने लेकर उनका अपना लेबल लगा दिया. लेकिन अपने स्वार्थवश वर्षावास, गुरु, गुरु पूर्णिमा के भावों का दुरुपयोग कर इनके मानव कल्याण के स्वरूप को ही विकृत कर दिया.
लेकिन सुखद यह है कि बुद्ध व उनके धम्म के प्रेम, करुणा व मैत्री की संस्कृति पूरे संसार मे फिर से जीवित होकर तेजी से अंगिकार की जा रही है. आज विज्ञान के युग में मनुष्य तर्क, विवेक, प्रज्ञा, सुख शांति व मानव कल्याण के विचार को ज्यादा महत्व दे रहा है. अत: वह वैज्ञानिक व मानवतावादी धम्म और बुद्ध की खोजी हुई विपस्सना ध्यान साधना के साथ सुख शांति के बुद्ध के मार्ग की ओर चल पड़ा हैं.
भविष्य तर्क,विवेक, विज्ञान, बुद्धि और मानव हित की बातों का है.भविष्य बुद्ध का है
सबका मंगलं हो.. सभी प्राणी सुखी हो

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31/03/2024

जो भी भाई बहन मुझे फॉलो करेंगा उसको में भी फॉलो करूंगा आपकी अति कृपा होगी🔹🔹 जयभीम नमो बुद्धाय 🔹🔹
🌼 आपके अच्छे स्वास्थ्य समृद्धि और सुखी जीवन हेतु हार्दिक शुभकामनाएं।🌼
🙏🙏🙏💯💯💯💯💯❤️❤️❤️

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