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आयुर्वेद में गठिया (अर्थराइटिस) के इलाज के लिए कई प्राकृतिक और प्रभावी उपचार हैं। यहाँ कुछ आयुर्वेदिक उपचार दिए गए हैं: ...
07/01/2025

आयुर्वेद में गठिया (अर्थराइटिस) के इलाज के लिए कई प्राकृतिक और प्रभावी उपचार हैं। यहाँ कुछ आयुर्वेदिक उपचार दिए गए हैं:

# आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ
1. *तुलसी*: तुलसी में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो गठिया के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं।
2. *अश्वगंधा*: अश्वगंधा में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो गठिया के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं।
3. *गुग्गुल*: गुग्गुल में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो गठिया के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं।
4. *हरिद्रा*: हरिद्रा में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो गठिया के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं।

# आयुर्वेदिक आहार
1. *गर्म और हल्का आहार*: गर्म और हल्का आहार जैसे कि दाल, चावल, और सब्जियाँ गठिया के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं।
2. *तैलीय भोजन*: तैलीय भोजन जैसे कि घी, नारियल तेल, और सरसों का तेल गठिया के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं।
3. *अम्लीय भोजन से बचें*: अम्लीय भोजन जैसे कि टमाटर, नींबू, और साइट्रस फल गठिया के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं।

# आयुर्वेदिक उपचार
1. *पंचकर्म*: पंचकर्म एक आयुर्वेदिक उपचार है जिसमें शरीर को शुद्ध करने के लिए विभिन्न प्रक्रियाओं का उपयोग किया जाता है।
2. *अभ्यंग*: अभ्यंग एक आयुर्वेदिक उपचार है जिसमें शरीर पर तेल की मालिश की जाती है।
3. *स्वेदन*: स्वेदन एक आयुर्वेदिक उपचार है जिसमें शरीर को पसीने के माध्यम से शुद्ध किया जाता है।

# आयुर्वेदिक योग और व्यायाम
1. *योग*: योग एक आयुर्वेदिक अभ्यास है जिसमें शरीर और मन को शुद्ध करने के लिए विभिन्न आसनों और प्राणायामों का उपयोग किया जाता है।
2. *व्यायाम*: व्यायाम एक आयुर्वेदिक अभ्यास है जिसमें शरीर को मजबूत और लचीला बनाने के लिए विभिन्न व्यायामों का उपयोग किया जाता है।

यह ध्यान रखें कि आयुर्वेदिक उपचार के लिए एक आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना आवश्यक है।

आयुर्वेद में स्वस्थ आहार का बहुत महत्व है। यहाँ कुछ आयुर्वेदिक आहार सुझाव दिए गए हैं: # मौसम के अनुसार आहार1. *शरद ऋतु (...
06/01/2025

आयुर्वेद में स्वस्थ आहार का बहुत महत्व है। यहाँ कुछ आयुर्वेदिक आहार सुझाव दिए गए हैं:

# मौसम के अनुसार आहार
1. *शरद ऋतु (सर्दियाँ)*: गर्म और हल्के भोजन जैसे कि दाल, चावल, और सब्जियाँ।
2. *ग्रीष्म ऋतु (गर्मियाँ)*: ठंडे और हल्के भोजन जैसे कि सलाद, फल, और दही।
3. *वर्षा ऋतु (बारिश)*: हल्के और सुपाच्य भोजन जैसे कि खिचड़ी, दाल, और सब्जियाँ।
4. *हेमंत ऋतु (सर्दियों की शुरुआत)*: गर्म और पौष्टिक भोजन जैसे कि दाल, चावल, और सब्जियाँ।

# आयुर्वेदिक आहार सिद्धांत
1. *तीन दोष*: आयुर्वेद में तीन दोषों - वात, पित्त, और कफ - के अनुसार आहार लेने की सलाह दी जाती है।
2. *प्राकृतिक और ताज़ा भोजन*: प्राकृतिक और ताज़ा भोजन का सेवन करना चाहिए।
3. *संतुलित आहार*: आहार में सभी पोषक तत्वों का संतुलित मिश्रण होना चाहिए।
4. *भोजन की मात्रा*: भोजन की मात्रा व्यक्ति की आवश्यकता और क्षमता के अनुसार होनी चाहिए।
5. *भोजन का समय*: भोजन का समय व्यक्ति की दिनचर्या और आवश्यकता के अनुसार होना चाहिए।

# आयुर्वेदिक आहार के लाभ
1. *स्वास्थ्य में सुधार*: आयुर्वेदिक आहार स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करता है।
2. *बीमारियों से बचाव*: आयुर्वेदिक आहार बीमारियों से बचाव करने में मदद करता है।
3. *ऊर्जा और ताजगी*: आयुर्वेदिक आहार ऊर्जा और ताजगी प्रदान करता है।
4. *मानसिक स्वास्थ्य में सुधार*: आयुर्वेदिक आहार मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करता है।

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