Ekeshwar Divine

Ekeshwar Divine Abhishek Suryawanshi belongs to a lineage of psychics and mystics. He is an excellent palm reader also.

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भगवान श्री गणेश आप सब के जीवन में सुख समृद्धि और शांति का संचार करें।गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं।
07/09/2024

भगवान श्री गणेश आप सब के जीवन में सुख समृद्धि और शांति का संचार करें।

गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं।

कौसल्या शुशुभे तेन पुत्रेणामिततेजसा।यथा वरेण देवानामदितिर्वज्रपाणिना।।जिस प्रकार भगवान इंद्र के आने से माता अदिति शोभित ...
21/01/2024

कौसल्या शुशुभे तेन पुत्रेणामिततेजसा।
यथा वरेण देवानामदितिर्वज्रपाणिना।।

जिस प्रकार भगवान इंद्र के आने से माता अदिति शोभित हो रही थीं, ठीक उसी प्रकार श्रीराम के आने से माता कौशल्या की शोभा हो रही है।

गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ
19/09/2023

गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ

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26/03/2023

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20/02/2023

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03/02/2023

परीक्षा और सवारी की एक कहानी

मोरपंखों का प्रयोग सनातनी घरों में और तंत्र में बहुधा होता रहा है। माना जाता है कि मोरपंख घर में रखने से नकारात्मक शक्ति...
07/09/2022

मोरपंखों का प्रयोग सनातनी घरों में और तंत्र में बहुधा होता रहा है। माना जाता है कि मोरपंख घर में रखने से नकारात्मक शक्तियाँ दूर रहती हैं तथा यह शुभता का प्रतीक है। सर्वविदित है कि भगवान श्रीकृष्ण मोरमुकुट धारण करते हैं तथा मोरपंख कृष्णप्रिया है। विवाह के समय जाते हुए दूल्हे को मौर पहनाया जाता है। मौर में मोर की बनावट होती है। मान्यता है कि मौर दूल्हे की बुरी शक्तियों से रक्षा करता है।

मोर पक्षी को भौतिक दृष्टि से भी देखें तो यह विषैले जंतुओं को अपना ग्रास बनाता है। संभवतः यह भी एक कारण रहा है जो मोर को सनातन में विशेष स्थान मिला है।

इस अवध्य पक्षी के पंख को घर में रखने से अनेक लाभ मिलते हैं। परन्तु आवश्यक है कि ये पंख हिंसापूर्वक न निकाले गए हों, बल्कि चुने गए हों। जब मोर के शरीर से पंख झड़ जाते हैं तो संग्रहकर्ता उन्हें चुनकर बाजार में बेच देते हैं। ऐसे मोरपंख हर कार्य हेतु उपयुक्त हैं। परन्तु मोर के शरीर से बलपूर्वक निकाले गए पंखों के प्रति विशेष सावधान रहने की आवश्यता है। ये लाभ के स्थान पर हानि ही देंगे।

31/08/2022

लोकदेवता बाबू खुशियाल सिंह Lokdevta Babu Khushiyal Singh | Ekeshwar Divine

रुद्राक्ष - अर्थात स्वयं भगवान रूद्र की आँखें। उपनिषदों के अनुसार जब भूतभावन महादेव ने माता सती के आत्मदाह के उपरांत उनक...
01/08/2022

रुद्राक्ष - अर्थात स्वयं भगवान रूद्र की आँखें। उपनिषदों के अनुसार जब भूतभावन महादेव ने माता सती के आत्मदाह के उपरांत उनका शरीर लेकर तांडव प्रारम्भ किया तो वे अपने रौद्र रूप में थे। माता सती के शव के टुकड़े होने के पश्चात् जब भगवान शिव सौम्य हुए तो रुद्र की आँखें बीज रूप में परिवर्तित हो गईं। वे बीज रुद्राक्ष के नाम से जाने गए।

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