ARYA SAMAJ Sambhar LAKE

ARYA SAMAJ Sambhar LAKE Contact information, map and directions, contact form, opening hours, services, ratings, photos, videos and announcements from ARYA SAMAJ Sambhar LAKE, Maharshi dayanand marg, Sambhar.

25/08/2024

*फ़िक्र चाहे,*
*किसी की करो या मत करो,*
*मगर, उनकी फ़िक्र सदा करो*
*जिन्होंने, तुम्हें बड़ा होने तक*
*सदा हर बात से*
*बेफ़िक्र रखा है ।*

*”कलयुग बड़ा विकराल रूप ले रहा है…आज का राम दशरथ को बनवास भेज रहा है।”*

*जय श्री राधे राधे 🙏🙏🙏*

22/07/2024

मेरे पति का जौनपुर में ट्रांसफर हुआ था। नया शहर, नए लोग। बेटे का जिस स्कूल में एडमिशन करवाया था, उसी स्कूल के एक विद्यार्थी राघव का घर हमारी कॉलोनी में था। संयोग से वह भी पाँचवीं क्लास में पढ़ता था। जान-पहचान बढ़ाने के उद्देश्य से एक दिन मैंने उनके घर की घंटी बजाई।

दरवाजा खुला और राघव की मम्मी ने हमें देखा। उनकी नजरें थोड़ी अचकचाईं, जब उन्होंने एक अनजान महिला को बच्चे के साथ देखा। मैंने मुस्कुराते हुए परिचय दिया, "मेरा बेटा नमन और राघव एक ही स्कूल और एक ही क्लास में हैं, तो सोचा आपसे मिल लूं।"

"ओह, हाँ-हाँ...प्लीज अंदर आइए," कहते हुए उन्होंने हमें अंदर बुलाया। उस वक्त शाम के चार बज रहे थे। राघव कहीं नहीं दिख रहा था, तो मैंने सोचा, शायद वह बाहर खेल रहा होगा। फिर भी मैंने पूछ लिया, "मिसेज़ चंद्रा, राघव कहाँ है? नमन उसके साथ खेलता, वह कहीं खेलने गया है क्या?"

"इस वक्त खेल! नहीं मिसेज़ गुप्ता, इस समय तो राघव अपनी पढ़ाई करता है। मैं राघव को बाहर खेलने कम ही भेजती हूँ। कितना समय बर्बाद होता है और फिर बाहर कितनी धूल है, बीमार पड़ गया तो..."

उनके तर्क सुनकर मैं हैरान रह गई। पाँचवीं कक्षा के छोटे बच्चे पर इतना बोझ! मैंने कहा, "अच्छा, ठीक है, एक मिनट के लिए बुला दीजिए, हम उससे मिल तो लें।" बेमन से उन्होंने राघव को आवाज दी। उसके बिखरे बाल, उतरा चेहरा और तनाव देखकर मैं चकित रह गई। नमन की किसी बात का जवाब उसने सही से नहीं दिया। वह कुछ डरा-डरा हुआ भी था।

वहाँ से वापस आने पर मेरी आँखों के सामने मासूम राघव का उदास चेहरा घूमता रहा। नमन ने भी बताया कि स्कूल में भी लंच ब्रेक में राघव अकेले ही बैठा रहता है।

कुछ दिनों बाद नमन की क्लास में मैथ्स और हिंदी विषय के टेस्ट हुए। राघव का मैथ्स में नमन से एक नंबर कम आया तो मिसेज़ चंद्रा परेशान हो गईं। उन्होंने तुरंत मुझे फोन किया, "मिसेज़ गुप्ता, मेरा राघव दिनभर पढ़ता है और आपके नमन को हमने हमेशा खेलते ही देखा है, फिर उसके नंबर राघव से ज्यादा कैसे आ गए?" उनके स्वर में चिंता के साथ-साथ क्रोध का भी पुट था।

मैंने कहा, "मिसेज़ चंद्रा, शांत हो जाइए। एक अंक कम या अधिक होने से बच्चे की बुद्धिमत्ता में कोई फर्क नहीं पड़ता। रही बात खेलने की, तो इससे बच्चे के शरीर की मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं। पसीने के साथ शरीर की आंतरिक गंदगी भी बाहर निकल जाती है। बच्चे आपस में मिलते हैं तो उनमें आपसी सहयोग की भावना विकसित होती है। विचारों के आदान-प्रदान से बच्चे नई-नई बातें सीखते हैं। खेलने से उनका मन प्रसन्न होता है, तब वे दोगुनी मेहनत से पढ़ाई करते हैं। हर वक्त पढ़ाई कहकर हमें उनका बचपन नहीं छीनना चाहिए। खेलने से बच्चे बर्बाद होते तो कपिल देव और सचिन तेंदुलकर जैसे खिलाड़ी हमारे देश को कैसे मिलते।"

मैंने एक गहरी साँस ली और फिर उनसे कहा, "मिसेज़ चंद्रा, आपने महान वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिसन का नाम तो सुना ही होगा। खेल-खेल में ही उन्होंने कितने आविष्कार कर डाले थे। मैं तो कहती हूँ कि आप राघव को भी..."

"ठीक है-ठीक है...मैं समझ गई मिसेज़ गुप्ता," उनके तीखे स्वर से मैं समझ गई कि मेरे भाषण से वह पक गई थीं। दो दिन बाद नमन ने मुझे बताया, "मम्मी, आज तो राघव भी हमारे साथ खेला था।" सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा।

अगले महीने फिर से नमन और राघव की परीक्षा हुई। रिजल्ट मिलने के बाद मिसेज़ चंद्रा मेरे घर आईं और मुझे मिठाई का डिब्बा थमाते हुए बोलीं, "थैंक यू मिसेज़ गुप्ता। आपकी वजह से राघव ने इस परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त किए हैं। वह खेलने के बाद बहुत खुश होकर पढ़ाई करता है, मुझसे और अपने पापा से हर बात शेयर भी करने लगा है। थैंक यू सो मच!" उनके चेहरे पर खुशी देखकर मुझे भी बहुत अच्छा लगा।

बच्चे वास्तव में नन्हीं-नन्हीं कलियाँ हैं जिन्हें खिलने और फूल बनने के लिए स्वच्छंद और प्रेमपूर्ण वातावरण की आवश्यकता होती है। यदि उन्हें बंद कमरे में रखा जाए तो वे खिलने से पहले ही कुम्हला जाते हैं। यह हमारे समाज और परिवार की जिम्मेदारी है कि हम उन्हें खुला वातावरण, प्यार और समर्थन प्रदान करें ताकि वे अपनी पूरी क्षमता से खिल सकें और जीवन में सफलता प्राप्त कर सकें। उनका सही पोषण, शिक्षा और देखभाल करना हमारा कर्तव्य है ताकि वे एक उज्जवल भविष्य की नींव रख सकें। 🌸🌟

20/06/2024

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष में कल प्रातः है 6:00 बजे से 7:00 बजे तक
*आर्य समाज सांभर लेक*
में योग शिविर का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें आप सभी सादर आमंत्रित हैं।

*करो योग रहो निरोग*

30/05/2024

*विदेश में एक समाचार पत्र में बड़ा अजीब सा विज्ञापन प्रकाषित हूआ था:-.!!*
*शीर्षक था." वृद्ध दम्पत्ति चाहिए",,*
*जो हमारे साथ में रहे.!*
*एक वृद्ध दम्पत्ति ने फोन किया,,-*
*हमें जॉब चाहिए.पर काम क्या करना होगा..??*
*वहाँ से आवाज़ आई..*
*हम दोनों,डॉक्टर्स हैं..!*
*हमारी "माँ" तीन महीने पहले चल बसी..!!*
*काम करने के लिए हमारे पास सेवादार हैं..!*
*पर हमें कोई पुछने वाला नहीं है कि,*
*बेटा आज देर से क्यूँ आये..?😰*
*खाना खाया या नहीं..??😰*
*हम काम से घर आएँ तो,कोई प्रेम देकर सहला दे..!!*
*उन वृद्व दंपति की आँखों में आँसू आ गए..😰*
*आदरणीय,,मित्रो..*
*जगत की विडम्बना है कि.जिनके घर में माता-पिता हैं.उनकी कदर नहीं है..!!😔🙇🏻‍♂️🙏*
*और जिनके नहीं हैं,*
*उनको लगता है माता-पिता होते तो कितना अच्छा रहता..!!🙏🤷‍♂️😒*
*याद रखें,,*
*मुफ्त में सिर्फ मां बाप का प्यार मिलता है.उसके बाद हर रिश्ते के लिए कुछ ना कुछ चुकाना पड़ता है..!!*
*इस समुची सृष्ट्री में "मांता"पिता से बढकर कोई नही..!!*
*काश..यह सभी संताने समझ पाती..!!*
🙏🙏🙏

25/05/2024

*बाबा रामदेव ने मधु मख्खी के छत्ते को पत्थर मारा है* जो बहोत सोची समझी स्टाइल से भारत की प्रकृतिक चिकित्सा को आहिस्ता आहिस्ता खत्म कर रहे थे और उसमे काफी हद तक सफल भी थे
IMA यानी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन एक NGO है उसको इतनी तकलीफ क्यों हुई है?

अब बाबा जो नही पूछ पाए वो अब जनता पूछ रही है IMA को और सरकार को भी कि...

1. एलोपैथी की दवाई में MRP की जगह प्रोडक्शन कॉस्ट बता दे तो बड़ी बड़ी फार्मास्युटिकल कंपनीया कितनी लूंट मचा रही है वो जनता को समज आएगा

2. एक ही दवाई की बीस कंपनी के अलग दाम क्यों है?

3. डॉक्टरों को यूरोप की टूर कंपनी वाले क्यों देते हैं ?डॉक्टरो के घर के AC, TV, Fridge और बहोत सारी बाते pharma कंपनीयो की देन क्यों होती है..?

4. जेनरिक दवाइयों को सरकार को क्यों लाना पड़ा है?

5. कुछ मेडिकल स्टोर्स 20 से 30 % डिस्काउंट क्यों देते हैं? इतना डिस्काउंट है तो कमाई कितनी है?

6. हॉस्पिटल्स के कमरे का किराया 3 हजार से 60 हजार एक दिन का क्यों है? भारत की 5 स्टार 7 स्टार होटल से भी इन हॉस्पिटल्स का भाडा ज्यादा क्यों है?

7. मेडिक्लेम आने के बाद 1996 से मेडिकल ट्रीटमेंट इतनी महेंगी क्यों हुई?

8. बड़े दवाई के डिस्ट्रीब्यूटर दस बीस करोड़ की प्रॉपर्टी गाजर मूली के जैसे क्यों खरीदते हैं?

9. जब भी कोई नया हॉस्पिटल तयार होता है तो वहा की pharmacy वाला करोडों में कैसे बिकती है

10. केंद्र सरकार भी दवाई की ऊपर भाव क्यों नही बांध सकती है?

11. लूट का लाइसेंस किसने दिया इन फार्मा कंपनियों को?

12. सभी बातों को साइंस से प्रमाणित किया जाना अच्छी बात है लेकिन विज्ञान में आज जो सही है वो कल गलत हो जाता है ऐसा क्यों है?

13. दूसरी पारम्परिक दवाईओ को जो आज तक हमारी दादीमाँ और वैध देते आये थे उसको नजरअंदाज करने के लिए ब्रेन वॉश किस ने किया?

14. दूसरी सब चिकित्सा पद्धतियों को क्यों नजरअंदाज किया गया?

15. एलोपैथी की उम्र कितनी ? प्राचीन आयुर्वेद कितना पुराना?,
महर्षि चरक को किसने भुला दिया?

16. भारत मे मौसम अलग अलग है..उस हिसाब से हमारे खान पान है, सेंकडो मिठाई खाने के बाद हमारे बाप दादा 100 साल निकाल लेते थे।

17. डायबिटीज में सुगर की मात्रा हर चार-पाच साल में नीचे लाने का पाप किसका है? याने जो 4 साल पहले sugar patient नही था, वो अचानक से अब Diabetes का रोगी हो गया

18. हम गर्मी में खरबूजा कलिंगड लिम्बु पानी गुलकंद खाकर दस बीस साल पहले 40 डिग्री में काम करते थे ।

खेर हमारी लड़ाई बाबा रामदेव ने शुरू की है और बाबा से तकलीफ IMA को ये है की वो 18000 अठारह हजार करोड़ का टर्न ओवर कर रहे हैं और कमाई का बड़ा हिस्सा सामाजिक कार्यो को दे देते हैं इसलिए लोकप्रिय है,

लाखो छोटे किसानो को रोजी रोटी दी है एलोवेरा तुलसी इत्यादि वनस्पति और जड़ीबूटियों की खेती वाले के लिए रामदेव बाबा बहोत मायने रखते है। ✌🏼✌🏼

और हा कांग्रेस के समय मे बाबा के उपर किये जुल्म सब को याद है तो बाबा खुद कैसे भूलेंगे, वो समय पर बाबा की पतंजलि के सभी स्थानों पर फ़ूड एंड एल्डरट्रेसन के छापे वृंदा करात प्रकाश करात जो 100% वामपंथी CPI के सांसद थे उसने डाले थे वो क्यों भूलेंगे? 🤔🤔

बाबा रामदेव ने भारत की जनता की आवाज़ उठाई हैं और pharma कंपनियो की मोनोपॉली पे वार किया है ... 💪🏻💪🏻

आप को क्या करना है वो आप को तय करना है। 🤔

जय आयुर्वेद जय भारत
ये "IMA" भी कितनी नादान है जब 🔥
1. जब 1800 का कॉन्टेक्ट लेंस बाजार में 18000 में बिकने की खबर छपी तब भी IMA नहीं बोली

2. जब दवा कंपनियों ने मेडिकल स्टोर वालों को खांसी की 100 शीशी पर 200 शीशी का गिफ्ट आफर मिला तब भी IMA नहीं बोली

3. जब सर्जिकल आइटम 80-85% की छूट पर दुकानदार को दिए तब भी IMA नहीं बोली

4. जब दवा प्रिंट रेट का मात्र 25-30 % लेकर दुकानों पर बेची और दुकानदार ने प्रिंट रेट से 20% ऊपर कस्टमर से वसूले तब भी IMA नहीं बोली

5. जब प्रिंट रेट अचानक हर चार महीने में 25%बढ़ी तब भी IMA नहीं बोली.

6. जब MRI, XRay, HRCT की रेट अचानक दुगुनी,चौगुनी हो गयी तब भी IMA नहीं बोली

7. जब लेब की रिपोर्ट एक डॉक्टर से दूसरे डॉक्टर तक जाते ही खारिज हो जाती है तब भी IMA नहीं बोली

8. जब एम्बुलेंस ड्राइवर को,डॉक्टर या अन्य स्टाफ को एक मरीज लाते ही 25% कमीशन दिया जाता है तब भी IMA नहीं बोली

9. जब डॉक्टर के घर के गेट पर कमीशन राशि और गिफ्ट लिए कंपनियों के MR रोज परेड करते है तब भी IMA नहीं बोली

10. जब एक पर्टिकुलर डॉक्टर की लिखी दवा शहर के एक मात्र पर्टिकुलर मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध हो तब भी IMA नहीं बोली

बस बाबा ने आपके करोड़ों ग्राहक को योग से निरोग कर दिया तो आपके हर्निया की शिकायत हो गयी
आपकी इज्जत कम हो गयी
आपकी मानहानि हो गई...
IMA के नाम से इंडियन
(I) शब्द हटाओ बीमारी की असली वजह यही है।

देश की जनता तक सत्य पहुँचना जरूरी हैं।

24/05/2024

राजस्थान की आबादी 7 करोड़ से ज्यादा है और एक व्यक्ति जिसके पास अपनी 20 फीट जगह है, अगर वह आज सिर्फ एक पेड़ लगाता है, तो सीधे 7 करोड़ पेड़ उगेंगे और अगली गर्मियों में तापमान 30 डिग्री होगा और बारिश होगी अधिक।

केक/कपड़े/बाइक पर हजारों खर्च होते हैं। लेकिन आज थोड़ा सोचो और बाजार जाओ और 20 रुपये का पौधा ले आओ और उसे लगाओ, अगली पीढ़ी के बारे में सोचो। *मिशन ग्रीन राजस्थान*

🌴🌳🌲👆🌧🌧🌱🌿🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳

अगर आपका विवेक कहे तो कम से कम 10 लोगों को यह संदेश भेजें और सहयोग करें। आने वाले मानसून तक यह संदेश पूरे राजस्थान में फैलाएं।🙏🏻*

18/04/2024

*विनम्र आग्रह*
शत प्रतिशत मतदान करें
राष्ट्रहित में मतदान करें
पहले मतदान _फिर जलपान
पहले मतदान_फिर अल्पाहार
पहले मतदान_फिर व्यापार
वोट की चोट से ही मिटेगी लोकतंत्र की खोट।
कदाचार ह बड़ी समस्या करनी होगी कठिन तपस्या ।
चुनकर श्रेष्ठ सुजान करेंगे शत प्रतिशत मतदान ।।
संसद को गुंडों से दागी चेहरों से मुक्त कर दो।
माँ बेटी बहनों का जीना स्वाभिमान से युक्त कर दो।।

18/04/2024

*याद रखना कल शुक्रवार 19-4-2024 को*

*चैत्र का महिना है*
*ग्यारस का पवित्र दिन है*
*इस दिन दान देने का बहुत महत्व है,*

*कमल का फूल लक्ष्मी जी को अतिप्रिय है।*

*मतदान महादान*

*इसलिए कल शुक्रवार 19 अप्रैल 2024 को EVM मशीन मे कमल के निशान के सामने वाला नीला बटन दबाकर भाजपा को विजयी बनाये।*

03/04/2024

हां, मै संघ का एक कार्यकर्ता हूं*
मै जरूरत पड़ने पर ही दिखता हूं, जब राष्ट्र को मेरी जरूरत होती है मै स्वयं भीड़ में से निकल कर आ जाता हूं, और मेरा काम समाप्त हो जाने के बाद मै फिर से भीड़ में खो जाता हूं, राष्ट्र खुशहाल है तो मै प्रसन्न हो उठता हूं और राष्ट्र मुरझाता है तो मै दुखी हो जाता हूं, मुझे नहीं पता कि कौन प्रत्याशी है मै सिर्फ उन्नत राष्ट्र देखना चाहता हूं, मुझे खुशी होती है कि मेरा देश सुरक्षित हाथों में होता है, मुझे बूथ पर ना खाना चाहिए ना चाय चाहिए, मै भूखे रह कर भी निस्वार्थ भाव से राष्ट्र के लिए जी जान से जुटा रहता हूं, जीतने वाले प्रत्याशी को मै नहीं जानना चाहता, ना मै अपनी सूरत दिखाना चाहता, बस मै चाहता हूं राष्ट्र खिलता रहे और इसी लिए मै तन मन से जुटा रहता हूं, हां मै हूं संघ का एक कार्यकर्ता..... मेरी निष्ठा फिर मुझे ले जाती है राष्ट्रकी ओर, मुझे पता है मै ही हूं अपने राष्ट्र की ताकत - इसी लिए मै जुटा रहता हूं, देश को अखंड बनने के लिए, मां भारती के शीश पर मुकुट सजाने के लिए, हां मैं जुटा रहता हूं इस देश को मजबूत नेता प्रदान करने के लिए, इसीलिए मैं जुटा रहता हूं इस देश को मजबूत बनाने के लिए, हां मैं ताकत हूं देश की, और देश मेरी ताकत है

*हां मै संघ का एक कार्यकर्ता हूं.🙏*
🚩🚩🚩🚩

01/03/2024

1.3.2024
मैंने एक स्त्री से पूछा, "आप पैसे क्यों कमाती हैं?" उसने कहा कि -- "हमें अपनी सोना चांदी कपड़े फैशन आदि की इच्छाएं पूरी करने के लिए पुरुषों के आगे हाथ फैलाना पड़ता है। उसमें हमें अपमान या पराधीनता लगती है, इसलिए हम अपने पैसे खुद कमाना चाहते हैं।" मैंने पूछा - "महीने में कितनी बार आपको पुरुषों के आगे हाथ फैलाना पड़ता है?" वह बोली - "वीकेंड पर, अर्थात महीने में चार बार।"
मैंने उससे कहा कि -- "आपको महीने में चार बार हाथ फैलाना पड़ता है, उसमें आपको अपमान या पराधीनता लगती है। इसलिए आप अपने पैसे खुद कमाना चाहती हैं।" "पुरुषों को तो प्रतिदिन चार बार भोजन के लिए आपके आगे हाथ फैलाना पड़ता है। जैसे कि नाश्ता लाओ, भोजन लाओ, चाय लाओ, रात का भोजन लाओ। पुरुषों ने तो कभी नहीं कहा, कि "हमें बहुत अपमान या पराधीनता लगती है, हम भी अपना भोजन खुद बनाएंगे।"
और भी कितनी ही वस्तुओं के लिए पुरुषों को आपके आगे दिनभर हाथ फैलाना पड़ता है। "जैसे मेरे कपड़े लाओ, मेरे जूते लाओ, जुराबें लाओ, टाई लाओ, मेरा फोन लाओ, मेरा रुमाल लाओ इत्यादि।"
पुरुष तो आपसे 40/50 गुना अधिक हाथ फैलाते हैं। आप महीने में चार बार और वे प्रतिदिन छ: आठ बार। सोचिए, "जब वे हर रोज आपके आगे अनेक बार हाथ फैला सकते हैं, और कभी नहीं कहते, कि "हम अपना भोजन खुद बनाएंगे।" "तो महीने में यदि आपको भी चार बार उनके आगे हाथ फैलाने पड़ें, तो इसमें कौन सी बड़ी मुसीबत है?"
पुरुष भी तो दिनभर आपसे मांगते रहते हैं। वे इसमें अपमान या पराधीनता अनुभव नहीं करते। "वे परिवार को परिवार समझ कर चलते हैं। इसलिए महिलाओं को भी परिवार को परिवार समझ कर चलना चाहिए, और "अपमान या पराधीनता लगती है" ऐसी अनुचित अनुभूति न तो करनी चाहिए और न ही कहनी चाहिए।"
"जहां सब लोग मिलजुल कर एक दूसरे का सहयोग करते हैं, एक दूसरे की सेवा करते हैं, एक दूसरे के लिए त्याग करते हैं, एक दूसरे के प्रति समर्पण करते हैं, उसी को तो ''परिवार' कहते हैं। इसी परिवार में तो आनंद है।"
वास्तव में माता-पिता को अपनी बेटियों को यह सिखाना चाहिए, कि "ससुराल में जाकर परिवार की तरह से रहना। केवल अपनी इच्छाएं पूरी करने के लिए अपने पारिवारिक कर्तव्यों की बलि मत चढ़ा देना।" "परंतु आजकल माता-पिता अपनी बेटियों को ऐसा नहीं सिखाते। उसी का यह दुष्परिणाम है, जो कि महिलाएं अपने पैसे खुद कमाना चाहती हैं।" और "इससे महिलाओं का अपना स्वास्थ्य बिगड़ रहा है, उनकी सुख शांति और सुरक्षा भी खतरे में है, परिवार का सुख भी लगभग नष्ट हो चुका है। बच्चों का स्वास्थ्य और चरित्र भी नष्ट हो रहा है। जब माताएं बच्चों को प्रेम नहीं देती, उनकी देखभाल ठीक से नहीं करती, उनको अच्छे संस्कार नहीं देती, तो इसी का परिणाम आगे चलकर उन्हें भुगतना पड़ता है। उन बच्चों का माता-पिता से वह संबंध ही नहीं बन पाता, जो होना चाहिए। जिसका परिणाम माता पिता को बुढ़ापे में भोगना पड़ता है, कि वे बच्चे बड़े होकर अपने माता-पिता को कोई सम्मान और सेवा नहीं देते। वे भी भोगवादी बनकर माता पिता को वृद्धाश्रम में छोड़ आते हैं। इन हानियों को महिलाएं समझें।"
"थोड़े से पैसे कमा कर आप जितना सुख भोगते हैं, वह क्षणिक है। उसका मूल्य कम है। और जो परिवार का संगठन सेवा और बच्चों को संस्कार देकर उनका उत्तम निर्माण करना है, उनके स्वास्थ्य की रक्षा करना, उन्हें एक अच्छा देशभक्त ईमानदार चरित्रवान ईश्वरभक्त उत्तम नागरिक बनाना, इसमें जो सुख मिलता है, वह बड़ा है। इसका मूल्य अधिक है। छोटे सुख के लिए, बड़े सुख को नहीं छोड़ देना चाहिए, क्योंकि इसमें बुद्धिमत्ता नहीं है।"
वास्तव में स्त्रियों की सोच आजकल इतनी बिगड़ चुकी है, कि उन्होंने अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए परिवार और संसार का विनाश कर दिया है। "अपने बच्चों का ठीक से पालन नहीं कर रही। बच्चे पैदा करना और उनका पालन करना तो स्त्रियों का ही काम है, या यह भी पुरुष करेंगे?"
मैं जानता हूं, कि कुछ स्त्रियां मेरे इस कथन से सहमत होंगी। और कुछ स्त्रियां मेरे कथन से असहमत हो कर मुझसे नाराज भी होंगी। कोई बात नहीं। मैं उनकी नाराजगी को सह लूंगा, फिर भी मैं स्त्रियों से विनम्र निवेदन करता हूं, कि "वे सच्चाई को स्वीकार करें। अपने कर्तव्यों का ठीक प्रकार से पालन करें। इसलिए हम उनका सम्मान करते हैं, और उन्हें उनका कर्तव्य याद दिलाना चाहते हैं, कि "वे अपने छोटे-छोटे स्वार्थों की पूर्ति करने में, देश दुनियां का विनाश न करें। क्योंकि देश दुनियां का निर्माण और विनाश दोनों ही स्त्रियों के हाथ में हैं।" "भोगवादी बनने से संसार का कल्याण नहीं होगा, बल्कि संसार में दुख ही बढ़ेंगे. यदि देखना हो, तो पश्चिमी देशों की सभ्यता में आप देख सकते हैं।"
"इसलिए माता-पिता को अपनी सोच बदलनी चाहिए। और अपनी बेटियों को भोगवादी न बनाकर, माता जीजाबाई माता सीता आदि के समान एक उत्तम बेटी का निर्माण करना चाहिए, जो श्रद्धापूर्वक अपने कर्तव्यों का पालन करके देश दुनियां को सुख दे सके।"
---- "स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक, निदेशक दर्शन योग महाविद्यालय, रोजड़ गुजरात।"

17/02/2024

*मेरा कोई अन्नदाता नहीं है। मैं मेहनत करके अपने एवं अपने परिवार का पेट भरता हूं। सो किसी को भी अन्नदाता कहकर मेरी मेहनत को शर्मिंदा व अपमानित न करें।*

जितनी मुझे अन्न की जरूरत है उतनी ही किसान को भी उसकी उपज बेचने की जरूरत है। हम एक दूसरे के पूरक हैं, ना किसान दाता है ना मैं याचक। कोई किसान यह नहीं कहता कि मैं अपने परिवार के लिए पर्याप्त अन्न के अलावा सारी उपज दान करूंगा। सो जबरदस्ती का अन्नदाता हम पर ना थोपें।
*अगर सही मायने में इस देश में कोई दाता है तो वह करदाता है जो अपनी कमाई का एक बहुत बड़ा हिस्सा देश की उन्नति के लिए प्रदान करता है। वह करदाता जिसका कर पहले कटता है और तनख्वाह बाद में आती है। वह करदाता जिसके कर से इन तथाकथित अन्नदाताओं को कई प्रकार की सबसिडियां और कर्ज माफी मिलती है।*

अगर इसी तरह चलता रहा तो कल को जीवन दाता (डॉक्टर), न्यायदाता (जज, वकील) ज्ञानदाता (शिक्षक) ईंधनदाता (पेट्रोल पंप मालिक) इत्यादि दाताओं के संगठन प्रदर्शन के नाम पर सडकें रोक कर अराजकता फैलाने की प्रेरणा लेते रहेंगे।

12/02/2024

🙏 *आओ श्रद्धादिवस मनाएं*
*अपसंस्कृति दूर भगाएं*
-------------------🌹------------------
साथियों,
जैसा कि आप सभी जानते हैं,14 फरवरी को "वैलेण्टाइन डे" के नाम से एक भौण्डा और अनुचित आयोजन पश्चिमी देशों की देखा-देखी हमारे देश में भी विगत कुछ वर्षों से हो रहा है।
बन्धुओं, बहिनों,
यह सब एक सोची-समझी अन्तर्राष्ट्रीय साजिश है,जो हमारी *गौरवशाली भारतीय सभ्यता और संस्कृति को कलंकित कर,नष्ट करने* और हमारी युवा पीढ़ी को पथभ्रष्ट कर,एक *अपसंस्कृति* हम पर,हमारे समाज और राष्ट्र पर थोपने के लिए रची गई है।
भाईयों, बहिनों,
कदाचित् आपको याद ना हो,इसी 14 फरवरी को हमारे *वीर स्वतन्त्रता सेनानियों सर्वश्री भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु जी* को तत्कालीन अंग्रेज सरकार के इशारे पर लाहौर हाईकोर्ट ने फॉंसी की सजा सुनाई थी --ऐसे मनहूस दिन को हम कैसे किसी प्रकार का *आमोद-प्रमोद,उल्लास और उमंग* मना सकते हैं?
और,
कैसे हम *पुलवामा हमले* में शहीद अपने *वीर सैनिकों* के बलिदान को भुला सकते हैं?
आशा है,आप सभी हमारे विचारों से सहमत होंगें।
तो आईये,
*अपनी सभ्यता और संस्कृति को बचाने*
*अपने वीर स्वतन्त्रता-सेनानियों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने*
*अपने वीर सैनिकों के बलिदान को नमन करने*
*अपने भारतीय होने के गौरव को अक्षुण्ण बनाए रखने*
के अपने *पुनीत कर्त्तव्य का निर्वहन* करें।
*दि: 14 फरवरी,2023(बुद्धवार)* को प्रातः 11.00 बजे स्थानीय पॉंचबत्ती चौराहे पर एकत्र होकर
*श्रद्धा-दिवस* मनाएं।
इसी दिन सायंकाल 6.15 बजे इसी स्थान पर अपने वीर सैनिकों के सम्मान में *दीप जलाकर* उन्हें *श्रद्धांजलि* अर्पित करें।

🙏🇮🇳🙏 स्वयं को तो आना ही है -- साथियों को भी लाना है।
तो, आ रहे हैं --आप सभी

🇮🇳🤝🇮🇳 *आओ,साथ चलें!!*

*दि:14 फरवरी,2023(बुद्धवार)*
*स्थान- पॉंचबत्ती,सॉंभर लेक*
*समय- प्रातः 11.00 बजे*
*सायं 6.15 बजे*
*निवेदक*
*समस्त राष्ट्रवादी युवा*
*हम और आप*

Address

Maharshi Dayanand Marg
Sambhar
303604

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when ARYA SAMAJ Sambhar LAKE posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Share