
05/05/2025
बारिश चाय और तुम
बारिश से पेहले की ठंडी हवा के जोखे जैसे हो तुम
भीगी हुई मिट्टी की खुशबू जैसी होती है वैसे हो तुम
चला ना जाये मोसम बारिश का इस वजहसे भिगती हो
खुशी से झुमते नाचते बे-खतर बारिश से कैसे हो तुम
च़ाय के बिना यह बारिश कुछ अधूरी सी लगती है तुम्हे ,
चाय के तलबगार सभी हैं, पर चाय में इलायची जैसे हो तुम
मैं,तुम,चाय और एक मुलाकात ऐसा ख्वाब देखा है,
मेरे ख्वाब सुन के बारिश के इंतजार में फिर से हो तुम