26/01/2024
लो गया आज गणतंत्र दिवस
स्कूल की त्यारी होती थी मस्त
25 जनवरी की रात से ही कपड़ो पर प्रेस
बूटो पर पॉलिश कर के चमचमाते
हाथो में केसरिया,सफेद,हरी रिबन बांध के
स्कूल हायर सेकेण्डरी पहुंचते शान से
नीली वर्दी में सबसे पहले स्काउट वाले दिखाते जोश
फिर खाखी वर्दी में परेड होती सीना तान के
उनके बाद नंबर लगता हमारा करते पिटी ढोल की थाप पे
फिर शुरू होता रंगारंग कार्यक्रम
कोई गाता तो कोई दिखता पराक्रम
कण कण से गूंजे जय जय राजस्थान
इस गीत को सदा मिलता उचित स्थान
सारी की सारी स्कूल की हायर सेकेण्डरी में लग जाता है जमघट
पुरुस्कार तो मानो फिक्स ही था स्टील का ग्लास
लड्डू पाने और खाने की लगी रहती थी आस
दोपहर को हमारा क्रिकेट मैच सांचौर vs स्कूल
सफेद यूनीफ्रोम में क्रिकेट मैदान महसूस होता था कुल
शाम की नेहरूजी को याद करने आ जाते थे नेहरू पार्क में
वॉलीबल की टीम में जगह मिल जाए रहते थे उस फिराक में
रोचक,आक्रमक,आकर्षक होता था
वॉलीबॉल मैच का अभियान
हराने वाली टीम को सहानुभूति
जितने वाली टीम को कुछ ईनाम
रात को चांद की रोशनी में
महवीर रंग मंच पर
देखने लगती थी भीड़
कभी लेता कृष्ण पब्लिक तो कभी महावीर बाल निकेतन लेता लीड
कुछ इस तरह मेरे स्कूल जीवन का होता था गणतंत्र दिवस
अब ग्रुप में बधाई और स्टट्स पर तिरंगा लगा के मस्त
✍🏻 Rakesh Bothra