Mahant Madhodas Udaseen

Mahant Madhodas Udaseen णमो लोए सव्व साहूणम

02/07/2025

दिल्ली में पेट्रोल पंपों पर पुराने वाहनों की पहचान के लिए पंप पर AI आधारित स्मार्ट कैमरे
और
ऑटोमैटिक हूटर सिस्टम भी लगाए गए हैं.
अगर ऐसा कोई वाहन आता है, तो कैमरे तुरंत उसका पता लगा लेते हैं और हूटर बजा देते हैं
जैसे ही आप पेट्रोल भराने जाएंगे, कैमरे बता देंगे कि गाड़ी सीज की जाए
मियाद पूरी कर चुके वाहनों को जब्त करने के लिए राजधानी के सभी 498 पेट्रोल पंपों पर ऑटोमैटेड नंबर प्लेट रीडिंग (ANPR) कैमरे लगाए गए हैं
ये कैमरे पुराने वाहनों को उनकी नंबर प्लेट से तुरंत पहचान लेते हैं और अलर्ट कर देते हैं

अगर पेट्रोल गाड़ी 15 साल पुरानी है, डीजल के मामले में 10 साल हो गए हैं तो.
फिर पास में खड़ी, दिल्ली पुलिस आएगी, गाड़ी सीधे scrap dealer को दे देगी!

दिल्ली के पेट्रोल पंप पर बढ़िया कंडीशन की मर्सिडीज भी हुई सीज
कमाल है
जब पोल्युशन सर्टिफिकेट मिल रहा है.
गाड़ी पोल्युशन भी नहीं कर रही, तो क्यों कबाड़ा किया जा रहा है?
किसी के पास हर दस साल बाद बजट नहीं है नई गाड़ी लेने का, तो वो क्या करेगा?
ये केवल गाड़ी कंपनियों को फायदा पहुंचाने की कोशिश है

कर्नाटक के कुशालनगर तालुक के बसावनहल्ली के एक आदिवासी व्यक्ति कुरुबार सुरेश से मिलिए, इनकी पत्नी मल्लिगे 2021 में लापता ...
01/07/2025

कर्नाटक के कुशालनगर तालुक के बसावनहल्ली के एक आदिवासी व्यक्ति कुरुबार सुरेश से मिलिए,

इनकी पत्नी मल्लिगे 2021 में लापता हो गई थी

इन्होने अपनी ज़िंदा पत्नी मल्लिगे की हत्या के झूठे आरोप में 3 साल जेल में बिताए, जो अपने प्रेमी गणेश के साथ अपने पति के जेल में रहने के दौरान मौज-मस्ती कर रही थी।
सुरेश को सितंबर 2023 में उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई, लेकिन उसे एक और साल जेल में रहना पड़ा क्योंकि उसके पास 1 लाख रुपये का सुरक्षा बांड भरने के साधन नहीं थे।
सितंबर 2024 में सुरेश ने अदालत में जमानत बांड भरा और उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया
और
बाद में उसे अप्रैल 2025 में मैसूर के 5वें अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायालय ने 1 लाख रुपये के मुआवजे के साथ बरी कर दिया।

अब सुरेश ने 5 करोड़ रुपये के मुआवजे और अदालत के रिकॉर्ड में उन्हें "आरोपी" की बजाय "पीड़ित" के रूप में दर्ज करने की मांग की मांग करते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है।
ये क्रूरतम उदाहरण है इस बात का कि कैसे यह व्यवस्था निर्दोषों को फंसाती है, खासकर उन लोगों को जो गरीब और संसाधनहीन हैं।

सुरेश ने थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई, लेकिन पुलिस ने उनके इलाके में एक महिला के कंकाल मिलने के बाद सही से जांच करने के बजाय उन पर ही हत्या का मामला दर्ज कर लिया

उन्हें जबरन अपनी पत्नी की हत्या कबूल करने के लिए मजबूर किया गया और जेल भेज दिया गया

सुरेश ने तब तक तीन साल जेल में बिताए, जब तक कि अदालत के आदेश पर कराई गई डीएनए जांच से यह साबित नहीं हो गया कि वह कंकाल मल्लिगे का नहीं है, इसके बाद सुरेश को ज़मानत मिल गई।

लेकिन ज़मानत पर रिहा होने के डेढ़ साल बाद भी गाँव वाले, रिश्तेदार, यहां तक कि उनके दो किशोर बच्चे भी यही मानते रहे कि सुरेश ने ही अपनी पत्नी की हत्या की थी

उनकी बात किसी ने नहीं मानी, जब तक कि उनके दोस्तों ने 1 अप्रैल को मल्लिगे को उसके बॉयफ्रेंड गणेश के साथ एक होटल में दोपहर का खाना खाते हुए नहीं देख लिया

मल्लिगे के ज़िंदा मिलने के बाद, सेशंस कोर्ट ने सुरेश को बरी कर दिया और कर्नाटक सरकार को ₹1 लाख मुआवज़ा देने का आदेश दिया

18 महीने की जेल, मानसिक, आर्थिक और सामाजिक नुकसान के बदले में सिर्फ 1 लाख

जब डॉक्टर, चार्टर्ड अकाउंटेंट, इंजीनियर आदि से गलती होती है, तो उन्हें सिविल और क्रिमिनल दोनों तरह की सज़ा का सामना करना पड़ता है

फिर यही नियम पुलिस और न्यायाधीशों पर क्यों लागू नहीं होता ?
उस कंकाल का डीएनए टेस्ट किए बिना सुरेश को गिरफ्तार क्यों किया गया ?
जांच इतनी देर से क्यों हुई ?

क्या यह लापरवाही नहीं है ?

और फिर राज्य सरकार को इसकी भरपाई क्यों करनी चाहिए, दोषी अफसरों को क्यों नहीं ?

कायदे से इसमें दोषी सभी पुलिस कर्मियों के निजी संपत्तियों की कुर्की करके इसकी भरपाई होनी चाहिए, आम जनता के टैक्स के पैसे से नहीं

15/06/2025

हीन भावना से ग्रस्त को यह डर लगता है कि कहीं कोई हमको छोटा न समझ ले,

उसे किसी दूसरे को अभिवादन करने में भी हेठी मालूम पड़ती है,

यदि हम उनको हाथ जोड़ देंगे तो लोग कहीं हमको छोटा न समझ लें !

और समर्थ को कोई डर नहीं, वह किसी को भी हाथ जोड़ लेता है, बात कर लेता है, उसे मालूम है वह तो जस का तस रहेगा ..

उसका न मान न अपमान !!

कृष्ण एक बार कीचड़-मिट्टी से खेलकर लिपे-पुते मैया के सामने पहुँचे,

मैया कुपित क्रोधित हो उठी - झिड़कते हुए बोली - 'क्या रे ! तू पिछले जन्म में सूकर था ?'

त्वं सूकरोsसि गतजन्मनि पूतनारे !

लाला मन ही मन मुसकराते सोचने लगे - हे राम! मैया को किस कल्प का वराहावतार दीख रहा - श्वेत या कृष्ण ?

जिसको मछली, कछुआ, घोड़ा - बोलते हों और उस तत्व पर रंच न प्रभाव पड़ता हो सो है ईश्वर !
_____
उसके सामने पोस्टमैन की क्या ही कहें ?

श्रद्धेय सोमदत्त द्विवेदी जी

साहब का मन था बिस्कुट खाने का, दालमोठ कैसे दे दी???बस इतनी सी बात है बाकी उसको कठोर सजा मिलनी चाहिए जिसने परवरदिगारों का...
05/06/2025

साहब का मन था बिस्कुट खाने का, दालमोठ कैसे दे दी???

बस इतनी सी बात है बाकी उसको कठोर सजा मिलनी चाहिए जिसने परवरदिगारों का हुक्म नहीं निभाया

02/06/2025

दुबई के हमारिया इंड्रस्ट्रीयल स्टेट के टेक्नोमैक डीजल डिपो में 80,000 टन डीजल की क्षमता रखने वाले डीजल डिपो में आग लगने से मचा हाहाकार है कई घंटे के अथक प्रयास के बाद भी आग पर काबू नही पाया जा सका

02/06/2025

सन्तों की पुकार

हमारी परिवार संस्था कमजोर कैसे हो रही
परिवारों के बिखरने का मूल कारण क्या है,

तथाकथित प्रगतिशीलों द्वारा TV सिनेमा व सोशल साइट्स के द्वारा महिलाओं को धन अर्जन को उकसाया गया।
धीरे धीरे-धीरे पैसा बढ़ता गया परिवार व पारिवारिक सदस्यों के प्रति कर्तव्य पीछे छूट गया।
सन्तुलन पूरी तरह बिगड़ चुका है।

एक महिला कलेक्टर को कुछ यही बात अपने शब्दों में समझाया जैन मुनि जी ने।

30/05/2025

मैं SBI बैंक के क्रेडिट कार्ड डिपार्टमेंट से बोल रहा हूँ
मैं सिर्फ VIP कस्टमर अटेंड करता हूँ

मैं-जी कहिए

आपका क्रेडिट कार्ड का 65000 रूपए बिल बकाया है

मैं- सूचना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद

आपके बिल भरने की तारीख़ जा चुकी है
आपको भारी भरकम ब्याज चुकाना पड़ेगा, क्या आप चाहते हैं कि केवल बिल की रकम ही भर दी जाए

मैं-जी पड़ा रहने दीजिए, धन्यवाद

आज आपको लास्ट काल किया गया है आज रात से आपका कार्ड बंद कर दिया जाएगा, आपके पास पैसा फालतू है जो मेरी बात समझ नहीं रहे

मैं- जी धन्यवाद

ये क्या धन्यवाद धन्यवाद लगा रखी है समझ नहीं आ रही क्या कह रहा हूँ

मैं- सब समझ आ रहा है बेटाजी पर यहां दाल गलेगी नहीं तुम्हारी……
इतनी देर में तो तुम्हें समझ जाना चाहिए था

“फिर क्यों टैम ख़राब कर रहा” बेचारा बड़बड़ाते हुए फ़ोन काटकर खिसक लिया

💐🙏💐
27/05/2025

💐🙏💐

जब आर्यावर्त की सीमाओं पर,धर्म के मूल स्तंभ हिलने लगें, तो समझो कि,कोई म्लेच्छ तूफ़ान,द्वार पर,आ खड़ा हुआ है। आज उत्तरप्...
27/05/2025

जब आर्यावर्त की सीमाओं पर,धर्म के मूल स्तंभ हिलने लगें, तो समझो कि,कोई म्लेच्छ तूफ़ान,द्वार पर,आ खड़ा हुआ है। आज उत्तरप्रदेश के पीलीभीत,जो नेपाल की सीमा से सटा है,वहां की पवित्र भूमि पर ऐसा ही तूफ़ान दस्तक दे चुका है।

लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अनुसार,वहां के लगभग 3000 सिख और हिन्दू परिवार,मिशनरी माफियाओं द्वारा, योजनाबद्ध तरीक़े से,धर्मांतरित किए जा चुके हैं।

चंगाई सभा,चमत्कार,प्रलोभन,यही उनके शस्त्र हैं।
भूख,बीमारी और अज्ञानता के क्षणों में,
जब कोई कमजोर होता है,तब ये,उसके द्वार पर,
"यीशु की माया" लेकर आ जाते हैं।

ध्यान रहे!
ये धर्म परिवर्तन नहीं,ये 'धर्म अपहरण' है।

जैसे महाभारत में,शकुनि ने,पांडवों के राज्य को,दाँव पर लगवाया था,वैसे ही आज ये मिशनरी माफिया चालाकी से,धर्म की जड़ों को खोखला करने के षड्यंत्र में लगे हुए हैं। गुरु नानक से लेकर गुरु गोविंद सिंह तक,जिनकी वाणी और तलवार ने धर्म की रक्षा की,उन्हीं की संतति को बहकाया जा रहा है,और सब मौन हैं?क्या ये बेअदबी नहीं हो रही?

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने इसपर जांच बैठाई है, पर क्या केवल जांच से,धर्म की रक्षा होगी?
केवल सिख ही नहीं,अपितु हिंदुओं का भी इन्हीं मिशनरी माफियाओं ने धर्म परिवर्तन करवाया है।

सनातन के विभिन्न पंथों को ये समझना होगा कि,यह युद्ध तलवारों का नहीं,अपितु,चेतना का है।

हर गांव,हर सीमा क्षेत्र को 'धर्म-रक्षा-चक्र' की तरह सजग करना होगा।हमें अपने लोगों तक वह चेतना,वह शिक्षा,और वह संस्कार पहुंचाने होंगे,जो उन्हें किसी भी प्रलोभन,किसी भी चमत्कार से डिगने न दें,और ये कार्य सबसे अधिक,मंदिरों,आश्रमों,संगठन से जुड़े हुए हिंदुओं को करना होगा,जो अब तक,बाहर निकलने से कतराते हैं,और उसका फायदा,शत्रु खेमा,अपने पादरियों और पैस्टर को भेज कर लेते हैं,पादरी,नन,पैस्टर तीनों मिलकर,दूरस्थ क्षेत्रों में जा कर,हिंदुओं और सिखों का स्लो ब्रेन वॉश करते हैं,और धीरे–धीरे उन्हें अपने धर्म से विमुख कर,ईसाइयत की ओर झुकाते हैं,और वो हर बार,सफ़ल होते हैं,इसलिए छोड़िए वो कमरे,वो आश्रम का क्षेत्र,वो मंदिर का प्रांगण,और प्रचार– प्रसार,एवं सहायता करने निकलिए,नहीं तो जैसे कई मंदिरों में चांद मियां बैठा दिए गए हैं,उसी प्रकार,आपके मंदिरों और गुरुद्वारों में येशु बैठा दिए जाएंगे,और हालेलुइया–हालेलुइया गया जाएगा,दिन रात।

जिस देश में 'एकं सत विप्रा बहुधा वदन्ति' कहा गया हो,वहां 'एक ही मार्ग' की हठधर्मी सत्ता,नहीं टिक सकती।

धर्मरक्षकों को तय करना होगा कि,वो अपनी नीति में परिवर्तन करते हैं,समय की मांग देखते हुए,या पुराने ढर्रे पर चलते रहेंगे और अपनी पतन के लिए स्वयं ज़िम्मेदार बन जाएंगे.!

✒️ @तत्वज्ञ देवस्य की कलम से

🌚 ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या
विक्रम संवत् २०८२
शनि जयंती
तृतीय बूढ़ा मंगल
ज्येष्ठ अमावस्या
🔆 मंगलवार,२७ मई २०२५

बताओस्वास्थ्य भी पर्यटन हो चलाअगर ये रिपोर्ट वाक़ई सही है तो कमाल है भारत……बाकी सिंगापुर से तो ईलाज यहा सस्ता है ऐसा डाक...
18/05/2025

बताओ

स्वास्थ्य भी पर्यटन हो चला

अगर ये रिपोर्ट वाक़ई सही है तो कमाल है भारत……
बाकी सिंगापुर से तो ईलाज यहा सस्ता है ऐसा डाक्टर धनेश कहते हैं

😂😁😄
14/05/2025

😂😁😄

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Chak 3MJD नाथवाणा रोड़ ; रतनपुरा
Sangaria
335063

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