Mahant Madhodas Udaseen

Mahant Madhodas Udaseen णमो लोए सव्व साहूणम

ब्रह्म वा इदमग्र आसीत् ।  तदात्मानमेवावेत् ।  अहम् ब्रह्मास्मीति ।  तस्मात्तत्सर्वमभवत् ।
25/09/2025

ब्रह्म वा इदमग्र आसीत् ।
तदात्मानमेवावेत् ।
अहम् ब्रह्मास्मीति ।
तस्मात्तत्सर्वमभवत् ।

"एष एव सर्वेषां लोकानां प्रज्ञानं । प्रज्ञानं ब्रह्म ॥"
24/09/2025

"एष एव सर्वेषां लोकानां प्रज्ञानं । प्रज्ञानं ब्रह्म ॥"

यह चर्चा किसी ने की कि भारत में कोई भी बड़ा आंदोलन बिना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष समर्थन ...
23/09/2025

यह चर्चा किसी ने की कि भारत में कोई भी बड़ा आंदोलन बिना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष समर्थन के सफल नहीं हो सकता। संघ 100वें साल में है, जबकि इसका 75 साल का सफर मुश्किलों से भरा रहा, फिर भी यह सफल और मजबूत हुआ, यह सवाल वाकई महत्वपूर्ण है कि यह कैसे संभव हुआ?

मैं इस बात से सहमत हूँ कि हर सफल जन आंदोलन के पीछे संघ की भूमिका रही है। यह उन लोगों को परेशान कर सकता है जो बिना कारण संघ से नफरत करते हैं या हिंदुत्व का कोई दूसरा रास्ता चाहते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि संघ जैसी सफलता कोई और हासिल नहीं कर पाया।

मैं असफल हुए कुछ दक्षिणपंथी (RW) आंदोलनों की बात करूँगा। हाल ही में धीरेंद्र शास्त्री (बागेश्वर बाबा) ने अपनी पैन-इंडिया सनातन यात्रा शुरू की। हिंदी बेल्ट में उनकी लोकप्रियता बहुत है, फिर भी उनकी यात्रा असफल रही। उन्होंने खुद माना कि हिंदुओं ने उनका साथ नहीं दिया। वो कहते हैं कि हिंदू गहरी नींद में हैं।

इससे पहले, सद्गुरु ने 'रैली फॉर रिवर' और 'सेव सॉइल' जैसे आंदोलन चलाए। ये कुछ हद तक सफल रहे, लेकिन इनमें वो जोश नहीं दिखा। 'सेव सॉइल' में किसानों की भागीदारी जरूरी थी, लेकिन कृषि-प्रधान राज्यों में उनकी कमी खली। सद्गुरु की अपील मुख्य रूप से उच्च मध्यम वर्ग तक सीमित रही, खासकर तमिलनाडु के बाहर। गरीब और निम्न मध्यम वर्ग के लिए उनकी संस्था (Isha) सुलभ नहीं है, और वो अपने पुराने समर्थकों को खोना नहीं चाहते।

इसी तरह, स्वामी रामदेव ने 'स्वदेशी जागरण' और 'भारत स्वाभिमान' जैसे आंदोलन शुरू किए। लेकिन इनका दमन हुआ, और एक महीने में ही उनकी ताकत खत्म हो गई। उनकी छवि को भी नुकसान हुआ। बॉलीवुड बॉयकॉट या भारत-पाक मैच बॉयकॉट जैसे आंदोलन भी असफल रहे।

लेकिन राम जन्मभूमि आंदोलन हो या राम मंदिर के लिए दान, संघ कभी असफल नहीं हुआ। इसका कारण है उनकी अनुशासित कार्यशैली, निस्वार्थ समर्पण और सामाजिक माहौल को समझने की कला।

रोचक बात यह है कि कई पुराने स्वयंसेवक, जो दशकों तक संघ से जुड़े रहे, जब उन्होंने अपनी अलग राह चुनी, तो उनकी छोटी-सी कोशिशें भी असफल रहीं। ऐसा इसलिए, क्योंकि वो पूरी तरह 'संघी' नहीं थे। जो 20-30 साल बिताने के बाद भी संघ की भावना की उनमें कमी थी, वही उनकी असफलता का कारण बनी।

भारत में आंदोलन आसानी से असफल हो जाते हैं। बुद्ध, लाल-बाल-पाल, विवेकानंद, सावरकर, बोस, यहाँ तक कि गांधी भी पूरी तरह सफल नहीं हुए। लेकिन संघ ने 75 साल की कठिनाइयों के बावजूद हमेशा जीत हासिल की। ऐसा क्यों?

क्योंकि संघ हार नहीं मानता। इस्लाम की तरह, संघ भी मानता है कि जब तक लक्ष्य पूरा न हो, काम खत्म नहीं होता। संघ ने भारत में कट्टर संगठनों, अपराधियों, नौकरशाही और सरकारों के दमन का सामना किया। उन्होंने अपनी रणनीति बदली, जरूरत पड़ी तो चुपके से काम किया (जिसे आलोचक कायरता कहते हैं), और यही उनकी सफलता का राज रहा। उनकी सफलता रातोंरात नहीं, बल्कि लंबे समय के प्रयासों का नतीजा है।

संघ के हर कार्यकर्ता में धैर्य, अनुशासन और आशावाद भरा जाता है। लोग कहते हैं कि संघ को समझने के लिए शाखा में जाना पड़ता है, लेकिन मैंने बिना शाखा गए ये सब देखा और समझा।

संघ शक्ति युगे युगे!

साभार - Eshan Singh

21/09/2025
‼️महेशं सुरेशं सुरारार्तिनाशंविभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्।विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं‼️🙏सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्...
21/09/2025

‼️महेशं सुरेशं सुरारार्तिनाशं
विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्।
विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं‼️🙏
सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्॥२॥

🙏अर्थ: चन्द्र, सूर्य और अग्नि – तीनों जिनके नेत्र हैं, उन विरूपनयन महेश्वर, देवेश्वर, देवदुःखदलन, विभु, विश्वनाथ, विभूतिभूषण, नित्यानन्दस्वरूप, पंचमुख भगवान् महादेवकी मैं स्तुति करता हूँ।‼️🙏🙏🌅
*सुप्रभात*‼️ इति शुभम रविवार‼️

18/09/2025
ब्रह्मैवाहं इदं जगच्च सकलं चिन्मात्रविस्तारितंसर्वं चैतदविद्यया त्रिगुणया आश्रित्य नाना कृतम्।इत्येवम्यदि विश्वसत्यहमिति...
14/09/2025

ब्रह्मैवाहं इदं जगच्च सकलं चिन्मात्रविस्तारितं
सर्वं चैतदविद्यया त्रिगुणया आश्रित्य नाना कृतम्।

इत्येवम्यदि विश्वसत्यहमिति भ्रान्तिः परं निवृता
प्रत्यग्भूत परं महेश्वर गुरुं दक्षिणामूर्तये॥

शत शत नमन हे राष्ट्रपुरूषआपने उस समय शिक्षा के 287 मंदिर खड़े कर दिए थे -जब शिक्षा सब के लिए सुलभ न थी286 आपने सरकार को ...
13/09/2025

शत शत नमन हे राष्ट्रपुरूष

आपने उस समय शिक्षा के 287 मंदिर खड़े कर दिए थे -जब शिक्षा सब के लिए सुलभ न थी
286 आपने सरकार को सौंप दिए
एक को लघु नालंदा बना कर आपने हमको सौंपा
पर
अफ़सोस कि हम संगरिया वासी आपकी तपस्थली सँभाल कर रख न सके

भाद्रपद शुक्ल दशमी खेजड़ली बलिदान दिवसजिस कोख से जन्म होता है उसे हम माँ कहकर संबोधन करते है इसी कारण धरती को भी माता की...
02/09/2025

भाद्रपद शुक्ल दशमी
खेजड़ली बलिदान दिवस

जिस कोख से जन्म होता है उसे हम माँ कहकर संबोधन करते है
इसी कारण धरती को भी माता की संज्ञा दी गई जिस पर पूरी प्रकृति जन्म लेती है
इसी भाव के साथ ये विश्व का पहला और एकमात्र अहिंसात्मक वृक्ष संरक्षण आंदोलन था जो 1730 में राजस्थान के जोधपुर जिले के खेजड़ली गांव में हुआ।
इस राष्ट्र को धरती को माता मानते हुए 363 लोगों (69 महिलाएं और 294 पुरुष) पर्यावरण प्रेमियों ने खेजड़ी वृक्षों को माता का श्रृंगार मानते हुए उनको बचाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
जिससे 20वीं सदी के चिपको आंदोलन की लहर चली

आज पर्यावरण के लिए मरने की आवश्यकता नहीं अपितु जीने की आवश्यकता है पहले से जो पेड़ हमारे बुजुर्गों ने हमारे लिए लगाकर छोड़े हैं कम से कम वो सुरक्षित कैसे रहें इसकी चिंता हम करें
और
हम लोगों के द्वारा भी (विशेष कर जिनके पास कृषि योग्य भूमि है) उनके द्वारा जितने वर्ष का भी हमारा जीवन है कम से कम उतने पेड़ तो लगाकर जाए

आज के समय में अगर वास्तव में हम लोग पर्यावरण को लेकर अपने आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य को लेकर थोड़ा बोहोत भी सोचते हैं तो निश्चित तौर पर हमारे जीवन का ये भी लक्ष्य होना चाहिए कि कम से कम हर साल 1 पेड़ तो लगाया जाए और पूरे वर्ष भर उसका पालन पोषण किया जाए
इन्हीं भावनाओं को लेकर आज फिर से आश्रम में 33 रोहिड़ा के पौधे लगाए गए

माता अमृता देवी पर्यावरण संरक्षण व वन उपक्रम योजना के तहत अब तक आश्रम की 20 बीघा भूमि भर के लगभग 3सौ4सौ के बीच में फलों के व छायादार पेड़ पौधे लग चुके हैं और सभी पेड़ पौधे बढ़िया तरीक़े से फल फूल रहे हैं
इनमें से लगभग पौने 3 सौ पेड़ दानदाताओं द्वारा दिए गए ट्रीगार्डों में लगाए गए हैं
आने वाले समय में आश्रम की 20 बीघा भूमि में से लगभग 16 बीघा भूमि पर सघन वन विकसित करने की योजना है

हमारे महापुरुषों ने भी पर्यावरण को लेकर हमें बारबार ये चेताया है

“पवन गुरु पाणी पिता माता धरति महत्त।
दिवस रात देई दाई दाया खेले सकल जगत।

चँगिआईयाँ, बुरयाईयाँ वाचै धर्म अदूर।
करमी आपो आपणी, के नेड़े,के दूर।।

जिनि नाम ध्याया गये मुशक्कत घाल।
नानक ते मुख उजले,केति छुट्टी नाल,
नानक ते मुख उजले केति छुट्टी नाल।।”

गुरु नानक देव जी के वचनों पर आज अमल करने की आवश्यकता है।

श्री गुरुग्रन्थ साहिब जी की बाणी कहती है मनुखी जीवन में पवन का गुरु,पानी का पिता और धरती का माता के रूप में महत्व मानकर कि अगर हम जीवन जिएंगे तभी हमारे वंशज भी ज़िंदा रह पाएँगे

जल बचाएं
और
वृक्ष लगाएं

आने वाली पीढ़ियों को अपने ख़ुद के उदहारण से कुछ करके दिखाएं
हमारे द्वारा यही उन अमर बलिदानियों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी

इस महान कार्य में आश्रम के विद्यार्थी , भक्तगण व श्री रजनीश धारणीया, प्रेम जी मंडा जो पेशे से शारीरिक शिक्षक हैं श्री सुभाष गिल्ला जो रिटायर्ड शिक्षक है वे और उनकी पूरी टीम पूरे प्राणपण से जुटी हुई है हम सब भी उनकी मदद के लिए यथाशीघ्र सहयोग हेतु तन मन धन से ज़रूर आगे आए

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Chak 3MJD नाथवाणा रोड़ ; रतनपुरा
Sangaria
335063

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