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सर्दियों में पर्याप्त मात्रा में पानी पीना है बहुत जरूरी, न होने दें शरीर में इसकी कमी   क्या हम सर्दियों में काफी पानी ...
21/01/2024

सर्दियों में पर्याप्त मात्रा में पानी पीना है बहुत जरूरी, न होने दें शरीर में इसकी कमी

क्या हम सर्दियों में काफी पानी पीते हैं? तो इसका जवाब ना ही होगा, क्योंकि सर्दियों में मौसम ठंडा होने की वजह से लोग कम पानी पीते हैं जो कि हमारे शरीर के लिए सही नहीं है। तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर सर्दियों में हमारे शरीर को कितने पानी की जरूरत होती है।

1.सर्दी में अगर स्वस्थ रहना है तो इसके लिए अपने शरीर को हाइड्रेट रखना बहुत जरूरी होता है। भले ही हमें सर्दियों में पसीना ना के बराबर आता हो, लेकिन इस मौसम में भी अगर हम पानी कम पीते हैं तो इससे हमें कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं
लेकिन हमें ऐसा करना चाहिए, तभी हमारा शरीर रोग मुक्त रह पाएगा।

2. हमें सर्दियों में कम से कम तीन से चार लीटर तक पानी पीना चाहिए। कई स्त्री रोग विशेषज्ञ मानते हैं कि महिलाओं को ज्यादा पानी पीना चाहिए, क्योंकि उनमें यूरिनरी ट्रैक्ट (मूत्र मार्ग में संक्रमण) इंफेक्शन की समस्या होती है। दूसरी तरफ शरीर के मेटाबॉलिज्म, डाइजेशन और एबजॉरव्शन के लिए पानी काफी जरूरी होता है। साथ ही अगर शरीर के सोडियम, यूरिया और पोटैशियम जैसे कई विषैले पदार्थ को बाहर करने और तापमान सामान्य रखने के लिए भी पानी की जरूरत होती है

3.पाचन तंत्र को ठीक बनाए रखने के लिए भी सर्दी में पानी पर्याप्त पीना बहुत जरूरी है क्यूंकि सर्दीर्यों में कब्ज़ की समस्या समान्य है .

24/09/2023
यूरिक बढ़ने का कारण एवं giloy के प्रयोग से  यूरिक एसिड को करें कम the causes of high uric acid levels:      Low metaboli...
17/08/2023

यूरिक बढ़ने का कारण
एवं giloy के प्रयोग से यूरिक एसिड को करें कम

the causes of high uric acid levels:
Low metabolism (poor gut health)
• Sedentary lifestyle (lack of physical activity)
• Consumption of more proteins and less fat
• Heavy dinners
• No regularity in your sleeping and eating time
• Less intake of water
• Kidney dysfunction (elderly patients)
• Eating excessive non-veg

Here’s how to use Giloy to control high uric acid:

If you have the giloy plant at home, you can use it easily.

• Take fresh leaves and stems of the giloy plant.

• Soak them overnight.

• Crush and boil them in the morning in 1 glass of water until it gets half.

• It’s done. Strain and drink it.

Other tips on how to manage high uric acid condition:

1. Exercise every single day (45 minutes)
2. Drink enough water throughout the day
3. Don’t consume lentils/beans and wheat for dinner (for the time being)
4. Try to have an early and light dinner (before 8 p.m.)
5. Consume sour fruits like amla, berries, etc.
6. Work on metabolism
7. Manage your stress because high stress levels reduce metabolism
8. Have a sound sleep every night. Sleeping better helps improve your digestion and assimilation.

Ayurvedic dosha — vata, pitta, or kapha?"These three energies are like triplet babies; if one of them cries, the others ...
14/12/2022

Ayurvedic dosha — vata, pitta, or kapha?
"These three energies are like triplet babies; if one of them cries, the others will cry too; and if one of them is happy, others are at peace too.

ऊर्जा हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है"। "हमें स्वस्थ जीवन जीने के लिए ऊर्जा और जीवन शक्ति की आवश्यकता है। आयुर्वेद एक प्राकृतिक उपचार प्रणाली है जो मानती है कि हमारे शरीर में प्राथमिक कार्यात्मक ऊर्जाएं हैं जो प्रकृति के तत्वों के साथ संरेखित हैं।"

इन तीन ऊर्जाओं को हम दोष कहते हैं । “वात, पित्त और कफ शरीर में तीन मुख्य प्रकार के दोष या कार्यात्मक ऊर्जा हैं। वात हवा से जुड़ा हुआ है। पित्त अग्नि से संबंधित है, और कफ जल है । ये दोष प्रकृति के तत्वों से जुड़े हैं,

आयुर्वेद दोषों को समझने के लिए आपका मार्गदर्शक (स्रोत: केरल आयुर्वेद)
क्या आप बार-बार वात, पित्त और कफ शब्दों से रूबरू होते हैं, लेकिन यह समझने में विफल रहते हैं कि वास्तव में उनका क्या अर्थ है? राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस से पहले, हर साल 23 अक्टूबर को मनाया जाता है, आइए हम इन शब्दों में गहराई से तल्लीन करें जो एक साथ 'आयुर्वेदिक त्रिदोष' का निर्माण करते हैं। इससे पहले, यह जानना महत्वपूर्ण है कि कर्म आयुर्वेद के संस्थापक डॉ पुनीत के अनुसार, " ऊर्जा हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है"। "हमें स्वस्थ जीवन जीने के लिए ऊर्जा और जीवन शक्ति की आवश्यकता है। आयुर्वेद एक प्राकृतिक उपचार प्रणाली है जो मानती है कि हमारे शरीर में प्राथमिक कार्यात्मक ऊर्जाएं हैं जो प्रकृति के तत्वों के साथ संरेखित हैं।"

इन तीन ऊर्जाओं को हम दोष कहते हैं । “वात, पित्त और कफ शरीर में तीन मुख्य प्रकार के दोष या कार्यात्मक ऊर्जा हैं। वात हवा से जुड़ा हुआ है। पित्त अग्नि से संबंधित है, और कफ जल है । ये दोष प्रकृति के तत्वों से जुड़े हैं," उन्होंने समझाया।

वात

, "वात सभी गतिविधियों को नियंत्रित करता है - सांस प्रवाह, हृदय गति , सभी मांसपेशियों में संकुचन, ऊतक की गति और पूरे दिमाग और तंत्रिका तंत्र में संचार"। यह शरीर के उचित कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए भी जिम्मेदार है जैसे कि सांस लेना, धातुओं या ऊतकों का उचित कार्य करना और भूख, प्यास, पेशाब, मलत्याग, नींद की आदतों, अनियमित खाने के पैटर्न, खराब परिसंचरण, चिंता , अस्थिर मनोदशा, पाचन संबंधी समस्याओं और ठंड के प्रति संवेदनशीलता में वृद्धि का सामना करते हैं।

पित्त

“पित्त शरीर के चयापचय और पाचन तंत्र के समुचित कार्य के लिए जिम्मेदार है । ऐसा माना जाता है कि यह नाभि के ऊपर पेट के ऊपरी हिस्से में स्थित होता है। पित्त पाचन तंत्र के सामान्य कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है। अग्नि से जुड़ा पित्त शरीर के सामान्य तापमान को सुनिश्चित करता है।

कफ

विशेषज्ञ के अनुसार कफ शरीर को जीवन शक्ति, स्फूर्ति और रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है । "यह छाती क्षेत्र में माना जाता है। यह शरीर की संरचना को स्थिरता और शक्ति प्रदान करता है। चूँकि इसमें जल तत्व होता है, यह ऊतकों और कोशिकाओं को हाइड्रेट करता है। साथ ही यह त्वचा को हाइड्रेट रखता है।”

03/11/2022

रोगाः सर्वेऽपि मन्देऽग्नौ सुतरामुदराणि तु।
आयुर्वेद चिकित्सक होने के नाते यह आप सब लोग अच्छे से जानते हैं कि अग्नि मंद होना या मंदाग्नि बहुत से रोगो का कारण मानी गई है। इसलिए किसी भी रोग की चिकित्सा करते समय हम अग्नि का विचार अवश्य करते हैं और करना भी चाहिए।

इसलिए अग्नि का चिकित्सा में विशेष स्थान होने के कारण आज ही इस पोस्ट में विभिन्न हेतु से होने वाली अग्नि मंद में क्या क्या करना चाहिए यह बताने का प्रयास कर रही हूं अगर इसमें कोई गलती हो तो सीनियर डाक्टर उसमें सुधार करें।

रौक्ष्यान्मन्दे पिबेत्सर्पिस्तैलं वा दीपनैर्युतम्।
यदि रूक्ष चीजों का सेवन करने से अग्नि मंद हो रही है तो दीपनीय द्रव्यों जैसे पिप्पली,चित्रक, अजमोदा,हिंगु,अदरख आदि से सिद्ध घी तथा तैल का प्रयोग कर अग्नि को दीप्त करना चाहिए या दीपनीय द्रव्यों के चूर्ण को घी तथा तैल के अनुपान से रोगी को खाने के लिए देना चाहिए।

अतिस्नेहात्तु मन्देऽग्नौ चूर्णारिष्टासवा हिताः ।
यदि स्निग्ध पदार्थों का अतिमात्रा में सेवन करने से या पंचकर्म चिकित्सा के पहले स्नेहन कर्म में स्नेह की अधिक मात्रा का प्रयोग करने से अग्नि मंद हो तो चूर्ण,आसव,अरिष्ट का प्रयोग करना चाहिए।

उपवासाच्च मन्देऽग्नौ यवागूभिः पिबेद्घृतम्।
यदि उपवास करने से अग्नि मंद हुई हो तो मंड,पेया,विलेपी,यवागू आदि में घी डालकर रोगी को पिलाना चाहिए।

Ref. - चरक संहिता

28/07/2022
कारगिल युद्ध में शहीद सैनिकों को शत शत नमन
26/07/2022

कारगिल युद्ध में शहीद सैनिकों को शत शत नमन

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