19/12/2024
===सुविचार ===
*बुरा मत देखो! बुरा मत सुनो! बुरा मत कहो! बुरा मत सोचो!* सदगुरु कबीर साहब की प्रसिद्ध साखी आप सब जानते हैं !-
बुरा जो देखन मैं चला बुरा न मिलिया कोय।
जो दिल खोजा आपना मुझसे बुरा न कोय।।1
कबीर हम सबसे बुरे हम से भल सब कोय।
जिन ऐसा कर जानिया मीत हमारा सोय।।2
गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी कहा !-
जड़ चेतन गुण दोष मय, विश्व कीन्ह करतार।
संत हंस गुण गहहिं पय,परिहरि वारि विकार।।
उपरोक्त साखी का संक्षेप में अर्थ इस प्रकार है-
पूरे संसार में गुण और दोष अच्छाई और बुराई का पसारा है। परंतु इन की परख करने वाला कोई बिरले हैं, जो दोष और बुराई को छोड़कर गुण और अच्छाई को ग्रहण करता हो !
सज्जनों ! पूरा संसार न कभी दूध का धोया रहा और न ही कीचड़ से सना रहा, सदा से सदगुणी और दुर्गुणी अच्छे और बुरे सज्जन और दुर्जन रहे हैं । पहले भी था आज भी है और आगे भी रहेंगे ।
अब इसमें हमें क्या लेना है और क्या नहीं लेना है हमारे विवेक के ऊपर निर्भर करता है । कहावत भी है *जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि*
इस पर एक कहानी -
एक बार द्रोणाचार्य ने युधिष्ठिर और दुर्योधन को बुलाकर कहा- तुम दोनों आज शाम तक अच्छे आदमी और बुरे आदमी का सूची बनाकर मुझे दिखाओ ।
पहले युधिष्ठिर को कहा- तुम बुरे आदमी की सूची बनाना
फिर दुर्योधन को कहा तुम अच्छे आदमी का सूची बनाना
दोनों निकल गए ढूंढने !
शाम को लौट कर गुरुदेव के पास आकर प्रणाम करके खड़े हो गए।
गुरु द्रोणाचार्य ने पूछा ! युधिष्ठिर पहले तुम बताओ ?
युधिष्ठिर ने कहा गुरुदेव ! मुझे एक भी आदमी नहीं मिला जिस में बुराई हो, हर आदमी में अच्छाई ही दिखाई दिया।
तब गुरुदेव ने दुर्योधन से पूछा अब तुम बताओ ?
दुर्योधन ने कहा गुरुदेव मुझे एक भी आदमी में अच्छाई नहीं दिखा मुझे तो हर आदमी में बुराई ही दिखाई दिया ।
*अर्थात जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि* !
सज्जनों ! यदि हम अच्छा देखना चाहते हैं तो हर आदमी में अच्छाई दिख सकती है और यदि बुराई देखना चाहें तो हर आदमी में बुराई दिख सकती है । यह हम पर निर्भर है कि हम क्या देखना चाहते हैं ?
भाइयों ! ऊपर कहा गया *जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि* यह सिर्फ कहावत ही नहीं! एकदम हकीकत है ।
यदि हम प्रेम पूर्ण आनंद मय सुख शांति पूर्वक जीवन जीना चाहते हैं तथा व्यवहारिक संबंध को मधुर बनाना चाहते हैं तो दूसरों में *बुरा देखना ! दूसरों की निंदा बुराई सुनना ! दूसरों की निंदा बुराई कहना ! तथा दूसरों के लिए बुरा सोचना* ! इन 4 बातों को सर्वथा त्याग कर दीजिए । और इसके विपरीत *अछाई देखना !अच्छा कहना ! अच्छा सुनना ! और अच्छा सोचना* ! शुरु कर दें ।
देखना ! हम सबका जीवन संवर जाएगा । सुप्रभातम् ।🙏🙏