वैदिक संस्कार संचार

वैदिक संस्कार संचार Vedic Sanskar Sanchar

श्रावणी उपाकर्म
09/08/2025

श्रावणी उपाकर्म

 #रक्षाबन्धन पर  #राखी बाँधने का शुभ मुहूर्त*रक्षा बन्धन शनिवार, *9 अगस्त 2025* को*देवी-देवताओं को राखी बांधने व श्रवण प...
08/08/2025

#रक्षाबन्धन पर #राखी बाँधने का शुभ मुहूर्त*

रक्षा बन्धन शनिवार, *9 अगस्त 2025* को

*देवी-देवताओं को राखी बांधने व श्रवण पूजन का मुहूर्त -* पूर्णिमा प्रातः 05:55 ए.एम. से 01:24 पी.एम. तक
शुभ मुहूर्त प्रातः 07:33 ए.एम. से 09:11 ए.एम. तक

*रक्षा बन्धन के लिये अपराह्न का मुहूर्त -* 12:27 पी.एम. से 05:21 पी.एम.

*रक्षा बन्धन के लिये प्रदोष काल का मुहूर्त -* 06:59 पी.एम. से 08:21 पी.एम.
रात्रि - 09:43 पी.एम. से 01:49 ए. एम.
नोट:- रक्षा बन्धन के दिन भद्रा सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी।
*वैदिक संस्कार संचार*
*ज्योतिष एवं कर्मकाण्ड सीहोर*
*8319039823*

 #श्रावणी  #उपाकर्म        प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी  #रक्षाबंधन के पावन पर्व पर ब्राह्मणों का शुद्धिकरण एवं यज्ञोपवित...
08/08/2025

#श्रावणी #उपाकर्म
प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी #रक्षाबंधन के पावन पर्व पर ब्राह्मणों का शुद्धिकरण एवं यज्ञोपवित्र पूजन *आ.पं.पृथ्वी वल्लभ दुबे जी* के सानिद्ध मे आयोजित किया जाएगा।
आप सभी अधिक से अधिक संख्या में पधारे.....
*दिनांक 9/08/2025 शनिवार*
*प्रातः 8:00 बजे से*
*स्थान:- इलाई माता घाट श्री हनुमान फाटक मंदिर कस्बा सीहोर*

 #गुरू  #पूर्णिमा विशेष गुरू की महिमा       "गु "  का अर्थ है अंधकार और " रु "शब्द का अर्थ है तेज-प्रकाश । गुरु ही अज्ञा...
09/07/2025

#गुरू #पूर्णिमा विशेष गुरू की महिमा

"गु " का अर्थ है अंधकार और " रु "शब्द का अर्थ है तेज-प्रकाश । गुरु ही अज्ञान का नाश करने वाले ब्रह्म हैं , इसमें संदेह नहीं है। "गुरु " शब्द का प्रथम वर्ण "गु"माया आदि गुणों को प्रकट करने वाला है और दूसरा वर्ण "रू"ब्रह्म का घोतक है जो माया की भ्रांति का विनाश करने वाला है।
○ गुरू र्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरु र्देवो महेश्वर: ।
○ गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः ।।
○शिष्य के चित्त में ज्ञान की उत्पत्ति करने के कारण गुरुदेव ही ब्रह्मा है, उत्पन्न हुए ज्ञान की रक्षा करने वाले गुरुदेव विष्णु भी हैं और मलों का नाश करने के कारण गुरुदेव ही महेश्वर (शिव )हैं । गुरु साक्षात साकार ब्रह्म है ऐसे श्री गुरुदेव को नमस्कार है ।
○अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाजन शलाकया ।
चक्षुरून्मीलितं येन तस्मे श्री गुरुवे नमः ।।

मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आंखें खोल दी मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूं।
हमारे जीवन के प्रथम गुरु हमारे माता-पिता होते हैं जो हमारा पालन-पोषण करते हैं। सांसारिक दुनिया में हमें प्रथम बार बोलना चलना सिखाते हैं दूसरे गुरु शिक्षक होते हैं जो विद्या अध्ययन कराते हैं ,तीसरे गुरु सद्गुरु होते हैं जिनके सानिध्य में अच्छे संस्कार प्राप्त कर जीवन को आसान बनाते हैं।
मनुष्य के लिए भगवान से भी बढ़कर गुरु को माना जाता है क्योंकि भगवान हमें जीवन प्रदान करता है और गुरु हमें सही शिक्षा देकर इस जीवन को सही ढंग से जीना सिखाते हैं जो गुरु का मार्गदर्शन लेकर चलते हैं उसे जीवन में कभी ठोकरे नहीं खानी पड़ती है
हमारे शास्त्रों में गुरु का महत्व बहुत ऊंचा है। गुरु की कृपा के बिना भगवान की प्राप्ति असंभव है गुरु के मन में सदैव ही यह विचार होता है कि उसका शिष्य सर्वश्रेष्ठ हो और उसके गुणों की सर्वत्र विजय हो ।

गुरु के प्रति श्रद्धा व समर्पण दर्शित करने के लिए प्रतिवर्ष आषाढ़ माह की पूर्णिमा पर "गुरु पूर्णिमा "का पर्व बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन गुरु का पूजन करने से गुरु की दीक्षा का पूरा फल उनके शिष्यों को मिलता है। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरुओं का सम्मान किया जाता है इस अवसर पर आश्रमों में पूजा पाठ का विशेष आयोजन किया जाता है ।
गुरु क्या है:-
○गुरु ज्ञान का भंडार है।
○गुरु मार्गदर्शक।
○गुरु एक एहसास है।
○गुरु प्यार है।
○गुरु ज्ञान की वाणी है।
○गुरु हमारे जीवन का चमत्कार है।
○गुरु मित्र है।
○गुरु भगवान रूप है।
○गुरु हर सवाल का जवाब है।
○गुरु हर मुश्किल की युक्ति है।
○गुरु अध्यात्म की परिभाषा है।
○गुरु एक ऐसी नदी के समान है जिसका जल हमेशा साफ और निर्मल रहता है उसके मिलने पर आपके" मन "का मेल धुल जाता है।
○गुरु के दर्शन से आंखों को आराम मिलता है किस्मत वालों को ही गुरुधाम मिलता है मत करना कभी खुद से दूर मुझे मालिक गुरु चरणों में मुझको सुख तमाम मिलता है। जब जीवन में गमों का अंधेरा हो गुरु नाम का दीप जला लेना जब गमों ने तुम को घेरा हो तुम हाल गुरु को सुना देना जब दुनिया तुम से मुंह मोड़े तुम अपने गुरु को मना लेना जब कोई तुमको रुलाए तो तुम गुरु के गीत गुनगुना लेना गुरु करुणा का सागर है तुम उसमें डुबकी लगा लेना। गुरु और समुद्र दोनों गहरे हैं पर दोनों की गहराई में एक फर्क है समुद्र की गहराई में इंसान डूब जाता है और गुरु की गहराई में इंसान तर जाता है।
○ गुरुदेव जब से तेरी तस्वीर लगाई है मन के" कक्ष "में तब से सारे फैसले होते हैं मेरे "पक्ष "में ।
○ धन्य है वह लोग जो गुरु के संपर्क में हैं तथा उनके सानिध्य में जीवन के कुछ ज्ञान और शिक्षा ग्रहण करने का अवसर मिला है गुरु शब्द और गुरु का जीवन समुंदर की गहराई है ।जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता है।
○ " सब धरती कागज करूं लिखनी सब वनराय
सात समुंदर की मसि करूं गुरु गुण लिखा न जाए‌" ।
○ " सद्गुरु नाथ की जय," " गुरुवे नमः" -*-
○ गुरु का एक तेज है जिसके आते ही सारे संशय के अंधकार खत्म हो जाते हैं।
○ गुरु वो मृदंग है जिसके बजते ही अनाहद नाद सुनने शुरू हो जाते हैं ।
○ गुरु वह ज्ञान है जिसके मिलते ही भय समाप्त हो जाता है ।
○ गुरु वह दीक्षा है जो सही मायने में मिलती है तो भवसागर से पार हो जाते हैं ।
○ गुरु वह नदी है जो निरंतर हमारे प्राण में बहती है ।
○ गुरु वह सच्चितानंद है जो हमें हमारी पहचान देता है ।
○ गुरु वह बांसुरी है जिसके बज ते ही मन और शरीर आनंद अनुभव करता है ।
○ गुरु वह अमृत है जिसे पीकर कोई कभी प्यासा नहीं रहता है ।
○ गुरु वह कृपा है जो सिर्फ कुछ सद् शिष्योंको विशेष रूप से मिलती है और कुछ पाकर भी समझ नहीं पाते हैं ।
○ गुरु वो खजाना है जो अनमोल है ।
○ गुरु वो प्रसाद है जिसके भाग्य में हो उसे कभी कुछ भी मांगने की जरूरत नहीं पड़ती है ।

वैदिक संस्कार संचार सीहोर
ज्योतिष एवं कर्मकाण्ड
8319039823

13/03/2025

🔥*होलिका पूजन*🔥
🌕 *पूर्णिमा तिथि* प्रारम्भ दिनांक १३ मार्च २५ प्रातः १०:३६ से १४ मार्च २५ को दोपहर १२: २३ पर्यंत
🌕 *पूर्णिमा व्रत* १३ मार्च को
💥 *भद्रा विचार*
*भद्रा १३ मार्च को प्रातः १०:३५ से रात्रि ११:२६ तक है इस अवधि में होलिका दहन वर्जित है ।*
🔥 *होलिका पूजन* १३ मार्च को
शाम को ५:०० बजे से रात्रि ९:३० तक
🔥 *होलिका दहन* मध्यरात्रि १२:३१ से २:०० या ३:३२ से ६:०० बजे तक
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
*वैदिक संस्कार संचार सीहोर*
*ज्योतिष एवं कर्मकाण्ड*
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24/11/2024

तीन दिवसीय वास्तु पूजन यज्ञ मालीवाया चौराहा रेहटी सलकनपुर

🌷  #शरद  #पूनम की रात दिलाये आत्मशांति, स्वास्थ्यलाभ 🌷➡ 16 अक्टूबर 2024 बुधवार को शरद पूर्णिमा है।🌙  #आश्विन पूर्णिमा को...
14/10/2024

🌷 #शरद #पूनम की रात दिलाये आत्मशांति, स्वास्थ्यलाभ 🌷
➡ 16 अक्टूबर 2024 बुधवार को शरद पूर्णिमा है।
🌙 #आश्विन पूर्णिमा को ‘शरद पूर्णिमा’ बोलते हैं । इस दिन रास-उत्सव और कोजागर व्रत किया जाता है । गोपियों को शरद पूर्णिमा की रात्रि में भगवान श्रीकृष्ण ने बंसी बजाकर अपने पास बुलाया और ईश्वरीय अमृत का पान कराया था । अतः शरद पूर्णिमा की रात्रि का विशेष महत्त्व है । इस रात को चन्द्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ पृथ्वी पर शीतलता, पोषक शक्ति एवं शांतिरूपी अमृतवर्षा करता है ।
👉🏻 शरद पूनम की रात को क्या करें, क्या न करें ?
🌙 #दशहरे से शरद पूनम तक चन्द्रमा की चाँदनी में विशेष हितकारी रस, हितकारी किरणें होती हैं । इन दिनों चन्द्रमा की चाँदनी का लाभ उठाना, जिससे वर्षभर आप स्वस्थ और प्रसन्न रहें । नेत्रज्योति बढ़ाने के लिए दशहरे से शरद पूर्णिमा तक प्रतिदिन रात्रि में 15 से 20 मिनट तक चन्द्रमा के ऊपर त्राटक करें ।
🌙 अश्विनी कुमार देवताओं के वैद्य हैं । जो भी इन्द्रियाँ शिथिल हो गयी हों, उनको पुष्ट करने के लिए चन्द्रमा की चाँदनी में खीर रखना और भगवान को भोग लगाकर अश्विनी कुमारों से प्रार्थना करना कि ‘हमारी इन्द्रियों का बल-ओज बढ़ायें ।’ फिर वह खीर खा लेना ।
🌙 इस रात सुई में धागा पिरोने का अभ्यास करने से नेत्रज्योति बढ़ती है ।
🌙 शरद पूनम दमे की बीमारी वालों के लिए वरदान का दिन है । अपने आश्रमों में निःशुल्क औषधि मिलती है, वह चन्द्रमा की चाँदनी में रखी हुई खीर में मिलाकर खा लेना और रात को सोना नहीं । दमे का दम निकल जायेगा ।
🌙 #चन्द्रमा की चाँदनी गर्भवती महिला की नाभि पर पड़े तो गर्भ पुष्ट होता है । शरद पूनम की चाँदनी का अपना महत्त्व है लेकिन बारहों महीने चन्द्रमा की चाँदनी गर्भ को और औषधियों को पुष्ट करती है ।
🌙 #अमावस्या और #पूर्णिमा को चन्द्रमा के विशेष प्रभाव से समुद्र में ज्वार-भाटा आता है । जब चन्द्रमा इतने बड़े दिगम्बर समुद्र में उथल-पुथल कर विशेष कम्पायमान कर देता है तो हमारे शरीर में जो जलीय अंश है, सप्तधातुएँ हैं, सप्त रंग हैं, उन पर भी चन्द्रमा का प्रभाव पड़ता है । इन दिनों में अगर काम-विकार भोगा तो विकलांग संतान अथवा जानलेवा बीमारी हो जाती है और यदि उपवास, व्रत तथा सत्संग किया तो तन तंदुरुस्त, मन प्रसन्न और बुद्धि में बुद्धिदाता का प्रकाश आता है ।
🌙 #खीर को बनायें अमृतमय प्रसाद खीर को रसराज कहते हैं । सीताजी को अशोक वाटिका में रखा गया था । रावण के घर का क्या खायेंगी सीताजी ! तो इन्द्रदेव उन्हें खीर भेजते थे ।*
🌙 खीर बनाते समय घर में चाँदी का गिलास आदि जो बर्तन हो, आजकल जो मेटल (धातु) का बनाकर चाँदी के नाम से देते हैं वह नहीं, असली #चाँदी के बर्तन अथवा असली #सोना धो-धा के खीर में डाल दो तो उसमें रजतक्षार या सुवर्णक्षार आयेंगे । लोहे की कड़ाही अथवा पतीली में खीर बनाओ तो लौह तत्त्व भी उसमें आ जायेगा । इलायची, खजूर या छुहारा डाल सकते हो लेकिन बादाम, काजू, पिस्ता, चारोली ये रात को पचने में भारी पड़ेंगे । रात्रि 09 बजे महीन कपड़े से ढँककर चन्द्रमा की चाँदनी में रखी हुई खीर 12 बजे के आसपास भगवान को भोग लगा के प्रसादरूप में खा लेनी चाहिए । लेकिन देर रात को खाते हैं इसलिए थोड़ी कम खाना और खाने से पहले एकाध चम्मच मेरे हवाले भी कर देना । मुँह अपना खोलना और भाव करना : ‘लो महाराज ! आप भी लगाओ भोग ।’ और थोड़ी बच जाय तो फ्रिज में रख देना । सुबह गर्म करके खा सकते हो ।
➡ (खीर दूध, चावल, मिश्री, चाँदी, चन्द्रमा की चाँदनी - इन पंचश्वेतों से युक्त होती है, अतः सुबह बासी नहीं मानी जाती ।)

वैदिक संस्कार संचार सीहोर
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राधे - राधे ॥ आज का भगवद् चिन्तन॥                  12 - 10 - 2024             *|| शुभ विजयादशमी ||*असत्य पर सत्य की, अंध...
12/10/2024

राधे - राधे ॥ आज का भगवद् चिन्तन॥
12 - 10 - 2024
*|| शुभ विजयादशमी ||*

असत्य पर सत्य की, अंधकार पर प्रकाश की एवं अधर्म पर धर्म की विजय का पर्व ही विजयादशमी है। नौ दिन माँ शक्ति की आराधना एवं पश्चात विजयादशमी का पावन पर्व मानव जीवन को यह सीख प्रदान करता है कि किसी भी कठिन लक्ष्य की प्राप्ति के लिए धैर्य पूर्वक शक्ति का संचय एवं दृढ़ संकल्प शक्ति के अस्त्रों से ही असत्य रुपी दशानन का प्राणांत करके अपने लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।

दशानन हमारे जीवन की अनेकानेक दुष्वृत्तियों एवं दुर्गुणों का ही प्रतीक है। हमारे दुर्गुणों ने ही हमें भक्ति रुपी माँ जानकी से वंचित किया हुआ है। जीवन में भक्ति रुपी माँ जानकी की प्राप्ति के लिए हमें अपने भीतर के काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, असत्य, अनाचार रूपी दशानन पर विजय प्राप्त करनी होगी।

विजय बल एवं छल की नहीं अपितु विजय सदैव सत्य की ही होती है। असत्य कितना ही बलशाली क्यों न हो पर सत्य को परास्त करना उसके बस की बात नहीं। शक्ति संचय, सत्यनिष्ठा एवं दृढ़ संकल्प ही जीवन उत्थान एवं लक्ष्य प्राप्ति का मूल है, यही सीख हमें विजयादशमी के पावन पर्व से प्राप्त होती है।

*आप सभी को विजयादशमी के पावन पर्व की अनंत शुभकामनाएं एवं मंगल बधाई।*

🙏 *जय श्री राधे कृष्ण* 🙏

राधे - राधे ॥ आज का भगवद् चिन्तन॥              11 - 10 - 2024    *|| नवम नवरात्रि की हार्दिक बधाई ||*नवरात्र का नवम दिवस...
11/10/2024

राधे - राधे ॥ आज का भगवद् चिन्तन॥
11 - 10 - 2024
*|| नवम नवरात्रि की हार्दिक बधाई ||*

नवरात्र का नवम दिवस सिद्धि प्रदान करने वाली माँ सिद्धिदात्री को समर्पित है। सिद्धि का अर्थ भौतिक वैभव नहीं अपितु आध्यात्मिक वैभव प्राप्त करना है। जो प्रभु की सुधि दिलाए वही सिद्धि है। जो प्रभु का विस्मरण करा दे वह संपत्ति भी व्यर्थ समझनी चाहिए।

संपत्ति बाहर का सुख तो प्रदान करती है पर भीतर की तृप्ति प्रदान नहीं कराती। नौ दिन के ये व्रत, अनुष्ठान व्यक्ति को शारीरिक और आत्मिक रूप से शुद्ध करते हैं। जिसका जीवन शुद्ध है, वही बुद्ध है और वही सच्ची सिद्धि को प्राप्त कर पाता है। शैल पुत्री अर्थात जड़त्व से प्रारम्भ होने वाला यह पर्व सिद्धिका पर जाकर सम्पन्न होता है।

जीवन का प्रारम्भ चाहे मूढ़ता से हो कोई बात नहीं पर समाप्ति सिद्धि से हो, यही जीवन की वास्तविक उन्नति है। माँ दुर्गा भवानी से प्रार्थना करते हैं कि हमें गोविन्द चरणों में प्रीति हो, ऐसी सिद्धि प्रदान करें। पुनः समस्त विश्व के मंगल एवं कल्याण की माँ दुर्गा के श्रीचरणों में प्रार्थना करते हैं।

🙏 *जय श्री राधे कृष्ण* 🙏

09/10/2024

राधे - राधे ॥ आज का भगवद् चिन्तन ॥
09 - 10 - 2024
*|| सप्तम नवरात्रि की मंगल बधाई ||*

जीवन की अज्ञान और तमस भरी काल रात्रि में माँ की ज्ञान रुपी पावन ज्योति सत्मार्ग की ओर प्रेरित करती है। नवरात्रि का सप्तम दिवस माँ काली को समर्पित होता है इसलिए ही इस दिन को कालरात्रि के नाम से भी जाना जाता है।

समाज, राष्ट्र, धर्म और संस्कृति पर जब घोर अत्याचार होने लगा व राजसत्ता असहाय हो गई तब अम्बे-जगदम्बे से माँ को काली बनना पड़ा। जब आसुरी शक्तियाँ हावी हो गई तब माँ ने परिस्थिति अनुसार स्वयं शस्त्र धारण कर आसुरी शक्तियों का न केवल नाश किया अपितु नारी के भीतर छिपी हुई शक्तियों से समाज को परिचित भी कराया।

अन्याय, अत्याचार, सामाजिक कुरीतियों व विषमताओं से लड़ने में नारी शक्ति के जागरण की बहुत बड़ी आवश्यकता है। अभिमन्यु तभी मरता है जब कोई सुभद्रा सो जाती है। एक नवीन भारत के निर्माण में नारी शक्ति की बड़ी भूमिका है। समष्टि के मंगल हेतु ममतामय रूप से काली बने माँ के स्वरूप को कोटि-कोटि प्रणाम।

🙏 *जय श्री राधे कृष्ण* 🙏

* #दुर्गा  #अष्टमी और  #महानवमी पूजन कब करें*ऐसी स्थिति पहले भी कई बार बनी है जब नवरात्रि में अष्टमी और नवमी में कुलदेवी...
08/10/2024

* #दुर्गा #अष्टमी और #महानवमी पूजन कब करें*
ऐसी स्थिति पहले भी कई बार बनी है जब नवरात्रि में अष्टमी और नवमी में कुलदेवी पूजन किस दिन करें यह दुविधा आई हो तब बड़ा सरल सा उत्तर होता था की देवी पूजन किस समय में होता है जब दिन में अष्टमी हो तो दिन की पूजा वाले और रात में अष्टमी हो तो रात की पूजा वाले रात में कर लेते इस वर्ष भी पंचांग से और कुछ विद्वानों के कारण दुविधा में कुछ ज्यादा बढ़ गई जबकि तिथि मन से यह दुविधा है ही नहीं
* #सीहोर नगर के नगर पुरोहित ज्योतिषाचार्य श्री चिंतामन सिद्ध गणेश मंदिर के प्रबंधक आचार्य पंडित पृथ्वी वल्लभ दुबे जी*से इस शंका का पूर्ण समाधान हुआ उन्होंने कहा की *निर्णय सिंधु* में ही यह मत दिया है *"महाष्टमी पूर्वेद्यु: पूर्वाह्न व्यापित्वे पूर्वा अन्यथा परैवेति निर्णयदीप मतम् ।।"* तथा *" भद्रायां भद्रकाल्याश्र्च मध्ये स्यादर्चनक्रिया ।। तस्माद्वैसप्तमीविद्धा कार्या दुर्गाष्टमी बुधै: ।।हेमाद्रो निर्यणामृते।।*
अर्थात जिस दिन पूर्वाह्न मैं अष्टमी हो तो सप्तमी युक्त भी ले लेनी चाहिए और हिमाद्री और निर्णय अमृत का कथन भी है की भद्र और भद्रकाली के मध्य में पूजा कार्य होना चाहिए अतः बुद्धिमान मनुष्य सप्तमी युक्त अष्टमी में दुर्गा अष्टमी पूजन करें ब्रह्मांड पुराण का कथन है की अश्विन सुदी अष्टमी आधी रात में और पूर्वाषाढा नक्षत्र से स्पर्श हो वह भद्रकाली रूप होती है
*कौन सी तिथि किस तारीख में कब तक है*
इस पर आचार्य जी ने कहा की सबसे पहले अपने क्षेत्रीय पंचांग को महत्व देना चाहिए उनमें उज्जैन और जबलपुर के पंचांगों के अनुसार *अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर को सुबह 07 बजकर 29 मिनट से शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 11 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 52 मिनट पर समाप्त होगी। इसके बाद नवमी तिथि शुरू हो जाएगी, जो 12 अक्टूबर की प्रातः 05 बजकर 47 मिनट तक रहने वाली है*
*अतः दिन या रात में अष्टमी पूजन करने वालों को 10 अक्टूबर गुरुवार को ही पूजन करना श्रेष्ठ है नवमी पूजन सर्वमत से 11 अक्टूबर शुक्रवार को श्रेष्ठ है।*

*वैदिक संस्कार संचार सीहोर*
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