03/09/2025
*🏵️एलर्जी*
एलर्जी एक सामान्य लेकिन जटिल स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है। आधुनिक जीवनशैली, पर्यावरण में बढ़ता प्रदूषण, असंतुलित आहार और मानसिक तनाव जैसे कई कारणों से एलर्जी की समस्या तेजी से बढ़ी है। एलर्जी कोई रोग नहीं बल्कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की एक असामान्य प्रतिक्रिया है, *जो किसी विशेष पदार्थ (जैसे धूल, परागकण, खानपान या दवाइयों) से संपर्क में आने पर होती है।*
आयुर्वेद में इसे ‘दुष्ट दोषों’ के प्रभाव के रूप में देखा गया है, जिसमें वात, पित्त और कफ दोषों का असंतुलन शरीर में विभिन्न प्रतिक्रियाओं को जन्म देता है।
*🏵️एलर्जी के प्रमुख कारण:*
एलर्जी उत्पन्न होने के पीछे कई कारण होते हैं, जो व्यक्ति विशेष की प्रकृति, शरीर की स्थिति और वातावरण पर निर्भर करते हैं। नीचे कुछ मुख्य कारण दिए गए हैं:
*🥎1. वातावरणीय प्रदूषण –* धूल, धुआं, परागकण, रासायनिक गंध आदि से एलर्जी हो सकती है। ये वायुविकार कफ दोष को बढ़ाते हैं।
*🥎2. असंतुलित आहार –* अत्यधिक तैलीय, खट्टा, गरिष्ठ, बासी या मिलावटी भोजन शरीर में पित्त और कफ दोष को बढ़ाकर एलर्जी की प्रवृत्ति पैदा करता है।
*🥎3. दूषित जल या खाद्य पदार्थ –* विषाक्त पदार्थ शरीर में प्रवेश कर प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर बना देते हैं।
*🥎4. मानसिक तनाव और अनियमित जीवनशैली –* अत्यधिक चिंता, क्रोध और तनाव शरीर की प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक शक्ति को कमजोर करते हैं।
*🥎5. अनुवांशिकता –* कुछ व्यक्तियों में यह समस्या वंशानुगत भी होती है।
*🏵️एलर्जी के लक्षण:*
एलर्जी के लक्षण व्यक्ति विशेष और एलर्जन के प्रकार के अनुसार भिन्न हो सकते हैं। आयुर्वेद में इन लक्षणों को दोषों के असंतुलन से जोड़ा गया है।
*🥎त्वचा पर लक्षण –* खुजली, दाने, लाल चकत्ते, एक्जिमा या सूजन
*🥎श्वसन तंत्र पर प्रभाव –* छींक आना, नाक बहना, सांस फूलना, अस्थमा
*🥎आंखों में लक्षण –* पानी आना, जलन, लालिमा या सूजन
*🥎पाचन तंत्र पर प्रभाव –* पेट दर्द, उल्टी, दस्त या कब्ज
*🥎अन्य लक्षण –* थकान, चिड़चिड़ापन, अनिद्रा, सिरदर्द आदि
*🏵️आयुर्वेदिक दृष्टिकोण:*
आयुर्वेद एलर्जी को "अमाशयज विकार" या "दोषों के दूषण" के रूप में देखता है। जब शरीर में ‘आम’ (अपक्व भोजन रस) उत्पन्न होता है और वह वात, पित्त या कफ दोषों के साथ मिलकर शरीर के विभिन्न अंगों में पहुंचता है, तब एलर्जिक प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है। इसे दूर करने के लिए दोषों का शुद्धिकरण, आम का नाश और प्रतिरक्षा शक्ति को बढ़ाने वाले उपाय आवश्यक हैं।
*🏵️एलर्जी के आयुर्वेदिक उपचार:*
*🥎1. त्रिफला चूर्ण:*
त्रिफला में तीन औषधियां – *हरड़, बहेड़ा और आंवला* होती हैं, जो शरीर से विषैले तत्वों को निकालकर पाचन शक्ति बढ़ाती हैं। यह एलर्जी के लिए एक उत्कृष्ट रसायन है।
*सेवन विधि:* रात्रि को सोने से पूर्व एक चम्मच त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लेना लाभकारी होता है।
*🥎2. हरिद्रा (हल्दी):*
हल्दी एक प्राकृतिक एंटीहिस्टामिन है। इसमें मौजूद करक्यूमिन सूजन और एलर्जी से लड़ने की क्षमता रखता है।
*सेवन विधि:* एक चुटकी हल्दी को एक गिलास गर्म दूध में मिलाकर प्रतिदिन रात को लें।
*🥎3. गिलोय:*
गिलोय को आयुर्वेद में 'अमृता' कहा गया है। यह इम्युनिटी बढ़ाने, रक्त को शुद्ध करने और वात-पित्त-कफ को संतुलित करने में सहायक है।
*सेवन विधि:* गिलोय का रस (10-15 ml) रोज सुबह खाली पेट सेवन करें।
*🥎4. नीम:*
नीम रक्तशोधक और कफ-पित्त शामक गुणों से युक्त है। यह त्वचा संबंधी एलर्जी में विशेष लाभकारी है।
*सेवन विधि:* नीम की पत्तियों का रस या नीम का चूर्ण पानी के साथ लिया जा सकता है।
*🥎5. सहजन :*
सहजन की पत्तियों और फूलों में एलर्जी रोधी गुण होते हैं।
*सेवन विधि:* सहजन की सब्जी, सूप या पत्तियों का रस लिया जा सकता है।
*🥎6.वासा:*
इसका उपयोग श्वसन, तंत्रिका, परिसंचरण और पाचन तंत्र से जुड़े रोगों के उपचार में किया जाता है।
*सेवन विधि:* वासा को काढ़े, पाउडर, अर्क या पुल्टिस के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। खांसी, ब्रोंकाइटिस और कफ के कारण होने वाली एलर्जी को नियंत्रित करने में वासा असरकारी है।
*🥎7. अदरक:*
यह जड़ी बूटी पाचन शक्ति को बढ़ाती है और कफ को निकालने में भी मदद करती है।
*सेवन विधि:* कफ विकारों के इलाज में अदरक के साथ शहद लिया जाता है। आमतौर पर इसका इस्तेमाल काढ़े, पेस्ट या रस के रूप में किया जाता है। मसाला चाय के रूप में लेने पर यह वात से संबंधित एलर्जी के उपचार में उपयोगी है।
*🥎8.यष्टिमधु:*
इसे मुलेठी या मधु भी कहते हैं। इस जड़ी बूटी की जड़ उल्टी लाने में मददगार है एवं यह ऊर्जादायक और शक्तिवर्धक के तौर पर भी काम करती है। यष्टिमधु उत्तम रक्तशोधक (खून साफ करने वाली) और पेट एवं फेफड़ों से अतिरिक्त कफ को साफ़ करती है। (और पढ़ें - खून को साफ करने वाले आहार)
मुलेठी खांसी, ब्रोंकाइटिस, लेरिन्जाइटिस (स्वर तंत्रों में सूजन) और सर्दी के लक्षणों से राहत दिलाने में भी कारगर है।
*सेवन विधि:* एलर्जी के लक्षणों से राहत पाने के लिए इस जड़ी बूटी को खाने क बाद गर्म पानी के साथ लेना चाहिए।
*🥎9. पिप्पली:*
यह जड़ी-बूटी भारत के उत्तर-पूर्वी और दक्षिणी हिस्सों में पाई जाती है। पिप्पली में दर्द निवारक और वायुनाशक गुण होते हैं और इसे पाउडर, तेल या अर्क के रूप में ले सकते हैं। यह खांसी, ब्रोंकाइटिस एवं एलर्जी के कारण होने वाले जुकाम के उपचार में उपयोगी है।
*सेवन विधि:* पिपली का चूर्ण शहद के साथ लिया जाता है।
*🥎10. कृष्णकेलि:*
कृष्णकेलि दलदली क्षेत्रों में पाई जाती है। इसकी पत्तियों का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है।
*सेवन विधि:* इस जड़ी बूटी को पानी में मिलाकर रस के रूप में लिया जाता है।
यह एलर्जी से होने वाले त्वचा रोग, अस्थमा और एलर्जी के अन्य लक्षणों के उपचार में भी लाभकारी है।
*🥎11. सितोपलादि चूर्ण:*
सितोपलादि चूर्ण को गन्ने, पिप्पली, इला (इलायची) और त्वाक (दालचीनी) से तैयार किया गया है। यह एलर्जी और ऊपरी श्वसन मार्ग से संबंधित रोगों के उपचार में इस्तेमाल होने वाले सामान्य हर्बल मिश्रणों में से एक है। सितोपलादि चूर्ण में सूजन-रोधी और एलर्जी पैदा करने वाले हिस्टामिन को रोकने के गुण मौजूद हैं जो एलर्जी के लक्षणों से राहत दिलाने में प्रभावी हैं।
*सेवन विधि:* शहद के साथ।
*🥎12. त्रिकटु चूर्ण:*
इस चूर्ण को मारीच (काली मिर्च), पिप्पली और शुंथि (सोंठ) से तैयार किया गया है।
एलर्जी के लक्षणों को कम करने के लिए इसका इस्तेमाल पाचन के रूप में किया जाता है, जो विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालता है। इसे चूर्ण (पाउडर) के रूप में लिया जाता है।
*सेवन विधि:* एलर्जी, त्वचा रोग और श्वसन संबंधित विकारों से राहत पाने के लिए रोज भोजन से पहले त्रिकटु चूर्ण लेना चाहिए।
*🏵️पंचकर्म चिकित्सा:*
गंभीर या पुरानी एलर्जी की स्थिति में पंचकर्म चिकित्सा विशेष रूप से प्रभावकारी होती है। आयुर्वेद में शोधन क्रियाएं जैसे कि वमन (कफ शोधन), विरेचन (पित्त शोधन), नस्य (नाक के द्वारा औषधि देना) आदि के माध्यम से दोषों का संतुलन किया जाता है।
*🥎नस्य कर्म:* यह विशेष रूप से श्वसन संबंधी एलर्जी जैसे साइनस, नाक बहना, छींक आना आदि में उपयोगी है।
*🥎वमन और विरेचन:* शरीर से विषैले तत्वों और दोषों को बाहर निकालने के लिए प्रयोग किया जाता है।
*🏵️दैनिक दिनचर्या और आहार-विहार:*
*1.* सुबह सूर्य नमस्कार, प्राणायाम, कपालभाति, और अनुलोम-विलोम करने से श्वसन प्रणाली सशक्त होती है।
*2.* ताजा, गर्म और सादा भोजन लें। बासी, अत्यधिक तैलीय, फास्ट फूड से बचें।
*3. गाय का शुद्ध घी नाक में लगाने से धूल-प्रदूषण से होने वाली एलर्जी से रक्षा होती है।*
*4.* योग और ध्यान करने से मानसिक तनाव दूर होता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
*5.* मौसमी फल, आंवला, तुलसी, अदरक, लहसुन आदि का सेवन करें।
*एलर्जी को केवल लक्षणों से दबाना समाधान नहीं है।*
आयुर्वेद इसकी जड़ तक जाकर शरीर की प्रकृति, दोषों का संतुलन और प्रतिरक्षा प्रणाली को सशक्त करने की holistic चिकित्सा प्रदान करता है। समय रहते इसका समुचित उपचार और जीवनशैली में आवश्यक परिवर्तन कर हम इस समस्या से न केवल छुटकारा पा सकते हैं, बल्कि दीर्घकालिक स्वास्थ्य की दिशा में भी अग्रसर हो सकते हैं।
*यह जानकारी केवल शिक्षात्मक उद्देश्य के लिए है।*
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