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*वात पित्त कफ के दोष तीनों को संतुलित करे इस आयुर्वेदिक उपाय से.*वात पित्त और कफ के दोष:-*शरीर 3 दोषों से भरा है**१. वात...
17/07/2025

*वात पित्त कफ के दोष तीनों को संतुलित करे इस आयुर्वेदिक उपाय से.*
वात पित्त और कफ के दोष:-
*शरीर 3 दोषों से भरा है*
*१. वात(GAS) -* लगभग 80 रोग
*२. पित्त(ACIDITY) -* लगभग 40 रोग
*३. कफ(COUGH) -* लगभग 28 रोग
यहां सिर्फ त्रिदोषो के मुख्य लक्षण बताये जायेगे और वह रोग घरेलू चिकित्सा से आसानी से ठीक होते है
*ध्यान देने योग्य सारांश निम्नवत*
1. जिस इंसान की बड़ी आंत में कचड़ा होता है बीमार भी केवल वही होता है
2. एनीमा एक ऐसी पद्धति है जो बड़ी आंत को साफ करती है और किसी भी रोग को ठीक करती है
3. संसार के सभी रोगों का कारण इन तीन दोष के बिगड़ने से होता है
*वात(GAS) अर्थात वायु:-*
1. शरीर मे वायु जहां भी रुककर टकराती है, दर्द पैदा करती है, दर्द हो तो समझ लो वायु रुकी है
2. पेट दर्द, कमर दर्द, सिर दर्द, घुटनो का दर्द ,सीने का दर्द आदि
3. डकार आना भी वायू दोष है
4. चक्कर आना,घबराहट और हिचकी आना भी इसका लक्षण है
*कारण:-*
1. गैस उत्तपन्न करने वाला भोजन जैसे कोई भी दाल आदि गैस और यूरिक एसिड बनाती ही है
2. यूरिक एसिड जहां भी रुकता है उन हड्डियों का तरल कम होता जाता है हड्डियां घिसना शुरू हो जाती है ,उनमे आवाज आने लगती है, उसे डॉक्टर कहते है कि ग्रीस ख़त्म हो गई, या फिर स्लिप डिस्क या फिर स्पोंडलाइटिस, या फिर सर्वाइकल आदि
3. प्रोटीन की आवश्यकता सिर्फ सेल्स की मरम्मत के लिए है जो अंकुरित अनाज और सूखे मेवे कर देते है
4. मैदा औऱ बिना चोकर का आटा खांना
5. बेसन की वस्तुओं का सेवन करना
6. दूध और इससे बनी वस्तुओं का सेवन करना
7. आंतो की कमजोरी इसका कारण व्यायाम न करना
*निवारण:-*
1. अदरक का सेवन करें,यह वायु खत्म करता है, रक्त पतला करता है कफ भी बाहर निकालता है, सोंठ को लेकर रात में गुनगने पानी से आधा चम्मच खायेँ
2. लहसुन किसी भी गैस को बाहर निकालता है,
*यदि सीने में दर्द होने लगे तो तुरन्त 8-10 कली लहसुन खा ले, ब्लॉकेज में तुरंत आराम मिलता है*
3. लहसुन कफ के रोग और टीबी के रोग भी मारता है
4. सर्दी में 2-2 कली सुबह शाम, और गर्मी में 1-1 कली सुबह शाम ले, और अकेला न खायेँ सब्जी या फिर जूस , चटनी आदि में कच्चा काटकर डालकर ही खायेँ
5. मेथीदाना भी अदरक लहसुन की तरह ही कार्य करता है
*प्राकृतिक उपचार:-*
गर्म ठंडे कपड़े से सिकाई करे, अब उस अंग को पहले छुएं यदि वो गर्म है तो ठंडे सिकाई करे और वह अंग अगर ठंडा है तो गर्म सिकाई करे औऱ अगर न गर्म है और न ठंडा तो गर्म ठंडी सिकाई करे एक मिनट गर्म एक मिनट ठंडा
*पित्त (ACIDITY) पेट के रोग*
1. वात दोष और कफ दोष में जितने भी रोग है उनको हटाकर शेष सभी रोग पित्त के रोग है, रक्तसंचार, शुगर, मोटापा, अर्थराइटिस, आदि
2. शरीर मे कही भी जलन हो जैसे पेट मे जलन, मूत्र त्याग करने के बाद जलन ,मल त्याग करने में जलन, शरीर की त्वचा में कही भी जलन
3. खट्टी डकारें आना
4. शरीर मे भारीपन रहना
*कारण:-*
1. गर्म मसाले, लाल मिर्च, नमक, चीनी, अचार
2. चाय ,काफी,सिगरेट, तम्बाकू, शराब,
3. मांस ,मछली ,अंडा
4. दिनभर में सदैव पका भोजन करना
5. क्रोध, चिंता, गुस्सा, तनाव
6. दवाइयों का सेवन
7. मल त्याग रोकना
8. सभी 13 वेग को रोकना जैसे छींक, पाद, आदि
*निवारण*
1. फटे हुए दूध का पानी पिये, गर्म दूध में नीम्बू डालकर दूध को फाड़े, वह पानी छानकर पिए, पेट का सभी रोग में रामबाण है, सभी प्रकार का बुखार भी दूर करता है
2. फलो व सब्जियों का रस, जैसे अनार का रस, लौकी का रस, पत्ता गोभी का रस आदि
3. निम्बू पानी का सेवन
*प्राकृतिक उपचार*
1. पेट को गीले कपड़े से ठंडक दे
2. रीढ़ की हड्डी को ठंडक देना, लकवा इसी रीढ़ की हड्डी की गर्मी से होता है, गीले कपड़े से रीढ़ की हड्डी पर पट्टी रखें
3. व्यायाम ,योग करे
4. गहरी नींद ले
*कफ(COUGH):-*
1. मुंह नाक से आने वाला बलगम इसका मुख्य लक्षण है
2. सर्दी जुखाम खाँसी टीबी प्लूरिसी निमोनिया आदि इसके मुख्य लक्षण है
3. सांस लेने में तकलीफ अस्थमा आदि या सीढी चढ़ने में हांफना
*कारण:-*
1. तेल एव चिकनाई वाली वस्तुओं का अधिक सेवन
2. दूध और इससे बना कोई भी पदार्थ
3. ठंडा पानी औऱ फ्रिज की वस्तुये खांना
4. धूल ,धुंए आदि में अधिक समय रहना
5. धूप का सेवन न करना
*निवारण:-*
1. विटामिन C का सेवन करे यह कफ का दुश्मन है यह संडास के रास्ते कफ निकालता है, जैसे आवंला
2. लहसुन, यह पसीने के रूप में कफ को गलाकर निकालता है
3. रक्त संचार सामान्य हॉगा
4. ब्लड सर्कुलेशन ठीक हॉगा
5. नींद अच्छी आएगी
6. अदरक भी सर्वश्रेष्ठ कफ नाशक है
*प्राकृतिक उपचार*
1. एक गिलास गुनगने पानी मे एक चम्मच नमक डालकर उससे गरारे करे
2. गुनगने पानी मे पैर डालकर बैठे, 2 गिलास सादा।पानी पिये और सिरर पर ठंडा कपड़ा रखे, रोज 10 मिनट करे
3. रोज 30-60 मिनट धूप ले
*आइए जाने अपनी सत्य सनातन संस्कृति को।*
*रोग मुक्त योग युक्त बनेगा भारत - एक कदम सनातन संस्कृति व प्रकृति की ओर*
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*प्राकृतिक आयुर्वेदिक प्रोडक्ट शुद्ध एवं शोधित लागत मूल्य मात्र एवम निःशुल्क प्राकृतिक चिकित्सा परामर्श हेतु सम्पर्क करें।*
कुछ प्राकृतिक औषधियां निःशुल्क दी जाती है।
*विपिन जांगिड़ (राधे सोलर), शामली*
प्राकृतिक चिकित्सा एवं वैदिक वास्तु विशेषज्ञ
*मो. 9837003126*

*आप और आपकी रसोई*रसोई में मौजूद है 10 औषधीय जड़ी-बूटियाँ।*सदियों से जड़ी-बूटियों का उपयोग उनकी औषधीय गुणों के लिए किया ज...
15/07/2025

*आप और आपकी रसोई*
रसोई में मौजूद है 10 औषधीय जड़ी-बूटियाँ।
*सदियों से जड़ी-बूटियों का उपयोग उनकी औषधीय गुणों के लिए किया जाता रहा है, जो विभिन्न रोगों के लिए प्राकृतिक उपचार प्रदान करती हैं।*
अगर आप इनको रोजाना इस्तेमाल करने लग जाएं तो अधिकतर बीमारियां तो जीवन में पास भी नहीं आएंगी। यहाँ 10 शक्तिशाली जड़ी-बूटियों और उनके पारंपरिक ज्ञान पर आधारित स्वास्थ्य लाभों पर एक नजर डालते हैं:
*1. धनिया*
धनिया ऊर्जा बढ़ाता है, थकान को कम करता है, और इसमें एंटीऑक्सिडेंट्स, विटामिन और खनिज पाए जाते हैं, जो इसे आहार में शामिल करने के लिए उत्कृष्ट बनाते हैं।
*2. तुलसी*
मूड को बेहतर करने और तनाव को कम करने के लिए जानी जाती है, तुलसी में शांत करने वाले एजेंट, एंटीऑक्सिडेंट और सेरोटोनिन-बढ़ाने वाले यौगिक होते हैं।
*3. रोजमेरी*
श्वसन स्वास्थ्य के लिए आदर्श, रोजमेरी में एंटी-इंफ्लेमेटरी टैनिन्स होते हैं, जो खांसी, गले की खराश को शांत करने और खांसी को आसान बनाने में मदद करते हैं।
*4. अजवायन*
मासिक धर्म के दर्द के लिए प्रभावी, अजवायन का दैनिक उपयोग मासिक धर्म के दौरान ऐंठन को कम करता है या खत्म कर देता है।
*5. अदरक*
मतली के लिए प्राकृतिक उपाय, अदरक का जिंजरॉल और शोगॉल पाचन तंत्र को शांत करता है, जिससे मतली प्रभावी रूप से कम होती है।
*6. पुदीना*
पेट के ऐंठन में मदद करता है; पुदीने में मेंथॉल होता है, जो एक प्राकृतिक पौधा यौगिक है जो दर्द पैदा करने वाली आंतों की ऐंठन को शांत करता है।
*7. अजमोद*
सूजन को कम करने में सहायक; इसके अपिओल और मिरिस्टिसिन भंडार के कारण अजमोद एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक है जो सूजन से राहत दिलाता है।
*8. करी पाउडर*
जोड़ों के स्वास्थ्य का समर्थन करता है; करी में कुरकुमिन जोड़ों के प्रोस्टाग्लैंडिन ई2 के उत्पादन को रोकता है, जो एक सूजन पैदा करने वाला यौगिक है जो नसों को अधिक संवेदनशील बनाता है।
*9. लाल मिर्च*
भीड़भाड़ को कम करता है; लाल मिर्च में प्राकृतिक डिकंजेस्टेंट गुण होते हैं जो साइनस को साफ करने में मदद कर सकते हैं।
*10. सोआ*
पाचन तंत्र के स्वास्थ्य में सहायक; सोआ का लाइमोनीन हानिकारक आंतों के बैक्टीरिया को मारने में काम करता है।
*इन जड़ी-बूटियों का उचित उपयोग विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के लिए प्राकृतिक राहत और समर्थन प्रदान कर सकता है।*
जड़ी-बूटियों का औषधीय उपयोग शुरू करने से पहले हमेशा किसी स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श करना उचित होता है।
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कुछ प्राकृतिक औषधियां निःशुल्क दी जाती है।
*विपिन जांगिड़ (राधे सोलर), शामली*
प्राकृतिक चिकित्सा एवं वैदिक वास्तु विशेषज्ञ
*मो. 9837003126*

राधे सौलर
26/06/2025

राधे सौलर

*"एक आत्मीय अनुरोध:-*            भाइयों आज का दिन हम सभी के लिए गौरवान्वित करने वाला दिन है ।कल  21 जून 2025 को *"अन्तरा...
21/06/2025

*"एक आत्मीय अनुरोध:-*
भाइयों आज का दिन हम सभी के लिए गौरवान्वित करने वाला दिन है ।कल 21 जून 2025 को
*"अन्तराष्ट्रीय योग दिवस"*
के रूप में मनाया जा रहा है । विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी शारीरिक, मानसिक, आत्मिक और सामाजिक स्तर पर संतुलित जीवन को समग्र स्वास्थ्य माना है। इन चारों आधारों पर मानवीय स्वास्थ्य को स्थिर रखने की क्षमता योग मे है। इसका लक्ष्य मात्र रोगोपचार नहीं, आरोग्य और समग्र विकास है ।
आप सभी बन्धुओं से निवेदन है कि आप कल जहां भी योग का कार्यक्रम हो रहा है उसमें अवश्य अपनी भागीदारी दें , साथ - साथ लोगों को भी इसके बारे में प्रेरित करे । कि लोग इसे कल ही नहीं बल्कि प्रत्येक दिन इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करें । भाइयों हम सभी लोगों को मिलकर इसे जन अभियान बनाना है ।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
*"योगः चित्तवृत्ति निरोधः " अर्थात चित्त वृत्तियों को अनुशासित रखना ही योग है।"*

*आइए जाने अपनी सत्य सनातन संस्कृति को।*
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प्राकृतिक चिकित्सा एवं वैदिक वास्तु विशेषज्ञ
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*गिलोय (नीम चढ़ी), सोने पर सुहागा**गिलोय एक ही ऐसी बेल है, जिसे आप सौ मर्ज की संस्कृत में अमृता नाम दिया गया है।*इसका वान...
16/06/2025

*गिलोय (नीम चढ़ी), सोने पर सुहागा*
*गिलोय एक ही ऐसी बेल है, जिसे आप सौ मर्ज की संस्कृत में अमृता नाम दिया गया है।*
इसका वानस्पिक नाम( Botanical name) टीनोस्पोरा कॉर्डीफोलिया (tinospora cordifolia है। इसके पत्ते पान के पत्ते जैसे दिखाई देते हैं और जिस पौधे पर यह चढ़ जाती है, उसे मरने नहीं देती। इसके बहुत सारे लाभ आयुर्वेद में बताए गए हैं, जो न केवल आपको सेहतमंद रखते हैं, बल्कि आपकी सुंदरता को भी निखारते हैं।
*गिलोय के फायदे*
*गिलोय बढ़ाती है रोग प्रतिरोधक क्षमता*
गिलोय एक ऐसी बेल है, जो व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा कर उसे बीमारियों से दूर रखती है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का काम करते हैं। यह खून को साफ करती है, बैक्टीरिया से लड़ती है। लिवर और किडनी की अच्छी देखभाल भी गिलोय के बहुत सारे कामों में से एक है। ये दोनों ही अंग खून को साफ करने का काम करते हैं।
*ठीक करती है बुखार*
अगर किसी को बार-बार बुखार आता है तो उसे गिलोय का सेवन करना चाहिए। गिलोय हर तरह के बुखार से लड़ने में मदद करती है। इसलिए डेंगू के मरीजों को भी गिलोय के सेवन की सलाह दी जाती है। डेंगू के अलावा मलेरिया, स्वाइन फ्लू में आने वाले बुखार से भी गिलोय छुटकारा दिलाती है।
*डायबिटीज के रोगियों के लिए*
गिलोय एक हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट है यानी यह खून में शर्करा की मात्रा को कम करती है। इसलिए इसके सेवन से खून में शर्करा की मात्रा कम हो जाती है, जिसका फायदा टाइप टू डायबिटीज के मरीजों को होता है।
*पाचन शक्ति बढ़ाती है*
यह बेल पाचन तंत्र के सारे कामों को भली-भांति संचालित करती है और भोजन के पचने की प्रक्रिया में मदद कती है। इससे व्यक्ति कब्ज और पेट की दूसरी गड़बड़ियों से बचा रहता है।
*बढ़ाती है आंखों की रोशनी*
गिलोय को पलकों के ऊपर लगाने पर आंखों की रोशनी बढ़ती है। इसके लिए आपको गिलोय पाउडर को पानी में गर्म करना होगा। जब पानी अच्छी तरह से ठंडा हो जाए तो इसे पलकों के ऊपर लगाएं।
*अस्थमा में भी फायदेमंद*
मौसम के परिवर्तन पर खासकर सर्दियों में अस्थमा को मरीजों को काफी परेशानी होती है। ऐसे में अस्थमा के मरीजों को नियमित रूप से गिलोय की मोटी डंडी चबानी चाहिए या उसका जूस पीना चाहिए। इससे उन्हें काफी आराम मिलेगा।
*गठिया में मिलेगा आराम*
गठिया यानी आर्थराइटिस में न केवल जोड़ों में दर्द होता है, बल्कि चलने-फिरने में भी परेशानी होती है। गिलोय में एंटी आर्थराइटिस गुण होते हैं, जिसकी वजह से यह जोड़ों के दर्द सहित इसके कई लक्षणों में फायदा पहुंचाती है।
*अगर हो गया हो एनीमिया, तो करिए गिलोय का सेवन*
भारतीय महिलाएं अक्सर एनीमिया यानी खून की कमी से पीड़ित रहती हैं। इससे उन्हें हर वक्त थकान और कमजोरी महसूस होती है। गिलोय के सेवन से शरीर में लाल रक्त कणिकाओं की संख्या बढ़ जाती है और एनीमिया से छुटकारा मिलता है।
*बाहर निकलेगा कान का मैल*
कान का जिद्दी मैल बाहर नहीं आ रहा है तो थोड़ी सी गिलोय को पानी में पीस कर उबाल लें। ठंडा करके छान के कुछ बूंदें कान में डालें। एक-दो दिन में सारा मैल अपने आप बाहर जाएगा।
*कम होगी पेट की चर्बी*
गिलोय शरीर के उपापचय (मेटाबॉलिजम) को ठीक करती है, सूजन कम करती है और पाचन शक्ति बढ़ाती है। ऐसा होने से पेट के आस-पास चर्बी जमा नहीं हो पाती और आपका वजन कम होता है।
*खूबसूरती बढ़ाती है गिलोय*
गिलोय न केवल सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है, बल्कि यह त्वचा और बालों पर भी चमत्कारी रूप से असर करती है….
*जवां रखती है गिलोय*
गिलोय में एंटी एजिंग गुण होते हैं, जिसकी मदद से चेहरे से काले धब्बे, मुंहासे, बारीक लकीरें और झुर्रियां दूर की जा सकती हैं। इसके सेवन से आप ऐसी निखरी और दमकती त्वचा पा सकते हैं, जिसकी कामना हर किसी को होती है। अगर आप इसे त्वचा पर लगाते हैं तो घाव बहुत जल्दी भरते हैं। त्वचा पर लगाने के लिए गिलोय की पत्तियों को पीस कर पेस्ट बनाएं। अब एक बरतन में थोड़ा सा नीम या अरंडी का तेल उबालें। गर्म तेल में पत्तियों का पेस्ट मिलाएं। ठंडा करके घाव पर लगाएं। इस पेस्ट को लगाने से त्वचा में कसावट भी आती है।
*बालों की समस्या भी होगी दूर*
अगर आप बालों में डैंड्रफ, बाल झड़ने या सिर की त्वचा की अन्य समस्याओं से जूझ रहे हैं तो गिलोय के सेवन से आपकी ये समस्याएं भी दूर हो जाएंगी।
*गिलोय का प्रयोग ऐसे करें :--*
*गिलोय जूस*
गिलोय की डंडियों को छील लें और इसमें पानी मिलाकर मिक्सी में अच्छी तरह पीस लें। छान कर सुबह-सुबह खाली पेट पीएं। अलग-अलग ब्रांड का गिलोय जूस भी बाजार में उपलब्ध है।
*काढ़ा*
चार इंच लंबी गिलोय की डंडी को छोटा-छोटा काट लें। इन्हें कूट कर एक कप पानी में उबाल लें। पानी आधा होने पर इसे छान कर पीएं। अधिक फायदे के लिए आप इसमें लौंग, अदरक, तुलसी भी डाल सकते हैं।
*पाउडर*
यूं तो गिलोय पाउडर बाजार में उपलब्ध है। आप इसे घर पर भी बना सकते हैं। इसके लिए गिलोय की डंडियों को धूप में अच्छी तरह से सुखा लें। सूख जाने पर मिक्सी में पीस कर पाउडर बनाकर रख लें।
*गिलोय वटी*
बाजार में गिलोय की गोलियां यानी टेबलेट्स भी आती हैं। अगर आपके घर पर या आस-पास ताजा गिलोय उपलब्ध नहीं है तो आप इनका सेवन करें।
*साथ में अलग-अलग बीमारियों में आएगी काम*
♦️अरंडी यानी कैस्टर के तेल के साथ गिलोय मिलाकर लगाने से गाउट(जोड़ों का गठिया) की समस्या में आराम मिलता है।
♦️इसे अदरक के साथ मिला कर लेने से रूमेटाइड आर्थराइटिस की समस्या से लड़ा जा सकता है।
♦️खांड के साथ इसे लेने से त्वचा और लिवर संबंधी बीमारियां दूर होती हैं।
♦️आर्थराइटिस से आराम के लिए इसे घी के साथ इस्तेमाल करें।कब्ज होने पर गिलोय में गुड़ मिलाकर खाएं।
*साइड इफेक्ट्स का रखें ध्यान*

वैसे तो गिलोय को नियमित रूप से इस्तेमाल करने के कोई गंभीर दुष्परिणाम अभी तक सामने नहीं आए हैं लेकिन चूंकि यह खून में शर्करा की मात्रा कम करती है। इसलिए इस बात पर नजर रखें कि ब्लड शुगर जरूरत से ज्यादा कम न हो जाए।
गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गिलोय के सेवन से बचना चाहिए। पांच साल से छोटे बच्चों को गिलोय न दें।
*एक निवेदन :-*
अपने घर में बड़े गमले या आंगन में जहां भी उचित स्थान हो गिलोय की बेल अवश्य लगाए यह बहु उपयोगी वनस्पति ही नही बल्कि आयुर्वेद का अमृत और ईश्वरीय वरदान है।
*आइए जाने अपनी सत्य सनातन संस्कृति को।*
*रोग मुक्त योग युक्त बनेगा भारत - एक कदम सनातन संस्कृति व प्रकृति की ओर*
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*प्राकृतिक आयुर्वेदिक प्रोडक्ट शुद्ध एवं शोधित लागत मूल्य मात्र एवम निःशुल्क प्राकृतिक चिकित्सा परामर्श हेतु सम्पर्क करें।*
कुछ प्राकृतिक औषधियां निःशुल्क दी जाती है।
*विपिन जांगिड़ (राधे सोलर), शामली*
प्राकृतिक चिकित्सा एवं वैदिक वास्तु विशेषज्ञ
*मो. 9837003126*

*कल्पना शक्ति के प्रयोग**✽* सुबह उठते ही पहली बात, कल्पना करें कि तुम बहुत प्रसन्न हो। बिस्तर से प्रसन्न-चित्त उठें-- आभ...
16/06/2025

*कल्पना शक्ति के प्रयोग*
*✽* सुबह उठते ही पहली बात, कल्पना करें कि तुम बहुत प्रसन्न हो। बिस्तर से प्रसन्न-चित्त उठें-- आभा-मंडित, प्रफुल्लित, आशा-पूर्ण-- जैसे कुछ समग्र, अनंत बहुमूल्य होने जा रहा हो।
*✽* अपने बिस्तर से बहुत विधायक व आशा-पूर्ण चित्त से, कुछ ऐसे भाव से कि आज का यह दिन सामान्य दिन नहीं होगा-- कि आज कुछ अनूठा, कुछ अद्वितीय तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा है; वह तुम्हारे करीब है। इसे दिन-भर बार-बार स्मरण रखने की कोशिश करें।
*सात दिनों के भीतर तुम पाओगे कि तुम्हारा पूरा वर्तुल, पूरा ढंग, पूरी तरंगें बदल गई हैं।*
*✽* जब रात को तुम सोते हो तो कल्पना करो कि तुम दिव्य के हाथों में जा रहे हो….जैसे अस्तित्व तुम्हें सहारा दे रहा हो, तुम उसकी गोद में सोने जा रहे हो। बस एक बात पर निरंतर ध्यान रखना है कि नींद के आने तक तुम्हें कल्पना करते जाना है ताकि कल्पना नींद में प्रवेश कर जाए, वे दोनों एक दूसरे में घुलमिल जाएं।
*✽* किसी नकारात्मक बात की कल्पना मत करें, क्योंकि जिन व्यक्तियों में निषेधात्मक कल्पना करने की क्षमता होती है, अगर वे ऐसी कल्पना करते हैं तो वह वास्तविकता में बदल जाती है।
*✽* अगर तुम कल्पना करते हो कि तुम बीमार पड़ोगे तो तुम बीमार पड़ जाते हो। अगर तुम सोचते हो कि कोई तुमसे कठोरता से बात करेगा तो वह करेगा ही।
*तुम्हारी कल्पना उसे साकार कर देगी।* तो जब भी *कोई नकारात्मक विचार आए तो उसे एकदम सकारात्मक सोच में बदल दें।* उसे नकार दें, छोड़ दें उसे,फेंक दें उसे।
*✽* एक सप्ताह के भीतर तुम्हें अनुभव होने लगेगा कि तुम बिना किसी कारण के प्रसन्न रहने लगे हो - बिना किसी कारण के।
*आइए जाने अपनी सत्य सनातन संस्कृति को।*
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*दो अलग-अलग अवधारणाएं**अमीरी और अमरता।*यह बताती है कि अमीर होना संभव है, लेकिन अमरता नहीं। यह कहानी धन, सफलता और मृत्यु ...
13/06/2025

*दो अलग-अलग अवधारणाएं*
*अमीरी और अमरता।*
यह बताती है कि अमीर होना संभव है, लेकिन अमरता नहीं। यह कहानी धन, सफलता और मृत्यु के बारे में जागरूकता पैदा करती है।
*एक समय की बात है, एक शहर में एक धनी व्यापारी रहता था। उसका नाम राजा था।*
राजा ने बहुत मेहनत की थी और बहुत धन अर्जित किया था। वह शहर में सबसे अमीर व्यक्ति था। लेकिन राजा को पता था कि वह अमर नहीं है। वह जानता था कि एक दिन उसे भी मरना होगा।
*एक दिन, राजा ने एक रहस्यमय व्यक्ति से मुलाकात की। यह व्यक्ति एक जादूगर था। जादूगर ने राजा से कहा कि वह उसे अमर बना सकता है। राजा ने जादूगर की बात मान ली और उससे अमरता का वरदान मांगा। जादूगर ने राजा को अमरता का वरदान दिया।*
लेकिन राजा को अमरता के वरदान के साथ एक कीमत चुकानी पड़ी। राजा को अपनी आत्मा को जादूगर को देना पड़ा।
*राजा ने अमरता के वरदान को प्राप्त कर लिया, लेकिन वह मरना नहीं चाहता था।*
वह हमेशा के लिए जीवित रहना चाहता था। राजा ने जादूगर से अपनी आत्मा वापस मांगने की कोशिश की, लेकिन जादूगर ने उसकी बात नहीं सुनी।
*अंत में, राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ।*
वह जानता था कि अमरता का वरदान उसकी आत्मा के लिए एक सजा थी। राजा ने जादूगर से अपनी आत्मा वापस मांगने की कोशिश की, लेकिन जादूगर ने उसकी बात नहीं सुनी। राजा को अपनी आत्मा वापस नहीं मिली और वह हमेशा के लिए अमर रहा।
*निष्कर्ष:*
*यह कहानी बताती है कि अमीर होना संभव है, लेकिन अमरता नहीं। यह कहानी धन, सफलता और मृत्यु के बारे में जागरूकता पैदा करती है। यह कहानी यह भी बताती है कि हमें हमेशा के लिए जीने के बजाय जीवन का आनंद लेना चाहिए। हमें अपनी आत्मा को खोकर अमरता प्राप्त करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। हमें हमेशा के लिए जीने के बजाय जीवन का आनंद लेना चाहिए।*
*अतिरिक्त जानकारी:*
यह कहानी एक कहानी है, जो एक व्यक्ति को धन और सफलता के बारे में सिखाती है।
*यह कहानी यह भी बताती है कि हमें हमेशा के लिए जीने के बजाय जीवन का आनंद लेना चाहिए।*
यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि हमें अपनी आत्मा को खोकर अमरता प्राप्त करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
*हमें हमेशा के लिए जीने के बजाय जीवन का आनंद लेना चाहिए।*
यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि हमें हमेशा के लिए जीने के बजाय जीवन का आनंद लेना चाहिए।
*आइए जाने अपनी सत्य सनातन संस्कृति को।*
*रोग मुक्त योग युक्त बनेगा भारत - एक कदम सनातन संस्कृति व प्रकृति की ओर*
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*विपिन जांगिड़ (राधे सोलर), शामली*
प्राकृतिक चिकित्सा एवं वैदिक वास्तु विशेषज्ञ
*मो. 9837003126*

*सहजन (फली, बीज,पत्ता) चूर्ण*जो *मोरिंगा पाउडर* के नाम से भी जाना जाता है, विभिन्न स्वास्थ्य लाभों के लिए प्रसिद्ध है। य...
06/06/2025

*सहजन (फली, बीज,पत्ता) चूर्ण*
जो *मोरिंगा पाउडर* के नाम से भी जाना जाता है, विभिन्न स्वास्थ्य लाभों के लिए प्रसिद्ध है। यह *रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने, हड्डियों को मजबूत करने, कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने और पाचन को बेहतर* बनाने में मदद करता है।
*सहजन फली के चूर्ण के फायदे:*
*१. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए:*
सहजन पाउडर में विटामिन सी और एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, जो शरीर को संक्रमण से बचाने में मदद करते हैं।
*२. हड्डियों को मजबूत बनाए:*
सहजन में कैल्शियम और फास्फोरस की मात्रा अधिक होती है, जो हड्डियों को मजबूत करने में मदद करते हैं।
*३. कोलेस्ट्रॉल कम करे:*
सहजन में कुछ तत्व होते हैं जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
*४. पाचन क्रिया बेहतर करे:*
सहजन में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद करता है।
*५. तनाव कम करे:*
सहजन में कुछ तत्व होते हैं जो तनाव को कम करने और मन को शांत करने में मदद करते हैं।
*६. त्वचा के लिए फायदेमंद:*
सहजन में विटामिन ए, सी और ई होते हैं, जो त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं।
*७. ब्लड प्रेशर नियंत्रित करे:*
सहजन में कुछ तत्व होते हैं जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
*८. एनीमिया से बचाव:*
सहजन में आयरन की मात्रा अधिक होती है, जो एनीमिया से बचाव में मदद करता है।
*९. पाचन संबंधी समस्याओं से राहत:*
सहजन पेट के कीड़ों को खत्म करने और पेट दर्द में राहत देने में मदद करता है।
*१०. लिवर को स्वस्थ रखे:*
सहजन लिवर के कार्य को बेहतर बनाने में मदद करता है।
*११. डायबिटीज को नियंत्रित करे:*
सहजन डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद करता है।
*१२. वजन कम करे:*
सहजन में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो वजन कम करने में मदद करता है।
*१३. अस्थमा, खांसी और श्वसन समस्याओं से राहत:*
सहजन में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो अस्थमा, खांसी और अन्य श्वसन समस्याओं के लक्षणों को कम करने में सहायता करते हैं।
*१४. त्वचा में चमक और कसावट:*
सहजन त्वचा को हाइड्रेट रखता है और त्वचा में चमक और कसावट लाने में मदद करता है।
*१५. जोड़ों के दर्द में राहत:*
सहजन जोड़ों के दर्द में राहत देने में मदद करता है।
*१६. पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या में वृद्धि:*
सहजन पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या में वृद्धि करने में मदद करता है।
*१७. महिलाओं में मासिक धर्म संबंधी समस्याओं से राहत:*
सहजन महिलाओं में मासिक धर्म संबंधी समस्याओं से राहत देने में मदद करता है।
*१८. लैक्टिंग मदर्स में दूध उत्पादन में वृद्धि:*
सहजन लैक्टिंग मदर्स में दूध उत्पादन में वृद्धि करने में मदद करता है।
*१९. मस्तिष्क स्वास्थ्य को बेहतर बनाए:*
सहजन में आयरन, जस्ता, ओमेगा-3 फैटी एसिड और अन्य पदार्थ होते हैं जो मस्तिष्क स्वास्थ्य को बढ़ाने में सहायक होते हैं।
*आइए जाने अपनी सत्य सनातन संस्कृति को।*
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05/06/2025

*विश्व पर्यावरण दिवस*
5 जून 1973 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया तभी से ही यह समुद्री प्रदूषण, अधिक जनसंख्या, ग्लोबल वार्मिंग, टिकाऊ विकास और वन्यजीव अपराध जैसे पर्यावरणीय मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने का एक मंच रहा है। विश्व पर्यावरण दिवस सार्वजनिक आउटरीच के लिए एक वैश्विक मंच है, जिसमें सालाना 143 से अधिक देशों की भागीदारी होती है।
*महत्त्व*
पर्यावरण को सुधारने हेतु यह दिवस महत्वपूर्ण है जिसमें पूरा विश्व रास्ते में खड़ी चुनौतियों को हल करने का रास्ता निकालता हैं। लोगों में पर्यावरण जागरूकता को जगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित विश्व पर्यावरण दिवस दुनिया का सबसे बड़ा वार्षिक आयोजन है। इसका मुख्य उद्देश्य हमारी प्रकृति की रक्षा के लिए जागरूकता बढ़ाना और दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों को देखना है।
*आयोजन*
विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य पर *गार्गी वैदिक कन्या गुरुकुल कनियान, कांधला-शामली* की छात्रा *वर्तिका जांगिड़ और अन्य छात्राओं* द्वारा दिनांक 5 जून 2025 को अपने *गार्गी वैदिक कन्या गुरुकुल कनियांन* के उपवन में अपनी अध्यापिकाओं के कुशल मार्गदर्शन में पर्यावरण संरक्षण पर एक नाट्य संदेश समस्त भूमंडलीय बुद्धिजीवों को प्रेषित।
*पर्यावरण बचाओ*
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*अमलतास पेड़ के लाभ और उपयोग**अमलतास का परिचय*आपने अमलतास के पेड़ को अनेक स्थानों पर देखा होगा। यह प्रायः सड़कों के किना...
02/06/2025

*अमलतास पेड़ के लाभ और उपयोग*
*अमलतास का परिचय*
आपने अमलतास के पेड़ को अनेक स्थानों पर देखा होगा। यह प्रायः सड़कों के किनारे या बाग-बगीचे में दिखाई देते हैं। इसमें पीले-पीले फूल होते है और ये फूल देखने में बहुत ही मनमोहक होते हैं। इन फूलों को घरों में सजावट के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा भी अमलतास के फायदे और भी हैं। क्या आपको पता है कि अमलतास का उपयोग कर रोगों को ठीक करने के लिए भी किया जाता है।
*आयुर्वेद के अनुसार* अमलतास के इस्तेमाल से बुखार, पेट की बीमारियां, त्वचा रोग, खांसी, टीबी और ह्रदय रोग आदि में लाभ लिया जा सकता है।
*इतना ही नहीं अमलतास के लाभ और भी हैं जिसकी जानकारी पाकर आप अमलतास से लाभ ले सकते हैं। आइए जानते हैं।*
*अमलतास क्या है?*
कई प्राचीन ग्रन्थों में अमलतास का विवरण मिलता है। इसके वृक्ष पहाड़ियों पर अपने मालाकार सुवर्ण फूलों से शोभा बढ़ाते हैं। मार्च-अप्रैल में वृक्षों की पत्तियां झड़ जाती हैं। इसके बाद नई पत्तियां और पीले रंग के पूल साथ ही निकलते हैं। उसके बाद फली लगती है। फली लम्बी गोल और नुकीली हेती है और वर्ष भर लटकी रहती है।
*बुखार को ठीक करने के लिए करें अमलतास का उपयोग*
अमलतास फल मज्जा को पिप्पली की जड़, हरीतकी, कुटकी एवं मोथा के साथ बराबर भाग में मिलाएं। इसका काढ़ा बनाकर पीएं। इससे ज्वर में लाभ होता है।
*अमलतास के उपयोग से मिलती है फुंसी और छाले की परेशानी से छुटकारा*
अमलतास के पत्तों को गाय के दुग्ध के साथ पीसकर लेप करने से नवजात शिशु के शरीर पर होने वाली फुंसी या छाले दूर हो जाते हैं।
*अमलतास के उपयोग से ठीक होती है नाक की फुंसी*
अमलतास के पत्तों और छाल को पीसकर नाक की छोटी-छोटी फुंसी पर लगाएं। इससे फुन्सियां ठीक हो जाती हैं।
*मुंह के छाले में अमलतास के उपयोग से लाभ*
अमलतास फल मज्जा को धनिये के साथ पीस लें। इसमें थोड़ा कत्था मिलाकर चूसें या फिर केवल इसके गूदे को मुख में रखकर चूसने से मुंह के छाले ठीक होते हैं।
*घाव को सुखाने के लिए करें अमलतास क उपयोग*
अमलतास, चमेली तथा करंज के पत्तों को गाय के मूत्र के साथ पीस लें। इसे घाव पर लेप के रूप में लगाएं। इससे पुराना से पुराना घाव भी ठीक हो जाता है।
अमलतास के पत्तों को दूध में पीस लें। इसे घाव पर लगाएं। इससे तुरंत लाभ होता है।
*शरीर की जलन में अमलतास के उपयोग से लाभ*
अमलतास की 10-15 ग्राम जड़ या जड़ की छाल को दूध में उबालें। इसे पीसकर लेप करने से शरीर की जलन ठीक हो जाती है।
*कंठ के रोग में अमलतास के उपयोग से लाभ*
अमलतास की जड़ को चावल के पानी के साथ पीस लें। इसे सुंघाने और लेप करने से कंठ के रोग में लाभ होता है
*अमलतास से करें टॉन्सिल का उपचार*
कफ के कारण टान्सिल बढ़ने पर अमलतास का पानी पीने में आराम मिलता है। टान्सिल में जब दर्द हो रहा हो तब 10 ग्राम अमलतास जड़ की छाल को थोड़े जल में पकाएं। इसे बूंद-बूंद कर मुंह में डालते रहने से आराम होता है।
*खांसी के इलाज के लिए करें अमलतास का सेवन*
अमलतास की 5-10 ग्राम गिरी को पानी में घोटें। उसमें तीन गुना चीनी का बूरा डाल लें। इसे गाढ़ी चाशनी बनाकर चटाने से सूखी खांसी ठीक होती है।
अमलतास फल मज्जा को पिप्पली की जड़, हरीतकी, कुटकी एवं मोथा के साथ बराबर भाग में मिलाएं। इसका काढ़ा बनाकर पीएं। इससे कफ में लाभ होता है।
अमलतास के फल का गूदा का काढ़ा बना लें। इसमें 5-10 ग्राम इमली का गूदा मिलाकर सुबह और शाम पीएं। यदि रोगी में कफ की अधिकता हो तो इसमें थोड़ा निशोथ का चूर्ण मिलाकर पिलाने से विशेष लाभ होता है।
*दमा या श्वसनतंत्र विकार में लाभ दिलाता है अमलतास का उपयोग*
दमा या श्वसनतंत्र विकार को ठीक करने के लिए अमलतास फल के गूदे का काढ़ा बना लें। इसे पिलाने से सांसों की बीमारी में लाभ होता है।
*पेट दर्द से राहत पाने के लिए उपयोगी होता है अमलतास*
अमलतास की मज्जा को पीसकर बच्चों की नाभि के चारों ओर लेप करें। इससे पेट के दर्द से आराम मिलता है।
*पेट के रोग में फायदेमंद अमलतास का सेवन*
पेट के रोग में अमलतास के 2-3 पत्तों में नमक और मिर्च मिलाएं। इसे खाने से पेट साफ होता है और बीमारी ठीक होती है।
अमलतास फल के 10 से 20 ग्राम गूदे को रात में 500 मिली पानी में भिगो दें। इसे सुबह मसलकर छानकर पीने से पेट साफ हो जाता है और पेट की गंदगी बाहर निकल जाती है।
*आंतों के रोग में लाभ दिलाता है अमलतास*
चार वर्ष से लेकर बारह वर्ष तक का बच्चे के शरीर में जलन हो रही हो या वह आंतों की बीमारी से परेशान है तो उसे अमलतास की मज्जा को 2-4 नग मुनक्का के साथ देना चाहिए। इससे लाभ होता है।
*अमलतास के उपयोग से मिलता है पाचनतंत्र विकारों में लाभ*
अमलतास फल मज्जा को पिप्पली की जड़, हरीतकी, कुटकी एवं मोथा के साथ बराबर भाग में मिलाएं। इसका काढ़ा बनाकर पीएं। इससे पाचनतंत्र संबंधी विकार ठीक होते हैं, भूख बढ़ती है।
*अमलतास का उपयोग कर पाएं कब्ज में लाभ*
अमलतास के फूलों का गुलकंद बनाकर सेवन कराने से कब्ज में लाभ होता है।
इसी तरह 15-20 ग्राम अमलतास फल का गूदा लें। इसे मुनक्का के रस के साथ सेवन करने से कब्ज ठीक हो जाता है।
आरग्वध (अमलतास) के कच्चे फलों के चूर्ण लें। इसके चौथाई भाग सेंधा नमक मिला और नींबू का रस मिलाकर सेवन करने से कब्ज में फायदा होता है।
*बवासीर में फायदेमंद अमलतास का उपयोग*
अमलतास, चमेली तथा करंज के पत्तों को गाय के मूत्र के साथ पीस लें। इसे बवासीर के मस्से पर लेप के रूप में लगाएं। इससे बवासीर में लाभ होता है।
*पीलिया के उपचार के लिए करें अमलतास का उपयोग*
अमलतास के फल का गूदा लें। इतना ही गन्ना या भूमि कूष्मांड या आंवले के बराबर भाग रस लें। इसे दिन में दो बार देने से पीलिया रोग में लाभ हेता है।
*प्रमेह रोग (मधुमेह) में लाभ पहुंचाता है अमलतास*
10 ग्राम अमलतास के पत्तों को 400 मिली पानी में पकाएं। जब काढ़ा एक चौथाई रह जाए तो इसका सेवन करें। इससे मधुमेह या डायबिटीज में लाभ होता है।
*अमलतास से हाइड्रोसील (अण्डकोष वृद्धि) विकार में लाभ*
15 ग्राम अमलतास फल के गूदा को 100 मिली पानी में उबालें। जब पानी 25 मिली शेष रह जाए तो उसमें गाय का घी मिलाकर पीएं। इससे अण्डकोष वृद्धि या हाइड्रोसील के बढ़ने की परेशानी में लाभ होता है।
*गठिया रोग या जोड़ों के दर्द में लाभ दिलाता है अमलतास*
गठिया की बीमारी में 5-10 ग्राम अमलतास जड़ को 250 मिली दूध में उबालें। इसे देने से गठिया में लाभ होता है।
*अमलतास के 10-15 पत्तों को गर्म करके उनकी पट्टी बांधने से गठिया में फायदा होता है।*
शाम के भोजन में सरसों के तेल में पकाए हुए अमलतास के पत्तों का सेवन करें। इससे आम का पाचन होकर आमवात में लाभ होता है।
जोड़ों के दर्द में अमलतास फल के गूदा और पत्तों का लेप करें। इससे आराम मिलता है।
*चेहरे के लकवा में करें अमलतास का उपयोग*
अमलतास के 10-15 पत्तों को गर्म करके उनकी पट्टी बांधने से चेहरे के लकवे के रोग में लाभ होता है।
इसके अलावा अमलतास के पत्ते के रस को पिलाने से भी चेहरे के लकवे की बीमारी ठीक हो जाती है।
*रक्तवाहिकाओं संबंधित विकार में फायदेमंद अमलतास का उपयोग*
रक्तवाहिकाओं की परेशानी में अमलतास के पत्ते को पानी और तेल में पकाएं और इसका सेवन करें। इससे रक्तवाहिकाओं से जुड़ी परेशानियों में लाभ होता है।
*अमलतास से कुष्ठ रोग में लाभ*
अमलतास के पत्ते अथवा जड़ को पीसकर लेप करने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है। इससे दाद या खुजली जैसे चर्म रोगों में भी लाभ होता है।
अमलतास की पत्तियों तथा कुटज त्वक् का काढ़ा बनाकर स्नान, पान, लेप आदि के लिए प्रयोग करने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
*त्वचा रोगों के इलाज के लिए करें अमलतास का उपयोग*
पहले शरीर पर सरसों के तेल से मालिश करें और फिर अमलतास, मकोय तथा कनेर के पत्तों को छाछ से पीस लें। इसे प्रभावित अंगों पर लेप करें। इसके अलावा कांजी से पत्तों को पीसकर लेप करने से त्वचा रोग जैसे कुष्ठ रोग, दाद, खुजली आदि में लाभ होता है।
*अमलतास से विसर्प रोग का उपचार*
अमलतास के पत्तों तथा श्लेष्मातक की छाल का लेप बनाकर लगाने से विसर्प रोग वाले घाव ठीक हो जाते हैं। अमलतास के 8-10 पत्तों को पीसकर इसें घी मिला लें। इसका लेप करने से भी विसर्प रोग में लाभ होता है।
*गर्भवती स्त्रियों के स्ट्रेच मार्क्स को दूर करता है अमलतास*
अमलतास के पत्तों को दूध में पीस लें। इसे गर्भवती स्त्रियों के शरीर पर होने वाली धारियों पर लगाएं। इससे तुरंत फायदा होता है।
*बिवाई रोग में अमलतास के इस्तेमाल से लाभ*
कई लोगों या अनेक महिलाओं को पैर के एड़ियों के फटने की शिकायत रहती है। ऐसे में अमलतास के पत्ते का पेस्ट बनाकर एड़ियों पर लगाएं। इससे एड़ी के फटने या बिवाई रोग में लाभ होता है।
*रक्तपित्त (हेमोटाईसिस) में अमलतास के उपयोग से लाभ*
शरीर के अंगों जैसे नाक, कान आदि से खून के बहने पर अमलतास का प्रयोग करना लाभ देता है। 25-50 ग्राम अमलतास फल के गूदा में 20 ग्राम मधु और शर्करा मिला लें। इसे सुबह और शाम देने से नाक-कान से खून का बहना रुक जाता है।
*पित्तज विकार अमलतास के प्रयोग से लाभ*
अमलतास के फल के गूदा का काढ़ा बना लें। इसमें 5-10 ग्राम इमली का गूदा मिलाकर सुबह और शाम पीएं। इससे पित्त विकार ठीक होता है। यदि रोगी में कफ की अधिकता हो तो इसमें थोड़ा निशोथ का चूर्ण मिलाकर पिलाने से विशेष लाभ होता है।
अमलतास फल के गूदा का काढ़ा बनाकर पिलाएं या अमलतास फल के गूदा से पेस्ट बना लें। इसे दूध में पकाएं और पीएं। इससे पित्त विकारों में लाभ होता है।
अमलतास फल के गूदा और घृतकुमारी के गूदे को जल के साथ घोट लें। इसका मोदक बना लें। इसे रात में सेवन करें। इससे पित्त के विकारों में फायदा होता है। इसके लिए जल के स्थान पर गुलाबजल का प्रयोग भी किया जा सकता है।
लाल निशोथ के काढ़ा के साथ अमलतास के फल का गूदा का पेस्ट मिला लें। इसके अलावा बेल के काढ़ा के साथ अमलतास के गूदा का पेस्ट, नमक एवं मधु मिला सकते हैं। इसे 10-20 मिली मात्रा में पीने से पित्तज विकार ठीक होता है।
*वात विकार में अमतलास से उपयोग से फायदा*
अमलतास फल के गूदा को पिप्पली की जड़, हरीतकी, कुटकी एवं मोथा के साथ बराबर भाग में मिलाएं। इसका काढ़ा बनाकर पीएं। इससे वात संबंधित विकार में लाभ होता है।
*अमलतास का प्रयोग इतनी मात्रा में करना चाहिएः-*
काढ़ा- 20-40 मिली
फलमज्जा (विरेचनार्थ)- 15-20 ग्राम
*एक औषधि के रूप में अधिक लाभ लेने के लिए वैदिक प्राकृतिक चिकित्सा एवम वास्तु परामर्श केंद्र के परामर्शानुसार प्रयोग करें।*
*अमलतास के इस्तेमाल का तरीका*
अमलतास के पेड़ के अनगिनत लाभ हैं. इस पेड़ के निम्न हिस्सों को उपयोग में लाया जा सकता हैः-
पत्ते, फूल, बीज, जड़, तने की छाल, फल का गूदा
अमलतास का वृक्ष पूरे भारतवर्ष में सड़क के किनारे या उद्यानों में पाया जाता है।
*आइए जाने अपनी सत्य सनातन संस्कृति को।*
*रोग मुक्त योग युक्त बनेगा भारत - एक कदम सनातन संस्कृति व प्रकृति की ओर*
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