Naturopath Aayurved & Vastu Jyotish

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*व्रत, त्यौहार और पंचांग से जुड़े रहने के लिए, ब्रॉडकास्ट की लिमिट व्हाट्स एप्प वालो न बना दी है।*आप सब व्रत त्योहार और प...
07/12/2025

*व्रत, त्यौहार और पंचांग से जुड़े रहने के लिए, ब्रॉडकास्ट की लिमिट व्हाट्स एप्प वालो न बना दी है।*
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*ग्रुप में जानकारी केवल शिक्षात्मक उद्देश्य के लिए है।*
*आइए जाने अपनी सत्य सनातन संस्कृति को।*
*रोग मुक्त योग युक्त बनेगा भारत - एक कदम सनातन संस्कृति व प्रकृति की ओर*
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*प्राकृतिक आयुर्वेदिक प्रोडक्ट शुद्ध एवं शोधित लागत मूल्य मात्र एवम निःशुल्क प्राकृतिक चिकित्सा परामर्श हेतु सम्पर्क करें।*
कुछ प्राकृतिक औषधियां निःशुल्क दी जाती है।
*विपिन जांगिड़ (राधे सोलर), शामली*
प्राकृतिक चिकित्सा एवं वैदिक वास्तु विशेषज्ञ
*मो. 9837003126*

*परमात्मा पर विश्वास की एक कहानी युवा व्यापारी की है, जो लगातार असफल हो रहा था, लेकिन एक साधु के कहने पर उसने धैर्य और व...
29/11/2025

*परमात्मा पर विश्वास की एक कहानी युवा व्यापारी की है, जो लगातार असफल हो रहा था, लेकिन एक साधु के कहने पर उसने धैर्य और विश्वास बनाए रखा और अंततः सफल हुआ। दूसरी कहानी प्रह्लाद की है, जो हर मुश्किल में भी अपने पिता की हर कोशिश के बावजूद भगवान नारायण का नाम जपते रहे और सुरक्षित रहे, जो कि विपरीत परिस्थितियों में भी विश्वास का एक उदाहरण है।*
युवा व्यापारी की कहानी
*समस्या:*
एक युवा व्यापारी व्यापार में लगातार असफल हो रहा था और उसे लगने लगा कि भगवान ने उसे छोड़ दिया है। वह निराश हो गया था।
*सलाह:*
उसने एक साधु से अपनी परेशानी बताई। साधु ने उसे समझाया कि भगवान का समय हमेशा सही होता है और वे जानते हैं कि उसके लिए सबसे अच्छा क्या है।
*सीख:*
व्यापारी ने साधु की बात सुनकर भगवान पर विश्वास रखते हुए मेहनत जारी रखी। कुछ समय बाद, उसे एक बड़ा अवसर मिला और उसका व्यापार सफल हो गया।
*निष्कर्ष:*
यह कहानी सिखाती है कि भगवान का समय सही होता है और हमें अपनी मेहनत और विश्वास पर भरोसा रखना चाहिए।
*प्रह्लादजी की कहानी*
*भक्ति:*
प्रह्लादजी दैत्यराज हिरण्यकश्यपु के पुत्र थे, लेकिन वे भगवान नारायण के परम भक्त थे।
*पिता का विरोध:*
उनके पिता ने उनकी भक्ति से क्रोधित होकर उन्हें मारने के कई प्रयास किए, जैसे जहर देना, ऊंचाई से फेंकना और आग लगाना।
*अटूट विश्वास:*
इन सभी परिस्थितियों में प्रह्लादजी शांत और निर्भय बने रहे और लगातार नारायण का नाम जपते रहे।
*निष्कर्ष:*
यह कहानी दिखाती है कि ईश्वर में सच्चा विश्वास हमें किसी भी परिस्थिति में शांत और सुरक्षित रख सकता है।
*यह जानकारी केवल शिक्षात्मक उद्देश्य के लिए है।*
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*विपिन जांगिड़ (राधे सोलर), शामली*
संजीवनी प्राकृतिक चिकित्सा एवं वैदिक वास्तु विशेषज्ञ
*मो. 9837003126*

26/11/2025

*यह जानकारी केवल शिक्षात्मक उद्देश्य के लिए है।*
*आइए जाने अपनी सत्य सनातन संस्कृति को।*
*रोग मुक्त योग युक्त बनेगा भारत - एक कदम सनातन संस्कृति व प्रकृति की ओर*
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कुछ प्राकृतिक औषधियां निःशुल्क दी जाती है।
*विपिन जांगिड़ (राधे सोलर), शामली*
प्राकृतिक चिकित्सा एवं वैदिक वास्तु विशेषज्ञ
*मो. 9837003126*

*❤️अर्जुन का पेड़ (Terminalia arjuna) (छाल, पत्ते, फल)*आयुर्वेद में अपने औषधीय गुणों के लिए, विशेष रूप से हृदय स्वास्थ्य...
26/11/2025

*❤️अर्जुन का पेड़ (Terminalia arjuna) (छाल, पत्ते, फल)*
आयुर्वेद में अपने औषधीय गुणों के लिए, विशेष रूप से हृदय स्वास्थ्य के लिए, बहुत महत्व रखता है। इसके
*🍀अर्जुन छाल के मुख्य औषधीय गुण*
हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करता है
एंटीऑक्सीडेंट,फ्री रेडिकल्स से बचाव करता है,एंटी-इंफ्लेमेटरी
सूजन कम करता है।हाइपोलिपिडेमिक
कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स को कम करता है।एंटी- हाइपरटेंसिव ब्लड प्रेशर नियंत्रित करता है, डाइयुरेटिक मूत्रवर्धक (पेशाब बढ़ाता है)
*❤️हृदय स्वास्थ्य में सहायक:*
एनजाइना (Angina), हार्ट फेलियर, कोरोनरी आर्टरी डिजीज
*उपयोग:* छाल का चूर्ण 3-6 ग्राम *प्रतिदिन, गर्म दूध या पानी के साथ।*
अर्जुन की छाल हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करती है, रक्त की आपूर्ति में सुधार करती है, और हृदय के बेहतर कार्य को बढ़ावा देती है। यह हृदय विफलता और इस्केमिक हृदय रोग जैसी स्थितियों में भी लाभकारी हो सकती है।
*❤️रक्तचाप प्रबंधन:* यह उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है, हालांकि इसका अधिक मात्रा में सेवन रक्तचाप को बहुत कम कर सकता है, इसलिए चिकित्सक की सलाह महत्वपूर्ण है।
*❤️कोलेस्ट्रॉल* नियंत्रण LDL (खराब कोलेस्ट्रॉल) कम करता है, HDL बढ़ाता है।
*❤️मधुमेह* (Diabetes) में सहायक इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाता है, ब्लड शुगर नियंत्रित करता है।
*❤️एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर:* अर्जुन की छाल एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरी होती है, जो शरीर को मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाने में मदद करती है।
*🍀पाचन स्वास्थ्य:* इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो पेट की सूजन, गैस और कब्ज जैसी पाचन समस्याओं को कम करने में सहायक होते हैं।
*🍀हड्डियों को मजबूत बनाना:* अर्जुन की छाल का पानी हड्डियों को मजबूत बनाने में भी मदद कर सकता है।
*🍀सूजन कम करना:* इसके सूजन-रोधी (एंटी-इंफ्लेमेटरी) गुण शरीर में विभिन्न प्रकार की सूजन को कम करने में मदद करते हैं।
*🍀लिवर स्वास्थ्य:* यह लिवर को निरोग रखने में भी मदद करता है।
*🍀तनाव से राहत:* अर्जुन की छाल प्राकृतिक तनाव से राहत देने में भी सहायक हो सकती है।
*🍀त्वचा रोग*
घाव भरने, मुहांसे, एक्जिमा में बाहरी लेप के रूप में।
*❤️उपयोग के तरीके:*
आमतौर पर, अर्जुन की छाल का उपयोग इसके चूर्ण या काढ़े के रूप में किया जाता है।
*इसे पानी में उबालकर या दूध के साथ मिलाकर पिया जा सकता है।*
*❤️अर्जुन छाल के साथ अन्य जड़ी-बूटियों के नुस्खे (आयुर्वेदिक योग)*
*🍀हृदय रोग नाशक काढ़ा (Arjunarishta योग)*
*सामग्री*:
अर्जुन छाल चूर्ण – 50 ग्राम
द्राक्षा (किशमिश) – 50 ग्राम
मधुका पुष्प (महुआ फूल) – 25 ग्राम
धातकी पुष्प – 25 ग्राम
गुड़ – 100 ग्राम
पानी – 2 लीटर
*विधि:*
सभी जड़ी-बूटियों को पानी में उबालें, जब पानी 500 मि.ली. रह जाए तो छान लें।
गुड़ मिलाएं, ठंडा होने पर कांच की बोतल में भरें।
15 दिन तक गर्म स्थान पर रखें (किण्वन के लिए)।
*डोज*: 15-30 मि.ली., भोजन के बाद, पानी मिलाकर।
*लाभ*: हार्ट फेलियर, एनजाइना, कमजोर हृदय।
*🍀कोलेस्ट्रॉल कम करने का चूर्ण (Arjuna + लहसुन + त्रिफला)*
*सामग्री*:
अर्जुन छाल चूर्ण – 3 भाग
लहसुन चूर्ण – 1 भाग
त्रिफला चूर्ण – 2 भाग
*डोज*: 1 चम्मच (3 ग्राम) गुनगुने पानी के साथ, सुबह खाली पेट।
*लाभ*: LDL कम, HDL बढ़े, धमनियां साफ हों।
*🍀हाई ब्लड प्रेशर नाशक चाय (Arjuna + पुदीना + ब्राह्मी)*
*सामग्री*:
अर्जुन छाल – 1 चम्मच
पुदीना पत्ती – 1 चम्मच
ब्राह्मी – आधा चम्मच
*विधि*:
सभी को 2 कप पानी में 10 मिनट उबालें।
छानकर, शहद मिलाकर पिएं।
*डोज*: दिन में 2 बार।
*लाभ*: तनाव कम, रक्तचाप नियंत्रित।
*🍀मधुमेह में सहायक दूध (Arjuna + जामुन + करेला)*
*सामग्री*:
अर्जुन छाल चूर्ण – 1 चम्मच
जामुन गुठली चूर्ण – 1 चम्मच
करेला चूर्ण – आधा चम्मच
गाय का दूध – 1 कप
*विधि*:
सभी चूर्ण दूध में मिलाकर उबालें।
ठंडा करके पिएं।
*डोज*: रात को सोने से पहले।
*लाभ*: ब्लड शुगर स्थिर, हृदय सुरक्षित।
*🍀त्वचा रोगों में लेप (Arjuna + नीम + हल्दी)*
*सामग्री*:
अर्जुन छाल चूर्ण – 2 चम्मच
नीम चूर्ण – 1 चम्मच
हल्दी – आधा चम्मच
गुलाब जल – पर्याप्त
*विधि*:
पेस्ट बनाकर प्रभावित स्थान पर लगाएं।
30 मिनट बाद धो लें।
*लाभ*: मुहांसे, घाव, एक्जिमा में राहत।
*🌞सावधानी:*
किसी भी गंभीर स्वास्थ्य स्थिति या नियमित सेवन के लिए, आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना महत्वपूर्ण है, खासकर गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए।
*यह जानकारी केवल शिक्षात्मक उद्देश्य के लिए है।*
*आइए जाने अपनी सत्य सनातन संस्कृति को।*
*रोग मुक्त योग युक्त बनेगा भारत - एक कदम सनातन संस्कृति व प्रकृति की ओर*
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*प्राकृतिक आयुर्वेदिक प्रोडक्ट शुद्ध एवं शोधित लागत मूल्य मात्र एवम निःशुल्क प्राकृतिक चिकित्सा परामर्श हेतु सम्पर्क करें।*
कुछ प्राकृतिक औषधियां निःशुल्क दी जाती है।
*विपिन जांगिड़ (राधे सोलर), शामली*
प्राकृतिक चिकित्सा एवं वैदिक वास्तु विशेषज्ञ
*मो. 9837003126*

*🌹जरूरी नहीं हर बीमारी के लिए आप डॉक्टर के पास भागें**🌹प्रकृति स्वयं सबसे बड़ी चिकित्सक है।*यह बात काफी हद तक सही है। हर ...
23/11/2025

*🌹जरूरी नहीं हर बीमारी के लिए आप डॉक्टर के पास भागें*
*🌹प्रकृति स्वयं सबसे बड़ी चिकित्सक है।*
यह बात काफी हद तक सही है। हर छोटी-मोटी समस्या के लिए डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं होती, क्योंकि कई सामान्य बीमारियों और स्थितियों को घरेलू उपचारों, जीवनशैली में बदलाव या ओवर-द-काउंटर दवाओं से प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है।
यहाँ कुछ कारण दिए गए हैं कि
*🍀हर समस्या के लिए डॉक्टर की आवश्यकता क्यों नहीं है:*
*🍀सामान्य बीमारियाँ:* सर्दी, खांसी, हल्का सिरदर्द, अपच, या सामान्य कटने-छिलने जैसी समस्याएं अक्सर घर पर ही ठीक हो जाती हैं।
*🍀घरेलू उपचार:* सदियों पुराने घरेलू उपचार (जैसे हल्दी वाला दूध, काढ़ा, या शहद) कई सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं में राहत प्रदान कर सकते हैं और अक्सर इनका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता।
*🍀रोकथाम और जीवनशैली:* नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, पर्याप्त नींद और तनाव प्रबंधन जैसी स्वस्थ जीवनशैली की आदतें कई बीमारियों को रोकने में मदद करती हैं, जिससे डॉक्टर के पास जाने की आवश्यकता कम हो जाती है।
*हालांकि, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि:*
यदि लक्षण गंभीर हैं, बने रहते हैं, या बिगड़ जाते हैं, तो हमेशा एक योग्य चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।
डॉक्टर की सलाह गंभीर बीमारियों के निदान और उचित उपचार के लिए आवश्यक है।
*🥕 विटामिन A (Vitamin A)*
*कमी के लक्षण:*
कमजोर या धुंधला दिखाई देना (Poor vision)
*सूखी त्वचा*
रोग प्रतिरोधक क्षमता (immune system) का कमजोर होना
*💉 विटामिन B12 (Vitamin B12)*
*कमी के लक्षण:*
थकान और कमजोरी
हाथ-पैरों में झनझनाहट या सुन्नपन महसूस होना (tingling sensation)
*🍊 विटामिन C (Vitamin C)*
*कमी के लक्षण:*
कमजोर रोग प्रतिरोधक शक्ति
घाव भरने में देरी
मसूड़ों से खून आना
*☀️ विटामिन D (Vitamin D)*
*कमी के लक्षण:*
हड्डियों में दर्द
मांसपेशियों में कमजोरी
मूड में उतार-चढ़ाव (मूड स्विंग्स)
*🥜 विटामिन E (Vitamin E)*
*कमी के लक्षण:*
मांसपेशियों में कमजोरी
दृष्टि (देखने की क्षमता) से जुड़ी समस्याएँ
रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना
*🥬 विटामिन K (Vitamin K)*
*कमी के लक्षण:*
ज़्यादा खून बहना (Excessive bleeding)
आसानी से चोट के निशान (bruising) पड़ जाना
हड्डियों का कमजोर होना
*🍌 विटामिन B6 (Vitamin B6)*
*कमी के लक्षण:*
थकान और चिड़चिड़ापन
मूड में बदलाव
त्वचा पर सूजन या जलन
*🌾 विटामिन B2 (Vitamin B2 / Riboflavin)*
*कमी के लक्षण:*
होंठों के कोनों पर दरारें
गले में दर्द
त्वचा में सूजन
*🥗 विटामिन B9 (Folate / Folic Acid)*
*कमी के लक्षण:*
एनीमिया (खून की कमी)
थकान और कमजोरी
ध्यान और एकाग्रता में कमी
*🌹आप ये खाएं*
*विटामिन A (Vitamin A)*
*मुख्य स्रोत:*
गाजर 🥕
पालक और मेथी जैसी हरी सब्जियाँ 🌿
शकरकंद 🍠
आम 🥭
दूध और मक्खन 🧈
*लाभ:* आँखों की रोशनी बढ़ाता है, त्वचा को स्वस्थ रखता है, रोग प्रतिरोधक शक्ति को मजबूत करता है।
*विटामिन B12 (Vitamin B12)*
*मुख्य स्रोत:*
दूध, दही, पनीर 🧀
सोया उत्पाद (सोया मिल्क, टोफू)
फोर्टिफाइड अनाज (fortified cereals)
*लाभ:* तंत्रिका तंत्र को मजबूत करता है, थकान कम करता है और लाल रक्त कोशिकाएँ बनाता है।
*विटामिन C (Vitamin C)*
*मुख्य स्रोत:*
आंवला 🍋,
संतरा, नींबू, मौसंबी 🍊
अमरूद 🍈
स्ट्रॉबेरी 🍓
टमाटर 🍅
हरी मिर्च 🌶️
*लाभ:* रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, घाव भरने में मदद करता है, और त्वचा को चमकदार रखता है।
*विटामिन D (Vitamin D)*
*मुख्य स्रोत:*
धूप ☀️ (सबसे प्रमुख स्रोत)
दूध, दही
फोर्टिफाइड फूड्स (जैसे सोया मिल्क, ओट मिल्क)
*लाभ:* हड्डियों और दाँतों को मजबूत रखता है, कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है।
*विटामिन E (Vitamin E)*
*मुख्य स्रोत:*
बादाम, अखरोट, मूंगफली 🥜
सूरजमुखी के बीज 🌻
एवोकाडो 🥑
हरी पत्तेदार सब्जियाँ 🌿
वनस्पति तेल (sunflower, olive oil) 🫒
*लाभ:* त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद, मांसपेशियों और हृदय की रक्षा करता है।
*विटामिन K (Vitamin K)*
*मुख्य स्रोत:*
पालक, केल, ब्रोकोली 🥦
हरी पत्तेदार सब्जियाँ 🌿
गोभी 🥬
सोयाबीन तेल और जैतून तेल 🫒
*लाभ:* खून जमाने (blood clotting) में मदद करता है और हड्डियों को मजबूत रखता है।
*विटामिन B6 (Vitamin B6)*
*मुख्य स्रोत:*
केला 🍌
आलू 🥔
चना और मसूर दाल 🥣
अखरोट और सूरजमुखी के बीज 🌻
*लाभ:* दिमाग़ के कार्य में सुधार करता है, मूड को स्थिर रखता है और मेटाबोलिज़्म में मदद करता है।
*विटामिन B2 (Vitamin B2 / राइबोफ्लेविन)*
*मुख्य स्रोत:*
दूध, दही 🥛
हरी सब्जियाँ 🌿
साबुत अनाज 🌾
बादाम 🥜
मशरूम 🍄
*लाभ:* त्वचा, बाल और नाखूनों को स्वस्थ रखता है, और ऊर्जा उत्पादन में मदद करता है।
*विटामिन B9 (Folate / Folic Acid)*
*मुख्य स्रोत:*
पालक, मैथी, सरसों का साग 🌿
चना, राजमा, मसूर दाल 🥣
एवोकाडो 🥑
संतरा 🍊
*लाभ:* नई कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता है, गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
*संक्षेप में,* यह दृष्टिकोण विवेकपूर्ण है, लेकिन आत्म-देखभाल (self-care) और पेशेवर चिकित्सा देखभाल के बीच संतुलन बनाना महत्वपूर्ण है।
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*नस्य--*प्रतिदिन नाक में २ -२ बूँद गाय के घी या तिल या सरसों के तेल की डालना हमें बहुत सारे लाभ देता है .तेल या घी को ले...
20/11/2025

*नस्य--*
प्रतिदिन नाक में २ -२ बूँद गाय के घी या तिल या सरसों के तेल की डालना हमें बहुत सारे लाभ देता है .तेल या घी को लेट कर नाक में डाले और हल्का सा खिंच ले . ५ मिं लेते रहे।
इसे प्रतिमर्श नस्य कहा जाता है ।
*आयुर्वेद में इसे लेने के १४ समय बताये गए है -* सुबह उठने पर ,दंत धावन, व्यायाम, शरीरसंबंध, मलमूत्र त्याग, भोजन ,वमन , के बाद दिन में सो के उठने पर ,और शाम को *बाहर जाते समय नस्य लेने से प्रदुषण का असर नहीं होगा*
*-* रात में सोते समय नस्य लेने से वात रोगों में लाभ मिलता है ; विशेषकर तब जब हम तेज़ पंखे या एसी में सोये .
*-* थायरोइड
*-* स्मरण शक्ति ; इसलिए विद्यार्थियों के लिए लाभकारी
*-* बाल झडना और असमय सफ़ेद होना
*-* दांत के रोगों में जैसे दर्द ,सेंसिटिविटी , मसूड़ों की समस्या
*-* बेहतर केल्शियम एब्ज़ोर्प्शन
*-* लम्बाई बढाता है
*-* नाक की समस्याएँ पोलिप्स, छींकें आना, नाक बंद होना, सर्दी ज़ुकाम
*-* गला खराब होने पर
*-* कान की समस्याएँ
*-* स्नायु शिथिलता
*-* स्टेमिना बढाता है
*-* अच्छी नींद
*-* सिरदर्द
*-* मानसिक तनाव
*-* नाक के माध्यम से दी गई दवाई का डेढ़ मिं में असर होता है . ये ब्रेन पर तुरंत असर करता है क्योंकि यहाँ ब्लड ब्रेन बेरियर नहीं होता .नाक ही ब्रेन का प्रवेश द्वार है .
*-* हिमोग्लोबिन बढ़ता है .
*-* रोगप्रतिरोधक शक्ति बढती है .
*-* हकलाहट में लाभ
*-* होर्मोनल असंतुलन को ठीक करता है .
*-* फेशियल पेरेलिसिस
*-* आँख फड़कना
*-* चोट जल्द भरना
*-* विद्यार्थियों में दिमागी शक्ति बढाने के लिए केसर, ज्येष्ठी, मधु,अश्वगंधा, ब्राम्ही, शंखपुष्पी, शतावरी जैसी दवाइयों का अर्क अगर गाय के घी से दिया जाए तो कान और आँखों की शक्ति बढती है, दिमाग की ग्राह्य क्षमता बढती है
*-* एक शोध में वेखंड, जटामासी, वाला आदि जड़ी बूटी युक्त अगरबत्ती जब रात्री में जलाई गयी तो स्मरण शक्ति में सुधार देखा गया .
*-* गर्दन में दर्द
*-* टोंसिल्स
*-* कुछ विशेष परिस्थितियों में जैसे स्म्रुतिनाश या फिट्स के लिए वैद्य की सलाह से नस्य ले
*-नस्य ना लेने का समय ----*
वर्षा ऋतू में जब सूर्य ना हो, गर्भवती या प्रसव के बाद, बाल धोने के बाद, भूक या प्यास लगने पर, बीमार पड़ने पर, अजीर्ण होने पर, आघात होने पर या बहुत थका हुआ होने पर ; अनुवासन बस्ती या विरेचन के बाद।
*यह जानकारी केवल शिक्षात्मक उद्देश्य के लिए है।*
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*रोग मुक्त योग युक्त बनेगा भारत - एक कदम सनातन संस्कृति व प्रकृति की ओर*
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*गौवर्धन (गौ+वर्धन) पर्व*दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस त्यौहार...
22/10/2025

*गौवर्धन (गौ+वर्धन) पर्व*
दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस त्यौहार का भारतीय लोकजीवन में बहुत महत्व है।
*इस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा सम्बन्ध दिखाई देता है। इस पर्व की अपनी मान्यता और लोककथा है। गोवर्धन पूजा में गोधन अर्थात गायों की पूजा की जाती है।*
शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती है जैसे नदियों में गङ्गा। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है। देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती हैं उसी प्रकार गौ माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं। इनका बछड़ा खेतों में अनाज उगाता है। ऐसे गौ सम्पूर्ण मानव जाति के लिए पूजनीय और आदरणीय है।
*गौ के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है और इसके प्रतीक के रूप में गाय की।*
जब कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलधार वर्षा से बचाने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उँगली पर उठाकर रखा और गोप-गोपिकाएँ उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे। सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन को नीचे रखा और *प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तभी से यह उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा।*
गोवर्धन पूजा के सम्बन्ध में एक लोकगाथा प्रचलित है। कथा यह है कि देवराज इन्द्र को अभिमान हो गया था। इन्द्र का अभिमान चूर करने हेतु भगवान श्री कृष्ण जो स्वयं लीलाधारी श्री हरि विष्णु के अवतार हैं ने एक लीला रची। प्रभु की इस लीला में यूं हुआ कि एक दिन उन्होंने देखा के सभी बृजवासी उत्तम पकवान बना रहे हैं और किसी पूजा की तैयारी में जुटे। श्री कृष्ण ने बड़े भोलेपन से मईया यशोदा से प्रश्न किया " मईया ये आप लोग किनकी पूजा की तैयारी कर रहे हैं" कृष्ण की बातें सुनकर मैया बोली लल्ला हम देवराज इन्द्र की पूजा के लिए अन्नकूट की तैयारी कर रहे हैं। मैया के ऐसा कहने पर श्री कृष्ण बोले मैया हम इन्द्र की पूजा क्यों करते हैं? मैईया ने कहा वह वर्षा करते हैं जिससे अन्न की उपज होती है उनसे हमारी गायों को चारा मिलता है। भगवान श्री कृष्ण बोले हमें तो गोर्वधन पर्वत की पूजा करनी चाहिए क्योंकि हमारी गाये वहीं चरती हैं, इस दृष्टि से *गौवर्धन (वह पर्वत, जिस पर उत्पन्न वनस्पति से गौ का पालन पोषण होता था) पर्वत ही पूजनीय है* और इन्द्र तो कभी दर्शन भी नहीं देते व पूजा न करने पर क्रोधित भी होते हैं अत: ऐसे अहँकारी की पूजा नहीं करनी चाहिए।
लीलाधारी की लीला और माया से सभी ने इन्द्र के स्थान पर गोवर्घन पर्वत की पूजा की। देवराज इन्द्र ने इसे अपना अपमान समझा और मूसलाधार वर्षा आरम्भ कर दी। प्रलय के समान वर्षा देखकर सभी बृजवासी भगवान कृष्ण को कोसने लगे कि, सब इनका कहा मानने से हुआ है। तब मुरलीधर ने मुरली कमर में डाली और अपनी कनिष्ठा उंगली पर पूरा गोवर्घन पर्वत उठा लिया और सभी बृजवासियों को उसमें अपने गाय और बछडे़ समेत शरण लेने के लिए बुलाया। इन्द्र कृष्ण की यह लीला देखकर और क्रोधित हुए फलत: वर्षा और तेज हो गयी। इन्द्र का मान मर्दन के लिए तब श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से कहा कि आप पर्वत के ऊपर रहकर वर्षा की गति को नियन्त्रित करें और शेषनाग से कहा आप मेड़ बनाकर पानी को पर्वत की ओर आने से रोकें।
इन्द्र निरन्तर सात दिन तक मूसलाधार वर्षा करते रहे तब उन्हे लगा कि उनका सामना करने वाला कोई आम मनुष्य नहीं हो सकता अत: वे ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और सब वृतान्त कह सुनाया। ब्रह्मा जी ने इन्द्र से कहा कि आप जिस कृष्ण की बात कर रहे हैं वह भगवान विष्णु के साक्षात अंश हैं और पूर्ण पुरूषोत्तम नारायण हैं। ब्रह्मा जी के मुख से यह सुनकर इन्द्र अत्यन्त लज्जित हुए और श्री कृष्ण से कहा कि प्रभु मैं आपको पहचान न सका इसलिए अहँकारवश भूल कर बैठा। आप दयालु हैं और कृपालु भी इसलिए मेरी भूल क्षमा करें। इसके पश्चात देवराज इन्द्र ने मुरलीधर की पूजा कर उन्हें भोग लगाया।
*इस पौराणिक घटना के बाद से ही गोवर्धन पूजा की जाने लगी।* बृजवासी इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं।
*गाय बैल को इस दिन स्नान कराकर उन्हें रङ्ग लगाया जाता है व उनके गले में नई रस्सी डाली जाती है। गाय और बैलों को गुड़ और चावल मिलाकर खिलाया जाता है।*
*यह जानकारी केवल शिक्षात्मक उद्देश्य के लिए है।*
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*विपिन जांगिड़ (राधे सोलर), शामली*
प्राकृतिक चिकित्सा एवं वैदिक वास्तु विशेषज्ञ
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*ओ३म् समानी व आकूतिः समाना हृदयानि वः।* *समानमस्तु वो मनो यथा वः सुसहासति ॥*हो सभी के दिल तथा संकल्प अविरोधी सदा।मन भरे ...
20/10/2025

*ओ३म् समानी व आकूतिः समाना हृदयानि वः।*
*समानमस्तु वो मनो यथा वः सुसहासति ॥*
हो सभी के दिल तथा संकल्प अविरोधी सदा।
मन भरे हों प्रेम से जिससे बढ़े सुख-सम्पदा ॥
*शारदीय नवसस्येष्टि (दीपोत्सव) पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं*

*दिवाली पूजन व यज्ञ का शुभ मुहूर्त*
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष अमावस्या तिथि की शुरुआत 20 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट पर होगी और तिथि का समापन 21 अक्टूबर की शाम ५ बजकर ५४ मिनट पर होगा. *20 अक्टूबर 2025* दिवाली के दिन लक्ष्मी-गणेश पूजन का सबसे *शुभ समय शाम 7 बजकर 08 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 18 मिनट* तक रहेगा। तदुपरांत *यज्ञादि के लिए समय 9.06 मिनट* तक रहेगा।
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*🌞दीपावली पर्व (किस मुहूर्त) में कब क्या मनाया जाएगा**🍀18 अक्टूबर 2025 (धनतेरस, प्रदोष व्रत)*कार्तिक कृष्णपक्ष की द्वादश...
15/10/2025

*🌞दीपावली पर्व (किस मुहूर्त) में कब क्या मनाया जाएगा*
*🍀18 अक्टूबर 2025 (धनतेरस, प्रदोष व्रत)*
कार्तिक कृष्णपक्ष की द्वादशी शाम 12.18 बजे तक है। इसके बाद से त्रयोदशी तिथि लगेगी। *इसके साथ प्रदोष का व्रत* भी है। दीपदान शाम को किया जाएगा। *धनतेरस का पर्व उक्त तारीख को मनाया जाएगा।* मुख्य दरवाजे पर चार दीपक जलाने से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है। मां लक्ष्मी, गणेश, कुबेर व इंद्र का पूजन करने का विधान है।
*🍀19 अक्टूबर 2025 (छोटी दीवाली, नरक चतुर्दशी)*
कार्तिक कृष्णपक्ष चतुर्दशी तिथि दोपहर 1.52 बजे लगेगी।
*🍀20 अक्टूबर 2025 (दीपोत्सव पर्व)*
दोपहर 3.44 बजे तक चतुर्दशी तिथि है। कार्तिक कृष्णपक्ष की अमावस्या दोपहर 3.45 बजे से लगेगी।
*🌞दिवाली पूजन का शुभ मुहूर्त*
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष अमावस्या तिथि की शुरुआत 20 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट पर होगी और तिथि का समापन 21 अक्टूबर की शाम ५ बजकर ५४ मिनट पर होगा. *20 अक्टूबर 2025* दिवाली के दिन लक्ष्मी-गणेश पूजन का सबसे *शुभ समय शाम 7 बजकर 08 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 18 मिनट* तक रहेगा।
*🍀21 अक्टूबर 2025 (अमावस्या)*
को स्नान-दान श्राद्ध की अमावस्या रहेगी।
*🍀22 अक्टूबर 2025 (गौवर्धन पर्व)*
को कार्तिक शुक्लपक्ष की प्रतिप्रदा तिथि शाम 8.16 बजे तक रहेगी। उक्त तारीख को गोवर्धन पूजा की जाएगी। गाय के गोबर का पर्वत बनाकर उसका पूजन करने से धन, वैभव व लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
*🍀23 अक्टूबर 2025 (भाई दौज)*
कार्तिक शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि पर भैया दूज का पर्व मनाया जाएगा। बहनें भाई की बलाएं लेकर उनकी चिरायु की कामना करेंगी। यमराज के दूत चित्रगुप्त व कलम-दवात का पूजन इसी दिन किया जाएगा।
*यह जानकारी पंचांग अनुसार प्रेषित है, भूल चूक सुधार सहायक।*
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*माखन चोर की लीला*वृंदावन नगरी में चहु ओर हरी-भरी गलियाँ, फूलों से लदे वृक्ष और यमुना का मधुर कलकल प्रवाह। उस रमणीय स्था...
10/10/2025

*माखन चोर की लीला*
वृंदावन नगरी में चहु ओर हरी-भरी गलियाँ, फूलों से लदे वृक्ष और यमुना का मधुर कलकल प्रवाह। उस रमणीय स्थान पर नंद बाबा और माता यशोदा का घर था। उनके आँगन में खेलते हुए नन्हें-से कृष्ण अपने छोटे-छोटे पगों से सबका हृदय मोह लेते थे। कान्हा की बाल लीलाएँ इतनी प्यारी थीं कि पूरे गोकुल के लोग उन्हें देखते ही सब दुख भूल जाते।
*कृष्ण को सबसे अधिक प्रिय था – माखन।*
गोपियाँ बड़े मन से अपने घरों में माखन मथतीं, पर जैसे ही उनके मटके भरते, कान्हा और उनके सखा गुपचुप घर में घुस जाते। कभी ओखली पर चढ़कर, कभी किसी दोस्त के कंधों पर चढ़कर वे मटके तक पहुँचते और माखन निकाल - निकालकर खाते। कभी-कभी वे गायों और बछड़ों को भी माखन खिलाते।
*गोपियों के लिए यह रोज़ का झंझट बन गया। वे जहाँ भी माखन छिपातीं, कान्हा की टोली उसे ढूँढ ही लेती। कभी माखन खाने के बाद मटके फोड़ देते, कभी घर में ही हँसी-मज़ाक करते भाग जाते। गोपियाँ जब कृष्ण को देखतीं तो गुस्सा भी आता और उनके चेहरे की मुस्कान भी छिपाए न छिपती।*
एक दिन तो हद ही हो गई। गोपियों ने सुबह-सुबह ही देखा कि उनका माखन गायब है। सबने मिलकर निश्चय किया कि अब वे सीधे यशोदा मैया से शिकायत करेंगी। गली-गली गाती-बजाती, वे नंदभवन पहुँचीं।
*गोपियाँ बोलीं—*
“अरी यशोदा! तुम्हारे लाल ने फिर हमारा माखन चुराया है। हमने कितनी मेहनत से मथकर रखा था, पर कान्हा और उसके मित्र आकर सब खा गए। कभी-कभी तो हमें खाने को कुछ बचता ही नहीं।”
*माता यशोदा ने मुस्कराकर कहा—*
“अरी गोपियों! तुम सब तो मेरे लल्ला पर झूठा इल्ज़ाम लगाती हो। मेरा कान्हा इतना भोला है, वह माखन क्यों चुराएगा?”
*इतना सुनते ही एक गोपी ने कहा—*
“अगर तुम नहीं मानतीं, तो आओ हमारे घर। मटके पर नन्हें पाँवों के निशान हैं, और कान्हा की उँगलियों के छाप भी। तुम्हें सबूत चाहिए तो वही देख लो।”
*यशोदा समझ गईं कि इस बार मामला सच है।*
उन्होंने कृष्ण को ढूँढा। इधर कान्हा माँ की खोजबीन देख समझ गए और भागकर आँगन के कोने में छिप गए। परंतु कौन उनकी चपलता को रोक पाए? यशोदा रस्सी लेकर दौड़ीं और अंततः कान्हा को पकड़ ही लिया।
*कृष्ण की बड़ी-बड़ी कमल जैसी आँखें मासूमियत से भरी थीं। वे बार-बार कहते—*
“मैया, मैंने कुछ नहीं किया। मैं तो बस खेलने गया था। माखन तो शायद बछड़ों ने खाया होगा।”
*यशोदा बोलीं—*
“नटखट! रोज़ माखन चोरी करते हो और अब झूठ भी बोलते हो? आज तो तुम्हें बाँधना ही पड़ेगा।”
*उन्होंने ओखली के पास रस्सी लाई और कृष्ण को बाँधने लगीं। पर जैसे ही रस्सी बाँधतीं, वह छोटी पड़ जाती। चाहे जितनी रस्सियाँ जोड़ देतीं, रस्सी हमेशा दो अंगुल छोटी रह जाती। यह देखकर यशोदा हैरान रह गईं। वे थककर पसीने से भीग गईं।*
कृष्ण यह सब देख मुस्कराते रहे। अंत में जब यशोदा का मातृ हृदय थककर करुणा से भर गया, तभी भगवान ने अपनी माया हटाई और रस्सी का सिरा मिल गया। यशोदा ने कान्हा को ओखली से बाँध दिया।
*कृष्ण शरारती मुस्कान से बोले—*
“मैया, मैं माखन(नवनीत) क्यों चुराऊँ? मैंने तो सबको अपना प्रेम दिया है, अपनी बाँसुरी दी है, अपनी लीलाएँ दी हैं। जब मैं तुम्हें सबकुछ दे सकता हूँ, तो क्या थोड़ा-सा माखन नहीं ले सकता? मैं तो केवल अपना हिस्सा लेने आया था।”
*यशोदा का हृदय भर आया। उन्होंने कृष्ण को गले से लगा लिया। उसी क्षण वे समझ गईं कि उनका लाल कोई साधारण बालक नहीं, बल्कि स्वयं नारायण हैं, जो सबके हृदय का माखन—निर्मल प्रेम और भक्ति—चुराते हैं।*
गोपियाँ भी यह दृश्य देखकर भाव-विभोर हो गईं। अब उन्हें शिकायत करने के बजाय आनंद हुआ कि स्वयं भगवान उनके घर आते हैं और उनके माखन को छूते हैं।
*कहानी की शिक्षा*
यह कथा केवल बाल-लीला नहीं है। इसका गहरा अर्थ है—कृष्ण माखन के बहाने हमारे भीतर के लोभ, अहंकार और स्वार्थ को चुराते हैं। वे हमें निर्मल, निष्कपट और प्रेम से भरपूर बनाना चाहते हैं। जब हम अपने हृदय का माखन—भक्ति और श्रद्धा—भगवान को अर्पित कर देते हैं, तब जीवन का हर क्षण मधुर हो जाता है।
*यह कहानी शिक्षात्मक उद्देश्य के लिए है।*
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*खाली पीपे*एक बहुत बड़ा सौदागर नौका लेकर दूर-दूर के देशों में लाखों-करोड़ों रुपए कमाने के लिए जाता रहता था।*एक दिन उसके म...
07/10/2025

*खाली पीपे*
एक बहुत बड़ा सौदागर नौका लेकर दूर-दूर के देशों में लाखों-करोड़ों रुपए कमाने के लिए जाता रहता था।
*एक दिन उसके मित्रों ने उससे कहा- तुम नौका में घूमते रहते हो तुम्हारी नौका पुराने जमाने की है, तूफान आते हैं, खतरे होते हैं और नौकाएं डूब जाती हैं, तुम तैरना तो सीख लो।*
सौदागर ने कहा- तैरना सीखने के लिए मेरे पास समय कहां है?
*मित्रों ने कहा-* ज्यादा समय की जरूरत नहीं है। गांव में एक कुशल तैराक है, जो कहता है कि तीन दिनों में ही वो तैरना सिखा देगा।
*सौदागर ने कहा-* वो जो कहता है ठीक ही कहता होगा, लेकिन मेरे पास तीन दिन कहां हैं? तीन दिनों में तो मैं लाखों का कारोबार कर लेता हूं। तीन दिनों में तो लाखों रूपए यहां से वहां हो जाते हैं कभी फुर्सत मिलेगी, तो जरूर सीख लूंगा.
*फिर भी उसके मित्रों ने कहा-* खतरा बहुत बड़ा है तुम्हारा जीवन निरंतर नौका पर है, किसी भी दिन खतरा हो सकता है और तुम तो तैरना भी नहीं जानते हो.
*सौदागर ने कहा-* कोई और सस्ती तरकीब हो तो बताओ, इतना समय तो मेरे पास नहीं है.
तो उसके मित्रों ने कहा- कम से कम दो पीपे अपने पास रख लो कभी जरूरत पड़ जाए, तो उन्हें पकड़कर तुम तैर तो सकोगे।
सौदागर ने दो खाली पीपे मुंह बंद करवाकर अपने पास रख लिए उनको हमेशा अपनी नौका में जहां वो सोता था, वहीं पर रखता था।
*एक दिन वो घड़ी आ गई। तूफान उठा और उसकी नौका डूबने लगी सौदागर चिल्लाया- मेरे पीपे कहां हैं ?*
उसके नाविकों ने बताया- वो तो आपके बिस्तर के पास ही रखे हुए हैं।
*इतना कहकर बाकी नाविक कूद गए, क्योंकि वे तैरना जानते थे।*
*वो सौदागर अपने पीपों के पास गया। वे दो खाली पीपे भी वहां थे जो उसने तैरने के लिए रखे थे और दो स्वर्ण मुद्राओं से भरे पीपे भी थे, जिन्हें वो लेकर आ रहा था।*
उसका मन डांवाडोल होने लगा कि कौन से पीपे लेकर कूदे, स्वर्ण मुद्राओं से भरे या खाली ?
*फिर उसने देखा कि नौका डूबने वाली है। वो सोचने लगा, भला खाली पीपे लेकर कूदने से क्या होगा और उसने अपने स्वर्ण मुद्राओं से भरे पीपे लिए और कूद गया।*
वही हुआ, और वो सौदागर डूबकर मर गया।
*तात्पर्य -*
वो सौदागर तैरने के लिए समय नहीं निकाल सका था क्या हम समय निकाल सके हैं? उसे तो मौका भी मिल गया था और वो खाली पीपे लेकर कूद सकता था, लेकिन वो भरे पीपे लेकर कूदा।
*यही हाल हमारा है।*
अभी थोड़ा व्यापार संभाल लें, थोड़ा मकान देख लें, परिवार में मेरे बिना सब चौपट हो जाएगा और थोड़ा उसको भी देख लें, बस ऐसे ही हम अपना जीवन निकाल रहे हैं.
*तैरना कब सीखेंगे ? हम इस संसार सागर में टूटी हुई नौका में बैठे हैं।*
यही समय है समझ जाओ, चेत जाओ।
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