Naturopath Aayurved & Vastu Jyotish

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*हिंदी दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।*वक्ताओं की ताकत भाषा,लेखक का अभिमान हैं भाषा,भाषाओं के शीर्ष पर बैठी,मेरी प...
14/09/2025

*हिंदी दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।*
वक्ताओं की ताकत भाषा,
लेखक का अभिमान हैं भाषा,
भाषाओं के शीर्ष पर बैठी,
मेरी प्यारी हिंदी भाषा,
न ही उर्दू फ़ारसी सिन्धी हुई,
मान कायम इसकी न चिन्धी हुई,
भारती के भाल की बिन्दी हुई,
सिर्फ़ भाषा एक जो हिन्दी हुई,
बाकी भाषाओं को मैंने,
महज किताबों में रखा,
हिंदी को सब जगह,
अपने भावों में रखा,
हिंदी जीवन का आधार है,
हमें अपनी मातृभाषा से,
बहुत प्यार है,
हिंदी में बसे हमारे संस्कार हैं,
आप सभी को हिंदी में,
मेरा नमस्कार है।
*आइए जाने अपनी सत्य सनातन संस्कृति को।*
*रोग मुक्त योग युक्त बनेगा भारत - एक कदम सनातन संस्कृति व प्रकृति की ओर*
"जनहित मेंअधिक से अधिक शेयर करे।"
*प्राकृतिक आयुर्वेदिक प्रोडक्ट शुद्ध एवं शोधित लागत मूल्य मात्र एवम निःशुल्क प्राकृतिक चिकित्सा परामर्श हेतु सम्पर्क करें।*
कुछ प्राकृतिक औषधियां निःशुल्क दी जाती है।
*विपिन जांगिड़ (राधे सोलर), शामली*
प्राकृतिक चिकित्सा एवं वैदिक वास्तु विशेषज्ञ
*मो. 9837003126*

*कुछ साधारण लेकिन महत्वपूर्ण ध्यान रखने योग्य बातें :**1)* हमेशा पानी को घूट-घूट करके चबाते हुये पिये और खाने को इतना चब...
07/09/2025

*कुछ साधारण लेकिन महत्वपूर्ण ध्यान रखने योग्य बातें :*
*1)* हमेशा पानी को घूट-घूट करके चबाते हुये पिये और खाने को इतना चबाये की पानी बन जाए। किसी ऋषि ने कहा है की *“खाने को पियो और पीने को खाओ“*।
*2)* खाने के 40 मिनट पहले और 60-90 मिनट के बाद पानी पिये और फीृज का ठंडा पानी, बर्फ डाला हुआ पानी जीवन मे कभी भी नही पिये गुनगुना या मिट्टी के घडें का पानी पिये।
*3)* सुबह जगने के बाद बिना कुल्ला करे 2 से 3 गिलास पानी सुखआसन मे बैठकर पानी घूटं-घूटं करके पिये यानी उषा पान करे ।
*4)* खाने के साथ भी कभी पानी न पिये। जरूरत पड़े तो सुबह ताजा फल का रस, दोपहर मे छाछं, और रात्रि मे गर्म दूध का उपयोग कर सकते हैं।
*5)* भोजन हमेशा सुखआसन मे बैठकर करे और ध्यान खाने पर ही रहे, मतलब टेलिविजन देखते, गाने सुनते हुये, पढ़ते हुये, बातचीत करते हुये कभी भी भोजन न करे।
*6)* हमेशा बैठ कर खाना खाये और पानी पिये। अगर संभव हो तो सुखासन, सिद्धासन मे बेठ कर ही खाना खाये।
*7)* फ्रीज़ मे रखा हुआ भोजन न करें या उसे साधारण तापमान म आने पर ही खाये दुबारा कभी भी गर्म ना करे।
*8)* गूँथ कर रखे हुये आटे की रोटी कभी न खाये, जैसे- कुछ लोग सुबह मे ही आटा गूँथ कर रख देते है और शाम को उसी से बनी हुई चपाती खा लेते है जो स्वास्थ के लिए हानिकारक है। ताजा बनाए ताजा खाये।
*9)* खाना खाने के तुरंत बाद पेशाब जरूर करे ऐसा करने से डायबिटज होने की समभावना कम होती हैं।
*10)* मौसम पर आने वाले फल, और सब्जियाँ ही उत्तम है इसलिए बिना मौसम वाली सब्जियाँ या फल न खाये।
*11)* सुबह मे पेट भर भोजन करें। जबकि रात मे बहुत हल्का भोजन करें।
*12)* रात को खीरा, दही और कोई भी वात उत्पन्न करने वाली चीज न खाये।
*13)* दही के साथ उड़द की दाल न खाये। जैसे – दही और उड़द की दाल का बना हुआ भल्ला।
*14)* दूध के साथ नमक या नमक की बनी कोई भी चीज न खाये क्योंकि ये दोनों एक दूसरे के प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
*15)* दूध से बनी कोई भी दो चीजे एक साथ न खाएं।
*16)* कोई भी खट्टी चीज दूध के साथ न खाये सिर्फ एक खा सकते है आँवला। खट्टे आम का शेक न पिये केवल मीठे पके हुए आम का ही शेक पीये।
*17)* कभी भी घी और शहद का उपयोग एक साथ न करे क्योंकि दोनों मिलकर विष बनाते है।
*18)* खाना भूख से कम ही खाये। जीने के लिए खाये खाने के लिए न जिये।
*19)* रिफाइण्ड तेल जहर हैं आप हमेशा कच्ची घाणी का सरसो, तिल या मूगंफली का तेल ही उपयोग करे और जीवन मे हाटॅ टेक व जोडो के दर्द से बचे‌
*20)* तला, और मसालेयुक्त खाना खाने से बचे। अगर ज्यादा ही मन हो तो सुबह मे खाये रात मे कभी भी नहीं।
*21)* खाने मे गुड या मिस्री का प्रयोग करें, चीनी के प्रयोग स बचें।
*22)* नमक का अधिक सेवन न करें। आयोडिन युक्त समुद्री नमक का उपयोग बिल्कुल भी नही करे सेधां, काला या डली वाला नमक इस्तेमाल करें।
*23)* मेदा, नमक, और चीनी ये तीनों सफ़ेद जहर है इनके प्रयोग से बचें।
*24)* हमेशा साधारण पानी से नहाएँ और पहले सर पर पानी डाले फिर पेरो पर, और अगर गरम से नहाओ तो हमेशा पहले पेरो पर फिर सर पर पानी डालना चाइये।
*25)* हमेशा पीठ को सीधी रख कर बेठे।
*26)* सर्दियों मे होंट अटैक से बचने के लिए नहाने से पहले नाभि मे सरसों के तेल लगाये व। जबरदस्त लाभ मिलता है।
*27)* शाम के खाने के बाद 2 घंटे तक न सोये 5 से 10 मिनट वज्रासन मे बेठे 1000 कदम वाक जरूर करे।
*28)* खाना हमेशा ऐसी जगह पकाए जहां वायु और सूर्य दोनों का स्पर्श खाने को मिल सके।
*29)* कूकर मे खाना न पकाए बल्कि किसी खुले बर्तन मे बनाए।
*यह जानकारी केवल शिक्षात्मक उद्देश्य के लिए है।*
*आइए जाने अपनी सत्य सनातन संस्कृति को।*
*रोग मुक्त योग युक्त बनेगा भारत - एक कदम सनातन संस्कृति व प्रकृति की ओर*
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*प्राकृतिक आयुर्वेदिक प्रोडक्ट शुद्ध एवं शोधित लागत मूल्य मात्र एवम निःशुल्क प्राकृतिक चिकित्सा परामर्श हेतु सम्पर्क करें।*
कुछ प्राकृतिक औषधियां निःशुल्क दी जाती है।
*विपिन जांगिड़ (राधे सोलर), शामली*
प्राकृतिक चिकित्सा एवं वैदिक वास्तु विशेषज्ञ
*मो. 9837003126*

*शिक्षक होना अपने आप मे गर्व होना  है।**शिक्षक दिवस की आपको हार्दिक बधाई*शिक्षक दिवस के लिए अपनी सौर पोस्ट में सभी शिक्ष...
05/09/2025

*शिक्षक होना अपने आप मे गर्व होना है।*
*शिक्षक दिवस की आपको हार्दिक बधाई*
शिक्षक दिवस के लिए अपनी सौर पोस्ट में सभी शिक्षकों की तुलना सूर्य की शक्ति से की हैं, तथा इस बात पर प्रकाश डाला हैं कि कैसे शिक्षक भविष्य को प्रकाशित और ऊर्जावान बनाते हैं । *ये पोस्ट शिक्षकों को प्रकाश और ज्ञान प्रदान करने के लिए धन्यवाद देती हैं,* तथा सौर ऊर्जा की क्षमता और एक टिकाऊ और उज्जवल कल के लिए दिमाग को आकार देने की शिक्षक की क्षमता के बीच समानताएं दर्शाती हैं।
*शिक्षकों को सौर ऊर्जा से जोड़ना:*
शिक्षक अक्सर रूपकों का प्रयोग करते हैं, *जैसे कि शिक्षक "मार्गदर्शक प्रकाश" या "समाज के वास्तुकार" होते हैं,* ठीक उसी प्रकार जैसे सूर्य विश्व को शक्ति प्रदान करता है।
*उज्ज्वल भविष्य पर जोर देते हुए:*
यह संदेश इस बात पर प्रकाश डालता हैं कि किस प्रकार *शिक्षक सौर ऊर्जा की तरह एक स्थायी भविष्य की ओर मार्ग प्रशस्त करते हैं* तथा एक हरित कल के निर्माण में सहायता करते हैं।
*स्थिरता और शिक्षा को बढ़ावा देना:*
ये पोस्ट उन शिक्षकों की सराहना करने के लिए भी एक अनुस्मारक के रूप में हैं जो नवीकरणीय ऊर्जा और स्थिरता के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाते हैं, तथा अपने काम को हरित भविष्य से जोड़ते हैं।
*विपिन जांगिड़ (राधे सोलर), शामली*
प्राकृतिक चिकित्सा एवं वैदिक वास्तु विशेषज्ञ
*मो. 9837003126*

*🏵️एलर्जी*एलर्जी एक सामान्य लेकिन जटिल स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है। आधुनिक जीवनशैली, पर्यावरण में बढ़ता प्रदूषण, असं...
03/09/2025

*🏵️एलर्जी*
एलर्जी एक सामान्य लेकिन जटिल स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है। आधुनिक जीवनशैली, पर्यावरण में बढ़ता प्रदूषण, असंतुलित आहार और मानसिक तनाव जैसे कई कारणों से एलर्जी की समस्या तेजी से बढ़ी है। एलर्जी कोई रोग नहीं बल्कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की एक असामान्य प्रतिक्रिया है, *जो किसी विशेष पदार्थ (जैसे धूल, परागकण, खानपान या दवाइयों) से संपर्क में आने पर होती है।*
आयुर्वेद में इसे ‘दुष्ट दोषों’ के प्रभाव के रूप में देखा गया है, जिसमें वात, पित्त और कफ दोषों का असंतुलन शरीर में विभिन्न प्रतिक्रियाओं को जन्म देता है।
*🏵️एलर्जी के प्रमुख कारण:*
एलर्जी उत्पन्न होने के पीछे कई कारण होते हैं, जो व्यक्ति विशेष की प्रकृति, शरीर की स्थिति और वातावरण पर निर्भर करते हैं। नीचे कुछ मुख्य कारण दिए गए हैं:
*🥎1. वातावरणीय प्रदूषण –* धूल, धुआं, परागकण, रासायनिक गंध आदि से एलर्जी हो सकती है। ये वायुविकार कफ दोष को बढ़ाते हैं।
*🥎2. असंतुलित आहार –* अत्यधिक तैलीय, खट्टा, गरिष्ठ, बासी या मिलावटी भोजन शरीर में पित्त और कफ दोष को बढ़ाकर एलर्जी की प्रवृत्ति पैदा करता है।
*🥎3. दूषित जल या खाद्य पदार्थ –* विषाक्त पदार्थ शरीर में प्रवेश कर प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर बना देते हैं।
*🥎4. मानसिक तनाव और अनियमित जीवनशैली –* अत्यधिक चिंता, क्रोध और तनाव शरीर की प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक शक्ति को कमजोर करते हैं।
*🥎5. अनुवांशिकता –* कुछ व्यक्तियों में यह समस्या वंशानुगत भी होती है।
*🏵️एलर्जी के लक्षण:*
एलर्जी के लक्षण व्यक्ति विशेष और एलर्जन के प्रकार के अनुसार भिन्न हो सकते हैं। आयुर्वेद में इन लक्षणों को दोषों के असंतुलन से जोड़ा गया है।
*🥎त्वचा पर लक्षण –* खुजली, दाने, लाल चकत्ते, एक्जिमा या सूजन
*🥎श्वसन तंत्र पर प्रभाव –* छींक आना, नाक बहना, सांस फूलना, अस्थमा
*🥎आंखों में लक्षण –* पानी आना, जलन, लालिमा या सूजन
*🥎पाचन तंत्र पर प्रभाव –* पेट दर्द, उल्टी, दस्त या कब्ज
*🥎अन्य लक्षण –* थकान, चिड़चिड़ापन, अनिद्रा, सिरदर्द आदि
*🏵️आयुर्वेदिक दृष्टिकोण:*
आयुर्वेद एलर्जी को "अमाशयज विकार" या "दोषों के दूषण" के रूप में देखता है। जब शरीर में ‘आम’ (अपक्व भोजन रस) उत्पन्न होता है और वह वात, पित्त या कफ दोषों के साथ मिलकर शरीर के विभिन्न अंगों में पहुंचता है, तब एलर्जिक प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है। इसे दूर करने के लिए दोषों का शुद्धिकरण, आम का नाश और प्रतिरक्षा शक्ति को बढ़ाने वाले उपाय आवश्यक हैं।
*🏵️एलर्जी के आयुर्वेदिक उपचार:*
*🥎1. त्रिफला चूर्ण:*
त्रिफला में तीन औषधियां – *हरड़, बहेड़ा और आंवला* होती हैं, जो शरीर से विषैले तत्वों को निकालकर पाचन शक्ति बढ़ाती हैं। यह एलर्जी के लिए एक उत्कृष्ट रसायन है।
*सेवन विधि:* रात्रि को सोने से पूर्व एक चम्मच त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लेना लाभकारी होता है।
*🥎2. हरिद्रा (हल्दी):*
हल्दी एक प्राकृतिक एंटीहिस्टामिन है। इसमें मौजूद करक्यूमिन सूजन और एलर्जी से लड़ने की क्षमता रखता है।
*सेवन विधि:* एक चुटकी हल्दी को एक गिलास गर्म दूध में मिलाकर प्रतिदिन रात को लें।
*🥎3. गिलोय:*
गिलोय को आयुर्वेद में 'अमृता' कहा गया है। यह इम्युनिटी बढ़ाने, रक्त को शुद्ध करने और वात-पित्त-कफ को संतुलित करने में सहायक है।
*सेवन विधि:* गिलोय का रस (10-15 ml) रोज सुबह खाली पेट सेवन करें।
*🥎4. नीम:*
नीम रक्तशोधक और कफ-पित्त शामक गुणों से युक्त है। यह त्वचा संबंधी एलर्जी में विशेष लाभकारी है।
*सेवन विधि:* नीम की पत्तियों का रस या नीम का चूर्ण पानी के साथ लिया जा सकता है।
*🥎5. सहजन :*
सहजन की पत्तियों और फूलों में एलर्जी रोधी गुण होते हैं।
*सेवन विधि:* सहजन की सब्जी, सूप या पत्तियों का रस लिया जा सकता है।
*🥎6.वासा:*
इसका उपयोग श्वसन, तंत्रिका, परिसंचरण और पाचन तंत्र से जुड़े रोगों के उपचार में किया जाता है।
*सेवन विधि:* वासा को काढ़े, पाउडर, अर्क या पुल्टिस के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। खांसी, ब्रोंकाइटिस और कफ के कारण होने वाली एलर्जी को नियंत्रित करने में वासा असरकारी है।
*🥎7. अदरक:*
यह जड़ी बूटी पाचन शक्ति को बढ़ाती है और कफ को निकालने में भी मदद करती है।
*सेवन विधि:* कफ विकारों के इलाज में अदरक के साथ शहद लिया जाता है। आमतौर पर इसका इस्तेमाल काढ़े, पेस्ट या रस के रूप में किया जाता है। मसाला चाय के रूप में लेने पर यह वात से संबंधित एलर्जी के उपचार में उपयोगी है।
*🥎8.यष्टिमधु:*
इसे मुलेठी या मधु भी कहते हैं। इस जड़ी बूटी की जड़ उल्टी लाने में मददगार है एवं यह ऊर्जादायक और शक्तिवर्धक के तौर पर भी काम करती है। यष्टिमधु उत्तम रक्तशोधक (खून साफ करने वाली) और पेट एवं फेफड़ों से अतिरिक्त कफ को साफ़ करती है। (और पढ़ें - खून को साफ करने वाले आहार)
मुलेठी खांसी, ब्रोंकाइटिस, लेरिन्जाइटिस (स्वर तंत्रों में सूजन) और सर्दी के लक्षणों से राहत दिलाने में भी कारगर है।
*सेवन विधि:* एलर्जी के लक्षणों से राहत पाने के लिए इस जड़ी बूटी को खाने क बाद गर्म पानी के साथ लेना चाहिए।
*🥎9. पिप्पली:*
यह जड़ी-बूटी भारत के उत्तर-पूर्वी और दक्षिणी हिस्सों में पाई जाती है। पिप्पली में दर्द निवारक और वायुनाशक गुण होते हैं और इसे पाउडर, तेल या अर्क के रूप में ले सकते हैं। यह खांसी, ब्रोंकाइटिस एवं एलर्जी के कारण होने वाले जुकाम के उपचार में उपयोगी है।
*सेवन विधि:* पिपली का चूर्ण शहद के साथ लिया जाता है।
*🥎10. कृष्णकेलि:*
कृष्णकेलि दलदली क्षेत्रों में पाई जाती है। इसकी पत्तियों का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है।
*सेवन विधि:* इस जड़ी बूटी को पानी में मिलाकर रस के रूप में लिया जाता है।
यह एलर्जी से होने वाले त्वचा रोग, अस्थमा और एलर्जी के अन्य लक्षणों के उपचार में भी लाभकारी है।
*🥎11. सितोपलादि चूर्ण:*
सितोपलादि चूर्ण को गन्ने, पिप्पली, इला (इलायची) और त्वाक (दालचीनी) से तैयार किया गया है। यह एलर्जी और ऊपरी श्वसन मार्ग से संबंधित रोगों के उपचार में इस्तेमाल होने वाले सामान्य हर्बल मिश्रणों में से एक है। सितोपलादि चूर्ण में सूजन-रोधी और एलर्जी पैदा करने वाले हिस्टामिन को रोकने के गुण मौजूद हैं जो एलर्जी के लक्षणों से राहत दिलाने में प्रभावी हैं।
*सेवन विधि:* शहद के साथ।
*🥎12. त्रिकटु चूर्ण:*
इस चूर्ण को मारीच (काली मिर्च), पिप्पली और शुंथि (सोंठ) से तैयार किया गया है।
एलर्जी के लक्षणों को कम करने के लिए इसका इस्तेमाल पाचन के रूप में किया जाता है, जो विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालता है। इसे चूर्ण (पाउडर) के रूप में लिया जाता है।
*सेवन विधि:* एलर्जी, त्वचा रोग और श्वसन संबंधित विकारों से राहत पाने के लिए रोज भोजन से पहले त्रिकटु चूर्ण लेना चाहिए।
*🏵️पंचकर्म चिकित्सा:*
गंभीर या पुरानी एलर्जी की स्थिति में पंचकर्म चिकित्सा विशेष रूप से प्रभावकारी होती है। आयुर्वेद में शोधन क्रियाएं जैसे कि वमन (कफ शोधन), विरेचन (पित्त शोधन), नस्य (नाक के द्वारा औषधि देना) आदि के माध्यम से दोषों का संतुलन किया जाता है।
*🥎नस्य कर्म:* यह विशेष रूप से श्वसन संबंधी एलर्जी जैसे साइनस, नाक बहना, छींक आना आदि में उपयोगी है।
*🥎वमन और विरेचन:* शरीर से विषैले तत्वों और दोषों को बाहर निकालने के लिए प्रयोग किया जाता है।
*🏵️दैनिक दिनचर्या और आहार-विहार:*
*1.* सुबह सूर्य नमस्कार, प्राणायाम, कपालभाति, और अनुलोम-विलोम करने से श्वसन प्रणाली सशक्त होती है।
*2.* ताजा, गर्म और सादा भोजन लें। बासी, अत्यधिक तैलीय, फास्ट फूड से बचें।
*3. गाय का शुद्ध घी नाक में लगाने से धूल-प्रदूषण से होने वाली एलर्जी से रक्षा होती है।*
*4.* योग और ध्यान करने से मानसिक तनाव दूर होता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
*5.* मौसमी फल, आंवला, तुलसी, अदरक, लहसुन आदि का सेवन करें।
*एलर्जी को केवल लक्षणों से दबाना समाधान नहीं है।*
आयुर्वेद इसकी जड़ तक जाकर शरीर की प्रकृति, दोषों का संतुलन और प्रतिरक्षा प्रणाली को सशक्त करने की holistic चिकित्सा प्रदान करता है। समय रहते इसका समुचित उपचार और जीवनशैली में आवश्यक परिवर्तन कर हम इस समस्या से न केवल छुटकारा पा सकते हैं, बल्कि दीर्घकालिक स्वास्थ्य की दिशा में भी अग्रसर हो सकते हैं।
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*राधाष्टमी*भगवती राधा जी का जन्मदिन*सनातन धर्म में भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि श्री राधाष्टमी के नाम से प्र...
31/08/2025

*राधाष्टमी*
भगवती राधा जी का जन्मदिन
*सनातन धर्म में भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि श्री राधाष्टमी के नाम से प्रसिद्ध है।*
शास्त्रों में इस तिथि को श्री राधाजी का प्राकट्य दिवस माना गया है। श्री राधाजी वृषभानु की यज्ञ भूमि से प्रकट हुई थीं। वेद तथा पुराणादि में जिनका ‘कृष्ण वल्लभा’ कहकर गुणगान किया गया है, वे श्री वृन्दावनेश्वरी राधा सदा श्री कृष्ण को आनन्द प्रदान करने वाली साध्वी कृष्णप्रिया थीं। कुछ महानुभाव श्री *राधाजी का प्राकट्य* श्री वृषभानुपुरी (बरसाना) या उनके ननिहाल रावल ग्राम में प्रातःकाल का मानते हैं। कल्पभेद से यह मान्य है, पर *पुराणों में मध्याह्न का वर्णन ही प्राप्त होता है।*
शास्त्रों में श्री राधा कृष्ण की शाश्वत शक्तिस्वरूपा एवम प्राणों की अधिष्ठात्री देवी के रूप में वर्णित हैं *अतः राधा जी की पूजा के बिना श्रीकृष्ण जी की पूजा अधूरी मानी गयी है।*
श्रीमद देवी भागवत में श्री नारायण ने नारद जी के प्रति ‘श्री राधायै स्वाहा’ षडाक्षर मंत्र की अति प्राचीन परंपरा तथा विलक्षण महिमा के वर्णन प्रसंग में श्री राधा पूजा की अनिवार्यता का निरूपण करते हुए कहा है कि श्री राधा की पूजा न की जाए तो मनुष्य श्री कृष्ण की पूजा का अधिकार नहीं रखता। अतः समस्त वैष्णवों को चाहिए कि वे भगवती श्री राधा की अर्चना अवश्य करें। श्री राधा भगवान श्री कृष्ण के प्राणों की अधिष्ठात्री देवी हैं, इसलिए भगवान इनके अधीन रहते हैं। यह संपूर्ण कामनाओं का राधन (साधन) करती हैं, इसी कारण इन्हें श्री राधा कहा गया है।
*राधा अष्टमी पूजन विधि*
अन्य व्रतों की भांति इस दिन भी प्रात: उठकर स्नानादि क्रियाओं से निवृत होकर श्री राधा जी का विधिवत पूजन करना चाहिए। इस पूजन हेतु मध्याह्न का समय उपयुक्त माना गया है। इस दिन पूजन स्थल में ध्वजा, पुष्पमाला,वस्त्र, पताका, तोरणादि व विभिन्न प्रकार के मिष्ठान्नों एवं फलों से श्री राधा जी की स्तुति करनी चाहिए। पूजन स्थल में पांच रंगों से मंडप सजाएं, उनके भीतर षोडश दल के आकार का कमलयंत्र बनाएं, उस कमल के मध्य में दिव्य आसन पर श्री राधा कृष्ण की युगलमूर्ति पश्चिमाभिमुख करके स्थापित करें। बंधु बांधवों सहित अपनी सामर्थ्यानुसार पूजा की सामग्री लेकर भक्तिभाव से भगवान की स्तुति गाएं। दिन में हरिचर्चा में समय बिताएं तथा रात्रि को नाम संकीर्तन करें। एक समय फलाहार करें। मंदिर में दीपदान करें।
*श्री राधा रानी के विशेष वंदना*
मात मेरी श्री राधिका पिता मेरे घनश्याम।
इन दोनों के चरणों में प्रणवौं बारंबार।।
राधे मेरी स्वामिनी मैं राधे कौ दास।
जनम-जनम मोहि दीजियो वृन्दावन के वास।।
*श्री राधे वृषभानुजा भक्तनि प्राणाधार।*
*वृन्दा "विपिन" विहारिणि प्रणवौं बारंबार।।*
सब द्वारन कूं छांड़ि कै आयौ तेरे द्वार।
श्री वृषभानु की लाड़िली मेरी ओर निहार।।
राधा-राधा रटत ही भव व्याधा मिट जाय।
कोटि जनम की आपदा राधा नाम लिये सो जाय।।
*राधे तू बड़भागिनी कौन तपस्या कीन।*
*तीन लोक तारन तरन सो तेरे आधीन।।*
आइए जाने अपनी सत्य सनातन संस्कृति को।
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*🏵️थायरॉयड को जड़ से खत्म करने का इकलौता इलाज...**थाइराइड का अंत.. तुरंत,,.**🥎थायराइड*गले में स्थित तितली के आकार की एक ...
29/08/2025

*🏵️थायरॉयड को जड़ से खत्म करने का इकलौता इलाज...*
*थाइराइड का अंत.. तुरंत,,.*
*🥎थायराइड*
गले में स्थित तितली के आकार की एक ग्रंथि है जो मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने वाले हार्मोन (T3 और T4) बनाती है. जब यह ग्रंथि अधिक या कम मात्रा में हार्मोन बनाती है, *तो थायराइड रोग (हाइपोथायरायडिज्म या हाइपरथायरायडिज्म) होता है।* इसके *लक्षणों में लगातार थकान, वजन में बदलाव, दिल की धड़कन में तेज़ी, मांसपेशियों में कमजोरी, और मासिक धर्म में अनियमितता शामिल हो सकते हैं. यह समस्या पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक पाई जाती है,* खासकर गर्भावस्था के दौरान।
*🥎थायराइड ग्रंथि क्या है?*
यह गले के आधार पर स्थित एक तितली के आकार की ग्रंथि है.
यह शरीर में दो मुख्य हार्मोन (T3 और T4) बनाती है, जो शरीर की कोशिकाओं के काम और मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करते हैं.
यह शरीर की चयापचय क्रियाओं को नियंत्रित करके ऊर्जा के स्तर और अन्य शारीरिक प्रक्रियाओं को बनाए रखती है.
*🏵️थायराइड रोग के प्रकार*
*🥎हाइपोथायरायडिज्म:*
जब थायराइड ग्रंथि बहुत कम हार्मोन बनाती है।
*🥎हाइपरथायरायडिज्म:*
जब थायराइड ग्रंथि बहुत अधिक हार्मोन बनाती है।
*🥎थायराइड के लक्षण:*
लगातार थकान और कमजोरी
वजन में अनपेक्षित बदलाव (वजन बढ़ना या कम होना)
भूख में वृद्धि या कमी
दिल की धड़कन में तेज़ी या अनियमितता
घबराहट या चिंता
शरीर में कंपन
अत्यधिक पसीना आना
सोने में कठिनाई
मासिक धर्म चक्र में अनियमितता
गर्दन में सूजन, गर्दन के निचले हिस्से में सूजन महसूस हो।
*🏵️आयुर्वेद में थायराइड का अंत तुरंत*
आयुर्वेद में इसका प्राकृतिक समाधान मौजूद है। *एक विशेष पेड़ की पत्तियां 21 दिन तक सेवन करने से थाइराइड की समस्या को जड़ से खत्म किया जा सकता है।* आइए जानते हैं इस उपाय के बारे में विस्तार से।
*🥎कौन सा पेड़ और उसकी पत्तियां,,?*
यह चमत्कारी पेड़ है बेल (बिल्व वृक्ष)। बेल की पत्तियां आयुर्वेद में औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध हैं। इनमें एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, और इम्यून मॉड्यूलेटरी गुण पाए जाते हैं, जो थाइराइड ग्रंथि के कार्य को संतुलित करने में मदद करते हैं।
*🥎सेवन का सही तरीका,,,,*
*पत्तियां चुनें:* ताजी, हरी और स्वस्थ पत्तियों का चयन करें। ध्यान रखें कि पत्तियां साफ और कीटनाशक मुक्त हों।
*धोकर साफ करें:*-पत्तियों को साफ पानी से धो लें ताकि किसी भी प्रकार की गंदगी या धूल हट जाए।
खाली पेट सेवन करें:सुबह खाली पेट दो जोड़ा पत्तियां चबाकर खाएं। यानी 2 जोड़ा मतलब 6 पत्ते,,,एक जोड़े में तीन पतियां होती है,,,आप चाहें तो इनका पेस्ट बनाकर एक गिलास गुनगुने पानी के साथ भी ले सकते हैं।
लगातार 21 दिन तक इस प्रक्रिया को बिना रुके लगातार 21 दिन तक करें। थाइराइड ग्रंथि पर इसका सकारात्मक प्रभाव नजर आने लगेगा।
*बेल पत्तियों के स्वास्थ्य लाभ,,, यह वही बेलपत्र का वृक्ष है जो भगवान शिव पर चढ़ाया जाता है।*
*🥎1. थाइराइड ग्रंथि का संतुलन:*
बेल की पत्तियों में थाइराइड हार्मोन को नियमित करने वाले गुण होते हैं। यह ग्रंथि के आकार को सामान्य बनाए रखने में मदद करती हैं।
*🥎2. इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाना:*
इन पत्तियों में मौजूद पोषक तत्व शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं, जिससे थाइराइड से जुड़ी अन्य समस्याओं से बचाव होता है।
*🥎3. शरीर से विषैले पदार्थों को निकालना:*
बेल की पत्तियां शरीर को डिटॉक्स करती हैं और थाइराइड ग्रंथि को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करती हैं।
बेल की पत्तियां थाइराइड जैसी गंभीर समस्या का प्राकृतिक और सुरक्षित समाधान प्रदान करती हैं। 21 दिन तक इनका नियमित सेवन हार्मोन असंतुलन को ठीक करने और थाइराइड ग्रंथि को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। आयुर्वेद के इस चमत्कारी उपाय को अपनाकर आप अपने स्वास्थ्य में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
*🏵️थायराइड में परहेज:*
थायराइड की समस्या में आपको अत्यधिक प्रसंस्कृत भोजन, चीनी, तले हुए खाद्य पदार्थ, शराब, और कैफीन से परहेज करना चाहिए. केल्प और अत्यधिक आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थ (जो अक्सर सप्लीमेंट्स में होते हैं) भी थायराइड हार्मोन के संतुलन को बिगाड़ सकते हैं, खासकर हाइपोथायरायडिज्म में ग्लूटेन और गोइट्रोजेनिक खाद्य पदार्थ (जैसे सोया, मूली) को भी कम करना चाहिए, जबकि फाइबर युक्त और ताज़े फल-सब्जियां फायदेमंद होते हैं।
*🏵️किन चीजों से बचें*
*🥎प्रसंस्कृत भोजन और चीनी:*
फास्ट फूड, पैकेज्ड स्नैक्स, और मिठाइयों से बचें, क्योंकि ये सूजन और चयापचय असंतुलन पैदा कर सकते हैं।
*🥎तले हुए खाद्य पदार्थ:*
घी, मक्खन, और मेयोनेज़ का अधिक सेवन कम करें, क्योंकि ये अस्वास्थ्यकर वसा से भरे होते हैं।
*🥎शराब और कैफीन:*
शराब हार्मोन के उपयोग को बाधित करती है, और कॉफी थायराइड दवा के अवशोषण को रोक सकती है।
*🥎आयोडीन:*
अत्यधिक आयोडीन थायराइड के कार्य को बिगाड़ सकता है. केल्प और समुद्री शैवाल सप्लीमेंट्स से बचें।
*🥎ग्लूटेन:*
गेहूं, जौ, और राई जैसे खाद्य पदार्थों से परहेज करें, क्योंकि यह सूजन बढ़ा सकता है और थायराइड हार्मोन थेरेपी के अवशोषण में बाधा डाल सकता है।
*🥎गोइट्रोजेनिक खाद्य पदार्थ:*
रागी, लाल मूली, नाशपाती, और स्ट्रॉबेरी जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन कम मात्रा में करें, क्योंकि इनमें गोइट्रोजेनिक यौगिक होते हैं।
*🏵️थायराइड में क्या खा सकते हैं?*
*🥎फाइबर युक्त भोजन:*
हरी पत्तेदार सब्जियां, ताजे फल और साबुत अनाज फायदेमंद होते हैं।
*🥎विटामिन सी:*
आंवला, नींबू, और खट्टे फलों जैसे खाद्य पदार्थ शामिल करें।
*🥎स्वस्थ वसा:*
घी, नारियल तेल और मक्खन का सेवन कर सकते हैं, लेकिन संतुलित मात्रा में।
*🥎आयोडीन:*
समुद्री भोजन और आयोडीन युक्त नमक का सेवन करें।
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*यह जानकारी केवल शिक्षात्मक उद्देश्य के लिए है।*
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कुछ प्राकृतिक औषधियां निःशुल्क दी जाती है।
*विपिन जांगिड़ (राधे सोलर), शामली*
प्राकृतिक चिकित्सा एवं वैदिक वास्तु विशेषज्ञ
*मो. 9837003126*

*पृथ्वी के  प्रथम वैज्ञानिक,शिल्प शास्त्र के रचयिता,वेदविज्ञ, श्रेष्ठतम तपस्वी, श्रेष्ठतम याज्ञ्यिक, भगवान शिव के गुरु, ...
28/08/2025

*पृथ्वी के प्रथम वैज्ञानिक,शिल्प शास्त्र के रचयिता,वेदविज्ञ, श्रेष्ठतम तपस्वी, श्रेष्ठतम याज्ञ्यिक, भगवान शिव के गुरु, देवगुरु बृहस्पति के पिता, देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा की पत्नी भुवना (भुवनेश्वरी) के पिता, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के धनुष विद्या के आचार्य श्रेष्ठतम धनुर्धर आचार्य सुधन्वा ऋषि के प्रपितामह, प्रातः स्मरणीय ब्रह्मर्षि अंगिरा की जयंती पर सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई एवं अनन्त हार्दिक शुभकामनाएं।*
ब्रह्मऋषि अंगिरा जी हिंदू धर्म के एक महान ऋषि हैं, जो ब्रह्मा जी के मानस पुत्रों में से एक हैं और सप्तर्षियो में से एक हैं।
*अंगिरा जी अग्नि के अविष्कारक और अंगिरा स्मृति व ऋग्वेद के कई मंत्रों का रचयिता भी है।*
अंगिरा ऋषि के प्रमुख योगदान:
*सप्तर्षियों में स्थान:*
अंगिरा जी को प्रथम मन्वंतर के सप्तर्षियों में से एक माना जाता है.
*अग्नि के पिता:*
अंगिरा जी को अग्नि वंश का पूर्वज या पिता कहा जाता है और ऋग्वेद में उनसे ही अग्नि की उत्पत्ति बताई गई है।
*ऋग्वेद के मंत्रों के रचयिता:*
अंगिरा जी ने वेदों की कई ऋचाओं का दर्शन किया और उन्हें पृथ्वी पर लेकर आए।
*अंगिरा स्मृति:*
उन्होंने अंगिरा स्मृति की रचना की, जिसमें धर्म और राज्य व्यवस्था के सुंदर उपदेश दिए गए हैं।
*ब्रह्मर्षि पद की प्राप्ति:*
अपनी तीव्र तपस्या और योग बल से, अंगिरा जी ने इतना तेज और प्रभाव प्राप्त किया कि वे ब्रह्मर्षि कहलाए, जिनका तेज अग्निदेव से भी अधिक हो गया था।
*अंगिरा जी की पारिवारिक पृष्ठभूमि:*
*पत्नी:*
उनकी पत्नी दक्ष प्रजापति की पुत्री स्मृति (श्रद्धा) थीं।
*पुत्र:*
उनके कुछ प्रसिद्ध पुत्रों में बृहस्पति, उतथ्य और संवर्त शामिल हैं।
*अंगिरा से जुड़ी अन्य बातें:*
उन्हें प्रजापति भी कहा जाता है,
अंगिरा जी की तपस्या इतनी तीव्र थी कि उनका तेज अग्नि से भी बढ़ गया था, जिससे अग्निदेव स्वयं उनसे प्रभावित हुए थे।
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*मौत को छोड़कर हर मर्ज की दवा**🏵️कलौंजी*(कलयुग में धरती की संजीवनी)कहते हैं पुराने ज़माने में हकीम और वैद्य इसे अपने इला...
21/08/2025

*मौत को छोड़कर हर मर्ज की दवा*
*🏵️कलौंजी*
(कलयुग में धरती की संजीवनी)
कहते हैं पुराने ज़माने में हकीम और वैद्य इसे अपने इलाज का सबसे मजबूत हथियार मानते थे।
आज भी गांव की दादियां और नानियां कहती हैं-
*"अगर घर में कलौंजी है, तो अस्पताल का रास्ता भूल जाओ"*
छोटी-सी काली बीजियां, लेकिन ताकत इतनी कि आपकी पूरी सेहत का पहरेदार बन जाएं।
*🥎कलौंजी का इतिहास*
कलौंजी का जिक्र आयुर्वेद, यूनानी और इस्लामी तिब्ब, तीनों में मिलता है।
मिस्र की रानी क्लियोपेट्रा अपनी त्वचा और बालों के लिए कलौंजी तेल का इस्तेमाल करती थी।
यहां तक कि फिरऔनों के मकबरों में भी कलौंजी के बीज मिले हैं (यानी इसकी पहचान हज़ारों साल पुरानी है।)
*🥎कलौंजी का स्वाद और प्रकृति*
स्वाद में हल्का कड़वा और मिर्ची जैसा तीखापन
*🥎प्रकृति में गर्म*
यानी शरीर को अंदर से ताकत और रोगों से लड़ने की क्षमता देता है
*🏵️सेवन के तरीके*
कलौंजी का इस्तेमाल आप रोज़मर्रा की ज़िंदगी में कई तरह से कर सकते हैं।
*1️⃣ सुबह शहद के साथ:-* 1 छोटा चम्मच कलौंजी पाउडर +1 चम्मच शहद, खाली पेट लें
*2️⃣ चाय में डालकर:-* सर्दी-जुकाम में बहुत असरदार।
*3️⃣ रोटी में मिलाकर:-* आटे में 1-2 चम्मच कलौंजी मिलाएं, हेल्दी और स्वादिष्ट।
*4️⃣ दूध के साथ:-* ताकत और इम्यूनिटी के लिए।
*5️⃣ तेल बनाकर:-* बालों और जोड़ों के लिए वरदान।
*🏵️कलौंजी के चमत्कारी फायदे*
*(मौत को छोड़कर लगभग हर मर्ज में असर)*
*🥎डायबिटीज कंट्रोल:-* ब्लड शुगर लेवल को संतुलित करता है।
*🥎BP नॉर्मल:-* हाई और लो ब्लड प्रेशर दोनों में मददगार।
*🥎बाल झड़ना बंद:-* गंजापन तक में असर।
*🥎त्वचा को निखारे:-* पिंपल, दाग-धब्बे खत्म।
*🥎लकवा में राहत:-* पुराने नुस्खों में शामिल।
*🥎कान दर्द:-* 2 बूंद कलौंजी तेल से तुरंत आराम।
*🥎सर्दी-जुकाम और अस्थमा:-* सांस की नली साफ।
*🥎गठिया और जोड़ों का दर्द:-* सूजन और दर्द दोनों कम।
*🥎आंखों की रोशनी बढ़ाए:-* मोतियाबिंद में भी लाभदायक।
*🥎तनाव और चिंता कम:-* दिमाग को शांति।
*🥎नींद मीठी और गहरी:-* अनिद्रा में फायदा।
*🥎गैस और अपच खत्म:-* पाचन तंत्र को मजबूत
*🥎याददाश्त तेज:-* बच्चों से बुजुर्गों तक असरदार।
*🏵️सावधानियां*
🥎गर्भवती महिलाएं इसका सेवन न करें।
🥎अधिक मात्रा में खाने से शरीर में गर्मी बढ़ सकती है।
🥎एलर्जी वाले लोग पहले थोड़ा इस्तेमाल करके देखें।
*🏵️निष्कर्ष*
*कलौंजी कोई आम बीज नहीं, ये आपके शरीर का प्राकृतिक बॉडीगार्ड है।*
अगर इसे रोज़ाना सही तरीके से अपनाया जाए, तो आप सभी बीमारियों से बच सकते हैं।
*🏵️हेल्थ मंत्र*
*"छोटे-से बीज में छुपा है सेहत का खजाना,*
*कलौंजी अपनाओ, बीमारियों को दूर भगाओ।*
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*15 अगस्त 2025, स्वतंत्रता दिवस*"क्रांतिवीरों को नमन"*भगत सिंह की गूंज थी, हर दिल में आग थी,*फाँसी का फंदा भी उन्हें, इं...
15/08/2025

*15 अगस्त 2025, स्वतंत्रता दिवस*
"क्रांतिवीरों को नमन"
*भगत सिंह की गूंज थी, हर दिल में आग थी,*
फाँसी का फंदा भी उन्हें, इंकलाब का राग था।
माँ ने बाँध तिरंगा सर पे, भेजा रणभूमि में,
शहादत उनकी कह गई — देश सबसे प्रिय था।
*राजगुरु, सुखदेव संग, वीरता का रंग भरा,*
लाठी-गोली सह गए, फिर भी मुँह ना मोड़ा जरा।
उनके लहू की हर बूँद, कहती थी यह बात,
"आजादी का सूरज निकलेगा, चाहे हो रात की रात।"
*सुभाष चंद्र बोस गरजे – "तुम मुझे खून दो..."*
"मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा" – यह उनका जोश था, वो भरोसा था।
आज़ाद थे चंद्रशेखर मन से, हथियारों से खेलते,
ब्रिटिश राज की नींव को, हर पल डगमग करते।
*राम प्रसाद बिस्मिल की कलम, जैसे तलवार चले,*
"सरफरोशी की तमन्ना..." बन क्रांति की मशाल जले।
अशफाक उल्ला खां की कुर्बानी, एकता का गीत बनी,
धर्म नहीं, कर्म बड़ा था — यही सच्ची देशभक्ति रही।
*सभी देशभक्तों को "राधे सौलर" की और से स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।*
*जय हिन्द, वन्दे मातरम, भारत माता की जय।*
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