02/06/2022
♦️14 जून कबीर प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में जरूर जानें कबीर साहिब की अद्भुत शिक्षाएं♦️
हिंदू-मुस्लिम और अन्य धर्मों के लोग अपनी-अपनी मान्यताओं के अनुसार विभिन्न धार्मिक परंपराओं का पालन करते हैं। तथा इन मान्यताओं के अनुसार वे जिस भी भगवान,अल्लाह की पूजा करते हैं। वही सर्वोच्च और सर्वशक्तिमान है। कबीर साहिब ने इन धर्मों में व्याप्त कुरीतियों एवम् मान्यताओं के ऊपर कटाक्ष किया है। वास्तव में संत के रूप में प्रकट हुए सर्वोच्च ईश्वर और पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब की है जो धर्म और जाति की बेड़ियों से ऊपर थे। दोहों के माध्यम से कबीर साहेब ने अपनी शिक्षा का प्रचार प्रसार सभी धर्मों के लिए किया है।
कबीर, पत्थर पूजें हरि मिले तो मैं पूजूँ पहार।
तातें तो चक्की भली, पीस खाये संसार।।
यहां कबीर परमात्मा हिंदुओं को समझा रहे हैं कि पत्थर की मूर्ति को पूजने से कोई लाभ नहीं है। यह तो शास्त्र विरुद्ध साधना है। ईससे अच्छा तो आटा पीसने की चक्की है जो कम से कम भोजन करने के लिए आटे का इंतजाम तो कर देती है।
कबीर, दिन को रोजा रखत है, रात हनत है गाय।
यहां खून वहां बंदगी, कहो कैसे खुशी खुदाय।।
कबीर, हिन्दू के दया नही, मेहर तुर्क के नाही।
कह कबीर दोनो गये, लख चौरासी माही।।
इस दोहे के माध्यम से कबीर साहिब ने मुस्लिम धर्म के लिए कहा है कि दिन में रोजा अर्थात अल्लाह के लिए व्रत करते हो और रात में गाय मार कर खा रहे हो। एक तरफ खून और दूसरी तरफ भगवान की बंदगी तो खुदा कैसे खुश होगा। दूसरे दोहे में कबीर साहिब हिंदू और मुस्लिम दोनों के लिए कह रहे हैं कि इनमें दया नहीं है। जीव हत्या करते हैं। कबीर साहिब ने प्रत्येक जीव में परमात्मा का निवास बताया है। और उस जीव की हत्या करके खाने वाले यह दोनों धर्म के लोग लख चौरासी अर्थात अलग-अलग योनियों में धक्के खाते रहेंगे। कभी मोक्ष प्राप्त नहीं हो पाएगा।
यहां हमें जानना चाहिए कि कबीर साहिब वास्तव में पूर्ण परमात्मा है जो किसी धर्म विशेष पर नहीं बल्कि धर्म के नाम पर चल रही कुरीतियां और पाखंडवाद जो भक्ति मार्ग में जहर के समान है। उनके ऊपर कटाक्ष किया है। जिससे मनुष्य पूर्ण परमात्मा की पहचान कर वास्तविक शास्त्र विधि अनुसार भक्ति करें।
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