Satlok aashram Shamli

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Satguru Rampalji maharaj
20/04/2023

Satguru Rampalji maharaj

True Guru Sant Rampal Ji Maharajपवित्र कुरान शरीफसुरत-फुर्कानि नं. 25 आयत 58:- व तवक्कल् अलल् हरिूल्लजी ला यमूतु व सब्बि...
16/04/2023

True Guru Sant Rampal Ji Maharaj
पवित्र कुरान शरीफ
सुरत-फुर्कानि नं. 25 आयत 58:- व तवक्कल् अलल् हरिूल्लजी ला यमूतु व सब्बिह् बिहम्दिही व कफा बिही बिजुनूबि अिबादिही खबीरा(कबीरा)।58।
हजरत मुहम्मद जी जिसे अपना प्रभु मानते हैं वह कुरान ज्ञान दाता अल्लाह (प्रभु) किसी और पूर्ण प्रभु की तरफ संकेत कर रहा है कि ऐ पैगम्बर उस कबीर परमात्मा पर विश्वास रख जो तुझे जिंदा महात्मा के रूप में आकर मिला था। वह कभी मरने वाला नहीं है अर्थात् वास्तव में अविनाशी है।

 #कबीरसाहेबजी_का_अद्भुत_ज्ञान गीता अध्याय 15 श्लोक 1 से 4 में बताए गए उल्टे वृक्ष की जानकारी कबीर साहिब जी ने दी है कबीर...
04/06/2022

#कबीरसाहेबजी_का_अद्भुत_ज्ञान गीता अध्याय 15 श्लोक 1 से 4 में बताए गए उल्टे वृक्ष की जानकारी कबीर साहिब जी ने दी है कबीर अक्षर पुरुष एक पेड़ है, निरंजन वाकी डार । तीनों देवा शाखा है पात रूप संसार।। कबीर हमही अलख अल्लाह मूल रूप करतार, अनंत कोटि ब्रह्मांड का मैं ही सर्जनहार।।

♦️14 जून कबीर प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में जरूर जानें कबीर साहिब की अद्भुत शिक्षाएं♦️हिंदू-मुस्लिम और अन्य धर्मों के लोग अ...
02/06/2022

♦️14 जून कबीर प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में जरूर जानें कबीर साहिब की अद्भुत शिक्षाएं♦️

हिंदू-मुस्लिम और अन्य धर्मों के लोग अपनी-अपनी मान्यताओं के अनुसार विभिन्न धार्मिक परंपराओं का पालन करते हैं। तथा इन मान्यताओं के अनुसार वे जिस भी भगवान,अल्लाह की पूजा करते हैं। वही सर्वोच्च और सर्वशक्तिमान है। कबीर साहिब ने इन धर्मों में व्याप्त कुरीतियों एवम् मान्यताओं के ऊपर कटाक्ष किया है। वास्तव में संत के रूप में प्रकट हुए सर्वोच्च ईश्वर और पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब की है जो धर्म और जाति की बेड़ियों से ऊपर थे। दोहों के माध्यम से कबीर साहेब ने अपनी शिक्षा का प्रचार प्रसार सभी धर्मों के लिए किया है।

कबीर, पत्थर पूजें हरि मिले तो मैं पूजूँ पहार।

तातें तो चक्की भली, पीस खाये संसार।।

यहां कबीर परमात्मा हिंदुओं को समझा रहे हैं कि पत्थर की मूर्ति को पूजने से कोई लाभ नहीं है। यह तो शास्त्र विरुद्ध साधना है। ईससे अच्छा तो आटा पीसने की चक्की है जो कम से कम भोजन करने के लिए आटे का इंतजाम तो कर देती है।

कबीर, दिन को रोजा रखत है, रात हनत है गाय।
यहां खून वहां बंदगी, कहो कैसे खुशी खुदाय।।

कबीर, हिन्दू के दया नही, मेहर तुर्क के नाही।
कह कबीर दोनो गये, लख चौरासी माही।।

इस दोहे के माध्यम से कबीर साहिब ने मुस्लिम धर्म के लिए कहा है कि दिन में रोजा अर्थात अल्लाह के लिए व्रत करते हो और रात में गाय मार कर खा रहे हो। एक तरफ खून और दूसरी तरफ भगवान की बंदगी तो खुदा कैसे खुश होगा। दूसरे दोहे में कबीर साहिब हिंदू और मुस्लिम दोनों के लिए कह रहे हैं कि इनमें दया नहीं है। जीव हत्या करते हैं। कबीर साहिब ने प्रत्येक जीव में परमात्मा का निवास बताया है। और उस जीव की हत्या करके खाने वाले यह दोनों धर्म के लोग लख चौरासी अर्थात अलग-अलग योनियों में धक्के खाते रहेंगे। कभी मोक्ष प्राप्त नहीं हो पाएगा।

यहां हमें जानना चाहिए कि कबीर साहिब वास्तव में पूर्ण परमात्मा है जो किसी धर्म विशेष पर नहीं बल्कि धर्म के नाम पर चल रही कुरीतियां और पाखंडवाद जो भक्ति मार्ग में जहर के समान है। उनके ऊपर कटाक्ष किया है। जिससे मनुष्य पूर्ण परमात्मा की पहचान कर वास्तविक शास्त्र विधि अनुसार भक्ति करें।




अधिक जानकारी के लिए अवश्य download करें
पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
https://bit.ly/KabirParmeshwarBook

♦️14 जून कबीर प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में जरूर जानें कबीर साहिब की अद्भुत शिक्षाएं♦️हिंदू-मुस्लिम और अन्य धर्मों के लोग अ...
02/06/2022

♦️14 जून कबीर प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में जरूर जानें कबीर साहिब की अद्भुत शिक्षाएं♦️

हिंदू-मुस्लिम और अन्य धर्मों के लोग अपनी-अपनी मान्यताओं के अनुसार विभिन्न धार्मिक परंपराओं का पालन करते हैं। तथा इन मान्यताओं के अनुसार वे जिस भी भगवान,अल्लाह की पूजा करते हैं। वही सर्वोच्च और सर्वशक्तिमान है। कबीर साहिब ने इन धर्मों में व्याप्त कुरीतियों एवम् मान्यताओं के ऊपर कटाक्ष किया है। वास्तव में संत के रूप में प्रकट हुए सर्वोच्च ईश्वर और पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब की है जो धर्म और जाति की बेड़ियों से ऊपर थे। दोहों के माध्यम से कबीर साहेब ने अपनी शिक्षा का प्रचार प्रसार सभी धर्मों के लिए किया है।

कबीर, पत्थर पूजें हरि मिले तो मैं पूजूँ पहार।

तातें तो चक्की भली, पीस खाये संसार।।

यहां कबीर परमात्मा हिंदुओं को समझा रहे हैं कि पत्थर की मूर्ति को पूजने से कोई लाभ नहीं है। यह तो शास्त्र विरुद्ध साधना है। ईससे अच्छा तो आटा पीसने की चक्की है जो कम से कम भोजन करने के लिए आटे का इंतजाम तो कर देती है।

कबीर, दिन को रोजा रखत है, रात हनत है गाय।
यहां खून वहां बंदगी, कहो कैसे खुशी खुदाय।।

कबीर, हिन्दू के दया नही, मेहर तुर्क के नाही।
कह कबीर दोनो गये, लख चौरासी माही।।

इस दोहे के माध्यम से कबीर साहिब ने मुस्लिम धर्म के लिए कहा है कि दिन में रोजा अर्थात अल्लाह के लिए व्रत करते हो और रात में गाय मार कर खा रहे हो। एक तरफ खून और दूसरी तरफ भगवान की बंदगी तो खुदा कैसे खुश होगा। दूसरे दोहे में कबीर साहिब हिंदू और मुस्लिम दोनों के लिए कह रहे हैं कि इनमें दया नहीं है। जीव हत्या करते हैं। कबीर साहिब ने प्रत्येक जीव में परमात्मा का निवास बताया है। और उस जीव की हत्या करके खाने वाले यह दोनों धर्म के लोग लख चौरासी अर्थात अलग-अलग योनियों में धक्के खाते रहेंगे। कभी मोक्ष प्राप्त नहीं हो पाएगा।

यहां हमें जानना चाहिए कि कबीर साहिब वास्तव में पूर्ण परमात्मा है जो किसी धर्म विशेष पर नहीं बल्कि धर्म के नाम पर चल रही कुरीतियां और पाखंडवाद जो भक्ति मार्ग में जहर के समान है। उनके ऊपर कटाक्ष किया है। जिससे मनुष्य पूर्ण परमात्मा की पहचान कर वास्तविक शास्त्र विधि अनुसार भक्ति करें।




अधिक जानकारी के लिए अवश्य download करें
पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
https://bit.ly/KabirParmeshwarBook

 फजाइले जिक्र में अल्लाह कबीर साहेब का प्रमाण :अल्लीमूल गैब बसाहादाती तील कबीर रूलमुतालू (2)वह कबीर अल्लाह तमाम पोशीदा औ...
03/05/2022


फजाइले जिक्र में अल्लाह कबीर साहेब का प्रमाण :
अल्लीमूल गैब बसाहादाती तील कबीर रूलमुतालू (2)
वह कबीर अल्लाह तमाम पोशीदा और जाहिर चीजों का जानने वाला है(सबसे) बड़ा है और आलीशान रुत्बे वाला है।

 पवित्र चारों वेद भी साक्षी हैं कि पूर्ण परमात्मा ही पूजा के योग्य है, उसका वास्तविक नाम कविर्देव (कबीर परमेश्वर) हैतथा ...
19/04/2022


पवित्र चारों वेद भी साक्षी हैं कि पूर्ण परमात्मा ही पूजा के योग्य है, उसका वास्तविक नाम कविर्देव (कबीर परमेश्वर) है
तथा तीन मंत्र (ॐ, तत् सत्) के नाम का जाप करने से ही पूर्ण मोक्ष होता है। इस नाम को देने अधिकारी केवल तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही हैं।

अधिक जानकारी के लिए Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel Visit करें।

 गर्भ से जन्म नहीं लेता पूर्ण प्रभुहम सभी जानते हैं कि ईसा (जीसस) जी का जन्म मरियम से हुआ था और ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 93 क...
19/04/2022



गर्भ से जन्म नहीं लेता पूर्ण प्रभु
हम सभी जानते हैं कि ईसा (जीसस) जी का जन्म मरियम से हुआ था और ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 93 के मंत्र 2 में लिखा है कि परमेश्वर का जन्म माता के गर्भ से नहीं होता और वह केवल कबीर परमेश्वर (कविर्देव) है।
गरीबदास जी महाराज ने कहा है-
अनंत कोटि ब्रह्मांड में, बंदीछोड़ कहाय।
सो तो एक कबीर है, जननी जन्या न माय।।

https://bit.ly/GoodFriday2022Special

जिन मुसलमानों के सामने हजरत मुहम्मद जी ने वचन की सिद्धि-शक्ति से गाय मारकर फिर वचन से ही जीवित की थी, उन्होंने यह बात सब...
31/03/2022

जिन मुसलमानों के सामने हजरत मुहम्मद जी ने वचन की सिद्धि-शक्ति से गाय मारकर फिर वचन से ही जीवित की थी, उन्होंने यह बात सबको बताई। जो
विरोधी लोग थे, उन्होंने कहा कि हमारे सामने मुहम्मद जी गाय को जीवित करेंगे तो मानेंगे। निश्चित दिन हजारों मुसलमानों तथा गैर-मुसलमानों के सामने गाय को काटा गया। मुहम्मद जी से गाय जीवित नहीं हुई। तब मुहम्मद जी ने अल्लाह कबीर को अल्लाह अकबर कहकर पुकारा। तब कबीर खुदा वहाँ पर पहुँचा। हजरत मुहम्मद जी ने अल्लाह कबीर को सजदा किया और इज्जत रखने के लिए अर्ज की। तब कादर अल्लाह कबीर जी ने तुरंत गाय जीवित कर दी।कुरआन ज्ञान दाता अल्लाह ने स्पष्ट किया है कि मैंने ही हजरत मुसा को ‘‘तौरत‘‘ किताब उतारी थी तथा मूसा के लिए पत्थर से पानी के झरने निकाले थे।(सूरः अल् बकरा-2 आयत 41, 53, 60)। हम ही मुसा के बाद एक के बाद दूसरा पैगम्बर भेजते रहे तथा ईसाबिन मरियम को खुली निशानियाँ बख्शी तथा रूहुल कुदस(यानि जिब्रील) से उनको मदद दी। (सूरः अल् बकरा-2 आयत 87)

पवित्र पुस्तक "जीने की राह" से जानिए कि कैसे इस लोक तथा परलोक दोनों में सुखी रहा जा सकता है।Audio Book सुनने के लिए Down...
21/03/2022

पवित्र पुस्तक "जीने की राह" से जानिए कि कैसे इस लोक तथा परलोक दोनों में सुखी रहा जा सकता है।
Audio Book सुनने के लिए Download करें Official App "SANT RAMPAL JI MAHARAJ"

 #राम_नाम_की_होलीअसली होली तो वह है जिस दिन हमें तत्वदर्शी संत की शरण मिले, जो पूर्ण परमात्मा को पाने का वास्तविक भक्ति ...
17/03/2022

#राम_नाम_की_होली
असली होली तो वह है जिस दिन हमें तत्वदर्शी संत की शरण मिले, जो पूर्ण परमात्मा को पाने का वास्तविक भक्ति मार्ग बताते हैं। पढ़ें पुस्तक "ज्ञान गंगा"

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