
11/09/2025
https://youtu.be/ruSu8vhIxXo?si=YmgumNsAr9lXn4HU आजकल मोबाइल और कंप्यूटर का बढ़ता प्रयोग, घंटों तक झुककर काम करना और गलत जीवनशैली के कारण सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस (Cervical Spondylitis) या साधारण भाषा में सर्वाइकल की समस्या तेजी से बढ़ रही है। यह गर्दन और रीढ़ की हड्डी से जुड़ी एक गंभीर स्थिति है जो न केवल दर्द देती है, बल्कि जीवन की गुणवत्ता को भी प्रभावित करती है।
🧩 सर्वाइकल क्या है?
गर्दन में मौजूद रीढ़ की हड्डी का हिस्सा सर्वाइकल स्पाइन कहलाता है। इसमें 7 कशेरुकाएँ (vertebrae) होती हैं, जो सिर को सहारा देती हैं और दिमाग से पूरे शरीर तक संदेश पहुँचाती हैं। जब इन कशेरुकाओं या डिस्क में घिसाव, सूजन या दबाव की स्थिति बनती है, तो उसे सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस कहा जाता है।
⚠️ सर्वाइकल के प्रमुख कारण
गलत मुद्रा (Wrong Posture): लंबे समय तक झुककर मोबाइल या लैपटॉप का इस्तेमाल।
बैठे-बैठे जीवनशैली: घंटों तक एक ही स्थिति में बैठे रहना।
गर्दन पर चोट: एक्सीडेंट या गिरने से चोट लगना।
उम्र का असर: 40 वर्ष के बाद हड्डियों और डिस्क में घिसाव शुरू होना।
पोषण की कमी: कैल्शियम, विटामिन D और मैग्नीशियम की कमी।
तनाव और स्ट्रेस: मानसिक दबाव मांसपेशियों में जकड़न बढ़ाता है।
आनुवंशिक कारण: परिवार में यह समस्या पहले से होने पर जोखिम बढ़ जाता है।
🩺 सर्वाइकल के लक्षण
गर्दन, कंधे और पीठ में लगातार दर्द।
हाथ और बाजू में झनझनाहट या सुन्नपन।
सिरदर्द और चक्कर आना।
गर्दन को घुमाने में कठिनाई।
थकान और कमजोरी।
कभी-कभी दृष्टि धुंधली होना और नींद न आना।
🌿 आयुर्वेदिक दृष्टि
आयुर्वेद में सर्वाइकल को “ग्रिवा स्तम्भ” और “वातज विकार” से जोड़ा गया है।
वात दोष की वृद्धि से स्नायु (Nerves) और कशेरुकाएँ (Vertebrae) कमजोर होकर दर्द, जकड़न और सूजन पैदा करती हैं।
आयुर्वेदिक उपचार का मुख्य उद्देश्य है – वात दोष का शमन, स्नायु को बल देना और रक्त प्रवाह को संतुलित करना।
🏠 घरेलू और आयुर्वेदिक नुस्ख़े
अजवाइन का सेंक:
अजवाइन को तवे पर गर्म करके कपड़े में बाँधें और गर्दन पर सेंक करें।
इससे दर्द और जकड़न कम होती है।
सरसों का तेल और लहसुन:
सरसों के तेल में लहसुन भूनकर गर्दन पर मालिश करें।
यह रक्तसंचार को तेज करता है और सूजन घटाता है।
गिलोय और हल्दी का काढ़ा:
गिलोय, हल्दी और अदरक का काढ़ा पीने से शरीर में सूजन और दर्द कम होता है।
मेथी दाना:
मेथी दाना रातभर भिगोकर सुबह चबाएँ या दूध के साथ लें।
हड्डियों और स्नायु को मजबूती मिलती है।
योग और व्यायाम:
भुजंगासन, ताड़ासन, मकरासन और गर्दन घुमाने वाले सरल योगासन सर्वाइकल में राहत देते हैं।
प्राणायाम जैसे अनुलोम-विलोम और भ्रामरी मानसिक तनाव कम करते हैं।
गरम पानी से स्नान:
गुनगुने पानी से नहाने या गरम पट्टी लगाने से मांसपेशियों का तनाव कम होता है।
✅ बचाव ही सबसे बड़ा इलाज
लंबे समय तक मोबाइल/लैपटॉप का उपयोग करते समय हर 30 मिनट बाद गर्दन घुमाएँ।
तकिए का सही चुनाव करें – बहुत ऊँचा या बहुत नीचा तकिया नुकसानदायक है।
आहार में दूध, हरी सब्ज़ियाँ, तिल, बादाम और दालें शामिल करें।
रोज़ाना 15–20 मिनट धूप लें ताकि विटामिन D की कमी न हो।
योग और ध्यान से मानसिक तनाव नियंत्रित करें।
📢 निष्कर्ष
सर्वाइकल कोई साधारण समस्या नहीं है, यह शरीर की रीढ़ और मस्तिष्क को जोड़ने वाली महत्वपूर्ण कड़ी को प्रभावित करती है। समय रहते उचित देखभाल, सही आहार, योगाभ्यास और घरेलू नुस्ख़ों को अपनाकर इसे पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है। आयुर्वेद स्पष्ट रूप से कहता है कि “वात दोष का संतुलन ही सर्वाइकल जैसी बीमारियों का स्थायी उपचार है।”
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