Yog Ayurved and Panchkarma Chikitsa

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08/08/2024

Indian Actor Akshay Kumar champions a holistic approach to health, emphasizing simplicity and balance. His endorsement inspires, encouraging individuals to explore the profound benefits of incorporating these age-old practices into contemporary life.
https://www.youtube.com/watch?v=wl8ta772L6o



PMO India Prataprao Jadhav Ministry of Information & Broadcasting, Government of India Ministry of Health and Family Welfare, Government of India Press Information Bureau - PIB, Government of India Morarji Desai National Institute of Yoga MyGovIndia All India Institute of Ayurveda, New Delhi Central Council for Research in Homoeopathy -CCRH Ayush- Siddha Central Council for Research in Ayurvedic Sciences

12/05/2023

आयुर्वेद शास्त्र के प्रयोजन 'स्वस्थ के स्वास्थ्य की रक्षा में उपयोगी
#डाक्टर खोजने की बजाय क्यों न #स्वास्थ्य खोजा जाये वो भी सिर्फ #खाने_और_पकाने की आदतों को बदल कर ?
यहाँ हम केवल पकाने की विधी पर बात करेगें। भारत में पाककला का अद्भुत भंडार है जो स्वास्थ्य और स्वाद दोनों ही दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। चिन्ताजनक है कि हम सभी उसे छोड़ते जा रहे हैं।
खाना पकाने में में किये जाने वाले बर्तनों का चयन इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जिसे हम सभी आधुनिकता और सुविधाजनक लगने के कारण बदलते जा रहे हैं और बीमारियों को निमंत्रण दे चुके हैं। शरीर को अगर नियमित तौर पर पर्याप्त माइक्रो न्यूट्रियंट्स(सूक्ष्म पोषक तत्व) मिलते रहें तो शरीर जल्दी बीमार नहीं पड़ता।

खाना पकाने का सबसे सुरक्षित, उपयुक्त और पवित्र मिट्टी का बर्तन है।
1- मिट्टी के पात्र में पका भोजन अन्य धातु की तुलना में जल्दी खराब नहीं होता।
2- मिट्टी का बर्तन भोजन को पकाता है, सिर्फ गलाता नहीं।
3- मिट्टी के बर्तन में पके खाने के माइक्रो न्यूट्रियंट्स 100% अपने प्राकृतिक रुप में सुरक्षित रहते हैं।
4- मिट्टी के बर्तन में पका भोजन वात पित्त और कफ को सम रखता है अगर शरीर में वात, कफ और पित्त की मात्रा सम है तो रोग होने की संभावना न के बराबर होती है।

मिट्टी के अलावा अगर कोई और धातु उपयुक्त है तो वह है काँसा, इसमें खाना पकाने पर केवल 3% माइक्रो न्यूट्रियंट्स कम होते हैं।
उसके बाद आता है पीतल, इसमें पकाने पर 7% माइक्रो न्यूट्रियंट्स कम होते हैं।
लोहे के बर्तन में आयरन प्रचुर मात्रा में मिलता है इसमें हरे साग-सब्जी बनाया जाना स्वादिष्ट और लाभकारी है।
तांबा को आँच पर नहीं चढ़ाया जाना चाहिए इसका पानी पीना अमृत तुल्य है ये रक्त शुद्धि का सबसे लाभदायक स्रोत है। इसके अलावा ये वात, कफ और पित्त को भी बैलेंस रखने में सहयोगी है।

प्रेशर कुकर सबसे ख़तरनाक होता है इसमें केवल 7% ही माइक्रो न्यूट्रियंट्स बचते हैं यानि कि 93% खत्म हो जाते हैं। अल्युमिनियम जल्दी अवशोषित होने वाली धातु है जिससे खाना मिलकर विषाक्त हो जाता है। अल्युमिनियम, कैल्शियम और आयरन को सोख लेता है जिससे अल्जाइमर, नर्वस सिस्टम और हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।

नॉन स्टिक में टेफ्लॉन की पर्त चढ़ी होती है जो खतरनाक पॉलिमर प्यूम फीवर को जन्म देती है और वातावरण में खतरनाक गैसों को छोड़ती है अतः ये पक्षियों और मनुष्य दोनों के लिये खतरनाक है।

अगर हमें स्वस्थ रहना है तो भोजन पकाने के तरीकों को तो बदलना ही पड़ेगा.
पोषण को बढ़ाने में करता है मदद: मिट्टी के बर्तन में खाना पकाने से उनमें आयरन, फास्फोरस, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे खनिज मिल जाते हैं. जिसकी वजह से शरीर को कई प्रकार के पोषण मिलते हैं. पीएच लेवल को मेंटन करने में करता है मदद: अगर आप मिट्टी के बर्तन में खाना पकाते हैं तो यह पीएच लेवल को बैलेंस करने में मदद करती है.

21/04/2023
21/03/2023

#विटामिन बी12 की कमी से नसें हो जाती हैं बेजान, उठना बैठना भी हो जाता है मुश्किल, तुरंत डाइट में शामिल करें ये चीजें

विटामिन बी 12 की कमी से खून में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी होने लगती है जिसका असर शरीर की नस-नस पर होने लगता है
शरीर के बेहतर स्वास्थ्य के लिए हर तरह के विटामिन्स और प्रोटीन की ज़रूरत होती है। एक सेहतमंद शरीर के लिए अन्य विटामिन की तरह विटामिन बी12 भी एक बहुत ही ज़रूरी पोषक तत्व है। यह हमारे शरीर की रेड ब्लड सेल्स और डीएनए को बनाने में अहम रोल अदा करता है। आपको जानकार हैरानी होगी लेकिन शरीर में विटामिन बी12 की कमी से नसें अकड़ने लगती हैं और हाथ पैर सुन्न पड़ जाते हैं। दरअसल हमारे दिमाग में माइलिन नामक पदार्थ को विटामिन बी12 बनाता है। माइलिन नसों की सुरक्षा करता है और उन्हें डैमेज होने से बचाता है। ऐसे में अगर शरीर में बी12 की कमी होगी तो माइलिन नहीं बन पाएगा और फिर नसों बेजान और कमजोर हो जाएंगी। अगर आपके साथ भी अक्सर ऐसा होता है तो इस स्थिति को बिल्कुल भी नजरअंदाज ना करें वरना कई सारी बीमारियां आपकी बॉडी को घेर लेंगी। इसलिए अपने शरीर में विटामिन बी12 बनाए रखने के लिए उन चीज़ों का सेवन करना होगा जिनमें विटामिन बी-12 पाया जाता है

विटामिन बी12 की कमी के लक्षण

हमेशा थकान या कमजोर महसूस करना
जल्दी भूख ना लगना
उल्टी, मितली जैसा महसूस होना
वजन का लगातार घटना
जीभ या मुंह में दर्द
स्किन का पीला होना
इन फूड्स से विटामिन बी12 की कमी होगी पूरी

अगर आप विटामिन बी12 की कमी पूरा करना चाहते हैं तो अपनी डाइट में इन कुछ फूड्स को शामिल करें। दूध, दही, अंडा, डेयरी प्रोडक्ट, साबुत अनाज, चुकंदर, आलू, मशरूम, फोर्टिफाइड ब्रेकफास्ट सेरिएल, सीजनल हरी सब्जियां, ताजे फलों से विटामिन बी 12 प्राप्त किया जा सकता है। साबुत अनाज से न सिर्फ विटामिन बी 12 की प्राप्ति की जा सकती है बल्कि इससे प्रोटीन, फाइबर, हेल्दी फैट सहित कई तरह के पोषक तत्वों को प्राप्त किया जा सकता है।
साभार: पूनम यादव

05/02/2023
30/12/2022

BAMS/BHMS/BUMS/BNYS पाठ्यक्रमों में सत्र 2022-23 में प्रवेश हेतु कॉउंसलिंग रेजिस्ट्रेशन की सूचना

21/08/2022

जंक फ़ूड के खतरे
जींस के द्वारा अगली पीढ़ी को दे रहे मर्ज
क्या आप अपनी आने वाली पीढ़ी को ये ही उपहार देने वाले है??
चिंतनीय, विचारणीय

11/08/2022

*"भादवे का घी"*

भाद्रपद मास आते आते घास पक जाती है।
जिसे हम घास कहते हैं, वह वास्तव में अत्यंत दुर्लभ *औषधियाँ* हैं।
इनमें धामन जो कि गायों को अति प्रिय होता है, खेतों और मार्गों के किनारे उगा हुआ साफ सुथरा, ताकतवर चारा होता है।
सेवण एक और घास है जो गुच्छों के रूप में होता है। इसी प्रकार गंठिया भी एक ठोस खड़ है। मुरट, भूरट,बेकर, कण्टी, ग्रामणा, मखणी, कूरी, झेर्णीया,सनावड़ी, चिड़की का खेत, हाडे का खेत, लम्प, आदि वनस्पतियां इन दिनों पक कर लहलहाने लगती हैं।
यदि समय पर वर्षा हुई है तो पड़त भूमि पर रोहिणी नक्षत्र की तप्त से संतृप्त उर्वरकों से ये घास ऐसे बढ़ती है मानो कोई विस्फोट हो रहा है।
इनमें विचरण करती गायें, पूंछ हिलाकर चरती रहती हैं। उनके सहारे सहारे सफेद बगुले भी इतराते हुए चलते हैं। यह बड़ा ही स्वर्गिक दृश्य होता है।
इन जड़ी बूटियों पर जब दो शुक्ल पक्ष गुजर जाते हैं तो चंद्रमा का अमृत इनमें समा जाता है। आश्चर्यजनक रूप से इनकी गुणवत्ता बहुत बढ़ जाती है।
कम से कम 2 कोस चलकर, घूमते हुए गायें इन्हें चरकर, शाम को आकर बैठ जाती है।
रात भर जुगाली करती हैं।
अमृत रस को अपने दुग्ध में परिवर्तित करती हैं।
यह दूध भी अत्यंत गुणकारी होता है।
इससे बने दही को जब मथा जाता है तो पीलापन लिए नवनीत निकलता है।
5से 7 दिनों में एकत्र मक्खन को गर्म करके, घी बनाया जाता है।
इसे ही *भादवे_का_घी* कहते हैं।
इसमें अतिशय पीलापन होता है। ढक्कन खोलते ही 100 मीटर दूर तक इसकी मादक सुगन्ध हवा में तैरने लगती है।
बस,,,, मरे हुए को जिंदा करने के अतिरिक्त, यह सब कुछ कर सकता है।
ज्यादा है तो खा लो, कम है तो नाक में चुपड़ लो। हाथों में लगा है तो चेहरे पर मल दो। बालों में लगा लो।
दूध में डालकर पी जाओ।
सब्जी या चूरमे के साथ जीम लो।
बुजुर्ग है तो घुटनों और तलुओं पर मालिश कर लो।
इसमें अलग से कुछ भी नहीं मिलाना। सारी औषधियों का सर्वोत्तम सत्व तो आ गया!!
इस घी से हवन, देवपूजन और श्राद्ध करने से अखिल पर्यावरण, देवता और पितर तृप्त हो जाते हैं।
कभी सारे मारवाड़ में इस घी की धाक थी।
इसका सेवन करने वाली एक विश्नोई महिला 5 वर्ष के उग्र सांड की पिछली टांग पकड़ लेती और वह चूं भी नहीं कर पाता था।
मेरे प्रत्यक्ष की घटना में एक व्यक्ति ने एक रुपये के सिक्के को मात्र उँगुली और अंगूठे से मोड़कर दोहरा कर दिया था!!
आधुनिक विज्ञान तो घी को वसा के रूप में परिभाषित करता है। उसे भैंस का घी भी वैसा ही नजर आता है। वनस्पति घी, डालडा और चर्बी में भी अंतर नहीं पता उसे।
लेकिन पारखी लोग तो यह तक पता कर देते थे कि यह फलां गाय का घी है!!
*यही वह घी था जिसके कारण युवा जोड़े दिन भर कठोर परिश्रम करने के बाद, रात भर रतिक्रीड़ा करने के बावजूद, बिलकुल नहीं थकते थे (वात्स्यायन)!*
इसमें *स्वर्ण* की मात्रा इतनी रहती थी, जिससे सर कटने पर भी धड़ लड़ते रहते थे!!

बाड़मेर जिले के *गूंगा गांव* में घी की मंडी थी। वहाँ सारे मरुस्थल का अतिरिक्त घी बिकने आता था जिसके परिवहन का कार्य बाळदिये भाट करते थे। वे अपने करपृष्ठ पर एक बूंद घी लगा कर सूंघ कर उसका परीक्षण कर दिया करते थे।
इसे घड़ों में या घोड़े के चर्म से बने विशाल मर्तबानों में इकट्ठा किया जाता था जिन्हें "दबी" कहते थे।
घी की गुणवत्ता तब और बढ़ जाती, यदि गाय पैदल चलते हुए स्वयं गौचर में चरती थी, तालाब का पानी पीती, जिसमें प्रचुर विटामिन डी होता है और मिट्टी के बर्तनों में बिलौना किया जाता हो।
वही गायें, वही भादवा और वही घास,,,, आज भी है। इस महान रहस्य को जानते हुए भी यदि यह व्यवस्था भंग हो गई तो किसे दोष दें।

30/07/2022

#टमाटर :इम्युनिटी बढ़ाता है, कैंसर से बचाता है

29/07/2022

#कम्फर्ट फ़ूड से हार्ट अटैक का 33% तक खतरा ज्यादा
फल सब्जियां 30% घटाती हैं

29/07/2022

#सेहतमंद #बुढ़ापा आपकी नींद, भोजन और वजन पर निर्भर

10/07/2022

WHO stress management guide helps people recognize the physical signs of stress e.g.
❗️Headache
❗️Neck & shoulder pain
❗️Upset stomach
❗️Heavy chest, etc.

Advice for coping with stress https://bit.ly/WHOStressManagement

06/07/2022

#आयुर्वेदोमृतानां

21/06/2022

#अंतरराष्ट्रीय_योग_दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

13/06/2022

आयुर्वेदोमृतानां #

29/05/2022

।। जय श्री नाथ जी ।।
परम पूज्य बाबाजी #श्री शेर नाथ जी महाराज की 30 वीं #पुण्यतिथि पर शत शत नमन
@मेरे पैतृक गाँव रूकनसर
#श्रीशेरनाथजी आश्रम #रुकनसर #रामगढ़ शेखावाटी

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