Bharat Hospital Sikar

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This image below 👇 is a comprehensive guide to understanding the spinal cord's segments and their corresponding nerve su...
17/07/2025

This image below 👇 is a comprehensive guide to understanding the spinal cord's segments and their corresponding nerve supplies, as well as common warning signs for potential health issues.

# # # Spinal Cord Segments
The left side of the infographic features a diagram of the spine, with each segment labeled from C1 to L5. These segments are:

- C1-C7: Cervical spine
- T1-T12: Thoracic spine
- L1-L5: Lumbar spine

# # # Nerve Supplies
The middle column lists the nerve supplies for each spinal segment, including:

- C1: Blood supply to the head, pituitary gland, scalp, bones of the face, brain, inner ear, and middle ear
- C2: Eyes, ears, sinuses, tongue, forehead
- C3: Cheeks, outer ear, face bones, teeth, facial nerves
- ...
- L5: Lower back, buttocks, thighs, legs, feet, sciatic nerve, large intestine

# # # Common Warning Signs
The right column lists common warning signs for potential health issues related to each spinal segment, including:

- C1: Headaches, insomnia, high blood pressure, migraines, chronic fatigue, dizziness
- C2: Sinusitis, ear aches, pain around the eyes, vision problems, hearing problems
- C3: Neuralgia, pimples, eczema
- ...
- L5: Back pain, leg pain, constipation, sacroiliac conditions, back pain, hip pain, hemorrhoids, tail bone pain

# # # Correlation between Spinal Segments and Health Issues
The infographic correlates specific spinal segments with potential health issues, enabling early detection and prevention. For example, issues with the C1 segment may indicate headaches, insomnia, or high blood pressure, while issues with the L5 segment may indicate back pain, leg pain, or constipation.

Overall, this infographic provides a valuable resource for understanding the complex relationships between the spinal cord, nerve supplies, and potential health issues, promoting awareness and proactive care.

Pulse sites typically refer to locations on the body where you can feel the pulse to check heart rate or blood flow. Her...
17/07/2025

Pulse sites typically refer to locations on the body where you can feel the pulse to check heart rate or blood flow. Here are the primary pulse sites used for medical or fitness purposes:

1. **Radial Pulse**: Inner wrist, below the thumb, along the radial artery.
2. **Carotid Pulse**: Neck, beside the windpipe, along the carotid artery.
3. **Brachial Pulse**: Inner upper arm, between the biceps and triceps, along the brachial artery.
4. **Femoral Pulse**: Groin area, where the femoral artery runs.
5. **Popliteal Pulse**: Behind the knee, in the popliteal fossa.
6. **Dorsalis Pedis Pulse**: Top of the foot, along the dorsalis pedis artery.
7. **Posterior Tibial Pulse**: Inner ankle, behind the medial malleolus.
8. **Temporal Pulse**: Side of the head, near the temple, along the temporal artery.

To check a pulse, gently press with two fingers (not the thumb) and count beats for 15-30 seconds, then multiply to get beats per minute.

WYETHIA--बाईथिया homoeopathic medicine 1- बाईथिया औषधि गले से सम्बंधित विभिन्न लक्षणों में विशेष क्रिया करती है और उससे ...
09/07/2025

WYETHIA--बाईथिया homoeopathic medicine

1- बाईथिया औषधि गले से सम्बंधित विभिन्न लक्षणों में विशेष क्रिया करती है और उससे सम्बंधित सभी लक्षणों को समाप्त करती है। यह औषधि ग्रासनली की सूजन (फैरीन्गिटिज) विशेष रूप से कूपिक ग्रासनली की सूजन में अधिक लाभकारी होता है।
2-गायकों और अधिक बोलनें वाले के गले में जलन होने पर बाईथिया औषधि का प्रयोग किया जाता है।

3- यह औषधि बवासीर को ठीक करती है और सर्दी बुखार के लक्षणों व नाक के पिछले भाग में खुजली होना आदि को दूर करती है।

4-सिर से सम्बंधित ऐसे लक्षण जिसमें स्नायविक सिर दर्द, बेचैनी तथा हताश रहती है।

5-चेहरे का काला पड़ जाना तथा ऐसा लगना जैसे चेहरा झुलस गया है।
6- ग्रासनली में नीचे की ओर गर्मी महसूस होना तथा तालु में खुजली होना आदि मुंह के लक्षणों में बाईथिया औषधि का प्रयोग करना लाभकारी होता है।

7-गले से सम्बंधित लक्षण
रोगी को हमेशा ऐसा महसूस होता है कि उसके गले में कोई चीज अटक गई है और वह उसे निकालने के लिए बार-बार कोशिश करता रहता है।
8- भोजन या अन्य चीजे निगलने में परेशानी होती है। मुंह से अधिक लार निकलता रहता है जिसके हमेशा निगलने की इच्छा करता है। रोगी को ऐसा लगता है कि जीभ के अगला भाग लम्बी हो गई है। इस तरह के जीभ से सम्बंधित लक्षणों में बाईथिया औषधि का प्रयोग करने से लाभ होता है। यह औषधि गले से सम्बंधित लक्षणों में तेजी से क्रिया करके रोग को समाप्त करती है।

9-पेट से सम्बंधित लक्षण
पेट के दाईं पसलियों के नीचे यदि दर्द होता हो तो दर्द को ठीक करने के लिए बाईथिया औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
10-स्त्री रोग से सम्बंधित लक्षण
स्त्री के बाएं डिम्बाशय में दर्द होना तथा दर्द का धीरे-धीरे घुटने तक फैल जाना। जरायु में होने वाला दर्द आदि लक्षणों को ठीक करने के लिए बाईथिया औषधि का सेवन करना चाहिए।

11-बुखार से सम्बंधित लक्षण
बुखार में उत्पन्न ऐसे लक्षण जिसमें सुबह 11 बजे से दोपहर तक ठण्ड लगता है। शीतावस्था में बर्फिला पानी पीने का मन करता है। बुखार लगने पर प्यास नहीं लगती। रात को अधिक मात्रा में पसीना आता है। पसीना निकलने के साथ तेज सिर दर्द होता है l
Dr Madhubala

रेबीज घातक है, लेकिन इससे बचाव संभव! इसलिए किसी भी जानवर के काटने या खरोंचने पर तुरंत घाव को साफ पानी व साबुन से धोएं, श...
08/07/2025

रेबीज घातक है, लेकिन इससे बचाव संभव! इसलिए किसी भी जानवर के काटने या खरोंचने पर तुरंत घाव को साफ पानी व साबुन से धोएं, शीघ्र डॉक्टर से इलाज लें और वैक्सीन का पूरा कोर्स करें। पालतू जानवरों का टीकाकरण कराना न भूलें!

हेपेटाइटिस-सी एक गंभीर वायरल संक्रमण है, जो मुख्य रूप से संक्रमित रक्त के संपर्क में आने से फैलता है। इस बीमारी से यकृत ...
07/07/2025

हेपेटाइटिस-सी एक गंभीर वायरल संक्रमण है, जो मुख्य रूप से संक्रमित रक्त के संपर्क में आने से फैलता है। इस बीमारी से यकृत (लीवर) को गंभीर नुकसान हो सकता है। इससे बचाव के लिए सतर्कता और सावधानी अत्यंत आवश्यक है।

हेपेटाइटिस-सी से बचाव के लिए निम्नलिखित दिशानिर्देशों का पालन करें:

Types of injections
07/07/2025

Types of injections

हींग 45 तरह के रोगों को दूर करती है….।।।।।【१】  हींग का तड़का सब्जी या दाल में लगते ही उसका स्वाद बदल जाता है। हींग वह मसा...
27/06/2025

हींग 45 तरह के रोगों को दूर करती है….।।।।।

【१】 हींग का तड़का सब्जी या दाल में लगते ही उसका स्वाद बदल जाता है। हींग वह मसाला है, जी सभी को क्रियाशील या एक्टिव कर देती है। इसके सेवन से दूषित वायु का पेट से निष्कासन होता रहता है।

【२】 आयुर्वेदिक निघण्टु में उल्लेख है कि-दांतों-मसूढ़ों में दर्द है, तो 20 mg हिंग, लौंग 10 नग, इलायची 5 नग एवं सेंधानमक 2 ग्राम 100 मिलीलीटर पानी में उबालकर आधा रहने पर गुनगुने पानी से गरारे करें।

【३】 सुबह शाम अमृतम डेन्ट की मंजन,,,,
सुबह-शाम दांतों में 3 मिनिट तक लगाकर कुल्ला करें।

【४】 वैद्य विशारद स्वानुभव पुस्तक के एक फार्मूले के अनुसार- 100 mg चोखी हींग को आम मिंगी 20 ग्राम, कपूर 3 ग्राम कूटकर उसे 20 ML पुदीने के रस, 2 ग्राम सेंधानमक, 2 ग्राम कालीमिर्च, 10 ग्राम, 1 ग्राम अजवायन, 1 ग्राम कालादाना गुड़ और नीबू रस के साथ मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर सूखा लेवें।

सुबह एक गोली सादे जल से लेवें और 2 घण्टे तक जल के अलावा कुछ न लेवें।

यह गोली पेट की अनेक समस्या का अंत कर देती है। अफारा, गैस की तकलीफ, हैजा की बीमारी में फायदेमंद है।

【५】हींग का सेवन से रक्त में कोलेस्ट्रॉल व ट्राई ग्लिसराइड को कम होकर ह्र्दयगत रोगों से रक्षा होती है।

【६】हींग में पाया जाने वाला क्यूमेरिन नामक तत्व में खून को पतला करने में गुणकारी है, इससे खून का थक्का नहीं बनता।

【७】पुराने वैद्य गण ह्र्दयगत विकारों में हिंवाष्टक चूर्ण का निरन्तर उपयोग कराते थे, जिससे वायु विर्सजन होता रहता था।

【८】भारत भैषज्य ग्रन्थ के मुताबिक- 10 mg हींग को गुड़ में मिलाकर खाने पर हिचकी आना बंद हो जाती है।

【९】स्वास्थ्य विशेषांक के हिसाब से- पेशाब आने में दिक्कत हो या मधुमेह से अधिक पीड़ित हों तो 100 मिलीग्राम हींग को जीरा, सौंफ के अर्क के साथ मिलाकर सुबह खाली पेट लेने से काफी राहत मिलती है।

【१०】एक गिलास गर्म पानी में हीग मिलाकर पीने से यौन शक्ति में इजाफा होता है। इससे पुरुष और महिला के यौन अंगों में खून का दौरा बढ़ जाता है और यौन सम्बन्ध में रुचि बढ़ जाती है।

【११】कैंसर नाशक हींग–हींग के नियमित उपभोग से कैंसर का खतरा घट जाता है। इसमें पाए जाने वाले ताकतवर एंटीऑक्सीडेंट के कारण फ्री रेडिकल से होने वाले नुकसान से बचाव होता है और इस प्रकार कैंसर होने की संभावना कम होती है।

【१२】कीड़े का काटना–मकड़ी या किसी कीड़े के काटने या डंक मारने पर पके केले के टुकड़े के साथ चुटकी भर हिंग निगलने से दर्द और सूजन में आराम आता है।

【१३】मधुमक्खी डंक मार दे तो हिंग को पानी में घिस पर गाढ़ा पेस्ट बना कर लगाने से आराम मिलता है।

【१४】महर्षि चरक के अनुसार हींग का सब्जी, दाल में नित्य उपयोग दमा के रोगियों के लिए रामबाण औषधि है।

【१५】स्त्री विकारों का असरकारक–महिलाओं के मासिकधर्म की तकलीफों का अंत-तुरन्त… 20 मिलीग्राम शुद्ध हींग भुजंकर, 10 मुनक्के, 5 छोटी हरड़, 5 ग्राम मेथीदाना, 3 ग्राम कस्तूरी मैथी, जीरा, सौंफ, मुलेठी 1-1 ग्राम व काला नमक सबको एक गिलास पानी में मिला कर रात्रि में किसी मिट्टी के पात्र में रात भर गलने दें।

सुबह इसे आधा रहने तक उबाले। एक महीने इस काढ़े को नियमित सुबह खाली पेट पीने से लिकोरिया, सफेद पानी की शिकायत, पीसीओडी जैसा भयंकर रोग भी जड़ से दूर हो जाता है।

【१६】हींग से सेवन से अनेक अज्ञात मासिक धर्म सम्बंधित परेशानियाँ जैसे- माहवारी के समय होने वाला पेटू,पेट दर्द,कमरदर्द एवं अनियमितता आदि में कारगर चिकित्सा है।

【१७】गजब की सुंदरता बढ़ाने के लिए यह घरेलू उपाय कारगर है। इसे 13 साल की बच्ची से 50 वर्ष तक महिलाओं को लेना हितकारी है।

~विशेष-जिन महिलाओं की योनि में ढ़ीलापन आ गया हो, उन्हें 100 mg हींग में 5 ग्राम मेथीदाना, नागकेशर 500 mg और 10 ग्राम मुल्तानी मिट्टी किसी कपड़े में बांधकर रात मको योन्य के अंदर रखें। इससे योनि की बदबू भी मिट जाती है। सुबह कपड़े को फेंक देंवें।

【१८】शुद्ध हींग पानी में 4 से 5 घण्टे तक घोलने पर सफेद हो जाती है।

【१९】माचिस की जलती हुई तीली हींग के पास लाने से चमकदार लौ निकलती है तथा यह पूरी तरह जल जाती है।

【२०】आमतौर पर बाजार में मिलने वाली पिसी या खड़ी, दरदरी हींग में गोंद, चावल का आटा या स्टार्च, मिलाते हैं, ताकि कड़वापन कम हो सके।

【२१】हींग को तेज गरम देशी घी में भुजंकर आयुर्वेदिक दवाओं में उपयोग किया जाता है।

【२२】हींग पाचनतंत्र को ठीक करने में बहुत लाभकारी छोटे बच्चों के पेट फूलने पर या जब पेट में वायु की तकलीफ होती है, तो हींग को पानी में घोल कर पेट पर लेप लगाने से तुरन्त राहत मिलती है।

【२३】कफ-खासी की श्रेष्ठ ओषधि हींग–

छाती में जमा कफ निकालने के लिए हींग के साथ त्रिफला, सेंधानमक, शहद और अदरक का रस मिलाकर जल सहित मंदी आंच में पाककर सुबह खाली पेट लेने से कुकर खाँसी, अस्थमा तथा सूखी खांसी भी ठीक हो जाती है।

【२४】जिद्दी खांसी का रामबाण फार्मूला–

पुरानी से पुरानी जिद्दी खांसी जड़ से मिटाने का एक अवधूत साधु द्वारा बताया गया एक टोटका या उपाय जरूर आजमाएं। तीन दिन करें यह

■~ घरेलू उपाय-पहले मिट्टी का छोटा मटका लेकर उसकी बाहरी साथ पर हींग के पानी का लेप करके सूखा लें।

रात को सोने से एक घण्टे पहले तीन छुहारे कूटकर 200 ग्राम गुठली सहित लेकर दूध में इसी मिट्टी के मटके में अच्छी तरह ओटाएँ। गुनगुना रहने पर केवल दूध पीकर, बचे छुआरे को फ्रिज में रखें।

दूसरी रात इसी छुआरे में दूध डालकर फिर उबाले और दूध अकेला पीकर छुआरे फ्रिज में रख देंवें। तीसरी रात बचे छुआरों में फिर दूध मिलाकर उसी मटके में उबाले तथा छुआरे सहित दूध का सेवन करें।

तीनों दिन दूध पीने के बाद पानी नहीं पियें।

दूध उबालने के बाद मटके को रोज पानी से धोकर-साफ करके उल्टा करके रखें। दूसरे दिन पुनः हींग के पानी से लेप कर, दूध उबालें।

तीनों दिन दूध पीने के बाद पानी नहीं पीना है।

परहेज- रात में दही, अरहर की दाल नहीं खाएं।

【२५】हींग दीपण, पाचन, वातानुलोमक होती है।

【२६】कफ की दुगन्ध दूर करती है।

【२७】सूखे कफ को ढिला कर बाहर निकाल कर फेफड़ों के संक्रमण को मिटा देती है।

【२८】वात नाड़ियों को बलदायक है।

【२९】हींग गर्भाशय संकोचक होती है।

【३०】हींग पेट के सूक्ष्म कृमि, कीड़े का नाशकर खुजली, सफेद दाग, दाद में लाभकारी है।

【३१】हींग मधुमेह जैसे रोगों को पसीने द्वारा निकालकर प्रतिहार करती है।

【३२】हींग को देशी घी में भुजंकर लेने से कभी उल्टी जैसा मन नहीं होता।

【३३】अमाशय (Stomach) आंतों की शिथिलता, कमजोरी, चिकनापन हींग के सेवन से कम होता है। हिंग्वाष्टक चूर्ण बहुत ही लाभकारी है।

【३४】विषमज्वर में प्रतबन्धन कई दृष्टि से अन्न के साथ हींग का व्यवहार किया जाता है।

【३५】महिलाओं को प्रसव के बाद इसके उपयोग से आर्तवशुद्धि होती है।

【३६】बार बार होने वाले गर्भपात को रोकने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता था।

【३७】गर्भ रुकते ही ६ग्राम हींग की ६० गोलियां बनाकर प्रारम्भ में एक गोली दिन में 2 बार देते थे। बाद में हर माह मात्रा बढ़ाते हुए 10 गोली रोज देते थे। और 6 महीने बाद इसकी मात्रा कम करते जाते थे।

【३८】36 गढ़ के नागलोक, फुंकार आदि ग्रामीण नामक स्थान में नारियल के दूध में हींग को बहुत उबालकर सर्पदंश के स्थान पर लगाते हैं।

【३९】किसी विषैले कीड़े के काटने पर ओझा लोग हींग का पानी नाक में टपकाते हैं।

【४०】बिच्छू के काटने पर हींग लगाने से दर्द व जहर कम होता है।

【४१】बच्चों के पेट फूलने पर हींग को पानी में उबालकर पेट में लगाने से आध्मान शूल दूर होता है।

【४२】हींग को अफीम के साथ मिलकर उसे भयंकर दांत या मसूढ़ों पर लगाने से तुरन्त राहत मिलती है। इसे गड्ढे में रखें।

【४३】हींग, सेंधानमक तथा लहसुन तीनों को मिलाकर तेल बनाकर कर्णरोग, बहरापन, कमसुनाई पड़ना आदि दूर होते हैं।

【४४】नाक में फुंसी होने पर हींग के साथ गीला चुना मिलाकर लगाने से फुंसी बेथ जाती है।

【४५】अघोरी की तिजोरी से बालों के लिए चमत्कारी उपाय–

घर में ही बनाएं…हींग हर्बल हेयर क्वाथ….
एक मिट्टी का नया मटका लेकर उस पर 10 दिन तक रोज हींग का अंदर-बाहर लेप लगाकर सुखाएं। यह पात्र शुद्ध हो जाएगा।

■~ इस मिट्टी के पात्र में 10 दिन बाद अमृतम आंवला चूर्ण, अमृतम बहेड़ा चूर्ण, अमृतम त्रिफला चूर्ण, अमृतम भृङ्गराज चूर्ण,सभी एक-एक चम्मच। शिकाकाई, अनंतमूल, निलिनी पत्ती सभी 20-20 ग्राम सबको मिलाकर लगभग 1 लीटर पानी में 12 घण्टे भिगोकर रखें। इसके बाद इसे एक चौथाई रहने तक उबालकर छान लेवें।

■~ छने हुए काढ़े में अलसी के बीज उबालकर उसका रस निकालें। निकले हुए रस में आधा चम्मच नारियल तेल, नीलगिरी तेल, हेम्प ऑयल सभी को मिलाकर अच्छी तरह फेंटकर बालों में लगाकर एक दिन सूखने देंवें। फिर सादे जल या अमृतम हेयर थेरेपी शेम्पू से बाल धोकर हल्की धूप में सुखाएं।

■~ हींग हर्बल क्वाथ के फायदे-
बालों का कोई भी रोग, कीड़ा लग्न, बाल पतले होना, झड़ना-टूटना, रंग फीका पड़ना, रफ होना, जूं, रूसी, खुजली आदि विकार इसके उपयोग से 7 से 10 बार लगाने पर ठीक हो जाते हैं।

कुन्तल केयर हर्बल मॉल्ट का तीन महीने सेवन करें, ताकि पाचनतंत्र की गड़बड़ी से उत्पन्न केशरोग ठीक हो सकें।

आस पराई जो करे, जो होतन ही मर जाये…
दुनिया को हींग देने वाला भारत अभी दूसरे देशों के भरोसे बैठा है। भारत की बहुत सी जनता “हींग खाकर केवल हिंगने के अलावा दूसरी चीजों पर ज्यादा ध्यान नहीं देती। यह दुुःख का भी विषय है।

कभी बादाम केर्लीफोनिया से आयात होता था, अब भारत बहुत आत्म निर्भर हो रहा है। यहां मान्यता है कि बादाम खाने से अक्ल आती है, लेकिन गुरुजन बताते हैं कि- ठोकर, धोखा खाने से भी अक्ल आ जाती है। अच्छी गर्व की बात यह है कि-भारत के बादाम की अनेक देशों में मांग बढ़ रही है।

लोगों को शायद कम पता होगा कि हींग घर या किसी उद्योग में निर्मित नहीं जाती बल्कि यह हींग के वृक्षों से प्राप्त होता है। आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि दुनिया में सर्वाधिक हींग का प्रयोग भारत में सबसे ज्यादा होता है लेकिन उत्पादन न के बराबर…….? हींग भारत में बहुत ही कम मात्रा में पैदा होता है।

किसी जमाने में आगरा शहर हींग के कारोबार में विश्वविख्यात था। आज भी “आगरा में हींग की मंडी” के नाम से पूरा एक बाजार है लेकिन अब व्यापार उतना नहीं होता।

उत्तरप्रदेश के हापुड़-हाथरस की हींग वर्तमान में सबसे सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। हाथरस के लोहट बाजार अकेले में हींग को साफ-शुद्ध, प्रॉसेस करने वाली करीब 65 से अधिक यूनिट स्थापित है। यहां लगभग 1000 करोड़ का कारोबार हिंग से होता है।

हींग के धंधे का बहुत बड़ा बाजार है- देश की राजधानी दिल्ली। यहां खारी बाबड़ी इलाका बहुत बड़ी मंडी बन चुका है।

हींग तेरे नाम अनेक….

हिंदी- हींग, बंगाली- हिंगु।

मराठी- हिंग। तेलगु- इङ्गव, इंगुरा।

ता.- पेरूँगीयम, पेरुग्यम,

कन्नड़- हिंगु।

फारसी- अंगुजह, अंगुजा, अंधुजेह-इलरी।

गुजराती- हिंगड़ो, वधारणी, हिंग वधारणी।

अरबी- हिल तीत्, हिलतीस।

अंग्रेजी में हींग को असेफीटिडा (Asafoetida)

कहते हैं। हिंग लेटिन भाषा में नाम –

फेरूला नार्थेक्स (Ferula foetida Regel) है।

बाजार में बिक्रय होने वाली हिंग के नाम…

चोखी हींग, हीरा हींग, राब हींग, तलाव हींग अच्छी मानी जाती है।

हींग सर्वप्रसिद्ध वस्तु एक मुस्लिम विदेशी पेड़ का निर्यास यानि रस है। हिंग की अनेक जातियां है और विभिन्न स्थानों पर होती हैं।

देश दुनिया में सही हिंग की जानकारी न होने पर 90 फीसदी मिलावटी हिंग बिकती है। शुद्ध हींग की कीमत लगभग 40 से 50000/- रुपये किलो है। अमृतम के सभी उत्पादों में शुद्ध हिंग का ही उपयोग या मिश्रण किया जाता है।

हींग में कई तरह के विटामिन, खनिज जैसे कैल्शियम , फास्फोरस , आयरन , केरोटीन , राइबोफ्लेविन , और नियासिन आदि होते हैं।

हींग में फेरूलिक एसिड नामक फीटो केमिकल की अधिक मात्रा का होना इसके औषधीय गुण का मुख्य कारण होता है।

फेरूलिक एसिड में एंटी कैंसर , एंटी इंफ्लेमटरी , एंटी ट्यूमर , एंटी वायरल , एंटी बेक्टिरियल , एंटी स्पास्मोडिक , तथा एंटीऑक्सीडेंट गुण समाहित रहते है।

प्रत्येक वृक्ष से ३०० से ५०० ग्राम हींग मिल सकती है। देशी हींग की अपेक्षा काबुली हींग सर्वश्रेष्ठ होती है।

हींग के दो प्रकार हैं- एक हींग काबूली सुफाइद (दुधिया सफेद हींग) और दूसरी हींग लाल। हींग का तीखा व कटु स्वाद है और उसमें सल्फर की मौजूदगी के कारण एक अरुचिकर तीक्ष्ण गन्ध निकलता है।

मिलावटी हींग–

हींग में कंकड़, बालू, मिट्टी, मूल के टुकड़े, गोदन्ती, बबूल गोंद, आटा आदि मिलाया जाता है। कभी-कभा जिन के कपड़े को वार्निश लगाकर डली बनाकर बेचते हैं।

हींग के वृक्ष से दूधिया रंग रबड़ की तरह जैसा पदार्थ निकलता है, जिसे धूप में सुखाने के बाद जो गोंद बन जाता है यही हींग है।

बंधानी हींग (Compounded Asafoetida) शुद्ध हींग न होकर निम्नलिखित घटको का मिश्रण होती है:

हींग 30%, मैदा, चावल का आटा, अरबी गोंद।

शुद्ध हींग बहुत तीक्ष्ण होता हे अतः इसे गेहूं के आटे मे मिलाकर तैयार करते हे।

हींग का महत्व व मसाले की कुछ विचित्र बातें…

जिस प्रकार रिश्तों में धर्मपत्नी के भाई अर्थात साले का योगदान होता है, वैसे ही मसाले में हींग का है। बस, हिंग का महत्व थोड़ा कम है और साले का दम से है। हींग गुम पेट में तहलका मचा देता है और साला कभी-कभा खुशी में गम ला देता है। कई बार दुःख में साथ भी निभाता है।

बुजुर्ग लोग कहते थे- हींग रखने वाला, …आला गन्ध से महकता बहुत है और दीवाल खराब कर देता है। सालों के लिए यह कहावत सबने सुनी ही होगी कि-

दीवार बिगाड़ी आलों ने, घर बिगाड़ा सालों ने।

इसका मतलब या अर्थ वही बता पायेगा, जिसने अनुभव लिया होगा।

हजारों वर्ष पूर्व भारत में सर्वाधिक हींग उत्पादक देश था, लेकिन लुटेरे सिकन्दर ने भारत में बहुत तबाही मचाकर अनेक संस्कृतियों को जड़ मूल से नष्ट कर दिया था।

इन हींग पौधों को जड़मूल से नष्ट कर बहुत से पौधे अपने साथ ले गया था। अधिकांश मुस्लिम लुटेरों को भारत के इतिहास में महान बताया, पढ़ाया जाता है जबकि उसने भारत को जमकर लुटा। उत्पात मचाया। बलात्कार किये। मन्दिर तोड़े और जाने कितना अनिष्ट किया। फिर कहते हैं सिकन्दर महान था।

हींग मुख्यत: काबुल, हिरात, खुरासान, फारस एवं अफगानिस्तान और ईरान में पैदा होता हैं। इस पेड़ से एक भयंकर गन्ध युक्त गाढा दूध निकलता है, जो रबड़ की तरह खिंचता से महसूस होता है। हींग के बारे में एक रोचक तथ्य यह भी है कि हींग की तीक्ष्ण गंध के कारण इसे शैतान की लीद (डेविल्स डुंग/Devil’s Dung) भी कहा जाता है।

हींग के पौधे 2 से 3 सेंटीमीटर तक ऊंचा होता है। पत्ते अनेक भागों में विभक्त, अजमोद या अजवायन के पत्तों के समान कटे किनारे वाले तथा 30 से 60 सेंटीमीटर लम्बे होते हैं। इन पौधों से निकला दूध इसे रेज़ीन कहते हैं।

हींग एक बारहमासी शाक है। इस पौधे के विभिन्न वर्गों के भूमिगत प्रकन्दों व ऊपरी जडों से रिसनेवाले शुष्क वानस्पतिक दूध को हींग के रूप में प्रयोग किया जाता है। #@
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सर्पदंश के खतरे से बचने के लिए सतर्कता और सावधानी अपनाएं। अंधेरे में टॉर्च का प्रयोग करें, खुले में शौच न करें, और नंगे ...
18/06/2025

सर्पदंश के खतरे से बचने के लिए सतर्कता और सावधानी अपनाएं। अंधेरे में टॉर्च का प्रयोग करें, खुले में शौच न करें, और नंगे पैर खेतों में जाने से बचें। अपनी और अपनों की सुरक्षा सुनिश्चित करें!

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