12/03/2025
फाइनल 09/03/2025
भारत vs न्यूजीलैंड
चैंपियंस ऑफ चैंपियन ट्रॉफी
टॉस में लगातार पांचवीं हार और मैच में लगातार पांचवीं जीत, भाई मजा आ गया। जो सोचा था वही हुआ, रोहित शर्मा को टॉस से पहले वह सिक्का जरूर चेक कर लेना चाहिए, कही ये शोले वाला सिक्का तो नहीं।
फाइनल में कप्तान ने अपना जलवा दिखाया।, 20 ओवर तक मैच एकतरफा लग रहा था, लेकिन अगले 30 ओवर न्यूजीलैंड ने फाइटिंग स्पिरिट दिखाई, और रोमांच को कायम रखा, ग्लैन फिलिप्स ने इस सीरीज में जो कैचेज लपके उनका जवाब नहीं, सब के सब कमाल थे। राचीन रविंद्र, केन विलियमसन सेंटनर सबने पूरा जोर लगाया, सच बताए तो न्यूजीलैंड एक जेंटलमैन टीम है, इनको हराने में वह मजा नहीं आता जो पाकिस्तान, बांग्लादेश, ऑस्ट्रेलिया या इंग्लैंड को हराने में आता है, उल्टा अफसोस वाली फीलिंग आती है। मगर हराना आवश्यक था।
पूरी श्रृंखला में हर मैच में हमारे किसी एक खिलाड़ी ने मैच को आगे ले जानी की जिम्मेदारी ली, फिर वो टॉप ऑर्डर हो, मिडिल ऑर्डर हो, या फिर बोलिंग अटैक, सब एकदम झकास।
रोहित शर्मा को ओवरवेट के लिए ट्रोल करनेवालों को कहना चाहता हूं कि अल्टीमेटली रिजल्ट मैटर करता है, यह वो कप्तान है जिसने ICC की सभी फॉर्मेट का टाइटल जीता है, भारत में भी और भारत के बाहर भी, और कुछ कप्तान है जो भारत में जीरो का रिकॉर्ड बना रहे है।
कुछ महानुभाव यह कह रहे है कि भारत को एक ही वेन्यू में खेलने का फायदा मिला है, भाईसाहब 2009 चैंपियंस ट्रॉफी साउथ अफ्रीका ने होस्ट किया था, अपने सभी मैचेस सेंचुरियन में खेले थे, फिर भी फाइनल में क्वालीफाई नहीं कर पाए। और आपके मैच आपके होम ग्राउंड में हुए वहां आपको फायदा क्यों नहीं हुआ, कोई समझाएगा ?
एक समय था जब क्रिकेट जगत में वेस्ट इंडीज की दहशत थी, फिर हमने ऑस्ट्रेलिया की दादागिरी देखी, लेकिन आज हमारा दौर है, इंडियन क्रिकेट दुनिया पर हावी है। एक वो समय था जब सचिन के आउट होते ही कई टीवी बंद हो जाते थे। लेकिन आज हमारे पास कई मैच विनर्स है। आज अगर भारतीय टीम एक तरफ और रेस्ट ऑफ द वर्ल्ड एक तरफ हो जाए तो भी भारत का पलड़ा भारी होगा, क्यों कि यह टीम लड़ना जानती है, जितना जानती है, हार नहीं मानती है।
हमारे तारा सिंह ने पहले तो सकीना भाभी फिर अपनी बहू को भी पाकिस्तान से भारत ले आया, फिर सचिन सीमा को वाया नेपाल भारत ले आया। और अब रोहित चैंपियंस ट्रॉफी को पाकिस्तान से वाया दुबई भारत ले आए है।
चैंपियंस ट्रॉफी पाकिस्तान ने होस्ट की भारत ने ट्रॉफी जीती लेकिन फाइनल प्रजेंटेशन सेरेमनी में विनर्स को बधाई देने पाकिस्तानी बोर्ड मेंबर्स ही गायब थे, यह तो वैसे ही है, जैसे बेटी की शादी में कन्यादान के समय वधू पिता ही गायब हो।
क्या यही खेल भावना है, अगर भारत हार जाता तो क्या आते ? उत्तर है हां। क्या यह खुन्नस नहीं है।, अगर यह खुन्नस है, तो पाकिस्तान में न खेलने का हमारा निर्णय बिलकुल सही था।
भाई दुनिया सब देख रही है, आपके दोहरे मापदंड और दोगलेपन को समझ भी रही है। फिर आप यह क्यों भूल जाते हो कि आपके दादा परदादा भारतीय ही कहलाते थे। रमजान के पाक महीने में तो बड़ा दिल दिखाते भाईजान।
अपने हमारा झंडा अपने अपने देश के स्टेडियम में नहीं लहराया, कोई बात नहीं, वोही झंडा हमने सभी देशों को हराकर लहरा दिया। हमारा स्टाइल अलग है रे।
हम चाहेंगे कि ऐसी मानसिकता वालों को ऊपरवाला सदबुद्धी प्रदान करे।