28/06/2025
लगभग 50% आबादी में पाए जाने वाला बवासीर नामक यह रोग बहुत ही कष्टसाध्य है l
बवासीर के लक्षण :-
1) गुदा में खुजली, लाली या सूजन ।
2) गुदा में कैंची काटने जैसी वेदना अर्थात दर्द का अनुभव होना ।
3) गुदा में गांठ का अनुभव होना ।
4) बैठने पर गुदा पर दवाब पढ़ना तथा दर्द होना ।
5) शौच के वक्त रक्त निकालना ।
6) हर समय मल त्याग की अनुभूति रहना।
7) गुदा मार्ग से संक्रमित तरल अर्थात पस निकलना ।
बवासीर के प्रकार :-
बवासीर दो प्रकार की होती है
1 खूनी बवासीर :-
जिसमें मल त्याग के बाद गाढ़ा रक्त गुदा मार्ग से गिरता है ।
2 वादी बवासीर :-
इसमें मांस के छोटे-छोटे मस्से अंगूरों की तरह गुदा मार्ग से बाहर निकल आते हैं ।
इसकी चिकित्सा में निम्नलिखित बिंदु सहायक हो सकते हैं :-
1) कब्ज न रहने दे इसके लिए सुबह त्रिफला चूर्ण आधा चम्मच गुनगुने पानी में लें या फिर एक बड़ा चम्मच गुलकंद खाएं ।
2) रात्रि में सोते समय 10 ml से 15 ml एरंड तेल दूध के साथ लें ।
3) भोजन से पहले छोटी हरड़ का चूर्ण 6 ग्राम, 10 ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर खाएं ।
4) लवण भास्कर चूर्ण 2 ग्राम सुबह 2 ग्राम शाम को मट्ठे के साथ लें ।
यह सभी उपाय अपनी प्रकृति (वात -पित्त- कफ) को भलीभांति जानकर करें ।
अगर फिर भी रोग ठीक नहीं हो रहा तो हमसे संपर्क करें
*******************************************"
सभी रोगों की आयुर्वेद पद्धति से चिकित्सा के लिए केवल Whatsapp करें
9416167815 पर
(9AM) TO (6PM)