Geeta Eye Hospital

Geeta Eye Hospital An ophthalmology superspeciality hospital providing quality treatment for all kind of eye diseases. Serving in this field since 1948.

We have a team of experienced surgeons and all latest equipments.

19/04/2021
वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् पूर्णब्रह्म भगवान श्रीकृष्ण के पावन भू-अवतरण महाप...
24/08/2019

वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्
देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्
पूर्णब्रह्म भगवान श्रीकृष्ण के पावन भू-अवतरण महापर्व जन्माष्टमी के सर्व सुखद दिवस पर मंगल कामनाओं के साथ हार्दिक बधाई व शुभकामनाएँ।

GEETA NETRA CHIKITSALAYA मे  मरीज अब आयुष्मान भारत योजना से लाभान्वित हो रहे है । 'आयुष्मान भारत योजना' भारत सरकार की ओर...
30/07/2019

GEETA NETRA CHIKITSALAYA मे मरीज अब आयुष्मान भारत योजना से लाभान्वित हो रहे है । 'आयुष्मान भारत योजना' भारत सरकार की ओर से शुरू की गई स्वास्थ्य बीमा योजना ( हेल्‍थ इंश्‍योरेंस प्रोग्राम) है। इस योजना के लाभार्थी का अस्पताल में दाखिल होने से लेकर इलाज तक का सारा खर्च इसमें कवर किया जाता है। अस्पताल में एक आयुष्मान मित्र और हेल्प डेस्क भी है जो मरीज को अस्पताल की सुविधाएं दिलाने में मदद करता है। आयुष्मान भारत योजना में अगर आपकी पात्रता साबित हो जाती है तो इसमें जुड़ने के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करवाकर आयुष्मान भारत गोल्डन कार्ड बनबाना होता है। यह कार्ड GEETA NETRA CHIKITSALAYA मे बनबा सकते है।

आजकल न सिर्फ बच्चे और युवा बल्कि बुजुर्ग लोग भी हर वक्त फोन से चिपके रहते हैं। स्मार्टफोन के जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल से...
16/07/2019

आजकल न सिर्फ बच्चे और युवा बल्कि बुजुर्ग लोग भी हर वक्त फोन से चिपके रहते हैं। स्मार्टफोन के जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल से आंखों में सूखापन,जलन या पानी निकलना जैसी समस्या होती है। पहले तो ये समस्या बड़े लोगों में ज्यादा देखी जाती थी, लेकिन अब युवा पीढ़ी भी इसमें शामिल है। स्मार्ट फोन से निकलने वाली ब्लू लाइट यूवी लाइट की तरह होती है। एक शोध से पता चलता है कि आंखों में मौजूद सेल्स को इससे नुकसान पहुंचता है। देर रात तक फोन यूज़ करने से नींद ख़राब होती है, इससे आंखों के नीचे डार्क सर्कल, पफनेस आदि होने के साथ आईसाइट पर भी बुरा असर होता है। रात में जब आप अपना फोन यूज़ करते हैं, तो उससे निकलनेवाली लाइट सीधे रेटिना पर असर करती है । इससे आपकी आंखें देखने की क्षमता धीरे-धीरे घटने लगती है। ख़ुद ही एक लिमिट तय करें, रात में एक समय के बाद फोन यूज़ न करें। अपने फोन का इस्तेमाल करते वक्त आंखों से दूरी बनाए रखें, इससे आंखें सुरक्षित रहेगी। जब भी फोन इस्तेमाल करें, तब हर 20 मिनट के बाद 20 सेकंड का ब्रेक लें। समय-समय पर आप आंखों को झपकाते रहें। इससे आंखों में नमी बनी रहती हैं और दर्द भी नहीं होता है। मोबाइल फोन की ब्राइट्नेस ज्यादा या बहुत कम भी नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा फॉंट साइज मीडियम हो, तो ज्यादा बेहतर है। वैसे तो स्मार्टफोन आंखों के लिये नुकसानदायक है, लेकिन आप इन आसान चीज़ों को लागू करके अपनी आंखों के नुकसान को कम कर सकते हैं।

आंख के ग्लोब के ऊपर एक महीन झिल्ली चढ़ी होती है जिसे कंजंक्टिवा कहते है। कंजंक्टिवा में बैक्टीरिया के इंफेक्शन  से सूजन ...
11/07/2019

आंख के ग्लोब के ऊपर एक महीन झिल्ली चढ़ी होती है जिसे कंजंक्टिवा कहते है। कंजंक्टिवा में बैक्टीरिया के इंफेक्शन से सूजन आ जाती है जिसे कंजंक्टिवाइटिस या आंख आना भी कहा जाता है। इसमें आँख गुलाबी या लाल दिखाई देती है। आँख में ज़्यादा आंसू आना, दर्द, जलन, खुरदरापन या खुजली भी हो सकती है। प्रभावित आँख सुबह के समय चिपकी मिलती है और कीचड़ आने लगता है। कंजक्ट‍िवाइटिस एक संक्रामक बीमारी है यानी यह एक व्यक्त‍ि से दूसरे व्यक्त‍ि को हो सकती है। किसी व्यक्त‍ि को यदि कंजक्ट‍िवाइटिस हो गई है तो प्रभावित मरीज से हाथ नही मिलाये, उसका रुमाल, तौलिया, दरवाजे का हैंडल, फोन इस्तेमाल न करें। बरसात के मौसम में स्विमिंग पूल में नहीं जाना चाहिए वरना इंफेक्शन एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने का खतरा रहता है। कंजंक्टिवाइटिस होने पर मरीज को अपनी आंख दिन में तीन-चार बार साफ पानी से धोनी चाहिये। डॉक्टर को दिखलायें ताकि आपका यह नेत्र रोग आपके घरवालों में या आपके संपर्क में आने वाले लोगों में न फैले। सिर्फ डॉक्टर की सलाह से ही आई-ड्रॉप्स डालें। संक्रमण की गंभीरता के आधार पर उपचार आमतौर पर एक से दो सप्ताह तक होता है।

बारिश के मौसम में अक्सर आंखों में फुंसी या गुहेरी हो जाती है।आंखों की दोनों पलकों के किनारों पर बालों (बरौनियों) की जड़ो...
09/07/2019

बारिश के मौसम में अक्सर आंखों में फुंसी या गुहेरी हो जाती है।आंखों की दोनों पलकों के किनारों पर बालों (बरौनियों) की जड़ों में जो छोटी-छोटी फुंसियां निकलती हैं, उसे अंजनहारी या गुहेरी (Stye स्टाई) कहा जाता है। गुहेरी पलकों के बालों मे छोटी सी तेल स्रावक ग्रन्थियो में इंफेक्‍शन के कारण फैलता है। गुहेरी में दर्द, खुजली, जलन व सूजन होती है जो बाद में मवाद भरे दानों का रूप ले लेती है। यहां तक कि पलक झपकाना मुश्किल हो जाता है और तेज रोशनी से दिक्‍कत होने लगती है। इस रोग में साफ सफाई का बहुत ध्यान रखना चाहिए। गंदे हाथों से आंखों को न छूएं। अपने सनग्लासेस व चश्मे को नियमित रूप से साफ करें । किसी भी ऐसे कॉस्मेटिक प्रोडक्‍ट का इस्‍तेमाल ना करें जो बहुत पुराने हो चुके हो।काजल और आईलाइनर जैसी चीजों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। अगर किसी को गुहेरी की समस्या है, उसके साथ तौलिया आदि शेयर नहीं करना चाहिए। गुहेरी के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें।

मानसून में आंखों का खास ख्‍याल रखने की जरूरत होती है. दरअसल इस मौसम में आंखों से संबंधित इन्‍फेक्‍शन होने का खतरा कई गुन...
08/07/2019

मानसून में आंखों का खास ख्‍याल रखने की जरूरत होती है. दरअसल इस मौसम में आंखों से संबंधित इन्‍फेक्‍शन होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.आमतौर पर बारिश के मौसम के दौरान होने वाले सबसे आम संक्रमण हैं 'कंजक्टिवाइटिस' या आई फ्लू, स्टाई और कॉर्नियल अल्सर. इन्‍फेक्‍शन से बचने के लिये बारिश के पानी में भीगने से बचें, दूसरे के किए हुए तौलिया का इस्तेमाल न करें, आंखों को हाथ से न रगडें, बार बार हाथ धोएं, हाथ मिलाने के बाद आंख से न लगाएं, साफ पानी से आंखें धोएं।

स्कूल जाने वाले उम्र के बच्चों में दृष्टि समस्याएं आम हैं । स्कूली उम्र के बच्चों में दृष्टि संबंधी समस्याओं का सबसे आम ...
28/05/2019

स्कूल जाने वाले उम्र के बच्चों में दृष्टि समस्याएं आम हैं । स्कूली उम्र के बच्चों में दृष्टि संबंधी समस्याओं का सबसे आम कारण रेफ्रेक्टिव एर्रोर्स हैं । यदि आपका बच्चा इनमें से किसी भी लक्षण को प्रदर्शित करता है, तो नेत्र चिकित्सक के साथ अपॉइंटमेंट शेड्यूल फिक्स करें - लगातार टीवी के बहुत करीब बैठना या किसी किताब को बहुत पास रखना , आँख में अत्यधिक पानी आना, बार-बार आँख रगड़ना, सिरदर्द या आँखों की थकावट की शिकायत करना, बेहतर देखने के लिए आँखों को तिरछा करना या सिर को झुकाना। नेत्र चिकित्सक द्वारा जांच से पता चल सकता है कि आपके बच्चे को मायोपिया(निकटदर्शिता), हाइपरोपिया (दूरदर्शिता) या एस्टिग्मैटिज्म (दृष्टिवैषम्य) तो नहीं है । अगर हाँ तो इन सामान्य अपवर्तक त्रुटियों को बच्चों के चश्मे (आईग्लासेज) या कॉन्टैक्ट लेंस के साथ आसानी से ठीक किया जाता है ।
अगर कोई दृश्य समस्या नहीं है तो स्कूली बच्चों को हर दो साल में एक आँखों की परीक्षा की आवश्यकता होती है । लेकिन अगर आपके बच्चे को चश्मे की आवश्यकता है, तो हर एक वर्ष में दिखने हेतु समय निर्धारित करें ।

Allergic conjunctivitis: हमारी पलकों और आंखों के आवरण के अंदर एक झिल्ली होती है जिसे कंजेंटिवा (conjunctiva) कहा जाता है...
15/05/2019

Allergic conjunctivitis: हमारी पलकों और आंखों के आवरण के अंदर एक झिल्ली होती है जिसे कंजेंटिवा (conjunctiva) कहा जाता है। कंजेंटिवा में एलर्जी के कारण सूजन आ जाती है जिसे एलर्जीक कंजंक्टिवाइटिस कहा जाता है। जिन लोगों को अस्थमा, जुकाम, बुखार होता है उन्हें कंजंक्टिवाइटिस होने का खतरा ज्यादा रहता है। एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस का सबसे प्रमुख लक्षण आँखों में खुजली होना तथा बाद में आँखों के अंदर के सफ़ेद भाग का लाल हो जाना है जिसले कारण आँखों में आंसू आते रहते हैं। जब स्थिति खराब हो जाती है तब कुछ लोगों की आँखों से मवाद निकलता है तथा पलकों में सूजन भी आ जाती है।एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस की अच्छी बात यह है कि यह मनुष्यों की दृष्टि को प्रभावित नहीं करता। समय पर सही उपचार करने से यह पूरी तरह ठीक हो जाता है।

21/04/2019

सर्जरी ही मोतियाबिंद के इलाज का एकमात्र तरीका है। जैसे ही मोतियाबिंद आपकी रोजमर्रा की ज़िन्दगी में व्यवधान डाले वैसे ही सर्जरी करवा लें, मोतिया के पकने का इंतज़ार न करें। जितना आप इंतज़ार करेंगें उसी अनुपात में सर्जरी भी पेचीदा हो जाएगी। सर्जरी के दौरान सर्जन आंख की पुतली के पीछे मौजूद धुंधले पड़ चुके प्राकृतिक लेंस को हटा देते हैं और उसकी जगह नया आर्टिफिशियल लेंस लगा देते हैं। आजकल कैटरैक्‍ट के ऑपरेशन के लिए फैको सर्जरी का प्रयोग सबसे अधिक हो रहा है। इसमें खून नहीं निकलता, टांके नहीं आते और दर्द भी नहीं होता। साथ ही अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है।

मोतियाबिंद आंखों का आम रोग है। इसमें आंखों का लेंस धुंधला हो जाता है जिससे देखने में कठिनाई मसूस होती है।  इस समस्या का ...
20/04/2019

मोतियाबिंद आंखों का आम रोग है। इसमें आंखों का लेंस धुंधला हो जाता है जिससे देखने में कठिनाई मसूस होती है। इस समस्या का कारण उम्र के बढ़ने के अलावा किसी प्रकार का ट्रॉमा या फिर मैटाबॉलिक डिसऑर्डर जैसे डायबटीज, हायपोथायरॉइड भी हो सकता है| कैटरैक्‍ट होने पर धुंधला दिखाई देने लगता है, रंगों को पहचानने में परेशानी होती है, साफ दिखाई नहीं देता। तेज रोशनी या सूरज की रोशनी के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है।चश्मे के नंबर में बार-बार बदलाव होता है। अगर आपको इनमें से एक भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत नेत्र चिकित्‍सक से मिलें।

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