Laxmi jyotish karyalay

Laxmi jyotish karyalay the all peoples know to ours feature

शेड्यूल
23/06/2025

शेड्यूल

31/10/2024

*दीपावली निर्णय सूत्र संवत -२०८१

दीपावली कार्तिक कृष्ण पक्ष प्रदोष व्यापिनी अमावस्या को मनाई जाती है इस वर्ष संवत २०८१ की कार्तिक अमावस्या 31 अक्टूबर 2024 गुरुवार को दिवा 3:54 से प्रारंभ होकर अगले दिन 1 नवंबर 2024 को शुक्रवार 6:17 पर समाप्त हो जाएगी। इस स्थिति में अमावस्या तिथि 2 दिन प्रदोष काल ( सूर्यास्त के बाद लगभग 1:44 घंटा का समय में ) व्याप्त है । धर्मशास्त्र का स्पष्ट निर्देश है -यदि दो दिन अमावस्या प्रदोष व्यापिनी हो तो दूसरे दिन काली अमावस्या में ही दीपावली का पर्व मनाया जाना शास्त्र सम्मत है इस तर्क के पीछे पितृ कार्य भी है, पित्र देव पूजन करने के बाद ही लक्ष्मी पूजन का करना उचित है, पित्र देव पूजन के तात्पर्य है प्रातः काल में अभ्यंग, स्नान, देव पूजन और अपरान्ह में पार्वण कर्म, यदि दीपावली एक दिन पूर्व मनाई जाए तो यह सभी कर्म लक्ष्मी पूजन के बाद होंगे जो कि विपरीत दिशा निर्देश है अपितु यह शास्त्रोक्त नहीं रहेगा अतः दूसरे दिन ही दीपावली का पर्व शास्त्र नियम के अधीन उचित रहेगा।
निर्णय सिंधु प्रथम परिच्छेद के पृष्ठ संख्या 26 पर निर्देश है कि जब तिथि 2 दिन कर्मकाल में विद्यमान हो तो निर्णय युग्मानुसार करें। इस हेतु अमावस्या प्रतिपदा का युग्म शुभ माना गया है अर्थात अमावस्या को प्रतिपदा युक्त ग्रहण करना महाफलदायी होता है और लिखा है कि उल्टा होय (अर्थात पहले दिन चतुर्दशी युता अमावस्या ग्रहण की जावे) तो महादोष है और पूर्ण किए पुण्य को नष्ट करता है दीपावली निर्णय प्रकाश में धर्म सिंधु में लेख हैं कि "यत्र सूर्योदयम व्याप्यस्त्रोतरम घटिकादिक रात्रि व्यापिनी दर्शे न संदेह:' अर्थात या सूर्योदय में व्याप्त होकर अस्तकाल के उपरांत एक घटिका से अधिक व्यापी अमावस्या होवे तब संदेह नहीं है, तदनुसार 1 नवंबर को दूसरे दिन सूर्योदय में व्याप्त होकर सूर्यास्त के बाद प्रदोष में एक घटी से अधिक विद्यमान है निर्णय संधू के द्वितीय परिच्छेद के पृष्ठ संख्या 300 पर लेख हैं कि " दांडिक रजनी योगे दर्श: स्यातु परेहावी। तदा विहाये पूर्वे दयु: परेहानी सुखखरात्रिका:' यथार्थ यदि अमावस्या दोनों दिन प्रदूषण व्यापिनी हो गए तो अगली करना कारण की तिथि तत्व में ज्योतिषी का कथन है कि एक घड़ी रात्रि का योग हुए तो अमावस्या दूसरे दिन होती है तब प्रथम दिन छोड़कर अगले दिन सुखरात्रि होती है तिथि निर्णय का कथन उल्लेखनीय है कि "इयं प्रदोष व्यापामी सहस्त्रा, दिन द्वये सत्वाहस्तवे परा' अर्थात यदि अमावस्या दोनों दिन प्रदोष को स्पष्ट न करें तो दूसरे दिन ही लक्ष्मी पूजन करना चाहिए इसमें यह अर्थ है की अंतर्निहित है की अमावस्या दोनों दिन प्रदोष को स्पर्श करें तो लक्ष्मी पूजन दूसरे दिन ही करना चाहिए व्रत एवं विवेक में दीपावली के संबंध में अंत में निर्णय प्रतिपादित करते हुए लिखा है की अमावस्या के दो दिन प्रदोष काल में व्याप्त/ अव्यक्त होने पर दूसरे दिन लक्ष्मी पूजन होगा। इस प्रकार उपरोक्त प्रमुख ग्रन्थों का सार यह है कि यदि अमावस्या दूसरे दिन प्रदोष काल में एक घटी से अधिक व्याप्त है तो प्रथम दिन प्रदोष में संपूर्ण व्यक्ति को छोड़कर दूसरे दिन प्रदोष काल में श्री महालक्ष्मी पूजन करना चाहिए, किंतु कहीं भी ऐसा लेख नहीं मिलता है कि दो दिन प्रदोष में व्याप्ति है तो अधिक व्यति वाले प्रथम दिन लक्ष्मी पूजन किया जाए प्रतिपदा यूता अमावस्या ग्रहण किए जाने का युग्म का जो निर्देश है, उसके अनुसार भी प्रदोष का स्पर्श मात्र ही पर्याप्त हैं यदि एक घटी से कम व्याप्ति होने के कारण प्रथम दिन ग्रहण किया जाता है तो यह युग व्यवस्था का उल्लंघन होकर महादोष होगा। उपरोक्त सभी शास्त्रोक्त आधार बिंदु का विचार करते हुए यह निर्णय लिया जाना शास्त्र का समझ है कि 1 नवंबर 2024 को श्री महालक्ष्मी पूजन ( दीपोत्सव पर्व ) उचित होगा इस दिन सूर्योदय से सूर्यास्त उपरांत विद्यमान होने से अमावस्या सकल्या पादिता तिथि होगी जो संपूर्ण रात्रि और अगले सूर्योदय तक विद्यमान मानी जाकर संपूर्ण प्रदोष काल वृषभ लग्न व निशीथ में सिंह लग्न में लक्ष्मी पूजन के लिए प्रशरत होगी दृश्य गणित से निर्मित होने वाले सभी पंचांगों में 1 नवंबर 2024 को ही लक्ष्मी पूजन का निर्णय शास्त्र सम्मत है ।

◆  श्री महालक्ष्मी पूजा-अर्चना मुहूर्त  ◆सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्ति मुक्ति प्रदायनी ।मंत्रपुते सदा देवि महालक्ष्मी नम...
29/10/2024

◆ श्री महालक्ष्मी पूजा-अर्चना मुहूर्त ◆
सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्ति मुक्ति प्रदायनी ।
मंत्रपुते सदा देवि महालक्ष्मी नमोस्तुते।।
◆ बहीखाता निर्माण एवं आनयन मुहूर्त ◆
१, स्वस्ति शुभ संवत २०८१,कार्तिक कृष्ण पक्ष १३ बुधवार ता. ३०-१०-२०२४ बुध हस्त नक्षत्र समय:- दिवा ८:५१ से ९९:१६ वेला शुभ मुहूर्त हैं।
★ धनत्रयोदशी श्री कुबेर पूजा★
स्वस्ति शुभ संवत २०८१ कार्तिक कृष्ण पक्ष १२ मंगलवार ता. २९-१०-२०२४ को सायं प्रदोष वेला यमदीपदान एवं श्री पूजन ५:५७ से ८:१८ पर्यत।
● श्री महालक्ष्मी पूजा-दीपोत्सव ●
स्वस्ति शुभ संवत २०८१ कार्तिक कृष्ण ३० शुक्रवार तिथि मानक रचना अनुसार तारीख ०१-११-२०२४ दिवस वेला प्रालेपन गादी स्थापना- स्याही भरना, कलम दवात संवारने हेतु प्रातः स्टैंडर्ड रेलवे घड़ी समयानुसार प्रातः ६:५१ से ८:१४ तक चंचल वेला समगतिक मान्य, , प्रात: ८:१४ से १०:५९ तक लाभ+अमृत वेला, दिवा ११:५९ से १२:४४ तक अभिजित वेला, दिवा १२:२२ से १:४४ तक शुभ वेला समगतिक मान्य, दिवा ४:२९ से ५:५२ तक चंचल वेला, सांय ५:५२ से ८:१६ तक प्रदोष वेला, सायं ५:५८ से ७:३४ तक वेला समगतिक मान्य, रात्रि ०९:०७ से १०:४४ तक लाभवेला समगतिक मान्य तथा शेष रात्रि १२:२४ से ३:३६ तक शुभ-अमृत वेला शुभ है समय मानक ७:१४ से ९:११ रात्रि पर्यत तथा अर्द्ध रात्रि स्थिर संज्ञक सिंह लग्न वेला मध्य रात्रि ३:३६ से ५:१४ पर्यत एवं इस सिंह लग्न में कनकधारा स्तोत्र का पठन-पाठ विशेष श्रीकारक सिद्ध होता है, प्रकारन्तर से पूजन समय परिहार समाधान सूचक वृश्चिक स्थिर लग्न प्रातः ८:३४ से १०:४४ तक स्थिर संज्ञक कुंभ स्थिर लग्न दिया २:०५ से
३:३५ पर्यत की समय मान्यता भी सामान्य पक्ष अनुसार व्यवहारजनक है।
■ श्री रोकड़ मिलान लेखन मुहूर्त ■
श्री नवकार्य शुभारंभ हेतु कार्तिक शुक्ल १ शनिवार प्रतिपदा तिथि मानक एवं तारीख ०२-११-२०२४ प्रातः ८:१४ से ९:३६ तक शुभ वेला श्रीकार।

ज्योतिषाचार्य
खेतेश्वर भारद्वाज
लक्ष्मी ज्योतिष कार्यालय, अर्जियाना
9460278930

14/02/2024

बसंत पंचमी पर विद्यालय में विद्यारम्भ संस्कार के लिए हवन करके 11 छोटे बटुकों का विद्यारम्भ संस्कार सम्पन्न करवाया गया।

★ श्री महालक्ष्मी पूजा -अर्चना मुहूर्त ★     सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्ति मुक्ति प्रदायनी। मंत्रपूत सदा देवि महालक्ष्मी...
10/11/2023

★ श्री महालक्ष्मी पूजा -अर्चना मुहूर्त ★
सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्ति मुक्ति प्रदायनी। मंत्रपूत सदा देवि महालक्ष्मी नमोस्तु ते।। नमस्ते तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते। शंख चक्र गदा हस्ते महालक्ष्मी नमोस्तु ते।।
■ धन त्रयोदशी श्री कुबेर पूजा ■

स्वस्ति शुभ संवत 2080 कार्तिक कृष्ण पक्ष द्वादशी शुक्रवार तिथि मानक रचना अनुसार तारीख 10 नवंबर 2023 सांय प्रदोष वेला यमदीप दानम एवं श्री पूजन सांय 05:46 से 08:25 पर्यन्त।

*श्री महालक्ष्मी पूजा- दीपोत्सव*

स्वस्ति शुभ संवत 2080 कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी रविवार तिथि मानक रचना अनुसार तारीख 12 नवंबर 2023 ई दिवस मेल पर प्रलोपन गति स्थापता स्याही भरना, कलम दवात संवारने हेतु शुभ चौघड़िया काल समय अनुसार प्रात 8:19 से 9:40 तक चंचल बेला सम गणित गतिक मान्य, प्रातः 9:40 से 12:22 तक लाभ अमृत वेला दिवा 12 बजे से 12:44 तक अभिजीत बेला दिवा 1:43 से 3:04 तक शुभ वेला साइन 5:46 से 8:25 तक प्रदोष वेला, शाम 5:46 से 9:05 तक शुभ अमृत वेला रात्रि 9:04 से 10:43 तक चंचल बेला सम गतिक मान्य रात्रि 2:01 से 3:40 तक लाभ बेला तथा स्थिर संज्ञक शुभ लग्न समय अनुसार वृश्चिक लग्न प्राप्त 7:20 से 9:37 तक कुंभ लग्न दिवा 1:24 से 2:55 तक वृषभ लग्न 6:30 बजे से 7:57 तक सिंह लग्न रात्रि 12:28 से 2:43 पर्यंत एवं इस सिंह लग्न में कनकधारा स्तोत्र पाठ का पठन करें जिससे कार्य सिद्ध होता है।

ज्योतिषाचार्य✍️
खेतेश्वर गर्ग
लक्ष्मी ज्योतिष कार्यालय, अर्जियाना, बालोतरा

*खग्रास चंद्र ग्रहण*   संवत 2080 आश्विन शुक्ल पूर्णिमा शनिवार दिनांक 28-10-2023 को खंडग्रास चन्द ग्रहण होगा। भारतीय समय ...
21/10/2023

*खग्रास चंद्र ग्रहण*

संवत 2080 आश्विन शुक्ल पूर्णिमा शनिवार दिनांक 28-10-2023 को खंडग्रास चन्द ग्रहण होगा। भारतीय समय से विरल छाया प्रवेश रात्रि 11 बजकर 32 मिनट पर, ग्रहण का स्पर्श रात्रि 9 बजकर 05 मिनट, मध्य रात्रि 1बजकर 44 मिनट, मोक्ष रात्रि 2 बजकर 23 मिनट, विरल छाया निर्मम रात्रि 3 बजकर 56 मिनट पर होगा। इसके सूतक भारतीय समय से दिन में 4 बजकर 05 मिनट से प्रारंभ होगा। यह ग्रहण उतरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका का पश्चिम भाग को छोड़कर सम्पूर्ण विश्व में दृश्य होगा। जहां ग्रहण दृश्य होगा उन्हीं स्थानों पर ग्रहण से सम्बंधित वेध,सूतक,स्नान, दान-पुण्य, कर्म यम नियम मान्य होगा। *विविध राशियों पर ग्रहण का शुभाशुभ प्रभाव यह है* ★ मेष, वृषभ, कन्या, मकर,------नेष्ट, अशुभ ★ सिंह, तुला, धनु, मीन,------ सामान्य, मध्यम ★ मिथुन, कर्क, वृश्चिक, कुंभ ------- शुभ, सुखद इस ग्रहण से भारत के कई राज्यों में व इंग्लैंड, डेनमार्क, श्रीलंका, सीरिया, नेपाल, पोलेंड, फिलीपीन्स व पूर्वी प्रान्त में रोग हो, पशुओं में बीमारी हो, झगड़े हो,प्रत्येक प्रकार के अन्न में मंदी, तूफान, अच्छी वर्षा, सरसों, अलसी, गुड़, शक्कर, सोना, चांदी, शेयर, घी, रुई,मसूर, खांड, वेजिटेबल, रसदार पदार्थ, सूत में तेजी हो। यह ग्रहण अश्विनी नक्षत्र एवं मेष राशि पर हो रहा है इससे इस नक्षत्र एवं राशि वालो को रोग, कष्ट,पीड़ा,आदि फल हो। जिन राशियों वालो को ग्रहण अशुभ फलकारक हैं उन को ग्रहण का दर्शन करना उपयुक्त नहीं है।

✍️ ज्योतिषाचार्य
खेतेश्वर भारद्वाज
श्री लक्ष्मी ज्योतिष कार्यालय,
अर्जियाना (बालोतरा)

*2023: 30 अगस्त को मनाया जायेगा रक्षाबंधन पर्व, लेकिन रहेगी भद्रा, जानें राखी बांधने का मुहूर्त*2023: 30 अगस्त को मनाया ...
29/08/2023

*2023: 30 अगस्त को मनाया जायेगा रक्षाबंधन पर्व, लेकिन रहेगी भद्रा, जानें राखी बांधने का मुहूर्त*
2023: 30 अगस्त को मनाया जायेगा रक्षाबंधन पर्व, लेकिन रहेगी भद्रा, जानें राखी बांधने का मुहूर्त
2023: भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन मानने को लेकर इस बार लोगों के बीच भ्रम की स्थिति बनी है. ज्योतिषाचार्य खेतेश्वर भारद्वाज से जानते हैं राखी बांधने का मुहूर्त.
2023: 30 अगस्त को मनाया जायेगा रक्षाबंधन पर्व, लेकिन रहेगी भद्रा, जानें राखी बांधने का मुहूर्त

*रक्षाबंधन 2023*
हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार रक्षाबंधन पर्व 30 अगस्त को मनाया जाएगा. हालांकि रक्षाबंधन के दिन इस बात का ख्याल रखना चाहिए की भद्रकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए. दरअसल, भद्रकाल अशुभ मुहूर्त है. इसलिए शुभ मुहूर्त में ही बहनों को अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांधनी चाहिए.

*रक्षाबंधन पर पूरे दिन भद्राकाल*
ज्योतिषाचार्य खेतेश्वर भारद्वाज ने बताया कि पूर्णिमा तिथि का आरंभ 30 अगस्त 2023 को प्रातः10:59 मिनट पर हो जायेगी जोकि अगले दिन प्रात: 07:04 तक रहेगी. इस दिन भद्रा प्रात: 10:59 से रात्रि 09:02 तक रहेगी. जो पृथ्वी लोक की अशुभ भद्रा होगी. अत: भद्रा को टालकर रात्रि 09:02 के पश्चात् मध्यरात्रि 12:28 तक आप राखी बांध सकते है. शास्त्रों में भद्रा काल में श्रावणी पर्व मनाने भी निषेध कहा गया है और इस दिन भद्रा का काल रात्रि 09:02 तक रहेगा. इस समय के बाद ही राखी बांधना ज्यादा उपयुक्त रहेगा. पूर्णिमा के समय को लेकर पंचांग भेद भी हैं.

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, हिंदू पंचांग के मुताबिक रक्षाबंधन सावन महीने की पूर्णिमा को हर साल मनाया जाता है. भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का यह त्योहार पूरे भारत में उत्साह के साथ मनाया जाता है और बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर भाई की लंबी उम्र की कामना करती है. वहीं भाई भी बहन की रक्षा करने का संकल्प लेता है. धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक रक्षाबंधन का पर्व भद्रा काल में नहीं मनाना चाहिए. धार्मिक मान्यता है कि, भद्रा काल के दौरान राखी बांधना शुभ नहीं होता है.

पौराणिक कथा के अनुसार लंकापति रावण को उसकी बहन ने भद्रा काल में राखी बांधी थी और उसी साल प्रभु राम के हाथों रावण का वध हुआ था. इस कारण से भद्रा काल में कभी भी राखी नहीं बांधी जाती है.

*सावन पूर्णिमा तिथि*

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, पूर्णिमा तिथि का आरंभ 30 अगस्त 2023 को प्रातः 10:59 मिनट से होगा. पूर्णिमा तिथि के साथ ही भद्रा आरंभ हो जाएगी जोकि रात्रि 09:02 तक रहेगी. शास्त्रों में भद्रा काल में श्रावणी पर्व मनाने का निषेध कहा गया है. इस दिन भद्रा का काल रात्रि 09:02 तक रहेगा. इस समय के बाद ही राखी बांधना ज्यादा उपयुक्त रहेगा.

2023: 30 अगस्त को मनाया जायेगा रक्षाबंधन पर्व, लेकिन रहेगी भद्रा, जानें राखी बांधने का मुहूर्त

*रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त*

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, रक्षाबंधन का त्योहार 30 अगस्त को मनाया जाएगा. हिंदू पंचांग के मुताबिक, सावन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 30 अगस्त 2023 को 10:59 मिनट से होगा. पूर्णिमा तिथि के साथ ही भद्रा आरंभ हो जाएगी जोकि रात्रि 09:02 तक रहेगी. शास्त्रों में भद्रा काल में श्रावणी पर्व मनाने का निषेध कहा गया है और इस दिन भद्रा का काल रात्रि 09:02 तक रहेगा. इस समय के बाद ही राखी बांधना ज्यादा उपयुक्त रहेगा. पौराणिक मान्यता के अनुसार राखी बांधने के लिए दोपहर का समय शुभ होता है, लेकिन यदि दोपहर के समय भद्रा काल हो तो फिर प्रदोष काल में राखी बांधना शुभ होता है.

रक्षाबंधन भद्रा पूंछ - शाम 05:32 - शाम 06:32

रक्षाबंधन भद्रा मुख - शाम 06:32 - रात 08:11

रक्षाबंधन भद्रा का अंत समय - रात 09:02

राखी बांधने के लिए प्रदोष काल मुहूर्त - रात्रि 09:03 - मध्यरात्रि 12:28 तक

अति आवश्यकता में मुहूर्त:- बुधवार 30 अगस्त 2023 को भद्रा प्रारम्भ के पूर्व प्रात: 06:09 से प्रात: 09:27 तक और सायं 05:32 से सायं 06:32 तक भी राखी बांधी जा सकती है.

*31 अगस्त शुरू हो जाएगा भाद्रपद मास*
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि 31 अगस्त की सुबह 7.04 बजे तक पूर्णिमा रहेगी. इसके बाद से भाद्रपद मास शुरू हो जाएगा. इस कारण 30 अगस्त को ही रक्षाबंधन और सावन पूर्णिमा से जुड़े धर्म-कर्म करना ज्यादा शुभ रहेगा, क्योंकि 30 अगस्त को सुबह 10.59 के बाद पूरे दिन पूर्णिमा तिथि रहेगी.
*रक्षाबंधन का महत्व*
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, रक्षा बंधन को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. उन्ही में से एक है भगवान इंद्र और उनकी पत्नी सची की. इस कथा का जिक्र भविष्य पुराण में किया गया है. असुरों का राजा बलि ने जब देवताओं पर हमला किया तो इंद्र की पत्नी सची काफी परेशान हो गई थी. इसके बाद वह मदद के लिए भगवान विष्णु के पास पहुंची. भगवान विष्णु ने सची को एक धागा दिया और कहा कि इसे अपने पति की कलाई पर बांधे जिससे उनकी जीत होगी. सती ने ऐसा ही किया और इस युद्ध में देवताओं की जीत हुई. इसके अलावा रक्षाबंधन को लेकर महाभारत काल से जुड़ी भी एक कथा है. जब शिशुपाल के युद्ध के समय भगवान विष्णु की तर्जनी उंगली कट गई थी तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उनके हाथ पर बांध दिया था. इसके बाद भगवान ने उनकी रक्षा का वचन दिया था. अपने वचन के अनुसार, भगवान कृष्ण ने ही चीरहरण के दौरान द्रौपदी की रक्षा की थी.
अटूट रिश्ते का पर्व रक्षाबंधन का इतिहास
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि धार्मिक मान्यता के अनुसार, शिशुपाल राजा का वध करते समय भगवान श्री कृष्ण के बाएं हाथ से खून बहने लगा तो द्रोपदी ने तत्काल अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उनके हाथ की अंगुली पर बांध दिया. कहा जाता है कि तभी से भगवान कृष्ण द्रोपदी को अपनी बहन मानने लगे और सालों के बाद जब पांडवों ने द्रोपदी को जुए में हरा दिया और भरी सभा में जब दुशासन द्रोपदी का चीरहरण करने लगा तो भगवान कृष्ण ने भाई का फर्ज निभाते हुए उसकी लाज बचाई थी. मान्यता है कि तभी से रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाने लगा जो आज भी जारी है. श्रावण मास की पूर्णिमा को भाई-बहन के प्यार का त्योहार रक्षाबंधन मनाया जाता है.
*राखी बांधने की विधि*
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि रक्षाबंधन के दिन भाई को राखी बांधने से पहले राखी की थाली सजाएं. इस थाली में रोली कुमकुम, अक्षत, पीली सरसों के बीज, दीपक और राखी रखें. इसके बाद भाई को तिलक लगाकर उसके दाहिने हाथ में रक्षा सूत्र यानी राखी बांधें. राखी बांधने के बाद भाई की आरती उतारें. फिर भाई को मिठाई खिलाएं. अगर भाई आपसे बड़ा है तो चरण स्पर्श कर उसका आशीर्वाद लें. वहीं अगर बहन बड़ी हो तो भाई को चरण स्पर्श करना चाहिए. राखी बांधने के बाद भाइयों को इच्छा और सामर्थ्य के अनुसार बहनों को भेंट देनी चाहिए. ब्राह्मण या पंडित जी भी अपने यजमान की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधते हैं.
*राखी बांधते समय इस मंत्र का उच्चारण करें*
ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।
*भद्रा में नहीं बांधनी चाहिए राखी*
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, भद्रा शनि देव की बहन और क्रूर स्वभाव वाली है. ज्योतिष में भद्रा को एक विशेष काल कहते हैं. भद्रा काल में शुभ कर्म शुरू न करने की सलाह सभी ज्योतिषी देते हैं. शुभ कर्म जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, रक्षा बंधन पर रक्षासूत्र बांधना आदि. सरल शब्दों में भद्रा काल को अशुभ माना जाता है. मान्यता है कि सूर्य देव और छाया की पुत्री भद्रा का स्वरूप बहुत डरावना है. इस कारण सूर्य देव भद्रा के विवाह के लिए बहुत चिंतित रहते थे. भद्रा शुभ कर्मों में बाधा डालती थीं, यज्ञों को नहीं होने देती थी. भद्रा के ऐसे स्वभाव से चिंतित होकर सूर्य देव ने ब्रह्मा जी से मार्गदर्शन मांगा था. उस समय ब्रह्मा जी ने भद्रा से कहा था कि, अगर कोई व्यक्ति तुम्हारे काल यानी समय में कोई शुभ काम करता है तो तुम उसमें बाधा डाल सकती हो, लेकिन जो लोग तुम्हारा काल छोड़कर शुभ काम करते हैं, तुम्हारा सम्मान करते हैं, तुम उनके कामों में बाधा नहीं डालोगी. इस वजह से भद्रा काल में शुभ कर्म वर्जित माने गए हैं.

ज्योतिषाचार्य ✍️ . खेतेश्वर भारद्वाज

🙏 जय श्री कृष्ण🙏कितना महान है हमारा सनातन धर्म। नमन है हमारे ऋषि मुनियों को। इस फ़ोटो के चारों ओर तीन घेरे बने हुए हैं। ज...
05/06/2023

🙏 जय श्री कृष्ण🙏
कितना महान है हमारा सनातन धर्म। नमन है हमारे ऋषि मुनियों को। इस फ़ोटो के चारों ओर तीन घेरे बने हुए हैं। जो सबसे पहला घेरा है उसमें 27 नक्षत्रों के नाम हैं और उनके पौधों के भी नाम साथ में लिखे हुए हैं।
दूसरे घेरे में 12 राशियों के नाम लिखे हैं और साथ में उनके पौधों के नाम भी लिखे हुए हैं। तीसरे घेरे में नौ ग्रहों के नाम लिखे हैं और उनसे संबंधित पेड़ पौधों के नाम भी लिखे हुए हैं। जहाँ पर पेड़ पौधे जड़ी बूटी और वृक्ष के नाम लिखे हुए हैं तो उनमें उन नक्षत्रों का या उन राशियों का या उन ग्रहों का वास होता है। यदि हम उनपर पौधों जड़ी बूटियों या वृक्षों की पूजा करते हैं या उनको हम रतन की तरह धारण करते हैं तब भी हमें वे जड़ी बूटियाँ पेड़ पौधे वृक्ष लाभ प्रदान करते हैं।
✍️
ज्योतिषाचार्य
खेतेश्वर भारद्वाज
लक्ष्मी ज्योतिष कार्यालय

Address

Arjiyana
Siwana
2250806115179070

Telephone

+919460278930

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Laxmi jyotish karyalay posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Practice

Send a message to Laxmi jyotish karyalay:

Share

Share on Facebook Share on Twitter Share on LinkedIn
Share on Pinterest Share on Reddit Share via Email
Share on WhatsApp Share on Instagram Share on Telegram