
04/10/2020
कैसी हो हमारी दिनचर्या
प्रातः 3 बजे से 5बजे तक - फेफड़ा
प्रातः 5 बजे से 7बजे तक बड़ी - आंत
प्रातः 7 बजे से 9 बजे तक - अमाशय
प्रातः 9 बजे से 11 तक - अग्नाशय
दोपहर बजे 11 से 1बजे तक - ह्रदय
दोपहर 1बजे से 3 बजे तक - छोटी आंत
सायं 3 बजे से 5 बजे तक - मूत्रथैली
सायं 5 बजे से 7 बजे तक - गुर्दा
रात्रि 7 बजे से 9 बजे तक - हृरदयावरण
रात्रि 9 बजे से 11 बजे तक - त्रिउष्मक
रात्रि 11 बजे से 1 बजे तक- पित्ताशय
रात्रि 1 बजे से 3 बजे तक - यकृत
अब इन के अनुसार अपने जीवन शैली बदल कर आप रोग मुक्त रह सकते है।
दिनचर्या सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी
रात्रि 1 से 3 के दौरान आपके रक्त संचरण का अधिक भाग लीवर की ओर केन्द्रित होता है। जब लीवर अधिक खून प्राप्त करता है तब उसका आकार बढ़ जाता है। यह महत्त्वपूर्ण समय होता है जब आपका शरीर विषहरण की प्रक्रिया से गुजरता है। आपका लीवर, शरीर द्वारा दिन भर में एकत्रित विषाक्त पदार्थों को निष्क्रिय करता है और खत्म भी करता है।
यदि आप 11बजे सो जाते हैं तो आपके पास अपने शरीर को विषमुक्त करने के लिए पूरे चार घण्टे होते हैं।
यदि 12 बजे सोते हैं तो 3 घण्टे।
यदि 1बजे सोते हैं तो 2 घण्टे।
यदि 2 बजे सोते हैं तो केवल एक ही घण्टा विषाक्त पदार्थों की सफाई के लिए मिलता है।
अगर आप 3 बजे के बाद सोते हैं ? दुर्भाग्य से आपके पास शरीर को विषमुक्त करने के लिए कोई समय नहीं बचा। यदि आप इसी तरह से सोना जारी रखते हैं, समय के साथ ये विषाक्त पदार्थ आपके शरीर में जमा होने लगते हैं।
क्या आप कभी देर तक जागे हैं? क्या आपने महसूस किया है कि अगले दिन आपको बहुत थकान होती है, चाहे आप कितने भी घण्टे सो लें ?
शरीर को विषमुक्त करने का पूरा समय न देकर आप शरीर की कई महत्त्वपूर्ण क्रियाओं से भी चूक जाते हैं।
प्रात: 3 से 5 के बीच रक्त संचरण का केन्द्र आपके लंग्स होते हैं।
इस समय आपको ताज़ी हवा में साँस लेना चाहिए और व्यायाम करना चाहिए। अपने शरीर में अच्छी ऊर्जा भर लेनी चाहिए, किसी उद्यान में बेहतर होगा। इस समय हवा एकदम ताज़ी और लाभप्रद अयनों से भरपूर होती है ।
प्रात: 5 से 7 के बीच रक्त संचरण का केन्द्र आपकी बड़ी आँत की ओर होता है। आपको इस समय शौच करना चाहिए। अपनी बड़ी आँत से सारा अनचाहा मल बाहर कर देना चाहिए। अपने शरीर को दिन भर ग्रहण किए जाने वाले पोषक तत्वों के लिए तैयार करें।
सुबह 7 से 9 के बीच रक्त संचरण का केन्द्र आपका पेट या अमाशय होता है। इस समय आपको नाश्ता करना चाहिए। यह दिन का सबसे जरूरी आहार है। ध्यान रखें कि इसमें सारे आवश्यक पोषक तत्त्व हों। सुबह नाश्ता न करना भविष्य में कई स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का कारण बनता है।
तो आपके पास अपने दिन की शुरुआत करने का आदर्श तरीका आ गया है। अपने शरीर की प्राकृतिक जैविक घड़ी का अनुसरण करते ~ अपनी प्राकृतिक दिनचर्या का पालन करें।
सुबह 9 से 11 अग्नाशय का समय है जो नाश्ता या भोजन आप ने किया है उसे पचाने के समय होता है जो आप के भोजन को अच्छी तरह से पचाता है बस इस समय अपने शरीर मे कुछ और ना डाले और भोजन को पचने का कार्य होने दे।
किये भोजन ना पचने देने से भोजन सड़ता है जिस से अनेकों बीमारी का कारण बनता है।
सुबह 11से 1 रक्त संचरण का समय है इस मे रक्त हृदय के भीतरी आवरण को स्वस्थ रखने व हृदय में जमा कचरा निकालता है इस समय पेट मे कोई भी भोजन ना करे ।
अगर करते है तो आप का ह्रदय हमेशा कमजोर रहेगा क्यो की रक्त का संचरण हृदय की सफाई में लगा है और अपने भोजन दिया तो रक्त संचरण अमाशय पे चला जायेगा।
दोपहर 1से 3 रक्त संचरण छोटी आंत पर होता है जो आप के शरीर के जिस घटक की आवशकता होती उस की पूर्ति करता है। इस समय फल या सलाद का ही सेवन करे तो अधिक अच्छा है। आयुर्वेद में 2 समय ही भोजन लेने की विधि है।
दोपहर 3 से 5 रक्त संचरण मूत्र थैली पर रहता है जिसे अधिक रक्त संचरण की आवश्यकता नही । इस समय पानी का सेवन कम करे ।
शाम 5 से 7 रक्त संचालन का केंद्र गुर्दा यानी के किडनी पर होता है इस समय आप भोजन ले सकते है इस से अधित देर न करे क्यो की किडनी को अधिक रक्त संचारण की आवशक्यता नही पड़ती बस उसे जल ल में PH की मात्रा अधिक व TDS की मात्रा 200 प्लस चाहिए पानी जीतना एल्कलाइन होगा। उतना किडनी आराम से कार्य करेगी।
रात्रि 7 से 9 रक्त संचारण का केंद्र हृदय का बाहरी आवरण है
जो आप के हृदय के बाहरी आवरण की सफाई व रिपेयर का कार्य करती है अगर आप ने भोजन 7 बजे तक ले लिया तो हृदय अपना काम आसानी से करता है।
रात्रि 9 से 11 रक्त संचालन का केंद्र त्रिउष्मक है जो शरीर के उन अंगों पे कार्य करता जो आप ने शरीर की गंदगी को बाहर निकाले का ।यहाँ शरीर में वैसे ही कार्य करता है जैसे आप के दांतों के बीच मे किसी सॉफ्फ का दाना फस जाना और जीभ से निकालना कोई भी ऐसा अंग जो अंदर में बन रहा है उसे नष्ट कर बाहर निकाल देना।
यदि कोई प्रायोजना कार्य देर रात तक करना पड़े ? क्यों न जल्दी सोकर और फिर जल्दी उठकर उसे पूरा करें। बस अपने देर रात के कामों को सुबह जल्दी करने की आदत डाल लें। आपको समान समय मिलेगा पर आपका तन उसे सराहेगा।
एक स्वस्थ जीवन जीने के सभी तरीके हम जानने तो लग अब एलोपेथी के माया जाल से निकले और अपने शरीर के स्याम वेद बने।
जैन क्लिनिक JAIN CLINIC