Dr. Arora Ayurveda

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01/07/2022
12/05/2022
06/04/2022

04/04/2022

30/03/2022











29/03/2022







25/03/2022

यदि आप शुगर (डायबिटीज) से पीड़ित है और आपकी शुगर कंट्रोल भी नही हो रही । शुगर के साथ साथ आपको मांस पेशियों में दर्द भी रहता है । तो आपको पैन किलर नही । आयुर्वेद उपचार की जरूरत है

03/03/2022

शरीर में दर्द या मन में दर्द (पीड़ा) का कारण वात .......
वात की चिकित्सा तेल (स्नेह)......
व्यवहार में रूखापन , क्रोध आदि का कारण वात ......
..........और TREATMENT / चिकित्सा – " स्नेह "

आयुर्वेद शास्त्र एक ऐसा शास्त्र है जिसमे जीवन जीने की वास्तविक कला है l इसमे जीवन जीने के लिए पुरुषार्थ करने का निर्देश है , तो वहीँ कोई भी शारीरिक या मानसिक व्याधि का सम्यक उपचार भी इसी आयुर्वेद में संभव है | सार रूप में कहें तो अभ्युदय एवं निःश्रेयश दोनों की प्राप्ति आयुर्वेद शास्त्र के निर्देशों का पालन करने से संभव है |
तन और मन के दर्द के सन्दर्भ में हम कह सकते हैं की शरीर में पीड़ा , वेदना या दर्द का कारण वात है |चरक संहिता के सूत्र स्थान के वातकलाकलीय अध्याय में वात के सम्बन्ध में कहा गया है – वायुस्तंत्र यन्त्र धरः , प्राणोंदानसामानव्यानापानात्मा , नियन्ता प्रणेता च मनसः .........
इस श्लोक के अर्थ से स्पष्ट है की वात, मन का भी नियंत्रण करती है | यहाँ यह स्पष्ट करना होगा की प्राकृत वात ही मन का प्राकृत नियंत्रण करेगी और विकृत वात है तो मन भी विकृत होगा |
अब हम देखते हैं की किन कारणों से वात विकृत होता है जिसके फलस्वरूप तन (शरीर) व मन विकृत होते हैं |
आयुर्वेद शास्त्र में वात के गुणों का वर्णन है ये है – "रुक्षः शीतो लघु सुक्षमश्चलो विषदः खरः " इस सन्दर्भ से स्पष्ट है रुखा , ठंडा, लघु, सूक्ष्म , चल गुण , विषद एवं खर गुणों के आहार, विहार या व्यवहार से शरीर में वात बढेगी और रोग उत्पन्न होंगे |
अब यहाँ हम इस पुरे प्रसंग का सबसे महत्वपूर्ण विश्लेषण देखेंगे |यहाँ हम वात की विकृति अर्थात वात की पैथोलॉजी से तन (शरीर) व मन के विकारों के निर्माण का स्वरुप देखते हैं |
स्पष्ट है की -
1) रूखे गुणों का भोजन में उपयोग करेंगे तो वात बढ़ेगी और शरीर में दर्द होगा वहीँ व्यवहार में रूखापन रखेंगे तो मन में दर्द होगा |
2) शीत गुण का सेवन करेंगे तो वात बढ़ेगी तो शरीर में दर्द होगा वहीँ व्यवहार में ठंडापन होगा , warmness नहीं होगी तो मन में दर्द (दुख ) होगा |
३) आप लघु गुण का सेवन करेंगे तो वात प्रकुपित होगी और शरीर में दर्द होगा वहीं आप व्यवहार में हल्कापन (लघु) रखेंगे तो भी वात बढ़ेगी और मन में दर्द (दुख) होगा |
४) आप अपने भोजन में सूक्ष्म गुण का से

दर्द संबंधित रोगों में आयुर्वेद में दर्द निवारक दवा न देकर उसके पीछे कारणों पर चिकित्सा की जाती है । यदि आप किसी प्रकार ...
13/02/2022

दर्द संबंधित रोगों में आयुर्वेद में दर्द निवारक दवा न देकर उसके पीछे कारणों पर चिकित्सा की जाती है । यदि आप किसी प्रकार के दर्द से परेशान हैं जैसे की
कमर दर्द, गर्दन दर्द , घुटनो में दर्द ,पूरे शरीर में दर्द रहना , एवम किसी प्रकार की जकड़ाहट ,गठिया वात इत्यादि ....इनके साथ और भी लक्षण जो हमे अपने शरीर में दिखाई देते है जैसे गैस बनना, तेजाब बनना, कब्ज की समस्या वो भी पूर्णरूप से ठीक हो जाते है आयुर्वेद में ना की सिर्फ रोग की चिकित्सा की जाती जबकि दोषों पर चिकित्सा की जाती है जिस से नए रोग उत्पन होने की संभावना भी नहीं रहती । और आप पूर्णतया स्वस्थ महसूस करते है । संपर्क करें Dr. Vipin Arora 7976153570

12/02/2022

यदि आप सर्वाइकल जैसी समस्याओं से परेशान है आयुर्वैदिक ओषधि पंचकर्म न्यूरोथैरेपी से निजात पाए
संपर्क करे 7976153570

10/02/2022

बड़ी अजीब विडंबना हैं
# क्या दवाएं खाते रहना और रिपोर्ट्स को नॉर्मल रखना चिकित्सा है ?
# डॉक्टर साहब 15 साल से दवाइया खा रहा हु । आप आयुर्वेदिक दवा से कितने " दिनों" में ठीक कर दोगे ? एलोपैथिक (अंग्रेजी) दवाइया हम 10-15 साल तक खा लेंगे लेकिन आयुर्वेदिक दवाइयां से असर आते ही डॉक्टर साहब दवाइया और कितना टाइम खानी पेड़ेगी
# बहुत बार रोगी की reports में कुछ भी नही आता । और रोगी को समस्या होने पर उसका डायग्नोज सही नही होने पर एक दिन मानसिक रोगी की तरह इलाज कर हमेशा के लिए दवाओं पर टीका दिया जाता है और यदि अगर रोगी भूले भटके आयुर्वेदिक चिकित्सक के इलाज से ठीक हो जाए तो डॉक्टर साहब और कितना टाइम दवा लेनी पेडेगी
# हृदय रोगी या ब्लड प्रेशर या कोलेस्ट्रॉल जैसे समस्या होने पर खून पतले होने की दवा दी जाती है । और उसके सेवन से अन्य अंग पर खून की कमी से असर नहीं पहुंचेगा ?

यदि आप कमर दर्द ( Back pain ), गर्दन दर्द (cervical pain ) , जोड़ो में दर्द , मांसपेशियों में दर्द होना , गठिया , नस का ...
11/01/2022

यदि आप
कमर दर्द ( Back pain ), गर्दन दर्द (cervical pain ) , जोड़ो में दर्द , मांसपेशियों में दर्द होना , गठिया , नस का दबना, पावों में सूनापन, हाथो में सूनापन , सायटिका, फ्रोजन शोल्डर ( हाथ का ऊपर नही उठना ) स्लिप डिस्क इत्यादि रोगों से परेशान है

और आप बार बार फिजियोथेरेपी , एक्यूप्रेशर करवाने पर पूर्णतया ठीक नही हो पा रहे है
तो निश्चित रूप से आपके आहार विहार संबंधित कारणों को जानने के लिए आयुर्वेदिक परामर्श एवम पंचकर्म , न्यूरोथ्रेपी जैसे उपचार की आवश्यकता है संपर्क करे ! Dr. Vipin Arora 7976153570

जीवन भर दवाएं खाते रहना । और रिपोर्ट्स को नॉर्मल रखना क्या यही चिकित्सा हैं ? लंबे समय तक रिपोर्ट्स के नॉर्मल होने पर भी...
04/01/2022

जीवन भर दवाएं खाते रहना । और रिपोर्ट्स को नॉर्मल रखना क्या यही चिकित्सा हैं ?

लंबे समय तक रिपोर्ट्स के नॉर्मल होने पर भी अचानक से किसी बड़े रोग का शिकार हो जाना चिकित्सा है ?

हमारे शरीर में रोग(दोष) दिन प्रतिदिन ऋतुओं के अनुसार घटते बढ़ते रहते हैं।

यदि हम किसी रोग से ग्रस्त है जब तक उसके कारणों की चिकित्सा नही की जाएगी तब वह रोग किसी बड़ी व्याधि रूप में भविष्य में दिखाई देगा

हमारे भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा शास्त्रों में स्पष्ट रूप से लिखा है।
" शुद्धस्तु शमयेद यो न कोपयेद" चरक नि. ८/२३
अथार्थ
शुद्ध चिकित्सा उसे कहते है जिसमें व्याधियों की शान्ति हो एवम् उसके प्रयोग से किसी अन्य व्याधि की उत्पति न हो ।

For back pain treatment kati basti
04/01/2022

For back pain treatment kati basti

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