26/11/2025
उन्होंने जब मंदिर तोडा तब पूरा नहीं तोडा... ऐसा नहीं था कि पूरा नहीं तोड सकते थे...उन्होंने जानबूझकर कोई मंदिर पूरा नहीं तोडा। कहीं मूर्तियाँ भग्न की, कहीं खंडित की, किंतु पूरी नष्ट नहीं की।
उन्होंने मंदिर के अवशेष पूरे ढँके या छुपाए भी नहीं कभी... उन्हें पूरी तरह भग्नावस्था में तुम्हारे आँखों के सामने रखा... ताकि तुम्हें और तुम्हारी आनेवाली असंख्य पीढ़ियों को रोज अपमानित करते रहें, खून के आँसू रुलाते रहे, उनकी धाक और खौफ तुम्हारे दिलों में ताजा रख सकें और हर रोज हर पल हर क्षण तुम्हारे आत्मसम्मान, आत्मविश्वास, आत्मबल पर अप्रत्यक्ष चोट करते रहे!
वे चाहते तो क्या नन्दी को भग्न नहीं कर सकते थे? उन्होंने जानबूझकर ऐसा नहीं किया ताकि तुम याद रखो नन्दीश्वर कहां है और रोज रोज तरसों, तड़पो और दर्शन की अभिलाषा लिए तिल तिल मरो! बहुत भयानक होती है ऐसी मौत क्योंकि इसमें व्यक्ति नहीं उसका स्वाभिमान, धर्म और राष्ट्र मर रहा होता है। हर आक्रांता का परम आनंद होता है ऐसी मौत देखना।
उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि यही अधमरे, आत्माभिमान शून्य लोग कभी एकत्रित हो जाएंगे और अपनी विरासत वापस मांगने लगेंगे। उन्होंने कभी सोचा ही नहीं था कि उनके समाजिक और मानसिक स्तर पर इतनी चोट के बाद भी हम कभी संगठित हो पाएंगे!
उन्होंने सोचा ही नहीं था इन सोए मुरझाए लोगों को झकझोरकर जगाने कोई मोदी आएगा... और फिर जो भग्नावशेष इन्हें अपमानित करने के लिए बाकी छोड़े थे वे ही उनके अत्याचारों की गवाही देने लगेंगे!
बहुत वर्षों के अपमान झेलने के बाद कोई आया है जिसने स्वाभिमान जगाया है, जिसकी वजह से नन्दी की पथराई आँखों में आशा की किरण जागी है, कोई आया है जिसने राष्ट्र में राम वापस लाया है।
उसे किसी कीमत पर मत खोना, उसकी कमजोरी नहीं उसकी ताकत बनकर अडिग खडे रहना। उसने वचन दिया है वो देश नहीं झुकने देगा, और मुझे पता है वो वचन का पक्का है।
मोदी को खो दिया तो तुम्हारा इंसाफ कयामत के रोज होगा। याद रखना। मोदी के साथ रहे तो संतो, महंतों के साथ ब्रह्मा विष्णु महेश के कृपा पात्र रहोगे।
#संकल्प_संपूर्ण
#रामलला_जन्मभूमि