06/07/2021
Dr. K. S. Tiwari (Kripa Sindhu Tiwari @ Shreem Homoeo Hall) in a chat with 'RK hap classes' & Shri Shiv Kumar Tiwari (Jai Shree Foundation, Sultanpur )
https://www.youtube.com/watch?v=67mmH-h2GXI&feature=youtu.be
**जय श्री फाउंडेशन ( सुल्तानपुर ) - शिवकुमार तिवारी**
डाक्टर के. एस तिवारी
पूरा नाम कृपा सिन्धु तिवारी
बी.एच.एम.एस - कोलकाता विश्वविद्यालय
मैंने रात में सपने में देखा कि जिन्दगी सिर्फ खुशी है, मैं सुबह उठा और देखा जिन्दगी सिर्फ सेवा में ही है
सेवाभाव :- मैंने सेवा में पहचाना कि सिर्फ सेवा में ही खुशी है!
" परहित सरिस धर्म नहि भाई :-
नाम डाक्टर के . एस तिवारी कृपा सिन्धु तिवारी पुत्र स्व: श्री श्रीपाल तिवारी निवासी करौंदिया सुल्तानपुर उम्र लगभग 45 वर्ष उपाधि B. H. M. S कोलकाता यूनिवर्सिटी 2004 . तत्पश्चात् 2 वर्ष फूल वागान मोहन मार्केट स्थिति क्लब कोलकाता में नि:शुल्क सेवा, 10 वर्ष शास्त्री नगर सुल्तानपुर गुरुद्वारा में नि:शुल्क होमियोपैथिक चिकित्सीय सेवा दी | विगत 6 वर्षों से हसनपुर हास्पिटल में नि:शुल्क सेवा दे रहे हैं | तत्पश्चात सांयकाल बैंक आफ महाराष्ट्रा बिल्डिंग करौंदिया सुल्तानपुर में सांयकाल 7.30 से 9.30 तक होमियोपैथिक चिकित्सीय सेवा दे रहे हैं | 21 वर्षों की होमियोपैथिक चिकित्सीय अनुभव द्वारा कई असाध्य रोगों को भी ठीक किया है |होमियोपैथिक चिकित्सा के क्षेत्र में सुल्तानपुर जिले में अब जाना पहचाना नाम बन चुका है | डाक्टर कृपा सिन्धु तिवारी अपनी सेवा के साथ साथ गरीब या जिनके पास पैसे का आभाव हो दवा कराने में असमर्थ हो उसकी वे पूर्णतया: मदद करते हैं | इस प्रकार वे समाज कल्याण में भी अपना, अहम योगदान देकर परहित सरिस नहि भाई | की सोच को श्रेष्ठता पर ले जा रहे है | होमियोपैथिक चिकित्सा द्वारा समाज में माताऐं , बहने व पुरुष ज्यादा से ज्यादा कई जटिल रोगों से मुक्ति पाकर स्वस्थ जीवन का लाभ उठा रहे हैं | होमियोपैथिक चिकित्सा विधि द्वारा लोगों को स्वास्थ्य लाभ देकर उनके दृष्टिकोण को बदलकर नये समाजिक मूल्यों की स्थापना करना है | वैसे तो यह संसार काम विकार रुपी अग्नि से जल रहा है | अभी हाल में ही कोरोना 19 के पहले चरण और दूसरी लहर जब आयी इसी विकार रुपी अग्नि से कितने डाक्टरों, नर्सेज, पैरामेडिकल फोर्सेस के साथ मारपीट, गालीगलौज, व हास्पिटल में मारपीट तोड़फोड़ की गई | मगर हम डाक्टरों ने मरीजों के साथ जो आत्मिक स्नेह, पवित्र स्नेह, दिव्य स्नेह होता है, उसको डगमागने नहीं दिया | अमूमन प्रत्येक दुकान के अन्दर बाहर एक नोटिस जरुर लगा मिलेगा कि ग्राहक देवता होता है दुकानदार कभी ग्राहक से लड़ता नहीं हैं (अपवाद को छोड़कर) ठीक वैसे कोई डाक्टर अपने मरीजों का क्यों ख्याल नही रखेगा ? क्योंकि डाक्टर को मरीजों का जीवन दाता कहा गया है | डाक्टरों की तो यह सबसे बड़ी दुर्बलता होती है जब वह अपने किसी मरीज की पीड़ा को देखता व सुनता है और वह उसी संवेदना के साथ सहायता के लिए दौड़ पड़ता है आज जैसे डाक्टर अपने मरीजों की दवाईयों से अपनी संवेदना से अपनी वाणी से मदद करता है इसी तरह यदि मनुष्य भी एक दूसरे के दुख मे हाथ बंटाने लगे, तो संसार में दुखदर्द भगाने में देर नही लगेगी | न जाने मनुष्य को यह सदबुद्धि कब आयेगी ? फिर भी इस ओर निराश होने की तब तक आवश्यकता नहीं है ; जब तक इस धरती पर डाक्टर, समाजसेवी, जनसेवा का मार्ग दिखलाने वाले प्रेरणा देने वाले लोग हैं | पृथ्वी पर जब अत्याचार बढ़ता है गरीबी , भुखमरी, बीमारियां, महामारियाँ, फैलती हैं तो यही डाक्टर, समाजसेवी के रुप में ईश्वर भेजता है इनकी मदद के लिए डाक्टर कृपासिंधु तिवारी जी से मेरा सम्पर्क 2015 में हुआ था | जय श्री फाउंडेशन के संरक्षक होने के नाते संस्था द्वारा ग्राम सभा बांसी ब्लॉक दूबेपुर में एक स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया था जिसके उपलक्ष में एक डाक्टर होने के नाते मरीजों को होमियोपैथिक चिकित्सा देने के लिए आमंत्रण देने गया था न कोई जान न पहचान डाक्टर साहब ने परोपकार के नाम पर अपनी स्वीकृति देते हुए कहा | सेवक यानि डाक्टर किसी भी जीव की सेवा करने में अपना सौभाग्य मानता है | डाक्टर स्वयं को उपकृत करने हेतु वह सेवा स्वीकार करने का निवेदन करता है मैं जय श्री फाउंडेशन के परोपकार रुपी स्वास्थ्य शिविर में जरूर अपनी उपस्थिति दर्ज कराऊंगा | तब से आजतक डाक्टर कृपासिंधु तिवारी जी चार बार इस परोपकार की मुहिम में अपनी सेवा दे चुके हैं | संस्था द्वारा चलाए गए प्रथम स्वास्थ्य शिविर में करीब 175 से 200 मरीज आये थे जिनको शुगर वी. पी. पल्स की जांच करके दवाईयां साम्मनीय डाक्टरों द्वारा दी गई उसी बीच एक मरीज के पूछने पर कि डाक्टर साहब यदि मुझे इन दवाईयों से आराम हो गया तो ये दवाईयां दुबारा हमे कहाँ मिलेंगी? डाक्टर साहब ने कहा कि जय श्री फाउंडेशन की पर्ची लेकर सुपरमार्केट मेरी क्लीनिक पर आ जाना 15 दिन की दवाईयां नि:शुल्क दूगां और फीस भी नहीं लूगां उच्चस्तरीय सोच रखने वाले डाक्टर तिवारी जी को शिविर में उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों ने भूरि भूरि प्रशंसा की थी | मुझे भलीभाँति याद है डाक्टर कृपासिंधु तिवारी जी ने मुझसे जरूर एक प्रसन्न किया था कि कैसे आप इन मरीजों से काउंसलिंग करते हो ? आपके पास प्रचार प्रसार के क्या साधन है? संस्था के पास ऐसा क्या अप्रोच है ? कि लगभग दो सौ ईश्वर रुपी मरीजों का आज सेवा करने का मौका मिला डाक्टर साहब ने कहा कि मुझे डाक्टर के रूप में कई संस्थाओं में सेवा देने का अवसर मिला लेकिन इतने मरीज आज तक मैंने किसी छोटी संस्था में नहीं देखा मुझे अदभुत, आश्चर्य , विस्मयकारी, अकल्पनीय लगा और आपने बड़ी ही दयाभाव से कहा कि आज के बाद जो भी स्वास्थ्य शिविर संस्था का लगेगा मैं होमियोपैथिक दवाईयां स्वयं लाऊंगा उसी समय से आप संस्था से जुड़कर व मुफ्त दवाईयां बांटकर मानव होने का गौरव महसूस कर रहे हैं | संस्था के सेवा भाव को देखते हुए आपने एक बड़ी ही भाऊक और मन को शुकून देने वाली चिठ्ठी भी लिखी थी उसका मै उल्लेख करना चाहुंगा खत के शब्द कुछ इस तरह के थे | 'सेवा' सनातन धर्म और दर्शन का महत्वपूर्ण अंग है | समाज के जन मानस में सेवा- भावना गहनता से रची बसी होने से यह भारतीय संस्कृति कहलाती है | परहित द्वारा ही मानव की लौकिक उन्नति होती है | भारतीय समाज में प्रायः यह सोचा जाता है कि सेवा या परोपकार करने के लिए व्यक्ति को अपने परिवार व मोहमाया से मुक्त होना पड़ता है | ऐसा नहीं है आप घर गृहस्थ वाले भी होकर परहित का काम कर सकते हैं | सेवा कार्य अत्यंत सराहनीय है, यह भावना प्रत्येक प्राणी मात्र में होना चाहिए मनुष्य समाजिक प्राणी है | इसका प्रथम धर्म सेवा है| मनुष्य का जन्म सेवा के लिए ही मिला है | परहित से आप परमात्मा को पा सकते हैं | जय श्री फाउंडेशन के सदस्य जिस तरह से प्यासे को पानी, बीमार को औषधि, स्कूली बच्चों को निबंध प्रतियोगिता करवाना रक्तदान करना व रक्तदान महाभियान चलाना गुरुजनों का सम्मान परहित के कार्य आदि के समय सेवा कर रहे हैं उसकी मैं डाक्टर कृपा सिन्धु तिवारी भूरि भूरि प्रशंसा कर रहा हूँ | ये चिठ्ठी संस्था को प्रेषित कर आपने संस्था को प्रेरित किया था आपके अपने सुविचार थे संस्था के प्रति इसका मै बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूँ | महात्मा, संत, उपदेशक, वृक्ष नदियाँ, पर्वत, जल ये हवायें ये फिजायें सब परहित के लिए होती है तो सम्पूर्ण मानव क्यों नहीं हो सकता ?
जय श्री फाउंडेशन
करौंदिया, सुल्तानपुर
https://www.facebook.com/jaishree4india
#डॉ.के. एस. तिवारी बी. एच. एम. एस. कोलकाता विश्वविद्यालय