Baba Parmanand Health and Wellness

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ऑर्थो स्पाइन OPD consultation अब सुनाम (ਸੁਨਾਮ) में !🔜 02/08/2025 - Saturday (2nd August, 2025)Are you tired of living wi...
24/07/2025

ऑर्थो स्पाइन OPD consultation अब सुनाम (ਸੁਨਾਮ) में !
🔜 02/08/2025 - Saturday (2nd August, 2025)

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HAPPY BIRTHDAY DR, HITESH GARG (SPINE SURGEN)
23/07/2025

HAPPY BIRTHDAY DR, HITESH GARG (SPINE SURGEN)

17/07/2025
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06/07/2025

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ठहरिए! बिना सर्जरी पाए बवासीर और भगंदर से राहत!अगर आप भी इन समस्याओं से परेशान हैं और सर्जरी का सोच रहे हैं, तो एक बार स...
25/06/2025

ठहरिए! बिना सर्जरी पाए बवासीर और भगंदर से राहत!
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 #अमरबेल_एक_दिव्य_वनस्पतिअमर बेल एक पराश्रयी (दूसरों पर निर्भर) लता है, जो प्रकृति का चमत्कार ही कहा जा सकता है। बिना जड...
24/06/2025

#अमरबेल_एक_दिव्य_वनस्पति
अमर बेल एक पराश्रयी (दूसरों पर निर्भर) लता है, जो प्रकृति का चमत्कार ही कहा जा सकता है। बिना जड़ की यह बेल जिस वृक्ष पर फैलती है, अपना आहार उससे रस चूसने वाले सूत्र के माध्यम से प्राप्त कर लेती है। अमर बेल का रंग पीला और पत्ते बहुत ही बारीक तथा नहीं के बराबर होते हैं। अमर बेल पर सर्द ऋतु में कर्णफूल की तरह गुच्छों में सफेद फूल लगते हैं। बीज राई के समान हल्के पीले रंग के होते हैं। अमर बेल बसन्त ऋतु (जनवरी-फरवरी) और ग्रीष्म ऋतु (मई-जून) में बहुत बढ़ती है और शीतकाल में सूख जाती है। जिस पेड़ का यह सहारा लेती है, उसे सुखाने में कोई कसर बाकी नहीं रखती है।

अमरबेल के दिव्य औषधीय गुण :

रंग : अमर बेल का रंग पीला होता है।

स्वाद : इसका स्वाद चरपरा और कषैला होता है।

स्वभाव : अमर बेल गर्म एवं रूखी प्रकृति की है। इस लता के सभी भागों का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है।

मात्रा (खुराक) : अमर बेल को लभगभ20 ग्राम की मात्रा में प्रयोग कर सकते हैं।

गुण : आकाश बेल ग्राही, कड़वी, आंखों

के रोगों को नाश करने वाली, आंखों की जलन को दूर करने वाली तथा पित्त कफ और आमवात को नाश करने वाली है। यह वीर्य को बढ़ाने वाली रसायन और बलकारक है।

विभिन्न रोगों में अमरबेल के फायदे : -

1. रक्तविकार (blood disorder) :

4 ग्राम ताजी बेल का काढ़ा बनाकर पीने से पित्त शमन और रक्त शुद्ध होता है।

2. शिशु रोग :

अमर बेल को शुभमुहूर्त में लाकर सूती धागों में बांधकर बच्चों के कंठ (गले) व भुजा (बाज) में बांधने से कई बाल रोग दूर होते हैं।

इस बेल को तीसरे या चौथे दिन आने वाले बुखारों में बुखार आने से पहले गले में बांधने से बुखार नहीं चढ़ता है।

3. बालों का बढ़ना :- 250 ग्राम अमरबेल की बूटी (लता, बेल) लेकर 3 लीटर पानी में उबाल लें। जब पानी आधा रह जाये तो इसे उतार लें। सुबह इससे बालों को धोयें इससे बाल लंबे हो जाते हैं।

4. बालों का झड़ना : अमरबेल के रस को रोजाना सिर में मालिश करने से बाल उग आते हैं।

5. बांझपन (गर्भाशय का न ठहरना) :
अमरबेल या आकाशबेल (जो बेर के समान वृक्षों पर पीले धागे के समान फैले होते हैं) को छाया में सुखाकर रख लेते हैं। इसे चूर्ण बनाकर मासिक धर्म के चौथे दिन से पवित्र होकर प्रतिदिन स्नान के बाद 3 ग्राम चूर्ण 3 मिलीलीटर जल के साथ सेवन करना चाहिए। इसे नियमित रूप से 9 दिनों सेवन करना चाहिए। इससे सम्भवतः प्रथम संभोग में ही गर्भाधान हो जाएगा। यदि ऐसा न हो सके तो योग पर अविश्वास न करके इसका प्रयोग पुनः करें, इसे कहीं घाछखेल नाम से भी जाना जाता है। अमर बेल के कच्चे धागे के काढ़ा का सेवन करने से गर्भपात होता है।

6. जुएं का पड़ना : हरे अमरबेल को पीसकर पानी के साथ मिला लें और बालों को धोएं। इससे जुएं मर जायेंगे। इसे पीसकर तेल में मिलाकर लगायें, इससे बालों के उगने में लाभ होगा।

7. बालरोग हितकर : अमरबेल का टुकड़ा बच्चों के गले, हाथ या बालों में बांधने से बच्चों के सभी रोग समाप्त हो जाते हैं।

8. खुजली :

अमरबेल के काढ़े से घाव या खुजली को धोने से बहुत फायदा होता है।

9. घाव :-

अमरबेल पीले धागे की तरह से भिन्न व हरे रंग की भी पायी जाती है जिसे पीसकर मक्खन तथा सोंठ के साथ मिलाकर लगाने से चोट का घाव जल्दी ही ठीक हो जाता है।

अमर बेल के 2-4 ग्राम चूर्ण को या ताजी बेल को पीसकर सोंठ और घी में मिलाकर लेप करने से पुराना घाव भर जाता है।

अमर बेल का चूर्ण, सोंठ का चूर्ण समान मात्रा में मिलाकर आधी मात्रा में घी मिलाएँ तैयार लेप को घाव पर लगाएँ।

10. पित्त बढ़ने पर :

आकाशबेल का रस आधा से 1 चम्मच सुबह-शाम खाने से यकृत (लीवर) के सारे दोष और कब्ज़ दूर हो जाते हैं, इसके साथ पित्त की वृद्धि को भी रोकता है जिससे जलन खत्म हो जाती है।

11. पेट का बढ़ा हुआ होना (आमाशय का फैलना) : हरे रंग की अमरबेल को पीसकर काढ़ा बनाकर 20 से लेकर 40 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह और शाम सेवन करने से यकृत या प्लीहा (तिल्ली) की वृद्धि के कारण पेट में आए फैलाव को निंयत्रित करता हैं। ध्यान रहे कि पीले रंग वाली अमरबेल का प्रयोग न करें।

12. सौंदर्य प्रसाधन: अमरबेल (पौधे पर फैले

पीले धागे जैसी परजीवी) की तरह की अमरबेल की एक और जाति होती है जोकि अपेक्षाकृत पीले से ज्यादा हरा होता है। इस हरे अमरबेल को पीसकर पानी में मिलाकर बाल धोने से सिर की जुएं समाप्त हो जाती है। इसे तेल में मिलाकर लगाने से बाल भी जल्दी बढ़ जाते हैं।

13. बाल : बेल को तिल के तेल में पीसकर सिर में लगाने से सिर की गंज में लाभ होता है तथा बालों की जड़ें मजबूत होती हैं।

लगभग 50 ग्राम अमरबेल को कूटकर 1 लीटर पानी में पकाकर बालों को धोने से बाल सुनहरे व चमकदार बनते है, बालों का झड़ना, रूसी में भी इससे लाभ होता है।

14. आंखों में सूजन (Swelling in eyes) :

बेल के लगभग 10 मिलीलीटर रस में शक्कर मिलाकर आंखों में लेप करने से नेत्राभिश्यंद (मोतियाबिंद), आंखों की सूजन में लाभ होता है।

15. मस्तिष्क (दिमाग) विकार : इसके 10-20 मिलीलीटर स्वरस को प्रायः पानी के साथ सेवन करने से मस्तिष्क के विकार दूर होते हैं।

16. पेट के विकार :

अमरबेल को उबालकर पेट पर बांधने से डकारें आदि दूर हो जाती हैं।

आकाश बेल का रस 500 मिलीलीटर या चूर्ण 1 ग्राम को मिश्री 1 किलोग्राम में मिलाकर धीमी आंच पर गर्म करके शर्बत तैयार कर लें। इसे सुबह-शाम करीब 2 ग्राम की मात्रा में उतना ही पानी मिलाकर सेवन करने से शीघ्र ही वातगुल्म (वायु का गोला) और उदरशूल (पेट के दर्द) का नाश होता है।

17. यकृत :

बेल का काढ़ा 40-60 मिलीलीटर पिलाने से तथा पीसकर पेट पर लेप करने से यकृत वृद्धि में लाभ होता है।

बेल का हिम या रस लगभग 5-10 मिलीलीटर सेवन करने से बुखार तथा यकृत वृद्धि के कारण हुई कब्ज मिटती है।

10 मिलीलीटर अमरबेल (पीले धागे वाली) का रस सुबह-शाम सेवन करने से यकृत सही हो जाता है। इससे यकृत दोष से उत्पन्न रोग भी दूर हो जाते हैं।

18. सूतिका रोग :

अमर बेल का काढ़ा 40-60 मिलीलीटर की मात्रा में पिलाने से प्रसूता की आंवल शीघ्र ही निकल जाती है।

19. अर्श (बवासीर) में : अमरबेल के 10 मिलीलीटर रस में पांच ग्राम कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर खूब घोंटकर रोज सुबह ही पिला दें। 3 दिन में ही खूनी और वादी दोनों प्रकार की बवासीर में विशेष लाभ होता है। दस्त साफ होता है तथा अन्य अंगों की सूजन भी उतर जाती है।

20. उपदंश (सिफिलिस) : अमरबेल का रस उपदंश के लिए अधिक गुणकारी हैं।

21. जोड़ों के (गठिया) दर्द :

अमर बेल का बफारा देने से गठिया वात की पीड़ा और सूजन शीघ्र ही दूर हो जाती है। बफारा देने के पश्चात इसे पानी से स्नान कर लें तथा मोटे कपड़े से शरीर को खूब पोंछ लें, तथा घी का अधिक सेवन
करें।

अमर बेल का बफारा (भाप) देने से अंडकोष की सूजन उतरती है।

22. बलवर्धक (ताकत को बढ़ाने हेतु) :

11.5 ग्राम ताजी अमर बेल को कुचलकर स्वच्छ महीन कपड़े में पोटली बांधकर, 500 मिलीलीटर गाय के दूध में डालकर या लटकाकर धीमी आंच पर पकाये। जब एक चौथाई दूध शेष बचे तो इसे ठंडाकर मिश्री मिलाकर सेवन करें। इससे कमजोरी दूर होती है। इस प्रयोग के समय ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

23. खुजली (itching): अमर बेल को पीसकर बनाए गए लेप को शरीर के खुजली वाले अंगों पर लगाने से आराम मिलता है।

24. पेट के कीड़े (Stomach bug): अमर बेल और मुनक्कों को समान मात्रा में लेकर पानी में उबालकर काढ़ा तैयार कर लें। इस काढ़े को छानकर 3 चम्मच रोजाना सोते समय देने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।

25. गंजापन (बालों का असमय झड़ जाना) (Baldness) : बालों के झड़ने से उत्पन्न गंजेपन को दूर करने के लिए गंजे हुए स्थान पर अमर बेल को पानी में घिसकर तैयार किया लेप धैर्य के साथ नियमित रूप से दिन में दो बार चार या पांच हफ्ते लगाएं, इससे अवश्य लाभ मिलता है।

26. छोटे कद के बच्चों की वृद्धि हेतु : जो बच्चे नाटे कद के रह गए हो, उन्हें आम के वृक्ष पर चिपकी हुई अमर बेल निकालकर सुखाएं और उसका चूर्ण बनाकर 1-1 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम पानी के साथ कुछ माह तक नियमित रूप से खिलाएं।

27. पेट के रोग (Stomach diseases): अमर बेल के बीजों को पानी में पीसकर बनाए गए लेप को पेट पर लगाकर कपड़े से बांधने से गैस की तकलीफ, डकारें आना, अपान वायु (गैस) न निकलना, पेट दर्द एवं मरोड़ जैसे कष्ट दूर हो जाते हैं।

28. सुजाक व उपदंश में:

अमर बेल का रस दो चम्मच की मात्रा में दिन में तीन बार सेवन करने से कुछ ही हफ्तों में इस रोग में पूर्ण आराम मिलता है।

29. यकृत रोगों में (Liver diseases):

यकृत (जिगर) की कठोरता, उसका आकार बढ़ जाना जैसी तकलीफों में अमर बेल का काढ़ा तीन चम्मच की मात्रा में दिन में, 3 बार कुछ हफ्ते तक पीना चाहिए।

30. रक्तविकार (blood disorder) : अमर बेल का काढ़ा शहद के साथ बराबर की मात्रा में मिलाकर दो चम्मच की मात्रा में दिन में तीन बार सेवन करें।

31. नजर तेज : नजर कमजोर होने पर, आंखों पर सूजन होने पर, अमर बेल का लेप आंखें की पलकों और माथे पर मालिश करने धीरे धीरे फायदा होता है। नजर तेज करने में अमर बेल सहायक है।

अमरबेल के नुकसान :

अमरबेल के उपायों व नुस्खों को आजमाने से पहले चिकित्सक से परामर्श करें।

गर्भवती महिला इसका सेवन ना करें।

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19/06/2025

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28/10/2024

*हार्ट में ब्लॉकेज के लक्षण, कारण, घरेलू इलाज और परहेज।*

1 हार्ट ब्लॉकेज
2 हार्ट ब्लॉकेज क्या है?
3 हार्ट ब्लॉकेज होने के कारण
3.1 स्टेबल ब्लॉक
3.2 अनस्टेबल ब्लॉक
4 हार्ट ब्लॉकेज के लक्षण
5 हार्ट ब्लॉकेज खोलने के लिए घरेलू उपाय
5.1 हार्ट ब्लॉकेज के लिए देसी इलाज अर्जुन वृक्ष की छाल
5.2 दालचीनी से हार्ट ब्लॉकेज की समस्या का उपचार
5.3 अलसी से हार्ट ब्लॉकेज की समस्या का इलाज
5.4 हार्ट ब्लॉकेज का देसी इलाज अनार से
5.5 लाल मिर्च से हार्ट ब्लॉकेज की समस्या का देसी उपचार
5.6 लहसुन का सेवन कर हार्ट ब्लॉकेज की समस्या का उपचार
5.7 हल्दी का सेवन कर हार्ट ब्लॉकेज का इलाज
5.8 हार्ट ब्लॉकेज खोलने के लिए नींबू का प्रयोग
5.9 हार्ट ब्लॉकेज की समस्या का उपचार अंगूर से
5.10 हार्ट ब्लॉकेज खोलने के लिए अदरक का इस्तेमाल
5.11 हार्ट ब्लॉकेज की समस्या का देसी इलाज तुलसी से
5.12 हार्ट ब्लॉकेज का देसी इलाज लौकी से
6 हार्ट ब्लॉकेज की रोकथाम के लिए आपका खानपान
6.1 संतृप्त/ट्रांस फैट से बचें
6.2 शक्कर आदि का सेवन ना करें
6.3 नमक
7 हार्ट ब्लॉक की रोकथाम के लिए आपकी जीवनशैली
7.1 धूम्रपान
7.2 तनाव घटाएँ
8 हार्ट ब्लॉक होने पर कब डॉक्टर से सम्पर्क करें?
हार्ट ब्लॉकेज
हार्ट ब्लॉकेज की समस्या दिल की धड़कन से जुड़ी एक बीमारी है। हार्ट ब्लॉकेज में मनुष्य की धड़कन सुचारू रूप से काम करना बंद कर देती है। इस दौरान धड़कन रुक-रुक कर चलती है। कुछ लोगों में हार्ट ब्लॉकेज की समस्या जन्म के साथ ही शुरू हो जाती है जबकि कुछ लोगों में बड़े होने पर यह समस्या विकसित होती है। हार्ट ब्लॉकेज की समस्या बच्चों से लेकर वृद्धावस्था में किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन मध्यावस्था में मतलब 30 वर्ष के बाद ज्यादा देखने को मिलता है।

प्रायः देखा जाता है कि हार्ट ब्लॉकेज की समस्या में लोग बहुत घबरा जाते हैं और कई तरह की कोशिश करते हैं ताकि हार्ट में हुआ ब्लॉकेज खुल जाए, लेकिन कई बार स्थिति गंभीर हो जाती है। ऐसे में रोगी आयुर्वेदिक तरीकों को अपनाकर हार्ट के ब्लॉकेज को खोल सकते हैं। आयुर्वेद में हार्ट ब्लॉकेज को खोलने के लिए कई सारे घरेलू उपाय बताए गए हैं, जिनसे आप लाभ ले सकते हैं। आइए सभी के बारे में जानते हैं।

हार्ट ब्लॉकेज क्या है?
जब हृदय में स्थित धमनियों की दीवारों में कफ धातु जमा हो जाता है तो उससे पैदा होने वाला विकार को ह्रदय प्रतिचय या हार्ट ब्लॉकेज कहते हैं। आधुनिक रहन-सहन और खाने-पीने की आदतों के चलते अधिकांश लोगों में हार्ट ब्लॉकेज की समस्या आम होती जा रही है। इसके अलावा हार्ट ब्लॉकेज की समस्या जन्मजात भी होती है। जन्मजात ब्लॉकेज की समस्या को कॉन्जेनिटल हार्ट ब्लॉकेज कहते हैं जबकि बाद में हुई समस्या को एक्वायर्ड हार्ट ब्लॉकेज कहते हैं। हार्ट ब्लॉकेज को जाँचने के लिए इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम यानि ईसीजी टेस्ट किया जाता है।

कोरोनरी आर्टरीज (धमनी) में किसी भी तरह की रुकावट के कारण हृदय में रक्त की आपूर्ति प्रभावित होती है। इससे रक्त के थक्के बनने लगते हैं, जिसके कारण दिल का दौरा पड़ता है। इसे एक्यूट मायोकार्डियल इंफार्कशन कहा जाता है।

हार्ट ब्लॉकेज होने के कारण
ब्लॉक्स, कोलेस्ट्रॉल, फैट, फाइबर टिश्यू और सफेद रक्त सेल्स का मिश्रण होता है, जो धीरे-धीरे नसों की दीवारों पर चिपक जाता है तो इससे हार्ट ब्लॉक होने लगता है। ब्लॉक का जमाव उसके गाढ़ेपन और उसके तोड़े जाने की प्रवृत्ति (नेचर) के अनुसार अलग-अलग तरह के होते हैं। अगर यह गाढ़ापन और सख्त होता है तो ऐसे ब्लॉक को स्टेबल कहा जाता है और यदि यह मुलायम होगा तो इसे तोड़े जाने के अनुकूल माना जाता है और इसे अनस्टेबल ब्लॉक कहा जाता है। यह रोग कफप्रधान वातदोष से होता है।

स्टेबल ब्लॉक
इस तरह का ब्लॉक धीरे-धीरे बढ़ता है। ऐसे में रक्त प्रवाह को नई आर्टरीज का रास्ता ढूंढ़ने का मौका मिल जाता है, जिसे कोलेटरल वेसेल कहते हैं। ये वेसेल ब्लॉक हो चुकी आर्टरी को बाईपास कर देती है और दिल की मांसपेशियों तक आवश्यक रक्त और ऑक्सीजन पहुंचाती है। स्टेबल ब्लॉक से रूकावट की मात्रा से कोई फर्क नहीं पड़ता, ना ही इससे गंभीर दिल का दौरा पड़ने की संभावना होती है।

अनस्टेबल ब्लॉक
अस्थाई ब्लॉक में, ब्लॉक के टूटने पर, एक खतरनाक थक्का बन जाता है और कोलेटरल को विकसित होने का पूरा समय नहीं मिल पता है। व्यक्ति की मांसपेशियां (Muscle) गंभीर रूप से डैमेज हो जाती हैं। कई बार इससे रोगी को अचानक दिल का दौरा पड़ जाता है या रोगी कार्डिएक डेथ का शिकार हो जाता है।

हार्ट ब्लॉकेज के लक्षण
हार्ट ब्लॉकेज अलग-अलग स्टेज पर होता है। प्रथम या शुरुआती स्टेज में कोई खास लक्षण नहीं होते। सेंकेंड स्टेज में दिल की धड़कन सामान्य से थोड़ी कम हो जाती है और थर्ड स्टेज में दिल रुक-रुक कर धड़कना शुरू कर देता है। सेकेंड या थर्ड स्टेज पर दिल का दौरा भी पड़ सकता है इसलिए इसमें तुरन्त इलाज की ज़रूरत होती है। हार्ट ब्लॉकेज के अन्य लक्षण निम्न हैं-

बार-बार सिरदर्द होना
चक्कर आना या बेहोश हो जाना
छाती में दर्द होना
सांस फूलना
छोटी सांस आना
काम करने पर थकान महसूस हो जाना
अधिक थकान होना
बेहोश होना
गर्दन, ऊपरी पेट, जबड़े, गले या पीठ में दर्द होना
अपने पैरों या हाथों में दर्द होना या सुन्न हो जाना
कमजोरी या ठण्ड लगना।

हार्ट ब्लॉकेज खोलने के लिए घरेलू उपाय
आप हार्ट ब्लॉकेज को रोकने के लिए ये घरेलू उपाय कर सकते हैंः-

हार्ट ब्लॉकेज के लिए देसी इलाज अर्जुन वृक्ष की छाल
हार्ट से जुड़ी बीमारियों जैसे कि हाई कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर, आर्टरी में ब्लोकेज और कोरोनरी आर्टरी डीजीज के इलाज में अर्जुन वृक्ष की छाल फायदा पहुंचाता है। यह कोलेस्ट्रोल लेवल को नियमित रखता है और दिल को मजबूत करता है। बेकार कोलेस्ट्रॉल को कम करने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में इस औषधि का इस्तेमाल होता है। आयुर्वेद के अनुसार इसका इस्तेमाल हार्ट ब्लोकेज में किया जा सकता है। इसकी छाल में प्राकृतिक ओक्सिडाइजिंग तत्व होते हैं।

दालचीनी से हार्ट ब्लॉकेज की समस्या का उपचार
हार्ट ब्लोकेज में काम आने वाली यह एक बढ़िया औषधि है। यह बेकार कोलेस्ट्रॉल को शरीर से कम करती है और हार्ट को मजबूती प्रदान करती है। इसमें भी ओक्सिडाइजिंग तत्व होते हैं। इसके नियमित इस्तेमाल से सांसों की तकलीफ दूर होती है और दिल की बीमारियाँ कम होती है।

अलसी से हार्ट ब्लॉकेज की समस्या का इलाज
अलसी के बीज रक्तचाप और सूजन को कम करने में आपकी मदद करते हैं। यह अल्फालिनोलेनिक एसिड (ALA) के सबसे अच्छे स्रोतों में से एक है। यह बंद धमनियों को साफ रखने और पूरे दिल के स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करता है।

इसके अलावा, अलसी में मौजूद बहुत अधिक मात्रा में फाइबर एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को धमनियों को साफ करने में मदद करता है। इसे इस्तेमाल करने के लिए आप एक चम्मच अलसी के बीज की नियमित रूप से पानी के साथ लें। इसके अलावा आप इसको जूस, सूप या स्मूदी में मिलाकर भी ले सकते हैं।

हार्ट ब्लॉकेज का देसी इलाज अनार से
इसमें फाइटोकेमिकल्स होते हैं जो एंटीऑक्सीडेंट के रूप में धमनियों की परत को क्षतिग्रस्त होने से रोकता है। रोजाना एक कप अनार के रस का सेवन करें।

लाल मिर्च से हार्ट ब्लॉकेज की समस्या का देसी उपचार
इसमें मौजूद कैप्सेसिन नामक तत्व खराब कोलेस्ट्रॉल या एलडीएल ऑक्सीकरण से बचाता है। यह रक्त में खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है, जो बंद धमनियों के मुख्य कारणों में से एक है। इसके अलावा यह ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करने और दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा कम करने में मदद करता है।

गर्म पानी के एक कप में आधा या एक चम्मच लाल मिर्च मिलाकर, कुछ हफ्तों के लए इसे नियमित रूप से लें। इसके अलावा आप चिकित्सक की सलाह से लाल मिर्च के सप्लीमेंट भी ले सकते हैं।

लहसुन का सेवन कर हार्ट ब्लॉकेज की समस्या का उपचार
यह बंद धमनियों को साफ करने के लिए सबसे अच्छे उपचारों में से एक है। यह रक्त वाहिकाओं को चौड़ा करने और रक्त परिसंचरण में सुधार में मदद करता है। लहसुन खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने और दिल के दौरे या स्ट्रोक का खतरा कम करने में मदद करता है।

समस्या होने पर तीन लहसुन की कली को काटकर एक कप दूध में मिलाकर उबाल लें। थोड़ा सा ठण्डा होने पर इसे सोने से पहले पीयें। इसके अलावा, अपने आहार में लहसुन को शामिल करें।

हल्दी का सेवन कर हार्ट ब्लॉकेज का इलाज
हल्दी बंद धमनियों को खोलने का कार्य करता है। करक्यूमिन, हल्दी में रहने वाला मुख्य घटक है। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इन्फ्लामेटरी गुण खून को जमने में रोकती है। गर्म दूध में रोजाना हल्दी मिलाकर सेवन करना चाहिए।

हार्ट ब्लॉकेज खोलने के लिए नींबू का प्रयोग
नींबू विटामिन-सी से भरपूर एक शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट है, जो रक्तचाप में सुधार लाने और धमनियों की सूजन को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा, नींबू ब्लड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने और रक्त प्रवाह में ऑक्सीडेटिंव के नुकसान को रोककर धमनियों को साफ करता है।

इसके लिए आप गुनगुने पानी के एक गिलास में थोड़ा सा शहद, काली मिर्च पाउडर और एक नींबू का रस मिला लें। कुछ हफ्तों के लिए दिन में एक या दो बार लें।

हार्ट ब्लॉकेज की समस्या का उपचार अंगूर से
अंगूर स्वादिष्ट और सेहतमंद दोनों होता है। अंगूर में कैलोरिज, फाइबर के साथ-साथ विटामिन-सी, विटामिन-ई और विटामिन-के भरपूर मात्रा में होता है। अंगूर के रोजाना सेवन से उम्र भी बढ़ती है क्योंकि यह नई टिश्यू के निर्माण में सहायक है जिससे आप पर बुढ़ापे का असर धीरे-धीरे और कम होता है।

हार्ट ब्लॉकेज खोलने के लिए अदरक का इस्तेमाल
अदरक एक लाभकारी औषधि है जिसमें कई सारे गुण होते हैं। इसके सेवन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है।

हार्ट ब्लॉकेज की समस्या का देसी इलाज तुलसी से
तुलसी के 25-30 पत्तोंं का रस, 1 नींबू तथा थ़ोड़ा सा शहद (अगर ड़ायबिटीज नहीं है तो) थ़ोड़ी मात्रा में चाटें या पानी में मिलाकर पियें।

हार्ट ब्लॉकेज का देसी इलाज लौकी से
दिल का दौरा का आयुर्वेदिक इलाज करने के लिए ब्लड एसिडिटी को क्षारिय वस्तुएं खाने की सलाह दी जाती है। इसे खाने से ब्लड में अम्लता घट जाती है और ब्लॉकेज खुल जाता है। ऐसे में लौकी की सब्जी और लौकी का जूस फायदेमंद है, जो रक्त की अम्लता कम करती हे।

लौकी के जूस में तुलसी की पत्तियां मिलाकर पिया जा सकता है। तुलसी की पत्ती में क्षारीय गुण होते हैं। इसके अलावा पुदीना भी मिला कर पीने पर लाभ मिलता है। इसके स्वाद को बदलने के लिए आप सेंधा नमक मिला सकते हैं इससे कोई हानि नहीं होगी।

हार्ट ब्लॉकेज की रोकथाम के लिए आपका खानपान
हार्ट ब्लॉक की समस्या ना हो इसके लिए आपका खानपान ऐसा होना चाहिएः-

संतृप्त/ट्रांस फैट से बचें
भोजन में कम से कम ऑयल, डाल्डा या घी से बचें। इनका ज्यादा सेवन धमनियों के ऊपर एक परत के रूप में जम जाता है और रक्त के प्रवाह पर असर डालता है।

शक्कर आदि का सेवन ना करें
मीठा सेवन करने से शरीर में कोलेस्ट्रोल का स्तर बहुत बढ़ सकता है। इससे रक्त के थक्के या रक्त का गाढ़ापन हो सकता है जो शरीर के लिए घातक साबित होता है।

नमक
नमक का सेवन कम करें ताकि हाइपरटेंशन पर नियंत्रण रहे।

हार्ट ब्लॉक की रोकथाम के लिए आपकी जीवनशैली
हार्ट ब्लॉक ना हो इसके लिए आपकी जीवनशैली ऐसी होनी चाहिएः-

धूम्रपान
धूम्रपान का सेवन ना करें क्योंकि इसका सीधा प्रभाव दिल की धमनियों पर पड़ता है।

तनाव घटाएँ
रोजाना 7-8 घण्टे की नींद लें तथा चिंता कम से कम करें।

हार्ट ब्लॉक होने पर कब डॉक्टर से सम्पर्क करें?
हार्ट ब्लॉक होने के ये लक्षण महसूस होने पर डॉक्टर से तुरंत सम्पर्क करना चाहिएः-

छाती के बीचों-बीच दर्द होना और कुछ मिनट तक इसका बने रहना।
छाती पर असहज दबाव महसूस होने
कंधे में दर्द और दर्द का गर्दन और बाएं हाथ तक फैलना। यह दर्द हल्का या जोर से भी हो सकता है। इसके कारण कड़ापन या भारीपन महसूस हो सकता है। यह सीने, पेट के ऊपरी भाग, गर्दन, जबड़े और बाजुओं में अंदर भी हो सकता है।
बेचैनी या ज्यादा पसीना आना
उल्टी या दस्त भी हो सकता है_

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