Swasthya Premi Pariwar

Swasthya Premi Pariwar "अपने डॉक्टर खुद बने। कम से कम दवाइया ले। "अपने डॉक्टर खुद बने। कम से कम दवाइया ले।"

19/09/2025

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Topic: रिश्तों में नवजीवन
Time: Sep 20, 2025 09:00 PM India
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🌺 नवरात्रि: स्वास्थ्य वृद्धि का त्यौहार(मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की दृष्टि से वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक नव रात्रि। भार...
19/09/2025

🌺 नवरात्रि: स्वास्थ्य वृद्धि का त्यौहार

(मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की दृष्टि से वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक नव रात्रि।

भारत की संस्कृति में त्यौहार केवल आनंद या परंपरा निभाने के लिए नहीं होते। प्रत्येक पर्व के पीछे गहरी वैज्ञानिकता, आध्यात्मिकता और स्वास्थ्य-वर्धक रहस्य छिपे होते हैं।
इन्हीं में से एक प्रमुख पर्व है नवरात्रि – नौ रातों का उत्सव, जो वर्ष में दो बार (चैत्र और शारदीय) बड़े उल्लास से मनाया जाता है।

सामान्य दृष्टि से यह देवी-पूजन, उपवास और गरबा/डांडिया का पर्व है, लेकिन गहराई से देखें तो यह शारीरिक शुद्धि, मानसिक संतुलन और आध्यात्मिक उन्नति का संपूर्ण कार्यक्रम है।
इसलिए इसे सही अर्थों में “स्वास्थ्य वृद्धि का त्यौहार” कहा जा सकता है।

🌿 1. नवरात्रि और शारीरिक स्वास्थ्य

🔹 (क) उपवास (Fasting) का महत्व

नवरात्रि का सबसे प्रमुख अंग है उपवास।

विज्ञान कहता है कि जब शरीर को लगातार भोजन मिलता रहता है तो पाचन तंत्र थका हुआ और बोझिल हो जाता है।

नवरात्रि में उपवास से पाचन तंत्र को विश्राम मिलता है।

उपवास के दौरान autophagy प्रक्रिया सक्रिय होती है, जिसमें शरीर स्वयं की “सफाई” करता है – यानी मृत कोशिकाएँ हटती हैं और नई कोशिकाओं का निर्माण होता है।

👉 इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity) बढ़ती है, वजन संतुलित होता है और chronic बीमारियों का खतरा घटता है।

🔹 (ख) सात्त्विक आहार का लाभ

नवरात्रि में लोग फलाहार, साबूदाना, कुट्टू, सिंहाड़ा, शकरकंद, दूध, फल, मेवे आदि खाते हैं।

यह भोजन हल्का, सुपाच्य और ऊर्जा देने वाला होता है।

इसमें प्राकृतिक विटामिन, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर होते हैं।

तैलीय, मसालेदार और जंक फूड से शरीर को राहत मिलती है।

👉 परिणाम: शरीर detox होता है और कोशिकाओं को नई ऊर्जा मिलती है।

🔹 (ग) ऋतु परिवर्तन का विज्ञान

नवरात्रि हमेशा ऋतु-संधि (seasonal junction) पर आती है –

चैत्र नवरात्रि: शीत से ग्रीष्म की ओर।

शारदीय नवरात्रि: वर्षा से शीत की ओर।

इन दिनों शरीर का metabolism कमजोर होता है और रोगों का खतरा बढ़ता है।
👉 उपवास और सात्त्विक आहार शरीर को संक्रमण से बचाते हैं और नई ऋतु के अनुकूल बनाते हैं।

🔹 (घ) नृत्य और व्यायाम

शारदीय नवरात्रि में रात को गरबा और डांडिया होते हैं।

यह पारंपरिक नृत्य aerobic exercise का काम करता है।

शरीर में रक्त संचार बढ़ता है, joints मजबूत होते हैं और कैलोरी बर्न होती है।

संगीत और नृत्य से मस्तिष्क में डोपामिन और एंडोर्फिन निकलते हैं, जो तनाव दूर करते हैं।

👉 नवरात्रि का यह हिस्सा weight management और heart health के लिए उत्कृष्ट है।

🧘‍♂️ 2. नवरात्रि और मानसिक स्वास्थ्य

🔹 (क) ध्यान और जप का प्रभाव

नवरात्रि में लोग देवी की आराधना, मंत्र-जप और ध्यान करते हैं।

इससे मन स्थिर होता है और मस्तिष्क की electrical activity में संतुलन आता है।

वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि मंत्र-जप और ध्यान से stress hormone cortisol घटता है।

मानसिक शांति, स्पष्टता और positivity बढ़ती है।

👉 यह अवसाद (depression), चिंता (anxiety) और तनाव को कम करता है।

🔹 (ख) नौ रूपों की साधना = मानसिक ऊर्जा

नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है –

शैलपुत्री (स्थिरता), ब्रह्मचारिणी (अनुशासन), चंद्रघंटा (संतुलन), कुष्मांडा (सृजन शक्ति), स्कंदमाता (ममता), कात्यायनी (साहस), कालरात्रि (भयमुक्ति), महागौरी (पवित्रता), सिद्धिदात्री (सिद्धि और पूर्णता)।

👉 इन रूपों की साधना मानसिक गुणों को विकसित करती है।

भय मिटता है, आत्मविश्वास आता है, नकारात्मकता दूर होती है।

🔹 (ग) सामूहिक उत्सव का मनोविज्ञान

नवरात्रि में परिवार, मित्र, पड़ोसी सब मिलकर पूजा और नृत्य करते हैं।

यह social bonding को मजबूत करता है।

अकेलेपन और तनाव की भावना घटती है।

सामूहिक भक्ति से मनोबल बढ़ता है।

👉 सामाजिक जुड़ाव मानसिक स्वास्थ्य का बहुत बड़ा आधार है।

🔹 (घ) रंग और प्रकाश का असर

हर दिन देवी को अलग रंग से जोड़ा जाता है।

यह color psychology के अनुसार mood पर असर डालता है।

साथ ही दीप, आरती और सजावट से वातावरण में positive energy का संचार होता है।

🌸 3. नवरात्रि के पीछे का विज्ञान और परंपरा

🔹 (क) ऋतु परिवर्तन का स्वास्थ्य विज्ञान

जैसा ऊपर बताया गया, ऋतु-संधि में शरीर कमजोर होता है।
👉 ऋषियों ने उपवास, जप और सात्त्विक आहार की परंपरा बनाई ताकि शरीर और मन दोनों detox हों।

🔹 (ख) देवी-पूजा का मनोविज्ञान

“देवी” = शक्ति का प्रतीक।

नवरात्रि हमें याद दिलाती है कि भीतर की शक्ति को जाग्रत करना ही जीवन का सार है।

यह आत्मबल और मानसिक दृढ़ता को बढ़ाने का वैज्ञानिक तरीका है।

🔹 (ग) उपवास और चंद्रमा का संबंध

नवरात्रि हमेशा अमावस्या से नवमी तक आती है।

यह वह समय है जब चंद्रमा का असर मन और शरीर पर गहरा होता है।

उपवास और ध्यान से इस ऊर्जा का सही उपयोग किया जाता है।

🔹 (घ) गरबा/डांडिया का प्रतीकवाद

गोल घेरा = ब्रह्मांड का चक्र।

नृत्य = जीवन की गति।

डांडिया = शक्ति और संतुलन।
👉 यह सामूहिक ध्यान (collective meditation) है, जिसमें संगीत और लय से शरीर-मन का तालमेल होता है।

🌱 4. नवरात्रि: स्वास्थ्य सुधार का समग्र मॉडल

अगर हम नवरात्रि को वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो यह हमें सिखाती है:

1. शरीर की शुद्धि – उपवास, सात्त्विक आहार, नृत्य।
2. मन की शुद्धि – जप, ध्यान, रंग, सामूहिक उत्सव।
3. आत्मा की शुद्धि – देवी-पूजन, भय-निवारण, शक्ति-साधना।

👉 आधुनिक विज्ञान की भाषा में कहें तो नवरात्रि एक holistic health program है, जिसमें:
Nutrition therapy
Fasting & detox
Stress management
Physical exercise
Group therapy
Meditation & spirituality

सब कुछ शामिल है।

Address

1, Haridhar Society, Opp To Surat Mercantile Bank, Honeypark To LP Savani Road, Adajan, Surat/
Surat
395009

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