23/12/2023
🙏 आपके घर का वास्तु -
आज बात करते हैं हमारे घर के ब्रह्म स्थान की ! जिस प्रकार हमारे शरीर में नाभि हमारे शरीर का सेण्टर भाग हैं और इससे पुरे शरीर की कायापलट हो सकती हैं, उसी प्रकार से ब्रह्म स्थान हमारे घर का मध्य भाग होता हैं ! किसी भी भवन के भीतर ब्रह्म स्थान का न केवल वास्तु की दृष्टि से बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी बहुत जयादा महत्तव हैं, शास्त्र मान्यता है कि इस स्थान का सम्बन्ध ब्रह्मा जी से हैं, तो भवन बनाते समय और भवन बनाने के बाद इस स्थान का विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि इस स्थान का सम्बद्ध हमारे घर कि सुख समृद्धि से भी होता हैं ! आज जबकि घरों के अंदर खुले आँगन कि परम्परा समापत होती जा रही हैं तो लोग अक्सर इस नियम कि अनदेखी करते हैं, जिसके कारन पैदा होने वाले वास्तु दोष कि वजह से पैदा होने वाली परशानियों से उन्हें जिंदगी भर उलझना पड़ता हैं !
वास्तु के अनुसार ब्रह्म स्थान को ईशान कोण कि भांति हमेशा साफ सुथरा और पवित्र रखना चाहिए ! ब्रह्म स्थान पर जूते, चप्पल, गन्दगी या कोई भी भारी वस्तुएं न रखें अन्यथा इससे बहुत बड़े वास्तु दोष उत्पन्न होते हैं जिसका खामियाजा घर के अन्य सदस्यों को झेलना पड़ता हैं !
ब्रह्म स्थान को हल्का सा ऊँचा बनाना चाहिए ताकि यहाँ पानी डालते ही वो चरों तरफ बिखर जाये, परन्तु इस स्थान को ज्यादा ऊँचा नहीं करना चाहिए अन्यथा ये राक्षस मुखी भूमि हो जाती हैं ,इसकी चर्चा कभी भूमि के 17 प्रकार कोनसे हैं उस टॉपिक में करेंगे ! वास्तु शास्त्र के अनुसार ब्रह्म स्थान को खुला रखना चाहिए ताकि हवा के साथ आने वाली सकारात्मक ऊर्जा के परवाह में बाधा न आये ! बहम स्थान कि छत को यथासंभव ऊँचा बनाये व् इस स्थान पर कम से कम दीवारें बनायें !
!! जय माता दी !!