13/10/2022
इथुजा सिनेपियम औषधि अनेक प्रकार के रोगों को ठीक करने में लाभकारी औषधि है परन्तु यह औषधि विशेष रूप से उल्टी (वमन) को रोकने में लाभकारी है।
यह औषधि बच्चों में उत्पन्न होने वाले विसूचिक (हैजा) रोग में लाभकारी होती है। जिस बच्चे को दूध न पचता हो तथा बच्चा दूध पीने के बाद तुरन्त उल्टी कर देता हो, उल्टी के बाद बच्चे को अधिक सुस्ती आती है जिसके कारण बच्चा गहरी नींद में सो जाता है। ऐसे लक्षणों में बच्चे को इथुजा सिनेपियम औषधि का सेवन कराने से रोग ठीक होता है।
यदि बच्चा दूध पीकर कुछ देर रुककर उल्टी करता है तथा बच्चे द्वारा पिया गया दूध दही के थक्कों के रूप में बाहर निकलता है तो बच्चों में उत्पन्न ऐसे लक्षणों में इथुजा सिनेपियम औषधि का सेवन कराएं। बच्चों में उत्पन्न होने वाले ऐसे रोग ठीक न होने पर बच्चे विसूचिका (हैजा) रोग से ग्रस्त हो सकता है। बच्चों में विसूचिका रोग होने पर बच्चों को पानी जैस हरे या लेसदार दस्त आने लगता है, पेट में दर्द होता है तथा पूरे शरीर में अकड़न पैदा होती रहती है। ऐसे में बच्चे को इथुजा सिनेपियम औषधि का सेवन कराने से विसूचिका (हैजा) रोग ठीक होता है।
इसके अतिरिक्त अन्य लक्षण जैसे- आंखों के नीचे की ओर घूम जाना जिसके कारण आंखों को किसी अन्य दिशा में घूम जाना कठिन हो जाता है। रोग बढ़ जाने पर चेहरा अन्दर की ओर धंस जाता है और होंठ ऊपर की ओर निकलने लगता है जिस पर छाला एक रेखा से घिरा रहता है जो नाक के नीचे से शुरू होकर मुंख के कोने तक पहुंच जाता है। रोगी में ऐसे लक्षण उत्पन्न होने पर इथुजा सिनेपियम औषधि का सेवन करना चाहिए।
खट्टा व फेंटा हुआ दूध थक्के के रूप में उल्टी होना, मल से खट्टेदार बदबू आना तथा माथे में पसीना आना आदि रोगों में इथुजा सिनेपियम औषधि का प्रयोग लाभकारी होता है। यह औषधि नाक के छिद्र बन्द होने पर प्रयोग करने से छिद्र खुल जाते हैं।
स्त्रियों में उत्पन्न होने वाले ऐसे लक्षण जिसमें स्त्री को घर में चूहा दौड़ते हुए दिखाई देता है। यह रोग उन स्त्रियों में होता है जो अधिक शारीरिक कार्य करती है तथा स्नायविक उत्तेजना ग्रस्त रहती है। ऐसे में इथुजा सिनेपियम औषधि का प्रयोग लाभकारी होता है।
12/10/2022
.परिचय- इस रोग के होने पर कलाई के अन्दर जगह-जगह पर बार-बार दबाव व खिंचाव के कारण दर्द होता है। इस रोग के कारण ऊतकों में सूजन आ जाती है जिसकी वजह से स्नायुओं पर दबाव और चुभने जैसी अनुभूति होती है।
लक्षण :-
अंगूठे, हाथ और अंगुलियों या प्रथम तीन अंगुलियों में चेतना शून्य होना (कुछ भी महसूस न होना), झनझनाहट होना, बाद में तेज चुभने वाला दर्द होना, हाथ व बांह में दर्द होना। दर्द छोटी वस्तुओं को पकड़ते या मुट्ठी बन्द करते समय महसूस होता है। रात में रोग ज्यादा परेशान करता है। मध्यम उम्र की स्त्री व गर्भवती स्त्रियों और वे जिन्हें अपनी अंगुलियों से ज्यादा काम करना पड़ता है उन्हें यह रोग अधिक होता है। टाइप करने या पेंट करने वाले या ब्रुश से काम करने वाले कलाकारों को यह रोग अधिकतर होता है।
हाथ की कलाई में सूजन होने पर क्या करें या क्या न करें :-
ऐसा कार्य करते समय जिनमें पकड़ना, मोड़ना, ऐठना शामिल हो उन्हें करते समय कुछ-कुछ समय बीच-बीच में आराम करते रहना चाहिए।
रोगी को विटामिन-बी काम्प्लेक्स, सी से युक्त पदार्थों का अधिक सेवन करना चाहिए।
इस रोग से पीड़ित रोगी को अपने हाथों को लम्बे समय तक किसी काम में उपयोग नहीं करना चाहिए।
हाथ में सनसनाहट व सुन्नता अधिकतर हाथ को नीचे लटकाने पर खत्म हो जाती है।
यदि हाथ की कलाइयों में दर्द और सुन्नता गम्भीर स्थिति तक बढ़ गई हो या बिना इलाज के कष्ट देने वाले लक्षण बढ़ गए हो तो तुरन्त चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।
इस रोग के होने पर रोगी को ठण्डी सिंकाई करनी चाहिए इससे अधिक लाभ मिलेगा।
रोगी को अपने हाथों व कलाइयों को प्राकृतिक स्थिति में रखना चाहिए।
की-बोर्ड का उपयोग करते समय कलाई रखने के स्थान पर सहारे के लिए कलाई के नीचे कुछ रख लेना चाहिए।
08/10/2022
Diabetes
मधुमेह रोगियों के लिए सेफलैंड्रा इंडिका एक और लाभकारी होम्योपैथिक उपचार है। यह रक्त यूरिया का उपचार करता है और रक्त शर्करा के स्तर का प्रबंधन करता है। मधुमेह के रोगी जो मधुमेह के लक्षणों के प्रतिकूल प्रभावों से पीड़ित हैं, वे राहत के लिए इस दवा का सेवन कर सकते हैं। हालांकि, मधुमेह के लक्षणों से राहत देने वाले लक्षण दिखने में कुछ समय लग सकता है। यह डिटॉक्सिफायर का काम करता है और किडनी की बीमारियों से भी छुटकारा दिलाता है। उचित संतुलित आहार को शामिल करने से डायबिटीज रिवर्सल की प्रक्रिया को बढ़ावा मिल सकता है।
05/10/2022
बुखार के साथ अंगों तथा पेशियों में होने वाले दर्द
यूपेटोरियम परफोलिएटम (Eupatorium Perfoliatum)
लक्षण – ये दवा प्रमुख तौर पर पाचन तंत्र, लिवर और फेफड़ों की श्लेष्मा झिल्लियों पर कार्य करती है। ये मलेरिया और इन्फलूएन्जा जैसी बीमारियों के बाद होने वाले हाथ-पैरों की मांसपेशियों में दर्द से राहत दिलाने में उपयोगी है।
इस दवा से ठीक होने वाले अन्य लक्षण निम्न प्रकार से हैं –
समय-समय पर सिरदर्द होना
जीभ पर पीले रंग की परत चढ़ना
कब्ज के साथ पतला और हरे रंग का मल आना
सीने में दर्द जो कि रात के समय बढ़ जाए
प्यास लगने के बाद सुबह 7 से 9 बजे ठंड लगना
हड्डियों में दर्द
सर्दी आने पर कुछ पीने में असमर्थ होना
28/09/2022
त्वचा का सफेद होना (Leucoderma)
त्वचा का सफेद होने पर विभिन्न औषधियों का प्रयोग
1. आर्सेनिकम सल्फुरेटम फ्लेवम :- त्वचा सफेद हो जाने पर यह औषधि अधिक उपयोगी है। त्वचा सफेद होने पर आर्सेनिकम सल्फुरेटम फ्लेवम औषधि की 2x, 30 या 200 शक्ति का प्रयोग किया जाता है। इस रोग में रोगी को पहले इस औषधि की 2x मात्रा का प्रयोग 2 महीनों तक दिन में 2 बार करना चाहिए। यदि इससे लाभ न मिले तो इस औषधि की 30 शक्ति का प्रयोग दिन में एक बार 3-4 महीनों तक करें। यदि इससे भी लाभ न हो तो फिर इस औषधि की 200 शक्ति की एक मात्रा सप्ताह में एक बार लें। इससे अवश्य लाभ मिलेगा।
2. ट्युबर्क्यूलीनम :- त्वचा सफेद हो जाने पर रोगी को महीने में एक बार इस औषधि की 200 शक्ति की एक मात्रा का सेवन करना चाहिए। इस रोग में इस औषधि के साथ आर्सेनिकम, सल्फुरेटम फ्लेवम- 3x मात्रा का भी प्रयोग किया जाता है।
3. हाइड्रोकोटाइल :- अगर त्वचा के सफेद हो जाने के रोग में आर्सेनिक व सल्फ फ्लेबम औषधि से लाभ न मिले तो हाइड्रोकोटाइल औषधि की 3x या 30 शक्ति का प्रयोग करना हितकारी होता है। रोगी को पहले इस औषधि की 3x मात्रा दिन में 3 बार सेवन करना चाहिए और एक महीने बाद इस औषधि की 30 शक्ति दिन में 3 बार सेवन करना चाहिए इससे लाभ मिलेगा।
27/09/2022
गीली खांसी
गीली खांसी होना या बार-बार सूखी खांसी होने पर लाइकोपोडियम औषधि की 12 शक्ति का उपयोग करना चाहिए। बुखार होना, सुस्ती आना,प्रलाप, जीभ सूखी रहना, तंद्रा होना (ऊंघ, आलस्य या थकावट) आदि लक्षण होने पर चिकित्सा करने के लिए आर्सेनिक औषधि की 3x मात्रा का प्रयोग करना चाहिए। बहुत अधिक बेचैनी होना और ऐसा महसूस होना जैसेकि खांसते-खांसते कलेजा फट जाएगा, जीभ का अगला भाग नीला होना और अधिक ऊंघाई आने पर उपचार करने के लिए रस-टक्स औषधि का उपयोग करना चाहिए।
26/09/2022
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If you are interested I can aware you, and share you knowledge about these therapies to get relief from your problems
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Mahendra Singh Ahuja
9929711991, 9413017763
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In this group of health school, you will be given information about eighteen types of medical methods and through them you can pay attention to your health and gain knowledge, so you can join it and join it for the health of all of your friends in your family. can take full care of.
Mahendra Singh Ahuja Healthcare Consultant
9929711991 ,9413017763
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26/09/2022
झीलों की नगरी उदयपुर में दिनांक 23, 24, 25 सितंबर को एक अद्भुत और शानदार सेमिनार हुआ जिसमें हॉलिस्टिक हीलिंग और therapis के बारे में भारत के जाने-माने प्रतिभाशाली महान व्यक्तित्व के धनी और ज्ञान के खजाने यहां एकत्रित हुए। ऐसे विभिन्न स्थानों से पधारे गुणी आचार्यों ने, विभूतियों ने भाग लिया उन सभी से चिकित्सा पद्धतियों के विशेष उपचारों से अवगत कराया, जिसमें मुझे भी एक मौका दिया मैं भी तीनों दिन वही रहा और होम्योपैथी का जो ज्ञान मैंने प्राप्त किया है, और जो अनुभव मुझे हुआ है, वह मैंने सभी के साथ साझा किया संस्था के संचालकों ने मुझे सम्मान भी दिया। मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि मैं आप लोगों से भी इसी प्रकार जुड़ा हुआ हूं और सभी को इस व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से अपने प्राप्त ज्ञान को सांझा करता हूं, आपकी मंगल कामनाएं शुभकामनाएं और दुआएं मेरे लिए शक्ति का स्त्रोत है, आप इसी प्रकार जुड़े रहिए।
A wonderful and splendid seminar took place on 23, 24, 25 September in Udaipur, the city of lakes, in which rich and treasures of knowledge gathered from well-known genius great personalities of India about Holistic Healing and Therapis. The virtuous masters who came from such different places, the personalities participated, informed all of them about the special treatments of medical systems, in which I also gave a chance, I too remained the same for all three days and the knowledge of homeopathy that I have gained, and the experience. It happened to me, I shared it with everyone, the directors of the organization also gave me respect. It is a matter of good fortune for me that I am connected with you people in the same way and share my knowledge through this WhatsApp group to all, your best wishes and prayers are the source of strength for me, you are like this Stay connected
26/09/2022
baby nasal congestion
नाक का बंद होना :-
बच्चे को सर्दी-जुकाम होने के कारण नाक से नजला आने पर नाक बंद हो जाता है परन्तु कभी-कभी सर्दी-जुकाम समाप्त होने के बाद भी बच्चे की नाक बंद रहती है। इससे बच्चे को सांस लेने में और छोड़ने में परेशानी होती है। बच्चे को दूध पीते तथा सोते समय भी कठिनाई होती है। इस तरह नाक बंद होने पर सांय-सांय की आवाज आती रहती है और बलगम भी निकलता रहता है। नाक सूखी होने के साथ नाक बंद होने के ऐसे लक्षणों में बच्चे को डल्कामारा- 3, सैम्बुकस- 3 या नक्स-वोमिका- 6 शक्ति की औषधि का प्रयोग करना हितकारी होता है।
नाक बंद होने के साथ बच्चे की छाती से घड़घड़ की आवाज आती हो तो बच्चे को ऐण्टिम-टार्ट औषधि की 6 शक्ति देने से लाभ होता है।
नाक से पानी की तरह पतला स्राव होने के कारण यदि बच्चे की नाक बंद हो गई हो तो बच्चे को कैमोमिला औषधि की 12 शक्ति का सेवन कराना चाहिए।
यदि नाक अधिक सूखा होने के बाद भी नाक बंद हो तो बंद नाक को खोलने के लिए शुद्ध सरसों के तेल को गर्म करके नाक में डालें। इससे नाक का सूखा श्लेष्मा पतला होकर निकल जाता है।
12/09/2022
कोहनी की हड्डी का हट जाना :-
ऐसा कभी-कभी ही होता है, यह रोग युवकों को अधिक होता है और बांह की हड्डी कोहनी के पीछे की ओर से बाहर जाती है। अन्य हडि्डयों से तुलना करने पर इसका पता चल जाता है। रोगी के इस रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी को एक कुर्सी पर बैठाना चाहिए इसके बाद चिकित्सक को रोगी की कुर्सी पर पैर रखकर खड़े रहना चाहिए और चिकित्सक को अपना घुटना रोगी की जांघ पर रखकर बांह को पकड़कर खींचना चाहिए। इससे वह खिसकी हड्डी अपनी जगह पर बैठ जाती है।
12/09/2022
हड्डी का खिसकना (Dislocation)
परिचय- यह रोग बूढ़ापे की अपेक्षा बच्चों और शिशुओं को अधिक होता है। इस रोग में हड्डी विशेषकर अपने स्थान से हट जाते हैं। इसके अलावा, निम्नांग की अपेक्षा उर्द्धागं की हड्डी अधिकतर हट जाती है। युवा पुरुष के अंगों की हडि्डयां जल्दी अपनी जगह से नहीं हटती है लेकिन यदि ऐसा हो जाता है तो उसे युवा पुरुषों की हडि्डयों की स्थान-च्युति कहते हैं इससे उन्हें बहुत अधिक परेशानी होती है। बच्चों की हडि्डयां जब अपने स्थान से हट जाती है तो वह जल्दी ही अपने स्थान पर बैठ जाती है। शरीर की हड्डी जब अपने स्थान से हट जाती है तो वह अंग टेढ़ा हो जाता है और हिलाने पर बहुत अधिक दर्द होता है।
घुटने का हटना :-
जब रोगी का घुटना हट जाए तो उसे सुलाकर, एक आदमी को उसे कसकर पकडे़ रखना चाहिए और इसके बाद दूसरा आदमी उस विकृति अंग को पकड़कर खींचे इससे हड्डी अपनी जगह पर बैठ जाएगी।
12/09/2022
अंजनहारी (Systes)
अंजनहारी की विभिन्न औषधियों से चिकित्सा :-
पल्सेटिला :
अंजनहारी पलक के ऊपर हो तो उसे ठीक करने के लिए पल्सेटिला औषधि की 200 शक्ति का उपयोग करना चाहिए।
स्टैफिसैग्रिया :
यदि अंजनहारी पल्स औषधि से न ठीक हो तो स्टैफिसैग्रिया औषधि की 30 शक्ति का प्रयोग करना चाहिए जिसके फलस्वरूप यह रोग ठीक हो जाता है। पल्स की जगह स्टैफिसैग्रिया का ही प्रयोग करने से शिकायत दूर होती रहती है। इस औषधि से अंजनहारी चाहे निचली पलक पर हो, चाहे ऊपरी पलक पर चाहे नया रोग हो, चाहे पुराना सभी ठीक हो सकते हैं।
हिपर :
यदि पल्स या स्टैफिसैग्रिया औषधियों से भी लाभ न हो और रोगी में अंजनहारी निकलने की प्रवृत्ति हो जाए तो हिपर सल्फ औषधि की 200 शक्ति का प्रयोग करना चाहिए।
08/09/2022
आंतों में हवा की गड़गड़ाहट (आध्माना) Rumbling (Borborygmus)
परिचय :- आंतों में गैस बनने के कारण पेट फूल जाता है और पेट से बराबर गड़गड़ाहट की आवाज आती रहती है। ऐसी स्थिति में पेट के गैस और पेट फूलने आदि को समाप्त करने के लिए विभिन्न होम्योपैथिक औषधि का प्रयोग किया जाता है।
रोग में अधिक जल्दी लाभ के लिए बीच-बीच में अन्य औषधि भी दी जाती है। बीच में दी जाने वाली औषधियां निम्न है :-
आयोडियम औषधि- 6 शक्ति, सल्फर औषधि- 30 शक्ति, मार्स औषधि- 3x, ऐलो औषधि- 3 से 200 शक्ति, कास्टिकम- 6 शक्ति, क्रोटन-टिग औषधि- 6 शक्ति, रस-टक्स औषधि- 3 शक्ति आदि।
साधारण प्रयोग द्वारा चिकित्सा :- आंतों के टी.बी. रोग के साथ दस्त अधिक आने पर बकरी के दूध के साथ सोडावाटर और काड लिवर ऑयल मिलाकर सेवन करना चाहिए। इससे पेट साफ होता है।
आंतों में गैस बनने के साथ उत्पन्न विभिन्न
04/09/2022
पार्किंसंस रोग एक प्रगतिशील विकार है जो तंत्रिका तंत्र और नसों द्वारा नियंत्रित शरीर के कुछ हिस्सों को प्रभावित करता है। लक्षण धीरे-धीरे शुरू होते हैं। पहला लक्षण केवल एक हाथ में बमुश्किल ध्यान देने योग्य कंपन हो सकता है। झटके आना आम बात है, लेकिन इस विकार के कारण भी कठोरता या गति धीमी हो सकती है।
Parkinson's disease is a progressive disorder that affects the nervous system and the parts of the body controlled by the nerves. Symptoms start slowly. The first symptom may be a barely noticeable tremor in just one hand. Tremors are common, but the disorder may also cause stiffness or slowing of movement.
नियमित होम्योपैथी डा.रेकवेग आर 3, आहार व्यवस्था एवं योगासन से पार्किंसंस रोग के जोखिम को कम कर सकते हैं।
Regular homeopathy Dr. Reckeweg R3, diet and yoga can reduce the risk of Parkinson's disease.
29/08/2022
बाल का गिरना – Falling of hair
● बाल गुच्छे के रूप में झड़ते हो . कभी यहाँ से कभी वहां से , चकत्ते के रूप में – (फास्फोरस 30 या 200, दिन में 2 बार तथा कैल्केरिया फ़ॉस 6X दिन में 4 बार )
● सफ़ेद खुश्क रूसी के कारण बालों का झड़ना , बालों का टूटकर गिरना – (थूजा 30, दिन में 3 बार )
● चिंता तथा मानसिक अवसाद के कारण सिर , भौं , पलकों , तथा , जननांग से बाल झड़ना – (एसिड फॉस 30, दिन में 3 बार)
● कंघी करने पर बाल टूटना – (कार्बो वेज , चाइना तथा बिस्बैडेन 30, दिन में 3 बार)
● सिफलिस के कारण बाल झड़ना – (अस्टिलेगो Q या 30 तथा फ्लोरिक एसिड 30, दिन में 3 बार)
● महिलाओं को प्रसव के बाद बाल झड़ना – (चाइना , कार्बो वेज , बिस्बैडेन . सभी 30, दिन में 3 बार)
● जब कोई खास कारण पता न चले – (सेलेनियम , फास्फोरस , कैल्केरिया फ़ॉस, एसिड फॉस)
● बालों को तेजी से बढ़ने और चमक लाने के लिए – (बिस्बैडेन 30, दिन में 3 बार)
10/08/2022
सूखी खाँसी का होम्योपैथी इलाज
08/08/2022
कान का दर्द
होम्योपैथी उपचार
01/08/2022
-हकलेपन की आदत होने पर रोगी को बोलने व किसी से बात करने में बहुत परेशानी होती है। हकलापन में व्यक्ति कभी बोलते समय बीच का शब्द भूल जाता है, कभी शुरू का शब्द बोलना भूल जाता है और कभी जोर-जोर से बोलता है। यह रोग छोटे बच्चों में विशेषकर 2 से 5 साल के बच्चों में माता-पिता के द्वारा बच्चों को बार-बार डांटने के कारण पैदा होता है। यदि कोई बच्चा प्रारम्भ के कुछ वर्षों में साफ बोलने में कुछ कठिनाई महसूस करता है या बोलते समय तुतलाता रहता है तो उसे हकलाना या तुतलाना रोग नहीं कहा जा सकता है क्योंकि बाद में चलकर बच्चा साफ बोलने लगता है। कारण :- हकलापन होने के कई कारण हो सकते हैं। भावानात्मक ठेस (आघात) पहुंचना, जबान तालु व होठ के विकास में पूर्ण सामंजस्य न होना, बाल्यावस्था के दौराना पीड़ा होना, डर या उत्तेजना होना आदि। विकास की गति धीमी होने के कारण भी हकलापन व तोतलापन आ सकता है। पचास से अधिक आयु वाले व्यक्ति में पक्षाघात होने के बाद यह रोग उत्पन्न हो सकता है। लक्षण :- इस रोग में रोगी बोलने में असमर्थ रहता है, कभी-कभी शुरू के शब्द को ही कई बार दोहरा देता है। कोई भी बात असंगत व असम्बद्ध हो तो वह नहीं कह पाता है। बोलने में वह कई प्रकार से परेशानी महसूस करता है। रोग और उसमें प्रयोग की जाने वाली औषधियां :- 1. हायोसाएमस :- यदि तुतलापन में स्ट्रैमोनियम औषधि से लाभ न मिलने पर हायोसाएमस औषधि की 30 शक्ति लें। इस औषधि के प्रयोग से तुतलान को दूर करने में लाभ मिलता है। 2. स्ट्रैमोनियम :- इस औषधि का प्रयोग हकलापन दूर करने में विशेष रूप से लाभप्रद है। इस औषधि का प्रयोग हकलापन से पीड़ित ऐसी रोगी के रोग को ठीक करने के लिए किया जाता है जिसमें रोगी काफी समय तक बोलने की कोशिश करता रहता है परन्तु ठीक से बोल नहीं पाता। इस तरह के हकलापन में रोगी को स्ट्रैमोनियम औषधि की 30 शक्ति का सेवन करना चाहिए और साथ ही मीठी चीजों का सेवन करना बन्द कर देना चाहिए। 3. कैलि-ब्रोम :- यदि किसी व्यक्ति को रुक-रुककर बोलने की आदत हो और जब वह बोलता हो तो बीच-बीच में कुछ शब्द बोलना भूल जाता है जिसके लिए उसे रुकना पड़ता है। ऐसे में रोगी को कैलि-ब्रोम औषधि का प्रयोग करना चाहिए। 4. कैमोमिला :- तुतलापन के ऐसे लक्षण जिसमें रोगी बोलते हुए बीच के शब्दों को बीच में ही छोड़ देता है और आगे बोलने लगता है। ऐसे में रोगी को कैमोमिला औषधि की 30 शक्ति का सेवन कराना चाहिए। 5. लाइकोपोडियम :- यदि कोई व्यक्ति तुतलाता है और वाक्य के शब्दों का उचारण ठीक प्रकार से नहीं कर पाता है तो उसे लाइकोपोडियम औषधि की 30 शक्ति का सेवन कराएं। 6. साइक्यूटा :- रोगी में उत्पन्न ऐसे लक्षण जिसमें रोगी कोई शब्द बोलना चाहता है लेकिन उसे वह शब्द बोला नहीं पाता। ऐसे रोगी के इस कष्ट को दूर करने के लिए साइक्यूटा औषधि की 3, 30 या 200 शक्ति का प्रयोग करना चाहिए। 7. नक्स-वोमिका :- अगर रोगी वाक्यों का उचारण करते समय वाक्य के बीच-बीच के कुछ शब्दों को छोड़ देता हो तो ऐसे लक्षणों में रोगी को नक्स-वोमिका औषधि का सेवन कराना लाभदायक होता है। 8. कैनेबिस-सैटाइवा :- हकलापन दूर करने के लिए कैनेबिस-सैटाइवा औषधि की 30 शक्ति का उपयोग करना चाहिए। तुतलापन व हकलापन से पीड़ित रोगी का उपचार करने के साथ ही कुछ अन्य उपाय :- तुतलापन से पीड़ित रोगी को चाहिए कि वह जो भी वाक्य या शब्दों को बोले उसे पहले मन में दोहरा लें। प्रतिदिन आराम से शांतपूर्णक शब्दों को बोलने की कोशिश करें और हमेशा बोलते समय तनाव से मुक्त रहकर ही बोलें। कुर्सी पर सीधें बैठे व सांस लेते समय सांस को ऊपर उठाएं। आगे झुकते समय रोकें व हाथ नीचे लाते समय सांस को धीमें से बाहर निकालें। बोलने की मांस-पेशियों को नियंत्रत करने हेतु स्पीक थेरैपी तकनीक का उपयोग करें। हकलाना रोकने के लिए स्वयं की आवाज को सुनने की कोशिश करें। हकलापन को दूर करने के लिए समूह में गाना गाने, नाटक करने से लाभ मिलता है। हकलाना दूर करने के लिए अपने आत्मविश्वास को जगाएं इससे लाभ मिलेगा। यदि आपके बच्चे को बोलने में कठिनाई हो या किसी शब्द को बोलने में परेशानी हो तो उसको इसका ऐहसास मत दिलाएं उसके रोग को उपचार करवाएं।