Vishwas Ayurvedic Clinic

Vishwas Ayurvedic Clinic आप हमें आयुर्वेदिक चिकित्सा व उपचार स?

10/07/2020

दिनांक 10॰7॰2020
प्रमेह-मधुमेह ( डायबिटीज़) के बारे में ( भाग 1)
मधुमेह होने की सामान्य वजह
आरामदायक बिस्तर पर निश्चेष्ट आराम से काफ़ी देर तक पड़े रहना तथा बहुत अधिक सोना, दही का अधिक सेवन,मांसाहार, कफवर्धक व शर्करा का अत्यधिक सेवन, प्रमेह-शुगर होने का मुख्य कारण होता हैं। अत्यधिक मूत्र त्याग व गंदला-बदबूदार मूत्र त्याग, मूत्रवह संस्थान की विकृति का कारक हैं। अतः मिथ्याहार-विहार के कारण जब आहार रस का सम्यक परिपाक ( पाचन) नहीं होता व रक्त दूषित कर देता हैं।

कल अगली कड़ी में अधिक जानकारी ~~~~

नमस्कार, किसी भी संक्रमण से स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए हम लेकर आऐ हैं दो निरापद औषधियां:-(1):- अमृता कैप्सूल (2):-  ह...
06/07/2020

नमस्कार,
किसी भी संक्रमण से स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए हम लेकर आऐ हैं दो निरापद औषधियां:-
(1):- अमृता कैप्सूल
(2):- हर्बल-टी
प्राप्त करने के लिए आप नीचे दिए गए नम्बर पर संपर्क कर सकते हैं ।
7412066680
9414164680

06/07/2020

( दिनांक:- 6•7•20)
हृदय रोग के संदर्भ में आगे ;-
बच्चे भी हृदयरोगी हो सकते हैं:- कुछ बालकों में जन्मजात हृदयरोग होता है। जन्म के पश्चात ज्ञात होता है कि उनके हृदय की धडकनें अनियमित हैं। इस बिमारी से ग्रसित बच्चे अल्पायु में मर जाते हैं।
अतः इस रोग की पहचान करने के लिए देखना चाहिए कि वह बार बार बेहोश तो नहीं होता या उसके हृदय की धडकनें कभी मंद तो कभी तेज तो नहीं होती अथवा सांस लेने में तकलीफ तो नहीं होती?अगर ऐसा है तो तुरंत चिकित्सा सहायता आवश्यक है। आमतौर पर देखा जाता है कि इस पर ज्यादातर श्वासरोग व निमोनिया समझकर भूल हो जाती है।
बहरहाल हृदय रोग से संबंधित किसी भी समस्या के लिए आप हमसे संपर्क कर सकते हैं, आयुर्वेदिक तरीके से उचित परामर्श व निदान किया जाएगा, क्योंकि आयुर्वेद विधा निश्चित रूप से रोग को ठीक करती है और आगे की जटिलता को भी रोक देती हैं।
डा• निर्भय शंकर दीक्षित
उदयपुर ( राजस्थान )

05/07/2020

( दिनांक:- 5•7• 20)
हृदय रोग के संदर्भ में, आगे,
(1):- वातिक हृदय रोग:-
हृदय में खिंचाव व सूई के चुभने जैसा या कोई डंडे से मथ रहा है, ऐसा प्रतीत होता है। इसमें पीड़ा की विशेषता रहती हैं। हृदय शूल ( Angina) तथा हृदयवाहिनी की घना स्त्रता ( Coronary thrombosis), का यह विशिष्ट लक्षण हैं। उपरोक्त दोनों स्थितियों में दर्द तो होता है किंतु दर्द की भिन्नता व लक्षण अलग-अलग होते हैं।
हृदयशूल ( Angina) में भोजनोपरांत शूल का आक्रमण होता है। रोगी निश्चल खड़ा रहता है, हिलने-डुलने से डरता हैं, चेहरा पीला पड़ जाता है और ठंड लगने का अनुभव करता है। दर्द का अनुभव कभी दाएं, कभी बाएँ या दोनों भुजाओं में होता है परंतु ज्वर नहीं होता। कुछ देर में आवेग समाप्त हो जाता है।
(2):- हृदयवाहिनी घनास्त्रता ( Coronary thrombosis):-
रात्रिकालीन सोने पर जब रक्त प्रवाह मंद होने पर इसका आक्रमण होता है। शरीर गर्म तथा रोगी जबरदस्त बैचैनी अनुभव करता है, हृदय में अनियमित कंपन भी अनुभव करता है। यह हृदय के नियमित रक्त प्रवाह में अवरोध
( Blockage) का लक्षण हैं।

आगे जानकारी अगले क्रम में मैं, तब तक इंतज़ार कीजिये;

04/07/2020

(दिनांक 4•7•20 )
हृदयरोग के संदर्भ में जानकारी
निरंतर अधिक गर्म व भारी भोजन करनें से, कषाय-कड़वे पदार्थों के सेवन से, अत्यधिक श्रम, चोट, चिंतन तथा शरीर के प्राकृतिक वेगों ( मल,मूत्र,छींक, क्षुधा व शुक्र)को रोकने से पाँच प्रकार के हृदय रोग हो सकतें हैं।
चरक संहिता के अनुसार:-
वातिक,पैतृक,श्लेश्मिक,
सन्निपातिक तथा कृमिज भेद से ।
आगे जानकारी अगले क्रम में:- तब तक इंतज़ार कीजिये, नमस्कार

03/07/2020
30/06/2020

An Ayurveda is ancient and proved way of treatment and to provide best health care services for living beings. Being Ayurveda Physician for entire life served, benefited and cured many patients. Now at a age of 77 years i felt and also my patients and akin,s suggested to treat more people in a best possible capacity and efforts.

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