28/11/2025
#गर्भ_में_बच्चे_का_लिंग_शुरुआत_में_ही_निश्चित_हो_जाता_है
मानव विकास विज्ञान के अनुसार बच्चे का लिंग गर्भधारण की प्रक्रिया के बिल्कुल शुरुआती क्षण में ही निर्धारित हो जाता है। जब पिता का शुक्राणु (s***m) और माँ का अंडाणु (o**m) मिलकर ज़ाइगोट बनाते हैं, उसी समय बच्चे का लिंग तय हो जाता है।
#लिंग_निर्धारण_कैसे_होता_है?
मनुष्य में दो प्रकार के सेक्स क्रोमोसोम पाए जाते हैं—
X क्रोमोसोम
Y क्रोमोसोम
माँ के अंडाणु में हमेशा X क्रोमोसोम होता है।
पिता के शुक्राणु में या तो X या Y क्रोमोसोम हो सकता है।
जब निषेचन होता है—
यदि X (माँ) + X (पिता) मिलते हैं → XX = लड़की
यदि X (माँ) + Y (पिता) मिलते हैं → XY = लड़का
यानि बच्चे का लिंग पिता के शुक्राणु द्वारा लाए गए क्रोमोसोम पर निर्भर करता है।
क्या गर्भ में लिंग बदल सकता है? - नहीं, बिल्कुल नहीं।
लिंग निर्धारण एक जैविक और स्थायी प्रक्रिया है। एक बार XX या XY क्रोमोसोम संयोजन बन जाने के बाद इसे बदला नहीं जा सकता।
#बच्चे_की_यौन_विशेषताएँ_कैसे_विकसित_होती_हैं?
गर्भावस्था के शुरुआती कुछ हफ्तों तक सभी भ्रूण लगभग एक जैसे दिखाई देते हैं।
लगभग 6–8 सप्ताह बाद:
यदि XY क्रोमोसोम है, तो टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन शुरू होता है जिससे पुरुष विशेषताओं का विकास होता है।
यदि XX क्रोमोसोम है, तो डिम्बग्रंथियों (Ovaries) का विकास होता है और महिला विशेषताएँ बनती हैं।
#लिंग_पहचान_से_जुड़े_कानूनी_पहलू
भारत में PCPNDT Act (Pre-Conception and Pre-Natal Diagnostic Techniques Act) के तहत— भ्रूण का लिंग बताना या पूछना कानूनी अपराध है।
माता–पिता के लिए महत्वपूर्ण संदेश .......
बच्चा लड़का हो या लड़की, दोनों बराबर हैं।
(लेकिन विज्ञान सम्मत ज्ञान के अभाव में घर और आस-पड़ौस की महिलाएं गर्भवस्थ माँ को मनचाही सन्तान की महत्वाकांक्षा में अनावश्यक चीजों का सेवन करने को बाध्य कर घोर अत्याचार करती हैं, जो माँ और बच्चे के लिए हानिकारक सिद्ध होता है)
गर्भावस्था में सबसे महत्वपूर्ण बात है—
अच्छी देखभाल
संतुलित भोजन
नियमित जांच
मानसिक शांति
स्वस्थ बच्चे का जन्म ही सबसे बड़ा आशीर्वाद है।
(Note: भारत में लिंग पहचान कराना कानूनी रूप से प्रतिबंधित है। यह लेख केवल वैज्ञानिक जानकारी के लिए है, किसी भी प्रकार के लिंग-निर्धारण परीक्षण से इसका संबंध नहीं है।
प्रो (डॉ) अनन्त प्रकाश गुप्ता