DR.ZAiD The Physiotherapist. UDGIR

DR.ZAiD The Physiotherapist. UDGIR Discover personalized physiotherapy at UDGiR! Top private center for pain relief and wellness.

25/04/2025

Physiotherapy Camp for Haj pilgrims || زائرین حج کیلئے فزیوتھراپی خدمات

21/04/2025
"आज चिकित्सा जगत ने एक अनमोल रत्न खो दिया।सोलापुर के न्यूरोलॉजी क्षेत्र के अग्रणी, डॉ. शिरीष वलसंगकर अब हमारे बीच नहीं र...
19/04/2025

"आज चिकित्सा जगत ने एक अनमोल रत्न खो दिया।
सोलापुर के न्यूरोलॉजी क्षेत्र के अग्रणी, डॉ. शिरीष वलसंगकर अब हमारे बीच नहीं रहे।
SP Institute of Neurosciences के संस्थापक, वे सिर्फ डॉक्टर नहीं, हौसला और सहारा देने वाले इंसान थे।

उनकी मुस्कान में विश्वास था, शब्दों में राहत।
हज़ारों मरीज़ों को चलने और जीने की ताक़त दी।
एक फिजियोथेरेपिस्ट होने के नाते, मैंने उनके मरीज़ों से हमेशा उनकी सेवा, समर्पण और संवेदना की तारीफ सुनी है।

Dr. Shirish Valsangkar — A true gem of neurology.

- DR ZAiD THE PHYSIOTHERAPIST"

World Parkinson's Day
11/04/2025

World Parkinson's Day

  – A Joyful Bonding!Heartfelt thanks to all respected doctors for making our 3rd Eid Milan Get-Together so special. You...
04/04/2025

– A Joyful Bonding!
Heartfelt thanks to all respected doctors for making our 3rd Eid Milan Get-Together so special. Your presence added warmth, unity, and joy to the celebration.
Looking forward to more such memorable moments!

ईद की खुशियाँ अपनों के साथ और भी खास बन जाती हैं! दोस्तों की प्यारी महफ़िल ने इस ईद को यादगार बना दिया।
01/04/2025

ईद की खुशियाँ अपनों के साथ और भी खास बन जाती हैं! दोस्तों की प्यारी महफ़िल ने इस ईद को यादगार बना दिया।

Eid Mubarak!  ईद मुबारक !
31/03/2025

Eid Mubarak! ईद मुबारक !

 #क्या_हम_अपने_माता_पिता_से_अपने_प्रेम_का_इज़हार_करते_हैं ?हम अपनी पत्नी, बच्चों और दोस्तों से प्यार जताते हैं, उनके लिए...
25/03/2025

#क्या_हम_अपने_माता_पिता_से_अपने_प्रेम_का_इज़हार_करते_हैं ?

हम अपनी पत्नी, बच्चों और दोस्तों से प्यार जताते हैं, उनके लिए समय निकालते हैं, उनके साथ खुशियाँ बाँटते हैं। लेकिन क्या हमने कभी रुककर यह सोचा कि हम अपने माता-पिता के लिए क्या करते हैं? वे माता-पिता, जिन्होंने हमारी पूरी ज़िंदगी संवारने के लिए अपनी खुशियों की कुर्बानी दी, क्या हमने कभी उनसे कहा: "माँ, पापा! मैं आपसे बेइंतहा प्यार करता हूँ।"

अपने दस साल के फिज़ियोथेरेपी अनुभव में, मैंने कई ऐसे घर देखे हैं, जहाँ संतान अपने माता-पिता के लिए अपनी जान तक निछावर करने को तैयार है। अगर किसी बीमारी या लकवे की वजह से माँ खुद से नहीं खा पा रही, तो बेटा अपने हाथों से उसे खाना खिला रहा है। अगर पिता बिस्तर पर हैं, तो बेटा उन्हें नहला-धुला रहा है, दवा दे रहा है, सहारा दे रहा है। यह उनके लिए कोई बोझ नहीं, बल्कि सौभाग्य और खुशी का पल है। ऐसे घरों में जाकर मैं खुद को भाग्यशाली महसूस करता हूँ कि ईश्वर ने मुझे इतनी काबिलियत दी कि मैं भी उनकी सेवा में अपनी भूमिका निभा सकूँ।

लेकिन अफ़सोस! मैंने ऐसे भी घर देखे हैं, जहाँ बच्चे अपनी दुनिया में इतने मसरूफ़ हैं कि उनके पास माँ-बाप के पास बैठने, उनका हाल-चाल पूछने, उनकी ज़रूरतों का ख्याल रखने का वक्त ही नहीं। हद तो यह है कि बस एक-दो फोन कॉल करके यह जान लेना काफी समझते हैं कि वे ज़िंदा हैं या नहीं। क्या ऐसी ज़िंदगी का कोई फायदा? तुम्हारी जवानी किस काम की, अगर तुम अपने ही माता-पिता के काम न आ सको, जब वे तुम्हारे सबसे ज्यादा ज़रूरतमंद हैं?

यही वे माता-पिता हैं, जिन्होंने तुम्हें उंगली पकड़कर चलना सिखाया, तुम्हारे पहले शब्द सुनकर खुशी के आँसू बहाए। जब तुम बोल नहीं सकते थे, तब भी वे तुम्हारी भूख और तकलीफ को समझ जाते थे। और आज, जब वे उम्र के उस पड़ाव पर हैं, जहाँ उन्हें तुम्हारी सबसे ज्यादा जरूरत है, तो तुम उन्हें नज़रअंदाज़ कर रहे हो? उनकी बातों को टालकर कहते हो, "सीधे बोलो, कहना क्या चाहते हो?"

बर्बाद है वह इंसान जो अपने माता-पिता के जीते-जी उनकी कद्र न करे, उनकी सेवा न करे और अपनी जन्नत को खुद अपने हाथों से ठुकरा दे। भाग्यशाली हैं वे लोग जो अपने माता-पिता को कंधों पर बैठाकर अस्पताल ले जाते हैं, जो अपनी व्यस्तता छोड़कर उनके चरणों में बैठते हैं, उनके चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए कुछ भी कर जाते हैं।

आज दुनिया की चकाचौंध तुम्हें बहुत खूबसूरत लग रही है, लेकिन जब माता-पिता का साया सिर से उठ जाएगा, तब समझ आएगा कि असली खूबसूरती तो उनके वजूद में थी। वे तुम्हारी हर तकलीफ का मरहम थे, तुम्हारी हर परेशानी का हल थे।

गर्व से, प्रेम से, श्रद्धा से दिन में दस बार कहो:
"माँ! मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ।"
"पापा! मैं आपका एहसानमंद हूँ, आप मेरे सब कुछ हैं।"

उन्हें यकीन दिलाओ कि जिस बीज को उन्होंने सींचा, जिस पौधे को धूप से बचाया, जो आज एक विशाल वृक्ष बन चुका है, वही वृक्ष आज उनके लिए ठंडी छाँव बनने के लिए तैयार है। दिन में दस बार उन्हें फोन करो, उनके पास बैठो, उनके पैरों को दबाओ, उनके साथ वक्त बिताओ। क्योंकि यही तुम्हारी असली जन्नत है, यही सफलता का रास्ता है, और यही तुम्हारी असली मंज़िल है।

डॉ. ज़ैद ,
दि फिजियोथैरेपिस्ट

Successful Recovery Of ACL and Meniscus Rehab
10/03/2025

Successful Recovery Of ACL and Meniscus Rehab

17/02/2025

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