05/12/2021
शुक्राणु (वीर्य) की कमी क्या है?
(What is Low S***m Count in Hindi)
शुक्राणुओं की कमी का अर्थ है कि यौन प्रक्रिया के दौरान पुरुषों के लिंग से निकलने वाले सीमेन में कम शुक्राणुओं का पाया जाना। कम शुक्राणुओं की समस्या यानि लो स्पर्म काउंट को ओलिगोस्पर्मिया (Oligospermia in Hindi) कहते हैं।
यदि किसी पुरुष के सीमेन में एक भी शुक्राणु ना मिलें तो उसे एजूस्पर्मिया (Azoospermia) कहा जाता है। मगर तब भी निराश नहीं होना चाहिए, कई लोगों में क्रयफ़ोजूस्पेर्मिया भी होता है।
सामान्य शुक्राणु की संख्या कितनी होती है
(Number of Normal S***m Count in Hindi)
एक पुरुष के वीर्य में सामान्य तौर पर शुक्राणु की संख्या (Normal S***m Count in Hindi) 15 मिलियन शुक्राणु से 200 मिलियन से अधिक शुक्राणु प्रति मिलीलीटर (एम एल) तक होती है।
यदि किसी पुरुष के एक मिलीलीटर सीमेन में 15 मिलियन से कम शुक्राणु की मात्रा हैं तो उसको कम शुक्राणुओं की समस्या है।
शुक्राणु कम होने के लक्षण
(Low S***m Count Symptoms in Hindi)
शुक्राणु कम होने के लक्षण में सबसे मुख्य लक्षण है कि एक पुरुष बच्चे पैदा करने में असमर्थ होता है।
हालाँकि, इस समस्या के कोई ख़ास लक्षण या स्पष्ट संकेत दिखाई नहीं देते हैं। कुछ मामलों में हार्मोन में असंतुलनता, फैला हुआ टेस्टिक्युलर नस या शुक्राणु के गुजरने में बाधा उत्पन्न करने वाला एक विकार संभावित रूप से चेतावनी संकेतों का कारण बन सकता है।
शुक्राणु की कमी के लक्षणों में यह भी शामिल हैं
(Symptoms of Low S***m Count in Hindi)
यौन प्रक्रिया की समस्याएं:-
कामेच्छा में कमी, स्तंभन दोष या नपुंसकता।
वृषण (te**es) में दर्द, सूजन या गांठ का होना।
शरीर के बालों का कम होना या फिर क्रोमोसोम अथवा हार्मोन की असामान्यता भी शुक्राणु की कमी के लक्षण हो सकते हैं।
शुक्राणु (वीर्य) की कमी के क्या कारण होते हैं (Causes of Low S***m Count in Hindi)
अधिकांश पुरुष पूरी तरह से अपनी प्रजनन स्थिति से अनजान होते हैं। जब तक कि किसी महिला को गर्भवती ना कर दें, तब तक वे अंधेरे में रहते हैं। लेकिन ज्यादातर मामलों में कारण अव्यवस्थित रहता है क्योंकि शुक्राणु की कम संख्या एक अस्थायी परिवर्तन के रूप में हो सकता है।
शुक्राणुओं की कम संख्या कई चिकित्सा मुद्दों, पर्यावरणीय कारकों और जीवनशैली विकल्पों के कारण भी हो सकता है।
शुक्राणु बनने की प्रक्रिया एक जटिल प्रक्रिया है। इसके लिए वृषण के साथ हाइपोथैलेमस और पिट्यूटरी ग्रंथियों को सामान्य रूप से कार्य करने की आवश्यकता होती है। यदि किसी भी अंग में समस्या हुई तो शुक्राणु की पैदावार कम हो सकती है।
अक्सर कम शुक्राणुओं की कमी की समस्या के कारण के बारे में पता नहीं लग पाता है। इसका इलाज भी समस्या की गंभीरता पर निर्भर करता है।
मेडिकल कारण
कई स्वास्थ्य समस्याओं और मेडिकल उपचार के कारण शुक्राणुओं में कमी आ सकती है। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं :-
वैरीकोसेल (Varicocele) – वृषण से निकलने वाली नसों को वैरीकोसेल कहा जाता है। यदि किसी पुरुष को वृषण में सूजन आ जाए, तो उसके पिता बनने में समस्या आ सकती है।
कुछ संक्रमण शुक्राणुओं के पैदावार को प्रभावित करते हैं। जिनमें शामिल है- कुछ यौन संचारित संक्रमण (क्लैमाइडिया, गोनोरिया आदि) साथ ही मूत्रमार्ग में होने वाले अन्य संक्रमण के कारण शुक्राणुओं की कमी हो सकती है।
अगर किसी पुरुष को स्खलन (Ej*******on) में समस्या होती है, तो उसे शुक्राणुओं की कम संख्या की समस्या हो सकती है।
ट्यूमर के इलाज के लिए सर्जरी, विकिरण या कीमोथेरेपी शुक्राणुओं की संख्या कम कर सकती है।
मस्तिष्क और टेस्टिकल्स कई हार्मोन उत्पन्न करते हैं जो स्खलन और शुक्राणु की पैदावार को प्रभावित करते हैं। जिस कारण हार्मोनल असंतुलन शुक्राणुओं की संख्या कम कर सकता है।
बीटा ब्लॉकर्स, एंटीबायोटिक्स और ब्लड प्रेशर दवाओं जैसी कुछ दवाएं स्खलन की समस्याएं पैदा कर सकती हैं और शुक्राणुओं को कम कर सकती हैं।
पर्यावरण सम्बन्धी कारण
कुछ पर्यावरणीय तत्वों के संपर्क में आने से शुक्राणुओं की संख्या प्रभावित हो सकती है। जिसके मुख्य कारण हैं :-
औद्योगिक रसायन जैसे- लेड (lead), एक्स-रे, रेडिएशन आदि शुक्राणु के उत्पादन को कम करने के साथ-साथ अन्य स्वास्थ्य समस्या भी हो सकती है।
वृषण का अधिक गर्म होना यानि गर्म पानी से अधिक नहाना या हॉट टब का रोज़ाना इस्तेमाल करना, आपके शुक्राणुओं के उत्पादन को प्रभावित करता है।
अधिक समय तक साइकिल चलाने के कारण वृषण गरम हो जाते हैं। जिस कारण पुरुषों की प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है।
स्वास्थ्य और जीवन शैली
नशीली दवाओं या पदार्थों के सेवन से आपके शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता कम हो सकती है।
शराब के सेवन से टेस्टोस्टेरोन के स्तर में कमी आ जाती है साथ ही शुक्राणु के उत्पादन में कमी हो सकती है।
धूम्रपान ना करने वाले अन्य व्यक्तियों की तुलना में धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों के अंदर शुक्राणुओं की संख्या कम होती है।
जिम में लेने वाले स्टेरॉयड युक्त प्रोटीन भी शुक्राणुओं की संख्या कम कर देता है।
यदि तनाव लंबे समय से हैं तो यह आपके शुक्राणु बनाने वाले कुछ हार्मोन को असंतुलित कर देता है।
आपका वजन भी एक कारण हो सकता है जो हार्मोन में बदलाव ला सकता है। जिस कारण पुरुषों की प्रजनन क्षमता कम हो जाती है।
शुक्राणु की कमी का इलाज
(Low S***m Count Treatment in Hindi)
शुक्राणुओं की कम संख्या बांझपन के क्षेत्र में इलाज योग्य है, और उपचार स्थिति के कारण पर निर्भर करता है।
एक आदमी जिसकी वैरीकोसेल यानि वृषण से निकलने वाली नसों में सूजन या एक शुक्राणु वाहिका नली (Vas Deferens Tube) में ब्लॉकेज है, तो सर्जरी के द्वारा ठीक किया जा सकता है। मूत्रमार्ग या प्रजनन पथ के संक्रमण के कारण शुक्राणुओं की कमी के लिए, संक्रमण को साफ़ करने के लिए एंटीबायोटिक दवाएं निर्धारित की जाती हैं।
दवा और हार्मोन प्रतिस्थापन उपचार का उपयोग तब किया जाता है जब शुक्राणुओं की कमी का कारण हार्मोनल असंतुलन से संबंधित होता है।
यदि एक दम्पति एक साल के लम्बे प्रयास के बाद भी गर्भधारण करने में सक्षम नहीं है तो उनको एक बांझपन विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।
लौ स्पर्म काउंट ट्रीटमेंट (Low S***m Count Treatment in Hindi) यानि ओलिगोस्पर्मिया ट्रीटमेंट के लिए डॉक्टर उन्हें आई यू आई (इंट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन), आई वी एफ (इन विट्रो फर्टीलाइज़ेश), आई सी एस आई (इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन) द्वारा गर्भधारण की सुविधा के लिए प्रजनन तकनीक की सहायता की सलाह देंगे।
यदि किसी मामलें में जहां स्खलन में बहुत शुक्राणु पाए जाते हैं या बहुत कम शुक्राणुओं की संख्या टेस्टिकुलर स्पर्म एस्पिरेशन प्रक्रियाओं की सलाह दी जाएगी, जो शुक्राणुओं को टेस्टिकल्स से निकालने के बाद आई वी एफ के साथ संयोजन के लिए उपयोग किया जाता है।
कभी-कभी पुरुष प्रजनन समस्याओं का इलाज नहीं किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में आप और आपकी साथी को डोनर शुक्राणु की राय दी जाती है या आप एक बच्चे को गोद ले सकते हैं।