Dr. Kuldeep Chouhan

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22/05/2023

मो॰ अख़लाक़

मिस्र की यात्रा में मैं जिस होटल में ठहरा था वहाँ पर ये सज्जन ट्वायलट क्लीनर थे...

और चूँकि मैं उस होटल में ठहरा था जो कि टॉप एंड ब्रिटिश टूरिस्ट के लिये था। पर इन सज्जन को यह समझ में आ गया कि मैं अंग्रेज तो दिख नहीं रहा।
तो
पहला प्रश्न इन्होंने किया कि पाकिस्तान से हैं?

मैंने कहा कि नहीं भारत से हूँ? मैंने कहा कि तुम कहाँ से हो? तो बोले कि पाकिस्तान से हूँ।

ख़ैर बात आयी गयी हो गयी....

मैं जॉर्डन इत्यादि घूमकर आया और एक दिन लॉबी मैं बैठा था तो अख़लाक़ मियाँ पुनः बात करने लग गये...

बातचीत में पता चला कि अख़लाक़ मियाँ के बाबा, बिहार से विस्थापित होकर सिंध गये थे....

और इनके परबाबा, हिन्दु भूमिहार थे और बड़े ज़मींदार और १९२२-'२३ के आसपास कन्वर्ट हुये थे। अख़लाक़ मियाँ ने बताया कि जहानाबाद में उनके पास बहुत ज़मीन थी तथा उनके बाबा को उतनी ही ज़मीन पाकिस्तान में मिलनी थी....

अख़लाक़ मियाँ को ट्वायलट क्लीनर होने पर शर्म भी आ रही थी पर उन्हें पाकिस्तान पैसे भी भेजने थे अपनी छोटी बहनों के निकाह के लिये....

जिस दिन अख़लाक़ मियाँ से चर्चा हो रही थी उसी दिन इमरान खान नियाज़ी को जेल भेजा गया था और पाकिस्तान में सिविल वॉर कि स्थिति बनी हुयी थी….

अख़लाक़ मियाँ के अनुसार
पाकिस्तान की बर्बादी का कार....
०१. पॉलिटिक्स
०२. करप्शन
०३. पॉपूलेशन
ही है और उन्हें इसके अतिरिक्त कोई अन्य कारण नहीं दिखता....

मैंने अख़लाक़ मियाँ से कुछ सवाल किये....

मैंने पूछा कि मैं यहाँ क्यों आया हूँ?
वो बोले छुट्टी मनाने और घूमने....

मैंने पूछा कि क्या ईजिप्ट में करप्शन है?
अख़लाक़ मियाँ बोले कि है....

मैंने कहा कि मैं किंग्स वैली,
पिरामिड्स, पेट्रा इत्यादि ८००० बीसी की संरचनाओं का निर्माण किताब के पहले का है कि बाद का?
वे बोले जी पहले का....
मैंने पूछा इजिप्ट और जॉर्डन के लोगों को किताब पूर्व वस्तुओं पर गर्व है कि नहीं?
वे बोले बहुत गर्व है....

अब मैंने कहा कि इजिप्ट में भी करप्शन है और पाकिस्तान में भी करप्शन है और दोनों स्थानों के पॉलिटिक्स में बदमाशी है पर क्या कोई इजिप्ट का बंदा पाकिस्तान जाकर ट्वायलट साफ़ करता है....

अब अख़लाक़ मियाँ का चेहरा बदल रहा था....

मैंने पूछा कि क्यों पाकिस्तानियों को मोहनजोदड़ो हड़प्पा पर गर्व नहीं होता?
क्यों तक्षशिला टूरिस्ट प्लेस नही बन सका??
क्यों शारदा पीठ या हिंगलाज देवी के लिये भारत से लोगों को आमंत्रित नहीं किया जाता???
क्यों वह स्थान जहाँ पर भक्त प्रह्लाद को नरसिंह अवतार दिखा उसे बचाया गया???
मैंने कहा कि एक करोड़ से अधिक हिंदु ही पाकिस्तान हर वर्ष जाते यदि तुम लोगों ने किताब पूर्व वस्तुओं को वह सम्मान दिया होता जो कि इजिप्ट दे रहा है....

अख़लाक़ मियाँ कि घिग्घी बंद थी.....

अख़लाक़ मियाँ को बताया कि क्यों और कैसे तुम ५६ के ५६ देश अंततः भीख ही माँगेंगे और ट्वायलट क्लीनिंग के अतिरिक्त कोई अन्य काम तुम लोगों को नहीं मिलने वाला....

अख़लाक़ मियाँ को उनकी इकॉनमी के कूड़ा होने का रहस्य समझाया जो कि अगली पोस्ट में लिखूँगा....

Rajshekher Tiwari ji

06/05/2023

प्रयास करना हमारा काम है,,,,,,
जैसे ही ट्रेन रवाना होने को हुई, (समय निकाल कर पढ़े🙏)
एक औरत और उसका पति एक ट्रंक लिए डिब्बे में घुस पडे़।
दरवाजे के पास ही औरत तो बैठ गई पर आदमी चिंतातुर खड़ा था।
जानता था कि उसके पास जनरल टिकट है और ये रिज़र्वेशन डिब्बा है।
टीसी को टिकट दिखाते उसने हाथ जोड़ दिए।
" ये जनरल टिकट है।अगले स्टेशन पर जनरल डिब्बे में चले जाना।वरना आठ सौ की रसीद बनेगी।"
कह टीसी आगे चला गया।
पति-पत्नी दोनों बेटी को पहला बेटा होने पर उसे देखने जा रहे थे।
सेठ ने बड़ी मुश्किल से दो दिन की छुट्टी और सात सौ रुपये एडवांस दिए थे।
बीबी व लोहे की पेटी के साथ जनरल बोगी में बहुत कोशिश की पर घुस नहीं पाए थे।
लाचार हो स्लिपर क्लास में आ गए थे।
" साब, बीबी और सामान के साथ जनरल डिब्बे में चढ़ नहीं सकते।हम यहीं कोने में खड़े रहेंगे।बड़ी मेहरबानी होगी।"
टीसी की ओर सौ का नोट बढ़ाते हुए कहा।
" सौ में कुछ नहीं होता।आठ सौ निकालो वरना उतर जाओ।"
" आठ सौ तो गुड्डो की डिलिवरी में भी नहीं लगे साब।नाती को देखने जा रहे हैं।गरीब लोग हैं, जाने दो न साब।" अबकि बार पत्नी ने कहा।
" तो फिर ऐसा करो, चार सौ निकालो।एक की रसीद बना देता हूँ, दोनों बैठे रहो।"
" ये लो साब, रसीद रहने दो।दो सौ रुपये बढ़ाते हुए आदमी बोला।
" नहीं-नहीं रसीद दो बनानी ही पड़ेगी। ऊपर से आर्डर है।रसीद तो बनेगी ही।
चलो, जल्दी चार सौ निकालो।वरना स्टेशन आ रहा है, उतरकर जनरल बोगी में चले जाओ।"
इस बार कुछ डांटते हुए टीसी बोला।
आदमी ने चार सौ रुपए ऐसे दिए मानो अपना कलेजा निकालकर दे रहा हो।

दोनों पति-पत्नी उदास रुआंसे
ऐसे बैठे थे ,मानो नाती के पैदा होने पर नहीं उसके शोक में जा रहे हो।
कैसे एडजस्ट करेंगे ये चार सौ रुपए?
क्या वापसी की टिकट के लिए समधी से पैसे मांगना होगा?
नहीं-नहीं।
आखिर में पति बोला- " सौ- डेढ़ सौ तो मैं ज्यादा लाया ही था। गुड्डो के घर पैदल ही चलेंगे। शाम को खाना नहीं खायेंगे। दो सौ तो एडजस्ट हो गए। और हाँ, आते वक्त पैसिंजर से आयेंगे। सौ रूपए बचेंगे। एक दिन जरूर ज्यादा लगेगा। सेठ भी चिल्लायेगा। मगर मुन्ने के लिए सब सह लूंगा।मगर फिर भी ये तो तीन सौ ही हुए।"
" ऐसा करते हैं, नाना-नानी की तरफ से जो हम सौ-सौ देनेवाले थे न, अब दोनों मिलकर सौ देंगे। हम अलग थोड़े ही हैं। हो गए न चार सौ एडजस्ट।"
पत्नी के कहा।
" मगर मुन्ने के कम करना....""
और पति की आँख छलक पड़ी।
" मन क्यूँ भारी करते हो जी। गुड्डो जब मुन्ना को लेकर घर आयेंगी; तब दो सौ ज्यादा दे देंगे। "
कहते हुए उसकी आँख भी छलक उठी।
फिर आँख पोंछते हुए बोली-
" अगर मुझे कहीं मोदीजी मिले तो कहूंगी-"
इतने पैसों की बुलेट ट्रेन चलाने के बजाय, इतने पैसों से हर ट्रेन में चार-चार जनरल बोगी लगा दो, जिससे न तो हम जैसों को टिकट होते हुए भी जलील होना पड़े और ना ही हमारे मुन्ने के सौ रुपये कम हो।"
उसकी आँख फिर छलक पड़ी।
" अरी पगली, हम गरीब आदमी हैं, हमें वोट देने का तो अधिकार है, पर सलाह देने का नहीं। रो मत।

(विनम्र प्रार्थना है जो भी इस कहानी को पढ़ चूका है उसे इस घटना से शायद ही इत्तिफ़ाक़ हो पर अगर ये कहानी शेयर करे ,कॉपी पेस्ट करे ,पर रुकने न दे शायद रेल मंत्रालय जनरल बोगी की भी परिस्थितियों को समझ सके। उसमे सफर करने वाला एक गरीब तबका है जिसका शोषण चिर कालीन से होता आया है।

28/04/2023

एक बार अमेरिका में तक़रीबन पंद्रह साल का एक लड़का एक जेनरल स्टोर से कुछ सामान चोरी करते हुए पकड़ा गया। पकड़े जाने पर गार्ड की गिरफ्त से भागने की कोशिश में उससे स्टोर का एक शेल्फ भी टूट गया,लेकिन अंततः उसे पकड़ लिया गया औऱ पुलिस के हवाले कर दिया गया।उसके बाद पुलिस ने उस बच्चे को न्यायालय में हाज़िर किया।

जज ने सबसे पहले बहुत गंभीरता से उसका जुर्म सुना और फ़िर लड़के से पूछा, "तुमने क्या सचमुच कुछ चुराया था"??

"जी हाँ...ब्रैड और पनीर का पैकेट" ,लड़के ने अपनी नज़रें नीची कर के जवाब दिया।

जज, 'क्यों ?'

लड़का, 'मुझे ज़रूरत थी।'

जज, खरीद लेते।'

लड़का, 'पैसे नहीं थे ।'

जज, 'घर वालों से ले लेते।'

लड़का, 'घर में सिर्फ मां है, बीमार और बेरोज़गार है, ब्रैड और पनीर भी उसी के लिए चुराई थी।'

जज, 'तुम कुछ काम नहीं करते ?'

लड़का, 'करता था एक कार धुलाई स्टोर में। मां की देखभाल के लिए एक दिन की छुट्टी की थी, तो मुझे निकाल दिया गया वहाँ से ।'

जज, 'तुम किसी से मदद मांग लेते?'

लड़का, 'सुबह से घर से निकला था, तकरीबन पचास लोगों के पास गया लेकिन किसी ने भी मदद नहीं की। बिल्कुल आख़िर में मज़बूर होकर ये क़दम उठाया।'

बहस ख़त्म हुई.......

जज ने एक लंबी सांस लेकर फैसला सुनाना शुरू किया, 'किसी भी तरह की चोरी बहुत शर्मनाक जुर्म है लेकिन बच्चे के इस जुर्म के लिए हम सब औऱ हमारा समाज भी बराबर के ज़िम्मेदार हैं।''अदालत में मौजूद हर शख़्स मुझ सहित मुजरिम हैं, इसलिए यहाँ मौजूद प्रत्येक शख़्स पर दस-दस डालर का जुर्माना लगाया जाता है। दस डालर दिए बग़ैर कोई भी कोर्ट रूम से बाहर नहीं निकल सकेगा।'

ये कह कर जज ने दस डालर अपनी जेब से बाहर निकाल कर सामने मेज़ पर रख दिए और फिर पेन उठाया तथा लिखना शुरू किया:-'इसके अलावा मैं स्टोर पर एक हज़ार डालर का जुर्माना करता हूं कि उसने एक भूखे बच्चे की मजबूरी को न समझते हुए ग़ैर इंसानी सुलूक कर उसे पुलिस के हवाले कर दिया क्योंकि प्रत्येक नागरिक की समाज के प्रति भी कुछ जिम्मेदारी बनती है औऱ वो इससे बच नहीं सकता। अगर चौबीस घंटे में जुर्माना जमा नहीं किया गया तो कोर्ट स्टोर सील करने का हुक्म दे देगी।'इसके साथ ही जुर्माने की पूर्ण राशि इस लड़के को देकर कोर्ट उस लड़के से माफी तलब करती है।

फैसला सुनने के बाद कोर्ट में मौजूद लोगों के आंखों से आंसू तो बरस ही रहे थे, उस लड़के की भी हिचकियां बंध गईं। वह लड़का बार बार जज को देख रहा था जो अपने आंसू छिपाते हुए अदालत से बाहर निकल गये

26/04/2023

एक बार जे. आर. डी. टाटा फ्लाइट मे बैठे थे, उनके बगल मे दिलीप कुमार बैठे थे। दिलीप कुमार से रहा नही गया उन्होंने अपना परिचय दिया ,मैं नामी filmstar हूँ , आपने मेरी film देखी होगी।
JRD Tataने जबाब दिया -' नहीं ,कौन दिलीप कुमार ?'
उस वक्त दिलीप कुमार की बेइज्जती हो गई. सभी news paper मे खबर आई थी।

आज देश के अनमोल रत्न , रतन जी टाटा पर पूरे देश को गर्व है।
इनके जीवन की तीन घटनाएं जो मैने पढ़ी है ,आपको बताता हूँ।

1, एकबार अमिताभ इनके बगल की सीट पर फ्लाइट में सफर कर रहे थे।अमिताभ ने पूछा, आप फ़िल्म देखते है,इन्होंने कहा समय नहीं मिलता,अमिताभ ने बताया कि वो फ़िल्म स्टार है।इन्होंने कहा बहुत खुशी हुई आपसे मिलकर।अमिताभ बहुत प्रसन्न थे ।अपना फिल्मस्टार वाला एटीट्यूड दिखा रहे थे।जब एयरपोर्ट पर उतरे तो अमिताभ ने पूछा कि आपने अपना परिचय नहीं दिया तो इन्होंने कहा कि टाटा ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज का चेयर मैन हूँ, रतन टाटा नाम है। अमिताभ को काटो तो खून नहीं।

2, दूसरी घटना मुम्बई हमलों के बाद की है।पाकिस्तान से टाटा सूमो का हजारो गाड़ियों का आर्डर था जो मुम्बई हमले के बाद टाटा ने डिलीवरी कैंसिल कर दी व यह कहकर गाड़ियां देने से मना कर दिया कि मैं उस देश को गाड़ियां नहीं दे सकता जो मेरे देश के खिलाफ इन गाड़ियों को इस्तेमाल करे।

3,तीसरी घटना मुम्बई हमले के बाद की है,मुम्बई ताज होटल का मॉडिफिकेशन होना था।पाकिस्तान की एक पार्टी इस काम के लिए इनसे मिलने आई, इन्होंने मिलने से ही मना कर दिया।पार्टी ने दिल्ली जाकर आनन्द शर्मा से सिफारिश करवाई।शर्मा जी ने पार्टी की तारीफ करते हुए कहा कि इन्हें काम दे दीजिए ये अच्छा काम करेंगे। रतन टाटा का जवाब था "you may be shameless,I am not"( आप बेशर्म हो सकते हैं, मैं नहीं!)
प्रधानमंत्री के आग्रह पर वो व्यक्ति दीया
लिए खड़ा है।यही वो व्यक्ति हैं जिन्होंने कोरोना फण्ड में 1500 करोड़ रुपये दान किये है और कहा है जरूरत पड़ने पर अपनी पूरी सम्पत्ति देश के लिए दे सकता है।

ऐसे देश भक्त महान पुरुष व कर्मयोद्धा को सादर करबद्ध नमन।ये है हमारे देश के असली हीरो। आज के युवा को इन्हें अपना आदर्श मानना चाहिए और इन पर गौरव करना चाहिए,न कि टुच्चे नेताओ को हीरो मानकर उनके आगे पीछे चक्कर लगाना चाहिए।
मेरी नजर में भारत रत्न का हकदार ये असली रत्न,ये कर्मयोद्धा है जिसने भारत की औद्योगिक क्रांति का नेतृत्व किया और उत्पादों की गुणवत्ता के सदैव मानक स्थापित किये ।
जय हिंद! वंदे मातरम!

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