18/03/2021                                                                            
                                    
                                                                            
                                            🌼🌼पंचम वेद🌼🌼📚
🌼सनातन धर्म में वेदों की संख्या चार है:
ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद।
किन्तु इन सब के अलावा एक और धर्म ग्रंथ है जिसे “पंचम वेद” की संज्ञा दी गई है, जिसे महाभारत कहा जाता है। जिसकी रचना महर्षि वेदव्यास जी ने की थी।
🌼महाभारत को ‘पंचम वेद’ कहा गया है। यह ग्रंथ हमारे राष्ट्र के मन-प्राण में बसा हुआ है। यह भारत की राष्ट्रीय गाथा है। इस ग्रंथ में भारत (आर्यावर्त) का समग्र इतिहास वर्णित है। अपने आदर्श स्त्री-पुरुषों के चरित्रों से हमारे देश के जन-जीवन को यह प्रभावित करता रहा है। इसमें सैकड़ों पात्रों, स्थानों, घटनाओं तथा विचित्रताओं व विडंबनाओं का वर्णन है।
🌼महाभारत में कई घटना, संबंध और ज्ञान-विज्ञान के रहस्य छिपे हुए हैं। महाभारत का हर पात्र जीवंत है, चाहे वह कौरव, पांडव, कर्ण और श्रीकृष्ण हो या धृष्टद्युम्न, शल्य, शिखंडी और कृपाचार्य हो। महाभारत सिर्फ योद्धाओं की गाथाओं तक सीमित नहीं है। महाभारत से जुड़े श्राप, वचन और आशीर्वाद में भी रहस्य छिपे हैं।
🌼महाभारत का महत्व सांस्कृतिक दृष्टि से बहुत अधिक है। यह अपने आप में संपूर्ण साहित्य है। इसके शान्ति पर्व में राजनीति के विषयों का व्यापक एवं गम्भीर प्रति पादन है। इसके पात्रों को श्री व्यास जी  ने उपदेश का आधार बनाया है, जिससे लोग कर्तव्य की शिक्षा ले सकें । यह एक ऐसा धार्मिक ग्रंथ है, जिसमें प्रत्येक श्रेणी का मनुष्य अपने जीवन के अभ्युदय की सामग्री प्राप्त कर सकता है। बाणभट्ट ने श्री व्यास जी को कवियों  का निर्माता कहा है, क्योंकि महाभारत से कवियों को काव्य सृष्टि के लिए प्रेरणा मिलती रही है। गीता में कर्म , ज्ञान और भक्ति का सुन्दर समन्वय है। महाभारत में श्री व्यास जी ने कहा है कि धर्म शाश्वत है। अत: इसका परित्याग किसी भी दशा में भय या लोभ से नहीं करना चाहिए। शान्ति पर्व में कहा गया है कि राजधर्म के बिगड़ने पर राज्य तथा समाज का सर्वनाश हो जाता है। मानव जीवन को धर्म, अर्थ और काम के द्वारा मोक्ष की ओर ले जाने की प्रक्रिया महाभारत में अच्छी तरह बताई गई है। इसलिए धर्म, राजनीति, दर्शन आदि सभी विषयों का यह अक्षय कोष है।
''घर पर महाभारत को नहीं रखना चाहिए''…… ऐसा प्रलाप विधर्मियों हिन्दू-द्वेषियों द्वारा फैलाया गया है! हिन्दुओं की आक्रमण एवं प्रतिकार क्षमता की धार को कुंद करने हेतु! महाभारत हम सब के घरों में नियमित अध्ययन के उद्देश्य से घर के मंदिर में रखी होती तो आज सहिंष्णु हिन्दुओ की बुद्धि आज विधर्मियों के षड्यंत्रों को समझने में तनिक भी देर न करती।
🌼व्यास ज्योतिष एवं वैदिक कर्मकांड🌼
9425987744