Vedic Astrology prediction

Vedic Astrology prediction हमारे विख्यात और अनुभव वाले ज्योतिष स? I am working systematically on Vedic Astrology. Never deviate from the path of Dharma (virtuous life).

Generally people
curious to know about their future prediction related to their jobs,career love failures, business predictions some are also interested that when they will get huge amount of money or when they will get inherited property: such mundane things are not important in Astrology, even though Astrology answers such questions. What is important is to know about your self, your mission in this birth and about your soul elevation. Whether you believe in Astrology or not – doesn’t matter at all, but believe strongly that you were born with an inbuilt alter of God and always try to live in God. Finally, you will realize that you are none other than God.

26/08/2022
उज्जैन मे कालसर्प दोष शांति कर्म...... 7000284736
26/08/2022

उज्जैन मे कालसर्प दोष शांति कर्म...... 7000284736

01/07/2021

#प्रसंग:🌹भाग्य का लेख🌹
एक आदमी ने नारदमुनि से पूछा मेरे भाग्य में कितना धन है...
नारदमुनि ने कहा - भगवान विष्णु से पूछकर कल बताऊंगा...
नारदमुनि ने कहा- 1 रुपया रोज तुम्हारे भाग्य में है...
आदमी बहुत खुश रहने लगा...
उसकी जरूरते 1 रूपये में पूरी हो जाती थी...
:
एक दिन उसके मित्र ने कहा में तुम्हारे सादगी जीवन और खुश देखकर बहुत प्रभावित हुआ हूं और अपनी बहन की शादी तुमसे करना चाहता हूँ...
:
आदमी ने कहा मेरी कमाई 1 रुपया रोज की है इसको ध्यान में रखना...
इसी में से ही गुजर बसर करना पड़ेगा तुम्हारी बहन को...
:
मित्र ने कहा कोई बात नहीं मुझे रिश्ता मंजूर है...
:
अगले दिन से उस आदमी की कमाई 11 रुपया हो गई...
:
उसने नारदमुनि को बुलाया की हे मुनिवर मेरे भाग्य में 1 रूपया लिखा है फिर 11 रुपये क्यो मिल रहे है...??
:
नारदमुनि ने कहा - तुम्हारा किसी से रिश्ता या सगाई हुई है क्या...??
:
हाँ हुई है...
:
तो यह तुमको 10 रुपये उसके भाग्य के मिल रहे है...
इसको जोड़ना शुरू करो तुम्हारे विवाह में काम आएंगे...
:
एक दिन उसकी पत्नी गर्भवती हुई और उसकी कमाई 31 रूपये होने लगी...
:
फिर उसने नारदमुनि को बुलाया और कहा है मुनिवर मेरी और मेरी पत्नी के भाग्य के 11 रूपये मिल रहे थे लेकिन अभी 31 रूपये क्यों मिल रहे है...
क्या मै कोई अपराध कर रहा हूँ...??
:
मुनिवर ने कहा- यह तेरे बच्चे के भाग्य के 20 रुपये मिल रहे है...
:
हर मनुष्य को उसका प्रारब्ध (भाग्य) मिलता है...
किसके भाग्य से घर में धन दौलत आती है हमको नहीं पता...
:
लेकिन मनुष्य अहंकार करता है कि मैने बनाया,,,मैंने कमाया,,,
मेरा है,,,
मै कमा रहा हूँ,,, मेरी वजह से हो रहा है...
:
हे प्राणी तुझे नहीं पता तू किसके भाग्य का खा कमा रहा है...इसलिए अभिमान छोड़ ,नित्य ईश्वर को धन्यवाद दो इस जीवन के लिए ,उसकी कृपा के लिए 🙏

29/12/2020

*"आदौ ब्रह्मा मध्ये विष्णुरन्ते देवः सदाशिवः*
*मूर्तित्रयस्वरूपाय दत्तात्रेयाय नमोस्तु ते।*
*ब्रह्मज्ञानमयी मुद्रा वस्त्रे चाकाशभूतले*
*प्रज्ञानघनबोधाय दत्तात्रेयाय नमोस्तु ते।।"*

"जो आदि में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु तथा अन्त में सदाशिव है, उन भगवान दत्तात्रेय को बारम्बार नमस्कार है। ब्रह्मज्ञान जिनकी मुद्रा है, आकाश और भूतल जिनके वस्त्र है तथा जो साकार प्रज्ञानघन स्वरूप है, उन भगवान दत्तात्रेय को बारम्बार नमस्कार है।" 🙏🙏🙏

26/12/2020

👉 *"कर्मो का लेखा जोखा".....*

*एक महिला बहुत ही धार्मिक थी ओर उसने ने नाम दान भी लिया हुआ था और बहुत ज्यादा भजन सिमरन और सेवा भी करती थी* किसी को कभी गलत न बोलना, सब से प्रेम से मिलकर रहना उस की आदत बन चुकी थी. *वो सिर्फ एक चीज़ से दुखी थी के उस का आदमी उस को रोज़ किसी न किसी बात पर लड़ाई झगड़ा करता। उस आदमी ने उसे कई बार इतना मारा की उस की हडी भी टूट गई थी।* लेकिन उस आदमी का रोज़ का काम था। झगडा करना। *उस महिला ने अपने गुरु महाराज जी से अरज की हे गुरुदेव मेरे से कोन भूल हो गई है।* मै सत्संग भी जाती हूँ सेवा भी करती हूँ। भजन सिमरन भी आप के हुक्म के अनुसार करती हूँ। लेकिन मेरा आदमी मुझे रोज़ मारता है। मै क्या करूँ।

*गुरु महाराज जी ने कहा क्या वो तुझे रोटी देता है महिला ने कहा हाँ जी देता है। गुरु महाराज जी ने कहा फिर ठीक है। कोई बात नहीं।* उस महिला ने सोचा अब शायद गुरु की कोई दया मेहर हो जाए और वो उस को मारना पीटना छोड़ दे। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। उस की तो आदत बन गई ही रोज़ अपनी घरवाली की पिटाई करना। *कुछ साल और निकल गए उस ने फिर महाराज जी से कहा की मेरा आदमी मुजे रोज़ पीटता है। मेरा कसूर क्या है। गुरु महाराज जी ने फिर कहा क्या वो तुम्हे रोटी देता है।* उस महिला ने कहा हांजी देता है। तो महाराज जी ने कहा फिर ठीक है। तुम अपने घर जाओ। महिला बहुत निराश हुई के महाराज जी ने कहा ठीक है।

वो घर आ गई लेकिन *उस के पति के स्वभाव वैसे का वैसा रहा रोज़ उस ने लड़ाई झगडा करना। वो महिला बहुत तंग आ गई।* कुछ एक साल गुज़रे फिर गुरु महाराज जी के पास गई के वो मुझे अभी भी मारता है। मेरी हाथ की हड्डी भी टूट गई है। मेरा कसूर क्या है। *मै सेवा भी करती हूँ। सिमरन भी करती हूँ* फिर भी मुझे जिंदगी में सुख क्यों नहीं मिल रहा। *गुरु महाराज जी ने फिर कहा वो तुजे रोटी देता है। उस ने कहा हांजी देता है।* महाराज जी ने कहा फिर ठीक है। *परन्तु इस बार वो महिला जोर जोर से रोने लगी और बोली की महाराज जी मुझे मेरा कसूर तो बता दो* मैंने कभी किसी के साथ बुरा नहीं किया फिर मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है।

*महाराज कुछ देर शांत हुए और फिर बोले बेटी तेरा पति पिछले जन्म में तेरा बेटा था। तू उस की सोतेली माँ थी। तू रोज़ उस को सुबह शाम मारती रहती थी। और उस को कई कई दिन तक भूखा रखती थी। शुक्र मना के इस जन्म में वो तुझे रोटी तो दे रहा है। ये बात सुन कर महिला एक दम चुप हो गई। गुरु महाराज जी ने कहा बेटा जो कर्म तुमने किए है उस का भुगतान तो तुम्हें अवश्य करना ही पड़ेगा फिर उस महिला ने कभी महाराज से शिकायत नहीं की क्यों की वो सच को जान गई थी।*

*इसलिए हमे भी कभी किसी का बुरा नहीं करना चाहिए सब से प्रेम प्यार के साथ रहना चाहिए। हमारी जिन्दगी में जो कुछ भी हो रहा है सब हमारे कर्मो का लेखा जोखा है। जिस का हिसाब किताब तो हमे देना ही पड़ेगा।*।

24/12/2020

*एक व्यक्ति हमेशा भगवान*
*के नाम का जाप किया*
*करता था । धीरे धीरे वह* *काफी बुजुर्ग हो चला था*
*इसीलिए एक कमरे मे*
*ही पड़ा रहता था*

*जब भी उसे शौच,*
*स्नान आदि के लिये*
*जाना होता था,वह अपने* *बेटो को आवाज लगाता था* *और बेटे ले जाते थे ।*

*धीरे धीरे कुछ दिन बाद*
*बेटे कई बार आवाज लगाने* *के बाद भी कभी कभी*
*आते और देर रात तक*
*कभी नहीं भी आते थे।*
*इस दौरान वे कभी-कभी गंदे* *बिस्तर पर ही रात बिता*
*दिया करते थे।*

*अब और ज्यादा बुढ़ापा*
*होने के कारण उन्हें कम*
*दिखाई देने लगा था।*
*एक दिन रात को निवृत्त होने*
*के लिये जैसे ही उन्होंने*
*आवाज लगायी, तुरन्त एक*
*लड़का आता है और बडे ही* *कोमल स्पर्श के साथ उनको*
*निवृत्त करवा कर बिस्तर पर* *लेटा जाता है !*
*अब ये रोज का नियम हो गया*

*एक रात उनको शक हो जाता है*
*कि, पहले तो बेटों को रात में* *कई बार आवाज लगाने पर* *भी नही आते थे। लेकिन ये* *तो आवाज लगाते ही दूसरे*
*क्षण आ जाता है और बडे* *कोमल स्पर्श से सब निवृत्त*
*करवा देता है ।*

*एक रात वह व्यक्ति उसका*
*हाथ पकड लेता है और पूछता*
*है कि सच बता तू कौन है ?*

*मेरे बेटे तो ऐसे नही हैं*

*अभी अंधेरे कमरे में एक*
*अलौकिक उजाला हुआ और*
*उस लड़के रूपी भगवान ने* *अपना वास्तविक रूप दिखाया।*

*वह व्यक्ति रोते हुये कहता है :*
*हे प्रभु आप स्वयं मेरे निवृत्ती के*
*कार्य कर रहे है। यदि मुझसे* *इतने प्रसन्न हो तो मुक्ति ही*
*दे दो ना ।*

*प्रभु कहते है कि जो आप*
*भुगत रहे है वो आपके प्रारब्ध*
*है। आप मेरे सच्चे साधक है।*हर समय मेरा नाम जप करते*
*है इसलिये मै आपके प्रारब्ध भी*
*आपकी सच्ची साधना के*
*कारण स्वयं कटवा रहा हूँ ।*

👉 *व्यक्ति कहता है कि क्या मेरे*
*प्रारब्ध आपकी कृपा से भी बडे*
*है?*
👉 *क्या आपकी कृपा, मेरे,* *प्रारब्ध नही काट सकती है ?*

*प्रभु कहते है कि, मेरी कृपा*
😊 *सर्वोपरि है। ये अवश्य* *आपके प्रारब्ध काट सकती है!*
*लेकिन फिर अगले जन्म मे* *आपको ये प्रारब्ध भुगतने फिर*
*से आना होगा। यही कर्म नियम*
*है । इसलिए आपके प्रारब्ध मैं*
*स्वयं अपने हाथो से कटवा कर*
*इस जन्म-मरण से आपको मुक्ति*
*देना चाहता हूँ ।*

*भगवान कहते है।*
*प्रारब्ध तीन तरह के*
*होते है ।*

👉 *मन्द*
👉 *तीव्र*
👉 *तीव्रतम*

*मन्द प्रारब्ध मेरा नाम*
*जपने से कट जाते है*
*तीव्र प्रारब्ध किसी सच्चे*
*संत का संग करके-*

*श्रद्धा और विश्वास से मेरा*
*नाम जपने पर कट जाते है।*

*तीव्रतम प्रारब्ध भुगतने*
*ही पडते है।*

*लेकिन जो हर समय श्रद्धा और*
*विश्वास से मुझे जपते हैं, उनके*
*प्रारब्ध मैं स्वयं साथ रहकर*
*कटवाता हूँ और तीव्रता का*
*अहसास नहीं होने देता हूँ ।*

*प्रारब्ध पहले रचा,*
*पीछे रचा शरीर।*

*तुलसी चिन्ता क्यों करे,*
*भज ले श्री रघुबीर।।*

*घबराइए नही दैनिक जीवन*
*सभी का किसी ना किसी कारण*
*से क्लेशीत है। कोई मन*
*दुखी,कोई तन दुखी,*
*कोई धन दुःखी:।*

*फिर भी सकारात्मक रहिये,*

*नकरात्मक जीवन स्थिर*
*तो नही करता-*

*लेकिन शुभकर्म जरूर*
*स्थगित कर देता है*

*जय माता दी*

मुहूर्त नवरात्रि महापर्व घट स्थापना*।।  चैत्र-नवरात्र आरम्भ ।।*दिनांक 25-3-2020 बुधवार से 2-4-2020 गुरुवार तक। देवी घट-स...
24/03/2020

मुहूर्त नवरात्रि महापर्व घट स्थापना

*।। चैत्र-नवरात्र आरम्भ ।।*
दिनांक 25-3-2020 बुधवार से
2-4-2020 गुरुवार तक।

देवी घट-स्थापना मुहूर्त -
*प्रातः 6:27 से प्रातः 9:30 तक।*
*प्रातः 11:00 से 12:30 तक।*
आप सभी अपनी कुल परंपरानुसार घट स्थापना करें।

✍ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषभ नारायण भट्ट ( उज्जैन)
+91-8989648045

उज्जैन महाकालेश्वर Jyotirling (हिन्दी: उज्जैन महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, संस्कृत: उज्जैन महाकालेश्वर ज्योतिर्लिन्ग)

नवरात्रि में करे माँ की  विशेष पूजा -पाठ अनुष्ठान************************************** नवरात्रि  चैत्र महीने की 25 मार्...
21/03/2020

नवरात्रि में करे माँ की विशेष पूजा -पाठ अनुष्ठान
**************************************
नवरात्रि चैत्र महीने की 25 मार्च 2020-से 03 अप्रेल-2020 तक माँ की दुर्गा सप्तसती का पाठ एवं दुर्गा कवच का पाठ वेदोक्त मंत्रोक्त वैदिक पद्धति से करे/करवाएं।
भगवती जगदम्बा माँ की कृपा से आपकी समस्या ,रोगों, कष्टों का पूर्ण निवारण होगा तथा माँ की असीम कृपा से आपका जीवन सुख शांति और सरलता पूर्वक व्यतीत होगा।
माँ दुर्गा माता को शत शत प्रणाम ...!!
"पाठ करवाने की अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करे।

पंडित भट्ट गुरु जी (उज्जैन शिव शक्ति नगरी मे)
☎️ +91-8989648045
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उज्जैन महाकालेश्वर Jyotirling (हिन्दी: उज्जैन महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, संस्कृत: उज्जैन महाकालेश्वर ज्योतिर्लिन्ग)

*दाम्पत्य जीवन और ज्योतिष*✍🏻सूर्य, शनि, राहु अलगाववादी स्वभाव वाले ग्रह हैं वहीं मंगल व केतु मारणात्मक स्वभाव वाले ग्रह।...
15/03/2020

*दाम्पत्य जीवन और ज्योतिष*
✍🏻सूर्य, शनि, राहु अलगाववादी स्वभाव वाले ग्रह हैं वहीं मंगल व केतु मारणात्मक स्वभाव वाले ग्रह। ये सभी दाम्पत्य-सुख के लिए हानिकारक होते हैं। जैसे:-
१.-यदि सप्तम भाव पर राहु, शनि व सूर्य की दृष्टि हो एवं सप्तमेश अशुभ स्थानों में हो एवं शुक्र पीड़ित व निर्बल हो तो व्यक्ति को दाम्पत्य-सुख नहीं मिलता।
२.-यदि सूर्य-शुक्र की युति हो व सप्तमेश निर्बल व पीड़ित हो एवं सप्तम भाव पर पाप ग्रहों का प्रभाव हो तो व्यक्ति को दाम्पत्य सुख प्राप्त नहीं होता है।
३.-यदि लग्न में शनि स्थित हो और सप्तमेश अस्त, निर्बल या अशुभ स्थानों में हो तो जातक का विवाह विलम्ब से होता है व जीवनसाथी से उसका मतभेद रहता है।
४.-यदि सप्तम भाव में राहु स्थित हो और सप्तमेश पाप ग्रहों के साथ छ्ठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो तो जातक के तलाक की संभावना होती है।
५.-यदि लग्न में मंगल हो व सप्तमेश अशुभ भावों में स्थित हो व द्वितीयेश पर मारणात्मक ग्रहों का प्रभाव हो तो पत्नी की मृत्यु के कारण व्यक्ति को दाम्पत्य-सुख से वंचित होना पड़ता है।
६.-यदि किसी स्त्री की जन्मपत्रिका में गुरु पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो, सप्तमेश पाप ग्रहों से युत हो एवं सप्तम भाव पर सूर्य, शनि व राहु की दृष्टि हो तो ऐसी स्त्री को दाम्पत्य सुख प्राप्त नहीं होता। इत्यादि..!!

*"कुंडली परामर्श के लिए संपर्क करें:-*
पंडित -ऋषभ नारायण भट्ट (उज्जयनी पंडित )
+91-8989648045

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27/02/2020

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