Bawa Ayurveda

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05/12/2024

पारिजात या हरसिंगार के 15 चमत्कारिक फायदे :

गठिया : पारिजात पेड़ के पांच पत्ते तोड़ के पत्थर में पिस ले और चटनी बनाइये फिर एक ग्लास पानी में इतना गरम कीजिये की पानी आधा हो जाये फिर इसको ठंडा करके पीजिये तो बीस-बीस साल पुराना गठिया का दर्द ठीक हो जाता है।

घुटनों की चिकनाई : अगर घुटनों की चिकनाई (Smoothness) हो गई हो और जोड़ो के दर्द में किसी भी प्रकार की दवा से आराम ना मिलता हो तो ऐसे लोग हारसिंगार (पारिजात) पेड़ के 10-12 पत्तों को पत्थर पे कूटकर एक गिलास पानी में उबालें-जब पानी एक चौथाई बच जाए तो बिना छाने ही ठंडा करके पी लें- इस प्रकार 90 दिन में चिकनाई पूरी तरह वापिस बन जाएगी। अगर कुछ कमी रह जाए तो फिर एक माह का अंतर देकर फिर से 90 दिन तक इसी क्रम को दोहराएँ निश्चित लाभ की प्राप्ति होती है।

साइटिका : हारसिंगार या पारिजात के पत्तों को धीमी आंच पर उबालकर काढ़ा बना लें। इसे साइटिका के रोगी को सेवन कराने से लाभ मिलता है। यह बंद रक्त की नाड़ियों को खोल देता है यही कारण है की ये साइटिका में कारगर है।

बालों का झड़ना या गंजेपन का रोग : हारसिंगार के बीज को पानी के साथ पीसकर सिर के गंजेपन की जगह लगाने से सिर में नये बाल आना शुरू हो जाते हैं। जड़ो से नये बाल फूटने लगते है।

चिकनगुनिया का बुखार, डेंगू फीवर, Encephalitis , ब्रेन मलेरिया : इस के पत्ते को पीस कर गरम पानी में डाल के पीजिये तो बुखार ठीक कर देता है और जो बुखार किसी दवा से ठीक नही होता वो इससे ठीक होता है; जैसे चिकनगुनिया का बुखार, डेंगू फीवर, Encephalitis , ब्रेन मलेरिया, ये सभी ठीक होते है। हारसिंगार के 7-8 पत्तों का रस, अदरक का रस और शहद को मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से पुराने से पुराना मलेरिया बुखार समाप्त हो जाता है।

बवासीर : पारिजात बवासीर के निदान के लिए रामबाण औषधी है। इसके एक बीज का सेवन प्रतिदिन किया जाये तो बवासीर रोग ठीक हो जाता है। पारिजात के बीज का लेप बनाकर गुदा पर लगाने से बवासीर के रोगी को राहत मिलती है।

यकृत या लिवर : 7-8 हारसिंगार के पत्तों के रस को अदरक के रस और शहद के सुबह-शाम सेवन करने से यकृत और प्लीहा (तिल्ली) की वृद्धि ठीक हो जाती है।

हृदय रोग : इसके फूल हृदय के लिए भी उत्तम औषधी माने जाते हैं। वर्ष में एक माह पारिजात पर फूल आने पर यदि इन फूलों का या फिर फूलों के रस का सेवन किया जाए

03/12/2024

Varicose veins treatment

Rasa gandhi melugu capsule 1 BD after food with buttermilk.
Vallarai tablet 2 TDS after food.
Sikkanjar manappagu 20ml before food BD.ashwaganddha churma 1 TSP daily.

01/12/2024

Thyroid ke liye ayurvedic medicine.

1.Hamsapathyadi kashaym 15ml kashayam with 60 ml water twice daily before food

2.kanchanara guvlggulu 1-0-1 after food

3. Anna pravala chendooram 130 mg twice daily with honey.

14/03/2024

हल्दी ,निम्बू ,अदरक तीनो ओषधि मिश्रण के फायदे --

निम्बू ,अदरक और हल्दी आपस में मिला कर इस्तेमाल करने से हमारे शरीर पर बहुत शक्तिशाली प्रभाव डालते हैं |ये मिश्रण anti oxidants से भरपूर होता है |

इन तीनो के मिश्रण में कैंसर से लड़ने वाले अद्भुत गुण होते है , मतलब ये भिन्न प्रकार के कैंसर जैसे के breast, skin, prostate, colon, leukemia and lymphoma को रोकने और ठीक करने में सहायता करता है ।

निम्बू, अदरक, हल्दी के फायदे-

पेट के अल्सर को ठीक करता है
पेट की जलन को मिटाता है
प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत करता है
अतिरिक्त चर्बी को जला कर वजन कम करता है
अल्जाइमर को बढ़ने से रोकता है
अस्थमा से बचाता है
कोलेस्ट्रोल कम करता है
दिल के दौरे से बचाता है
ह्रदय रोगों के लिए लाभकारी
मुहासों को कम करता है
पीठ के दर्द में रहत
मास्पेशिओं के दर्द से रहत
मधुमेह की समस्या को कम करता है
सर्दी, खांसी, गले के दर्द से रहत दिलाता है
लीवर को साफ करता है
पाचन तन्त्र को मज़बूत करता है
कब्ज़ से छुटकारा
ब्लड प्रेशर कम करता है

तैयार करने की विधि--
इसे तैयार करने और इस्तेमाल करने के दो तरीके हैं ,
पहला बिमारिओं को ठीक करने के लिए
दूसरा बिमारिओं से बचने के लिए | ये आपके सेहत पर निर्भर करता है अप्प कौनसा ड्रिंक इस्तेमाल करेंगे , दोनों में से जो भी इस्तेमाल करेंगे उसके नतीजे अत्भुद होंगे

पहली विधि : (बिमारिओं को ठीक करने के लिए)
सामग्री
3 निम्बू ,

1 बड़ा चमच हल्दी,

एक टुकड़ा अदरक,

1/2 कप पानी

विधि
अदरक को पीस लें उस में हल्दी और निम्बू का रस निकाल कर मिलाएं | इसे 2 घंटे तक छोड़ दें | फिर इनका जूस निकाल लें आपको एक गिलास जूस मिलेगा ये एक दिन में इस्तेमाल करने के लिए है | अगले दिन इसे फिर से तयार करें और पियें |

इस्तेमाल करने का तरीका
इसके अच्छे नतीजे प्राप्त करने के लिए इसे इस्तेमाल करने का सही तरीका पता होना बेहद ज़रूरी है | 1/2 जूस सुबह खली पेट पियें , इसे पीने के 2 घंटे बाद कुछ ना खाएं , इसके बाद 1/4 हिस्सा जूस दोपहर के खाने से पहले पियें और बाकि का 1/4 रात को सोने से 30 मिनट पहले पियें | अगले दिन यही प्रकिर्या फिर से दोहराएँ | इसके नतीजे सामने आने में 3-4 हफ्ते लगते हैं लकिन जब आप इसे नियमत रूप से इस्तेमाल करेंगे तो आप देखंगे कैसे आपकी सेहत में सुधार आयेगा और बीमारिया धीरे धीरे खत्म हो जाएँगी |
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14/03/2024

*कब्ज (Constipation)*


*परिचय*

कब्ज रोग होने की असली जड़ भोजन का ठीक प्रकार से न पचना होता है। यदि पेट रोगों का घर होता है तो आंत विषैले तत्वों की उत्पति का स्थान होता है। यह बहुत से रोगों को जन्म देता है जिनमें कब्ज प्रमुख रोग होता है।

कब्ज एक प्रकार का ऐसा रोग है जो पाचनशक्ति के कार्य में किसी बाधा उत्पन्न होने के कारण होता है। इस रोग के होने पर शारीरिक व्यवस्था बिगड़ जाती है जिसके कारण पेट के कई रोग उत्पन्न हो जाते हैं। इस रोग के कारण शरीर में कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है। इस रोग के कारण कई प्रकार के रोग उत्पन्न हो सकते हैं जैसे-
*अफारा*
*पेट में दर्द*
*गैस बनना*
*सिर में दर्द*
*हाथ-पैरों में दर्द*
*अपच तथा बवासीर आदि।*



*कब्ज रोग का लक्षण:*

कब्ज रोग से पीड़ित रोगी को रोजाना मलत्याग नहीं होता है।कब्ज रोग से पीड़ित रोगी जब मल का त्याग करता है तो उसे बहुत अधिक परेशानी होती है। कभी-कभी मल में गांठे बनने लगती हैं। जब रोगी मलत्याग कर लेता है तो उसे थोड़ा हल्कापन महसूस होता है।कब्ज रोग से पीड़ित रोगी की जीभ सफेद तथा मटमैली हो जाती है।कब्ज रोग से पीड़ित रोगी के पेट में गैस अधिक बनती है। पीड़ित रोगी जब गैस छोड़ता है तो उसमें बहुत तेज बदबू आती है।कब्ज के रोग से पीड़ित व्यक्ति के मुंह से भी बदबू आती रहती है।इस रोग में रोगी को बहुत कम भूख लगती है।कब्ज रोग से पीड़ित रोगी के सिर में दर्द भी होता रहता है।रोगी व्यक्ति की आंखों के नीचे कालापन हो जाता है तथा रोगी का जी मिचलाता रहता है।कब्ज रोग से पीड़ित रोगी को कई प्रकार के और भी रोग हो जाते हैं जैसे-
*मुंहासे निकलना*
*मुंह के छाले*
*अम्लता*
*चिड़चिड़ापन*
*गठिया*,
*आंखों का मोतियाबिन्द तथा उच्च रक्तचाप आदि।*



*कब्ज होने के कारण:*

तली हुई चीजों का अधिक सेवन करने के कारण कब्ज रोग हो जाता है।
मल तथा पेशाब के वेग को रोकने से कब्ज रोग हो सकता है।
ठंडी चीजे जैसे- आइसक्रीम, पेस्ट्री, चाकलेट तथा ठंडे पेय पदार्थ खाने से कब्ज रोग हो सकता है।
दर्दनाशक दवाइयों का अधिक सेवन करने के कारण कब्ज रोग हो जाता है।
व्यायाम तथा शारीरिक श्रम न करने के कारण भी कब्ज रोग हो जाता है।
शरीर में खून की कमी तथा अधिक सोने के कारण भी कब्ज रोग हो जाता है।
कम पानी पीने के कारण भी कब्ज रोग हो सकता है।
समय पर भोजन न करने के कारण भी कब्ज रोग हो सकता है।
गलत तरीक
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शिव गुटिका विशेष रूप से वृद्धावस्था के लिए सहायक एक शक्तिशाली कायाकल्प है।इसका उपयोग यकृत और प्लीहा विकारों के उपचार में...
29/05/2023

शिव गुटिका विशेष रूप से वृद्धावस्था के लिए सहायक एक शक्तिशाली कायाकल्प है।
इसका उपयोग यकृत और प्लीहा विकारों के उपचार में किया जाता है।
यह तीव्र हिचकी को ठीक कर सकता है।
यह राइनाइटिस, ब्रोंकाइटिस, खांसी, एनीमिया, हृदय विकार, उल्टी, त्वचा रोग और गठिया के उपचार में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
यह मिर्गी और मानसिक रोगों के इलाज में भी मददगार है।
नियमित उपयोग नसों को मजबूत करता है और शरीर के स्वास्थ्य को पुनर्स्थापित करता है।

27/12/2022

#गाँठ
हर तरीके से पाए गाँठ से छुटकारा पाने के आयुर्वेदिक उपाय
अक्सर हमारे शरीर के किसी भी भाग में गांठे बन जाती हैं. जिन्हें सामान्य भाषा में गठान या रसौली कहा जाता हैं. किसी भी गांठ की शुरुआत एक बेहद ही छोटे से दाने से होती हैं. लेकिन जैसे ही ये बड़ी होती जाती हैं. इन गाठों की वजह से ही गंभीर बीमारियां भी हो जाती हैं. ये गांठे टी.वी से लेकर कैंसर की बीमारी की शुरुआत के चिन्ह होती हैं. अगर किसी व्यक्ति के शरीर के किसी भाग में कोई गाँठ हो गई हैं. जिसक कारण उस गाँठ से आंतरिक या बाह्य रक्तस्राव हो रहा हो. तो हो सकता हैं कि यह कैंसर की बीमारी के शुरुआती लक्षण हो. लेकिन इससे यह भी सुनिश्चित नहीं हो जाता कि ये कैंसर के रोग को उत्पन्न करने वाली गांठ हैं. कुछ गाँठ साधारण बिमारी उत्पन्न होने के कारण भी हो जाती हैं. किन्तु हमें किसी भी प्रकार की गांठों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए तथा उसका तुरंत ही उपचार करवाना चाहिए.कुछ स्त्रियाँ या पुरुष नासूर या ऑपरेशन कराने के डर से जल्द गाँठ का इलाज नहीं करवाते. लेकिन ऐसे व्यक्तियों के लिए यह समझना बहुत ही आवश्यक हैं कि इन छोटी सी गांठों को यदि आप लगातार नजरअंदाज करेंगें. तो इन गांठों की ही वजह से ही आपको बाद में अधिक परेशानी का सामना करना पड सकता हैं. आज हम आपको शरीर के किसी भी भाग में होने वाली गांठ को ठीक करने के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपचारों के बारे में बतायेंगें.

1. कचनार की छाल और गोरखमुंडी

आप ये दो चीज पंसारी या आयुर्वेद दवा की दुकान से ले ले। वैसे यह दोनों जड़ी बूटी बेचने वाले से मिल जाती हैं पर यदि कचनार की छाल ताजी ले तो अधिक लाभदायक है। कचनार (Bauhinia purpurea) का पेड़ हर जगह आसानी से मिल जाता है।

कचनार इसकी सबसे बड़ी पहचान है - सिरे पर से काटा हुआ पत्ता । इसकी शाखा की छाल ले। तने की न ले। उस शाखा (टहनी) की छाल ले जो 1 इंच से 2 इंच तक मोटी हो । बहुत पतली या मोटी टहनी की छाल न ले।

गोरखमुंडी का पौधा आसानी से नहीं मिलता इसलिए इसे जड़ी बूटी बेचने वाले से खरीदे ।

कैसे प्रयोग करे

कचनार की ताजी छाल 25-30 ग्राम (सुखी छाल 15 ग्राम ) को मोटा मोटा कूट ले। 1 गिलास पानी मे उबाले। जब 2 मिनट उबल जाए तब इसमे 1 चम्मच गोरखमुंडी (मोटी कुटी या पीसी हुई ) डाले। इसे 1 मिनट तक उबलने दे। छान ले। हल्का गरम रह जाए तब पी ले। ध्यान दे यह कड़वा है परंतु चमत्कारी है। गांठ कैसी ही हो, प्रोस्टेट बढ़ी हुई हो, जांघ के पास की गांठ हो, काँख की गांठ हो गले के बाहर की गांठ हो , गर्भाशय की गांठ हो, स्त्री पुरुष के स्तनो मे गांठ हो या टॉन्सिल हो, गले मे थायराइड ग्लैण्ड बढ़ गई हो (Goiter) या LIPOMA (फैट की गांठ ) हो लाभ जरूर करती है। कभी भी असफल नहीं होती। अधिक लाभ के लिए दिन मे 2 बार ले। लंबे समय तक लेने से ही लाभ होगा। 20-25 दिन तक कोई लाभ नहीं होगा निराश होकर बीच मे न छोड़े।

गाँठ को घोलने में कचनार पेड़ की छाल बहुत अच्छा काम करती है. आयुर्वेद में कांचनार गुग्गुल इसी मक़सद के लिये दी जाती है जबकि ऐलोपैथी में ओप्रेशन के सिवाय कोई और चारा नहीं है।

2. आकडे का दूध (Figures Milk)

आकड़े के दूध में मिट्टी भिगोकर लेप करने से तथा निर्गुण्डी के 20 से 50 मि.ली. काढ़े में 1 से 5 मि.ली अरण्डी का तेल डालकर पीने से लाभ होता है।

3. निर्गुण्डी (Nirgundi)

गेहूँ के आटे में पापड़खार तथा पानी डालकर पुल्टिस बनाकर लगाने से न पकने वाली गाँठ पककर फूट जाती है तथा दर्द कम हो जाता है।

गण्डमाला की गाँठें (Goitre)

गले में दूषित हुआ वात, कफ और मेद गले के पीछे की नसों में रहकर क्रम से धीरे-धीरे अपने-अपने लक्षणों से युक्त ऐसी गाँठें उत्पन्न करते हैं जिन्हें गण्डमाला कहा जाता है। मेद और कफ से बगल, कन्धे, गर्दन, गले एवं जाँघों के मूल में छोटे-छोटे बेर जैसी अथवा बड़े बेर जैसी बहुत-सी गाँठें जो बहुत दिनों में धीरे-धीरे पकती हैं उन गाँठों की हारमाला को गंडमाला कहते हैं और ऐसी गाँठें कंठ पर होने से कंठमाला कही जाती है।

क्रौंच के बीज को घिस कर दो तीन बार लेप करने तथा गोरखमुण्डी के पत्तों का आठ-आठ तोला रस रोज पीने से गण्डमाला (कंठमाला) में लाभ होता है। तथा कफवर्धक पदार्थ न खायें।

काँखफोड़ा (बगल मे होने वाला फोड़ा)

कुचले को पानी में बारीक पीसकर थोड़ा गर्म करके उसका लेप करने से या अरण्डी का तेल लगाने से या गुड़, गुग्गल और राई का चूर्ण समान मात्रा में लेकर, पीसकर, थोड़ा पानी मिलाकर, गर्म करके लगाने से काँखफोड़े में लाभ होता है।

28/12/2021

Raat Ko sone se pahle.ek gilas Garm Pani aur subah uthne ke Baad ek Gilas Garm Pani p*ene se abdominal ka Bari pan, kabj ,gas, abdominal ka motapa ,bhukh na lagna,aur roti ka na pachana door hota hai .
To isliya Apne Jeevan ki health ke liye apnaye AAP yeh nuksa apna sakte hai.

22/12/2021

Amla churna Ko nariyal tail(coconut oil) me milakar lagane se hair Jharna band ho jate hai.
Saath me shadbindu tail naak me daale ,Laxmi Vikas ras aur laxha giggle le.

25/11/2021

Agar AAP dublepan ka shikaar hai .apka sharir nhi ban Paa Raha hai to AAP Jay nuksa apna sakte hai.roj subah Shaam Ashwagandha churns dood me daalkar p*e le.aur subah saabudana ki kheer Bana kar le apka sharir kush hi Dino me Mota tagda hrishpusht ho jayega.
Dhanabaad.

24/11/2021

Uric acid.
What is uric acid:- uric acid is a chemical waste product created when the body protein and your other substance called Purine. higher level of uric acid cause acute inflammatory Arthritis in joint goat ,like:- wrist, heal ,knee,fingers, Toe and other symptoms including fatigue ,high fever and sometimes kidney stones also. From in certain area like :-Torsian shoulder ,joints,like skin near joints knee,outer ear and kidney.
Causes of higher level of uric:-
1.unbalanced diet&high consumption of alcohol.
2.taking high fructose sweetened drinks and table suger.
3.fasting and rapid weight loss can lead to increased in uric acid.
Normal range of uric acid:-
Men :::3.5to7.2gm/dl
Women:::2.5 to6mg/dl.

Drinks as much as water as you can.
Use high fibre diet, olive oil, Vinegar
Take plenty of fruits vegetables and cereals products.
Regular simple exercise, morning and evening walk.

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Amboa
Daulatpur
177204

Telephone

+918894975711

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