Manya Wellness Centre

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01/07/2022
28/06/2022
09/06/2022

Congratulations

31/05/2022

ग्राम पंचायत सावनी के गरीब एवं होनहार छात्र टिकेश्वर पटेल की पढ़ाई हेतु सहयोग प्रदान करने वाले व्यक्तियों के नाम इस प्रकार हैं-
कुल सहयोग राशि - ₹33,500/-
*विद्यालय परिवार*
*शासकीय प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक शाला सावनी*
1. श्री सुनील छेदैय्या - ₹500/-
2.श्रीमती मंजू वर्मा - ₹500/-
3. श्री अनिल कुमार मढ़रिया -₹500/-
4. श्री दुष्यंत वर्मा -₹500/-
5. श्री टेकराम साहू - ₹500/-
6. श्री आत्माराम वर्मा - ₹500/-
7. श्रीमती निशा चन्द्राकार -₹500/-
8. श्री मती तोमिन ठाकुर- ₹500/-
*कुल* ₹4000/-

*अन्य सहयोगी*
9. श्री मनोज कुमार साहू- ₹500/-
(गायत्री मेडिकोज पाटन)
10. श्री संतोष मरकाम (राजनांदगांव)- ₹500/-
(ससुर जी सुनील छेदैय्या)
11. श्री जैकी सिंह वर्मा शिक्षक सोरम-₹500/-
12. श्री कमलकांत देवांगन शिक्षक तुलसी- ₹200/-
13. श्री गजेन्द्र साहू सर शिक्षक बोरेंदा- ₹251/-
13. श्री हेमंत दीवान शिक्षक खुड़मुड़ा -₹100/-
14. श्री भूषण कुमार देवांगन *नेटवर्कर* -₹500/-
15. श्री गोपेन्द्र कुमार साहू शिक्षक अखरा- ₹100/-
16. श्री जैनेन्द्र कुमार गंजीर शिक्षक पाटन- ₹500/-
17. श्री कमल नारायण सोनकर शिक्षक रूही -₹200/-
18. श्री लोमन साहू शिक्षक बटंग- ₹1000/-
19. श्री संजय गुलाटी LLF TEAM मेंटर (दिल्ली) - ₹500/-
20. सुश्री लक्ष्मी सोनी शिक्षक मरवाही(मेंटर राज्यस्तरीय)- ₹500/-
21. श्रीमती गोदावरी कौशल ठाकुर शिक्षक झीट- ₹500/-
22. श्री दुलार सिंह ठाकुर शिक्षक उफरा- ₹200/-
23. श्री पुष्कर यादव शिक्षक खम्हरिया,पाटन- ₹200/-
24. श्री अनिल कुमार देवांगन शिक्षक धमतरी- ₹100/-
25. श्री मोहन यादव शिक्षक जरवाय- ₹200/-
26. श्री मार्तंग साहू शिक्षक महुदा - ₹151/-
27. श्री मनोज कुमार कौशिक शिक्षक ठकुराइन टोला- ₹500/-
29. श्री शेषनारायण वर्मा बैंक कर्मचारी पाटन- ₹200/-
30. मंजू गर्ग जी TEAM LLF मेंटर ( दिल्ली)- ₹1000/-
31.श्री ढालेश्वर देवांगन शिक्षक तर्रा- ₹100/-
32. श्रीमती हेमलता साहू शिक्षक तर्रा- ₹100/-
33. श्रीमती बसंती साहू शिक्षक तर्रा -₹100/-
34. श्री संतोष कुमार वर्मा प्रधान पाठक -₹1000/-
शास. प्राथ. शाला अखरा,पाटन
35. श्री देवेश भारती शिक्षक उतई- ₹1000/-
36. श्री मनीष पटेल सरपंच तेलीगुंडरा- ₹2,000/-
37. वर्मा बोरवेल्स पाटन- ₹2,000/-
38. श्री युगल किशोर आडिल समाजसेवक कुर्मीगुंडरा- ₹1,000/-
39. श्री उदय वर्मा छाटा- ₹500/-
40. श्री पंकज चन्द्राकर ₹ 1,000/-
41. श्री मनोज सोनी जामगांव एम. ₹500/-
42.श्री अवधेश शर्मा घुघुवा -₹1,000/-
43. अंबे मोटर्स जामगांव M - ₹1,000/-
44.श्री राकेश आडिल कसही सरपंच- ₹1,000/-
45. श्री देव साहू,देव TVS मोटर्स पाटन- ₹1,000/-
46. श्री आशीष बंछोर दरबार मोखली-₹1,000/-
47. श्री नरेश महतो बेल्हारी - ₹500/-
48. श्री बिहारी लाल साहू सचिव अरसनारा- ₹1000/-
49. गुप्त दान - ₹300/

सभी सहयोग प्रदान करने वाले व्यक्तियों का बहुत - बहुत धन्यवाद। आप सभी के दीर्घायु एवं सुखमय जीवन की कामना है।
टिकेश्वर पटेल
*सावनी,पाटन,जिला-दुर्ग*
*योगा ब्रांड एम्बेसडर*
*छत्तीसगढ़ राज्य*

07/05/2022

C.G. REGISTERED
Registration number: 122201981243

02/05/2022

जानिए #लोटा और #गिलास के पानी में अंतर.........
#भारत में हजारों साल की पानी पीने की जो सभ्यता है वो गिलास नही है, ये गिलास जो है #विदेशी है.
गिलास भारत का नही है. गिलास #यूरोप से आया.
और यूरोप में #पुर्तगाल से आया था. ये पुर्तगाली जबसे भारत देश में घुसे थे तब से गिलास में हम फंस गये.
गिलास अपना नही है. अपना लोटा है. और लोटा कभी भी #एकरेखीय नही होता. तो #वागभट्ट जी कहते हैं कि जो बर्तन एकरेखीय हैं उनका #त्याग कीजिये. वो काम के नही हैं. इसलिए गिलास का पानी पीना अच्छा नही माना जाता. लोटे का पानी पीना अच्छा माना जाता है. इस पोस्ट में हम गिलास और लोटा के पानी पर चर्चा करेंगे और दोनों में अंतर बताएँगे.
फर्क सीधा सा ये है कि आपको तो सबको पता ही है
कि पानी को जहाँ धारण किया जाए, उसमे वैसे ही #गुण उसमें आते है. पानी के अपने कोई गुण नहीं हैं.
जिसमें डाल दो उसी के गुण आ जाते हैं. #दही में मिला दो तो #छाछ बन गया, तो वो दही के गुण ले लेगा.
दूध में मिलाया तो #दूध का गुण. लोटे में पानी अगर रखा तो बर्तन का गुण आयेगा. अब लौटा गोल है तो वो उसी का गुण धारण कर लेगा. और अगर थोडा भी गणित आप समझते हैं तो हर गोल चीज का #सरफेस_टेंशन कम रहता है. क्योंकि सरफेस एरिया कम होता है तो सरफेस टेंशन कम होगा. तो सरफेस टेंशन कम हैं तो हर उस चीज का सरफेस टेंशन कम होगा. और स्वास्थ्य की दष्टि से कम सरफेस टेंशन वाली चीज ही आपके लिए लाभदायक है.अगर ज्यादा सरफेस टेंशन वाली चीज आप पियेंगे तो बहुत तकलीफ देने वाला है. क्योंकि उसमें #शरीर को तकलीफ देने वाला एक्स्ट्रा प्रेशर आता है.
गिलास और लोटा के पानी में अंतर गिलास के पानी और लौटे के पानी में जमीं आसमान का अंतर है.
इसी तरह #कुए का पानी, कुंआ गोल है इसलिए सबसे अच्छा है. आपने थोड़े समय पहले देखा होगा कि सभी #साधू #संत कुए का ही पानी पीते है. न मिले तो प्यास सहन कर जाते हैं, जहाँ मिलेगा वहीं पीयेंगे. वो कुंए का पानी इसीलिए पीते है क्यूंकि कुआ गोल है, और उसका सरफेस एरिया कम है. सरफेस टेंशन कम है. और साधू संत अपने साथ जो केतली की तरह पानी पीने के लिए रखते है वो भी लोटे की तरह ही आकार वाली होती है. जो नीचे चित्र में दिखाई गई है.
सरफेस टेंशन कम होने से पानी का एक गुण लम्बे समय तक जीवित रहता है. पानी का सबसे बड़ा गुण है सफाई करना. अब वो गुण कैसे काम करता है वो आपको बताते है. आपकी #बड़ी_आंत है और #छोटी_आंत है,
आप जानते हैं कि उसमें #मेम्ब्रेन है और कचरा उसी में जाके फंसता है. पेट की सफाई के लिए इसको बाहर लाना पड़ता है. ये तभी संभव है जब कम सरफेस टेंशन वाला पानी आप पी रहे हो. अगर ज्यादा सरफेस टेंशन वाला पानी है तो ये कचरा बाहर नही आएगा, मेम्ब्रेन में ही फंसा रह जाता है.
दुसरे तरीके से समझें, आप एक एक्सपेरिमेंट कीजिये. थोडा सा #दूध ले और उसे चेहरे पे लगाइए, 5 मिनट बाद रुई से पोंछिये. तो वो रुई काली हो जाएगी. स्किन के अन्दर का कचरा और गन्दगी बाहर आ जाएगी. इसे दूध बाहर लेकर आया. अब आप पूछेंगे कि दूध कैसे बाहर लाया तो आप को बता दें कि दूध का सरफेस टेंशन सभी वस्तुओं से कम है. तो जैसे ही दूध चेहरे पर लगाया, दूध ने चेहरे के सरफेस टेंशन को कम कर दिया क्योंकि जब किसी वस्तु को दूसरी वस्तु के सम्पर्क में लाते है तो वो दूसरी वस्तु के गुण ले लेता है.
इस एक्सपेरिमेंट में दूध ने स्किन का सरफेस टेंशन कम किया और त्वचा थोड़ी सी खुल गयी. और त्वचा खुली तो अंदर का कचरा बाहर निकल गया. यही क्रिया लोटे का पानी पेट में करता है. आपने पेट में पानी डाला तो बड़ी आंत और छोटी आंत का सरफेस टेंशन कम हुआ और वो खुल गयी और खुली तो सारा कचरा उसमें से बाहर आ गया. जिससे आपकी आंत बिल्कुल साफ़ हो गई. अब इसके विपरीत अगर आप गिलास का हाई सरफेस टेंशन का पानी पीयेंगे तो आंते सिकुडेंगी क्यूंकि #तनाव बढेगा. तनाव बढते समय चीज सिकुड़ती है और तनाव कम होते समय चीज खुलती है. अब तनाव बढेगा तो सारा कचरा अंदर जमा हो जायेगा और वो ही कचरा #भगन्दर, #बवासीर, मुल्व्याद जैसी सेंकडो पेट की बीमारियाँ उत्पन्न करेगा.
इसलिए कम सरफेस टेंशन वाला ही पानी पीना चाहिए. इसलिए लौटे का पानी पीना सबसे अच्छा माना जाता है, गोल कुए का पानी है तो बहुत अच्छा है. गोल तालाब का पानी, पोखर अगर खोल हो तो उसका पानी बहुत अच्छा. नदियों के पानी से कुंए का पानी अधिक अच्छा होता है. क्योंकि #नदी में गोल कुछ भी नही है वो सिर्फ लम्बी है, उसमे पानी का फ्लो होता रहता है. नदी का पानी हाई सरफेस टेंशन वाला होता है और नदी से भी ज्यादा ख़राब पानी समुन्द्र का होता है उसका सरफेस टेंशन सबसे अधिक होता है.
अगर #प्रकृति में देखेंगे तो #बारिश का पानी गोल होकर धरती पर आता है. मतलब सभी #बूंदे गोल होती है क्यूंकि उसका #सरफेस टेंशन बहुत कम होता है.
तो गिलास की बजाय पानी लोटे में पीयें.
तो लोटे ही घर में लायें.
गिलास का प्रयोग बंद कर दें. जब से आपने लोटे को छोड़ा है तब से भारत में लौटे बनाने वाले #कारीगरों की रोजी रोटी ख़त्म हो गयी. गाँव गाँव में कसेरे कम हो गये, वो #पीतल और #कांसे के लौटे बनाते थे.
सब इस गिलास के चक्कर में भूखे मर गये.
तो वागभट्ट जी की बात मानिये और लौटे वापिस लाइए

27/04/2022
17/04/2022

“मुझसे कहा जाता था कि एक अकेली महिला खेत नहीं संभाल सकती है, इसलिए मैं कभी सफल नहीं हो पाऊंगी। लेकिन मैं ऐसी बातें कहने वालों को गलत साबित करना चाहती थी। साल 2004 में मैंने अपने दूसरे बच्चे को खो दिया था। अभी उस सदमे से उबरी भी नहीं थी कि 2007 में एक सड़क दुर्घटना में मेरे पति की मौत हो गई। उस समय मैं नौ महीने की गर्भवती थी। सब कुछ बर्बाद हो गया था। मैं अकेली थी और जीने की इच्छा भी जैसे खत्म हो गई। 10 साल तक तो मैं अपने सास-ससुर और रिश्तेदारों के साथ संयुक्त परिवार में रहती रहीं। लेकिन 2017 में पारिवारिक झगड़ों के चलते अपने सास-ससुर के साथ अलग हो गईं। दो महीने बाद ही मेरे ससुर की भी बीमारी से मौत हो गई। जिन लोगों ने जीवन में हमेशा मेरा साथ दिया, उनको मैंने खो दिया था। अब मैं अकेली थी और जीने की इच्छा भी जैसे खत्म हो गई। खेती हमारी आमदनी का एकमात्र जरिया था। कुछ महीने पहले जिन रिश्तेदारों से हम अलग हुए थे, उन्होंने दावा किया कि मैं अकेले खेत और घर नहीं संभाल पाऊंगी। उनके अनुसार खेती करना महिलाओं का काम नहीं है।

खेती करने के लिए अपने गहनों को गिरवी रखकर कर्ज लिया। चचेरे भाइयों से भी पैसे उधार लिए। मेरे भाइयों ने खेती करने में मेरी काफी मदद की। उन्होंने मुझे अंगूर की खेती के हर पहलू से रू-ब-रू कराया। कौन से रसायन का कब इस्तेमाल करना है, पैदावर बढ़ाने के लिए क्या तकनीक अपनानी है और भी बहुत सी चीजें। विज्ञान की छात्रा होने की वजह से मुझे इन्हें सीखने में ज्यादा समय नहीं लगा। महिलाएं खेती तो संभाल लेती हैं, लेकिन दूसरे ऐसे बहुत से काम हैं, जिन्हें सिर्फ पुरुष ही करते आए हैं- जैसे ट्रैक्टर चलाना, मशीनों की मरम्मत करना, उपकरणों का इस्तेमाल और सामान खरीदने के लिए बाजार जाना। मेरा साथ देने वाला कोई नहीं था। दोनों जिम्मेदारी अब मुझे ही संभालनी थी। मैंने टू व्हीलर और ट्रैक्टर चलाना सीख लिया। कुछ दिन तो ऐसे भी थे, जब ट्रैक्टर ठीक कराने के लिए मुझे पूरा दिन वर्कशॉप में बिताना पड़ा था।

धीरे-धीरे ही सही लेकिन मेरे खेत ने फल देने शुरू कर दिए थे। हर साल मेरे खेत में 800 से 1000 टन अंगूरों की उपज होती है, जिससे वह 25 से 30 लाख रुपये सालाना कमा लेती हैं। मुझे लगता है कि मैं अभी भी सीख रही हूं। मुझे बहुत दूर तक जाना है। लेकिन इस बात की खुशी है कि मैं सभी बाधाओं को पार करके सफलता हासिल कर पाई। यह मेरी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प का ही नतीजा है।"

- महिला किसान संगीता पिंगले।

विस्तार से पढ़ें- https://hindi.thebetterindia.com/89130/nasik-woman-farmer-grapes-farming-earning-lakhs-success-story/

15/04/2022

13 अप्रैल
*महान सेनानी ोरावर_सिंह जी के जन्म दिवस पर शत.शत नमन करते हैं 🙏🙏

लद्दाख जिस वीर सेनानी के कारण आज भारत में है, उनका नाम है जनरल जोरावर सिंह। 13 अप्रैल, 1786 को इनका जन्म ग्राम अनसरा (जिला हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश) में ठाकुर हरजे सिंह के घर में हुआ था।

ठाकुर हरजे सिंह बिलासपुर की कहलूर रियासत में काम करते थे। अतः गाँव की खेती उनके भाई देखते थे। 16 वर्ष की अवस्था में जोरावर का अपने चाचा से विवाद हो गया। अतः ये घर छोड़कर हरिद्वार, लाहौर और फिर जम्मू पहुँचकर महाराजा गुलाब सिंह की डोगरा सेना में भर्ती हो गये।

राजा ने इनके सैन्य कौशल से प्रभावित होकर कुछ समय में ही इन्हें सेनापति बना दिया। वे अपनी विजय पताका लद्दाख और बाल्टिस्तान तक फहराना चाहते थे। अतः जोरावर सिंह ने सैनिकों को कठिन परिस्थितियों के लिए प्रशिक्षित किया और लेह की ओर कूच कर दिया। किश्तवाड़ के मेहता बस्तीराम के रूप में इन्हें एक अच्छा सलाहकार मिल गया।

यह समाचार सुनकर सुरू के तट पर वकारसी ने 200 सैनिकों के साथ तथा दोरजी नामग्याल ने 5,000 सैनिकों के साथ सुनकू में मुकाबला किया; पर हारकर वे रूसी दर्रे (जोत) से होकर शोरगुल की ओर भाग गये। डोगरा सेना लेह में घुस गयी। इस प्रकार लद्दाख जम्मू राज्य के अधीन हो गया।

अब जोरावर ने बाल्टिस्तान पर हमला किया। लद्दाखी सैनिक भी अब उनके साथ थे। अहमदशाह ने जब देखा कि उसके सैनिक बुरी तरह कट रहे हैं, तो उसे सन्धि करनी पड़ी। जोरावर ने उसके बेटे को गद्दी पर बैठाकर 7,000 रु. वार्षिक जुर्माने का फैसला कराया। अब उन्होंने तिब्बत की ओर कूच किया। हानले और ताशी गांग को पारकर वे आगे बढ़ गये।

अब तक जोरावर सिंह और उनकी विजयी सेना का नाम इतना फैल चुका था कि रूडोक तथा गाटो ने बिना युद्ध किये हथियार डाल दिये। अब ये लोग मानसरोवर के पार तीर्थपुरी पहुँच गये। 8,000 तिब्बती सैनिकों ने परखा में मुकाबला किया, पर वे पराजित हुए। जोरावर सिंह तिब्बत, भारत तथा नेपाल के संगम स्थल तकलाकोट तक जा पहुँचे। वहाँ का प्रबन्ध उन्होंने मेहता बस्तीराम को सौंपा तथा वापस तीर्थपुरी आ गये।

इसी बीच जनरल छातर की कमान में दस हजार तिब्बती सैनिकों की 300 डोगरा सैनिकों से मुठभेड़ हुई। राक्षसताल के पास वे सब मारे गये। जोरावर सिंह ने गुलामखान तथा नोनो के नेतृत्व में सैनिक भेजे; पर वे सब भी मारे गये।

अब वीर जोरावर सिंह स्वयं आगे बढ़े। वे तकलाकोट को युद्ध का केन्द्र बनाना चाहते थे; पर तिब्बतियों की विशाल सेना ने 10 दिसम्बर, 1841 को टोयो में इन्हें घेर लिया। दिसम्बर की भीषण बर्फीली ठण्ड में तीन दिन तक घमासान युद्ध चला।

12 दिसम्बर को जोरावर सिंह को गोली लगी और वे घोड़े से गिर पड़े। घोड़े से गिरने के बाद ज़ोरावर सिंह ने अपनी तलवार निकली और उससे दुश्मनो पर टूट पड़े , जो उनूंके नज़दीक आया वो स्वर्ण दीथारता गया इस बीच एक तिब्बती सैनिक ने उनकी पीठ पर भाले से वार किया और वह भाला जनरल साहब की छाती के आर पार हो गया , ये देख सभी डोगरा सेना तितर-बितर हो गयी। तिब्बती सैनिकों में जोरावर सिंह का इतना भय था कि उनके शव को स्पर्श करने का भी वे साहस नहीं कर पा रहे थे। बाद में उनके अवशेषों को चुनकर एक स्तूप बना दिया गया।

‘सिंह छोतरन’ नामक यह खंडित स्तूप आज भी टोयो में देखा जा सकता है। तिब्बती इसकी पूजा करते हैं। इस प्रकार जोरावर सिंह ने भारत की विजय पताका भारत से बाहर तिब्बत और बाल्टिस्तान तक फहरायी।
#जनरल ोरावर_सिंह

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Manya Wellness Centre
Utai
491107

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9754030002

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