08/09/2021
TYPHOID FEVER:-
यह एक संक्रामक वह लंबी अवधि का बुखार है जो salmonella typhi नामक bacteria से होता है। इसमें मरीज को तेज बुखार, बेचैनी, भूख न लगना, शरीर गिरा गिरा रहना, पेट दर्द, spleen का बढ़ा हुआ होना व छोटे छोटे लाल दाने पेट और पीठ पर दिखाई देते हैं। इसके बिगड़ जाने पर आंतो से रक्तस्राव व छेद हो जाता है।
Reason of typhoid:-
गंदगी होने पर वह सफाई में कमी के कारण ही यह बीमारी फैलती है। मरीज के मल मूत्र में यह bacteria निष्कासित होते हैं जो कि कम तापमान और नमी मैं अच्छी संख्या में पनपते हैं। इन्हें मक्खी मच्छर खाने के समान तक पहुंचा देते हैं। वहां से खाने के जरिए मनुष्य की आंत में पहुंचकर पनपते हैं बीमारी को फैलाते हैं।
टाइफाइड बुखार के लक्षण:-
👉धीरे धीरे बुखार बढ़ता चला जाता है। यह एक सीढ़ीनुमा तरीके से बढ़ता हुआ प्रदर्शित होता है। इसके उपरांत इसमें स्थिरता आ जाती है और बुखार 99 डिग्री फॉरेनहाइट से 100 डिग्री फॉरेनहाइट पर रुक जाता है।
👉 शुरू के दिनों में रोगी खाने में अरुचि, कब्ज, पेट दर्द व पेट फुला हुआ रहने की शिकायत बताता है।
👉 सूखी खांसी,nose bleed उल्टी, नींद ना आना,किसी काम में मन ना लगना,आलस्य, बुखार की तुलना में नाड़ी की धीमी गति से चलना इसके कुछ मुख्य लक्षण है।
👉अक्सर इस रोग में कब्ज की शिकायत होती है। पर बच्चों में दस्त व उल्टी के लक्षण भी देखे जाते हैं बच्चों का पेट फूल जाता है।
👉बच्चों के ज्यादातर ब्रोंकाइटिस और बोकोनिमोनिया के लक्षण भी दिखने लगते हैं।
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महत्वपूर्ण जानकारी👉👉👉
👉 कुछ मरीजों में ब्रोंकाइटिस, दस्त, पीलिया,संधि शोथ, नकसीर छूटना ,दिल के तेज धड़कना, अन्य दूसरी बीमारियां भी हो सकती है।
होम्योपैथिक इलाज:-
टाइफाइड बुखार का होम्योपैथिक इलाज के द्वारा सही हो जाते हैं होम्योपैथिक चिकित्सा में अब इन बीमारियों पर काबू पा लिया गया है जिससे मृत्यु दर भी बहुत कम रह गई है। साथ ही रोग की अवधि भी कम हो गई है।