वृद्ध जन सेवा कुटीर

वृद्ध जन सेवा कुटीर समाजसेवी सत्येंद्र शर्मा द्वारा अपने घर मे अस्थाई वृद्ध जन सेवा घर। स्थापना 15.08.2018

आज हमारे वैवाहिक वर्षगाँठ पर बाबा विश्वनाथ जी और माई अन्नपूर्णा जी से करबद्ध प्रार्थना है कि हम पर और हमारे परिवार पर सद...
28/04/2024

आज हमारे वैवाहिक वर्षगाँठ पर बाबा विश्वनाथ जी और माई अन्नपूर्णा जी से करबद्ध प्रार्थना है कि हम पर और हमारे परिवार पर सदैव अपना आशीर्वाद और कृपा बनाए रखें...
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साथ ही एक संकल्प के साथ चंद पंक्तियां :- मेरा वर्तमान भी तुमसे है, भविष्य भी तुम्हारा है और सदैव तुम्हारा केवल तुम्हारा ही रहेगा जन्म जन्मांतर तक
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क्या दूँ तुमको मेरि प्रिये ! स्वयं अमुल्य उपहार हो तुम।
मेरे ईष्ट का, और ब्रह्म का स्वयं एक उपकार हो तुम।
जीवन संगीत की धुन तुमसे,स्वप्न रचित संसार तुम्हीं,
इन हृदय तरंगो में स्पंदित वीणा की झंकार हो तुम।।
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मेरी प्रियतमा :-
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रूप रंग मौसम समाहित , सारी तुममें आ गई।
बन के धड़कन तुम हृदय के पास इतनी आ गई ,
झूम कर आईं बहारें , प्रियतम तुम्हारे आने से।
ज्यों क्षितिज सा भूमि अम्बर, मीत पर बन छा गई।।
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तुम्हारा जिवन साथी
तुम्हारा *"मीत"*

नमामि शम्भुं पुरुषं पुराणंनमामि सर्वज्ञमपारभावम् ।नमामि रुद्रं प्रभुमक्षयं तंनमामि शर्वं शिरसा नमामि ॥१॥नमामि देवं परमव्...
08/03/2024

नमामि शम्भुं पुरुषं पुराणं
नमामि सर्वज्ञमपारभावम् ।
नमामि रुद्रं प्रभुमक्षयं तं
नमामि शर्वं शिरसा नमामि ॥१॥

नमामि देवं परमव्ययंतं
उमापतिं लोकगुरुं नमामि ।
नमामि दारिद्रविदारणं तं
नमामि रोगापहरं नमामि ॥२॥

नमामि कल्याणमचिन्त्यरूपं
नमामि विश्वोद्ध्वबीजरूपम् ।
नमामि विश्वस्थितिकारणं तं
नमामि संहारकरं नमामि ॥३॥

नमामि गौरीप्रियमव्ययं तं
नमामि नित्यंक्षरमक्षरं तम् ।
नमामि चिद्रूपममेयभावं
त्रिलोचनं तं शिरसा नमामि ॥४॥

नमामि कारुण्यकरं भवस्या
भयंकरं वापि सदा नमामि ।
नमामि दातारमभीप्सितानां
नमामि सोमेशमुमेशमादौ ॥५॥

नमामि वेदत्रयलोचनं तं
नमामि मूर्तित्रयवर्जितं तम् ।
नमामि पुण्यं सदसद्व्यातीतं
नमामि तं पापहरं नमामि ॥६॥

नमामि विश्वस्य हिते रतं तं
नमामि रूपापि बहुनि धत्ते ।
यो विश्वगोप्ता सदसत्प्रणेता
नमामि तं विश्वपतिं नमामि ॥७॥

यज्ञेश्वरं सम्प्रति हव्यकव्यं
तथागतिं लोकसदाशिवो यः ।
आराधितो यश्च ददाति सर्वं
नमामि दानप्रियमिष्टदेवम् ॥८॥

नमामि सोमेश्वरंस्वतन्त्रं
उमापतिं तं विजयं नमामि ।
नमामि विघ्नेश्वरनन्दिनाथं
पुत्रप्रियं तं शिरसा नमामि ॥९॥

नमामि देवं भवदुःखशोक
विनाशनं चन्द्रधरं नमामि ।
नमामि गंगाधरमीशमीड्यं
उमाधवं देववरं नमामि ॥१०॥

नमाम्यजादीशपुरन्दरादि
सुरासुरैरर्चितपादपद्मम् ।
नमामि देवीमुखवादनानां
ईक्षार्थमक्षित्रितयं य ऐच्छत् ॥११॥

पंचामृतैर्गन्धसुधूपदीपैः
विचित्रपुष्पैर्विविधैश्च मन्त्रैः ।
अन्नप्रकारैः सकलोपचारैः
सम्पूजितं सोममहं नमामि ॥१२॥
॥ इति श्रीब्रह्ममहापुराणे शम्भुस्तुतिः सम्पूर्णा

17/06/2023

हम तो मनोजवा (मनोज मुंतशीर) को अनफ्रेंड और अनफालो कर दिए।
एक छोटी सी पहल आप लोग भी करें।
जय सनातन।

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