Siddhi Ayurvedic Hospital and Research Centre

Siddhi Ayurvedic Hospital and Research Centre Contact information, map and directions, contact form, opening hours, services, ratings, photos, videos and announcements from Siddhi Ayurvedic Hospital and Research Centre, Doctor, Varanasi.

01/01/2025

कैलेंडर नववर्ष 2025 की हार्दिक शुभकामनाएं!
देवाधिदेव महादेव की कृपा हम सभी पर सदैव बनी रहें।
।। ॐ नमः शिवाय ।।

01/01/2025
21/10/2024
03/10/2024

प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर: तारणीम्।
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥
त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्।
सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह: विनाशिन।
मुक्ति भुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥

03/10/2024

मुदा करात्तमोदकं सदा विमुक्तिसाधकं कलाधरावतंसकं विलासिलोकरञ्जकम्।
अनायकैकनायकं विनाशितेभदैत्यकं नताशुभाशुनाशकं नमामि तं विनायकम्।।

नतेतरातिभीकरं नवोदितार्कभास्वरं नमत्सुरारिनिर्जकं नताधिकापदुद्धरम्।
सुरेश्वरमं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरं महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम्।।

समस्तलोकशंकरं निरस्तदैत्यकुञ्जरं दरेतरोदरं वरं वरेभवक्त्रमक्षरम्।
कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करं नमस्करं नमस्कृतां नमस्करोमि भास्वरम्।।

अकिंचनार्तिमार्जनं चिरंतनोक्तिभाजनं पुरारिपूर्वनन्दनं सुरारिगर्वचर्वणम्।
प्रपञ्चनाशभीषणं धनंजयादिभूषणं कपोलदानवारणं भजे पुराणवारणम्।।

नितान्तकान्तदन्तकान्तिमन्तकान्तकात्मजमचिन्त्यरुपमन्तहीनमन्तरायकृन्तनम्।
हृदन्तरे निरन्तरं वसन्तमेव योगिनां तमेकदन्तमेव तं विचिन्तयामि संततम्।।

महागणेश पञ्चरत्नमादरेण योऽन्वहं प्रगायति प्रभातके हृदि स्मरन् गणेश्वरम्।
अरोगतामदोषतां सुसाहितीं सुपुत्रतां समाहितायुरष्टभूतिमभ्युपैति सोऽचिरात्।।

02/10/2024

आप सभी को इंदिरा एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं।
इस परमेश्वर स्तुति स्तोत्र का पाठ करने से समस्त दुखों और पापों का नाश हो जाता हैं।

जगदीश सुधीश भवेश विभो परमेश परात्पर पूत पितः।
प्रणतं पतितं हतबुद्धिबलं जनतारण तारय तापितकम्।।

गुणहीनसुदीनमलीनमतिं त्वयि पातरि दातरि चापरतिम्।
तमसा रजसावृतवृत्तिमिमं जनतारण तारय तापितकम्।।

मम जीवनमीनमिमं पतितं मरुघोरभुवीह सुवीहमहो।
करुणाब्धिचलोर्मिजलानयनं जनतारण तारय तापितकम्।।

भववारण कारण कर्मततौ भवसिन्धुजले शिव मग्नमतः।
करुणाञ्च समर्य्य तरिं त्वरितं जनतारण तारय तापितकम्।।

अतिनाश्य जनुर्मम पुण्यरुचे दुरितौघभरै: परिपूर्णभुव:।
सुजघन्यमगण्यमपुण्यरुचिं जनतारण तारय तापितकम्।।

भवकारक नारकहारक हे भवतारक पातकदारक हे।
हर शङ्कर किङ्करकर्मचयं जनतारण तारय तापितकम्।।

तृषितश्चिरमस्मि सुधां हित मे-ऽच्युत चिन्मय देहि वदान्यवर।
अतिमोहवशेन विनष्टकृतं जनतारण तारय तापितकम्।।

प्रणमामि नमामि नमामि भवं भवजन्मकृतिप्रणिषूदनकम्।
गुणहीनमनन्तमितं शरणं जनतारण तारय तापितकम्।।

02/10/2024

बिना हक के भी जब लेने की इच्छा प्रबल हो जाय तो वहा से "महाभारत" अर्थात विनाश का शुभारंभ हो जाता हैं।
अपने हक का भी अगर छोड़ देने की इच्छा प्रकट हो जाय तो वहा से "रामायण" अर्थात विकास का शुभारंभ हो जाता हैं।
विकास और विनाश के मार्ग का ही नाम रामायण और महाभारत है।
इसका चयन हम सभी को करना है की हम किस काल में रहना चाहते हैं, क्योंकि दोनो काल आज भी विद्यमान हैं।

02/10/2024

भगवान भास्कर की असीम अनुकम्पा से हम सभी का दिन मंगलमय और सुखद हो।
विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः।
लोक प्रकाशकः श्री मांल्लोक चक्षुर्मुहेश्वरः॥
लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिस्रहा।
तपनस्तापनश्चैव शुचिः सप्ताश्ववाहनः॥
गभस्तिहस्तो ब्रह्मा च सर्वदेवनमस्कृतः।
एकविंशतिरित्येष स्तव इष्टः सदा रवेः॥
।। ॐ घृणि सूर्याय नमः ।।

02/10/2024

इस रावण कृत शिव तांडव स्तोत्र का नियमित पाठ करने से मनुष्य के सभी तरह के कष्ट एवं विघ्न बाधाओं का नाश होकर सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं।

जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम्।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम्॥

जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी
विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि।
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके
किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम।।

धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर
स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे।
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि
क्वचिद्दिगम्बरे(क्वचिच्चिदम्बरे) मनो विनोदमेतु वस्तुनि॥

जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा
कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे।
मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि॥

सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर
प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः।
भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटक
श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः॥

ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा
निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम्।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं
महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः॥

करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल
द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके।
धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम॥

नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्
कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः
कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः ॥

प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा
वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम्।
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे॥

अगर्व सर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी
रसप्रवाहमाधुरी विजृम्भणामधुव्रतम्।
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं
गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे॥

जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस
द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट्।
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः॥

दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्
गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः।
तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समं प्रव्रितिक: कदा सदाशिवं भजाम्यहम॥

कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन्।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम्॥

निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-
निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं
परिश्रय परं पदं तदङ्गजत्विषां चयः॥

प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी
महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः
शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम्॥

इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं
पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम्।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम्॥

पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं
यः शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे।
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां
लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शम्भुः॥

इति श्रीरावण कृतम् शिव ताण्डव स्तोत्र संपूर्णम।।

।। ॐ नमः शिवाय ।।

02/10/2024

ध्यायेदच् बालदिवाकर द्युतनिभं देवार्रिदर्पापहं देवेन्द्रप्रमुख-प्रशस्तयशसं देदीप्यमानं रुचा।
सुग्रीवादिसमस्तवानरयुतं सुव्यक्त-तत्त्व-प्रियं संरक्तारुण-लोचनं पवनजं पीताम्बरालंकृतम्।।

उद्यन्मार्तण्ड-कोटि-प्रकटरुचियुतं चारुवीरासनस्थं मौञ्जीयज्ञोपवीताभरणरुचिशिखं शोभितं कुंडलाङ्कम्।
भक्तानामिष्टदं तं प्रणतमुनिजनं वेदनादप्रमोदं ध्यायेद् देवं विधेयं प्लवगकुलपतिं गोष्पदी भूतवार्धिम्।।

वज्राङ्गं पिङ्गकेशाढ्यं स्वर्णकुण्डल-मण्डितम्।
निगूढमुपसङ्गम्य पारावारपराक्रमम् ।।

स्फटिकाभं स्वर्णकान्तिं द्विभुजं च कृताञ्जलिम्। कुण्डलद्वयसंशोभिमुखाम्भोजं हरिं भजे।।

सव्यहस्ते गदायुक्तं वामहस्ते कमण्डलुम्।
उद्यद्दक्षिणदोर्दण्डं हनुमन्तं विचिन्तयेत्।।

।। जय श्रीराम ।।

25/09/2024

सभी प्रकार के कष्टों और आपदा विपदाओं से मुक्ति मिलती हैं जगत जननी मां विंध्यवासिनी स्त्रोत्र का पाठ करने मात्र से ...
निशुम्भ शुम्भ गर्जनी, प्रचण्ड मुण्ड खण्डिनी ।
बनेरणे प्रकाशिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
त्रिशूल मुण्ड धारिणी, धरा विघात हारिणी ।
गृहे-गृहे निवासिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
दरिद्र दुःख हारिणी, सदा विभूति कारिणी ।
वियोग शोक हारिणी, भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
लसत्सुलोल लोचनं, लतासनं वरप्रदं ।
कपाल-शूल धारिणी, भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
कराब्जदानदाधरां, शिवाशिवां प्रदायिनी ।
वरा-वराननां शुभां, भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
कपीन्द्न जामिनीप्रदां, त्रिधा स्वरूप धारिणी ।
जले-थले निवासिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
विशिष्ट शिष्ट कारिणी, विशाल रूप धारिणी ।
महोदरे विलासिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
पुंरदरादि सेवितां, पुरादिवंशखण्डितम्‌ ।
विशुद्ध बुद्धिकारिणीं, भजामि विन्ध्यवासिनीं ॥

Address

Varanasi

Telephone

918726777222

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Siddhi Ayurvedic Hospital and Research Centre posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Share

Category