27/08/2024
**यूनानी चिकित्सा का संक्षिप्त इतिहास**
यूनानी चिकित्सा, जिसे हिकमत के नाम से भी जाना जाता है, प्राचीन ग्रीस में उत्पन्न हुई। हिप्पोक्रेट्स (460-370 ई.पू.) को इसके जनक माना जाता है, जिन्होंने चिकित्सा को वैज्ञानिक आधार पर स्थापित किया। उनके बाद जालीनूस (गालेन) (129-200 ई.) ने इसे और विकसित किया।
8वीं से 12वीं शताब्दी के इस्लामी स्वर्ण युग के दौरान, यूनानी चिकित्सा का महत्वपूर्ण विकास हुआ। इब्न सीना (अविसेना) और अल-रज़ी (राझेस) जैसे मुस्लिम विद्वानों ने इसके सिद्धांतों और उपचार पद्धतियों को समृद्ध किया।
13वीं शताब्दी में यह चिकित्सा प्रणाली भारत में आई और मुगल काल (16वीं-18वीं शताब्दी) में इसे विशेष समर्थन मिला। हकीम अजमल खान जैसे प्रमुख हकीमों ने इसे प्रचलित और विकसित किया।
यूनानी चिकित्सा का आधार चार तत्वों (धरती, जल, अग्नि, वायु) और चार द्रवों (खून, बलगम, पित्त, काला पित्त) के संतुलन पर है। इसमें जड़ी-बूटियों, खनिजों और जानवरों से प्राप्त औषधियों का उपयोग होता है, साथ ही खानपान और जीवनशैली में बदलाव पर भी जोर दिया जाता है।
आज, यूनानी चिकित्सा को भारत में सरकारी समर्थन प्राप्त है और यह आयुष मंत्रालय के अंतर्गत आती है। पूरे देश में यूनानी चिकित्सा कॉलेज और अस्पताल स्थापित हैं और निरंतर अनुसंधान और विकास हो रहा है।